दोस्तों ट्रेकिंग के रोमांच संग प्रभु गणेश के दर्शन का अद्भुत अनुभव प्राप्त होता हैं दोस्तों बैलाडीला की पहाड़ी पर।
अद्भुत अलौकिक प्राचीनतम छत्तीसगढ़ में बस्तर की बैलाडीला पहाड़ी पर विराजमान हैं ढोलकल गणेश भगवान
दोस्तों आपको पता है यानी आपको मालूम ही होगा कि प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की हजारों प्रतिमाएं देश के हर एक क्षेत्र में स्थापित है। लेकिन दोस्तों छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 3385 फ़ीट ऊंचे ढोलकल पहाड़ी के शिखर पर स्थापित भगवान गणेश की विध्न विनाशक प्रतिमा मध्य भारत की एकमात्र भगवान गणेश की प्रतिमा है जो इतनी उंचाई पर विराजमान हैं। दोस्तों घने जंगल और ऊंची पहाड़ी पर ट्रैकिंग के अद्भुत रोमांच के बाद प्रभु गणेश के दर्शन का अद्भुत सुख मिलता है यहां।
दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दक्षिण बस्तर में मौजूद 14 पहाड़ियों में इस अद्भुत पहाड़ी की आकृति भगवान शिव के वाहन नंदी की पीठ जैसी है दोस्तों इसलिए यह क्षेत्र बैलाडीला कहलाता हैं।
🔶 पौराणिक दंतकथा - दोस्तों पुराणों में दर्ज हैं कि यहां मौजूद बैलाडीला पहाड़ी के नंदीराज शिखर पर भगवान शिव समाधी में लीन रहा करते थे । अतः एक दिन उन्होंने अपने पुत्र गणेश से कहा कि वे समाधी में जा रहे हैं अतः कोई विध्न या परेशान न करे। और भगवान शिव समाधी में लीन हो जाते हैं । और भगवान गणेश उनके सुरक्षा में लग जाते हैं।
दोस्तों कुछ समय बाद भगवान परशुराम वहां पहुंचते हैं अपने आराध्य भगवान शिव से मिलने की इच्छा लेकर और उस पर्वत शिखर की ओर बढ़ने लगते हैं जहां भगवान शिव समाधी में लीन थे ।यह सब देख कर भगवान गणेश उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं और दोनों के बीच महासंग्राम शुरू हो जाता है जिससे क्रोध में आकर भगवान परशुराम ने अपने फरसे वार कर देते हैं जिससे भगवान गणेश का एक दांत कटकर पहाड़ी के नीचे गिर जाता है। दोस्तों इसी समय से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे । और पहाड़ के नीचे का गांव फरसपाल कहलाया।
🔶 माना जाता है कि नृपतिभूषण ने की थी स्थापित - दोस्तों छिंदक नागवंशीय नरेश नृपतिभूषण को वर्ष 1023 ईस्वी में ढोलकल शिखर पर बाल गणेश और भगवान परशुराम के मध्य हुएं युद्ध की घटना का पता चला तो उन्होंने शिखर पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पौराणिक घटनाओं को चिरस्थाई करने की पहल की। दोस्तों भगवान गणेश की यह प्रतिमा दक्षिण भारतीय शैली में , ललिता आसन मुद्रा में काली चट्टान पर उकेरी गई है। दोस्तों मूर्ति 36 इंच ऊंची और 19 चौड़ी है।
🔶 दोस्तों असमाजिक तत्वों ने गणेश भगवान की मूर्ति को नीचे फेंक दिया था। - दोस्तों 25 जनवरी 2017 को कुछ असमाजिक तत्वों ने गणेश भगवान की मूर्ति को तोड़ कर नीचे खाई में फेंक दिया था। तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के टीम ने भगवान गणेश के प्रतिमा के सभी टुकड़ों को खोजा और जोड़कर पुनः उनके स्थान पर स्थापित किया। दोस्तों इस घटनाक्रम के बाद पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ गई।
🔶 दोस्तों 2012 इस तरह सामने आईं भगवान गणेश की प्रतिमा - दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि भगवान गणेश की इस प्रतिमा का इतिहास काफी पुराना है लेकिन दोस्तों काफी लंबे कालखंड के लिए यह आंखों से ओझल सा हो गई थी।और काफी लंबे अरसे बाद सितंबर 2012 में एक संवाददाता ने भगवान गणेश की प्रतिमा को फिर से देश दुनिया के सामने लें आए। दोस्तों जब जानकारी मिली कि ढोलकल पहाड़ी के शिखर पर भगवान गणेश की प्राचीन मूर्ति है तो वे लोग इसकी खोज में निकल पड़े। दोस्तों जब वे सभी फरसपाल पहुंचे तो ग्रामीण हंसने लगे क्योंकि बरसात के मौसम में पहाड़ पर चढ़ना काफी कठिन होता है। फिर भी किसी तरह वे सभी शिखर पर पहुंचे तब दुनिया के सामने आई ढोलकल गणेश भगवान की जानकारी।
🔶 दोस्तों सूर्य मंदिर की चट्टान से होता है नंदराज का सुखद दर्शन - दोस्तों जैसे ही आप ढोलकल शिखर पर पहुंचेंगे , तो आपको दूर दूर तक हरियाली से ढंकी पहाड़ियां नज़र आएंगी। दोस्तों ढोलकल शिखर के बाईं ओर की चट्टान पर कभी सूर्य देव का मंदिर हुआ करता था। लेकिन कुछ असमाजिक तत्वों ने मंदिर को तोड़कर उसमें स्थापित भगवान सूर्य की मूर्ति को गायब कर दिया है लगभग 25 वर्षों से भगवान सूर्य की अष्टधातु की मूर्ति गायब है। दोस्तों इसी चट्टान के पीछे नन्दी जैसी आकृति वाली दुसरा शिखर हैं जिसे नन्दी राज कहते हैं। दोस्तों बैलाडीला क्षेत्र में रहने वाले लोग इसे नंद राज कहकर पूजा करते हैं दोस्तों इस शिखर पर पहुंचना काफी कठीन है इसलिए अधिकांश लोग सूर्यदेव मंदिर की चट्टान पर खड़े होकर नंदी महाराज की आराधना करते हैं।
धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।
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English Translat
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Friends get a wonderful experience of seeing Lord Ganesha with the thrill of trekking, friends on the hill of Bailadila.
Wonderful supernatural being situated on the Bailadila hill of Bastar in the oldest Chhattisgarh, Lord Dholkal Ganesh
Friends, you know that means you must know that thousands of statues of the first revered Lord Ganesha are installed in every area of the country. But friends, the destroyer statue of Lord Ganesha, established on the summit of 3385 feet high Dholkal hill in Bastar district of Chhattisgarh, is the only idol of Lord Ganesha in central India who is seated at such a height. Friends, after the wonderful adventure of trekking on the dense forest and high hill, one gets the wonderful pleasure of seeing Lord Ganesha here.
Friends, you will be surprised to know that among the 14 hills present in South Bastar, the shape of this wonderful hill is like the back of Nandi, the vehicle of Lord Shiva, hence this area is called Bailadila.
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Mythical legend - Friends are recorded in the Puranas that Lord Shiva used to be absorbed in the samadhi on the Nandiraj peak of Bailadila hill present here. So one day he told his son Ganesha that he was going to Samadhi, so no one should disturb or disturb him. And Lord Shiva gets absorbed in Samadhi. And Lord Ganesha gets involved in their protection.
Friends, after some time Lord Parashuram reaches there with the desire to meet his beloved Lord Shiva and starts moving towards the mountain peak where Lord Shiva was absorbed in the samadhi. Lord Ganesha tries to stop him and both of them are seen. In between, a great battle ensues, due to which Lord Parashurama, in anger, stabs his ax, cutting off a tooth of Lord Ganesha and falling down the hill. Friends, from this time Lord Ganesha started being called Ekadanta. And the village under the mountain was called Faraspal.
🔶 It is believed that Nripatibhushan had established - Friends, Chhindak Nagvanshi Naresh Nripatibhushan came to know about the incident of war between Bal Ganesh and Lord Parashuram on the Dholkal peak in the year 1023 AD, then he installed the idol of Lord Ganesha on the summit and told the mythological events. Endeavoring initiative. Friends, this idol of Lord Ganesha is carved on a black rock in the South Indian style, in Lalita posture posture. Friends, the idol is 36 inches high and 19 wide.
🔶 Friends, anti-social elements had thrown down the idol of Lord Ganesha. Friends, on January 25, 2017, some anti-social elements broke the idol of Lord Ganesha and threw it into the ditch below. Then the team of Archaeological Survey of India found all the pieces of the idol of Lord Ganesha and re-installed them in their place. Friends, after this development, the number of tourists and devotees increased manifold.
🔶 Friends 2012, the statue of Lord Ganesha appeared in this way - Friends, as you must know that the history of this statue of Lord Ganesha is very old, but friends, it was lost from the eyes for a long period of time. And after a long time. In September 2012, a reporter brought the statue of Lord Ganesha again to the world. Friends, when they got information that there is an ancient idol of Lord Ganesha on the top of Dholkal hill, they set out in search of it. Friends, when they all reached Farspal, the villagers started laughing because it is very difficult to climb the mountain during the rainy season. Yet somehow they all reached the summit, then the information of Lord Dholkal Ganesh came in front of the world.
🔶 Friends, there is a pleasant sight of Nandraj from the rock of the Sun temple. Friends, there used to be a temple of Sun God on the rock on the left side of Dholkal peak. But some anti-social elements have vandalized the idol of Lord Surya installed in the temple and the Ashtadhatu idol of Lord Surya has been missing for almost 25 years. Friends, behind this rock there is another peak with a shape like Nandi, which is called Nandi Raj. Friends, people living in Bailadila area worship it as Nand Raj, friends, it is very difficult to reach this peak, so most of the people stand on the rock of Suryadev temple and worship Nandi Maharaj.
Thanks guys that's all for today.
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