Wednesday, July 6, 2022

एक यात्रा - आदिनाथ मंदिर रणकपुर राजस्थान भारतवर्षA Visit - Adinath Temple Ranakpur Rajasthan Indiavarsh.

Ek yatra khajane ki khoje























 नमस्कार दोस्तों मैं पर्वतारोही महेंद्र कुमार आप सभी लोगों का अपने यात्रा ब्लॉग पर हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं रणकपुर जहां मौजूद हैं अद्भुत अलौकिक आदिनाथ मंदिर जो अपने अद्भुत वास्तुशिल्प और अलौकिक नक्काशी के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।








       रणकपुर आदिनाथ मंदिर 

           राजस्थान


             भारतवर्ष






   दोस्तों राजस्थान राज्य के पाली जिले में अरावली पर्वतमाला की घाटियों के मध्य स्थित रणकपुर में ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर हैं  दोस्तों चारों ओर जंगलों से घिरे इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। 

       दोस्तों राजस्थान का रणकपुर जैन मंदिर जैन धर्म के के पांच तीर्थ स्थलों में से एक हैं । दोस्तों रणकपुर का जैन मंदिर खुबसूरत नक्काशी और अपनी प्राचीनता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं । दोस्तों इन मंदिरों का निर्माण 15 वीं शताब्दी में राणा कुम्भा के शासन काल में हुआ था माना जाता है। लेकिन दोस्तों यह मंदिर 15 वीं शताब्दी से कहीं ज्यादा प्राचीन हैं।






     आइये दोस्तों जानते हैं रणकपुर के आदिनाथ मंदिर के इतिहास को।

 दोस्तों इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया यह आज भी पहेली बना हुआ हैं क्योंकि दोस्तों इसकी  सही जानकारी मिल पाना आज भी संभव नहीं है क्योंकि इसकी वास्तुशिल्प ठीक उसी प्रकार का है जिस तरह का दो ढाई हजार वर्ष पहले का हुआ करता था।

   दोस्तों इस मंदिर का निर्माण का वर्णन चालुक्यो के इतिहास में भी दर्ज है। दोस्तों इनके इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश राजाओं ने करवाया था।







    लेकिन दोस्तों जानकारी हासिल करने पर पता चलता है कि उदयपुर वाले भी इस मंदिर पर अपना दावा ठोकते हैं और कहते हैं कि हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। और तो और दोस्तों वहीं जैन धर्म वालों का मानना है कि यह मंदिर हमने बनवाया है।
                  अतः दोस्तों इस मंदिर का सही इतिहास मिल पाना संभव नहीं है लेकिन दोस्तों पुरातत्वविदों और इतिहासकारों ने जितना इस मंदिर के संबंध में जानकारी हासिल किया है उसके आधार पर यह माना जाता है कि यह प्राचीन मंदिर कम से कम दो से ढाई हजार साल पुराना है और आज भी भव्यता से खड़ा हैं।







        दोस्तों जानकारी हासिल करने से पता चलता है कि सम्भवतः इस मंदिर का निर्माण मौर्य शासकों ने करवाया था। और उसके बाद आगे चलकर चालुक्य वंश के शासकों ने जीर्णोद्धार किया था।

         दोस्तों कालांतर में जैनों ने महाराणा कुम्भा से इस मंदिर को खरीदकर खुद भी इसे और भी भव्यता प्रदान की । और आज अपने उसी स्वरुप में विद्यमान हैं।

        दोस्तों ये सब इतिहास और प्राचीनता की बातें हैं जिसे छोड़ा जाएं , फिर भी जिसने भी इस मंदिर का निर्माण किया था , वे सभी महान और वास्तुशिल्प में निपुण रहें होंगे।








    दोस्तों हमे गर्व करना चाहिए कि क्योंकि हजारों साल पुरानी अद्भूत और अलौकिक विरासत आज हम भारतियों के पास मौजूद हैं जिस पर प्रत्येक भारतवासी गर्व करते हैं।

     धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।   








 _________________________














        English Translat
         _________________


 
 






 Hello friends, I am a mountain climber, Mahendra Kumar, warmly greet all of you on my travel blog.  Friends, I am taking you on today's journey to Ranakpur where there is a wonderful supernatural Adinath temple which is world famous for its amazing architectural and supernatural carvings.








 Ranakpur Adinath Temple


 Rajasthan



 Bharatvarsh








 Friends, there is a Chaturmukhi Jain temple of Rishabhdev in Ranakpur, situated in the middle of the valleys of the Aravalli ranges in the Pali district of Rajasthan state.


 Friends, Ranakpur Jain Temple of Rajasthan is one of the five pilgrimage sites of Jainism.  Friends, the Jain temple of Ranakpur is famous all over the world for its beautiful carvings and its antiquity.  Friends, these temples are believed to have been built in the 15th century during the reign of Rana Kumbha.  But friends, this temple is more ancient than the 15th century.






      
  Come friends, let us know the history of Adinath temple of Ranakpur.


 Friends, who got this temple built, it remains a puzzle even today because it is not possible to get the correct information about it, because its architecture is exactly the same as it used to be two and a half thousand years ago.


 Friends, the description of the construction of this temple is also recorded in the history of Chalukyo.  Friends, it is recorded in the pages of their history that this grand temple was built by the Chalukya dynasty kings.







 But friends, on getting information, it is known that the people of Udaipur also stake their claim on this temple and say that our ancestors had built this temple.  Apart from this, the people of Jain religion believe that we have built this temple.

 So friends, it is not possible to get the exact history of this temple, but friends, archaeologists and historians have obtained information about this temple, on the basis of which it is believed that this ancient temple is at least two to two and a half thousand years old and  Still standing majestically today.







 Friends, getting information shows that this temple was probably built by the Maurya rulers.  And after that it was renovated later by the rulers of Chalukya dynasty.


 Friends, later on, the Jains themselves gave it even more grandeur by buying this temple from Maharana Kumbha.  And today it exists in its same form.







 Friends, these are all things of history and antiquity, which should be left out, yet whoever built this temple, they must have been great and expert in architecture.


 Friends, we should be proud that because thousands of years old wonderful and supernatural heritage is present with us Indians today, which every Indian is proud of.


 Thanks guys that's all for today.






















 Mountaineer Mahendra Kumar 🧗🧗

















 

     

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...