Saturday, May 8, 2021

एक यात्रा रणकपुर के जैन मंदिर की।दोस्तों यह रणकपुर के जैन मंदिर है ।दोस्तों इस मंदिर की भव्यता एवं सुंदरता की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है दोस्तों आप तस्वीरों में देख सकते हो कि पत्थरों पर इतनी बेहतरीन कलाकारी की गई है कि शायद इतनी सुंदर कलाकारी तो कागज पर भी ना बन सके। दोस्तों यह मंदिर राणा कुंभा के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। दोस्तों इस मंदिर को धरना शाह नाम के जैन ने बनाया था -रणकपुर जिला पाली राजस्थान भारत A visit to the Jain temple of Ranakpur. Friends, this is the Jain temple of Ranakpur. Friends, the magnificence and beauty of this temple is as much as the friends are praised, you can see in the pictures that the stone has such fine artwork that maybe Such beautiful artwork could not be made even on paper. Friends, this temple was built during the reign of Rana Kumbha. Friends, this temple was built by a Jain named Dharna Shah - Ranakpur District Pali Rajasthan India.

Ek yatra khajane ki khoje

















                रणकपुर के प्राचीन जैन मंदिर की विहंगम दृश्य

           A panoramic view of the ancient Jain temple of Ranakpur
















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं राजस्थान के पाली जिले में अरावली पर्वत की घाटियों  के मध्य स्थित रणकपुर में जैन तीर्थंकर  ऋषभदेव के चतुर्मुखी जैन मंदिर की यात्रा पर। दोस्तों चारों ओर  घने जंगलों से घिरे इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है ।तो आइए दोस्तों चलते हैं रणकपुर के जैन मंदिर की यात्रा पर।









         रणकपुर जैन मंदिर

       जिला -पाली -राजस्थान

               भारतवर्ष








 नमस्कार दोस्तों भारतवर्ष के राजस्थान राज्य में स्थित रणकपुर जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। दोस्तों यह स्थल खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। दोस्तों इन मंदिरों का निर्माण 15 वी शतब्दी में महाराजा राणा कुंभा के शासनकाल में किया गया था। दोस्तों महाराजा राणा कुंभा के नाम पर ही इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा है। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां के जैन मंदिर प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत धरोहर है। दोस्तों केवल रणकपुर में ही नहीं बल्कि इसके आसपास के क्षेत्रों में भी अनेक प्राचीन मंदिर मौजूद है। दोस्तों सबसे बड़ी बात यह है कि यहां जैन धर्म में आस्था रखने वालों के साथ-साथ वास्तुशिल्प में दिलचस्पी रखने वालों को भी रणकपुर बहुत ही पसंद है।
               दोस्तों रणकपुर का जैन मंदिर का मुख्य मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित चौमुखा मंदिर है।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह मंदिर चारों दिशाओं में खुलता है दोस्तों प्राचीन ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण सन 1440 में किया गया था। दोस्तों खूबसूरत संगमरमर के पत्थरों से बने इस अद्भुत व  खूबसूरत मंदिर में 29 विशाल कमरे मौजूद हैं। जहां दोस्तों 1444 खंभे लगे हुए हैं।दोस्तों इन खंभों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सभी खंभे एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न है।दोस्तों अद्भुत रूप से मंदिर के पास के गलियारे में बने मंडपों में सभी 24 तीर्थंकरों की तस्वीरें उकेरी गई है।




















      दोस्तों इन सभी मंडपों में शिखर बने हुए हैं।और इन शिखरों के ऊपर घंटियां लगी हुई है। दोस्तों अद्भुत रूप से जब हवाएं चलने लगती है तब इन घंटियों की आवाज पूरे मंदिर परिसर में गूंजने लगती है जिससे यहां का वातावरण शुद्ध एवं पवित्र हो जाती है।
       दोस्तों मंदिर परिसर में ही जैन तीर्थंकर नोमीनाथ  और जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित 2 मंदिर हैं दोस्तो इन मंदिरों की अद्भुत नक्काशी देखकर खजुराहो की याद आ जाती है।
           
       दोस्तों मंदिर परिसर लगभग 40000 वर्ग फीट में फैला है दोस्तों जैसा कि ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि करीब 600 वर्ष पूर्व 1440 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला था। दोस्तों उस जमाने में इस मंदिर के निर्माण में करीब 7700000 रुपए का खर्च आया था।
         दोस्तों मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार बने हुए हैं दोस्तों साथ ही मंदिर के मुख्य गृह में जैन तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियां मौजूद हैं। दोस्तों करीब 72 इंच ऊंची यह मूर्तियां चार अलग-अलग दिशाओं की ओर उन्मुख है। इसी कारण से इस मंदिर को चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है। दोस्तों इसके अलावे मंदिर में 76 छोटे-छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान व चार बड़े प्रार्थना कक्ष एवं चार बड़े पूजा स्थल मौजूद हैं।दोस्तों ये सभी आश्चर्यजनक रूप से मनुष्यों को जीवन- मृत्यु की 8400000 जीवयोनियो से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
























दोस्तों आप देखोगे कि उस समय के मंदिर के निर्माताओं ने जहां कलात्मक दो मंजिला भवन का निर्माण किया और वही भविष्य में किसी संकट का गहन अनुमान लगाते हुए कई गुप्त तहखाने भी बनाएं। ताकि इन तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सके।यानी दोस्तों देखा जाए तो ये तहखाने मंदिर के निर्माताओं के निर्माण संबंधी दूरदर्शिता का परिचय देते हैं।

              दोस्तों साथ ही मंदिर के उत्तर क्षेत्र में रायन पेड़ स्थित है। दोस्तों इसके अलावे संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पदचिन्ह मौजूद हैं दोस्तों ये सभी भगवान ऋषभदेव एवं शंत्रुजय की शिक्षाओं को याद दिलाते हैं।
            दोस्तों कुछ भी हो रणकपुर की प्राचीन जैन मंदिर अपनी विशालता एवं भव्यता को लिए हुए आज भी शान से खड़ी है।

  दोस्तों आप रणकपुर की प्राचीन जैन मंदिर की यात्रा वायु मार्ग , रेल मार्ग और सड़क मार्ग के द्वारा कर सकते हैं। 
 
 वायु मार्ग -  नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर है। दिल्ली और मुंबई से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।

 रेल मार्ग -   दोस्तों निकटतम रेलवे स्टेशन फालना व रानी जिला पाली है ।यहां के लिए सभी प्रमुख शहरों को जाने वाली रेल गाड़ियां उपलब्ध है। 

 सड़क मार्ग -  दोस्तों रणकपुर उदयपुर से केवल 98 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह स्थान देश के प्रमुख शहरों से सड़कों के जरिए जुड़ा हुआ है।











            धन्यवाद दोस्तों

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗 






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        English translate
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 Hello friends, I heartily greet all of you mountain-legged Mahendra friends. Today I am taking you on a journey to the Chaturmukhi Jain temple of Jain Tirthankara Rishabhdev in Ranakpur, situated amidst the valleys of Aravalli mountain in Pali district of Rajasthan.  Friends see the grandeur of this temple surrounded by dense forests. So let's go on a visit to the Jain temple of Ranakpur.









 Ranakpur Jain Temple


 District - Pali - Rajasthan


 India



 Namaskar Friends, Ranakpur is one of the five major pilgrimage sites of Jainism located in the Indian state of Rajasthan.  Friends, this place is world famous for beautifully carved ancient Jain temples.  Friends, these temples were built in the 15th century under the reign of Maharaja Rana Kumbha.  Friends, this place is named Ranakpur after the name of Maharaja Rana Kumbha.  Friends, you will be surprised to know that the Jain temple here is a wonderful heritage of ancient Indian architecture.  Friends, many ancient temples exist not only in Ranakpur but also in the surrounding areas.  Friends, the biggest thing is that those who believe in Jainism as well as those who are interested in architecture, like Ranakpur very much.

 Friends, the main temple of Jain temple of Ranakpur is the Chaumukha temple dedicated to the first Jain Tirthankara Adinath. Friends, you will be surprised to know that this temple opens in all four directions. Friends. Ancient historical documents show that this temple was built in 1440.  .  Friends, there are 29 spacious rooms in this wonderful and beautiful temple made of beautiful marble stones.  Where the Friends are mounted 1444 pillars. Friends, the biggest feature of these pillars is that all these pillars are totally different from each other. The friends are amazingly carved pictures of all 24 Tirthankaras in the mandapas built in the corridors near the temple.























 Friends are the pinnacle in all these pavilions, and there are bells above these peaks.  Friends, when the winds start to move amazingly, then the sound of these bells starts echoing throughout the temple premises, which makes the atmosphere here pure and pure.

 There are 2 temples dedicated to Jain Tirthankara Nominath and Jain Tirthankara Parshvanath in the Friends temple complex itself. Friends remember Khajuraho by seeing the amazing carvings of these temples.









 The Friends temple complex is spread over about 40000 sq. Ft. Friends, as historical sources reveal, the construction work of this temple started in 1440 AD about 600 years ago which lasted for more than 50 years.  Friends, at that time the cost of construction of this temple was about 7700000 rupees.

 There are four artistic gateways in the Friends temple. Friends, there are four huge marble statues of Jain Tirthankara Adinath made of marble in the main house of the temple.  Friends, this sculpture about 72 inches high is oriented towards four different directions.  For this reason, this temple is called Chaturmukh Temple.  Friends, in addition to this, there are 76 small domed sanctum and four big prayer halls and four big places of worship in the temple. All these amazingly inspire humans to attain salvation by getting 8400000 lives of life and death.  is.






















 Friends, you will see that the makers of the temple of the time where the artistic two-storey building was built, and in the same way, build a secret basement in anticipation of any future crisis.  So that the holy idols can be kept safe in these cellars. If friends are seen, then these cellars show the foresight of the construction of the temple's builders.


 Friends, as well as the Ryan tree is located in the north area of ​​the temple.  In addition to the friends, the footprints of Lord Rishabhdev are present on the piece of marble. Friends, all these remind the teachings of Lord Rishabhdev and Shantrujay.

 Whatever be the friends, the ancient Jain temple of Ranakpur is still standing today with its grandeur and grandeur.


 Friends, you can visit the ancient Jain temple of Ranakpur by air, rail and road.



  By aeroplane - The nearest airport is Udaipur.  There are regular flights to here from Delhi and Mumbai.


  Rail route - Friends, the nearest railway station is Falna and Rani district Pali. There are trains available to all major cities.


  By road - Friends Ranakpur is located only 98 km from Udaipur, this place is connected by road to major cities of the country.




















        Thanks guys


 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗



















 Mountain Leopard                  Mahindra 🧗🧗

















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