Sunday, August 2, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग-रमप्पा मंदिर (पालमपेट दक्षिण भारत)। A visit to the mountain-leopard Mahendra's Sang-Ramappa temple (Palampet South India)

Ek yatra khajane ki khoje



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । रामप्पा मंदिर की यात्रा पर जो कि अपने अद्भुत नक्काशी और बेसाल्ट पत्थरों के बने होने के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं।





                        रामप्पा मंदिर
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              पालमपेट  दक्षिण भारत
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                          भारत वर्ष के हिन्दू मंदिर की भव्यता देखो
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इस मंदिर की मूर्तियों और छत के अंदर जो पत्थर उपयोग किया गया है वह है बेसाल्ट जो कि पृथ्वी पर सबसे मुश्किल पत्थरों में से एक है इसे आज की आधुनिक Diamond electron machine ही काट सकती है वह भी केवल 1 इंच प्रति घंटे की दर से

अब आप सोचिये कैसे इन्होंने 900 साल पहले इस पत्थर पर इतनी बारीक कारीगरी की है

यहां पर एक नृत्यांगना की मूर्ति भी है जिसने हाई हील पहनी हुई है

सबसे ज्यादा अगर कुछ आश्चर्यजनक है वह है इस मंदिर की छत यहां पर इतनी बारीक कारीगरी की गई है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है

मंदिर की बाहर की तरफ जो पिलर लगे हुए हैं उन पर कारीगरी देखिए दूसरा उन की चमक और लेवल में कटाई

मंदिर के प्रांगण में एक नंदी भी है जो भी इसी पत्थर से बना हुआ है और उस पर जो कारीगरी की हुई है वह भी बहुत अद्भुत है

पुरातात्विक टीम जब यहां पहुंची तो वह इस मंदिर की शिल्प कला और कारीगिरी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रहे थे कि यह पत्थर क्या है और इतने लंबे समय से कैसे टिका हुआ है

पत्थर इतना सख्त होने के बाद भी बहुत ज्यादा हल्का है और वह पानी में तैर सकता है इसी वजह से आज इतने लंबे समय के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है

यह सब आज के समय में करना असंभव है इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी होने के बाद भी तो 900 साल पहले क्या इनके पास मशीनरी नहीं थी?

उस समय की टेक्नोलॉजी आज से भी ज्यादा आगे थी
यह सब इस वजह से संभव था कि उस समय वास्तु शास्त्र और शिल्पशास्त्र से जुड़ी हुई बहुत सी किताबें उपलब्धि थी जिनके माध्यम से ही यह निर्माण संभव हो पाये उस समय के जो इंजीनियर थे उनको इस बारे में लंबा अनुभव था क्योंकि सनातन संस्कृति के अंदर यह सब लंबे समय से किया जा रहा है

मंदिर शिव को समर्पित है

मंदिर का नाम इसके शिल्पी के नाम पर रखा हुआ है क्योंकि उस समय के राजा शिल्पी के काम से बहुत ज्यादा खुश हुए और उन्होंने इस मंदिर का नाम शिल्पी के नाम पर ही रख दिया

Ramappatemple
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                              धन्यवाद दोस्तों
                  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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                         English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, I am taking you on today's journey.  Visit to Ramappa temple which is world famous due to its amazing carvings and basalt stones.






 Ramappa Temple

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 Palampet South India

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 See the grandeur of the Hindu temple of India

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 The stone used in the statues and roof of this temple is basalt which is one of the toughest stones on earth, it can be cut only by today's modern Diamond electron machine, that too at the rate of only 1 inch per hour.


 Now you think how they have done such fine workmanship on this stone 900 years ago.


 There is also a statue of a dancer who is wearing a high heels.


 The most amazing thing is that the roof of this temple has been done with such fine workmanship, whose beauty is made on seeing it.


 Look at the workmanship on the pillars which are on the outside of the temple, secondly they are cut in brightness and level.


 There is also a Nandi in the courtyard of the temple which is also made of this stone and the workmanship done on it is also very amazing.


 When the archaeological team arrived here, she was very much impressed by the craftsmanship and artisanship of this temple but he could not understand one thing about what this stone is and how it has been for so long.


 Even after being so hard, the stone is very light and it can float in the water, due to this, there is no damage to the temple even after such a long time.


 It is impossible to do all this in today's time, even after having such good technology, did they not have machinery 900 years ago?


 The technology at that time was even further than today.

 All this was possible due to the achievement of many books related to Vastu Shastra and Shilpasastra at that time, through which this construction could be made possible.  It's been done for a long time


 The temple is dedicated to Shiva


 The temple is named after its craftsman, because the king of that time was very happy with the work of Shilpi and he named this temple after the artist.

                      Thank you friends
                  Mountain lappord Mahendra
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