Friday, July 31, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- भारतीय गांवों की प्राकृतिक हैंडसैनीटाइजर। A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Natural Handsainizer of Indian Villages

Ek yatra khajane ki khoje







          नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा में मैं आपको सदियों से उपयोग में लाई जाने वाली  प्राकृतिक हैंडसैनीटाइजर की ओर ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूं जो अभी भी गांवों में उपयोग में लाई जाती हैं। 





                          भारतीय रसोई के चूल्हे की राख में ऐसा क्या था कि, वह पुराने जमाने का Hand Sanitizer थी ...?
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उस समय Hand Sanitizer नहीं हुआ करते थे, तथा साबुन भी दुर्लभ वस्तुओं की श्रेणी आता था। उस समय हाथ धोने के लिए जो सर्वसुलभ वस्तु थी, वह थी चूल्हे की राख। जो बनती थी लकड़ी तथा गोबर के कण्डों के जलाये जाने से। चूल्हे की राख का रासायनिक संगठन है ही कुछ ऐसा ।
आइये चूल्हे की राख का वैज्ञानिक विश्लेषण करें। इस राख में वो सभी तत्व पाए जाते हैं, वे पौधों में भी उपलब्ध होते हैं। इसके सभी Major तथा Minor Elements पौधे या तो मिट्टी से ग्रहण करते हैं या फिर वातावरण से। इसमें सबसे अधिक मात्रा में होता है Calcium.

इसके अलावा होता है Potassium, Aluminium, Magnesium, Iron, Phosphorus, Manganese, Sodium तथा Nitrogen. कुछ मात्रा में Zinc, Boron, Copper, Lead, Chromium, Nickel, Molybdenum, Arsenic, Cadmium, Mercury तथा Selenium भी होता है ।
राख में मौजूद Calcium तथा Potassium के कारण इसकी ph क्षमता ९.० से १३.५ तक होती है। इसी ph के कारण जब कोई व्यक्ति हाथ में राख लेकर तथा उस पर थोड़ा पानी डालकर रगड़ता है तो यह बिल्कुल वही माहौल पैदा करती है जो साबुन रगड़ने पर होता है।

जिसका परिणाम होता है जीवाणुओं और विषाणुओं का विनाश । आइये, अब मनन करें सनातन धर्म के उस तथ्य पर जिसे अब सारा संसार अपनाने पर विवश है। सनातन में मृत देह को जलाने और फिर राख को बहते पानी में अर्पित करने का प्रावधान है। मृत व्यक्ति की देह की राख को पानी में मिलाने से वह पंचतत्वों में समाहित हो जाती है ।
मृत देह को अग्नि तत्व के हवाले करते समय उसके साथ लकड़ियाँ और उपले भी जलाये जाते हैं और अंततः जो राख पैदा होती है उसे जल में प्रवाहित किया जाता है । जल में प्रवाहित की गई राख जल के लिए डिसइंफैकटैण्ट का काम करती है ।

इस राख के कारण मोस्ट प्रोबेबिल नम्बर ऑफ कोलीफॉर्म (MPN) में कमी आ जाती है और साथ ही डिजोल्वड ऑक्सीजन (DO) की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह स्पष्ट हो चुका है कि गाय के गोबर से बनी राख डिसइन्फैक्शन के लिए एक एकोफ़्रेंडली विकल्प है...
जिसका उपयोग सीवेज वाटर ट्रीटमैंट (STP) के लिए भी किया जा सकता है। सनातन का हर क्रिया कलाप विशुद्ध वैज्ञानिक अवधारणा पर आधारित है। इसलिए सनातन अपनाइए स्वस्थ रहिये ।

आपने देखा होगा कि नागा साधु अपने शरीर पर धूनी की राख मलते हैं जो कि उन्हें शुद्ध रखती है साथ ही साथ भीषण ठंडक से भी बचाये रखती है ।

                         धन्यवाद दोस्तों

      माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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                                    English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, in today's journey, I would like to draw attention to the natural hand sanitizer used for centuries which is still used in villages.






 What was it that in the ashes of Indian kitchen stove, it was an old-fashioned Hand Sanitizer…?

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 Hand Sanitizer was not available at that time, and soaps also came under the category of rare items.  At that time, the most common item for washing hands was the stove's ashes.  Which was made by burning wood and cow dung.  The chemical composition of the stove is something like this.

 Let's do a scientific analysis of the stove.  All those elements are found in this ash, they are also available in plants.  All its Major and Minor Elements plants are either taken from the soil or from the environment.  It contains the highest amount of Calcium.


 Also contains Potassium, Aluminum, Magnesium, Iron, Phosphorus, Manganese, Sodium and Nitrogen.  Zinc, Boron, Copper, Lead, Chromium, Nickel, Molybdenum, Arsenic, Cadmium, Mercury and Selenium are also present in some amounts.

 Due to the calcium and potassium present in the ash, its ph capacity varies from 7.0 to 13.5.  Due to this ph, when a person rubs with ashes in his hand and pours some water on it, it creates exactly the same atmosphere as when soap is rubbed.


 The result of which is the destruction of bacteria and viruses.  Come, now consider that fact of Sanatan Dharma, which is now forced to adopt the whole world.  There is a provision of burning the dead body in Sanatan and then offering the ashes in the flowing water.  By mixing the ashes of the dead person's body in water, it is absorbed in the five elements.

 While handing over the dead body to the fire element, wood and dung cakes are also burnt along with it and finally the ash that is produced is flown into the water.  The ash that flows in the water acts as a disinfectant for the water.


 This ash reduces the most probable number of coliform (MPN) and also increases the amount of dissolved oxygen (DO).  It has been clear in scientific studies that ash made from cow dung is an eco-friendly alternative for disinfection ...

 Which can also be used for sewage water treatment (STP).  Every activity of Sanatan is based on purely scientific concept.  Therefore, stay healthy, stay eternally.


 You must have seen that Naga sadhus rub fumes of fumigation on their body which keeps them pure as well as protecting them from the fierce cold.


 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra
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Thursday, July 30, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- टूटी झरना शिव धाम ( रामगढ़ झारखण्ड भारत)। A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Broken Waterfall Shiva Dham (Ramgarh Jharkhand India)

Ek yatra khajane ki khoje



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । झारखंड के एक बहुत ही अद्भुत, अलौकिक और अलौकिक उर्जावान शिवलिंग की दर्शन को जहां पहुंचते ही मन की सारी विकार दूर हो जाती है । और मन शांत हो जाती हैं। ‌🙏🙏🙏🙏


                   
            

                                  टूटी झरना
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                               रामगढ़ , झारखण्ड
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                                       भारत
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                                 झारखंड के रामगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है. यह पूजा सदियों से चली आ रही है. माना जाता है कि इस जगह का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है. भक्तों की आस्‍था है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.अंग्रेजों के जमाने से जुड़ा है इतिहास
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है. मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे. पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा. अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया.शिव भगवान की होती है पूजा 
मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली. प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है. मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है.

मां गंगा की जल धारा का रहस्‍य
सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है. ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है. कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं. यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है. वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है.

दर्शन के लिए बड़ी संख्‍या में आते हैं श्रद्धालु 
लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है. भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं. इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है.

धन्यवाद दोस्तों आशा करता हूं आपलोगो को मेरा यह आलेख पसंद आया होगा। 

                         धन्यवाद दोस्तों

                  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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                                  English translate
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                      Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, I am taking you on today's journey.  When you reach the philosophy of a very wonderful, supernatural and supernatural energetic Shivling of Jharkhand, all the disorders of the mind disappear.  And the mind becomes calm.  4








 Broken waterfall

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 Ramgarh, Jharkhand

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 India

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 There is also a temple in Ramgarh, Jharkhand, where no one else does mother Ganga on the Shivling of Lord Shankar.  The specialty of the temple is that Jalabhishek takes place twelve months and twenty four hours of the year.  This worship has been going on for centuries.  It is believed that this place is also mentioned in the Puranas.  It is the belief of devotees that every wish sought here is fulfilled. History is associated with the era of English

 This ancient Shiva temple located in the Ramgarh district of Jharkhand is known as Broken waterfall.  The history of the temple is linked to 1925 and it is believed that the British were then working on laying railway lines from this area.  While digging for water, he saw something dome inside the ground.  The British carried out a complete excavation to know this and finally this temple was fully seen. Shiva is worshiped by God

 Shiva Linga of Lord Bhole was found inside the temple and a white colored statue of mother Ganga was found just above it.  The water from the idol of the statue continues to flow, which falls on the Shiva Linga, passing through the palm of his two hands.  Getting water out of the Ganges statue inside the temple itself has become a matter of curiosity.


 The mystery of the water stream of Maa Ganga

 The question is that after all this water is coming from itself.  This matter still remains a mystery.  It is said that Jalabhishek on the Shiva Linga of Lord Shankar and no one else does Ganga on her own.  Two hand pumps installed here are also surrounded by secrets.  Here people do not need to run a hand pump for water, instead of this, water always keeps falling down.  At the same time, a river passes near the temple which has become dry, but even in the scorching heat, water flows continuously from these hand pumps.


 Devotees come in large numbers to visit

 People come here from far and wide to worship and there is a flow of devotees throughout the year.  Devotees believe that in the Broken Waterfall Temple, any devotee who sees this wonderful form of God is fulfilled.  Devotees accept the water falling on the Shivling as Prasad and take it to their home and keep it.  With the acceptance of this, the mind becomes calm and gets strength to fight the miseries.


 Thanks guys I hope you liked this article.


 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra

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Wednesday, July 29, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग_ श्री राम मंदिर अयोध्या भारत

Ek yatra khajane ki khoje

नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं अपने आराध्य देव प्रभु श्रीराम जी के भव्य मंदिर निर्माण स्थली अयोध्या जी की यात्रा पर । 🙏🙏🙏🙏🙏




                              श्री राम मंदिर
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                                  अयोध्या
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                                     भारत 
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                          #श्रीराम_मंदिर

हजारों वर्ष पुराना जन्म स्थान , 
500 वर्षों का भीषण संघर्ष , सैकड़ों युद्ध , 
लाखों योद्धाओं -सैनिकों-भक्तों और सन्यासियों का बलिदान देकर वो घड़ी आई है जब भारत के प्राण , सनातन के गौरव मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम पुनः अपने धाम में प्रतिष्ठित होंगें उनकी नगरी अयोध्या पुनः हर्षित और एक एक रामभक्त, एक एक सनातनी गौरवान्वित होगा। 



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                                  English translate
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Hello friends, I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra on today's journey I am taking you on a visit to Ayodhya ji, the grand temple building of my deity Lord Prabhu Shriram.  🙏🙏🙏🙏







 Shri Ram Temple

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 Ayodhya

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 India

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 # Shriram_Mandir

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 Birthplace of thousands of years old,

 500 years of fierce struggle, hundreds of wars,

 The moment has come when sacrificing millions of warriors - soldiers, devotees and ascetics, when the soul of India, Sanatan's pride Maryada Purushottam Shriram will be revered again in his abode, his city of Ayodhya will be rejoiced and every one of the devotees will be proud.


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Tuesday, July 28, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग_श्री लक्ष्मी नारायण स्वर्ण मंदिर वेल्लोर तामिलनाडु भारत। A Trip Mountain with Leopard Mahendra_Sri Lakshmi Narayan Golden Temple Vellore Tamil Nadu India

Ek yatra khajane ki khoje


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। आज कि यात्रा में मैं आपको लेकर चल रहा हूं।श्री लक्ष्मी नारायण स्वर्ण मंदिर वेल्लोर तामिलनाडु भारत की यात्रा पर। जो कि बहुत ही खूबसूरत और अद्भुत है ।🙏🙏🙏🙏





                         Sri Lakshmi Narayani Golden Temple 
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Tamilnadu India

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श्री लक्ष्मी नारायणी स्वर्ण मंदिर वेल्लोर तमिलनाडु भारत
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यह मंदिर भारत के तमिलनाडु में थिरुमलाइकोडी (मलाइकोडी) वेल्लोर में छोटी पहाड़ियों के तल पर श्रीपुरम आध्यात्मिक पार्क में स्थित है। यह तिरुपति से 120 किमी, चेन्नई से 145 किमी, पुदुचेरी से 160 किमी और बेंगलुरु से 200 किमी दूर है। मंदिर में मुख्यतः देवी श्री लक्ष्मी नारायणी या महालक्ष्मी (धन की देवी) की अराधना की जाती है। महालक्ष्मी का महाकुंभ 24 अगस्त 2007 को आयोजित किया गया था। सभी धर्मों के भक्तों का इस मंदिर में स्वागत किया जाता है। अनुमानतः यह मंदिर 1,500 किलोग्राम शुद्ध सोने से सुसज्जित है जो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के गुंबद के 750 किलो के सोने के आकार का दोगुना है।








                     धन्यवाद दोस्तों
     


                     माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा











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                      English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  In today's journey I am taking you. Shri Lakshmi Narayan Golden Temple on a visit to Vellore Tamil Nadu India.  Which is very beautiful and amazing🙏🙏🙏🙏





Sri Lakshmi Narayani Golden Temple 
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Tamilnadu India

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Golden Temple Vellore complex inside the Sripuram spiritual park is situated at the foot of a small range of green hills at Thirumalaikodi (or simply Malaikodi) Vellore in Tamil Nadu, India. It is 120 km from Tirupati, 145 km from Chennai, 160 km from Puducherry and 200 km from Bengaluru. The Maha Kumbhabhishekam or consecration of the temple and its chief deity, Sri Lakshmi Narayani or Maha Lakshmi, the goddess of wealth, was held on 24 August 2007, and devotees from all religions and backgrounds are welcome to visit




                     Thank you friends
   
             Mountain lappord Mahendra
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Monday, July 27, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग_ सैंजी गांव उतरा खंड भारत A travel mountain landed with Mahendra_ Sanji village landed section India

Ek yatra khajane ki khoje


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर हम चल रहें हैं  उत्तराखंड खंड के बहुत ही खूबसूरत गांव सैंजी गांव की यात्रा पर।

                       
                                सैंजी गांव
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                                उत्तराखंड
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                                    भारत
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सैंजी गांव जहाँ आज भी घरों के बाहर भुट्टे (मक्का, मुंगरी ) सुखाए जाते हैं । भुट्टे को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने का ये सबसे बढ़िया तरीका है । इस तरह इसमें कीड़े नहीं लगते और ना ये सड़ते हैं बल्कि, धूप में प्राकृतिक तरीके से सूखने से इसकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है। फिर चाहे इसे बीज के लिए रखना हो, इसका आटा बनाना हो, पॉपकॉर्न बनाने हो, उबाल कर खाना हो जैसे आपके मन को भाये 😋

देवदार की लकड़ी से बना ये सुन्दर घर, हमारे आपके जैसे प्रवासी पहाड़ियों को एक बार फिर गांव के घर की याद दिलाता है। इस घर के खम्बों पर हुई कमल के फूल की नक्काशी को देखिए जिसे यहाँ के लोग रंगों से सजा कर रखते हैं।
घर की सुंदरता पर चार चाँद लगते हैं - ये चक्र, घोड़े, फूल -पत्ती के रंगीन चित्र।

ये सुन्दर छोटी-छोटी खिड़कियाँ। ये लकड़ी की सीढ़ी और पेंटब्रश से लिखा स्वागतम


                          धन्यवाद दोस्तों

                      माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा


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                     English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, today we are going on a journey to Sanji village, a very beautiful village in Uttarakhand section.




 Sanji Village
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 Uttarakhand
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 India
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 Sanji village where Bhutte (Mecca, Mungri) is dried outside the houses even today.  This is the best way to protect the corn for a long time.  In this way, it does not get insects and does not rot, rather, drying in the sun in a natural way increases its quality.  Then whether you want to keep it for seed, make its dough, make popcorn, boil it and eat it as it pleases your mind.


 This beautiful house made of cedar wood reminds the migrant hills like us once again of the village house.  Look at the carving of the lotus flower on the pillars of this house, which people here decorate with colors.

 There are four moons on the beauty of the house - these chakras, horses, colorful pictures of flowers and leaves.


 These beautiful small windows.  This is welcome written with wooden ladder and paintbrush



 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra
  

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Sunday, July 26, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- मणिकर्णिका श्मशान घाट ( काशी उत्तर प्रदेश भारत)। Manikarnika Cremation Ghat (Kashi Uttar Pradesh India) with a Journey Mountain Leopard Mahendra

Ek yatra khajane ki khoje


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । दोस्तों आज की यात्रा पर मैं पहुंचा हुं मैं  मोक्षदायिनी  , अलौकिक  मणिकर्णिका श्मशान घाट पर । दोस्तों आज मैं अपने आप को को बहुत शांत महसूस कर रहा हूं मणिकर्णिका श्मशान घाट पर बैठ कर । ऐसा लग रहा है मानो मैं यही पर धुनी लगा कर समाधी में बैठ जाऊं और मोह-माय
 की दुनिया को छोड़कर महाकाल में विलीन हो जाऊं । हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏🙏



                             मणिकर्णिका श्मशान घाट
                            🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

                                काशी उत्तर प्रदेश
                              🙏🙏🙏🙏🙏🙏



                                  भारत
                                  🙏🙏



                  #काशी का #मणिकर्णिका श्मशान घाट के बारे में मान्यता  है कि यहां #चिता पर लेटने वाले को सीधे #मोक्ष मिलता है। दुनिया का ये इकलौता श्मशान जहां चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती। जहां लाशों का आना और चिता का जलना कभी नहीं थमता। यहाँ पर एक दिन में करीब #300_शवों का अंतिम संस्कार होता है।
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बहुत से लोग भारत की इस प्राचीन परंपरा से अनभिज्ञ हैं लेकिन ये सच है कि सदियों से बनारस के इस श्मशान घाट पर #चैत्र_माह में आने वाले नवरात्रों की सप्तमी की रात पैरों में घुंघरू बांधी हुई #वेश्याओं का जमावड़ा लगता है। एक तरफ #जलती_चिता_के_शोले आसमान में उड़ते हैं तो दूसरी ओर घुंघरू और तबले की आवाज पर नाचती वेश्याएं दिखाई देती हैं।
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मौत के मातम के बीच श्मशान महोत्सव का रंग बदल देते हैं तबले की आवाज, घुंघरुओं का संगीत, और मदमस्त नाचती नगरवधुएं। जो व्यक्ति इस प्रथा से अनजान होगा उसके लिए यह मंजर बेहद हैरानी भरा हो सकता है कि रात के समय श्मशान भूमि पर इस जश्न का क्या औचित्य है?
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#भगवान_भोलेनाथ को समर्पित, काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है। यही वजह है कि वेश्याएं भी यहां नाच-नाचकर भोलेनाथ से यह प्रार्थना करती हैं कि उन्हें इस तुच्छ जीवन से मुक्ति मिले और अगले जन्म में वे भी समाज में सिर उठाकर जी सके।


                               धन्यवाद दोस्तों
        
                           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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                                  English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, on today's journey I have reached Mokshadayini, the supernatural Manikarnika crematorium.  Friends, today I feel very calm, sitting at the Manikarnika crematorium.  It looks as if I can sit in the tomb by fuming it and my love

 Let's leave the world and disappear in Mahakal.  Har har mahadev🙏🙏🙏🙏




 Manikarnika Crematorium

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 Kashi Uttar Pradesh

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 India

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 #Kashi's #Manikarnika Cremation Ghat is believed that the one who lies on the #Chita here gets direct #Moksha.  This is the only cremation in the world where the fire of pyre never cools down.  Where the corpses come and the funeral pyre never stops.  About # 300_ dead bodies are cremated here in a day.

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 Many people are unaware of this ancient tradition of India, but it is true that for centuries, there is a gathering of # prostitutes tied to their feet on the night of Saptami of Navratras coming in the #Chaitra_Mah on this crematorium ghat of Banaras.  On one side #Jalati_Chita_K_sholes fly in the sky and on the other side the prostitutes dancing at the sound of ghungroo and tabla are seen.

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 In the midst of the weeds of death, the crematoriums change the color of the festival, the sound of tabla, the music of the ghungroos, and the drunken townsfolk.  For a person who is unaware of this practice, it can be very surprising that what is the justification of this celebration in the cremation ground at night?

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 # Dedicated to Bhagwan_Bholenath, Kashi is called the city of salvation.  This is the reason that prostitutes also dance here and pray to Bholenath that they may be freed from this paltry life and in the next life they too can live by raising their heads in the society.



 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra
                          
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

                         

Saturday, July 25, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग_ श्रीखंड महादेव ( हिमाचल प्रदेश भारत )। 18570 फ़ीट ऊंचाई. _ Srikhand Mahadev (Himachal Pradesh India) with a traveling mountain leopard Mahendra. 18570 ft height

Ek yatra khajane ki khoje


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता । दोस्तों आज की यात्रा में हम चल रहें हैं 18570 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव  हिमाचल प्रदेश की यात्रा पर ।🙏🙏🙏🙏




                                   श्रीखंड महादेव
                                🙏🙏🙏🙏🙏🙏

                                  
                                     हिमाचल प्रदेश
                                 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 










                   #श्रीखंडमहादेव यात्रा – #अमरनाथ_से भी #कठिन है महादेव की यह यात्रा।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन मानी जाती है। उसके बाद अमरनाथ यात्रा का नंबर आता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊचाई पर चढ़ना होता है।

श्रीखंड महादेव

श्रीखण्ड यात्रा के आगे अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई कुछ भी नहीं है। ऐसा उन लोगों का कहना है जो दोनों जगह होकर आए हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा नहीं चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।

श्रीखंड महादेव जाते हुए श्रद्धालु
क्या है पौराणिक महत्व- श्रीखंड की पौराणिकता मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भीअपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली। इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती कारूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।

विभिन्न स्थानों से दूरी
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
शिमला से रामपुर – 130 किमी
रामपुर से निरमंड – 17 किलोमीटर
निरमंड से बागीपुल – 17 किलोमीटर
बागीपुल से जाओं – करीब 12 किलोमीटर

कैसे पहुंचे श्रीखंड-
आप रामपुर बुशहर(शिमला से 130 कि० मी०) से 35 कि० मी० की दूरी पर बागीपुल या अरसू सड़क मार्ग से पहुँच सकते है श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावोंमें माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं। बागीपुल से 7 कि० मी० दूरी पर जाँव गाँव तक गाड़ी से पंहुचा जा सकता है जाँव से आगे की 25 किलोमीटर की सीधी चढाई पैदल यात्रा शुरू होती है।

यात्रा के तीन पड़ाव- सिंहगाड़ थाचड़ू और भीम डवार है

श्रीखंड महादेव जाते हुए श्रद्धालु जाँव से सिंहगाड़ 3 कि० मी० सिंहगाड़ से थाचड़ू 8 कि० मी० और थाचड़ू से भीम डवार 9 कि० मी० की दूरी पर है यात्रा के तीनो पडावो मे श्री खंड सेवा दल की ओर से यात्रियों की सेवा मे लंगर दिन रात चलाया जाता है भीम डवार से श्री खण्ड कैलाश दर्शन 7 कि० मी० की दूरी पर है तथा दर्शन उपरांत भीम डवार या थाचड़ू वापिस आना अनिवार्य होता है

यात्रा मे सिंहगाड, थाचरू, कालीकुंड, भीमडवारी, पार्वती बाग, नयनसरोवर व भीमबही आदि स्थान आते हैं। सिंहगाड यात्रा का बेस कैंप है। जहां से नाम दर्ज करने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी जाती है। श्रीखंडसेवा समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए हर पडाव पर लंगर की व्यवस्था होतीहै।
   


                               धन्यवाद दोस्तों

                   माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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                            English translate
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Hello friends, I would like to extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, in today's journey we are going on a trip to Srikhand Mahadev Himachal Pradesh situated at an altitude of 18570 feet.🙏🙏🙏🙏





 Shrikhand Mahadev

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 Himachal Pradesh

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 #ShrikhandMahadeva Yatra - This journey of Mahadev is even harder than #Amarnath_.

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 The journey of Kailash Mansarovar is considered to be the most difficult.  After that comes the Amarnath Yatra number.  But the journey of Shrikhand Mahadev of Himachal Pradesh is more difficult than the Amarnath Yatra.  In Amarnath Yatra, where people have to climb about 14000 feet, then one has to climb 18570 feet in height to see Shrikhand Mahadev.


 Shrikhand Mahadev


 There is nothing climbing the Amarnath Yatra in front of the Shrikhand tour.  It is said of those who have come both places.  Srikhand Mahadev is adjacent to the Great Himalayan National Park in Himachal.  According to local people, Lord Shiva resides on this peak.  The height of its Shivling is 72 feet.  To reach here there is a track from between beautiful valleys.  During Amarnath Yatra, people resort to mules.  At the same time, Shrikhand Mahadev has such a difficult climb of 35 kilometers, on which no mule horse can walk.  The road to Srikhand goes through Rampur Bushair.  From here, the walking tour starts after Nirmand, followed by Bagipul and finally after village.


 Devotees visiting Shrikhand Mahadev

 What is the mythological significance- The mythology of Shrikhand is that the demon Bhasmasura sought a boon from Shiva with his austerity that he would be consumed by whomever he laid his hands on.  Being demonic, she decided to marry Mata Parvati.  So Bhasmapur planned to devour Lord Shiva by putting his hands on it but Lord Vishnu destroyed his intention.  Vishnu wore the Mata Parvati form and persuaded Bhasmasura to dance with him.  During the dance, Bhasmasura placed his hands on his head and was consumed.  Even today, the soil and water there appear red from a distance.


 Distance from different places

 To reach Shrikhand Mahadev, one has to reach trains and buses from Rampur in Shimla district to Bagipul and Jaan via Nirmand in Kullu district.  From where the distance has to be traveled about thirty kilometers ahead.



 Shimla to Rampur - 130 km

 Rampur to Nirmand - 17 km

 Nirmand to Bagipul - 17 km

 Go from Bagipul - about 12 kilometers


 How to reach Shrikhand

 You can reach Bagipul or Arsu by road 35 km from Rampur Bushahr (130 km from Shimla) while going to Srikhand, natural Shiva cave, seven temples in Nirmand, nine goddesses including Mata Parvati in Javas, Parashurama temple, Dakshineswar Mahadev  , Hanuman Temple Arsu, Sinhagad, Jotkali, Dhankdwar, Bakasur Badh, Dhankdwar and Kunsha etc.  7 km from Bagipul can be reached by car from village to village. The trek of 25 km straight from the village starts on foot.


 There are three stops of the journey - Sinhagad Thachdu and Bhim Dwar


 On the way to Srikhand Mahadev, the devotee is at a distance of 3 km from Sinhagad to Thachdu 8 km from Sinhagad and 9 km from Bhchwar to Bhchwar from Thachdu, the langar is carried on day and night in the service of the pilgrims by the Shri Khand Seva Dal.  Shri Khand Kailash Darshan is at a distance of 7 km from Bhim Dwar and it is mandatory to return to Bhim Dwar or Thachdu after darshan.


 Places like Sinhagad, Thacharu, Kalikund, Bhimdwari, Parvati Bagh, Nayanasarovar and Bhimbahi are included in the journey.  Sinhgad is the base camp of the journey.  From where devotees are allowed to visit after registering the name.  On behalf of Shrikhand Seva Samiti there is a system of langar for devotees at every step.🙏🙏🙏🙏🙏





 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra




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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...