Sunday, July 5, 2020

एक संघर्ष की कहानी नीरा आर्य जी की _1902--1979

Ek yatra khajane ki khoje





















जय सीताराम
जय जय श्री गुरूदेव भगवान

                              नीरा आर्य 

स्वाधीनता संग्राम की मार्मिक गाथा। एक बार अवश्य पढ़ें|

 नीरा आर्य (१९०२ - १९९८) की संघर्ष पूर्ण जीवनी:
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | नीरा ने नेताजी #सुभाष_चंद्र_बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी | 
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में एक प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ छज्जूमल के घर जन्मी नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था। 
इन्हें नीरा ​नागिनी के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंत कुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। इनके पिता सेठ छज्जूमल अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इसलिए इनकी शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में ही हुई। 
नीरा नागिन और इनके भाई बसंत कुमार के जीवन पर कई लोक गायकों ने काव्य संग्रह एवं भजन भी लिखे | 1998 में इनका निधन हैदराबाद में हुआ।
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | 
नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी।
आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई। 











आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है - 
‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची, तो हमारे रहने का स्थान वे ही कोठरियाँ थीं, जिनमें अन्य महिला राजनैतिक अपराधी रही थी अथवा रहती थी।
हमें रात के 10 बजे कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई, कंबल आदि का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा। मन में चिंता होती थी कि इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते स्वतंत्रता कैसे मिलेगी, जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी है?
जैसे-तैसे जमीन पर ही लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो कम्बल लेकर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेंककर चला गया। कंबलों का गिरना और नींद का टूटना भी एक साथ ही हुआ। बुरा तो लगा, परंतु कंबलों को पाकर संतोष भी आ ही गया। 












अब केवल वही एक लोहे के बंधन का कष्ट और रह-रहकर भारत माता से जुदा होने का ध्यान साथ में था।
‘‘सूर्य निकलते ही मुझको खिचड़ी मिली और लुहार भी आ गया। हाथ की सांकल काटते समय थोड़ा-सा चमड़ा भी काटा, परंतु पैरों में से आड़ी बेड़ी काटते समय, केवल दो-तीन बार हथौड़ी से पैरों की हड्डी को जाँचा कि कितनी पुष्ट है। 
मैंने एक बार दुःखी होकर कहा, ‘‘क्याअंधा है, जो पैर में मारता है?’’‘‘पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे, क्या कर लोगी?’’ 
उसने मुझे कहा था।‘‘बंधन में हूँ तुम्हारे कर भी क्या सकती हूँ...’’ फिर मैंने उनके ऊपर थूक दिया था, ‘‘औरतों की इज्जत करना सीखो?’’
जेलर भी साथ थे, तो उसने कड़क आवाज में कहा, ‘‘तुम्हें छोड़ दिया जाएगा,यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं?’’
‘‘वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे,’’ मैंने जवाब दिया, ‘‘सारी दुनिया जानती है।’’












‘‘नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए?’’ जेलर ने कहा। 
‘‘हाँ नेताजी जिंदा हैं।’’
‘तो कहाँ हैं...।’’
‘‘मेरे दिल में जिंदा हैं वे।’’ 
जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और बोले, ‘‘तो तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देंगे।’’ और फिर उन्होंने मेरे आँचल पर ही हाथ डाल दिया और मेरी आँगी को फाड़ते हुए फिर लुहार की ओर संकेत किया...लुहार ने एक बड़ा सा जंबूड़ औजार जैसा फुलवारी में इधर-उधर बढ़ी हुई पत्तियाँ काटने के काम आता है, उस ब्रेस्ट रिपर को उठा लिया और मेरे दाएँ स्तन को उसमें दबाकर काटने चला था...लेकिन उसमें धार नहीं थी, ठूँठा था और उरोजों (स्तनों) को दबाकर असहनीय पीड़ा देते हुए दूसरी तरफ से जेलर ने मेरी गर्दन पकड़ते हुए कहा, ‘‘अगर फिर जबान लड़ाई तो तुम्हारे ये दोनों गुब्बारे छाती से अलग कर दिए जाएँगे...’’ 
उसने फिर चिमटानुमा हथियार मेरी नाक पर मारते हुए कहा, ‘‘शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का कि इसे आग से नहीं तपाया, आग से तपाया होता तो तुम्हारे दोनों स्तन पूरी तरह उखड़ जाते।’’ सलाम हैं ऐसे देश भक्त को। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
🇮🇳जय हिन्द, जय माँ भारती, वन्देमातरम !!!✌🙏















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Jai Sitaram




 Jai Jai Shri Gurudev Bhagwan

                               Neera Arya

 The touching story of the freedom struggle.  Must read once.

  Struggle Biography of Neera Arya (1902 - 1979):
 Neera Arya was married to CID Inspector Srikanth Jairanjan Das in British India.  Neera killed her officer husband Srikant Jairanjan Das in the English Army to save the life of Netaji # Subhash_Chandra_Bose.
 Neera has also written an autobiography.  A heartwarming part of this Atma Katha is presented -
 Born on 5 March 1902 in the then United Provinces' Khekra Nagar to Seth Chhajumal, a distinguished businessman, Neera Arya Azad was a soldier of the Rani Jhansi Regiment in the Hind Fauj, who was also accused by the English government of being an undercover.












 They are also known as Neera Nagini.  His brother Basant Kumar was also in the Azad Hind Army.  His father Seth Chhajumal was a distinguished businessman of his time, whose business was spread across the country.  Especially in Calcutta, his father was the main center of his business, so his education was initiated in Calcutta.
 Many folk singers also wrote poems and bhajans on the life of Neera Nagin and his brother Basant Kumar.  He died in 1998 in Hyderabad.
 Neera Arya was married to CID Inspector Srikanth Jairanjan Das in British India.
 Neera killed her officer husband Srikant Jairanjan Das in the British Army to save the life of Netaji Subhash Chandra Bose.













 After the surrender of Azad Hind Fauj, when the trial took place in the Red Fort, all the prisoners were released, but they were sentenced to black water on the murder of their husband, where they were tortured.
 After independence, he lived by selling flowers, but did not accept any government assistance or pension.
 Neera has also written an autobiography.  A heartwarming part of this Atma Katha is presented -
 "When I arrived in Andaman from Kolkata Jail, our place of stay was the cells in which other women were political criminals or lived.
 We were locked in the cells at 10 o'clock in the night and the names of the mat, blanket etc. were not even heard.  There was a worry in my mind that how would we get freedom while living in an unknown island in this deep sea, where there is a need to leave the attention of laying the veil.











 As soon as he hit the ground and sleep too.  At around 12 o'clock a guard came with two blankets and threw them up without even speaking.  The fall of the blankets and the breakdown of sleep also occurred simultaneously.  It felt bad, but satisfaction came after getting the blankets.
 Now only he was with the pain of an iron bond and the care to stay apart from Mother India.
 "As soon as the sun came out, I got khichdi and the blacksmith also came.  A little leather was also cut while cutting the handwring, but when cutting the shackles from the feet, check the foot bone with a hammer only two or three times to see how strong it is.












 I once grieved and said, "Is there a blind that kills in the foot?" "Shall we even kill in the heart, will we do?"
 He told me. "I am in bondage, what can I do with you ..." Then I spit on them, "Learn to respect women?"
 The jailer was also with him, he said in a loud voice, "You will be abandoned, if you will tell where your Netaji Subhash is?"
 "He died in an air crash," I replied, "the whole world knows."
 "Netaji is alive .... you lie that he died in an air crash?" Said the jailer.
 "Yes Netaji is alive."
 "So where are you?"
 "They are alive in my heart."
 As soon as I said the jailer got angry and said, "Then we will remove Netaji from your heart".  ... The blacksmith used a big jamb like tool to cut the leaves growing here and there in Phulwari, lifted the breast











 ripper and pressed my right breast into it and went to bite ... but it had no edge,  Stumped and giving unbearable pain by pressing the uros (breasts), the jailer from the other side held my neck and said, "If you fight again, these two balloons will be separated from your chest."
 He then licked the spiked weapon on my nose and said, "Venus as if Queen Victoria had not heated it with fire, if it had been heated by fire, your two breasts would have been completely uprooted." Salute to such a devotee.  After independence, he lived by selling flowers, but did not accept any government assistance or pension.
 Ajay Hind, Jai Maa Bharati, Vande Mataram !!!

                      धन्यवाद दोस्तों 





















एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




                 ताम्बाखानी गुफा का रहस्य

         नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । 
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी सुरंग की मुहाने को ढुंढ ने के लिए जो कि ताजमहल तक जाता था  सैनिक छावनी में बने कोठरी के तहखाने में उतर जाते हैं और सीढ़ियों के सहारे नीचे उतरने लगते हैं। और जैसे जैसे हम सभी नीचे उतरते जाते थे हमारी दिल की धड़कन बढ़ने लगती थी । कि तहखाने के नीचे क्या होगा । कि तभी हमें  पानी बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं और उत्सुकता पूर्वक हम सभी तेजी से नीचे उतरने लगते हैं और जैसे ही हम सभी अंतिम सीढ़ी पर पैर रखते हैं  हम सभी ठिठक कर रूक जाते हैं और आश्चर्य चकित हो जाते हैं क्योंकि कि हमारे सामने एक नदी बह रही थी जिससे हम आश्चर्य चकित थे कि एक नदी हमारे उपर बह रही है और उस नदी में बाढ़ आया हुआ है और जबकि तहखाने के नीचे बहनें वाली नदी बिल्कुल शांत बह रही है । और हम सभी सोच ही रहें थे कि नदी के उस पार कैसे जाया जाएं । क्योंकि कि नदी के उस पार ही  भुलभुलैया का जाल बिछा हुआ था और इन्हीं भुलभुलईयो के किसी कोने में  चमत्कारी शिवलिंग और उस रहस्यमई  सुरंग का मुहाना स्थित था । परंतु हम सभी नदी को कैसे पार करें क्योंकि अंधेरे में नदी को तैर कर पार करना खतरे से खाली नहीं था।   जबकि की हमारे पुर्वज  भी तो इस नदी को जरूर पार करते होंगे पर कैसे?  तभी पिता श्री बोलते हैं कि तुम्हारे दादा जी ने भी कभी हमें इस नदी के बारे बताया ही नहीं था । सिर्फ उस सुरंग के मुहाने के बारे में बताया था । कहीं तुम्हारे दादा जी के उस कविता में तो नहीं छुपा हुआ था उस मुहाने का राज। तभी मैं पुछता हुं कौन सा कविता पिता श्री । तों पिता श्री बोलते हैं कि मुझे पंक्तियां याद है उस कविता की । तो अजय भाई बोलते हैं तो सुनाइए न हमे उस कविता की पंक्तियां शायद उससे हमारी समस्या सुलझ जाएं।  तभी पिता श्री वह कविता हमे सुनाने लगते हैं 
 उस कविता की पंक्तियां इस प्रकार थी।  कल कल बहता पानी  कल कल बहता पानी ंंऔर उस पर तैरे काठ और काठ पर बैठे  बंदरों का झुंड और पहुंच गये हम  बंम बंम बाबा के लोक ।  पिता श्री रुकिए  कल कल बहता पानी का मतलब नदी हुआ और उसपर तैरता काठ और काठ पर बैठा बंदरों का झुंड । पिता श्री मुझे समझ में आ गया वे लोग किसी वस्तु पर बैठ कर इस नदी को पार करते होंगे । जो हमें इस अंधेरे कारन दिखाई नहीं पड़ रहा है  लेकिन हमें ढुंढना होगा उस वस्तु जो काठ यानी लकड़ी का बना हुआ है  तभी राजा भाई बोलते हैं कि हम सभी फैल जाते हैं है चारों ओर और उस लकड़ी के बने वस्तु को ढुढते  है वह यही पर कहीं नदी के किनारे मौजूद होगा। और हम सभी मशाल लेकर उसे नदी के किनारे किनारे ढुंढने लगते हैं । परंतु काफी देर तक ढुंढने के बाद भी हमें  लकड़ी की कोई वस्तु नहीं मिली । अतः हम सभी सभी हताश होकर वापस आकर सीढ़ियों पर ही बैठ गये। ंंऔर वापस उपर लौटने के बारे में सोचने लगें । तभी गुस्से में आकर टिंकू ने नीचे वाले सीढ़ी पर पैर से  एक ठोकर मारा। जिससे अचानक   सीढ़ियां दो भागों में  अलग अलग होने लगी और सीढ़ियों के नीचे खाली जगह बन गई जिसमें हम सभी गिरते  गिरते बचे  । और नीचे काफी अंधेरा था  । अतः हम सभी सम्भल कर मशाल की रोशनी में नीचे की ओर देखने लगे और और नीचे का नजारा दिखते ही हमारी आंखें खुली की खुली रह गई। और हम खुशी से झूम उठे । क्योंकि नीचे का नजारा था ही ऐसा ।जिसे देखकर इस कोई भी झुम उठता । क्योंकि कि नीचे हमे नदी के तट पर लकड़ियों से बना हुआ एक पुरानी नाव जो दिख गई थी ।जो सिकड़ो के द्वारा बंधा हुआ था ।




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  English translate
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 Secret of Tambakhani Cave


 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how we all searched for the tunnel, which used to go up to the Taj Mahal. The soldiers descended into the basement of the closet in the camp and started coming down the stairs.  And as we all went down, our heartbeat started increasing.  What would happen under the cellar.  That is when we hear the sound of water flowing and eagerly we all start coming down fast and as soon as we all step on the last stair we all stop and stare in amazement because in front of us  A river was flowing, so that we were surprised that a river is flowing over us and that river is flooded and while the sister river under the basement is flowing absolutely calm.  And we were all thinking how to go across the river.  Because the maze network was spread across the river and the mouth of the miraculous Shivalinga and that mysterious tunnel was located in some corner of the same forgetfulness.  But how do we all cross the river because it was not empty of danger by swimming across the river in the dark.  While our ancestors must have crossed this river, but how?  Then Father Shri says that even your grandfather never told us about this river.  Only told about the mouth of that tunnel.  Was there any secret in that poem of your grandfather?  That is when I ask which poem father Shri.  So Father Shri says that I remember the lines of that poem.  If Ajay Bhai speaks, don't listen to us, the lines of that poem may solve our problem.  That is when Father Sri starts telling us that poem

 The lines of that poem were as follows.  Water flowing yesterday and yesterday, water flowing yesterday, and swarms of monkeys seated on the wood and on it, and we reached Bam Bam Baba's folk.  Father Mr. Wait, yesterday, the flowing water meant a river and a swarm of monkeys floating on it.  Father Mr. I understood that those people would be sitting on something and crossing this river.  What we do not see for this dark reason, but we have to find that thing which is made of wood, that is why the king says that we all spread around and find that thing made of wood.  Will exist somewhere along the river.  And we all take the torch and find it on the banks of the river.  But even after searching for a long time, we could not find any wooden item.  So, all of us, desperate after coming back, sat on the stairs.  And start thinking about returning back up.  Then, in a fit of anger, Tinku hit a foot on the staircase below.  Suddenly the stairs started to separate into two parts and became empty space under the stairs in which we all kept falling.  And the bottom was quite dark.  So we all started looking down at the torchlight and our eyes were wide open as soon as the bottom view was visible.  And we jumped with joy.  Because the view below was like this. Anyone seeing this would rise.  Because on the banks of the river below we saw an old boat made of wood, which was tied by a rod.


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   दोस्तों नाव के मिल जाने से हमसभी बहुत खुश थें ।  पर नाव काफी पुरानी थी और कई सदियों से इसी तरह बंधा हुआ था और लगता है जैसे अंतिम बार हमारे दादा जी के दादा जी ने ही इसकी सबारी की होगी । और उनके बाद आज हम सभी लोग करने वाले थे । चुंकि नाव काफी पुरानी थी लेकिन अब भी मजबूत दिख रही थी अतः हम सभी सम्भल सम्भल कर एक एक कर  नाव के उपर  सवार  होने  लगें ।  एवं सभी लोग सबार हों जाने के मै उसे सिकड़ को खोल देता हूं जिससे नाव बंधा होता हैं  और जैसे ही नाव बंधन से मुक्त होता हैं वह तेजी से नदी के सतह पर तैरने लगता है फिर मैं दौड़कर  नाव के  पाल को सम्भाल लेता हूं फिर भी संभालते संभालते नाव बह कर सीढ़ियों से काफी दूर पहुंच जाता है और अंधेरा होने के कारण वह हमारे आंखों से ओझल हो जाता है । चुंकि हमे नदी के उस पार जाना था इसलिए हम सभी नाव में रखें पतवार से नाव को चलाने लगते हैं और तेजी से नदी के उस पार बढ़ने लगते हैं ।  लगती है जैसे नदी काफी चौड़ी है  और गहरी भी है   इसमें पानी शायद  बड़े वाले झरने से ही आता होगा  ।    और अंधेरा होने के कारण  आगे हमे  कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था । जिस कारण आगे कही हम किसी पहाड़ या चट्टान से ना टकरा जाएं । इसलिए हमने नाव के आगे मशाल को बांध दिया ताकि हमे आगे का दृश्य स्पष्ट दिख सके ।   जब तक हम सभी किनारे पर पहुंचते  तब तक मैंने सोचा क्यों नहीं एक बार  इस नाव को  इसके अंदर तक चेक कर लिया जाए  ।हो सकता हैं हमें और भी कोई वस्तु या  कोई सबूत मिल जाए जिसके जरिए हम  आसानी से  सुरंग के मुहाने तक पहुंच जाए ।    ंऔर टिंकू को नाव संभालने को कह कर   मैं और राजा नाव के अंदर चलें जाते हैं  ताकि हम कुछ ढुंढ सके ।ं और देखा जाए तो यह केवल नाव ही नहीं था   बल्कि पुरा का पुरा एक बड़ा पानी का जहाज़ था  जिसके अंदर बहुत सारे कमरे बने हुए थे ।  और इन कमरों में बहुत सारे समान पड़ हुए थे  जैसे लग रहा था कि यह किसी व्यापारी का जहाज़ हो  । तभी मेरी नजर एक  मोटा सा पुस्तक पर पड़ता है जिसके उपर हमारे राज्य का चिन्ह बना हुआ था ।  यानी अब स्पष्ट हो गया था कि इस पानी जहाज़ को हमारे पुरखों ने ही निर्माण करवाया था । और उस पुस्तक मैंने अपने थैले में रख लिया ताकि बाद में पढ़ा जा सके ।  कि तभी बाहर से आवाज़ आने लगती है  टिंकू भाई चिल्ला रहें थे उपर में   नदी का किनारा आ गया , नदी का किनारा आ गया और हम सभी दौड़कर नाव के उपर आ गये । 



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 English translate
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Friends were all very happy with the boat meeting.  But the boat was quite old and had been tied in this way for many centuries and it seems like the last time our grandfather's grandfather had supported it.  And after them all of us were going to do it today.  Since the boat was quite old but still looking strong, so all of us could handle it and start riding on the boat one by one.  And after all the people are alive, I open it to the shrunk which makes the boat tied and as soon as the boat is free from bondage, it starts swimming on the surface of the river fast. Then I run and take care of the sail of the boat still  The boat carrying the handle flows far away from the stairs and due to the darkness it disappears from our eyes.  Since we had to go across the river, all of us keep in the boat and start to move the boat from the rudder and move quickly across the river.  It seems as if the river is quite wide and deep, the water may have come from a large waterfall.  And due to the darkness, we did not see anything clear ahead.  Because of which we should not bump into any mountain or rock.  So we tied the torch in front of the boat so that we could see the view ahead.  By the time we all reached the shore, I thought why not check this boat once inside it. Maybe we can find some other object or some evidence through which we can easily reach the mouth of the tunnel.  .  And by asking Tinku to take the boat, I and the king go inside the boat so that we can find something. And to be seen, it was not only the boat but the Pura Pura was a big water vessel with lots of room inside it.  Had happened.  And there were a lot of similarities in these rooms that looked like it was a merchant's ship.  Then I look at a small book on which the symbol of our state was made.  That is, it was now clear that our ancestors had built this water vessel.  And I kept that book in my bag so that it could be read later.  That is when the voice starts coming from outside, Tinku brothers were shouting, the river's edge came up, the river's edge came and we all ran over the boat.



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   किनारे पहुंचते ही सबसे पहले हमने   नाव को एक   सुरक्षित जगह पर  सिकड़ के जरिए बांध देते हैं । और सावधानी पूर्वक हम सभी नाव से नीचे उतर आते हैं  और जैसे ही  मशाल की रोशनी ज़मीन पर पड़ती हैं   हम सभी अवाक  ंंंंंं और हैरानी से भर उठते हैं  क्योंकि यहां पर चारों ओर जमीन पर मानवों का कंकाल पड़ा हुआ था मानो यहां पर कभी भयंकर युद्ध हुआ हों   जिसके बारे में पिता श्री पता नहीं था । शायद यह हमारे दुश्मनों के कंकाल हो शायद ये लोग  गुप्त तरीके से हमारे राजमहल में घुसने बाले थे लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने इनका काम तमाम कर दिया था ।  और तभी पिता श्री की नजर  दिबारो पर लगे मशालो पर जाता है और हम सभी मिलकर उनमें आग लगा देते  जिससे प्रकाश चारों ओर फैल जाता है ।


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 English translate
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As soon as we reach the shore, we first tie the boat to a safe place by squeezing.  And carefully we all get down from the boat and as soon as the torchlight falls on the ground, we are all speechless and shocked because there was a human skeleton lying on the ground all around here as if there was a fierce war here.  Had happened, about which Father Shri did not know.  Maybe it is the skeletons of our enemies, perhaps these people had secretly entered our palace, but our brave soldiers had done their work.  And then the gaze of Father Shri goes to the torches on Dibaro and we all together set fire to them, so that the light spreads all around.


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 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कि कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है । कल की कहानी में कैसे हम  सभी भुलभुलैया में  खो जाते हैं और फिर सूरंग के मुहाने तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है । तों दोस्तों कल मिलते हैं।


               धन्यवाद दोस्तों



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English translate
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Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because the story is going to be very fun.  In yesterday's story how we all get lost in forgetfulness and then have to struggle a lot to reach the mouth of Surang.  See you guys tomorrow.



 Thanks guys
 

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...