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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आपको लेकर चल रहा हूं झारखण्ड के सबसे प्राचीन भूखंड की यात्रा पर जहां के चपे चपे पर करोड़ों वर्ष पुराने जीवाश्म बिखरे पड़े हैं ।
शोध की जरूरत-। भूगर्भशास्त्री ने बताया सिलिका ग्रेन फाॅसिल्स , - भूगर्भशास्त्रियों का कहना हैं कि इस पादप जीवाश्म पर गहन शोध की दरकार है।
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इस तालाब में मिलते हैं पत्थर के चावल दाल
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दोस्तों सुनने में भले ही अटपटा लगे , लेकिन झारखण्ड में साहिबगंज जिले के राजमहल अनुमंडल के कटघर गांव के एक तालाब में पत्थर के चावल,दाल एवं अन्य अनाज मिलते हैं। इसमें धान , मटर , जौ ,मकई जैसे दिखने वाले अनाज भी है । दोस्तों यह अलग बात है कि लोग इसे खा नहीं सकते हैं।
अनाज जैसे दिखने वाले पत्थर के इन छोटे- छोटे दानों को भूगर्भशास्त्री डॉ रंजीत सिंह सिलिका ग्रेन फाॅसिल्स बताते हैं।वह कहते हैं कि इस पादप जीवाश्म पर गहन शोध होना चाहिए, ताकि इनके निर्माण के बारे में सही समय का अनुमान लगाया जा सके।
दोस्तों राजमहल के पुरातात्विक स्थलों का भ्रमण करने वाले यहां आने नहीं भूलते। पर्यटकों के लिए कौतूहल बना यह जलाशय शिव मंदिर परिसर में है। और अब तक इसके संरक्षण की पहल नहीं हुई है।
इसी जिले की राजमहल की पहाड़ियों पर बहुतायत में जीवाश्म पाएं जाते हैं। इनमें पादप जीवाश्म भी शामिल हैं।
दोस्तों मंडरो प्रखंड में फाॅसिल्स पार्क बनाया जा रहा है। यहां भूवैज्ञानिक शोध के लिए आते हैं। यहां के जीवाश्म 68 से 145 मिलियन वर्ष पुराने है। बीरबल साहनी पुरा वनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ में इन जीवाश्मों का संग्रह है। डॉ रंजीत कुमार सिंह 12 साल से इस पर शोध कर रहे हैं। वे बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट , आईआईटी-खड़गपुर और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की की रिसर्च टीमों का हिस्सा रहे हैं।वह बताते हैं कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के 40 साल पहले सर्वे किया था।
और इसे सिलिका ग्रेन फाॅसिल्स कहा था। वर्ष 2019 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के ही सुदीप कुमार ने शोध किया था, लेकिन इस तालाब में पाएं जाने वाले खाधान्न जैसी चीजों के बारे में सटीक जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है ।माना जा रहा है कि यह 75 से 110 करोड़ साल पुराना हो सकता है।
दोस्तों माना जाता है कि ज्वालामुखी फटने के दौरान उसके संपर्क में अनाज आया होगा और पत्थर जैसें जीवाश्म का निर्माण हुआ होगा। उसपर सिलिका की परत चढ़ गई होगी। हालांकि शोध के बाद ही इस बारे में सही जानकारी मिल सकती हैं।
➡️ राजमहल का कटघर गांव का तालाब काफी पुराना है। इसमें सिलिका ग्रेन फाॅसिल्स बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। उसके संरक्षण व शोध की जरूरत है। अगर उसका संरक्षण किया जाए तो वह इलाका पर्यटन का केंद्र बन सकता है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
डॉ रंजीत कुमार सिंह भूगर्भशास्त्री साहिबगंज
➡️ कटघर गांव का तालाब से पत्थर के चावल- दाल आदि अनाज निकलते हैं । इस पर शोध की जरूरत है। इसके लिए अभी तक फंड नहीं मिला है। जैसे ही फंड मिलेगा तालाब को संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। इस स्थल को को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
विकास पालिवाल , वन प्रमंडल पदाधिकारी साहिबगंज
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
English translate.
The pond located at Katghar village of Rajmahal, Sahibganj. Stones found in inset
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Hello friends, I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra, Friends, today I am taking you on a journey to the oldest land plot of Jharkhand, where millions of years old fossils are scattered on the rocks.
Research needed-. Geologists have said silica grain fossils, - geologists say that this plant fossil needs intensive research.
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Stone rice pulses are found in this pond
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While listening to friends may sound strange, but stone rice, pulses and other grains are found in a pond in Katghar village of Rajmahal subdivision of Sahibganj district in Jharkhand. It also has grains that look like paddy, peas, barley, corn. Friends, it's a different thing that people can't eat it.
These small grains of grain-like stone are described by geologist Dr. Ranjit Singh as silica grain fossils. He says that there should be extensive research on this plant fossil, so that the exact time of its formation can be estimated.
Friends do not forget to visit the archaeological sites of the palace. This water reservoir made for tourists is in the Shiva temple complex. And so far its conservation initiative has not taken place.
Fossils are found in abundance on the palace hills of this district. These include plant fossils as well.
Fasils Park is being built in Friends Mandro Block. Here geologists come for research. The fossils here are 68 to 145 million years old. Birbal Sahni Pura Botanical Institute, Lucknow has a collection of these fossils. Dr. Ranjit Kumar Singh has been doing research on this for 12 years. He has been part of the research teams of Birbal Sahni Institute, IIT-Kharagpur and Geological Survey of India. He says that the Geological Survey of India was conducted 40 years ago.
And it was called silica grain fossils. In 2019, Sudeep Kumar of Geological Survey of India did research, but exact information about things like the food found in this pond has not been found yet. It is believed that it is 75 to 110 crore years old. It is possible.
Friends are believed to have come in contact with the grain during the eruption of the volcano and fossils such as stones. A layer of silica would have climbed over it. However, correct information can be found only after research.
तालाब The palace pond of Rajmahal village is quite old. In this silica grain fossils are found in abundance. It needs conservation and research. If it is protected then the area can become a center of tourism. The government should focus on this.
Dr. Ranjit Kumar Singh Geologist Sahibganj
पत्थर Stones of rice, grains, grains etc. come out from the pond of Katghar village. Research is needed on this. Funds have not been received for this yet. As soon as the fund is received, the work of preserving the pond will be started. This place should be developed as a tourist destination.
Vikas Paliwal, Forest Division Officer, Sahibganj
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra