ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी तहखाने के नीचे बने भुलभुलैया में राजमहल तक जाने वाले सुरंग के मुहाने की तलाश में भुलभुलैया के अंदर भटक गए थे और गोल गोल घूम कर एक ही जगह पर वापस आ जा रहे थे। जिससे थक कर हम सभी एक जगह बैठ गये थे । और जमीन के अंदर होने से हमे ठंड भी लग रहा था इसलिए हमने आग जला ली थी ताकि ठंड से राहत मिल सके । पता है दोस्तों यही आग हमारे लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि आग के धुआं के कारण ही हमें उस रास्ते का पता चला जिससे होकर हम सभी सुरंग के मुहाने तक पहुंच सकते थे । अतः दोस्तों हम सभी जल्दी जल्दी आग को बुझा कर उस रास्ते में प्रवेश कर जाते हैं जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा था । और हम तेजी से बढ़े जा रहें थे अंदर की ओर ।हमे जल्द ही पानी बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं जिससे हम तेजी से उस ओर आगे बढ़ने लगते हैं और लगभग हम सभी सौ कदम ही आगे बढ़े थे कि हमें घंटे की आवाज सुनाई पड़ने लगती है जैसे कि कोई मंदिर में घंटा बजा रहा हों । और हम उत्सुकता पूर्वक उस आगे बढ़ने लगे। अचानक हम सभी ठिठक कर रूक गये क्योंकि हमारे सामने लगभग एक सौ फुट गहरी खाई थी और चारों ओर एक अद्भुत और अलौकिक प्रकाश का पुंज प्रस्फुटित हो रहा था मानो न मानो दोस्तों वह प्रकाश कहीं और से नहीं बल्कि खाई के नीचे बने उस विशाल और चमत्कारी शिवलिंग से ही प्रस्फुटित हो रहा था और ठिक शिवलिंग के उपर के उपर एक विशाल घंटा लटक रहा था । और उस घंटे को एक पांच मुख वाला एक विशाल सर्प हिला रहा था जिस कारण घंटे से आवाज निकल रही थी। और ठिक उसके उपर गंगा माता अपने जल से शिवलिंग को जल अर्पण कर रही थी । बहुत ही अद्भुत नजारा था दोस्तों । और उपर में चारों ओर बहुत सारे सुरंग बनें हुए थे और सभी के सभी सुरंग पत्थरों से बन्द था । और उनमें से एक सुरंग सबसे अद्भुत था क्योंकि उस सुरंग के उपर से ही एक छोटी सी झरना निकल रही थी और नीचे शिवलिंग पर गिर रही थी । कि अचानक तभी पंच मुखी सर्प की नजर हम पर पडती हैं और हम पर गुस्से से फुफकारने लगता है और डर कर हम पिछे हट जाते हैं । कि तभी पिता श्री बोलते हैं डरो मत बच्चों नागराज हमे कुछ नहीं करेंगे । तुम्हारे दादा जी ने हमे बताया था कि एक सर्प शिवलिंग और और हमारे पुरखों की खजाने की रक्षा करते हैं अतः नागराज हमे कुछ नहीं करेंगे। सभी लोग शांत होकर बैठ जाओ और अपने इष्ट देव भोले बाबा जी को याद करो ।ं और हम सभी शांत होकर बैठ जाते हैं और भोले नाथ को याद करने लगते हैंं और नागराज बहुत ही तेज़ी से हमारी ओर आते हैं और हमें सुंघने लगते हैं और हम शांत चुपचाप बैठे रहे और बारी बारी से एक-एक को सुंघने के बाद नागराज वापस मुड़ते हैं और एक सुरंग की ओर आगे बढ़ जाते हैं और सुरंग का दरवाजा अपने आप खुल जाता है और वे उसके अंदर चलें जाते हैं और उनके अंदर जाते ही सुरंग का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता हैं और अखिलेश खुशी से चिल्ला उठता है और बोलता है नागराज ने हमे छोड़ दिया।
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Secret of Tambakhani Cave
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.
As friends yesterday, you read how we all wandered inside the labyrinth in search of the tunnel leading to the palace under the cellar and were turning round and coming back to the same place. Due to which we all sat down in one place. And being inside the ground, we were feeling cold as well, so we lit a fire so that we could get relief from the cold. You know friends, this fire proved to be a boon for us because it was due to the smoke of the fire that we came to know the way through which we all could reach the mouth of the tunnel. So friends, we all quickly extinguish the fire and enter the path from which smoke was coming out. And we were moving fast inwards. We soon started to hear the sound of water flowing so that we started moving rapidly towards that and almost all of us had moved hundred steps to hear the sound of the hour. Looks like someone is playing the bell in the temple. And we eagerly started moving forward. Suddenly we all stopped and stopped because there was a gap of about a hundred feet deep in front of us and a wonderful and supernatural light was being sprung up all around, as if friends, that light was not from anywhere else but that huge and miraculous under the moat. It was emerging from the Shivling itself and a huge hour was hanging above the right Shivling. And on that hour a huge serpent with a five face was shaking due to which the sound was coming out of the hour. And on top of that Ganga Mata was offering water to Shiva Linga with her water. It was a wonderful sight, friends. And there were lots of tunnels all over, and all of them were closed with stones. And one of those tunnels was the most amazing because a small waterfall was coming out from above that tunnel and falling on the Shivling below. Suddenly, the Panch Mukhi snake's eye falls on us and he starts puffing at us with anger and we retreat behind fear. That is when Father Shri says, do not be afraid, children, Nagraj will not do anything to us. Your grandfather told us that a snake protects the Shivling and the treasures of our forefathers, so Nagraj will not do anything to us. Let all the people sit down and remember their favorite God Bhole Baba ji. And we all sit quietly and remember Bhole Nath and Nagraj comes towards us very quickly and starts to smell us and We sat quietly and after sniffing each other, Nagraj turned back and proceeded towards a tunnel and the door of the tunnel opened automatically and he walked in and went inside The door of the tunnel closes by itself and Akhilesh shouts with joy and says Nagraj left us.
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तभी पिता श्री बोलते हैं पता है बच्चों हमारी जान कैसे बची और अगर कोई और होता तो अब तक यमलोक पहुच गया होता और नहीं तो नागराज का निवाला बन गया होता। शिवलिंग की स्थापना हमारे हमारे पुरखों ने ही की थी और हर रोज शिवलिंग पूजा किया करते थे। और इन सब पुरखों में सबसे अग्रणी महिला थी हमारी परदादी जी । जिन्होंने ने अपनी प्राण शिवलिंग पर ही अर्पित कर मोक्ष को प्राप्त कर ली थी । वे बहुत ही दयालु महिला थी और कुशल प्रशासक भी जब हमारे पिता श्री छोटे थे और जब परदादा जी एवं दादा जी दोनो दण्डक वन की यात्रा पर गये थे तो परदादी ही राजकाज संभाली हुई थी क्योंकि वे दोनों वर्षो तक दण्डक वन के राक्षसों का सफाया करने में बिता दिया था । और जब वे लौटे तो परदादी काफी बुढी हों गई थी और अपने अंतिम समय इन्हीं कंदराओं मे शिवलिंग की पूजा करने में बिता दी थी । हमारे पिता श्री बोलते थे कि हमारे परदादी मां को भगवान भोलेनाथ ने शाक्क्षात दर्शन दिए थे । और जब वे स्वर्ग को सिधार गई तो । तो परदादा जी ने भी उसी कुटिया में अपने प्राण त्यागे थे जिसमें परदादी रहा करती थी । और फिर बाद में हमारे दादा जी ने इन कंदराओं को हमेशा के लिए बंद कर दिया था । और तब से लेकर आज तक कोई भी नहीं आया था। और गलती से भी हमारे दुश्मन गुप्त रूप से इन कंदराओं के जरिए हम पर हमला करने की सोचते और इन गुफाओं में आते थे तो उन्हें नागराज अपना निवाला बना लेते थे। और हम सभी लोग बातें करते करते नीचे की ओर उतरने लगे जहां पर शिव लिंग स्थापित था ।
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That is when the father Shri speaks, you know how children will save our life and if someone else had reached Yamlok by now, otherwise he would have become the owner of Nagraj. Shivling was founded by our forefathers and used to worship Shivalinga everyday. And the foremost woman among all these ancestors was our great-grandmother. Who had attained salvation by offering his life on Shivling itself. She was a very kind lady and also a skilled administrator, when our father Shri was small and when great grandfather and grandfather both went to visit Dandak forest, great grandmother was in charge of the kingdom because they both wiped out the demons of Dandak forest for years. I had spent And when he returned, the great-grandmother had grown old and spent her last time worshiping Shiva lingam in these Kandras. Our father Shri used to say that Lord Bholenath had given a darshan to his great-grandmother. And when she went to heaven. So great grandfather also gave up his life in the same hut in which great grandmother used to live. And then later our grandfather closed these kandaras forever. And since then no one had come. And even by mistake, our enemies secretly thought of attacking us through these caves and used to come to these caves, then Nagraj would make them their morsels. And we all started talking down to where Shiva Linga was installed.
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और दोस्तों जैसे ही लगभग पचास फिट नीचे उतरे होंगे कि तभी हमें वह कुटिया नजर आने लगा जिसमें हमारी परदादी जी अपने अंतिम समय में रहा करतीं थीं । जिसे देखकर हम सभी आश्चर्य चकित रह गये ।ं और तेजी से नीचे उतरने लगे और अंततः नीचे पहुंच ही गये । सबसे पहले नीचे हम सभी ने शिवलिंग को प्रणाम किया और भगवान से आशीर्वाद मांगी की जल्द से जल्द हमे वह सुरंग का मुहाना मिल जाए जिससे होकर हम सभी को राजमहल पहुंचना था । प्रणाम करने के बाद हम सभी उस कुटिया की ओर प्रस्थान कर गये जिसमें हमारी परदादी रहा करती थीं । शायद वहां से हमे कुछ सबुत मिल जाए उस चमत्कारी सुरंग का । और हम सभी चल पड़े उस ओर । दोस्तों शिवलिंग से लगभग सौ मीटर की दूरी पर थी कुटिया । तभी पिता श्री बोले कि हम कुटिया में पहुंच कर थोड़ी देर आराम करेंगे क्योंकि हम सब काफी थक चुके हैं । तभी राजा भाई बोलते हैं हां पिता श्री काफी थक चुके हैं इसलिए थोड़ा आराम कर लिया जायेगा । उसके बाद हम सभी मिलकर सुरंग के मुहाने ढुंढ निकालेंगे और राजमहल पहुंच कर मां के हाथों का बना गरमागरम स्वादिष्ट खाना खायेंगे। वाह मजा आ जायेगा। तभी टिंकू भाई बोलते हैं वाह मेरे मुंह में तो अभी से पानी आने लगा है । और हम सभी बातें करते करते कुटिया के पास पहुंच जाते हैं और हमारा आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है क्योंकि कुटिया जस के तस वैसा ही था जैसे सदियों पहले था । ना कुछ टुटा था और नहीं कुछ फुटा था बिल्कुल वैसा ही जैसा हमने सुना था पिता श्री बोले । और फिर पिता श्री कुटिया का दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देखकर उनके आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी ।
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And friends, as soon as about fifty fit must have come down, that is when we started to see the hut in which our great-grandmother used to live in her last time. Seeing which all of us were surprised and started coming down fast and finally reached the bottom. First of all, we all bowed down to the Shiva lingam and sought blessings from the Lord that at the earliest we could find the mouth of the tunnel through which we all had to reach the palace. After bowing, we all went towards the hut in which our great-grandmother lived. Maybe from there we can get some evidence of that miraculous tunnel. And we all walked towards that. Friends, the hut was about a hundred meters away from Shivling. Then the father said that after reaching the hut we will rest for a while because we are all tired. That's when the king says brother yes, father Shree is very tired, so a little rest will be taken. After that, we all together will find out the mouth of the tunnel and after reaching the palace will eat delicious hot food made by the mother's hands. Wow it will be fun That's why Tinku Bhai says, Wow, my mouth has started getting water from now on. And we all go to the hut talking and we are not surprised because the hut was the same as it was centuries ago. There was nothing broken or not something was exactly the same as we had heard, Father said. And then the father opened the door of Mr. Kutia and seeing the view inside, a stream of tears flowed from his eyes.
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क्योंकि कि दोस्तों अंदर का नजारा ही ऐसा था कि पिता श्री अपने आप को रोने से रोक नहीं सके । और उनको रोता देखकर हम सभी भी अपने आप को रोक नहीं सके और हमारे आंखों से भी आंसुओं की धारा बहने लगी ।
धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा ।
धन्यवाद दोस्तों
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English translate
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Because the view inside friends was such that Father Sri could not stop himself from crying. And seeing them weeping, we all could not stop ourselves and tears started flowing from our eyes.
Thank you guys, I will narrate the episode tomorrow.
Thanks guys