Sunday, February 21, 2021

यात्रा राजमहल की पहाड़ियों की दोस्तों जब राजमहल की पहाड़ियों को छूता था महासागर 280 करोड़ वर्ष पहले - साहिबगंज झारखंड भारत Visit friends of the palace hills when the ocean used to touch the palaces of the palace 280 million years ago - Sahibganj Jharkhand India

Ek yatra khajane ki khoje















                   पत्थर में रूपांतरित  पत्तियों के जीवाश्म
                   Fossils of metamorphosed leaves into                           stone
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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूंदोस्तों आज फिर मैं आपको लेकर चल रहा हूं राजमहल की पहाड़ियों पर जो कि झारखंड के साहिबगंज जिले में स्थित है जहां करोड़ों वर्ष पहले महासागर हुआ करता था। 












 दोस्तों जब राजमहल की पहाड़ियों को छूता था महासागर आज से करोड़ों वर्ष पहले 
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 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि झारखंड के गोड्डा जिले के लल मटिया में स्थित सेल पत्थर व कोयला के नमूनों के 2 वर्ष के अध्ययन के बाद जो तथ्य निकले हैं वह चौंकाने वाले हैं।
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Fossils of metamorphosed leaves into stone
                       पत्थर में रूपांतरित  पत्तियों के जीवाश्म
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 दोस्तों भारत के झारखंड राज्य में स्थित गोड्डा , साहिबगंज , पाकुड़ और दुमका तक राजमहल की पहाड़ियां फैली हुई है। और इन्हीं जिलों में जीवाश्म के रूप में  जैव प्रजातियों के क्रमिक विकास के साक्ष्य बिखरे पड़े हैं। दोस्तों पेड़ -पौधो के यह जवाब करीब 280 करोड़ वर्ष पुराने हैं। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तब यहां पर महासागर लहराता था। दोस्तों चौंकिए नहीं लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पेलियोसाइंस के विज्ञानी डॉक्टर  एस .सुरेश कुमार पिल्लई  एवं उनकी टीम ने शोध में इसे साबित किया है। दोस्तों इन्होंने गोंडवाना बेसिन की राजमहल पहाड़ियों में स्थित है गोड्डा के ललमटिया इलाके में मौजूद कोयला व उसके ऊपरी शैल परतों में मिले जीवाश्मों का अध्ययन कर इसके सबूत तलाशें हैं।







 दोस्तों पेलियोसांइस विज्ञानी डॉक्टर एस .पिल्लई व साहिबगंज डिग्री कॉलेज के भूगर्भ विज्ञानी प्रोफ़ेसर रंजीत सिंह ने बताया कि शैल पर जीवाश्म के रूप में मौजूद पत्तियों , क्यूटिकल्स (पत्तियों के ऊपरी सतह पर वाष्पोत्सर्जन को नियंत्रित करने वाली परत ) , स्टोमेटा ( रंध्र) व परागकण की छाप का अध्ययन किया गया है। दोस्तों अध्ययन से पता चला है कि करोड़ों वर्ष पहले इस इलाके में बहुत ही घना जंगल हुआ करता था। दोस्तो इन जंगलों में जिम्मनोस्पर्म व कोर्डेटेल्स वंश के पेड़ मौजूद थे। दोस्तों यहां इनकी 14 प्रजातियां थी। दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से कार्बनिक और अकार्बनिक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि यहां समुंद्र का पानी मौजूद था यानी समुंद्र मौजूद था। जिससे घना जंगल समुद्र के पानी में डूब गया था। जो करोड़ों साल बाद कोयला में बदल गया। दोस्तों यह खोज जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की पत्रिका व इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कोल जियोलॉजी में हाल ही में प्रकाशित किया गया था। दोस्तों 2 वर्ष तक किए गए गहन शोध में यह परिणाम सामने आए हैं। दोस्तों टीम में विज्ञानी आरपी . मैथ्यूज , शैलेश अग्रवाल , मनोज एमसी , श्रीकांत  व संभलपुर विश्वविद्यालय के  के . एस गोस्वामी , मृत्युंजय साहू आदि शामिल थे। दोस्तों निश्चित तौर पर यह शोध कार्य आश्चर्यजनक लगता है कि आज साहिबगंज से समुंद्र कम से कम 400 किलोमीटर दूर स्थित है। दोस्तों है ना आश्चर्यजनक कि कभी साहिबगंज यानी राजमहल का इलाका पूरी तरह से समुद्र में डूबा हुआ था।







 खुल गया राज समुद्री  शैवालों की मौजूदगी का राजमहल की पहाड़ियों में साहिबगंज झारखंड ।
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 दोस्तों कोयले के नमूनों के अध्ययन से समुद्री शैवाल की मौजूदगी के पक्के प्रमाण मिले हैं। अकार्बनिक और कार्बनिक प्रयोगों से साबित हुआ है कि नमूनों में कार्बन - 15 , कार्बन -17 , व कार्बन-19 के योगिकों की मौजूदगी है , जो समुद्री पौधों में मिलते हैं। एवं स्ट्रांशियम और  बेरियम का अनुपात 0.5 से 1 के बीच पाया गया जो खारे जल की मौजूदगी का प्रमाण बताता है। दोस्तों मीठे जल के क्षेत्र में यह मान 0.5 से कम होता है। साथ ही साथ दोस्तों थोरियम व यूरेनियम का मान 7 से 2 के बीच पाया गया है जो की खारे पानी की मौजूदगी को इंगित करता है।एवं दोस्तों 7 से अधिक मान मीठे जल के इलाके की जानकारी देती है दोस्तों इससे साबित होता है कि यहां समुद्री शैवाल समुंद्र की पानी के साथ बहकर आया होगा। दोस्तों अध्ययन से पता चलता है कि सिक्किम की ओर से टेथिस सागर का पानी यहां आया था , तब गोड़वाना लैंड में अंटार्कटिका ,ऑस्ट्रेलिया ,दक्षिण अमेरिका , अफ्रीका एवं भारत एक साथ मौजूद थे एवं आपस में जुड़े हुए थे। जो कालांतर में करोड़ों वर्षों की विकास प्रक्रिया में अलग-अलग महाद्वीपों में बदल गए हैं या अलग हो गए।।




 





 दोस्तों यह शोध कार्य जैव विकास को समझने में मददगार होगा।
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 दोस्तों डॉक्टर एस.सुरेश कुमार पिल्लई कहते हैं कि  पारिस्थितिकी तंत्र के बदलाव, नई प्रजातियों की उत्पत्ति , मौसम परिवर्तन समेत कई गुढ़ विषयों को समझने में मदद करेंगी।  दोस्तों उस समय के पेड़-पौधो  पराग कण , रंध्रों के आकार , मौसम के स्थितियों का आज के वातावरण व जीवों से तुलनात्मक अध्ययन करने पर जैव विकास के अनसुलझे रहस्य उजागर हो पायेंगे। और साथ ही साथ यह अध्ययन भी हो सकेगा कि किस प्रकार मौसम बदलने से हुएं उत्परिवर्तनों से नई प्रजातियां बनी । दोस्तों साफ दिखता है कि जिन पेड़ों से यहां कोयलें का निर्माण हुआ है वैसे ही वृक्षों से आस्ट्रेलिया में भी कोयला का निर्माण हुआ है। अतः साफ पता चलता है कि दोनों महाद्विप  पूर्व में आपस में जुड़े हुए थे , जो बाद में अलग-अलग हिस्सों में बट गया। दोस्तों राजमहल की पहाड़ियां  दुनिया की प्राचीनतम पहाड़ियों में गिनी जाती हैं। दोस्तों यहां मौजूद जीवाश्मों को सहेजने की  जरूरत है क्योंकि ये भारत ही नहीं समूचे विश्व की धरोहर हैं । दोस्तों हमें इनकी  महत्ता को समझनी होगी अन्यथा ये विलुप्त हो जाएंगे। क्योंकि दोस्तों पहाड़ियों में पत्थरों के खनन से ये नष्ट होते जा रहे हैं।
 

                 धन्यवाद दोस्तों

                 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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          English translate
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  पत्थरों में जीवाश्मों की तलाश करते हुए डॉक्टर एस . सुरेश कुमार पिल्लई राजमहल की पहाड़ियां साहिबगंज झारखंड।
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Doctor S. while searching for fossils in stones  Suresh Kumar Pillai Rajmahal Hills Sahibganj Jharkhand.




 
 
  Hello friends, I would like to give a warm welcome to all of you mountain lepards Mahendra. Today I am taking you again to the hills of Rajmahal, which is located in Sahibganj district of Jharkhand, where the ocean used to be millions of years ago.












 Friends, when the ocean used to touch the palace hills millions of years ago.













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 Friends, you will be surprised to know that the facts which have come out after 2 years of study of cell stone and coal samples located in Lal Matia of Godda district of Jharkhand are shocking.

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 Friends, Rajmahal hills are spread to Godda, Sahibganj, Pakur and Dumka located in the state of Jharkhand, India.  And in these districts there is scattered evidence of the gradual development of bio-species in the form of fossils.  Friends tree - this answer of the Paudho is about 280 million years old.  Friends, you will be surprised to know that the ocean used to sway here.  Friends, don't be surprised, Dr. S. Suresh Kumar Pillai, a scientist at Birbal Sahni Institute of PaleoScience in Lucknow and his team has proved this in research.  Friends, they have located the Rajmahal hills of Gondwana basin in the Lalmatiya area of ​​Godda and studied the fossils found in the coal and its upper rock layers to find evidence of this.








 Friends Paleoceanologist Dr. S. Pillai and Sahibganj degree college geologist Professor Ranjit Singh told that the leaves present in the form of fossils on the shell, cuticles (layer controlling the transpiration on the upper surface of the leaves), stomata (stomata) and pollen.  The impression of has been studied.  Friends study showed that crores of years ago there used to be a very dense forest in this area.  Friends, in these forests there were trees of Zimnosperm and Cordellatus.  Friends, they had 14 species here.  Friends surprisingly, the organic and inorganic study concluded that sea water was present here.  Due to which the dense forest was submerged in the sea water.  Which turned into coal after millions of years.  Friends, this discovery was recently published in the Journal of the Geological Society of India and in the International Journal of Coal Geology.  Friends, these results have been revealed in the deep research conducted for 2 years.  Friends in the team, scientist R.P.  Mathews, Shailesh Aggarwal, Manoj MC, Srikanth and K. Sambalpur University  S. Goswami, Mrityunjay Sahu etc.  Friends, this research work certainly seems surprising that today the sea is at least 400 km from Sahibganj.  Friends, is it not surprising that the area of ​​Sahibganj i.e. Rajmahal was completely submerged in the sea.













 The presence of Raj seaweeds has been revealed in Sahibganj Jharkhand in the palace hills.

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 Friends, studies of coal samples have confirmed the presence of seaweed.  Inorganic and organic experiments have proved that the presence of carbon-15, carbon-17, and carbon-19 compounds in samples is found in marine plants.  And the ratio of strontium and barium was found to be between 0.5 to 1, which indicates the presence of saltwater.  Friends, in the area of ​​fresh water, this value is less than 0.5.  Also, the value of friends thorium and uranium has been found to be between 7 and 2, which indicates the presence of saltwater. And more than 7 values ​​of freshwater area. Friends, this proves that the marine here  The algae must have flowed with sea water.  Friends study shows that the water of Tethys Sea came here from Sikkim, then Antarctica, Australia, South America, Africa and India were present and connected together in Godwana Land.  Over the course of millions of years the development process has changed or separated into different continents.












 Friends, this research work will be helpful in understanding bio-development.

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 Friends, Dr. S. Suresh Kumar Pillai says that changes in the ecosystem, including the origin of new species, weather changes, will help in understanding many deep topics.  Friends, by doing a comparative study of the plants, pollen particles of the time, the size of the stomata, the weather conditions of today's environment and organisms, we will be able to uncover unresolved mysteries of bio-development.  And at the same time it will be possible to study how mutations caused by changing seasons have created a new species.  Friends, it is clear that the trees from which cuckoos have been made here, similarly trees have also produced coal in Australia.  Hence, it is clear that the two Mahadwip were formerly connected, which later got separated into different parts.  Friends, the palace hills are counted among the oldest hills in the world.  Friends, there is a need to save the fossils present here because they are not only the heritage of the whole world.  Friends, we have to understand their importance otherwise they will become extinct.  Because they are being destroyed by the mining of stones in friends hills.

















 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗















Fossils of metamorphosed leaves into stone
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एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...