Tuesday, June 30, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje



                ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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        नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । 
                                 जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा  कि कैसे सुबह सुबह पिता श्री हमारे कमरे में आ धमकते हैं  और सिर्फ अखिलेश को छोड़कर सभी लोग उठ चुके थे यानी अखिलेश की तों बैंड बाजा बजने वाला था ।  मामा जी पहले से ही तैयार थे  । और हम भी जल्दी जल्दी तैयार हो चुके थे । पिता श्री जैसे ही कमरे में प्रवेश करते हैं  उनकी नजर  अखिलेश के उपर पड़ती है जो चादर ओढ़े आराम से सोया हुआ था । यह देख कर पिता श्री गुस्से से आग बबूला हो गये । और टिंकू से बोलते हैं  जाओ एक घड़ा पानी लेकर आओ  और इस निक्कमे के उपर डालो अभी तक सोया हुआ है  
और पिता श्री हमारी ओर देखने लगे  और इसी दरम्यान अखिलेश मौका देखकर   चुपके से स्नान घर में घुस जाता है  तभी मामा जी बोलते हैं जरा पिछे घुम के तों देखिए  और पापा  पिछे घुमते हैं तो देखते हैं कि अखिलेश है ही नहीं अरे यह बदमाश कहा गया । तभी पांच मिनट के अंदर अखिलेश तैयार होकर स्नान घर से बाहर आ जाता हैं  और बोलता है  मैं तैयार हूं चले प्रशिक्षण शिविर में व्यायाम करने । और सभी हंसने लगते हैं  क्योंकि वह सबका दुलारा जो था ।   और फिर हम सभी लोग  अस्तबल में आ जाते हैं और अपने अपने घोड़े पर बैठ कर प्रशिक्षण शिविर कि ओर निकल पड़ते हैं ।
                            हमारा प्रशिक्षण शिविर    नगर के बाहर और उस विशाल पुल के उस पार   उस चमत्कारी और रहस्यमई  झरना के उपर वाले पहाड़ी पर बना हुआ था  । जहां पर आम लोगों को पहुचना नामुमकिन था  ।  और जैसे ही हम पुल को पार करते हैं  मुसलाधार वर्षा शुरू हो जाती हैं  तभी पिता श्री अपने घोड़े को एक चाबुक मारते हैं और उनका घोड़ा हवा की तरह बातें करने लगती हैं और  हमसे बहुत आगे निकल जाते हैं  और पिछे पिछे मामा जी भी और हम पिछे छुट जाते हैं  तभी जोरदार बिजली चमकती हैं  और बड़ी बड़ी चट्टानें हम पर गिरने लगती हैं  तभी मैं चिल्ला कर बोलता हूं भागों और अपनी अपनी जान बचाओ और हम भी अपने घोड़े को ज़ोरदार चाबुक लगाते हैं और हमारे घोड़े हबा की  तरह दौड़ने लगते हैं । और प्रशिक्षण शिविर की ओर बढ़ने लगते हैं लेकिन रास्ते में पिता श्री और मामा जी कहीं नहीं दिख रहें थे  शायद वे लोग हमसे पहले शिविर में पहुंच गए होंगे। लेकिन  हमलोग रास्ता भटक चुके थे  क्योंकि कि वर्षा इतनी तेज हो रही थी कि हमें कुछ नहीं दिख रहा था  हम सिर्फ भागे जा रहे थे और शिविर की ओर जाने वाले रास्ते को छोड़कर किसी और रास्ते में निकल चुके थे । 






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      Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how Father Shree used to threaten us in our room in the morning and everyone except for Akhilesh had got up, ie Akhilesh's band was going to play Baja.  Mama ji was already ready.  And we were also ready early.  As soon as Father Shree enters the room, his eyes are on Akhilesh, who was sleeping comfortably in a bed sheet.  On seeing this, the father Mr. Anger became furious.  And speak to Tinku, go bring a pot of water and pour it over this Nikkeme is still asleep

 And Father Shri started looking at us and in the meantime, Akhilesh sneaks into the bath house by seeing the opportunity, then the maternal uncle says, just look at the back of the roam and the father walks backwards, then see if Akhilesh is there or not, he is said to be a crook.  .  Then, within five minutes, Akhilesh comes out of the bathing house ready and says I am ready to go to training camp.  And everyone starts laughing because he was the one who loved everyone.  And then we all come to the stables and sit on our own horses and start towards the training camp.

 Our training camp was built on the hill above the miraculous and mysterious waterfall outside the city and across the huge bridge.  Where it was impossible to reach the common people.  And as soon as we cross the bridge, the torrential rains begin, only when Father Shri whips his horse with a whip and his horse starts talking like the wind and goes ahead of us and the last uncle too and we  The last ones are left when the lightning flashes and the big rocks fall on us, then I speak and shout the parts and save our lives and we also whip our horse vigorously and our horses start running like haba.  And start towards the training camp but on the way father and uncle were nowhere to be seen, they may have reached the camp before us.  But we had lost our way because the rain was getting so strong that we could not see anything, we were just running and left the path leading to the camp.                                                                                                                                   
                                                                                   
   तभी हमें एक गुफा दिखाई पड़ती हैं और  हम सभी तेज़ वर्षा से बचने के लिए  उस गुफा के अंदर चलें जातें है  और गुफा के अंदर पहुंचते ही सबसे पहले हम अपने घोड़ों को एक जगह बांध देते हैं  तभी राजा भाई बोलते हैं कि गुफा काफी बड़ा है चलों अंदर चलकर देखते हैं अंदर में क्या है ।  और हम सभी लोग राजा भाई के पिछे पिछे अंदर की ओर चल पड़ते हैं और हम सभी लोग 100 कदम ही चले थे कि तभी हमें अचानक  पानी की तेज आवाज सुनाई पड़ती हैं मानों कोई बहुत बड़ा झरना बह रहा हों और हम तेजी से उस आबाज की ओर बढ़ने लगते हैं ।   और अचानक हमारी होश उड़ जाती हैं  हमारे सामने एक विशाल झरना बह रह था और इस विशाल झरने की। सिधे आकाश से गिर रही थी  और सबसे आश्चर्य चकित करने वाली बात थी  । झरने के नीचे स्थापित  विशाल शिवलिंग । और आकाश से गिरने वाला पानी सिधे शिवलिंग पर गिर रहा था । दोस्तों बहुत ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत हों रहा था । एक और बात गौर करने वाली थी कि यहां हर तरह छोटे बड़े शिवलिंग मौजूद थे । बहुत ही मनोरम दृश्य था मानों जैसे हम शिव लोक में पहुंच गए हैं ।।  तभी हम सभी को को स्नान करने का मन हुआ  और शिवलिंग देखकर   भगवान भोलेनाथ शिव शंकर की पूजा करने का मन होने लगा ।  तों हम सभी भाई कपड़े उतार कर सबसे पहले  झरने के नीचे स्नान करने लगें  । और स्नान करने के बाद हम सभी भाई गुफा  में उगे  सुंदर सुंदर     फूलों को तोड़कर ले आये और  उस प्रकाशमयी शिव लिंग के चारों ओर बैठकर पुजा करने लगें । और जैसे ही हम लोगों ने शिवलिंग पर बेलपत्र और पुष्प अर्पित किए  वैसे गुस्से से दहाड़ने की आवाज सुनाई पड़ने लगी और पैरों को पटकते हुए  एक साधु बाबा हमारी ओर आते हुए दिखे । जो किसी पहलवान से कम नजर नही आ रहें थे । वे गरजते हुए हमसे बोल रहे थे  किसकी हिम्मत हुई जो हमारे द्वारा स्थापित हमारे अराध्य देव की शिवलिंग की पूजा करने की हिम्मत हुई है ।  पास अते ही हम  सभी खड़े होकर उनको दण्डवत करने लगते हैं  प्रणाम गुरु देव  हमसे कोई गलती हो गई हों तो हमें माफ़ कर दिजिए।  तभी बाबा बोलते हैं तुम लोग कौन हों और तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई इस शिवलिंग की पूजा करने की मैं तुम सभी को भष्म कर दुंगा ।  तभी राजा भाई बोलते हैं क्षमा करें गुरु देव  हम इस  राज्य के महाराज कृष्ण प्रताप  शिव शंकर प्रताप और उनके छोटे भाइयों के पुत्र हैं ।  और पिता श्री का नाम सुनते ही उनका गुस्सा थोड़ा शांत होता हैं । अच्छा तुम हमारे मित्र के बेटे हों फिर भी तुम लोगों ने गलती की है अब तुम में से एक को मेरे साथ द्वंद्व युद्ध करना और मुझे हराना होगा । तभी मैं तुम सब को क्षमा  करूंगा।  उनकी बातें सुन कर सभी लोग मुझे देखने लगते हैं ।


      धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे बहुत ही रोमांचक मुकाबला होने वाला था मेरे और बाबा के बिच।



         धन्यवाद दोस्तों



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English translate
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      Then we see a cave and we all go inside that cave to avoid the heavy rains and first we tie our horses to a place as soon as we reach the cave, then Raja Bhai says that the cave is very big  Let's go inside and see what is inside.  And all of us walk backwards behind Raja Bhai and we all walked 100 steps only when suddenly we hear a loud sound of water as if a big waterfall is flowing and we are fast  They move forward.  And suddenly our senses fly away. A huge waterfall was flowing in front of us and this huge waterfall.  It was falling straight from the sky and the most surprising thing was astonishing.  The huge Shivalinga installed under the waterfall.  And the water falling from the sky was falling directly on the Shivling.  Friends were presenting very beautiful scenes.  Another thing to note was that small and large Shivling was present here.  It was a very panoramic view as if we have reached the Shiva world.  Then we all felt like bathing and seeing Shivalinga, started feeling like worshiping Lord Bholenath Shiva Shankar.  So all of us brothers take off their clothes and start bathing under the waterfall.  And after bathing, all of us brothers brought the beautiful flowers that had grown in the cave, and started sitting around that luminous Shiva Linga and worshiped.  And as soon as we offered bell-leaf and flower on the Shivling, the sound of roaring with anger began to be heard and a sadhu Baba was seen coming towards us, with his feet slammed.  Who could not look less than any wrestler.  They were roaring and speaking to us, who dared to worship the lingam of our Lord Aradhya established by us.  As soon as we all stand up and start worshiping them, Pranam Guru, please forgive us if you have made any mistake.  Then Baba speaks about who you are and how dare you people to worship this Shivling, I will devour all of you.  That's why Raja Bhai speaks sorry, Guru Dev. We are the sons of Krishna Pratap, Shiv Shankar Pratap and his younger brothers.  And on hearing father's name, his anger gets a bit quiet.  Well you are the son of our friend, yet you have made a mistake, now one of you will have to fight a duel with me and defeat me.  Then I will forgive all of you.  After listening to them, everyone starts seeing me.



 Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because a very exciting contest was going to take place between me and Baba.




 Thanks guys
 










                 
                  

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एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

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