Monday, May 3, 2021

एक यात्रा राजस्थान के उदयपुर जिले के दुर्गम घने जंगलों में स्थित मायरा गुफा की जिसका उपयोग महाराज महाराणा प्रताप किया करते थे क्रूर मुगल आक्रमणकारियों से बचने के लिए। दोस्तों गुफा के अंदर मौजूद हैं प्राचीन हिंगलाज माता की मंदिर - राजस्थान उदयपुर भारत A visit to the Myra cave located in the inaccessible dense forests of Udaipur district of Rajasthan, which Maharaja Maharana Pratap used to avoid the cruel Mughal invaders. The ancient Hinglaj Mata temple is present inside the friends cave - Rajasthan Udaipur India.

Ek yatra khajane ki khoje















                      
































  Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey to Myra Cave situated in the inaccessible dense forests of Udaipur district of Rajasthan, where I used to live during my days of struggle.  Friends, let's go to that wonderful cave.










 Myra Cave


 Udaipur Rajasthan


 India



 Hello friends Maharaj Maharana Pratap's arsenal, this cave is no less than a labyrinth.  Friends used to fly away after entering the cave.  The temple of ancient Hinglaj Mata is present inside the cave, which was worshiped by Maharana Pratap himself.

 Friends, let us go to this era of history when our brave warrior Maharana Pratap, we were fighting the cruel Mughal invaders from outside to honor the honor of the Indians.  Friends say that in the famous Haldighati war, the valiant warrior Maharana Pratap attacked the ferocious invader Bahlol Khan with his sword that Bahlol Khan's head was broken into two pieces.  Friends, there are many more stories of Maharana Pratap's bravery.  Friends, this may have been the reason these lines were written.


 "Till the duel is brought up"

 "How far can war be avoided"

 "You are also a descendant of Rana"

 "Throw as far as a spear"









 Friends, it is not surprising that everyone who loves the country of India considers himself a descendant of Maharana Pratap.  Therefore, it comes to mind that the sword, with which the horse has broken into two pieces, including the horse, it must have been like that.  And friends, how would that brave warrior be.




















 In such a situation, the new generation of the country and the world can know Maharana Pratap more closely, so the Myra cave is being developed by the Rajasthan government.  So that tourists can easily reach here, and can see and understand this important historical site of India.



 Friends, Myra Cave is amazing among the hills of Iswal, 35 km from Udaipur District Headquarters in Rajasthan.  Friends, you will be surprised to know that even today it is very difficult and difficult to reach.  Friends, the special thing about this is that only a few people who know the history of Mewar, keep information about this cave.  That is, till date neither the Mughals nor the other people were aware of this cave.








 Friends, Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot recently presented the Vajat in the state assembly, in which the highly secreted Myra Caves were among the places selected for the convenience and development of tourists coming to Udaipur.  Friends, there is hope that soon tourists will be able to come here easily.










 Friends, even today it is not possible to reach Myra's cave by a four-wheeler.  Friends, this Myra cave can be reached only after traveling five kilometers through the dense forest by motorcycle or other two-wheeler.  Friends, this journey of five kilometers is very difficult and full of difficulties, only then Mughal invaders could not reach this cave.










 Friends, when you reach here, you will not feel that there is a huge cave here because even after reaching the cave, the path of entering it from outside is not visible.  Friends do not think from outside that there is a huge cave inside.

 Friends, for this reason, the great warrior Maharana Pratap decided to build an armory here due to this cave being very safe and huge.  At the same time, friends Myra cave is no less than a maze. Friends, there are three different routes to visit this cave. Friends, the creations or formations of these paths are such that it was impossible for the enemies to understand.  There is an AC system in the Friends cave which states that all the necessary items were arranged for the soldiers here.








 Friends are present in the cave itself, the temple of ancient Hinglaj Mata where Maharaja Maharana Pratap worshiped himself.  A two-storey arsenal has been built near the Friends cave, which is starting to get dilapidated due to lack of maintenance. Friends Mewar historians have long been demanding the development of this cave and adding it as a tourist destination.  But the matter was left between the tourism department and the forest department.  But friends, this cave is being developed with the help of the government.


 Friends, Myra's cave is mentioned in the history of Rajasthan and historical book called Rajbada.  It has been told that Maharana Pratap had selected a place in the form of an armory where it is not less than a challenge to reach even today.  Maharana Pratap used to live in this cave during the time of crisis.  Friends, the Mughals captured Gogunda four times, but they never had access to this cave.  Due to this, Maharana Pratap attacked Gogunda again and captured him.


 Friends, the contribution of this cave was very important during the battle of Haldighati.  Friends Maharaja Pratap had to find many secret and safe places during the struggle with the Mughal invader Akbar, of which the cave of Myra was the most important.  Because friends Maharaja Maharana Pratap used to do important and secret mantras on this.



 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗


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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं राजस्थान के उदयपुर जिले के दुर्गम घने जंगलों में स्थित मायरा गुफा की जहां अपने संघर्ष के दिनों में रहा करते थे। दोस्तों आइए चलते हैं उस अद्भुत गुफा की ओर।









         
          मायरा गुफा

       उदयपुर राजस्थान

               भारतवर्ष


 नमस्कार दोस्तों महाराज महाराणा प्रताप के शस्त्रागार रहें यह  गुफा किसी  भूल-भुलैया से कम नहीं हैं । दोस्तों गुफा के अंदर प्रवेश करते ही उड़ जाते थे होस दुश्मनों के । गुफा के अंदर ही मौजूद हैं प्राचीन हिंगलाज माता का मंदिर , जिसकी पूजा स्वंय  महाराज महाराणा प्रताप किया करते थे। 
             दोस्तों आइए चलते हैं इतिहास के इस दौर में जब हमारे वीर योद्धा महाराणा प्रताप हम भारतवासियों के मान सम्मान के लिए बाहर से आए क्रूर मुगल आक्रमणकारियों से युद्ध कर रहे थे। दोस्तों कहते हैं कि प्रसिद्ध हल्दीघाटी के युद्ध में क्रूर आक्रमणकारी बहलोल खां पर वीर योद्धा महाराणा प्रताप ने अपने तलवार से ऐसा वार किया कि  बहलोल खां के  सिर से लेकर घोड़े तक के दो टुकड़े हो गए थे। दोस्तों  महाराणा प्रताप  की वीरता के और भी बहुत सारे किस्से कहानियां हैं। दोस्तों शायद  यही कारण रहा है कि इन पंक्तियों को लिखा गया था।

  " द्वंद्ध कहा तक पाला जाएं "
  " युद्ध कहां तक टाला जाए "
  " तु भी है राणा का वंशज "
  " फेंक जहां  तक भाला जाएं"

         दोस्तों यह आश्चर्य करने वाली बात नहीं है कि भारत देश से प्रेम करने वाला हर कोई खुद को महाराणा प्रताप का वंशज ही मानता है। अतः ऐसे में मन में आता है कि जिस तलवार के एक वार से  घुड़सवार के घोड़े समेत दो  टुकड़े हो गए हों  , वह कैसी रही होगी। और दोस्तों कैसा रहा होगा  वह वीर योद्धा।














दोस्तों ऐसे में देश और दुनिया के नई पीढ़ी महाराणा प्रताप को और करीब से जान सकें  इसलिए महाराणा प्रताप के शस्त्रागार रहें मायरा गुफा को राजस्थान सरकार द्वारा विकसित की जा रही है। ताकि पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकें , और भारत के इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल को देख और समझ सकें।
                
           दोस्तों राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से  35 किलोमीटर दूर ईसवाल के पहाड़ियों के बीच हैं अद्भुत की  मायरा गुफा । दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां पहुंचना आज भी बेहद दुर्गम और मुश्किलों भरा है। दोस्तों इस की ख़ास बात यह है कि मेवाड़ के इतिहास की जानकारी रखने वाले कुछ लोग हीं  इस गुफा के बारे में जानकारी रखते हैं। यानी दोस्तों आज तक इस गुफा के बारे में न तो मुगलों को जानकारी हो पाईं थीं और नहीं अन्य लोगों को।
   
       दोस्तों हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य विधानसभा में वजट प्रस्तुत किया , जिसमें उदयपुर आने वाले पर्यटकों की सुविधा एवं विकास के लिए जिन स्थानों का  चयन किया गया था , उनमें यह अति गोपनीय मायरा गुफा भी  शामिल थीं। दोस्तों ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही पर्यटक यहां आसानी से आ जा सकेंगे।

















दोस्तों क्योंकि आज भी मायरा की गुफा तक  चौपहिया वाहन से पहुंच पाना संभव नहीं है । दोस्तों मोटरसाइकिल या अन्य दुपहिया वाहन से  ही घने जंगलों के बीच से होकर पांच किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही इस मायरा गुफा तक पहुंचा जा सकता है। दोस्तों यह पांच किलोमीटर का सफर बहुत ही दुर्गम और मुश्किलों  से भरा है तभी तो मुग़ल आक्रमणकारी इस गुफा तक पहुंच नहीं पाते थे। 
          
     दोस्तों जब आप यहां पहुंचेंगे तो आपको लगेगा ही नहीं की यहां पर कोई विशाल गुफा मौजूद हैं क्योंकि गुफा तक पहुंचने पर भी  बाहर से इसमें अंदर दाखिल होने का मार्ग दिखाईं नहीं देता है। दोस्तों बाहर से लगता हीं नहीं है कि अंदर एक विशाल गुफा मौजूद हैं।
       दोस्तों इसी कारण से महान योद्धा महाराणा प्रताप इस गुफा के अति सुरक्षित और विशाल होने के कारण ही यहां शस्त्रागार बनाने का निर्णय लिया। साथ ही दोस्तों मायरा गुफा किसी भूल भुलैया से कम नहीं हैं दोस्तों इस गुफा में जाने के लिए तीन अलग-अलग रास्ते हैं दोस्तों इन रास्तों की रचनाएं या बनावट ऐसी हैं कि जिसे समझ पाना शत्रुओं के लिए असंभव बात थी । दोस्तों गुफा में एसी व्यवस्था मौजूद है जो बताती है कि यहां सैनिकों के लिए हर जरूरी सामान का बंदोबस्त किया गया था।

  














         दोस्तों   गुफा में ही मौजूद हैं प्राचीन हिंगलाज माता का मंदिर जहां स्वयं महाराज महाराणा प्रताप पूजा किया करते थे। दोस्तों गुफा के नजदीक ही दो मंजिला  शस्त्रागार बना हुआ है जो देख - रेख के अभाव में जीर्ण- शीर्ण होने लगा है दोस्तों मेवाड़ के इतिहासकार लंबे समय से इस गुफा के विकास और उसे पर्यटन स्थल के रूप में जोड़ने की मांग करते रहे हैं। लेकिन मामला पर्यटन विभाग और वन विभाग के बीच फस के रह गया था। लेकिन दोस्तों अब सरकार की मदद से इस गुफा का विकास किया जा रहा है।

       दोस्तों राजस्थान के इतिहास और रजबाड़े नामक ऐतिहासिक पुस्तक में मायरा की गुफा का जिक्र किया गया है । इसमें बताया गया है कि महाराणा प्रताप ने शस्त्रागार के रूप में एक ऐसे स्थान का चयन किया था जहां पहुंच पाना आज भी किसी चुनौती से कम नहीं है । इस गुफा में  महाराणा प्रताप संकट के समय रहा करते थे। दोस्तों मुगलों ने चार बार  गोगुंदा पर कब्जा किया , लेकिन इस गुफा तक उनकी पहुंच कभी भी नहीं बन पाई। इसी के चलते महाराणा प्रताप ने  गोगुंदा पर दोबारा हमला करके  उसे अपने कब्जे में कर लिया था।

         दोस्तों हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान इस गुफा का योगदान बड़ा अहम था । दोस्तों मुग़ल आक्रमणकारी अकबर से हुए संघर्ष के दौरान महाराज महाराणा प्रताप को अनेक गुप्त एवं सुरक्षित स्थान तलाशने पड़े थे , इनमें से मायरा की गुफा सबसे अहम थी। क्योंकि दोस्तों महाराज महाराणा प्रताप यही पर महत्वपूर्ण एवं गुप्त मंत्राणाए किया करते थे।








          धन्यवाद दोस्तों
  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗
   













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