Sunday, August 2, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग-रमप्पा मंदिर (पालमपेट दक्षिण भारत)। A visit to the mountain-leopard Mahendra's Sang-Ramappa temple (Palampet South India)

Ek yatra khajane ki khoje



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । रामप्पा मंदिर की यात्रा पर जो कि अपने अद्भुत नक्काशी और बेसाल्ट पत्थरों के बने होने के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं।





                        रामप्पा मंदिर
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              पालमपेट  दक्षिण भारत
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                          भारत वर्ष के हिन्दू मंदिर की भव्यता देखो
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इस मंदिर की मूर्तियों और छत के अंदर जो पत्थर उपयोग किया गया है वह है बेसाल्ट जो कि पृथ्वी पर सबसे मुश्किल पत्थरों में से एक है इसे आज की आधुनिक Diamond electron machine ही काट सकती है वह भी केवल 1 इंच प्रति घंटे की दर से

अब आप सोचिये कैसे इन्होंने 900 साल पहले इस पत्थर पर इतनी बारीक कारीगरी की है

यहां पर एक नृत्यांगना की मूर्ति भी है जिसने हाई हील पहनी हुई है

सबसे ज्यादा अगर कुछ आश्चर्यजनक है वह है इस मंदिर की छत यहां पर इतनी बारीक कारीगरी की गई है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है

मंदिर की बाहर की तरफ जो पिलर लगे हुए हैं उन पर कारीगरी देखिए दूसरा उन की चमक और लेवल में कटाई

मंदिर के प्रांगण में एक नंदी भी है जो भी इसी पत्थर से बना हुआ है और उस पर जो कारीगरी की हुई है वह भी बहुत अद्भुत है

पुरातात्विक टीम जब यहां पहुंची तो वह इस मंदिर की शिल्प कला और कारीगिरी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रहे थे कि यह पत्थर क्या है और इतने लंबे समय से कैसे टिका हुआ है

पत्थर इतना सख्त होने के बाद भी बहुत ज्यादा हल्का है और वह पानी में तैर सकता है इसी वजह से आज इतने लंबे समय के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है

यह सब आज के समय में करना असंभव है इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी होने के बाद भी तो 900 साल पहले क्या इनके पास मशीनरी नहीं थी?

उस समय की टेक्नोलॉजी आज से भी ज्यादा आगे थी
यह सब इस वजह से संभव था कि उस समय वास्तु शास्त्र और शिल्पशास्त्र से जुड़ी हुई बहुत सी किताबें उपलब्धि थी जिनके माध्यम से ही यह निर्माण संभव हो पाये उस समय के जो इंजीनियर थे उनको इस बारे में लंबा अनुभव था क्योंकि सनातन संस्कृति के अंदर यह सब लंबे समय से किया जा रहा है

मंदिर शिव को समर्पित है

मंदिर का नाम इसके शिल्पी के नाम पर रखा हुआ है क्योंकि उस समय के राजा शिल्पी के काम से बहुत ज्यादा खुश हुए और उन्होंने इस मंदिर का नाम शिल्पी के नाम पर ही रख दिया

Ramappatemple
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                              धन्यवाद दोस्तों
                  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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                         English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, I am taking you on today's journey.  Visit to Ramappa temple which is world famous due to its amazing carvings and basalt stones.






 Ramappa Temple

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 Palampet South India

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 See the grandeur of the Hindu temple of India

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 The stone used in the statues and roof of this temple is basalt which is one of the toughest stones on earth, it can be cut only by today's modern Diamond electron machine, that too at the rate of only 1 inch per hour.


 Now you think how they have done such fine workmanship on this stone 900 years ago.


 There is also a statue of a dancer who is wearing a high heels.


 The most amazing thing is that the roof of this temple has been done with such fine workmanship, whose beauty is made on seeing it.


 Look at the workmanship on the pillars which are on the outside of the temple, secondly they are cut in brightness and level.


 There is also a Nandi in the courtyard of the temple which is also made of this stone and the workmanship done on it is also very amazing.


 When the archaeological team arrived here, she was very much impressed by the craftsmanship and artisanship of this temple but he could not understand one thing about what this stone is and how it has been for so long.


 Even after being so hard, the stone is very light and it can float in the water, due to this, there is no damage to the temple even after such a long time.


 It is impossible to do all this in today's time, even after having such good technology, did they not have machinery 900 years ago?


 The technology at that time was even further than today.

 All this was possible due to the achievement of many books related to Vastu Shastra and Shilpasastra at that time, through which this construction could be made possible.  It's been done for a long time


 The temple is dedicated to Shiva


 The temple is named after its craftsman, because the king of that time was very happy with the work of Shilpi and he named this temple after the artist.

                      Thank you friends
                  Mountain lappord Mahendra
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Saturday, August 1, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- कैलाश मंदिर महाराष्ट्र भारत। A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Kailash Temple Maharashtra India

Ek yatra khajane ki khoje

नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं कैलाश मंदिर महाराष्ट्र की यात्रा पर और कैलाश मंदिर की अनछुई पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे। दोस्तों कैलाश मंदिर बहुत ही अद्भुत और अलौकिक एवं रहस्यमई मंदिर हैं । और इसके नीचे बहुत सी गुफाओं की जाल बिछा हुआ है। जिसकी खोज करनी अभी बाकी है। माना जाता है कि इन गुफाओं में अभी भी  बहुत सारे साधु और संन्यासी  समाधी में लिन हैं। प्राचीन काल से। और सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में कैसे किया गया होगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि एक पुरे पहाड़ को उपर से नीचे की ओर काट कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।  अंदाज लगाया जा सकता हैं दोस्तों की उस जमाने की निर्माण कला कितनी उन्नत रही होगी। जो आज की इंजिनियरिंग को फेल कर सकती थी। 🙏🙏

                                 कैलाश मंदिर
                                महाराष्ट्र
                               भारत
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                             कैलाश मंदिर - जिसके आश्चर्यों को मिटाने के लिए दुनियाँ के सात झूठे आश्चर्यों की लिस्ट तैयार की गई ।

जब यह भूखी नंगी दुनियाँ आदमखोरों और लुटेरों की जिंदगी जी रही थी तब हमारे पूर्वजों ने एक पहाड़ को काटकर इस मंदिर का निर्माण कर पूरी दुनियाँ को हैरान कर दिया था ।

अपने आप में अद्वितीय इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) ने करावाया था ।

इसका निर्माण के लिए पहाड़ से 40000 हजार टन पत्थर काट कर निकाले गए एक अनुमान के मुताबिक अगर 7000 कारीगर प्रतिदिन मेहनत करें तो लगभग 150 वर्षों में इस मंदिर का निर्माण कर सकेंगे लेकिन इस मंदिर का निर्माण केवल 18 वर्षों में ही कर लिया गया । जरा सोचिए आधुनिक क्रेन और पत्थरों को काटने वाली बड़ी-बड़ी मशीनों की गैर मौजूदगी में ऐसे कौन से उपकरणों का इस्तेमाल किया गया जिनकी वजह से मंदिर निर्माण में इतना कम समय लगा ।

जहाँ दुनियाँ के सारे निर्माण नीचे से ऊपर की ओर पत्थरों को जोड़कर किये गए हैं वहीं इस मंदिर को बनाने के लिए एक विशाल पर्वत को ऊपर से नीचे की ओर काटा गया है ।

आधुनिक समय में एक बिल्डिंग के निर्माण में भी 3D डिजाइन साफ्टवेयर , CAD साफ्टवेयर, और सैकड़ो ड्राइंग्स की मदद से उसके छोटे मॉडल्स बनाकर रिसर्च की जरूरत होती है फिर उस समय हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण कैसे सुनिश्चित किया होगा ?

हैरान करने वाली बात है कि पर्वत को काटकर निकाले गए लगभग 40000 टन पत्थर पत्थर आसपास के 50KM के इलाके में भी कहीं नहीं मिलते, आखिर इतनी भारी मात्रा में निकाले गए पत्थरों को किसकी सहायता से और कितनी दूर हटाया गया होगा ।

जरूरी स्थानों पर खंभे, दो निर्माणों के बीच में पुल, मंदिर टावर, महीन डिजाइन वाली खूबसूरत छज्जे, गुप्त अंडरग्राउंड रास्ते, मंदिरों में जाने के लिए सीढ़ियां और पानी को स्टोर करने के लिए नालियाँ, इन सभी का ध्यान पर्वत को ऊपर से नीचे की ओर काटते हुए कैसे रखा गया होगा ?

इस निर्माण को आप कुछ इस तरह से समझ सकते हैं कि जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर को तराशकर मूर्ति का निर्माण करता है वैसे ही हमारे पूर्वजों ने एक पर्वत को तराशकर ही इस मंदिर का निर्माण कर दिया गया ।





              धन्यवाद दोस्तों
    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, on today's journey I am taking you all on a visit to Kailash Temple Maharashtra and will try to know the untouched aspects of Kailash Temple.  Friends Kailash Temple is very amazing and supernatural and mysterious temple.  And there are many caves under it.  Which is yet to be discovered  It is believed that there are still many sadhus and ascetics in these caves.  Since ancient times.  And the most surprising is how this temple would have been constructed in ancient times.  And the biggest thing is that this temple has been constructed by cutting an entire mountain from top to bottom.  It can be guessed that the construction art of that era of friends must have been so advanced.  Which could fail today's engineering.  🙏🙏🙏🙏🙏


 Kailash Temple

 Maharashtra

 India

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 Kailash Temple - To remove its wonders, a list of seven false wonders of the world has been prepared.


 When this hungry naked world was leading the life of man-eaters and robbers, our ancestors surprised the whole world by cutting a mountain and building this temple.


 This temple, unique in itself, was built by King Krishna (I) of Rashtrakuta dynasty.


 According to an estimate, if 7000 artisans work hard every day by cutting 40,000 thousand tons of stone from the mountain for its construction, it will be able to build this temple in about 150 years, but this temple was constructed only in 18 years.  Just imagine what such devices were used in the absence of modern cranes and big stone cutting machines, which took so little time to build the temple.


 While all the construction of the world has been done by adding stones from the bottom to the top, a huge mountain has been cut from the top to the bottom to make this temple.


 In modern times, the construction of a building also requires research by making small models with the help of 3D design software, CAD software, and hundreds of drawings, then how would our ancestors have ensured the construction of this temple at that time?


 Surprisingly, about 40000 tonnes of stone cut out of the mountain are not found anywhere in the surrounding area of ​​50KM, after whose help and how far the huge amount of stones removed would have been removed.


 The pillars at important places, the bridge between the two constructions, the temple towers, the finely designed balconies, the secret underground pathways, the stairways to visit the temples and the drains to store the water, all of them focus on the mountain top to bottom.  How would it have been kept cutting?


 You can understand this construction in such a way that this temple was built by our ancestors carving a mountain, just as a sculptor carved a statue by carving a stone.






 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra





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Friday, July 31, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- भारतीय गांवों की प्राकृतिक हैंडसैनीटाइजर। A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Natural Handsainizer of Indian Villages

Ek yatra khajane ki khoje







          नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा में मैं आपको सदियों से उपयोग में लाई जाने वाली  प्राकृतिक हैंडसैनीटाइजर की ओर ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूं जो अभी भी गांवों में उपयोग में लाई जाती हैं। 





                          भारतीय रसोई के चूल्हे की राख में ऐसा क्या था कि, वह पुराने जमाने का Hand Sanitizer थी ...?
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उस समय Hand Sanitizer नहीं हुआ करते थे, तथा साबुन भी दुर्लभ वस्तुओं की श्रेणी आता था। उस समय हाथ धोने के लिए जो सर्वसुलभ वस्तु थी, वह थी चूल्हे की राख। जो बनती थी लकड़ी तथा गोबर के कण्डों के जलाये जाने से। चूल्हे की राख का रासायनिक संगठन है ही कुछ ऐसा ।
आइये चूल्हे की राख का वैज्ञानिक विश्लेषण करें। इस राख में वो सभी तत्व पाए जाते हैं, वे पौधों में भी उपलब्ध होते हैं। इसके सभी Major तथा Minor Elements पौधे या तो मिट्टी से ग्रहण करते हैं या फिर वातावरण से। इसमें सबसे अधिक मात्रा में होता है Calcium.

इसके अलावा होता है Potassium, Aluminium, Magnesium, Iron, Phosphorus, Manganese, Sodium तथा Nitrogen. कुछ मात्रा में Zinc, Boron, Copper, Lead, Chromium, Nickel, Molybdenum, Arsenic, Cadmium, Mercury तथा Selenium भी होता है ।
राख में मौजूद Calcium तथा Potassium के कारण इसकी ph क्षमता ९.० से १३.५ तक होती है। इसी ph के कारण जब कोई व्यक्ति हाथ में राख लेकर तथा उस पर थोड़ा पानी डालकर रगड़ता है तो यह बिल्कुल वही माहौल पैदा करती है जो साबुन रगड़ने पर होता है।

जिसका परिणाम होता है जीवाणुओं और विषाणुओं का विनाश । आइये, अब मनन करें सनातन धर्म के उस तथ्य पर जिसे अब सारा संसार अपनाने पर विवश है। सनातन में मृत देह को जलाने और फिर राख को बहते पानी में अर्पित करने का प्रावधान है। मृत व्यक्ति की देह की राख को पानी में मिलाने से वह पंचतत्वों में समाहित हो जाती है ।
मृत देह को अग्नि तत्व के हवाले करते समय उसके साथ लकड़ियाँ और उपले भी जलाये जाते हैं और अंततः जो राख पैदा होती है उसे जल में प्रवाहित किया जाता है । जल में प्रवाहित की गई राख जल के लिए डिसइंफैकटैण्ट का काम करती है ।

इस राख के कारण मोस्ट प्रोबेबिल नम्बर ऑफ कोलीफॉर्म (MPN) में कमी आ जाती है और साथ ही डिजोल्वड ऑक्सीजन (DO) की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह स्पष्ट हो चुका है कि गाय के गोबर से बनी राख डिसइन्फैक्शन के लिए एक एकोफ़्रेंडली विकल्प है...
जिसका उपयोग सीवेज वाटर ट्रीटमैंट (STP) के लिए भी किया जा सकता है। सनातन का हर क्रिया कलाप विशुद्ध वैज्ञानिक अवधारणा पर आधारित है। इसलिए सनातन अपनाइए स्वस्थ रहिये ।

आपने देखा होगा कि नागा साधु अपने शरीर पर धूनी की राख मलते हैं जो कि उन्हें शुद्ध रखती है साथ ही साथ भीषण ठंडक से भी बचाये रखती है ।

                         धन्यवाद दोस्तों

      माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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                                    English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, in today's journey, I would like to draw attention to the natural hand sanitizer used for centuries which is still used in villages.






 What was it that in the ashes of Indian kitchen stove, it was an old-fashioned Hand Sanitizer…?

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 Hand Sanitizer was not available at that time, and soaps also came under the category of rare items.  At that time, the most common item for washing hands was the stove's ashes.  Which was made by burning wood and cow dung.  The chemical composition of the stove is something like this.

 Let's do a scientific analysis of the stove.  All those elements are found in this ash, they are also available in plants.  All its Major and Minor Elements plants are either taken from the soil or from the environment.  It contains the highest amount of Calcium.


 Also contains Potassium, Aluminum, Magnesium, Iron, Phosphorus, Manganese, Sodium and Nitrogen.  Zinc, Boron, Copper, Lead, Chromium, Nickel, Molybdenum, Arsenic, Cadmium, Mercury and Selenium are also present in some amounts.

 Due to the calcium and potassium present in the ash, its ph capacity varies from 7.0 to 13.5.  Due to this ph, when a person rubs with ashes in his hand and pours some water on it, it creates exactly the same atmosphere as when soap is rubbed.


 The result of which is the destruction of bacteria and viruses.  Come, now consider that fact of Sanatan Dharma, which is now forced to adopt the whole world.  There is a provision of burning the dead body in Sanatan and then offering the ashes in the flowing water.  By mixing the ashes of the dead person's body in water, it is absorbed in the five elements.

 While handing over the dead body to the fire element, wood and dung cakes are also burnt along with it and finally the ash that is produced is flown into the water.  The ash that flows in the water acts as a disinfectant for the water.


 This ash reduces the most probable number of coliform (MPN) and also increases the amount of dissolved oxygen (DO).  It has been clear in scientific studies that ash made from cow dung is an eco-friendly alternative for disinfection ...

 Which can also be used for sewage water treatment (STP).  Every activity of Sanatan is based on purely scientific concept.  Therefore, stay healthy, stay eternally.


 You must have seen that Naga sadhus rub fumes of fumigation on their body which keeps them pure as well as protecting them from the fierce cold.


 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra
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Thursday, July 30, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- टूटी झरना शिव धाम ( रामगढ़ झारखण्ड भारत)। A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Broken Waterfall Shiva Dham (Ramgarh Jharkhand India)

Ek yatra khajane ki khoje



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । झारखंड के एक बहुत ही अद्भुत, अलौकिक और अलौकिक उर्जावान शिवलिंग की दर्शन को जहां पहुंचते ही मन की सारी विकार दूर हो जाती है । और मन शांत हो जाती हैं। ‌🙏🙏🙏🙏


                   
            

                                  टूटी झरना
                               🙏🙏🙏🙏
                               रामगढ़ , झारखण्ड
                               🙏🙏🙏🙏🙏🙏
                                       भारत
                                        🙏🙏




                                 झारखंड के रामगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है. यह पूजा सदियों से चली आ रही है. माना जाता है कि इस जगह का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है. भक्तों की आस्‍था है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.अंग्रेजों के जमाने से जुड़ा है इतिहास
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है. मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे. पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा. अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया.शिव भगवान की होती है पूजा 
मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली. प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है. मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है.

मां गंगा की जल धारा का रहस्‍य
सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है. ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है. कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं. यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है. वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है.

दर्शन के लिए बड़ी संख्‍या में आते हैं श्रद्धालु 
लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है. भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं. इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है.

धन्यवाद दोस्तों आशा करता हूं आपलोगो को मेरा यह आलेख पसंद आया होगा। 

                         धन्यवाद दोस्तों

                  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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                                  English translate
                                  _________________




                      Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, I am taking you on today's journey.  When you reach the philosophy of a very wonderful, supernatural and supernatural energetic Shivling of Jharkhand, all the disorders of the mind disappear.  And the mind becomes calm.  4








 Broken waterfall

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 Ramgarh, Jharkhand

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 India

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 There is also a temple in Ramgarh, Jharkhand, where no one else does mother Ganga on the Shivling of Lord Shankar.  The specialty of the temple is that Jalabhishek takes place twelve months and twenty four hours of the year.  This worship has been going on for centuries.  It is believed that this place is also mentioned in the Puranas.  It is the belief of devotees that every wish sought here is fulfilled. History is associated with the era of English

 This ancient Shiva temple located in the Ramgarh district of Jharkhand is known as Broken waterfall.  The history of the temple is linked to 1925 and it is believed that the British were then working on laying railway lines from this area.  While digging for water, he saw something dome inside the ground.  The British carried out a complete excavation to know this and finally this temple was fully seen. Shiva is worshiped by God

 Shiva Linga of Lord Bhole was found inside the temple and a white colored statue of mother Ganga was found just above it.  The water from the idol of the statue continues to flow, which falls on the Shiva Linga, passing through the palm of his two hands.  Getting water out of the Ganges statue inside the temple itself has become a matter of curiosity.


 The mystery of the water stream of Maa Ganga

 The question is that after all this water is coming from itself.  This matter still remains a mystery.  It is said that Jalabhishek on the Shiva Linga of Lord Shankar and no one else does Ganga on her own.  Two hand pumps installed here are also surrounded by secrets.  Here people do not need to run a hand pump for water, instead of this, water always keeps falling down.  At the same time, a river passes near the temple which has become dry, but even in the scorching heat, water flows continuously from these hand pumps.


 Devotees come in large numbers to visit

 People come here from far and wide to worship and there is a flow of devotees throughout the year.  Devotees believe that in the Broken Waterfall Temple, any devotee who sees this wonderful form of God is fulfilled.  Devotees accept the water falling on the Shivling as Prasad and take it to their home and keep it.  With the acceptance of this, the mind becomes calm and gets strength to fight the miseries.


 Thanks guys I hope you liked this article.


 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra

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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...