Monday, May 3, 2021

एक यात्रा राजस्थान के उदयपुर जिले के दुर्गम घने जंगलों में स्थित मायरा गुफा की जिसका उपयोग महाराज महाराणा प्रताप किया करते थे क्रूर मुगल आक्रमणकारियों से बचने के लिए। दोस्तों गुफा के अंदर मौजूद हैं प्राचीन हिंगलाज माता की मंदिर - राजस्थान उदयपुर भारत A visit to the Myra cave located in the inaccessible dense forests of Udaipur district of Rajasthan, which Maharaja Maharana Pratap used to avoid the cruel Mughal invaders. The ancient Hinglaj Mata temple is present inside the friends cave - Rajasthan Udaipur India.

Ek yatra khajane ki khoje















                      
































  Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey to Myra Cave situated in the inaccessible dense forests of Udaipur district of Rajasthan, where I used to live during my days of struggle.  Friends, let's go to that wonderful cave.










 Myra Cave


 Udaipur Rajasthan


 India



 Hello friends Maharaj Maharana Pratap's arsenal, this cave is no less than a labyrinth.  Friends used to fly away after entering the cave.  The temple of ancient Hinglaj Mata is present inside the cave, which was worshiped by Maharana Pratap himself.

 Friends, let us go to this era of history when our brave warrior Maharana Pratap, we were fighting the cruel Mughal invaders from outside to honor the honor of the Indians.  Friends say that in the famous Haldighati war, the valiant warrior Maharana Pratap attacked the ferocious invader Bahlol Khan with his sword that Bahlol Khan's head was broken into two pieces.  Friends, there are many more stories of Maharana Pratap's bravery.  Friends, this may have been the reason these lines were written.


 "Till the duel is brought up"

 "How far can war be avoided"

 "You are also a descendant of Rana"

 "Throw as far as a spear"









 Friends, it is not surprising that everyone who loves the country of India considers himself a descendant of Maharana Pratap.  Therefore, it comes to mind that the sword, with which the horse has broken into two pieces, including the horse, it must have been like that.  And friends, how would that brave warrior be.




















 In such a situation, the new generation of the country and the world can know Maharana Pratap more closely, so the Myra cave is being developed by the Rajasthan government.  So that tourists can easily reach here, and can see and understand this important historical site of India.



 Friends, Myra Cave is amazing among the hills of Iswal, 35 km from Udaipur District Headquarters in Rajasthan.  Friends, you will be surprised to know that even today it is very difficult and difficult to reach.  Friends, the special thing about this is that only a few people who know the history of Mewar, keep information about this cave.  That is, till date neither the Mughals nor the other people were aware of this cave.








 Friends, Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot recently presented the Vajat in the state assembly, in which the highly secreted Myra Caves were among the places selected for the convenience and development of tourists coming to Udaipur.  Friends, there is hope that soon tourists will be able to come here easily.










 Friends, even today it is not possible to reach Myra's cave by a four-wheeler.  Friends, this Myra cave can be reached only after traveling five kilometers through the dense forest by motorcycle or other two-wheeler.  Friends, this journey of five kilometers is very difficult and full of difficulties, only then Mughal invaders could not reach this cave.










 Friends, when you reach here, you will not feel that there is a huge cave here because even after reaching the cave, the path of entering it from outside is not visible.  Friends do not think from outside that there is a huge cave inside.

 Friends, for this reason, the great warrior Maharana Pratap decided to build an armory here due to this cave being very safe and huge.  At the same time, friends Myra cave is no less than a maze. Friends, there are three different routes to visit this cave. Friends, the creations or formations of these paths are such that it was impossible for the enemies to understand.  There is an AC system in the Friends cave which states that all the necessary items were arranged for the soldiers here.








 Friends are present in the cave itself, the temple of ancient Hinglaj Mata where Maharaja Maharana Pratap worshiped himself.  A two-storey arsenal has been built near the Friends cave, which is starting to get dilapidated due to lack of maintenance. Friends Mewar historians have long been demanding the development of this cave and adding it as a tourist destination.  But the matter was left between the tourism department and the forest department.  But friends, this cave is being developed with the help of the government.


 Friends, Myra's cave is mentioned in the history of Rajasthan and historical book called Rajbada.  It has been told that Maharana Pratap had selected a place in the form of an armory where it is not less than a challenge to reach even today.  Maharana Pratap used to live in this cave during the time of crisis.  Friends, the Mughals captured Gogunda four times, but they never had access to this cave.  Due to this, Maharana Pratap attacked Gogunda again and captured him.


 Friends, the contribution of this cave was very important during the battle of Haldighati.  Friends Maharaja Pratap had to find many secret and safe places during the struggle with the Mughal invader Akbar, of which the cave of Myra was the most important.  Because friends Maharaja Maharana Pratap used to do important and secret mantras on this.



 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗


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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं राजस्थान के उदयपुर जिले के दुर्गम घने जंगलों में स्थित मायरा गुफा की जहां अपने संघर्ष के दिनों में रहा करते थे। दोस्तों आइए चलते हैं उस अद्भुत गुफा की ओर।









         
          मायरा गुफा

       उदयपुर राजस्थान

               भारतवर्ष


 नमस्कार दोस्तों महाराज महाराणा प्रताप के शस्त्रागार रहें यह  गुफा किसी  भूल-भुलैया से कम नहीं हैं । दोस्तों गुफा के अंदर प्रवेश करते ही उड़ जाते थे होस दुश्मनों के । गुफा के अंदर ही मौजूद हैं प्राचीन हिंगलाज माता का मंदिर , जिसकी पूजा स्वंय  महाराज महाराणा प्रताप किया करते थे। 
             दोस्तों आइए चलते हैं इतिहास के इस दौर में जब हमारे वीर योद्धा महाराणा प्रताप हम भारतवासियों के मान सम्मान के लिए बाहर से आए क्रूर मुगल आक्रमणकारियों से युद्ध कर रहे थे। दोस्तों कहते हैं कि प्रसिद्ध हल्दीघाटी के युद्ध में क्रूर आक्रमणकारी बहलोल खां पर वीर योद्धा महाराणा प्रताप ने अपने तलवार से ऐसा वार किया कि  बहलोल खां के  सिर से लेकर घोड़े तक के दो टुकड़े हो गए थे। दोस्तों  महाराणा प्रताप  की वीरता के और भी बहुत सारे किस्से कहानियां हैं। दोस्तों शायद  यही कारण रहा है कि इन पंक्तियों को लिखा गया था।

  " द्वंद्ध कहा तक पाला जाएं "
  " युद्ध कहां तक टाला जाए "
  " तु भी है राणा का वंशज "
  " फेंक जहां  तक भाला जाएं"

         दोस्तों यह आश्चर्य करने वाली बात नहीं है कि भारत देश से प्रेम करने वाला हर कोई खुद को महाराणा प्रताप का वंशज ही मानता है। अतः ऐसे में मन में आता है कि जिस तलवार के एक वार से  घुड़सवार के घोड़े समेत दो  टुकड़े हो गए हों  , वह कैसी रही होगी। और दोस्तों कैसा रहा होगा  वह वीर योद्धा।














दोस्तों ऐसे में देश और दुनिया के नई पीढ़ी महाराणा प्रताप को और करीब से जान सकें  इसलिए महाराणा प्रताप के शस्त्रागार रहें मायरा गुफा को राजस्थान सरकार द्वारा विकसित की जा रही है। ताकि पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकें , और भारत के इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल को देख और समझ सकें।
                
           दोस्तों राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से  35 किलोमीटर दूर ईसवाल के पहाड़ियों के बीच हैं अद्भुत की  मायरा गुफा । दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां पहुंचना आज भी बेहद दुर्गम और मुश्किलों भरा है। दोस्तों इस की ख़ास बात यह है कि मेवाड़ के इतिहास की जानकारी रखने वाले कुछ लोग हीं  इस गुफा के बारे में जानकारी रखते हैं। यानी दोस्तों आज तक इस गुफा के बारे में न तो मुगलों को जानकारी हो पाईं थीं और नहीं अन्य लोगों को।
   
       दोस्तों हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य विधानसभा में वजट प्रस्तुत किया , जिसमें उदयपुर आने वाले पर्यटकों की सुविधा एवं विकास के लिए जिन स्थानों का  चयन किया गया था , उनमें यह अति गोपनीय मायरा गुफा भी  शामिल थीं। दोस्तों ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही पर्यटक यहां आसानी से आ जा सकेंगे।

















दोस्तों क्योंकि आज भी मायरा की गुफा तक  चौपहिया वाहन से पहुंच पाना संभव नहीं है । दोस्तों मोटरसाइकिल या अन्य दुपहिया वाहन से  ही घने जंगलों के बीच से होकर पांच किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही इस मायरा गुफा तक पहुंचा जा सकता है। दोस्तों यह पांच किलोमीटर का सफर बहुत ही दुर्गम और मुश्किलों  से भरा है तभी तो मुग़ल आक्रमणकारी इस गुफा तक पहुंच नहीं पाते थे। 
          
     दोस्तों जब आप यहां पहुंचेंगे तो आपको लगेगा ही नहीं की यहां पर कोई विशाल गुफा मौजूद हैं क्योंकि गुफा तक पहुंचने पर भी  बाहर से इसमें अंदर दाखिल होने का मार्ग दिखाईं नहीं देता है। दोस्तों बाहर से लगता हीं नहीं है कि अंदर एक विशाल गुफा मौजूद हैं।
       दोस्तों इसी कारण से महान योद्धा महाराणा प्रताप इस गुफा के अति सुरक्षित और विशाल होने के कारण ही यहां शस्त्रागार बनाने का निर्णय लिया। साथ ही दोस्तों मायरा गुफा किसी भूल भुलैया से कम नहीं हैं दोस्तों इस गुफा में जाने के लिए तीन अलग-अलग रास्ते हैं दोस्तों इन रास्तों की रचनाएं या बनावट ऐसी हैं कि जिसे समझ पाना शत्रुओं के लिए असंभव बात थी । दोस्तों गुफा में एसी व्यवस्था मौजूद है जो बताती है कि यहां सैनिकों के लिए हर जरूरी सामान का बंदोबस्त किया गया था।

  














         दोस्तों   गुफा में ही मौजूद हैं प्राचीन हिंगलाज माता का मंदिर जहां स्वयं महाराज महाराणा प्रताप पूजा किया करते थे। दोस्तों गुफा के नजदीक ही दो मंजिला  शस्त्रागार बना हुआ है जो देख - रेख के अभाव में जीर्ण- शीर्ण होने लगा है दोस्तों मेवाड़ के इतिहासकार लंबे समय से इस गुफा के विकास और उसे पर्यटन स्थल के रूप में जोड़ने की मांग करते रहे हैं। लेकिन मामला पर्यटन विभाग और वन विभाग के बीच फस के रह गया था। लेकिन दोस्तों अब सरकार की मदद से इस गुफा का विकास किया जा रहा है।

       दोस्तों राजस्थान के इतिहास और रजबाड़े नामक ऐतिहासिक पुस्तक में मायरा की गुफा का जिक्र किया गया है । इसमें बताया गया है कि महाराणा प्रताप ने शस्त्रागार के रूप में एक ऐसे स्थान का चयन किया था जहां पहुंच पाना आज भी किसी चुनौती से कम नहीं है । इस गुफा में  महाराणा प्रताप संकट के समय रहा करते थे। दोस्तों मुगलों ने चार बार  गोगुंदा पर कब्जा किया , लेकिन इस गुफा तक उनकी पहुंच कभी भी नहीं बन पाई। इसी के चलते महाराणा प्रताप ने  गोगुंदा पर दोबारा हमला करके  उसे अपने कब्जे में कर लिया था।

         दोस्तों हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान इस गुफा का योगदान बड़ा अहम था । दोस्तों मुग़ल आक्रमणकारी अकबर से हुए संघर्ष के दौरान महाराज महाराणा प्रताप को अनेक गुप्त एवं सुरक्षित स्थान तलाशने पड़े थे , इनमें से मायरा की गुफा सबसे अहम थी। क्योंकि दोस्तों महाराज महाराणा प्रताप यही पर महत्वपूर्ण एवं गुप्त मंत्राणाए किया करते थे।








          धन्यवाद दोस्तों
  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗
   













Friday, April 30, 2021

एक यात्रा अलौकिक व चमत्कारी शिव मंदिर की जहां मृत व्यक्ति पुनः जीवित हो जाता था /लाखामंडल गांव का पुरातन शिव मंदिर देहरादून उत्तराखंड भारतवर्ष ek yaatra alaukik va chamatkaaree shiv mandir kee jahaan mrt vyakti punah jeevit ho jaata tha /laakhaamandal gaanv ka puraatan shiv mandir deharaadoon uttaraakhand bhaaratavarsh.

Ek yatra khajane ki khoje



























   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर ले जा रहा हूं जहां पहुंचते ही मृत व्यक्ति पुनः जिंदा हो उठता था। तो आइए दोस्तों चलते हैं उत्तराखंड राज्य के  देहरादून के लाखामंडल गांव की यात्रा पर जहां हम दर्शन करेंगे उस पवित्र मंदिर की जो द्वापर और त्रेता युग से संबंधित है।











  लाखामंडल गांव का अति प्राचीन शिव मंदिर


  उत्तराखंड / देहरादून

         भारतवर्ष


 नमस्कार दोस्तों उत्तराखंड के देहरादून जिले के लाखामंडल गांव के पास बहुत ही ऐतिहासिक व पौराणिक और धार्मिक महत्व की कई धरोहर मौजूद है। लेकिन सरकारी देखरेख के अभाव में यह धरोहर अब तक उपेक्षित पड़ी हुई है।दोस्तों इसी वजह से यह जगह तीर्थ यात्रियों की पहुंच से दूर है केवल कुछ स्थानीय लोग ही यहां पहुंच पाते हैं। इस पवित्र शिव धाम की यात्रा पर।

    दोस्तों देहरादून के सुदूर लाखामंडल गांव की सबसे अमूल्य धरोहर है अति प्राचीन शिव मंदिर जहां किसी कालखंड में मृत व्यक्ति भी जिंदा हो उठता था। महाकाल भोलेनाथ की कृपा से।दोस्तों भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित यह मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है दोस्तों इस इलाके में मंदिर से संबंधित दो दंतकथाएं प्रचलित है। 
















दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि इसी स्थान पर दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण करवाया था।लेकिन लाक्षागृह में आग लगने के बाद सभी पांडव भगवान की कृपा से एक गुफा के रास्ते होते हुए इस लाक्षागृह से बाहर निकल गए थे। दोस्तों माना जाता है कि जहां से पांडव बाहर निकले थे वह स्थान चित्रेश्वर नाम की एक गुफा है।दोस्तों चित्रेश्वर नाम की वह गुफा इस अति प्राचीन शिव मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर है जो लाखामंडल गांव के निचले हिस्से में मौजूद है।दोस्तों की किंवदंतिया है कि इसी कार्य के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवाया था , ताकि सभी पांडव शिव पार्वती की शक्तियों को धन्यवाद कर सके।

          दोस्तों एक अन्य दंतकथा के अनुसार जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद हिमालय के इस क्षेत्र में भ्रमण करते हुए आए तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया और यहां पर एक लाख शिवलिंग की स्थापना की। दोस्तों कहते हैं कि लाखा का मतलब है एक लाख और मंडल का अर्थ है लिंग। अर्थात दोस्तों पांडवों द्वारा एक लाख शिवलिंग को प्रतिष्ठित किए जाने के कारण ही इस जगह का नाम लाखामंडल पड़ा है। अतः दोस्तों मुझे भी यही कहानी सच लगती है पहली वाली कहानी के अपेक्षा क्योंकि दोस्तों माना जाता है कि लाक्षागृह  कुरुक्षेत्र यानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के आसपास कहीं मौजूद है।










दोस्तों अद्भुत रूप से केदारनाथ मंदिर की ही शैली में बने इस प्राचीन शिव मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव , माता पार्वती के अलावे काल भैरव , कार्तिकेय , माता सरस्वती , भगवान गणेश , माता दुर्गा , भगवान विष्णु , सूर्य देव , बजरंगबली आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां मौजूद है। दोस्तों इसके अलावा यहां पर धर्मराज युधिष्ठिर एवं पांचों पांडवों की भी मूर्तियां मौजूद है । दोस्तों इस मंदिर में मौजूद सभी मूर्तियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो यह एक भव्य प्राचीन संग्रहालय हो।
          
           दोस्तों जब आप यहां पहुंचेंगे तो देखोगे कि इस मंदिर के विशाल परिसर में ढेरों मूर्तियां , लघु शिवाल है और शिवलिंग यत्र तत्र बिखरे पड़े हुए हैं।दोस्तों देखभाल व संरक्षण के अभाव में कई प्राचीन मूर्तियां नष्ट भ्रष्ट हो चुकी है व खंडित होकर इधर-उधर बिखरी हुई है दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि यह मंदिर पुरातत्व विभाग वालों के देखरेख में है लेकिन पुरातत्व विभाग वाले सही तरीके से देखभाल नहीं कर रहे हैं इस कारण से यह मंदिर अब भी उपेक्षित है ।                                                      दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर परिसर में मौजूद गहरे हरे रंग का शिवलिंग द्वापर युग का है जब भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था। और साथ ही परिसर में मौजूद लाल रंग के शिवलिंग का संबंध त्रेता युग से बताया जाता है जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया था। दोस्तों मंदिर परिसर में एक और अद्भुत शिवलिंग मौजूद है जिस पर जल चढ़ाने पर आप अपने प्रतिबिंब को स्पष्ट रुप से देख सकते हो।


















दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद खुरों   (पैर) के निशान गाय माता के कहे जाते हैं।दोस्तों इस बारे में कहावत है कि गर्भ गृह में शिवलिंग की खोज तब की जा सकी थी , जब यमुनापार के गांव की एक गाय यहां आकर प्रतिदिन अपने दूध से शिवलिंग का अभिषेक किया करती थी। तभी इस शिवलिंग के बारे में स्थानीय लोगों को पता चल पाया था।

     दोस्तों जब आप यहां पहुंचोगे  तो देखोगे कि मंदिर के पश्चिमी हिस्से में दो मूर्तियां मौजूद हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि यह मूर्तियां द्वारपाल जय और विजय की है।दोस्तों इस बारे में मान्यता है कि इन मूर्तियों के सामने किसी मृत व्यक्ति को रख देने पर पुजारी उसके ऊपर गंगाजल छिड़क देते थे और वह व्यक्ति जिंदा हो उठता था।दोस्तों जीवित होते ही वह व्यक्ति भगवान शिव का नाम लेने लगता था , तब उसके मुंह में गंगाजल डाला जाता था जिससे वह पुनः शरीर त्याग कर स्वर्ग को चला जाता था। दोस्तों कहते हैं कि एक बार एक स्त्री ने जिंदा हो चुके अपने पति को यहां से ले जाने की कोशिश की थी , उसके बाद से ही यहां  मृत व्यक्ति की जीवित होने की शक्ति समाप्त हो गई।  











       धन्यवाद दोस्तों

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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      English translate
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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, on today's journey I am taking you on a journey to a temple where the dead person used to come back alive.  So let's go on a trip to the Lakhamandal village of Dehradun in Uttarakhand state where we will see the sacred temple which is related to Dwapara and Treta Yuga.














 The ancient Shiva temple of Lakhamandal village



 Uttarakhand / Dehradun


 India



 Namaskar Friends, Lakhamandal village of Dehradun district of Uttarakhand has many heritage of very historical and mythological and religious importance.  But due to lack of government care, this heritage is still neglected. Friends, due to this reason, this place is far from the reach of pilgrims, only a few local people are able to reach here.  On this pilgrimage to the holy Shiva Dham.


 Friends, the most invaluable heritage of the remote Lakhamandal village of Dehradun is the very ancient Shiva temple where even a dead person used to be alive in a period of time.  By the grace of Mahakal Bholenath. This temple dedicated to friends Lord Shiva and mother Parvati is said to be the Mahabharata period. Friends, there are two legends related to the temple in this area.


















 Friends say local people say that this is the place where Duryodhana built the Laksha Griha to kill the Pandavas. But after the fire in the Laksha Griha, all the Pandavas got out of the Laksha Griha by the grace of God via a cave.  Friends, it is believed that the place where the Pandavas came out is a cave named Chitreshwar. Friends, this cave named Chitreshwar is at a distance of 2 km from this very ancient Shiva temple which is present in the lower part of the village of Lakhamandal.  Legend has it that for this work Dharmaraja Yudhishthira had built a temple at this place, so that all the Pandavas could thank the powers of Shiva Parvati.


 According to another legend, when the Pandavas came to visit this region of the Himalayas after the war of Mahabharata, they built this temple and established one lakh Shivlinga here.  Friends say Lakha means one lakh and Mandal means gender.  That is, this place is named Lakhmandal due to the presence of one lakh Shivalinga by friends Pandavas.  So friends, the same story seems true to me as compared to the first story because friends are believed that Lakshagriha exists somewhere around Kurukshetra i.e. Delhi and Uttar Pradesh.



















 Friends, Lord Shiva, Goddess Parvati, Kaal Bhairava, Kartikeya, Mata Saraswati, Lord Ganesha, Mata Durga, Lord Vishnu, Surya Dev, Bajrangbali etc. Goddesses in this womb of this ancient Shiva temple, built in the same style as Kedarnath temple.  Statues of deities exist.  Friends, in addition to this, idols of Dharmaraja Yudhishthira and the five Pandavas are also present here.  Friends, looking at all the idols present in this temple, it seems as if it is a grand ancient museum.



 Friends, when you reach here, you will see that the huge complex of this temple has many statues, miniature Shiva and the Shivalinga scattered here and there. Many ancient idols have been destroyed and broken due to lack of friend care and protection.  Scattered friends local people say that this temple is under the supervision of the archeology department but the archeology department is not taking proper care of the reason, because of this the temple is still neglected.  Friends locals say that the dark green Shivalinga present in the temple complex dates back to the Dwapar era when Lord Krishna took incarnation.  Also, the red colored Shivling present in the premises is said to be related to the Treta Yuga when Lord Shri Ram incarnated.  Friends, there is another amazing Shivling in the temple complex, on which you can clearly see your reflection when you offer water.





















 Astonishingly, the traces of hooves (feet) in the sanctum sanctorum of the temple are said to be of the mother goddess. Friends say that the Shivling was discovered in the sanctum sanctorum when a cow from the village of Yamunapar was found here.  She used to anoint Shiva lingam every day with her milk.  Only then the local people came to know about this Shivling.


 Friends, when you reach here, you will see that there are two idols in the western part of the temple, which is said to be the idols of Dwarapal Jai and Vijay. Friends believe that to put a dead person in front of these idols.  But the priests used to sprinkle Gangajal on him and that person would get alive. As soon as the friends were alive, the person used to take the name of Lord Shiva, then Gangajal was put in his mouth from which he renounced his body and went to heaven.  Friends say that once a woman tried to take her husband who was alive from here, since then the dead person's power to live here has been exhausted.












 Thanks guys


 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗









       





       Mountain Leopard             Mahendra 🧗🧗




















Wednesday, April 28, 2021

एक यात्रा शेष शैया पर सोए भगवान विष्णु की अति प्राचीन मूर्ति की खोज में , शेषशाई विष्णु बांधवगढ़ मध्य प्रदेश भारत A journey in search of an ancient statue of Lord Vishnu sleeping on Shesha Shaya, Sheshai Vishnu Bandhavgarh Madhya Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje


















                 भगवान विष्णु की अति प्राचीन मूर्ति

              Very ancient idol of Lord Vishnu









  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं , मध्य प्रदेश के घने जंगलों में स्थित बांधवगढ़ की यात्रा पर जहां हम देखेंगे एक रहस्यमई किले में स्थित शेषशय्या पर सोए भगवान विष्णु की अति प्राचीन मूर्ति को।









    शेषशाई विष्णु बांधवगढ़

             मध्य प्रदेश

               भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों क्या आपको पता है भारत के मध्य प्रदेश राज्य के घने जंगलों में स्थित बांधवगढ़ किले में मौजूद है भगवान विष्णु की एक अति प्राचीन मूर्ति जो कि शेष शैया पर सोए हुए अवस्था में मौजूद हैं। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शयन मुद्रा में भगवान विष्णु की यह मूर्ति व जहां यह मूर्ति मौजूद है यानी शिव पुराण का यह रहस्यमई पहाड़ी किला ही नहीं , बल्कि पूरा का पूरा यह पहाड़ ही चमत्कारी , रहस्यमई व अद्भुत है। 
            दोस्तों भगवान विष्णु की यह अति प्राचीन मूर्ति कम रहस्यमई नहीं है क्योंकि क्षीरसागर में विश्राम मुद्रा में उनका यह स्वरूप कम ही देखने को मिलता है। दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान पर लेकर जा रहे हैं जो मौजूद है एक प्राचीन किले में लेकिन यह स्थान एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान के लिए पहचाना जाता है जिसे हम सभी बांधवगढ़ नेशनल पार्क के रूप में जानते हैं। दोस्तों बांधवगढ़ नेशनल पार्क मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है।





















दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि यहां मौजूद एक पहाड़ के नाम पर ही इस जगह का नाम बांधवगढ़ पड़ा है और इसी पहाड़ पर स्थित है यह प्राचीन रहस्यमई किला जिसका निर्माण लगभग 2000 से 3000 वर्ष पहले कराया गया था। दोस्तों सिर्फ यह किला ही नहीं पूरा का पूरा पहाड़ ही रहस्यमई और अद्भुत है।दोस्तों प्राचीन दस्तावेजों से जानकारी मिलती है कि "रीवा रियासत" के महाराज राजा व्याघ्र देव ने ही इस किले का निर्माण करवाया था। साथ ही दोस्तों इस प्राचीन किले का उल्लेख "नारद पंच" और "शिव पुराण" में भी मिलता है।

          दोस्तों इस प्राचीन किले के अंदर जाने के लिए एक ही मार्ग मौजूद है जो बांधवगढ़ के घने जंगलों से होकर गुजरता है दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि इस प्राचीन किले में एक गुप्त सुरंग बनी हुई है जो सीधे "रीवा" शहर में निकलती है। परंतु दोस्तों आज तक यह सुरंग लोगों की नजर में नहीं आई है जो कि एक खोज का विषय है।






















दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि इस क्षेत्र के स्थानीय राजा गुलाब सिंह और उनके पिता मार्तंड सिंह जूदेव इसका इस्तेमाल खुफिया किले के रूप में किया करते थे , दोस्तों बताया जाता है कि उनके द्वारा उस जमाने में यहां कई गुप्त रणनीतियां बनाई गई थी दुश्मनों के खिलाफ साथ ही वे इस किले का उपयोग गोरिल्ला युद्ध में भी किया करते थे। 

      दोस्तों जैसे ही आप प्राचीन किले की सीमा में प्रवेश करोगे तो आप देखोगे की अद्भुत रूप से भगवान विष्णु के 12 अवतारों की प्रतिमाएं यहां मौजूद पत्थरों को तराश कर बनाई गई है। दोस्तों इन मूर्तियों में कच्छप अवतार और शेष शैया पर आराम की मुद्रा में भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं। दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से शेष शैया पर विराजमान भगवान विष्णु जी के मूर्ति के ऊपर बाईं तरफ भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग मौजूद है। और पैरों के पास एक कल कल करती हुई झरना बहती है दोस्तों माना जाता है कि यह स्थान त्रिमूर्तियों यानी भगवान ब्रह्मा , विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करती है।






















दोस्तों स्थानीय दंतकथाओं के अनुसार कहते हैं कि भगवान राम ने लंका से लौट कर लक्ष्मण जी के लिए यहां पर एक किले का निर्माण करवाया था। दोस्तों शायद यही किला वह प्राचीन किला है जिसका निर्माण भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी के लिए करवाया था।दोस्तों वर्तमान समय में इस  किले और आसपास के घने जंगलों में बाघ और दूसरे खतरनाक जंगली जानवरों का बसेरा हो गया है।

        दोस्तों कुछ ऐतिहासिक स्रोतों से मालूम होता है कि बांधवगढ़ क्षेत्र में माघ , मौर्य , वाकाटक , सेंगर , कलचुरी और बघेल वंश के शासकों ने भी शासन किया था। और इस रहस्यमई किले को अपना ठिकाना बनाया था।

        दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां पर ऐसे 7 तलाब भी मौजूद हैं जो आज तक सूखे ही नहीं है दोस्तों इन तालाबों की खास बात यह है कि किसी भी मौसम में इनमे पानी लबालब भरा रहता है।
              दोस्तों इस समय यहां की देखरेख मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है।


            धन्यवाद दोस्तों

  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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         English translate
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   Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey to Bandhavgarh situated in the dense forests of Madhya Pradesh, where we will see the ancient statue of Lord Vishnu sleeping on the rest of the house in a mysterious fort.









 Sheshai Vishnu Bandhavgarh


 Madhya Pradesh


 India


 Hello friends, do you know Bandhavgarh Fort is located in the dense forests of Madhya Pradesh state of India, there is a very ancient idol of Lord Vishnu which is present in the sleeping state on the rest of the Shayya.  Friends, you will be surprised to know that this idol of Lord Vishnu in the sleeping posture and where this idol is present i.e. this mysterious hill fort of Shiva Purana is not only the whole mountain, but this whole mountain is miraculous, mysterious and amazing.

 Friends, this very ancient idol of Lord Vishnu is no less mysterious because his form is rarely seen in the resting posture in Kshirsagar.  Friends, today we are taking you to a place which is present in an ancient fort but this place is recognized for a famous national park which we all know as Bandhavgarh National Park.  Friends Bandhavgarh National Park is located in Umaria district of Madhya Pradesh.














 Friends, historical sources reveal that this place is named Bandhavgarh after the name of a mountain present here and it is on this mountain that this ancient mysterious fort was built about 2000 to 3000 years ago.  Friends, this fort is not only the whole mountain, it is mysterious and amazing. Two ancient documents provide information that King Vyaghra Dev of "Rewa Princely State" had built this fort.  Also, friends, this ancient fort is also mentioned in "Narada Panch" and "Shiva Purana".


 Friends, there is only one route to go inside this ancient fort which passes through the dense forests of Bandhavgarh. Friends, the locals tell that this ancient fort has a secret tunnel which leads directly to the city of "Rewa".  But friends, till date this tunnel has not come in the eyes of people, which is the subject of a search.


























 Friends, historical sources reveal that the local king of the region Gulab Singh and his father Martand Singh Judeo used it as an intelligence fortress, friends are told that in those days many secret strategies were made here against the enemies.  They also used this fort in gorilla warfare.


 Friends, as soon as you enter the boundary of the ancient fort, you will see that the 12 incarnations of Lord Vishnu are amazingly made by carving the stones present here.  Friends, in these idols, Kachhap Avatar and the rest of the Shaya have visions of Lord Vishnu in a relaxed posture.  Friends surprisingly, there is a Shiva lingam symbol of Lord Shiva on the left, above the idol of Lord Vishnu, resting on the rest of Shaya.  And a waterfall flows near the feet tomorrow. Friends, this place is believed to represent the Trimurtis i.e. Lord Brahma, Vishnu and Mahesh.















 Friends say according to local legends that Lord Rama returned from Lanka and built a fort here for Laxman ji.  Friends, perhaps this fort is an ancient fort built by Lord Rama for his younger brother Lakshman ji. In the present times, this fort and the surrounding dense forests are inhabited by tigers and other dangerous wild animals.


 Friends, it is known from some historical sources that the Bandhavgarh region was also ruled by the rulers of Magh, Maurya, Vakataka, Sengar, Kalchuri and Baghel dynasties.  And this mysterious fort was made its hideout.


 Friends, you will be surprised to know that there are 7 such ponds which are not dry till date, friends. The special thing about these ponds is that in any season, the water in them is full.

 Friends, at present, it is looked after by the Government of Madhya Pradesh.



 Thanks guys


 Mountain Leopard                Mahendra 🧗🧗

















Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...