Tuesday, December 29, 2020

गुवारीडीह : भागलपुर ; इंटर पास ग्रामीण की सूझबूझ से सामने आई समृद्ध विरासत मोड़ी जाएगी कोसी नदी की धारा ताम्र पाषाण काल तक के पुरावशेष मौजूद Guwaridih: Bhagalpur; The rich heritage that has come to the knowledge of the Inter Pass villagers will be twisted up.

Ek yatra khajane ki khoje

                               

               अविनाश जी के मुर्गी
 फार्म में जमा किए हुए पुरातात्विक वस्तुएं
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 Avinash ji's cock

 Archaeological objects deposited in the farm

  गुवारीडीह भागलपुर: इंटर पास अविनाश जी की सूझबूझ से सामने आई समृद्ध विरासत , मोड़ी जाएगी कोसी की धारा , ताम्र पाषाण काल तक के पुरावशेष मौजूद भागलपुर के धरती के अंदर
              नमस्कार दोस्तों मैं बहुत उत्साहित था यह जानकर कि इंटर पास ग्रामीण अविनाश जी की एक छोटी सी प्रयास ने उस समय सभी का ध्यान खींचा ,जब रविवार को स्वयं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके क्षेत्र गुवारीडीह पहुंचे । पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार यह क्षेत्र  पुरातत्व के दृष्टिकोण से से अहम हो सकता हैं इस क्षेत्र में  ताम्र पाषाण काल तक के पुरावशेष मौजूद है। पुरातात्विक क्षेत्र का निरीक्षण करने के उपरांत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने विरासत को सहेजने का निर्देश दिया। इसके लिए कोसी की धारा को  मोड़ने का भी निर्देश उन्होंने दिया। 
दोस्तों भागलपुर  , बिहार स्थित इस क्षेत्र में कोसी नदी के किनारे कुछ टीले है नदी में कटाव के चलते इनसे ऐसी अनेक प्राचीन वस्तुएं आती रही है , जो हजारों वर्ष पुरानी सभ्यताओं की निशानियां हैं । किंतु ग्रामीणजन यह बात समझ नहीं सके और इनकी अनदेखी करते रहे।

 इधर गांव के ही एक युवक अविनाश जी , जिनकी इन वस्तुओं के प्रति बचपन से ही रुचि थी। वे इन प्राचीन वस्तुओं को देखकर अचरज करते हैं और इन वस्तुओं की पहेली को सुलझाने का जतन करते थे।
   अतः अविनाश जी इन प्राचीन अवशेषों को एकत्र करते गए और सुरक्षित रखती गए । और अंत में शासन तक इसकी जानकारी पहुंचाई।
                             दोस्तों इंटर तक पढ़ाई करने वाले ग्राम जयरामपुर निवासी अविनाश जी ने बताया कि गुबारीडीह के समीप ही उनका खेत है। और वहां भी प्राचीन टीले हैं। एवं नदी के कटाव के कारण यहां ऐसी अनेक प्राचीन वस्तुएं बिखरी हुई थी। अतः जब मैं समझदार हुआ तो इनके बारे में जानने का प्रयास किया और इन्हें समझने के लिए मोबाइल पर यानी यूट्यूब पर वीडियो देखने लगा जिस कारण से मुझे एहसास हुआ की वस्तुएं बहुत ही प्राचीन होगी।
और दोस्तों वह बताते हैं कि जब जब यह समझ में आने लगा कि यह तो पूरा अवशेष हैं तो इन्हें लेकर सहज हो गए हैं और एकत्र कर सहेजने लगे प्राचीन वस्तुओं को।  और अविनाश जी बताते हैं बचपन की बातें जब उन्हें याद आती है तो वह कहते हैं कि साथियों के साथ यहां खेलते थे तो यह प्राचीन वस्तुएं मिल जाती थी लेकिन हम इन्हें पानी में फेंक दिया करते थे। तब इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। और जब बड़े हुए तो उत्सुकता जागी और इनके बारे में जानने-समझने का प्रयास किया।  
                   दोस्तों अविनाश जी के अनुसार , तब अपने मुर्ग
 फार्म में इन्हें सहेजकर रखने लगा । फिर पता चला कि सरकार ऐसे स्थलों को संरक्षित करती हैं ,तब सरकार तक इसकी जानकारी पहुंचाने का प्रयास किया। इसी दरम्यान मैंने अनेक पुरातात्विक अवशेष जमा कर लिया था। 
               इसी दौरान पूर्व स्थानीय विधायक ई. शैलेन्द्र गांव आए तो उन्हें भी इसकी जानकारी दी। और विधायक जी के पहल से ही पुरातत्व विभाग के लोगों ने आकर पड़ताल की तो सामने आया कि यह महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है।

      आगे अविनाश जी बताते हैं कि फिर मुझे जानकारी मिली कि स्वयं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी जल्द ही यहा आने वाले हैं।।तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना न रहा  । अतः मुख्यमंत्री जी ने कोशी नदी की धारा को मोड़ने और इन टीलों की खुदाई कर प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने का निर्देश दिया , जो मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है। और लगा मानो मेरी मेहनत सफल हो गईं।
                     दोस्तों अविनाश जी के पिता उपेंद्र चौधरी भी किसान हैं। चार भाइयों चंदन , बबलू  ,प्रीतम और अविनाश जी में अविनाश सबसे छोटे हैं।अविनाश जी के अनुसार टीला पहले 25 एकड़ से अधिक में फैला हुआ था। परंतु कोसी नदी के कटाव के कारण अब यह महज 5 एकड़ ही बचा है। टीले की विशेषता यह है कि कोसी नदी जब रौद्र रूप में भी रहती है तब भी वह नहीं डूबता है। दोस्तों अविनाश जी ने बताया कि कोसी नदी के दूसरे किनारे पर भी पुरातात्विक महत्व के टीले मौजूद हैं। लेकिन वहां अब अपराधियों का बोलबाला है।अपराधियों के भय से लोग वहां अब खेती करने भी नहीं जाते हैं। अतः सरकार से मेरी विनम्र निवेदन है कि इन टीलों को संरक्षित किया जाना चाहिए।

     गुवारीडीह में मिले पुरातात्विक अवशेषों में काले - लाल मृदभांड ,
तेरा कोटा निर्मित वस्तुएं , तांबे से निर्मित वस्तुएं , आभूषण , लौह धातु मल, रत्न जड़ित आभूषण , कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले औजार , तांबे के सिक्के , कुषाण कालीन ईटे , मिट्टी के बांट इत्यादि अनेक प्राचीन वस्तुएं मिली है। अतः इनसे पता चलता है कि यह पुरातात्विक क्षेत्र ताम्र पाषाण युग से लेकर 2500 तक के पुरावशेषों को को अपने धरती के अंदर समेटे हुए है।
                धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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 Guvaridih Bhagalpur: Inter pass Avinash ji's rich heritage revealed by wisdom, modi jogi kosi stream, antiquity till copper stone age present inside Bhagalpur earth

 Hello friends I was very excited to know that a small effort of the Inter Pass Rural Avinash ji caught everyone's attention when on Sunday Bihar Chief Minister Nitish Kumar himself reached his area Guwaridih.  According to archeology experts, this area can be important from the point of view of archeology, there is antiquity up to the copper stone period in this area.  After inspecting the archaeological area, Chief Minister Nitish Kumar instructed to save the heritage.  For this, he also instructed to divert the Kosi stream.

 Friends, in this area located in Bhagalpur, Bihar, there are some mounds on the banks of Kosi river, due to erosion in the river, many such antiques have come from them, which are the traces of civilizations thousands of years old.  But the villagers could not understand this and kept ignoring them.

 Here, a young man from the village Avinash ji, who was interested in these things since childhood.  He was surprised by seeing these ancient objects and used to solve the puzzle of these objects.

 Therefore, Avinash ji kept collecting these ancient relics and kept them safe.  And finally brought this information to the government.

 Avinash Ji, a resident of village Jairampur, who studied up to his friends, said that his farm is near Gubaridih.  And there are ancient mounds too.  And due to the erosion of the river, many such antiques were scattered here.  Therefore, when I became intelligent, I tried to learn about them and to understand them, I started watching videos on mobile i.e. YouTube, due to which I realized that things would be very ancient.

 And friends tell that when they started to understand that these are complete relics then they have become comfortable with them and started collecting and saving the antiques.  And Avinash ji says that when he remembers childhood things, he says that he used to get these antiques while playing here with his companions, but we used to throw them in the water.  There was no information about them then.  And when they grew up, they got curious and tried to understand about them.

 According to friends Avinash ji, then his cock

 Started saving them in the form.  Then came to know that the government patronizes such sites, then tried to convey this information to the government.  During this period, I had collected many archaeological remains.

 Meanwhile, former local MLA E. Shailendra came to the village and informed him about it.  And it was only at the initiative of the MLA that the people of the archeology department came and investigated that it is an important archaeological site.

 Further Avinash ji says that then I got information that Bihar Chief Minister Nitish Kumar himself is going to come here soon. Then there was no place for my happiness.  Therefore, the Chief Minister instructed to bend the stream of Koshi river and preserve these heritage sites by digging these mounds, which is a matter of great pleasure for me.  And felt as if my efforts were successful.

 Friends of Avinash ji's father Upendra Chaudhary are also farmers.  Avinash is the youngest among four brothers Chandan, Bablu, Pritam and Avinash ji. According to Avinash ji the mound was earlier spread over 25 acres.  But due to erosion of Kosi river, now it has left only 5 acres.  The feature of the mound is that even when the Kosi river remains in the form of a raudra, it does not sink.  Friends Avinash ji told that dunes of archaeological importance exist on the other bank of Kosi river.  But criminals are now there. People do not even go there to do farming due to fear of offenses.  So my humble request to the government is that these mounds should be protected.
 Archaeological remains found in Guvaridih include black-red pottery,

 Tera Kota manufactured items, copper made items, jewelery, iron metal stools, jewelery studded with gems, tools used in agricultural work, copper coins, Kushan carpet bricks, clay pots etc. have been found.  Therefore, it shows that this archaeological area has contained antiquities from the Copper Stone Age up to 2500 within its soil.



 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra
              
      

                        

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...