Monday, July 6, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




  • ताम्बाखानी गुफा का रहस्य

नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
  

जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी  तहखाने के अंदर मौजूद नदी को पार करके भुलभुलैया के पास पहुंच चुके थे । जहां पर हमे अपने पुरखों के द्वारा लड़े गये युद्ध की निशानी देखने को मिली ।करता बताऊं दोस्तो बहुत भयावह नजारा था यहां पर चारों ओर मानवों के कंकाल ही नज़र आ रहे थे । और हम सभी उन्हीं कंकालों के बीच से होकर हम सभी भुलभुलैया के मुहाने तक पहुंच  थे । और अब हमें इन्हीं भुलभुलईयो से होकर  सुरंग के मुहाने तक पहुंचना था ।
 पर समस्या यह थी कि अगर हम सभी इन भुलभुलइयो में भटक गये तो कभी बाहर नहीं निकल पायेंगे और हमारी कंकाले भी  इन्हीं भुलभुलईयो  में कहीं पड़ा मिलेगा।  तभी पिता श्री बोलते हैं कि कोई भी अलग अलग नहीं  नहीं होगा  हम सभी साथ साथ चलेंगे ताकि हम सभी एक दूसरे से बिछड़े नहीं।  और फिर हम सभी उस नक्शे को ध्यान से देखने लगें   जो उस  भुलभुलइयो का बना हुआ था  और उस नक्शे में हमें शिव लिंग स्पष्ट रूप से दिख रहा था  लेकिन स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि वह भुलभुलैया के किस भाग में मौजूद हैं । अतः दोस्तों हम सभी देर ना करते हुए भुलभुलैया में प्रवेश कर जाते हैं  एक अंजान  सा दिखने वाला सुरंग के मुहाने की तलाश में और उस अद्भुत शिवलिंग की खोज में जिसकी पूजा हमारे पुरखे किया करते थे ।  हम जैसे जैसे भुलभुलैया के अंदर जा रहे थे। हमारे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी  कि कहीं हम आपस में एक दूसरे से बिछड़ न जाते इसलिए हम सभी साथ साथ चल रहे थे । सबसे आगे मैं चल रहा था और सबसे पिछे राजा भाई ।  लगता है जैसे सदियों से इन गुफानुमा भुलभुलैया में कोई नहीं आया था  ।हर तरफ़ मकड़ियों का जाला और मरे हुए जानवरों के अवशेष पड़े
 हुए थे ।हम बीच बीच में नक्शा को देखते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। कि तभी हमें किसी जानवर की गुर्राने की आवाज सुनाई देती है जो तेजी से हमारी ओर बढ़ र‌ही थी ।  अतः हम सभी सावधान हो गऐ और हाथों में तलवार लेकर उस जानवर के पास आने का इंतजार करने लगे । तभी मामा श्री बोलते हैं जो भी जानवर है काफी बड़ा है और गुस्से में है  तभी अखिलेश भाई बोलते हैं कि जो भी हो  आज तो मैं उसे छोड़ने वाला नहीं हूं आज तो मैं उसका शिकार करके ही रहुंगा। अभी हम सभी बात ही कर रहे थे कि सामने से एक बहुत बड़ा  मगरमच्छ आता हुआ दिखाई पड़ा जो बहुत ही गुस्से में था और सिधे हम पर हमला करने वाला था  । लेकिन हम सब सावधान थे । जैसे ही उसने हम पर हमला किया वैसे ही अखिलेश और अजय ने उसके मुंह में जलती हुई मशाल डाल दिया । जिससे मगरमच्छ डर कर नदी की भागना शुरू कर दिया ।  बहुत ही अजीब सा मगरमच्छ था  लगभग 20फुट लम्बा और शरीर का रंग लाल था  जो इतनी अंधेरे में भी चमक रहा था ।  तभी पिता श्री बोलते हैं कि मैंने अपने जिंदगी में कभी ऐसा मगरमच्छ नहीं देखा था । अद्भुत था चलो जान बची हमारी । तभी राजा भाई बोलते हैं  देखो भाइयों मगरमच्छ जिस ओर से आया था  और उसके रेंगने से जमीन में निशान बन गया है  वह जहां से भी आया था वहां जरूर  पानी और किचड़ होगा तभी तो जमीन पर निशान बन गया है । शायद वहां पर शिव लिंग भी होगा । चलो हम इसी निशान का पिछा करते हैं हो सकता हैं शायद हम सब शिव लिंग तक पहुंच जाएं। तभी मामा जी बोलते हैं ठीक है चलो उस निशान का पिछा करते हैं और हम सभी मगरमच्छ के द्वारा बनें निशान का पिछा करते हुए आगे बढ़ने लगते हैं 





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 English translate


 Secret of Tambakhani Cave


 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.




 As friends yesterday, you read how all of us had crossed the river inside the cellar and reached near the maze.  Where we got to see the sign of war fought by our forefathers. Telling friends, there was a very frightening sight here, only the skeletons of humans were seen all around.  And we all reached the mouth of the labyrinth through the same skeletons.  And now we had to reach the mouth of the tunnel through these same faults.

 But the problem was that if all of us wandered in these forgetfulness, we would never get out and our skeletons would also be found somewhere in these forgetfulness.  Then Father Shri says that no one will be different, we will all walk together so that we are not separated from each other.  And then we all start to look carefully at the map which was made of that forgetfulness and in that map we could clearly see the Shiva Linga but it was not clear in which part of the forgetfulness it is present.  So friends, all of us, without delay, enter the labyrinth in search of a strange looking tunnel and in search of the wonderful Shivalinga that our ancestors worshiped.  As we were going inside the labyrinth.  Our heartbeat was increasing so that we would not get separated from each other, so we were all walking together.  At the forefront, I was walking and the last king brother.  It seems as if no one has come to these cave maze for centuries. The spider web and the remains of dead animals are everywhere.

 We were moving forward looking at the map in between.  That is when we hear the growling of an animal that was fast moving towards us.  So we all became cautious and started waiting for the animal to come to us with a sword in our hands.  Then uncle Mama speaks whatever animal is very big and angry, then brother Akhilesh says that whatever happens today, I am not going to leave him, today I will remain hunting him.  All of us were just talking that a huge crocodile was seen coming from the front, which was very angry and was going to attack us directly.  But we were all careful.  Akhilesh and Ajay put a burning torch in his mouth as soon as he attacked us.  Due to which the crocodile started running away from the river.  There was a very strange crocodile about 20 feet long and the body color was red, which was shining even in such darkness.  Then Father Shri says that I had never seen such a crocodile in my life.  Our life was amazing.  That is why the king says that brother, look at the brothers from which the crocodile came and because of its crawling, there has been a scar in the ground, wherever it came from, there will definitely be water and mud.  Perhaps there will also be a Shiva Linga.  Let us follow this trail, maybe we all reach the Shiva linga.  That's when Mama ji says, okay let's follow that trail and we all start following the trail made by crocodiles.



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 अभी हम सभी थोड़ी दूर ही आगे बढ़े थे कि हमें  कल कल बहते हुए पानी की आवाज सुनाई देने लगती हैं  जिससे हम सभी उत्सुकता पूर्वक तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं  और अचानक आगे रास्ता बंद हो जाता है और हम सभी सर पकड़ कर बैठ जाते हैं  क्योंकि पानी बहने की आवाज दिवाल के उस पार से आ रही थी । अब हमें वापस वहीं पर जाना होगा जहां से हम चले थे । थोड़ी देर आराम करने के बाद हम सभी वापस वहीं लौट आए जहां पर हमारा मगरमच्छ से मुठभेड़ हुआ था ।   और हम सभी चारों ओर देखने लगें की अब क्या किया जाए क्योंकि हम सभी बीचों-बीच खड़े  और हमारे चारों ओर  दस रास्ते बनें हुए थे  जिसमें से एक रास्ता वह था  जिससे हम अंदर आये थे लेकिन वह कौन सा था हमे पता नहीं चल पा रहा था । यानी हम सभी इन भुलभुलइयो के जाल में फस चुके थे।  अतः हम सभी परेशान होकर वहीं पर बैठ जाते हैं   चुकी गुफा के अंदर काफी ठंड लग रही थी इसलिए हमने सोचा क्यो नहीं आग जला लिया जाए ताकि ठंड से राहत मिल सके ।    हम सोच ही रहें थे कि तभी अजय और अखिलेश लकड़ियों का गट्ठर लेकर आ जाते हैं तभी पिता श्री बोलते तुम्हें लकड़ियां कहा मिल गई । पिता श्री काफी लकड़ियां पड़
 हुई हैं पास में वही से उठाकर ले आये है। काफी ठंड लग रही है पहले आग जलाते हैं और फिर बाद में ठंडे दिमाग से सोचते हैं बाहर कैसे निकला जाए। और फिर आग जला लिया जाता है और हम सभी आग के चारों ओर बैठ जाते हैं जिससे हमें ठंड से राहत मिलने लगती है । तभी हम सभी एक साथ खुशी से उछल पड़ते हैं और एक साथ बोलते हैं मिल गया रास्ता  सुरंग के मुहाने तक पहुंचने का  और बाहर निकलने का  तभी पिता श्री बोलते हैं कैसे?   



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English translate


All of us had just moved a little further that we could hear the sound of running water from yesterday, due to which we all started moving eagerly fast and suddenly the path closed and we all sat down holding our heads.  Because the sound of flowing water was coming from the other side of the wall.  Now we have to go back to where we went.  After resting for a while, we all returned back to where we had encountered the crocodile.  And let us all start to see what to do now because we were all standing in the middle and there were ten paths around us, out of which one way was the one we came in but which was it we could not know.  Was.  That is, all of us had fallen into the trap of these forgetfulness.  So we all sit there after getting upset and it was very cold inside the cave, so we thought that the fire should not be lit to get relief from the cold.  We were thinking that only when Ajay and Akhilesh bring a bundle of wood, when you speak father, you have been told to say wood.  Father mr

 She has got her picked up nearby.  It is quite cold, first let's light a fire and then later think with a cool mind how to get out.  And then the fire is lit and we all sit around the fire, which gives us relief from the cold.  That is when we all jump together happily and speak together, we have found a way to reach the mouth of the tunnel and get out only then how does Father Shri speak?




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  चलिए पिता श्री सबसे पहले मैं नक्शा दिखात हूं। इस नक्शा में आपको कुछ असाधारण सा कुछ दिख रहा है  नहीं ना लेकिन मुझे दिख रहा है   हम सभी अभी जहां बैठे हैं वह जगह नक्शा में यहां पर हैं  देखिए इसके चारों ओर दस रास्ते हैं और हम यहां बीचों-बीच बैठे हुए हैं और बनें इन दो रास्तों में असाधारण रूप से तीर के निशान इस तरह बनें हुए हैं  जैसे हबा बह रही हों । और अभी देखिए  आग जलाने से जो धुआं उठ रहा है     वह   इस रास्ते से बाहर निकल रहा है और ठिक उसके सामने वाले रास्ते से हवा आ रही है और आग की लपटों को उस रास्ते की ओर धकेल रही हैं जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा है  और हम सभी खुशी से झूम उठे । और देर ना करते हुए  सबसे पहले उन दोनों रास्तों पर  चिन्ह बना दिया जिस ओर हवा आ रही थी और जिस रास्ते हवा निकल रही थी । उसके बाद जल्दी जल्दी हमने आग बुझाई और चल पड़े उस रास्ते पर जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा था। सुरंग की मुहाने और शिव लिंग की खोज में। 






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  English translate                               


Let me be the father, first I show the map.  In this map you don't see anything extraordinary, but I can see that where we all are sitting, the place is here in the map. See there are ten ways around it and we are sitting here in the middle and become  The two paths are exceptionally made of arrow marks as if the haba is flowing.  And now see that the smoke coming out of the fire is coming out of this path and the wind is coming out of the path in front of it and pushing the flames towards the way from which the smoke is coming out  And we all woke up happily.  And while not delaying, first of all, made a sign on both the paths where the wind was coming and the way the air was coming out.  After that we quickly extinguished the fire and walked on the path from which smoke was coming out.  In search of the mouth of the tunnel and the Shiva Linga.



 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कहानी में   काफी रोमांचक पल आने वाला है।


           धन्यवाद दोस्तों
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English translate
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Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because a very exciting moment is coming in the story ahead.



 Thanks guys

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Sunday, July 5, 2020

एक संघर्ष की कहानी नीरा आर्य जी की _1902--1979

Ek yatra khajane ki khoje





















जय सीताराम
जय जय श्री गुरूदेव भगवान

                              नीरा आर्य 

स्वाधीनता संग्राम की मार्मिक गाथा। एक बार अवश्य पढ़ें|

 नीरा आर्य (१९०२ - १९९८) की संघर्ष पूर्ण जीवनी:
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | नीरा ने नेताजी #सुभाष_चंद्र_बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी | 
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में एक प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ छज्जूमल के घर जन्मी नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था। 
इन्हें नीरा ​नागिनी के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंत कुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। इनके पिता सेठ छज्जूमल अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इसलिए इनकी शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में ही हुई। 
नीरा नागिन और इनके भाई बसंत कुमार के जीवन पर कई लोक गायकों ने काव्य संग्रह एवं भजन भी लिखे | 1998 में इनका निधन हैदराबाद में हुआ।
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | 
नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी।
आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई। 











आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है - 
‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची, तो हमारे रहने का स्थान वे ही कोठरियाँ थीं, जिनमें अन्य महिला राजनैतिक अपराधी रही थी अथवा रहती थी।
हमें रात के 10 बजे कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई, कंबल आदि का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा। मन में चिंता होती थी कि इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते स्वतंत्रता कैसे मिलेगी, जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी है?
जैसे-तैसे जमीन पर ही लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो कम्बल लेकर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेंककर चला गया। कंबलों का गिरना और नींद का टूटना भी एक साथ ही हुआ। बुरा तो लगा, परंतु कंबलों को पाकर संतोष भी आ ही गया। 












अब केवल वही एक लोहे के बंधन का कष्ट और रह-रहकर भारत माता से जुदा होने का ध्यान साथ में था।
‘‘सूर्य निकलते ही मुझको खिचड़ी मिली और लुहार भी आ गया। हाथ की सांकल काटते समय थोड़ा-सा चमड़ा भी काटा, परंतु पैरों में से आड़ी बेड़ी काटते समय, केवल दो-तीन बार हथौड़ी से पैरों की हड्डी को जाँचा कि कितनी पुष्ट है। 
मैंने एक बार दुःखी होकर कहा, ‘‘क्याअंधा है, जो पैर में मारता है?’’‘‘पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे, क्या कर लोगी?’’ 
उसने मुझे कहा था।‘‘बंधन में हूँ तुम्हारे कर भी क्या सकती हूँ...’’ फिर मैंने उनके ऊपर थूक दिया था, ‘‘औरतों की इज्जत करना सीखो?’’
जेलर भी साथ थे, तो उसने कड़क आवाज में कहा, ‘‘तुम्हें छोड़ दिया जाएगा,यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं?’’
‘‘वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे,’’ मैंने जवाब दिया, ‘‘सारी दुनिया जानती है।’’












‘‘नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए?’’ जेलर ने कहा। 
‘‘हाँ नेताजी जिंदा हैं।’’
‘तो कहाँ हैं...।’’
‘‘मेरे दिल में जिंदा हैं वे।’’ 
जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और बोले, ‘‘तो तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देंगे।’’ और फिर उन्होंने मेरे आँचल पर ही हाथ डाल दिया और मेरी आँगी को फाड़ते हुए फिर लुहार की ओर संकेत किया...लुहार ने एक बड़ा सा जंबूड़ औजार जैसा फुलवारी में इधर-उधर बढ़ी हुई पत्तियाँ काटने के काम आता है, उस ब्रेस्ट रिपर को उठा लिया और मेरे दाएँ स्तन को उसमें दबाकर काटने चला था...लेकिन उसमें धार नहीं थी, ठूँठा था और उरोजों (स्तनों) को दबाकर असहनीय पीड़ा देते हुए दूसरी तरफ से जेलर ने मेरी गर्दन पकड़ते हुए कहा, ‘‘अगर फिर जबान लड़ाई तो तुम्हारे ये दोनों गुब्बारे छाती से अलग कर दिए जाएँगे...’’ 
उसने फिर चिमटानुमा हथियार मेरी नाक पर मारते हुए कहा, ‘‘शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का कि इसे आग से नहीं तपाया, आग से तपाया होता तो तुम्हारे दोनों स्तन पूरी तरह उखड़ जाते।’’ सलाम हैं ऐसे देश भक्त को। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
🇮🇳जय हिन्द, जय माँ भारती, वन्देमातरम !!!✌🙏















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Jai Sitaram




 Jai Jai Shri Gurudev Bhagwan

                               Neera Arya

 The touching story of the freedom struggle.  Must read once.

  Struggle Biography of Neera Arya (1902 - 1979):
 Neera Arya was married to CID Inspector Srikanth Jairanjan Das in British India.  Neera killed her officer husband Srikant Jairanjan Das in the English Army to save the life of Netaji # Subhash_Chandra_Bose.
 Neera has also written an autobiography.  A heartwarming part of this Atma Katha is presented -
 Born on 5 March 1902 in the then United Provinces' Khekra Nagar to Seth Chhajumal, a distinguished businessman, Neera Arya Azad was a soldier of the Rani Jhansi Regiment in the Hind Fauj, who was also accused by the English government of being an undercover.












 They are also known as Neera Nagini.  His brother Basant Kumar was also in the Azad Hind Army.  His father Seth Chhajumal was a distinguished businessman of his time, whose business was spread across the country.  Especially in Calcutta, his father was the main center of his business, so his education was initiated in Calcutta.
 Many folk singers also wrote poems and bhajans on the life of Neera Nagin and his brother Basant Kumar.  He died in 1998 in Hyderabad.
 Neera Arya was married to CID Inspector Srikanth Jairanjan Das in British India.
 Neera killed her officer husband Srikant Jairanjan Das in the British Army to save the life of Netaji Subhash Chandra Bose.













 After the surrender of Azad Hind Fauj, when the trial took place in the Red Fort, all the prisoners were released, but they were sentenced to black water on the murder of their husband, where they were tortured.
 After independence, he lived by selling flowers, but did not accept any government assistance or pension.
 Neera has also written an autobiography.  A heartwarming part of this Atma Katha is presented -
 "When I arrived in Andaman from Kolkata Jail, our place of stay was the cells in which other women were political criminals or lived.
 We were locked in the cells at 10 o'clock in the night and the names of the mat, blanket etc. were not even heard.  There was a worry in my mind that how would we get freedom while living in an unknown island in this deep sea, where there is a need to leave the attention of laying the veil.











 As soon as he hit the ground and sleep too.  At around 12 o'clock a guard came with two blankets and threw them up without even speaking.  The fall of the blankets and the breakdown of sleep also occurred simultaneously.  It felt bad, but satisfaction came after getting the blankets.
 Now only he was with the pain of an iron bond and the care to stay apart from Mother India.
 "As soon as the sun came out, I got khichdi and the blacksmith also came.  A little leather was also cut while cutting the handwring, but when cutting the shackles from the feet, check the foot bone with a hammer only two or three times to see how strong it is.












 I once grieved and said, "Is there a blind that kills in the foot?" "Shall we even kill in the heart, will we do?"
 He told me. "I am in bondage, what can I do with you ..." Then I spit on them, "Learn to respect women?"
 The jailer was also with him, he said in a loud voice, "You will be abandoned, if you will tell where your Netaji Subhash is?"
 "He died in an air crash," I replied, "the whole world knows."
 "Netaji is alive .... you lie that he died in an air crash?" Said the jailer.
 "Yes Netaji is alive."
 "So where are you?"
 "They are alive in my heart."
 As soon as I said the jailer got angry and said, "Then we will remove Netaji from your heart".  ... The blacksmith used a big jamb like tool to cut the leaves growing here and there in Phulwari, lifted the breast











 ripper and pressed my right breast into it and went to bite ... but it had no edge,  Stumped and giving unbearable pain by pressing the uros (breasts), the jailer from the other side held my neck and said, "If you fight again, these two balloons will be separated from your chest."
 He then licked the spiked weapon on my nose and said, "Venus as if Queen Victoria had not heated it with fire, if it had been heated by fire, your two breasts would have been completely uprooted." Salute to such a devotee.  After independence, he lived by selling flowers, but did not accept any government assistance or pension.
 Ajay Hind, Jai Maa Bharati, Vande Mataram !!!

                      धन्यवाद दोस्तों 





















एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




                 ताम्बाखानी गुफा का रहस्य

         नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । 
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी सुरंग की मुहाने को ढुंढ ने के लिए जो कि ताजमहल तक जाता था  सैनिक छावनी में बने कोठरी के तहखाने में उतर जाते हैं और सीढ़ियों के सहारे नीचे उतरने लगते हैं। और जैसे जैसे हम सभी नीचे उतरते जाते थे हमारी दिल की धड़कन बढ़ने लगती थी । कि तहखाने के नीचे क्या होगा । कि तभी हमें  पानी बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं और उत्सुकता पूर्वक हम सभी तेजी से नीचे उतरने लगते हैं और जैसे ही हम सभी अंतिम सीढ़ी पर पैर रखते हैं  हम सभी ठिठक कर रूक जाते हैं और आश्चर्य चकित हो जाते हैं क्योंकि कि हमारे सामने एक नदी बह रही थी जिससे हम आश्चर्य चकित थे कि एक नदी हमारे उपर बह रही है और उस नदी में बाढ़ आया हुआ है और जबकि तहखाने के नीचे बहनें वाली नदी बिल्कुल शांत बह रही है । और हम सभी सोच ही रहें थे कि नदी के उस पार कैसे जाया जाएं । क्योंकि कि नदी के उस पार ही  भुलभुलैया का जाल बिछा हुआ था और इन्हीं भुलभुलईयो के किसी कोने में  चमत्कारी शिवलिंग और उस रहस्यमई  सुरंग का मुहाना स्थित था । परंतु हम सभी नदी को कैसे पार करें क्योंकि अंधेरे में नदी को तैर कर पार करना खतरे से खाली नहीं था।   जबकि की हमारे पुर्वज  भी तो इस नदी को जरूर पार करते होंगे पर कैसे?  तभी पिता श्री बोलते हैं कि तुम्हारे दादा जी ने भी कभी हमें इस नदी के बारे बताया ही नहीं था । सिर्फ उस सुरंग के मुहाने के बारे में बताया था । कहीं तुम्हारे दादा जी के उस कविता में तो नहीं छुपा हुआ था उस मुहाने का राज। तभी मैं पुछता हुं कौन सा कविता पिता श्री । तों पिता श्री बोलते हैं कि मुझे पंक्तियां याद है उस कविता की । तो अजय भाई बोलते हैं तो सुनाइए न हमे उस कविता की पंक्तियां शायद उससे हमारी समस्या सुलझ जाएं।  तभी पिता श्री वह कविता हमे सुनाने लगते हैं 
 उस कविता की पंक्तियां इस प्रकार थी।  कल कल बहता पानी  कल कल बहता पानी ंंऔर उस पर तैरे काठ और काठ पर बैठे  बंदरों का झुंड और पहुंच गये हम  बंम बंम बाबा के लोक ।  पिता श्री रुकिए  कल कल बहता पानी का मतलब नदी हुआ और उसपर तैरता काठ और काठ पर बैठा बंदरों का झुंड । पिता श्री मुझे समझ में आ गया वे लोग किसी वस्तु पर बैठ कर इस नदी को पार करते होंगे । जो हमें इस अंधेरे कारन दिखाई नहीं पड़ रहा है  लेकिन हमें ढुंढना होगा उस वस्तु जो काठ यानी लकड़ी का बना हुआ है  तभी राजा भाई बोलते हैं कि हम सभी फैल जाते हैं है चारों ओर और उस लकड़ी के बने वस्तु को ढुढते  है वह यही पर कहीं नदी के किनारे मौजूद होगा। और हम सभी मशाल लेकर उसे नदी के किनारे किनारे ढुंढने लगते हैं । परंतु काफी देर तक ढुंढने के बाद भी हमें  लकड़ी की कोई वस्तु नहीं मिली । अतः हम सभी सभी हताश होकर वापस आकर सीढ़ियों पर ही बैठ गये। ंंऔर वापस उपर लौटने के बारे में सोचने लगें । तभी गुस्से में आकर टिंकू ने नीचे वाले सीढ़ी पर पैर से  एक ठोकर मारा। जिससे अचानक   सीढ़ियां दो भागों में  अलग अलग होने लगी और सीढ़ियों के नीचे खाली जगह बन गई जिसमें हम सभी गिरते  गिरते बचे  । और नीचे काफी अंधेरा था  । अतः हम सभी सम्भल कर मशाल की रोशनी में नीचे की ओर देखने लगे और और नीचे का नजारा दिखते ही हमारी आंखें खुली की खुली रह गई। और हम खुशी से झूम उठे । क्योंकि नीचे का नजारा था ही ऐसा ।जिसे देखकर इस कोई भी झुम उठता । क्योंकि कि नीचे हमे नदी के तट पर लकड़ियों से बना हुआ एक पुरानी नाव जो दिख गई थी ।जो सिकड़ो के द्वारा बंधा हुआ था ।




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 Secret of Tambakhani Cave


 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how we all searched for the tunnel, which used to go up to the Taj Mahal. The soldiers descended into the basement of the closet in the camp and started coming down the stairs.  And as we all went down, our heartbeat started increasing.  What would happen under the cellar.  That is when we hear the sound of water flowing and eagerly we all start coming down fast and as soon as we all step on the last stair we all stop and stare in amazement because in front of us  A river was flowing, so that we were surprised that a river is flowing over us and that river is flooded and while the sister river under the basement is flowing absolutely calm.  And we were all thinking how to go across the river.  Because the maze network was spread across the river and the mouth of the miraculous Shivalinga and that mysterious tunnel was located in some corner of the same forgetfulness.  But how do we all cross the river because it was not empty of danger by swimming across the river in the dark.  While our ancestors must have crossed this river, but how?  Then Father Shri says that even your grandfather never told us about this river.  Only told about the mouth of that tunnel.  Was there any secret in that poem of your grandfather?  That is when I ask which poem father Shri.  So Father Shri says that I remember the lines of that poem.  If Ajay Bhai speaks, don't listen to us, the lines of that poem may solve our problem.  That is when Father Sri starts telling us that poem

 The lines of that poem were as follows.  Water flowing yesterday and yesterday, water flowing yesterday, and swarms of monkeys seated on the wood and on it, and we reached Bam Bam Baba's folk.  Father Mr. Wait, yesterday, the flowing water meant a river and a swarm of monkeys floating on it.  Father Mr. I understood that those people would be sitting on something and crossing this river.  What we do not see for this dark reason, but we have to find that thing which is made of wood, that is why the king says that we all spread around and find that thing made of wood.  Will exist somewhere along the river.  And we all take the torch and find it on the banks of the river.  But even after searching for a long time, we could not find any wooden item.  So, all of us, desperate after coming back, sat on the stairs.  And start thinking about returning back up.  Then, in a fit of anger, Tinku hit a foot on the staircase below.  Suddenly the stairs started to separate into two parts and became empty space under the stairs in which we all kept falling.  And the bottom was quite dark.  So we all started looking down at the torchlight and our eyes were wide open as soon as the bottom view was visible.  And we jumped with joy.  Because the view below was like this. Anyone seeing this would rise.  Because on the banks of the river below we saw an old boat made of wood, which was tied by a rod.


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   दोस्तों नाव के मिल जाने से हमसभी बहुत खुश थें ।  पर नाव काफी पुरानी थी और कई सदियों से इसी तरह बंधा हुआ था और लगता है जैसे अंतिम बार हमारे दादा जी के दादा जी ने ही इसकी सबारी की होगी । और उनके बाद आज हम सभी लोग करने वाले थे । चुंकि नाव काफी पुरानी थी लेकिन अब भी मजबूत दिख रही थी अतः हम सभी सम्भल सम्भल कर एक एक कर  नाव के उपर  सवार  होने  लगें ।  एवं सभी लोग सबार हों जाने के मै उसे सिकड़ को खोल देता हूं जिससे नाव बंधा होता हैं  और जैसे ही नाव बंधन से मुक्त होता हैं वह तेजी से नदी के सतह पर तैरने लगता है फिर मैं दौड़कर  नाव के  पाल को सम्भाल लेता हूं फिर भी संभालते संभालते नाव बह कर सीढ़ियों से काफी दूर पहुंच जाता है और अंधेरा होने के कारण वह हमारे आंखों से ओझल हो जाता है । चुंकि हमे नदी के उस पार जाना था इसलिए हम सभी नाव में रखें पतवार से नाव को चलाने लगते हैं और तेजी से नदी के उस पार बढ़ने लगते हैं ।  लगती है जैसे नदी काफी चौड़ी है  और गहरी भी है   इसमें पानी शायद  बड़े वाले झरने से ही आता होगा  ।    और अंधेरा होने के कारण  आगे हमे  कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था । जिस कारण आगे कही हम किसी पहाड़ या चट्टान से ना टकरा जाएं । इसलिए हमने नाव के आगे मशाल को बांध दिया ताकि हमे आगे का दृश्य स्पष्ट दिख सके ।   जब तक हम सभी किनारे पर पहुंचते  तब तक मैंने सोचा क्यों नहीं एक बार  इस नाव को  इसके अंदर तक चेक कर लिया जाए  ।हो सकता हैं हमें और भी कोई वस्तु या  कोई सबूत मिल जाए जिसके जरिए हम  आसानी से  सुरंग के मुहाने तक पहुंच जाए ।    ंऔर टिंकू को नाव संभालने को कह कर   मैं और राजा नाव के अंदर चलें जाते हैं  ताकि हम कुछ ढुंढ सके ।ं और देखा जाए तो यह केवल नाव ही नहीं था   बल्कि पुरा का पुरा एक बड़ा पानी का जहाज़ था  जिसके अंदर बहुत सारे कमरे बने हुए थे ।  और इन कमरों में बहुत सारे समान पड़ हुए थे  जैसे लग रहा था कि यह किसी व्यापारी का जहाज़ हो  । तभी मेरी नजर एक  मोटा सा पुस्तक पर पड़ता है जिसके उपर हमारे राज्य का चिन्ह बना हुआ था ।  यानी अब स्पष्ट हो गया था कि इस पानी जहाज़ को हमारे पुरखों ने ही निर्माण करवाया था । और उस पुस्तक मैंने अपने थैले में रख लिया ताकि बाद में पढ़ा जा सके ।  कि तभी बाहर से आवाज़ आने लगती है  टिंकू भाई चिल्ला रहें थे उपर में   नदी का किनारा आ गया , नदी का किनारा आ गया और हम सभी दौड़कर नाव के उपर आ गये । 



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Friends were all very happy with the boat meeting.  But the boat was quite old and had been tied in this way for many centuries and it seems like the last time our grandfather's grandfather had supported it.  And after them all of us were going to do it today.  Since the boat was quite old but still looking strong, so all of us could handle it and start riding on the boat one by one.  And after all the people are alive, I open it to the shrunk which makes the boat tied and as soon as the boat is free from bondage, it starts swimming on the surface of the river fast. Then I run and take care of the sail of the boat still  The boat carrying the handle flows far away from the stairs and due to the darkness it disappears from our eyes.  Since we had to go across the river, all of us keep in the boat and start to move the boat from the rudder and move quickly across the river.  It seems as if the river is quite wide and deep, the water may have come from a large waterfall.  And due to the darkness, we did not see anything clear ahead.  Because of which we should not bump into any mountain or rock.  So we tied the torch in front of the boat so that we could see the view ahead.  By the time we all reached the shore, I thought why not check this boat once inside it. Maybe we can find some other object or some evidence through which we can easily reach the mouth of the tunnel.  .  And by asking Tinku to take the boat, I and the king go inside the boat so that we can find something. And to be seen, it was not only the boat but the Pura Pura was a big water vessel with lots of room inside it.  Had happened.  And there were a lot of similarities in these rooms that looked like it was a merchant's ship.  Then I look at a small book on which the symbol of our state was made.  That is, it was now clear that our ancestors had built this water vessel.  And I kept that book in my bag so that it could be read later.  That is when the voice starts coming from outside, Tinku brothers were shouting, the river's edge came up, the river's edge came and we all ran over the boat.



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   किनारे पहुंचते ही सबसे पहले हमने   नाव को एक   सुरक्षित जगह पर  सिकड़ के जरिए बांध देते हैं । और सावधानी पूर्वक हम सभी नाव से नीचे उतर आते हैं  और जैसे ही  मशाल की रोशनी ज़मीन पर पड़ती हैं   हम सभी अवाक  ंंंंंं और हैरानी से भर उठते हैं  क्योंकि यहां पर चारों ओर जमीन पर मानवों का कंकाल पड़ा हुआ था मानो यहां पर कभी भयंकर युद्ध हुआ हों   जिसके बारे में पिता श्री पता नहीं था । शायद यह हमारे दुश्मनों के कंकाल हो शायद ये लोग  गुप्त तरीके से हमारे राजमहल में घुसने बाले थे लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने इनका काम तमाम कर दिया था ।  और तभी पिता श्री की नजर  दिबारो पर लगे मशालो पर जाता है और हम सभी मिलकर उनमें आग लगा देते  जिससे प्रकाश चारों ओर फैल जाता है ।


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 English translate
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As soon as we reach the shore, we first tie the boat to a safe place by squeezing.  And carefully we all get down from the boat and as soon as the torchlight falls on the ground, we are all speechless and shocked because there was a human skeleton lying on the ground all around here as if there was a fierce war here.  Had happened, about which Father Shri did not know.  Maybe it is the skeletons of our enemies, perhaps these people had secretly entered our palace, but our brave soldiers had done their work.  And then the gaze of Father Shri goes to the torches on Dibaro and we all together set fire to them, so that the light spreads all around.


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 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कि कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है । कल की कहानी में कैसे हम  सभी भुलभुलैया में  खो जाते हैं और फिर सूरंग के मुहाने तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है । तों दोस्तों कल मिलते हैं।


               धन्यवाद दोस्तों



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English translate
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Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because the story is going to be very fun.  In yesterday's story how we all get lost in forgetfulness and then have to struggle a lot to reach the mouth of Surang.  See you guys tomorrow.



 Thanks guys
 

Saturday, July 4, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje






                           ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं 🙏🙏🙏🙏
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे नदी में बाढ़ आ जाने के कारण हम सभी  पुल को पार नहीं कर पा रहे थे । क्योंकि कि बाढ़ का पानी पुल के उपर से बहने लगा था । साथ ही वर्षा भी काफी तेज हो रही थी  जिह कारण से हमे हमारे सैनिकों के लिए बने  छावनी में रुकना पड़ा  । और वही से हम सभी ने  दुरबीन के जरिए  नदी के उस किनारे पर स्थित राजमहल में   हमने माता श्री और अपने शुभचिंतकों को भी वे सभी सही सलामत थे को देखा  और वे लोग। भी  हमें  सही सलामत देखकर खुश हुएं ।  इसके बाद हम सभी लोग  छाबनी में बने कोठरी के अंदर चलें गए  और वहां पर रसोइया ने हमारे लिए लजीज व्यंजन बनाया जिसे खा कर हम सभी तृप्त हो गये। एवं खाना खाते खाते ही पिता श्री ने बताया कि इस छाबनी और इसमें बने इस कोठरी का  निर्माण  तुम्हारे दादा जी के दादा जी ने करवाया था ंऔर इसमें एक  गुप्त सुरंग का भी निर्माण करवाया था जिसका उपयोग वे लोग संकट के समय में किया करते थे । इस सुरंग के चार मुहाने थे ।  जिसमें से एक मुहाना  राजमहल के नीचे से होते हुए सिधे  बड़ा  वाला झरने के बिचो बिच निकलता है । और दुसरा मुहाना  इस कोठरी में कहीं खुलता है  और तिसरा मुहाना उस गुफा में खुलती हैं जहां हमारा गुप्त प्रशिक्षण शिविर है जहां से हम सभी अभी लौट के आ रहे हैं ।ं और चौथा वाला  मुहाना अभी भी गुप्त है जिसके बारे में किसी को पता नहीं है कि वह कहां  खुलता है या निकलता है ।   इन सुरंगों के जरिए ही हमारे पुर्वज  संकट के समय में  अपनी रक्षा किया करते थे । और एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में भी उपयोग किया करते थे ।। तभी राजा भाई बोलते हैं  इसका मतलब कि हम इस समय इन सुरंगों के जरिए  नदी को पार करके  राजमहल में पहुंच सकते हैं । वाह मजा आ जायेगा  । तभी पिता श्री बोलते हैं कि  बेटा मैंने कभी उन सुरंगों का उपयोग नहीं किया था और सुरंग का मुहाना इस कोठरी में कहा पर बना हुआ है मुझे मालूम नहीं है क्योंकि यह कोठरी भी तो कई  छोटे बड़े  भुलभुलैया में बटा हुआ है जिस कारण से सुरंग का मुहाना  ढुंढना मुश्किलों से भरा हुआ है । लेकिन तुम्हारे दादा जी ने मुझे एक बार बताया था कि कोठरी के अंदर जो सुरंग का स्थित है वहा एक बड़ा सा  प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है  जिसकी पूजा हमारे पुरखों द्वारा किया जाता था ।  इस शिवलिंग पर गंगाजल द्वारा स्वयं जलाभिषेक होते रहता है और किसी को पता नहीं है कि गंगा जल कहा से निकलता है । और वही पास में ही सुरंग का मुहाना है जिसपर बड़ा सा पत्थर का दरवाजा लगा हुआ है और दरवाजा के उपर से ही गंगा जल प्रस्फुटित होते रहता है और सिधे शिवलिंग पर गिरती हैं। और दरवाजा एक मंत्र के द्वारा ही खुलता है । और वह मंत्र सिर्फ तुम्हारे दादा जी को ही पता था ।जिसे एक बार उस मंत्र को तुम्हारे दादा जी ने मुझे भी बताया था लेकिन इस समय मैं उस मंत्र को भुल गया हू लेकिन अगर शायद मैं उस दरवाज़े तक पहुंच जाऊं तो शायद मुझे वह मंत्र याद आ जाएं। । तभी सेनापति जी एक पुराना सा  नक्शा ले के आ जाते हैं और बोलते हैं महाराज  यह पुराना नक्शा  इसी कोठरी का है  जो मुझे इसी कोठरी के तहखाने में मिला था । और इस नक्शे के जरिए हम उस सुरंग के मुहाने तक पहुंच सकते हैं ।



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         English translate
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Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm welcome to all of you.

 As friends yesterday, you read how all of us were unable to cross the bridge due to flooding in the river.  Because the flood water started flowing over the bridge.  At the same time the rainfall was also getting very strong, due to which we had to stay in the camp made for our soldiers.  And from that we all saw the mother and our well-wishers in the palace on the banks of the river through telescopes and they were all safe.  Also we are happy to see safe and sound.  After this, all of us went inside the closet in Chhabani and there the cook made a delicious dish for us which we all satiated.  And while eating food, Father Shri told that this Chhabani and this cellar built in it was built by your grandfather's grandfather and a secret tunnel was also built in it which he used to use in times of crisis.  This tunnel had four mouths.  One of the estuaries passes through the bottom of the palace with a big waterfall.  And the other estuary opens somewhere in this cell and the third estuary opens in the cave where our secret training camp is from where we are all coming back. And the fourth one is still secret which no one knows about.  Is where it opens or exits.  Only through these tunnels did our ancestors protect themselves in times of crisis.  And also used to go from one place to another.  That is when Raja Bhai speaks, that means we can cross the river through these tunnels and reach the palace.  Wow it will be fun  That is why Father Shri says that son I had never used those tunnels and the mouth of the tunnel is in this cell but I do not know because this cell is also divided into many small big maze, due to which the tunnel  Finding the estuary is difficult.  But your grandfather once told me that inside the closet the tunnel is located, there is a big natural Shivling which was worshiped by our forefathers.  Jalabhishekas are done by Ganga water itself on this Shivling and no one knows that where Ganga water comes out.  And the same is the mouth of the tunnel nearby, on which a big stone door is installed and from above the door, the Ganges continues to erupt and falls directly on the Shivling.  And the door opens with a mantra.  And that mantra was known only to your grandfather. Once upon a time that mantra was also told to me by your grandfather, but at this time I have forgotten that mantra, but if I can reach that door, maybe I will get that mantra.  Please remember.  .  Then Senapati ji comes with an old map and says Maharaj, this old map is of this cell which I found in the cellar of this cell.  And through this map, we can reach the mouth of that tunnel.


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 और फिर हम सभी   मशाल की रोशनी में  उस  नक्शे का निरीक्षण करने लगते हैं नक्शा बहुत ही रहस्यमई और चमड़े का बना हुआ था । तभी निरीक्षण करते करते हमें नक्शे एक कोने पर हमे वह प्राकृतिक शिवलिंग नजर आया । और संतोष भाई खुशी से उछल पड़ते हैं  वाह हमने शिवलिंग को ढुंढ लिया । और हमे भी प्रसन्नता हुई कि नक्शा सही है  और हम सभी तहखाने में उतरने की तैयारी करने लगते हैं   और बाहर में मौसम और भी खराब हो रहा था  और नदी का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा था  । और हम जल्द से जल्द  सुरंग के मुहाने ढुंढ कर राजमहल में पहुंचना चाह रहे थे । लेकिन इतना आसान नहीं था  सुरंग के मुहाने तक पहुंच पाना और अगर हम पहुंच भी जाते हैं उस मुहाने तक तो उसे खोलना बहुत कठिन था  क्योंकि उसे खोलने वाला मंत्र पिता श्री को याद नहीं था और नहीं उस मुहाने के पास कभी गये थे । वे सिर्फ अपने पिता श्री इसके बारे में सुना था । लेकिन नक्शा मिल जाने के कारण और नक्शे में शिवलिंग होने के कारण यह तो साबित हो ही गया था कि  यहां पर  जरूर कोई-न-कोई सुरंग जो सिधे राजमहल के तहखाने में निकलती है । अतः हम बिना समय गंवाए   सेनापति जी को सेना के साथ उपर ही छोड़ कर  क्योंकि पुल की भी देखभाल करनी थी और  जरूरत पड़ने पर पुल की मरम्मत भी करनी पड़ती । इसलिए उन्हें उपर ही छोड़ कर  । पिता श्री और मामा जी के साथ  हम सभी भाई  तहखाने में नीचे उतर गए  हमारे पास सिर्फ  वह नक्शा और मशाले थी जिसके जरिए हमें सुरंग के मुहाने तक पहुंचाना था। नीचे तहखाने में उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी जो नीचे लगभग 100 फ़ीट तक थी । दोस्तों क्या बताऊं नीचे काफी अंधेरा था और मशाल की रोशनी जहां तक पहुंच रही थी वहीं तक  हम देख पा रहे थे । अतः हम सभी सम्भल सम्भल कर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे।


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 English translate
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 And then we all start inspecting that map in torchlight, the map was very mysterious and made of leather.  While inspecting it, we found the natural Shivling on the map at one corner.  And Santosh bhai jumps with joy, wow we found the Shivling.  And we were also happy that the map is correct and we all started preparing to get into the basement and the weather was getting worse outside and the water level of the river kept increasing.  And we wanted to reach the mouth of the tunnel at the earliest and reach the palace.  But it was not so easy to reach the mouth of the tunnel and even if we reach that mouth it was very difficult to open it because father Shree did not remember the mantra to open it and never went to that mouth.  They had just heard about it from their father Mr.  But due to the finding of the map and the Shivling in the map, it was proved that there is definitely some tunnel here which originates in the basement of Sidhe Rajmahal.  Therefore, we, without wasting time, left the commander with the army above because the bridge had to be taken care of and the bridge also had to be repaired when needed.  So leaving them upstairs.  All of us brothers, along with Father Shri and Mama ji, came down to the basement. We had only the map and the machine through which we had to reach the mouth of the tunnel.  There were stairs to descend to the basement below, which was about 100 feet below.  What friends can tell, it was very dark and we were able to see where the torch light was reaching.  So, we all managed to get down the stairs.



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   दोस्तों  अभी जैसे ही हम सभी पचास सीढ़ियां ही नीचे उतरे थे कि हमें  पानी की  गर्जना की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं  यानी हम सभी नदी के तल के नीचे पहुंच चुके थे  क्योंकि उपर नदी में बाढ़ आया  हुआ था इसलिए हमें पानी की गर्जना हमे सुनाई पड़ रही थी । और नीचे का माहौल एकदम शांत था केवल हमें पानी की गर्जना सुनाई पड़ रही थी । और हम सभी धीरे धीरे नीचे उतर ही रहे थे कि हमें  तहखाने के नीचे भी पानी के बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं जैसे नीचे कोई नदी बह रही हों। अतः हम सभी उत्सुकता पूर्व  तेजी से नीचे की ओर उतरने लगते हैं और जैसे ही हम अंतिम सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं नीचे का नजारा देखकर हम सभी आश्चर्य चकित रह जाते हैं क्योंकि दोस्तों नीचे भी एक बह रही थी । जिससे हम सभी आश्चर्य में पड़ गये कि अब क्या किया जाए  क्योंकि यहां तों एक ंंंंंंंंंं और नया मुसीबत खडा हो गया था । 


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English translate
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Friends, as soon as we all came down the fifty stairs that we started to hear the roar of water, that is, we had all reached the bottom of the river because the river was flooded so we heard the roar of water  Was living  And the atmosphere below was very quiet only we could hear the roar of water.  And we were all slowly getting down that we could hear the sound of water flowing below the basement as if a river was flowing below.  So we all start descending rapidly down the curiously east and as we descend the final stairs we are all amazed to see the view below as one of the friends was also drifting down.  Due to which we all wondered what to do now, because there was a new trouble here.


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 दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि एक नई मुसीबत जो सामने आ खड़ी हुई थी । 

                       धन्यवाद दोस्तों 


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Friends, I will narrate the incident tomorrow because a new problem was coming to the fore.


 Thanks guys
 
 

Friday, July 3, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje



             ताम्बाखानी गुफा का रहस्य



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।


जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे  भालुओं ने हम पर  हमला कर दिया  । और बड़े बड़े पत्थर हम पर फेंकने लगे थे । और मामा जी के घोड़े को  पकड़ कर  उसे मारने की कोशिश करने लगें थे और उसे घसीटते हुए घने जंगल की ओर ले जाने की कोशिश करने लगें थे  लेकिन मामा जी अपने घोड़े की लगाम को कसके पकड़े हुए थे । जिससे की भालू घोड़े को अपनी ओर टान नहीं पा रहा था कि तभी अचानक मैं देखता हूं एक दुसरा भालू मामा जी पर हमला कर दिया था और एक बड़ा सा पत्थर उठा कर  मामा के सर पर पटकने वाला था । कि तभी मैं उछल कर   उस भालू के ऊपर कुद पड़ा और उसे उठा कर  उफनते नदी में फेंक दिया। और फिर जिस भालू ने घोड़े को पकड़ रखा था  उस पर हम सभी लोग एक साथ हमला कर दिया और उसे मार भगाया । लेकिन तब तक  उसने घोड़े को काफी घायल कर दिया था । जिसके कारण घोड़े से काफी खुन बहनें लगा था । अभी हम घोड़े की जख्म को देख ही रहे थे कि  तभी हमने देखा कि कुछ लोग मसाल लेकर हमारी ओर आ रहे थे  यह देखकर हम सभी सावधान हो गये और सतर्क होकर  उनके पास आने का इंतजार करने लगे ।  और हमारे पास जो मसाले थी उसे बुझा दिया ताकि वे लोग हमें देख ना पाए । और पास आते ही हम उन पर हमला कर देंगे  और हम सभी यह सब सोच ही रहें थे कि तभी उनकी आवाजें सुनाई देने लगी ।ध्यान से सुनने पर    लगा जैसे वे लोग हमें ही पुकारा रहे थे । और पास आने पर  उनकी आवाजें  स्पष्ट सुनाई देने लगी । वे लोग हमें ही पुकार रहें थे । फिर भी हम सभी सतर्क ही रहें हों सकता है यह उनकी चाल हों । हमे अपनी जाल में फंसाने का । इसलिए हम सभी और भी सतर्क होकर  उनके और भी पास आने का इंतजार करने लगे । शायद वे लोग समझ  चुके थे कि हम सभी सतर्क हो चुके हैं । और वे लोग भी सावधानी पूर्वक आगे बढ़ते हुए  हमें आवाज देने लगें और हवा में एक विशेष प्रकार का  तीर छोड़ा  जो एक तेज़ प्रकाश के साथ हमारे राज्य का एक विशेष प्रकार के  चिन्ह को प्रदर्शित करने लगा । और पुरा का पुरा आकाश तेज़ रोशनी में प्रकाशमय हों गया । जिससे हम पुरी तरह आश्वस्त हो गये कि ये हमारे ही सैनिक है और ये  हमे खोजने आये हुए हैं । अतः हमने भी   उन्हें आवाज देकर अपने पास बुलाया  और वे लोग दौड़कर हमारे पास आ गये  । महाराज की जय हो  हमे छमा करे  । महारानी जी ने हमे आपको ढुंढने के लिए भेजा था । तभी घायल घोड़े को देखकर सेनापति जी बोलते हैं कि महाराजा कही आप पर भालुओं का झुंड ने हमला तो नहीं कर दिया था । क्योंकि यह भालुओं का झुंड कई दिनों से यहां पर घात लगाकर लोगों पर हमला कर रहे थे । और कई नगर वासियों को घायल कर दिया था । वे जब भी अपने जानवरों को लेकर इस ओर आते थे ।। और पालतू पशुओं को मारकर खा जाते थे । और जब हम इनका  शिकार करने आते  थे तो पता नहीं  भालुओं का झुंड कहा गायब हो जाता था । और सभी परेशान लौट जाते थे । और हमारे जाते ही इनका आतंक फिर से शुरू हो जाता था । तभी अजय भाई बोलते हैं कि सेनापति जी अब घबड़ाने की बात नहीं है हमने भालुओं को मार भगाया है और उनके मुखिया को मारकर नदी में फेंक दिया है  अब वे कभी भी हमारे इलाके में नजर नहीं आयेंगे। ंंऔर न हमारे गांव वालों पर और नहीं उनके पालतू पशुओं पर हमला करेंगे । ।






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              English translate
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Secret of Tambakhani Cave




 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.



 As friends yesterday, you read how bears have attacked us.  And big stones were thrown at us.  And Mama ji started trying to kill him by grabbing the horse and dragging him towards the dense forest but Mama ji was holding his horse's rein tightly.  So that the bear was not able to taunt the horse that suddenly I see a second bear attacked Mama ji and was about to pick up a big stone and hit the head of the maternal uncle.  That is when I jumped and jumped on the bear and picked it up and threw it into the swollen river.  And then the bear who held the horse attacked all of us together and drove him away.  But by then he had injured the horse heavily.  Due to which the horse had a lot of blood sisters.  We were just looking at the wound of the horse when we saw that some people were coming towards us with the spice, seeing that we all became alert and alert and started waiting for them to come.  And extinguished the spices we had so that those people could not see us.  And as soon as we get closer, we will attack them and we all were thinking that only then their voices started being heard. Hearing carefully, they felt like they were calling us.  And on approaching, their voices were heard clearly.  They were calling on us.  Nevertheless, we all should be cautious, this may be their trick.  To trap us.  So we all became more alert and waited for them to come closer.  Perhaps those people understood that we have all become cautious.  And those people also proceeded cautiously and started giving us a voice and released a special kind of arrow in the air which with a strong light began to display a special kind of symbol of our kingdom.  And the whole sky of Pura became bright in bright light.  Through which we were completely convinced that he is our only soldier and he has come to search for us.  So we too called them to their voices and they came running to us.  Hail to the King, forgive me.  Her Majesty sent us to find you.  At that time, seeing the injured horse, the commander said that Maharaja had attacked you by a flock of bears.  Because these herds of bears had been ambushing here for many days and attacking people.  And injured many townspeople.  Whenever he used to come to this side with his animals.  And used to kill and eat domesticated animals.  And when we came to hunt them, we do not know where the herd of bears would disappear.  And everyone used to return upset.  And their terror used to start again as soon as we left.  Then Ajay Bhai says that the commander is no longer a matter of panic, we have killed the bears and killed their chief in the river and now they will never be seen in our area.  Neither will we attack our villagers nor their domestic animals.  .




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            और हम सभी लोग बातें ही  कर रहे थे कि तभी मुसलाधार वर्षा शुरू हो जाती है  और नदी और भयंकर रूप धारण कर लेती हैं । और ऐसा लगने लगता है मानो  प्रलय का समय आ गया हों । हम तेजी से   राजमहल की ओर बढ़ने लगते हैं । और जल्द ही हम सभी उस विशाल पुल के पास पहुंच जाते हैं । और वहां की भयंकर स्थिति देखकर हमारा भी मन कांप गया । उस झरने की विकराल रूप देखकर । और मानों  लग रहा था पानी की वेग से पुल अब टुटा की तब  टुटा क्योंकि पानी  पुल के काफी ऊपर से बह रहा था ।  यानी पुरा का पुरा पुल डुब चुका था ।ं और इस समय उस पार जाना  अपने जान को खतरे में डालने जैसा था ।  तभी हमें देखकर  पुल के रक्षक  जो पुल की रक्षा के लिए तैनात थे  वे हमारे पास आ जाते हैं । वे इस समय ऊंचे जगह पर शरण लिए हुए थे ।  हमारे पास आते ही वे वोलते हैं महाराज की जय हो  इस समय पुल के उस पार जाना खतरे से खाली नहीं है   । आप कुछ समय यही पर रुक जाइए  जब तक पानी का वेग कम नहीं हों जाता है । और हम सभी पुल के पास से हटकर  ऊंचे जगह पर शरण ले लेते हैं  जहां से राजमहल  स्पष्ट  दिख रहा था  ।  तभी हमारे सेनापति  दुरबीन ले आते हैं  और बोलते हैं आप इस दुरबीन से  राजमहल की गतिविधियों को देख सकते हैं।   और फिर पिता श्री दुरबीन को अपने हाथों में लेकर  राजमहल की ओर देखने लगते हैं  तभी और मन ही मन मुस्कुराने लगते हैं । यह  सब देखकर हम सोचने लगते हैं  कि  पिता श्री मुस्करा क्यो रहे हैं तभी पिता श्री  वह दुरबीन  हमे थमा देते हैं  और बोलते हैं कि देख लो मैं क्यो मुस्करा रहा हूं ।  और मैं दुरबीन से राजमहल की ओर देखने लगता हूं तो देखता हूं कि उधर से माता श्री हमे  दुरबीन के द्वारा देख रही है  और मैं खुशी से झूम उठता हूं और दुरबिन को अपने भाइयों को दे देता हूं और वे भी एक एक कर अपने अपने माता-पिता को देख कर खुशी से झूम उठते हैं । और हम सभी लोग वर्षा रूकने का इंतजार करने लगते हैं ।





____________________________________________________ English translate
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 And all of us were talking that only then the torrential rain starts and the river takes a terrible form.  And it seems as if the time of judgment has come.  We start moving fast towards the palace.  And soon we all reach near that huge bridge.  And we were also shaken by seeing the terrible situation there.  Seeing that monstrous form of the waterfall.  And it seemed as if the bridge was broken due to the velocity of water because the water was flowing from the top of the bridge.  That is, the whole bridge of Pura had sunk. And going across it at this time was like risking your life.  Seeing us, the guards of the bridge who were deployed to protect the bridge come to us.  They had taken refuge in a high place at this time.  As soon as we come to them, they say, Hail Maharaj, going across the bridge at this time is not empty of danger.  You stay here for some time until the velocity of water decreases.  And we all move away from the bridge and take refuge in a higher place from where the palace was clearly visible.  That is when our commander brings the telescope and says that you can see the activities of the palace with this telescope.  And then the father takes Mr. Durbin in his hands and looks towards the palace, and only then he starts smiling.  Seeing all this, we start thinking that why is the father Mr. Muskara, then the father Mr. Hand give us that telescope and he says, "See why I am smiling."  And when I start looking at the palace from Durbin, I see that the mother is watching us from there through Durbin and I happily wakes up and give Durbin to my brothers and they too, one by one, their mother.  Seeing the father, he wakes up happily.  And we all start waiting for the rain to stop.





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   चुकी दोस्तों वर्षा हो रही थी   इसलिए हमें ठंड भी लग रही थी  इसलिए हम सभी सैनिकों के छावनी में बने कोठरी के अंदर चलें जातें हैं जहां पर हर तरह की व्यवस्था थी । अंदर में आग भी जल रही थी  जिससे कोठरी  अंदर से अच्छी तरह से गरम थी । और हम सभी आग के चारों ओर बैठ जाते हैं और दण्डक वन जाने की योजना बनाने लगते हैं  कि तभी  रसोईया हमारे लिए गरम गरम काढ़ा लें कर आ जाता हैं  जिसे हम सभी पी कर फिर से तरो ताज़ा हो जातें हैं ।  


  धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा । क्योंकि आगे कहानी में मजा आने वाला है।



  धन्यवाद दोस्तों


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English translate
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The old friends were raining, so we were feeling cold, so we all go inside the closet in the camp of the soldiers where there was every kind of arrangement.  A fire was also burning inside, so that the closet was well heated from the inside.  And we all sit around the fire and start making plans to go to Dandak forest that only then the kitchen or take a hot hot decoction for us, which we all drink and get refreshed again.



 Thank you guys, I will narrate the episode tomorrow.  Because there is going to be fun in the story ahead.




 Thanks guys
 
















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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...