जागेश्वर धाम मंदिर समूह का विहंगम दृश्य
Panoramic view of the Jageshwar Dham Temple Group
नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की यात्रा पर जहां हम देखेंगे भगवान शिव शंभू की अद्भुत धाम को जहां माना जाता है कि सर्वपथम बार शिवलिंग की पूजा इसी स्थान से शुरू हुई थी।
महामृत्युंजय उर्जा मंदिर /जोगेश्वर धाम
अल्मोड़ा , उत्तराखंड
भारतवर्ष
दोस्तों उत्तराखंड का महामृत्युंजय ऊर्जा मंदिर जागेश्वर धाम उत्तर भारत के एक प्रमुख शिव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित है। दोस्तों मान्यता है कि यहां भगवान शिव जागृत अवस्था में विद्वान हैं। दोस्तों माना जाता है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मांड में सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा करने की पद्धति हिमालय में मौजूद इसी जागेश्वर धाम मंदिर से शुरू हुआ था।
साथ ही दोस्तों यह मंदिर प्राचीन कैलाश मानसरोवर मार्ग में ही स्थित है क्योंकि दोस्तों माना जाता है कि प्राचीन काल में कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्री इसी मार्ग का प्रयोग करते थे।यानी दोस्तों देखा जाए तो प्राचीन काल से ही यह स्थान तीर्थ यात्रियों के बीच काफी प्रसिद्ध रहा है ।तीर्थयात्रीगण कैलाश मानसरोवर की अपनी यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए जागेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करके ही आगे की यात्रा शुरू करते थे।
दोस्तों उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से 38 किलोमीटर दूर देवदार के घने वनों के बीच स्थित जागेश्वर धाम मंदिर का प्राचीन समय से ही काफी महत्व रहा है।दोस्तों पौराणिक दंत कथाओं में कहा गया है कि भगवान शिव अल्मोड़ा के जागेश्वर के घने जंगलों के बीच स्थित दंडेश्वर में घोर तपस्या कर रहे थे। इसी बीच भ्रमण करते हुए सप्तऋषियों की धर्मपत्नीया इसी स्थल पर आ पहुंची और समाधि में लीन भगवान शिव के दिगंबर रूप को देखकर वे सभी भगवान शिव पर मोहित हो गई और अपनी शुद्ध बुद्ध खोकर मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई। और जब सप्तऋषि अपनी पत्नियों की खोज में इस स्थल पर पहुंचे तो अपनी पत्नियों को इस अवस्था में देखकर गुस्से में नाराज होकर भगवान शिव को पहचाने बगैर लिंग पतन का श्राप दे दिया। जिससे दोस्तों संपूर्ण ब्रह्मांड में हाहाकार व उथल-पुथल मच गई।तब जाकर सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव के क्रोध को शांत किया और जागेश्वर में लिंग की स्थापना कर लिंग की पूजा पाठ शुरू की गई।अतः दोस्तों मान्यता है कि तभी से ही शिवलिंग की पूजा पद्धति की शुरुआत हुई।
दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि जागेश्वर धाम में मंदिरों का निर्माण सातवीं से 17 वी शताब्दी के बीच किया गया था। साथी दोस्तों मान्यता है कि जगतगुरू आदि शंकराचार्य ने इस स्थान का भ्रमण कर इस मंदिर की मान्यता को पुनर्स्थापित किया था और यहां पर स्थापित प्राचीन शिवलिंग को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बताया था।
दोस्तों प्राचीन जागेश्वर मंदिर को प्रसिद्ध नागर शैली में बनाया गया है दोस्तों यहां स्थापित मंदिरों की एक और विशेषता है वह यह है कि इनके शिखर में लकड़ी का "बिजौरा"यानी दोस्तों एक प्रकार का छत्र बना होता है जो बारिश और बर्फबारी के दौरान मंदिर की सुरक्षा करता है।
दोस्तों किसी समय में जोगेश्वर धाम लकुलीश संप्रदाय का भी प्रमुख केंद्र रहा था। दोस्तों इस संप्रदाय को भगवान शिव के 28 वें अवतार के रूप में माना जाता है।
दोस्तों आश्चर्यचकित करने वाले जागेश्वर धाम के मंदिरों के समूहों में सबसे बड़े एवं खूबसूरत मंदिर महामृत्युंजय महादेव जी के नाम से प्रसिद्ध है। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन घने जंगलों में स्थित जागेश्वर धाम में लगभग 250 छोटे बड़े मंदिर हैं , व दोस्तों इन मंदिरों में लगभग 124 मंदिरों का समूह है जो अति प्राचीन काल से ही यहां पर मौजूद है। और जिनमें से 4 से 5 मंदिरों में प्रतिदिन पूजा अर्चना होती है।
दोस्त हो इन मंदिरों में सबसे आकर्षक , बड़े व प्राचीनतम महामृत्युंजय शिव मंदिर जागेश्वर धाम के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। दोस्तों इसके अलावा जागेश्वर धाम में भैरव मंदिर , माता पार्वती मंदिर , केदारनाथ मंदिर , हनुमान मंदिर एवं माता दुर्गा के मंदिर भी विद्यमान हैं।दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से इन मंदिरों के समूहों में 108 मंदिर भगवान शिव को समर्पित है एवं 16 मंदिर अन्य देवी-देवतओं को समर्पित है। दोस्तों जागेश्वर धाम में महामृत्युंजय , जगन्नाथ , पुष्टि देवी एवं कुबेर के मंदिरों को मुख्य मंदिरों में गिना जाता है। दोस्तों सबसे बड़ी बात यह है कि धर्म ग्रंथों स्कंद पुराण , लिंग पुराण , मार्कंडेय पुराण आदि पुराणों में जागेश्वर धाम की महिमा का बहुत ही सुंदर तरीके से गुणगान किया गया है।
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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English translate
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Hello friends, I heartily greet all of you mountain lepards Mahendra, Friends, today I am taking you on a journey in Almora district of Uttarakhand, where we will see the amazing shrine of Lord Shiva Shambhu where it is believed to be the first time Shivalinga. Worship of this place started from this place.
Mahamrityunjaya Urja Mandir / Jogeshwar Dham
Almora, Uttarakhand
India
Friends, the Mahamrityunjaya energy temple of Uttarakhand Jageshwar Dham is famous and revered as a prominent Shiva temple in North India. Friends believe that Lord Shiva is a learned scholar here. Friends, it is believed that according to mythological beliefs, the first method of worshiping Shivalinga in the universe started from the same Jageshwar Dham temple in the Himalayas.
Also friends, this temple is situated in the ancient Kailash Mansarovar Marg itself because friends believed that pilgrims visiting Kailash Mansarovar in ancient times used this route. It has been famous. The pilgrims used to undertake their journey of Kailash Mansarovar successfully by offering prayers at the Jageshwar temple.
Friends, the Jageshwar Dham temple, situated amidst the dense forests of deodar, 38 km from Almora district of Uttarakhand, has been of great importance since ancient times. Friends mythology states that Lord Shiva is situated in the dense forest of Jageshwar of Almora, Dandeshwar. I was doing severe penance. Meanwhile, the saints of the Saptarishis came to this place while walking and seeing the Digambar form of Lord Shiva absorbed in the tomb, they all became fascinated by Lord Shiva and lost their pure Buddha and fell to the ground unconscious. And when the Saptarishi reached this place in search of his wives, seeing his wives in this state, angry and angry, cursed the penis fall without recognizing Lord Shiva. Due to which there was chaos and upheaval in the entire universe. Then all the gods together pacified the anger of Lord Shiva and started the worship of Linga by establishing the Linga in Jageshwar. Friends, it is believed that since then Shivalinga. The puja system started.
Friends historical sources suggest that the temples at Jageshwar Dham were constructed between the seventh to the 17th century. Fellow friends believe that Jagatguru Adi Shankaracharya visited this place and restored the recognition of this temple and described the ancient Shivalinga established here as one of the 12 Jyotirlingas.
Friends The ancient Jageshwar temple has been built in the famous Nagar style. Friends, another feature of the temples established here is that the wooden "Bijaura", or friends, is a type of parasol formed in their shikhara which during the rain and snowfall of the temple. Protects.
Friends, Jogeshwar Dham was once a major center of the Lakulish sect. Friends, this sect is considered as the 28th incarnation of Lord Shiva.
The biggest and beautiful temple among the groups of temples of Jageshwar Dham, which surprised friends, is famous as Mahamrityunjaya Mahadev Ji. Friends, you will be surprised to know that there are about 250 small big temples in Jageshwar Dham situated in these dense forests, and friends, these temples have a group of about 124 temples which have been present here since time immemorial. And of which 4 to 5 temples worship daily.
Dost Ho is one of the most attractive, large and oldest Mahamrityunjaya Shiva Temple is one of the most prominent temples of Jageshwar Dham. Friends, there are also temples of Bhairav Temple, Mata Parvati Temple, Kedarnath Temple, Hanuman Temple and Mata Durga in Jageshwar Dham. Friends surprisingly, there are 108 temples in groups of these temples dedicated to Lord Shiva and 16 temples to other Goddesses. is devoted to. The temples of Mahamrityunjaya, Jagannath, Virmana Devi and Kubera in Friends Jageshwar Dham are counted among the main temples. Friends, the biggest thing is that the glory of Jageshwar Dham has been praised in a very beautiful way in the Puranas like Dharma texts Skanda Purana, Linga Purana, Markandeya Purana.
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗