Thursday, May 6, 2021

एक यात्रा अद्भुत अलौकिक प्राचीन भविष्य बद्री मंदिर की जो उत्तराखंड हिमालय के ऊंचे शिखरों के बीच घने जंगलों में स्थित ग्राम - सुभाइ में स्थित है - जोशी मठ उत्तराखंड भारत A visit to the amazing supernatural ancient Bhavishya Badri temple located in the village - Subhai in the dense forests amidst the high peaks of the Uttarakhand Himalayas - Joshi Math Uttarakhand India.

Ek yatra khajane ki khoje

































    Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey to the Bhavishya Badri Nath Temple situated on the high peaks of Uttarakhand.










 Ancient Future Badri Temple


 Village- Subhai



 Joshimath, Uttarakhand


 India









 Namaskar Friends There is a statue of "Badri of the future" present in a cave here.  Friends, legend has it that this idol is emerging from the rock present in the cave itself with the passage of time, earlier this rock was flat and straight but now it has faces, but now it has a face-like shape and hands-like texture has emerged.  .  Friends, it is believed that Lord Badrinath will fully appear in this cave in the future when Lord Badrinath is inundated with the temple.


 Friends "Bhavishya Badri" temple is a famous and ancient temple of Hindus.  Friends "Bhavishya Badri" temple is located in village Subhai, 17 km from Joshimath in Uttarakhand state of India, and Friends "Bhavishya Badri" temple is located at an altitude of 2744 meters above sea level.








 Friends, "Bhavishya Badri" temple is situated at the height as well as it is situated amidst the dense forests of the Himalayas.  Due to the height of friends, this temple can be reached only by mountaineering.  Friends, the "Badrinath" temple of the future is located on the ancient pilgrimage road leading to the sacred Kailash Mansarovar mountain on the banks of the Dhauliganga River.  Friends, pilgrims who visited Kailash Mansarovar in ancient times used to spend the night in the caves of the "future Badri" temple. And they all got up early in the morning and started the journey of Kailash Mansarovar only after reciting the worship of "Future Badri Nath".  Used to do


 Friends, you will be surprised to know that "Badrinath of the future" temples are one of the group of 5 Badri temples "Badrinath", Yogyadhyana Badri, Adi Badri and Old Badri and Sapta Badri Shrines.  Friends, it is believed that these temples were built by Adi Guru Shankaracharya.  Because friends are credited to Adi Guru Shankaracharya for the construction of many ancient temples in Uttarakhand region.  The purpose of the construction of these temples by friends Adi Guru Shankaracharya was to spread the propagation of God and Hinduism in every corner and remote part of the country.


 Friends, the stone rock is present near the temple here, friends. Surprisingly, after looking carefully at the stone stone, the figure of God is seen.  Friends, Lord "Badri Vishal" is enshrined here as "Shaligram" idol.











 According to the Friends legend, when the path of Badrinath Dham will be blocked and inaccessible after meeting the male and Narayan mountains present here at the end of the Kali-yuga, then Lord Badrinath will offer prayers to the devotees in this ancient and famous "future Badri" temple.  Friends, instead of the Badrinath temple, worship of Lord Badrinath will be recited in this ancient "future Badri" temple. Friends, you will be surprised to know that in the "future Badri" temple worshiped the idol of Lord "Narasimha", the incarnation of "Lord Vishnu".  She goes.



 "The Path to Reach the Badri Nath Temple of the Future".


 Friends, all of you can go to "Saldhar" market, about 11 km from Joshimath by "Motor vehicle of the future", Joshimath, and further the journey to the temple is completed by walking and trekking about 6 kilometers.  A little inaccessible and difficult but when you reach the temple, it gives a strange peace of mind.


 "The best time to visit the temple"


 The best time to visit "Bhavishya Badri" is from March to May and September to November as the monsoon and winter is not the ideal season to visit the "Bhavishya Badri" temple.  The mind is fascinated. And on the other side the quadrangular idol of Lord Vishnu is emerging naturally on the rock.  Friends, the idol of "Bhavishya Badri" is going on increasing year by year.


 Friends, the date of the opening of the temple of "Badrinath" temple is also opened on the same date. The door of the temple of "Bhavishya Badri" is opened. That is, the door of the temple is opened for pilgrims at 4:30 am on May 15 every year.  is.










 Thanks guys


 Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗






































    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं उत्तराखंड के ऊंचे शिखरों पर स्थित भविष्य बद्री नाथ मंदिर की यात्रा पर। 










  प्राचीन भविष्य बद्री मंदिर

           ग्राम-  सुभाइ 
   
        जोशीमठ , उत्तराखंड

                भारतवर्ष









 
 नमस्कार दोस्तों  यहां मौजूद एक गुफा में मौजूद हैं "भविष्य के बद्री" की मूर्ति। दोस्तों किवदंती है कि यह मूर्ति गुफा में मौजूद चट्टान से अपने आप समय बीतने के साथ उभरकर सामने आ रही है पहले यह चट्टान सपाट व सीधी थी लेकिन अब इसमें चेहरे , लेकिन अब इसमें चेहरे जैसी आकृति व हाथों जैसी बनावट उभर कर सामने आ चुकी है। दोस्तों माना जाता है कि जब भगवान बद्रीनाथ मंदिर से अंतर्ध्यान हो जाएंगे तब भविष्य में इसी गुफा में भगवान बद्रीनाथ पूर्ण रूप से प्रकट होंगे।

         दोस्तों "भविष्य बद्री" मंदिर हिंदुओं का एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर है । दोस्तों "भविष्य बद्री" मंदिर भारतवर्ष के उत्तराखंड राज्य के जोशीमठ से 17 किलोमीटर की दूरी पर गांव सुभाई में स्थित है।साथ ही दोस्तों "भविष्य बद्री" मंदिर समुद्र तल से 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।













दोस्तों "भविष्य बद्री" मंदिर ऊंचाई पर होने के साथ-साथ हिमालय के घने जंगलों के बीच स्थित है‌। दोस्तों ऊंचाई पर होने के कारण इस मंदिर तक पर्वतारोहण करके ही पहुंचा जा सकता है। दोस्तों भविष्य के "बद्रीनाथ" मंदिर धौलीगंगा नदी के किनारे पवित्र कैलाश मानसरोवर पर्वत की ओर  जाने वाले प्राचीन तीर्थ मार्ग पर स्थित है। दोस्तों प्राचीन समय में कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्री "भविष्य के बद्री" मंदिर के गुफाओं में रात्रि विश्राम किया करते थे ।एवं वे सभी सुबह सुबह उठकर "भविष्य के बद्री नाथ" की पूजा पाठ करने के बाद ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू करते थे।

         दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि "भविष्य के बद्रीनाथ" मंदिर 5 बद्री मंदिरों के समूह "बद्रीनाथ" , योग्यध्यान बद्री, आदि बद्री एवं वृद्ध बद्री व सप्त बद्री तीर्थों में से एक हैं। दोस्तों ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य जी ने किया था। क्योंकि दोस्तों उत्तराखंड क्षेत्र में कई प्राचीन मंदिरों के निर्माण के लिए आदि गुरु शंकराचार्य जी को ही श्रेय दिया जाता है। दोस्तों आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा इन मंदिरों के निर्माण का उद्देश्य देश के हर कोने  एवं दूरदराज हिस्से में भगवान एवं हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करना था।

          दोस्तों यहां पर मंदिर के पास ही पाषाण की शिला मौजूद है दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से इस     पाषाण की शिला को ध्यान से देखने पर भगवान की आकृति नजर आती है। दोस्तों यहां पर भगवान "बद्री विशाल" "शालिग्राम" मूर्ति के रूप में विराजमान है।







दोस्तों पौराणिक कथा के अनुसार जब कलयुग के अंत में यहां मौजूद नर और नारायण पर्वत के आपस में मिलने पर बद्रीनाथ धाम का रास्ता अवरुद्ध व दुर्गम हो जाएगा तब भगवान बद्रीनाथ इसी प्राचीन व प्रसिद्ध "भविष्य के बद्री" मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।यानी दोस्तों बद्रीनाथ मंदिर के बजाय इस प्राचीन "भविष्य के बद्री" मंदिर में भगवान बद्रीनाथ की पूजा पाठ की जाएगी ।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि "भविष्य के बद्री" मंदिर में "भगवान विष्णु" के अवतार भगवान "नरसिंह" की मूर्ति की पूजा की जाती है।
 
 "भविष्य के बद्री नाथ मंदिर तक पहुंचने की मार्ग।"

 दोस्तों आप सभी "भविष्य के बद्री मंदिर" , मोटर वाहन यानी कार के द्वारा जोशीमठ से लगभग 11 किलोमीटर दूर "सलधर" बाजार तक जा सकते हैं और आगे मंदिर तक की यात्रा लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पैदल व ट्रेकिंग के द्वारा पूरा किया जाता हैजो थोड़ा दुर्गम और कठिन है लेकिन जब आप मंदिर तक पहुंच जाते हो तो मन को एक अजीब सी शांति प्रदान होती है।

" मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय"

 दोस्तों "भविष्य की बद्री" जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई और सितंबर से नवंबर है  क्योंकि दोस्तों मानसून और सर्दियों में "भविष्य बद्री" मंदिर की यात्रा के लिए आदर्श मौसम नहीं है दोस्तों भविष्य बद्री धाम अपनी विशाल प्राकृतिक सुंदरता के कारण भक्तों के मन को मोह लेती है।और दूसरी तरफ भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति  चट्टान पर प्राकृतिक रूप से उभर रही है। दोस्तों अलौकिक रूप से "भविष्य बद्री" की मूर्ति साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। 

      दोस्तों जिस तिथि को "बद्रीनाथ" मंदिर का कपाट खुलता है , उसी तिथि को "भविष्य बद्री" मंदिर की भी कपाट खोली जाती है।यानी दोस्तों प्रत्येक वर्ष 15 मई को सुबह 4:30 पर तीर्थ यात्रियों के लिए मंदिर का कपाट खोल दिया जाता है।










         धन्यवाद दोस्तों

  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

































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