Tuesday, July 7, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग _7

Ek yatra khajane ki khoje




               ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
               -----------------------------------


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
 जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी तहखाने के नीचे बने भुलभुलैया में  राजमहल तक जाने वाले सुरंग के मुहाने की तलाश में  भुलभुलैया के अंदर भटक गए थे और गोल गोल घूम कर एक ही जगह पर वापस आ जा रहे थे। जिससे थक कर हम सभी एक जगह बैठ गये थे । और जमीन के अंदर होने से हमे ठंड भी लग रहा था इसलिए हमने आग जला ली थी ताकि ठंड से राहत मिल सके । पता है दोस्तों यही आग हमारे लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि आग के धुआं के कारण ही हमें उस रास्ते का पता चला जिससे होकर हम सभी सुरंग के मुहाने तक पहुंच सकते थे । अतः दोस्तों हम सभी जल्दी जल्दी आग को बुझा कर उस रास्ते में प्रवेश कर जाते हैं जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा था । और हम तेजी से बढ़े जा रहें थे अंदर की ओर ।हमे जल्द ही  पानी बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं जिससे हम तेजी से उस ओर आगे बढ़ने लगते हैं  और लगभग हम सभी सौ कदम ही आगे बढ़े थे कि हमें घंटे की आवाज सुनाई पड़ने लगती है जैसे कि कोई मंदिर में घंटा बजा रहा हों । और हम उत्सुकता पूर्वक उस आगे बढ़ने लगे।  अचानक हम सभी  ठिठक कर रूक गये  क्योंकि हमारे सामने   लगभग एक सौ फुट गहरी खाई थी   और चारों ओर एक अद्भुत और अलौकिक प्रकाश का पुंज प्रस्फुटित हो रहा था  मानो न मानो दोस्तों  वह प्रकाश कहीं और से नहीं  बल्कि खाई के नीचे बने उस विशाल और चमत्कारी शिवलिंग से ही प्रस्फुटित हो रहा था और ठिक शिवलिंग के उपर के उपर एक विशाल घंटा लटक रहा था । और उस घंटे को एक पांच मुख वाला एक विशाल सर्प हिला रहा था जिस कारण घंटे से  आवाज निकल रही थी। और ठिक उसके उपर  गंगा माता अपने जल से शिवलिंग को जल अर्पण कर रही थी । बहुत ही अद्भुत नजारा था दोस्तों  । और उपर में चारों ओर बहुत सारे सुरंग बनें हुए थे और सभी के सभी सुरंग पत्थरों से बन्द था । और उनमें से एक सुरंग सबसे अद्भुत था क्योंकि उस सुरंग के उपर से ही  एक छोटी सी झरना  निकल रही थी और नीचे शिवलिंग पर गिर रही थी ।  कि अचानक तभी पंच मुखी सर्प की नजर हम पर पडती हैं और हम पर गुस्से से फुफकारने लगता है  और डर कर हम पिछे हट जाते हैं  । कि तभी पिता श्री बोलते हैं डरो मत बच्चों नागराज हमे कुछ नहीं करेंगे ।  तुम्हारे दादा जी ने हमे बताया था कि एक सर्प  शिवलिंग और और हमारे पुरखों की खजाने की रक्षा करते हैं अतः नागराज हमे कुछ नहीं करेंगे। सभी लोग शांत होकर बैठ जाओ और अपने इष्ट देव भोले बाबा जी को याद करो ।ं और हम सभी शांत होकर बैठ जाते हैं और भोले नाथ को याद करने लगते हैंं और नागराज बहुत ही तेज़ी से हमारी ओर आते हैं और हमें सुंघने लगते हैं और हम शांत चुपचाप बैठे रहे  और बारी बारी से एक-एक को सुंघने के बाद  नागराज वापस मुड़ते हैं और एक सुरंग की ओर आगे बढ़ जाते हैं और सुरंग का दरवाजा अपने आप खुल जाता है और वे उसके अंदर चलें जाते हैं और उनके अंदर जाते ही सुरंग का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता हैं  और अखिलेश खुशी से चिल्ला उठता है और बोलता है नागराज ने हमे छोड़ दिया। 





-------------------------------------------------------------------------------------
 English translate


__________________




Secret of Tambakhani Cave

 -----------------------------------



 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how we all wandered inside the labyrinth in search of the tunnel leading to the palace under the cellar and were turning round and coming back to the same place.  Due to which we all sat down in one place.  And being inside the ground, we were feeling cold as well, so we lit a fire so that we could get relief from the cold.  You know friends, this fire proved to be a boon for us because it was due to the smoke of the fire that we came to know the way through which we all could reach the mouth of the tunnel.  So friends, we all quickly extinguish the fire and enter the path from which smoke was coming out.  And we were moving fast inwards. We soon started to hear the sound of water flowing so that we started moving rapidly towards that and almost all of us had moved hundred steps to hear the sound of the hour.  Looks like someone is playing the bell in the temple.  And we eagerly started moving forward.  Suddenly we all stopped and stopped because there was a gap of about a hundred feet deep in front of us and a wonderful and supernatural light was being sprung up all around, as if friends, that light was not from anywhere else but that huge and miraculous under the moat.  It was emerging from the Shivling itself and a huge hour was hanging above the right Shivling.  And on that hour a huge serpent with a five face was shaking due to which the sound was coming out of the hour.  And on top of that Ganga Mata was offering water to Shiva Linga with her water.  It was a wonderful sight, friends.  And there were lots of tunnels all over, and all of them were closed with stones.  And one of those tunnels was the most amazing because a small waterfall was coming out from above that tunnel and falling on the Shivling below.  Suddenly, the Panch Mukhi snake's eye falls on us and he starts puffing at us with anger and we retreat behind fear.  That is when Father Shri says, do not be afraid, children, Nagraj will not do anything to us.  Your grandfather told us that a snake protects the Shivling and the treasures of our forefathers, so Nagraj will not do anything to us.  Let all the people sit down and remember their favorite God Bhole Baba ji. And we all sit quietly and remember Bhole Nath and Nagraj comes towards us very quickly and starts to smell us and  We sat quietly and after sniffing each other, Nagraj turned back and proceeded towards a tunnel and the door of the tunnel opened automatically and he walked in and went inside  The door of the tunnel closes by itself and Akhilesh shouts with joy and says Nagraj left us.



____________________________________________________
  तभी पिता श्री बोलते हैं पता है बच्चों हमारी जान कैसे बची‌  और अगर कोई और होता तो अब तक यमलोक पहुच गया होता और नहीं तो नागराज का निवाला बन गया होता।  शिवलिंग की स्थापना हमारे हमारे पुरखों ने ही की थी और हर रोज शिवलिंग पूजा किया करते थे। और इन सब पुरखों में सबसे अग्रणी महिला थी हमारी परदादी जी । जिन्होंने ने अपनी प्राण शिवलिंग पर ही अर्पित कर मोक्ष को प्राप्त कर ली थी । वे बहुत ही दयालु महिला थी और कुशल प्रशासक भी जब हमारे पिता श्री छोटे थे और जब परदादा जी  एवं दादा जी दोनो  दण्डक वन की यात्रा पर गये थे तो परदादी ही राजकाज संभाली हुई थी क्योंकि वे दोनों वर्षो तक  दण्डक वन के राक्षसों का सफाया करने में बिता दिया था । और जब वे लौटे तो परदादी काफी बुढी हों गई थी और अपने अंतिम समय इन्हीं कंदराओं मे शिवलिंग की पूजा करने में बिता दी थी ।  हमारे पिता श्री बोलते थे कि हमारे परदादी मां को भगवान भोलेनाथ ने शाक्क्षात दर्शन दिए थे । और जब वे स्वर्ग को सिधार गई तो  । तो परदादा जी ने भी उसी कुटिया में अपने प्राण त्यागे थे जिसमें परदादी रहा करती थी । और फिर बाद में हमारे दादा जी ने  इन कंदराओं को हमेशा के लिए बंद कर दिया था । और तब से लेकर आज तक कोई भी नहीं आया था। और गलती से भी हमारे दुश्मन गुप्त रूप से इन कंदराओं के जरिए हम पर हमला करने की सोचते और इन गुफाओं में आते थे तो उन्हें नागराज अपना निवाला बना लेते थे।  और हम सभी लोग बातें करते करते नीचे की ओर उतरने लगे  जहां पर शिव लिंग स्थापित था । 



 __________________________________________________
English translate
____________________


____________________________________________________

 That is when the father Shri speaks, you know how children will save our life and if someone else had reached Yamlok by now, otherwise he would have become the owner of Nagraj.  Shivling was founded by our forefathers and used to worship Shivalinga everyday.  And the foremost woman among all these ancestors was our great-grandmother.  Who had attained salvation by offering his life on Shivling itself.  She was a very kind lady and also a skilled administrator, when our father Shri was small and when great grandfather and grandfather both went to visit Dandak forest, great grandmother was in charge of the kingdom because they both wiped out the demons of Dandak forest for years.  I had spent  And when he returned, the great-grandmother had grown old and spent her last time worshiping Shiva lingam in these Kandras.  Our father Shri used to say that Lord Bholenath had given a darshan to his great-grandmother.  And when she went to heaven.  So great grandfather also gave up his life in the same hut in which great grandmother used to live.  And then later our grandfather closed these kandaras forever.  And since then no one had come.  And even by mistake, our enemies secretly thought of attacking us through these caves and used to come to these caves, then Nagraj would make them their morsels.  And we all started talking down to where Shiva Linga was installed.

------------------------------------------------------------------------------------

और दोस्तों जैसे ही लगभग पचास फिट नीचे उतरे होंगे कि तभी हमें वह कुटिया नजर आने लगा  जिसमें हमारी परदादी जी अपने अंतिम समय में रहा करतीं थीं । जिसे देखकर हम सभी आश्चर्य चकित रह गये ।ं और तेजी से नीचे उतरने लगे और अंततः नीचे पहुंच ही गये । सबसे पहले नीचे हम सभी ने शिवलिंग को प्रणाम किया और भगवान से आशीर्वाद मांगी की जल्द से जल्द  हमे वह सुरंग का मुहाना मिल जाए जिससे होकर हम सभी को राजमहल पहुंचना था । प्रणाम करने के बाद हम सभी  उस कुटिया की ओर प्रस्थान कर गये  जिसमें हमारी परदादी रहा करती थीं । शायद वहां से हमे कुछ सबुत मिल जाए उस चमत्कारी सुरंग का । और हम सभी चल पड़े उस ओर । दोस्तों शिवलिंग से लगभग सौ मीटर की दूरी पर थी कुटिया ।  तभी पिता श्री बोले कि हम कुटिया में पहुंच कर थोड़ी देर आराम करेंगे क्योंकि हम सब काफी थक चुके हैं । तभी राजा भाई बोलते हैं हां पिता श्री काफी थक चुके हैं  इसलिए थोड़ा आराम कर लिया जायेगा । उसके बाद हम सभी मिलकर सुरंग के मुहाने ढुंढ निकालेंगे  और राजमहल पहुंच कर मां के हाथों का बना गरमागरम स्वादिष्ट खाना खायेंगे। वाह मजा आ जायेगा। तभी टिंकू भाई बोलते हैं वाह मेरे मुंह में तो अभी से पानी आने लगा है । और हम सभी बातें करते करते कुटिया के पास पहुंच जाते हैं और हमारा आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है क्योंकि कुटिया जस के तस वैसा ही था जैसे सदियों पहले था ।  ना कुछ टुटा था और नहीं कुछ फुटा था बिल्कुल वैसा ही जैसा हमने सुना था पिता श्री बोले । और फिर पिता श्री कुटिया का दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देखकर उनके आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी ।
 


English translate
__________________


  



 And friends, as soon as about fifty fit must have come down, that is when we started to see the hut in which our great-grandmother used to live in her last time.  Seeing which all of us were surprised and started coming down fast and finally reached the bottom.  First of all, we all bowed down to the Shiva lingam and sought blessings from the Lord that at the earliest we could find the mouth of the tunnel through which we all had to reach the palace.  After bowing, we all went towards the hut in which our great-grandmother lived.  Maybe from there we can get some evidence of that miraculous tunnel.  And we all walked towards that.  Friends, the hut was about a hundred meters away from Shivling.  Then the father said that after reaching the hut we will rest for a while because we are all tired.  That's when the king says brother yes, father Shree is very tired, so a little rest will be taken.  After that, we all together will find out the mouth of the tunnel and after reaching the palace will eat delicious hot food made by the mother's hands.  Wow it will be fun  That's why Tinku Bhai says, Wow, my mouth has started getting water from now on.  And we all go to the hut talking and we are not surprised because the hut was the same as it was centuries ago.  There was nothing broken or not something was exactly the same as we had heard, Father said.  And then the father opened the door of Mr. Kutia and seeing the view inside, a stream of tears flowed from his eyes.


____________________________________________________
 
  क्योंकि कि दोस्तों अंदर का नजारा ही ऐसा था कि पिता श्री अपने आप को  रोने से रोक नहीं सके । और उनको रोता देखकर हम सभी भी अपने आप को रोक नहीं सके और हमारे आंखों से भी आंसुओं की धारा बहने लगी । 
धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा  ।
          
            धन्यवाद दोस्तों 





____________________________________________________
English translate
___________________

 
   Because the view inside friends was such that Father Sri could not stop himself from crying.  And seeing them weeping, we all could not stop ourselves and tears started flowing from our eyes.

 Thank you guys, I will narrate the episode tomorrow.



 Thanks guys
 ।ं

Monday, July 6, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




  • ताम्बाखानी गुफा का रहस्य

नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
  

जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी  तहखाने के अंदर मौजूद नदी को पार करके भुलभुलैया के पास पहुंच चुके थे । जहां पर हमे अपने पुरखों के द्वारा लड़े गये युद्ध की निशानी देखने को मिली ।करता बताऊं दोस्तो बहुत भयावह नजारा था यहां पर चारों ओर मानवों के कंकाल ही नज़र आ रहे थे । और हम सभी उन्हीं कंकालों के बीच से होकर हम सभी भुलभुलैया के मुहाने तक पहुंच  थे । और अब हमें इन्हीं भुलभुलईयो से होकर  सुरंग के मुहाने तक पहुंचना था ।
 पर समस्या यह थी कि अगर हम सभी इन भुलभुलइयो में भटक गये तो कभी बाहर नहीं निकल पायेंगे और हमारी कंकाले भी  इन्हीं भुलभुलईयो  में कहीं पड़ा मिलेगा।  तभी पिता श्री बोलते हैं कि कोई भी अलग अलग नहीं  नहीं होगा  हम सभी साथ साथ चलेंगे ताकि हम सभी एक दूसरे से बिछड़े नहीं।  और फिर हम सभी उस नक्शे को ध्यान से देखने लगें   जो उस  भुलभुलइयो का बना हुआ था  और उस नक्शे में हमें शिव लिंग स्पष्ट रूप से दिख रहा था  लेकिन स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि वह भुलभुलैया के किस भाग में मौजूद हैं । अतः दोस्तों हम सभी देर ना करते हुए भुलभुलैया में प्रवेश कर जाते हैं  एक अंजान  सा दिखने वाला सुरंग के मुहाने की तलाश में और उस अद्भुत शिवलिंग की खोज में जिसकी पूजा हमारे पुरखे किया करते थे ।  हम जैसे जैसे भुलभुलैया के अंदर जा रहे थे। हमारे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी  कि कहीं हम आपस में एक दूसरे से बिछड़ न जाते इसलिए हम सभी साथ साथ चल रहे थे । सबसे आगे मैं चल रहा था और सबसे पिछे राजा भाई ।  लगता है जैसे सदियों से इन गुफानुमा भुलभुलैया में कोई नहीं आया था  ।हर तरफ़ मकड़ियों का जाला और मरे हुए जानवरों के अवशेष पड़े
 हुए थे ।हम बीच बीच में नक्शा को देखते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। कि तभी हमें किसी जानवर की गुर्राने की आवाज सुनाई देती है जो तेजी से हमारी ओर बढ़ र‌ही थी ।  अतः हम सभी सावधान हो गऐ और हाथों में तलवार लेकर उस जानवर के पास आने का इंतजार करने लगे । तभी मामा श्री बोलते हैं जो भी जानवर है काफी बड़ा है और गुस्से में है  तभी अखिलेश भाई बोलते हैं कि जो भी हो  आज तो मैं उसे छोड़ने वाला नहीं हूं आज तो मैं उसका शिकार करके ही रहुंगा। अभी हम सभी बात ही कर रहे थे कि सामने से एक बहुत बड़ा  मगरमच्छ आता हुआ दिखाई पड़ा जो बहुत ही गुस्से में था और सिधे हम पर हमला करने वाला था  । लेकिन हम सब सावधान थे । जैसे ही उसने हम पर हमला किया वैसे ही अखिलेश और अजय ने उसके मुंह में जलती हुई मशाल डाल दिया । जिससे मगरमच्छ डर कर नदी की भागना शुरू कर दिया ।  बहुत ही अजीब सा मगरमच्छ था  लगभग 20फुट लम्बा और शरीर का रंग लाल था  जो इतनी अंधेरे में भी चमक रहा था ।  तभी पिता श्री बोलते हैं कि मैंने अपने जिंदगी में कभी ऐसा मगरमच्छ नहीं देखा था । अद्भुत था चलो जान बची हमारी । तभी राजा भाई बोलते हैं  देखो भाइयों मगरमच्छ जिस ओर से आया था  और उसके रेंगने से जमीन में निशान बन गया है  वह जहां से भी आया था वहां जरूर  पानी और किचड़ होगा तभी तो जमीन पर निशान बन गया है । शायद वहां पर शिव लिंग भी होगा । चलो हम इसी निशान का पिछा करते हैं हो सकता हैं शायद हम सब शिव लिंग तक पहुंच जाएं। तभी मामा जी बोलते हैं ठीक है चलो उस निशान का पिछा करते हैं और हम सभी मगरमच्छ के द्वारा बनें निशान का पिछा करते हुए आगे बढ़ने लगते हैं 





____________________________________________________
 English translate


 Secret of Tambakhani Cave


 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.




 As friends yesterday, you read how all of us had crossed the river inside the cellar and reached near the maze.  Where we got to see the sign of war fought by our forefathers. Telling friends, there was a very frightening sight here, only the skeletons of humans were seen all around.  And we all reached the mouth of the labyrinth through the same skeletons.  And now we had to reach the mouth of the tunnel through these same faults.

 But the problem was that if all of us wandered in these forgetfulness, we would never get out and our skeletons would also be found somewhere in these forgetfulness.  Then Father Shri says that no one will be different, we will all walk together so that we are not separated from each other.  And then we all start to look carefully at the map which was made of that forgetfulness and in that map we could clearly see the Shiva Linga but it was not clear in which part of the forgetfulness it is present.  So friends, all of us, without delay, enter the labyrinth in search of a strange looking tunnel and in search of the wonderful Shivalinga that our ancestors worshiped.  As we were going inside the labyrinth.  Our heartbeat was increasing so that we would not get separated from each other, so we were all walking together.  At the forefront, I was walking and the last king brother.  It seems as if no one has come to these cave maze for centuries. The spider web and the remains of dead animals are everywhere.

 We were moving forward looking at the map in between.  That is when we hear the growling of an animal that was fast moving towards us.  So we all became cautious and started waiting for the animal to come to us with a sword in our hands.  Then uncle Mama speaks whatever animal is very big and angry, then brother Akhilesh says that whatever happens today, I am not going to leave him, today I will remain hunting him.  All of us were just talking that a huge crocodile was seen coming from the front, which was very angry and was going to attack us directly.  But we were all careful.  Akhilesh and Ajay put a burning torch in his mouth as soon as he attacked us.  Due to which the crocodile started running away from the river.  There was a very strange crocodile about 20 feet long and the body color was red, which was shining even in such darkness.  Then Father Shri says that I had never seen such a crocodile in my life.  Our life was amazing.  That is why the king says that brother, look at the brothers from which the crocodile came and because of its crawling, there has been a scar in the ground, wherever it came from, there will definitely be water and mud.  Perhaps there will also be a Shiva Linga.  Let us follow this trail, maybe we all reach the Shiva linga.  That's when Mama ji says, okay let's follow that trail and we all start following the trail made by crocodiles.



___________________________________________________

 अभी हम सभी थोड़ी दूर ही आगे बढ़े थे कि हमें  कल कल बहते हुए पानी की आवाज सुनाई देने लगती हैं  जिससे हम सभी उत्सुकता पूर्वक तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं  और अचानक आगे रास्ता बंद हो जाता है और हम सभी सर पकड़ कर बैठ जाते हैं  क्योंकि पानी बहने की आवाज दिवाल के उस पार से आ रही थी । अब हमें वापस वहीं पर जाना होगा जहां से हम चले थे । थोड़ी देर आराम करने के बाद हम सभी वापस वहीं लौट आए जहां पर हमारा मगरमच्छ से मुठभेड़ हुआ था ।   और हम सभी चारों ओर देखने लगें की अब क्या किया जाए क्योंकि हम सभी बीचों-बीच खड़े  और हमारे चारों ओर  दस रास्ते बनें हुए थे  जिसमें से एक रास्ता वह था  जिससे हम अंदर आये थे लेकिन वह कौन सा था हमे पता नहीं चल पा रहा था । यानी हम सभी इन भुलभुलइयो के जाल में फस चुके थे।  अतः हम सभी परेशान होकर वहीं पर बैठ जाते हैं   चुकी गुफा के अंदर काफी ठंड लग रही थी इसलिए हमने सोचा क्यो नहीं आग जला लिया जाए ताकि ठंड से राहत मिल सके ।    हम सोच ही रहें थे कि तभी अजय और अखिलेश लकड़ियों का गट्ठर लेकर आ जाते हैं तभी पिता श्री बोलते तुम्हें लकड़ियां कहा मिल गई । पिता श्री काफी लकड़ियां पड़
 हुई हैं पास में वही से उठाकर ले आये है। काफी ठंड लग रही है पहले आग जलाते हैं और फिर बाद में ठंडे दिमाग से सोचते हैं बाहर कैसे निकला जाए। और फिर आग जला लिया जाता है और हम सभी आग के चारों ओर बैठ जाते हैं जिससे हमें ठंड से राहत मिलने लगती है । तभी हम सभी एक साथ खुशी से उछल पड़ते हैं और एक साथ बोलते हैं मिल गया रास्ता  सुरंग के मुहाने तक पहुंचने का  और बाहर निकलने का  तभी पिता श्री बोलते हैं कैसे?   



____________________________________________________

English translate


All of us had just moved a little further that we could hear the sound of running water from yesterday, due to which we all started moving eagerly fast and suddenly the path closed and we all sat down holding our heads.  Because the sound of flowing water was coming from the other side of the wall.  Now we have to go back to where we went.  After resting for a while, we all returned back to where we had encountered the crocodile.  And let us all start to see what to do now because we were all standing in the middle and there were ten paths around us, out of which one way was the one we came in but which was it we could not know.  Was.  That is, all of us had fallen into the trap of these forgetfulness.  So we all sit there after getting upset and it was very cold inside the cave, so we thought that the fire should not be lit to get relief from the cold.  We were thinking that only when Ajay and Akhilesh bring a bundle of wood, when you speak father, you have been told to say wood.  Father mr

 She has got her picked up nearby.  It is quite cold, first let's light a fire and then later think with a cool mind how to get out.  And then the fire is lit and we all sit around the fire, which gives us relief from the cold.  That is when we all jump together happily and speak together, we have found a way to reach the mouth of the tunnel and get out only then how does Father Shri speak?




****************************************************** 
  चलिए पिता श्री सबसे पहले मैं नक्शा दिखात हूं। इस नक्शा में आपको कुछ असाधारण सा कुछ दिख रहा है  नहीं ना लेकिन मुझे दिख रहा है   हम सभी अभी जहां बैठे हैं वह जगह नक्शा में यहां पर हैं  देखिए इसके चारों ओर दस रास्ते हैं और हम यहां बीचों-बीच बैठे हुए हैं और बनें इन दो रास्तों में असाधारण रूप से तीर के निशान इस तरह बनें हुए हैं  जैसे हबा बह रही हों । और अभी देखिए  आग जलाने से जो धुआं उठ रहा है     वह   इस रास्ते से बाहर निकल रहा है और ठिक उसके सामने वाले रास्ते से हवा आ रही है और आग की लपटों को उस रास्ते की ओर धकेल रही हैं जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा है  और हम सभी खुशी से झूम उठे । और देर ना करते हुए  सबसे पहले उन दोनों रास्तों पर  चिन्ह बना दिया जिस ओर हवा आ रही थी और जिस रास्ते हवा निकल रही थी । उसके बाद जल्दी जल्दी हमने आग बुझाई और चल पड़े उस रास्ते पर जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा था। सुरंग की मुहाने और शिव लिंग की खोज में। 






___________________________________________________
  English translate                               


Let me be the father, first I show the map.  In this map you don't see anything extraordinary, but I can see that where we all are sitting, the place is here in the map. See there are ten ways around it and we are sitting here in the middle and become  The two paths are exceptionally made of arrow marks as if the haba is flowing.  And now see that the smoke coming out of the fire is coming out of this path and the wind is coming out of the path in front of it and pushing the flames towards the way from which the smoke is coming out  And we all woke up happily.  And while not delaying, first of all, made a sign on both the paths where the wind was coming and the way the air was coming out.  After that we quickly extinguished the fire and walked on the path from which smoke was coming out.  In search of the mouth of the tunnel and the Shiva Linga.



 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कहानी में   काफी रोमांचक पल आने वाला है।


           धन्यवाद दोस्तों
____________________________________________________
English translate
__________________

 

Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because a very exciting moment is coming in the story ahead.



 Thanks guys

 ____________________________________________________

 











 ््व््व््व््व ह










 



                      

Sunday, July 5, 2020

एक संघर्ष की कहानी नीरा आर्य जी की _1902--1979

Ek yatra khajane ki khoje





















जय सीताराम
जय जय श्री गुरूदेव भगवान

                              नीरा आर्य 

स्वाधीनता संग्राम की मार्मिक गाथा। एक बार अवश्य पढ़ें|

 नीरा आर्य (१९०२ - १९९८) की संघर्ष पूर्ण जीवनी:
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | नीरा ने नेताजी #सुभाष_चंद्र_बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी | 
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में एक प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ छज्जूमल के घर जन्मी नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था। 
इन्हें नीरा ​नागिनी के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंत कुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। इनके पिता सेठ छज्जूमल अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इसलिए इनकी शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में ही हुई। 
नीरा नागिन और इनके भाई बसंत कुमार के जीवन पर कई लोक गायकों ने काव्य संग्रह एवं भजन भी लिखे | 1998 में इनका निधन हैदराबाद में हुआ।
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | 
नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी।
आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई। 











आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है - 
‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची, तो हमारे रहने का स्थान वे ही कोठरियाँ थीं, जिनमें अन्य महिला राजनैतिक अपराधी रही थी अथवा रहती थी।
हमें रात के 10 बजे कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई, कंबल आदि का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा। मन में चिंता होती थी कि इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते स्वतंत्रता कैसे मिलेगी, जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी है?
जैसे-तैसे जमीन पर ही लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो कम्बल लेकर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेंककर चला गया। कंबलों का गिरना और नींद का टूटना भी एक साथ ही हुआ। बुरा तो लगा, परंतु कंबलों को पाकर संतोष भी आ ही गया। 












अब केवल वही एक लोहे के बंधन का कष्ट और रह-रहकर भारत माता से जुदा होने का ध्यान साथ में था।
‘‘सूर्य निकलते ही मुझको खिचड़ी मिली और लुहार भी आ गया। हाथ की सांकल काटते समय थोड़ा-सा चमड़ा भी काटा, परंतु पैरों में से आड़ी बेड़ी काटते समय, केवल दो-तीन बार हथौड़ी से पैरों की हड्डी को जाँचा कि कितनी पुष्ट है। 
मैंने एक बार दुःखी होकर कहा, ‘‘क्याअंधा है, जो पैर में मारता है?’’‘‘पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे, क्या कर लोगी?’’ 
उसने मुझे कहा था।‘‘बंधन में हूँ तुम्हारे कर भी क्या सकती हूँ...’’ फिर मैंने उनके ऊपर थूक दिया था, ‘‘औरतों की इज्जत करना सीखो?’’
जेलर भी साथ थे, तो उसने कड़क आवाज में कहा, ‘‘तुम्हें छोड़ दिया जाएगा,यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं?’’
‘‘वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे,’’ मैंने जवाब दिया, ‘‘सारी दुनिया जानती है।’’












‘‘नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए?’’ जेलर ने कहा। 
‘‘हाँ नेताजी जिंदा हैं।’’
‘तो कहाँ हैं...।’’
‘‘मेरे दिल में जिंदा हैं वे।’’ 
जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और बोले, ‘‘तो तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देंगे।’’ और फिर उन्होंने मेरे आँचल पर ही हाथ डाल दिया और मेरी आँगी को फाड़ते हुए फिर लुहार की ओर संकेत किया...लुहार ने एक बड़ा सा जंबूड़ औजार जैसा फुलवारी में इधर-उधर बढ़ी हुई पत्तियाँ काटने के काम आता है, उस ब्रेस्ट रिपर को उठा लिया और मेरे दाएँ स्तन को उसमें दबाकर काटने चला था...लेकिन उसमें धार नहीं थी, ठूँठा था और उरोजों (स्तनों) को दबाकर असहनीय पीड़ा देते हुए दूसरी तरफ से जेलर ने मेरी गर्दन पकड़ते हुए कहा, ‘‘अगर फिर जबान लड़ाई तो तुम्हारे ये दोनों गुब्बारे छाती से अलग कर दिए जाएँगे...’’ 
उसने फिर चिमटानुमा हथियार मेरी नाक पर मारते हुए कहा, ‘‘शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का कि इसे आग से नहीं तपाया, आग से तपाया होता तो तुम्हारे दोनों स्तन पूरी तरह उखड़ जाते।’’ सलाम हैं ऐसे देश भक्त को। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
🇮🇳जय हिन्द, जय माँ भारती, वन्देमातरम !!!✌🙏















_________________
___________________________________











Jai Sitaram




 Jai Jai Shri Gurudev Bhagwan

                               Neera Arya

 The touching story of the freedom struggle.  Must read once.

  Struggle Biography of Neera Arya (1902 - 1979):
 Neera Arya was married to CID Inspector Srikanth Jairanjan Das in British India.  Neera killed her officer husband Srikant Jairanjan Das in the English Army to save the life of Netaji # Subhash_Chandra_Bose.
 Neera has also written an autobiography.  A heartwarming part of this Atma Katha is presented -
 Born on 5 March 1902 in the then United Provinces' Khekra Nagar to Seth Chhajumal, a distinguished businessman, Neera Arya Azad was a soldier of the Rani Jhansi Regiment in the Hind Fauj, who was also accused by the English government of being an undercover.












 They are also known as Neera Nagini.  His brother Basant Kumar was also in the Azad Hind Army.  His father Seth Chhajumal was a distinguished businessman of his time, whose business was spread across the country.  Especially in Calcutta, his father was the main center of his business, so his education was initiated in Calcutta.
 Many folk singers also wrote poems and bhajans on the life of Neera Nagin and his brother Basant Kumar.  He died in 1998 in Hyderabad.
 Neera Arya was married to CID Inspector Srikanth Jairanjan Das in British India.
 Neera killed her officer husband Srikant Jairanjan Das in the British Army to save the life of Netaji Subhash Chandra Bose.













 After the surrender of Azad Hind Fauj, when the trial took place in the Red Fort, all the prisoners were released, but they were sentenced to black water on the murder of their husband, where they were tortured.
 After independence, he lived by selling flowers, but did not accept any government assistance or pension.
 Neera has also written an autobiography.  A heartwarming part of this Atma Katha is presented -
 "When I arrived in Andaman from Kolkata Jail, our place of stay was the cells in which other women were political criminals or lived.
 We were locked in the cells at 10 o'clock in the night and the names of the mat, blanket etc. were not even heard.  There was a worry in my mind that how would we get freedom while living in an unknown island in this deep sea, where there is a need to leave the attention of laying the veil.











 As soon as he hit the ground and sleep too.  At around 12 o'clock a guard came with two blankets and threw them up without even speaking.  The fall of the blankets and the breakdown of sleep also occurred simultaneously.  It felt bad, but satisfaction came after getting the blankets.
 Now only he was with the pain of an iron bond and the care to stay apart from Mother India.
 "As soon as the sun came out, I got khichdi and the blacksmith also came.  A little leather was also cut while cutting the handwring, but when cutting the shackles from the feet, check the foot bone with a hammer only two or three times to see how strong it is.












 I once grieved and said, "Is there a blind that kills in the foot?" "Shall we even kill in the heart, will we do?"
 He told me. "I am in bondage, what can I do with you ..." Then I spit on them, "Learn to respect women?"
 The jailer was also with him, he said in a loud voice, "You will be abandoned, if you will tell where your Netaji Subhash is?"
 "He died in an air crash," I replied, "the whole world knows."
 "Netaji is alive .... you lie that he died in an air crash?" Said the jailer.
 "Yes Netaji is alive."
 "So where are you?"
 "They are alive in my heart."
 As soon as I said the jailer got angry and said, "Then we will remove Netaji from your heart".  ... The blacksmith used a big jamb like tool to cut the leaves growing here and there in Phulwari, lifted the breast











 ripper and pressed my right breast into it and went to bite ... but it had no edge,  Stumped and giving unbearable pain by pressing the uros (breasts), the jailer from the other side held my neck and said, "If you fight again, these two balloons will be separated from your chest."
 He then licked the spiked weapon on my nose and said, "Venus as if Queen Victoria had not heated it with fire, if it had been heated by fire, your two breasts would have been completely uprooted." Salute to such a devotee.  After independence, he lived by selling flowers, but did not accept any government assistance or pension.
 Ajay Hind, Jai Maa Bharati, Vande Mataram !!!

                      धन्यवाद दोस्तों 





















एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




                 ताम्बाखानी गुफा का रहस्य

         नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । 
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी सुरंग की मुहाने को ढुंढ ने के लिए जो कि ताजमहल तक जाता था  सैनिक छावनी में बने कोठरी के तहखाने में उतर जाते हैं और सीढ़ियों के सहारे नीचे उतरने लगते हैं। और जैसे जैसे हम सभी नीचे उतरते जाते थे हमारी दिल की धड़कन बढ़ने लगती थी । कि तहखाने के नीचे क्या होगा । कि तभी हमें  पानी बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं और उत्सुकता पूर्वक हम सभी तेजी से नीचे उतरने लगते हैं और जैसे ही हम सभी अंतिम सीढ़ी पर पैर रखते हैं  हम सभी ठिठक कर रूक जाते हैं और आश्चर्य चकित हो जाते हैं क्योंकि कि हमारे सामने एक नदी बह रही थी जिससे हम आश्चर्य चकित थे कि एक नदी हमारे उपर बह रही है और उस नदी में बाढ़ आया हुआ है और जबकि तहखाने के नीचे बहनें वाली नदी बिल्कुल शांत बह रही है । और हम सभी सोच ही रहें थे कि नदी के उस पार कैसे जाया जाएं । क्योंकि कि नदी के उस पार ही  भुलभुलैया का जाल बिछा हुआ था और इन्हीं भुलभुलईयो के किसी कोने में  चमत्कारी शिवलिंग और उस रहस्यमई  सुरंग का मुहाना स्थित था । परंतु हम सभी नदी को कैसे पार करें क्योंकि अंधेरे में नदी को तैर कर पार करना खतरे से खाली नहीं था।   जबकि की हमारे पुर्वज  भी तो इस नदी को जरूर पार करते होंगे पर कैसे?  तभी पिता श्री बोलते हैं कि तुम्हारे दादा जी ने भी कभी हमें इस नदी के बारे बताया ही नहीं था । सिर्फ उस सुरंग के मुहाने के बारे में बताया था । कहीं तुम्हारे दादा जी के उस कविता में तो नहीं छुपा हुआ था उस मुहाने का राज। तभी मैं पुछता हुं कौन सा कविता पिता श्री । तों पिता श्री बोलते हैं कि मुझे पंक्तियां याद है उस कविता की । तो अजय भाई बोलते हैं तो सुनाइए न हमे उस कविता की पंक्तियां शायद उससे हमारी समस्या सुलझ जाएं।  तभी पिता श्री वह कविता हमे सुनाने लगते हैं 
 उस कविता की पंक्तियां इस प्रकार थी।  कल कल बहता पानी  कल कल बहता पानी ंंऔर उस पर तैरे काठ और काठ पर बैठे  बंदरों का झुंड और पहुंच गये हम  बंम बंम बाबा के लोक ।  पिता श्री रुकिए  कल कल बहता पानी का मतलब नदी हुआ और उसपर तैरता काठ और काठ पर बैठा बंदरों का झुंड । पिता श्री मुझे समझ में आ गया वे लोग किसी वस्तु पर बैठ कर इस नदी को पार करते होंगे । जो हमें इस अंधेरे कारन दिखाई नहीं पड़ रहा है  लेकिन हमें ढुंढना होगा उस वस्तु जो काठ यानी लकड़ी का बना हुआ है  तभी राजा भाई बोलते हैं कि हम सभी फैल जाते हैं है चारों ओर और उस लकड़ी के बने वस्तु को ढुढते  है वह यही पर कहीं नदी के किनारे मौजूद होगा। और हम सभी मशाल लेकर उसे नदी के किनारे किनारे ढुंढने लगते हैं । परंतु काफी देर तक ढुंढने के बाद भी हमें  लकड़ी की कोई वस्तु नहीं मिली । अतः हम सभी सभी हताश होकर वापस आकर सीढ़ियों पर ही बैठ गये। ंंऔर वापस उपर लौटने के बारे में सोचने लगें । तभी गुस्से में आकर टिंकू ने नीचे वाले सीढ़ी पर पैर से  एक ठोकर मारा। जिससे अचानक   सीढ़ियां दो भागों में  अलग अलग होने लगी और सीढ़ियों के नीचे खाली जगह बन गई जिसमें हम सभी गिरते  गिरते बचे  । और नीचे काफी अंधेरा था  । अतः हम सभी सम्भल कर मशाल की रोशनी में नीचे की ओर देखने लगे और और नीचे का नजारा दिखते ही हमारी आंखें खुली की खुली रह गई। और हम खुशी से झूम उठे । क्योंकि नीचे का नजारा था ही ऐसा ।जिसे देखकर इस कोई भी झुम उठता । क्योंकि कि नीचे हमे नदी के तट पर लकड़ियों से बना हुआ एक पुरानी नाव जो दिख गई थी ।जो सिकड़ो के द्वारा बंधा हुआ था ।




____________________________________________________
  English translate
 __________________


 Secret of Tambakhani Cave


 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how we all searched for the tunnel, which used to go up to the Taj Mahal. The soldiers descended into the basement of the closet in the camp and started coming down the stairs.  And as we all went down, our heartbeat started increasing.  What would happen under the cellar.  That is when we hear the sound of water flowing and eagerly we all start coming down fast and as soon as we all step on the last stair we all stop and stare in amazement because in front of us  A river was flowing, so that we were surprised that a river is flowing over us and that river is flooded and while the sister river under the basement is flowing absolutely calm.  And we were all thinking how to go across the river.  Because the maze network was spread across the river and the mouth of the miraculous Shivalinga and that mysterious tunnel was located in some corner of the same forgetfulness.  But how do we all cross the river because it was not empty of danger by swimming across the river in the dark.  While our ancestors must have crossed this river, but how?  Then Father Shri says that even your grandfather never told us about this river.  Only told about the mouth of that tunnel.  Was there any secret in that poem of your grandfather?  That is when I ask which poem father Shri.  So Father Shri says that I remember the lines of that poem.  If Ajay Bhai speaks, don't listen to us, the lines of that poem may solve our problem.  That is when Father Sri starts telling us that poem

 The lines of that poem were as follows.  Water flowing yesterday and yesterday, water flowing yesterday, and swarms of monkeys seated on the wood and on it, and we reached Bam Bam Baba's folk.  Father Mr. Wait, yesterday, the flowing water meant a river and a swarm of monkeys floating on it.  Father Mr. I understood that those people would be sitting on something and crossing this river.  What we do not see for this dark reason, but we have to find that thing which is made of wood, that is why the king says that we all spread around and find that thing made of wood.  Will exist somewhere along the river.  And we all take the torch and find it on the banks of the river.  But even after searching for a long time, we could not find any wooden item.  So, all of us, desperate after coming back, sat on the stairs.  And start thinking about returning back up.  Then, in a fit of anger, Tinku hit a foot on the staircase below.  Suddenly the stairs started to separate into two parts and became empty space under the stairs in which we all kept falling.  And the bottom was quite dark.  So we all started looking down at the torchlight and our eyes were wide open as soon as the bottom view was visible.  And we jumped with joy.  Because the view below was like this. Anyone seeing this would rise.  Because on the banks of the river below we saw an old boat made of wood, which was tied by a rod.


___________________________________________________
   दोस्तों नाव के मिल जाने से हमसभी बहुत खुश थें ।  पर नाव काफी पुरानी थी और कई सदियों से इसी तरह बंधा हुआ था और लगता है जैसे अंतिम बार हमारे दादा जी के दादा जी ने ही इसकी सबारी की होगी । और उनके बाद आज हम सभी लोग करने वाले थे । चुंकि नाव काफी पुरानी थी लेकिन अब भी मजबूत दिख रही थी अतः हम सभी सम्भल सम्भल कर एक एक कर  नाव के उपर  सवार  होने  लगें ।  एवं सभी लोग सबार हों जाने के मै उसे सिकड़ को खोल देता हूं जिससे नाव बंधा होता हैं  और जैसे ही नाव बंधन से मुक्त होता हैं वह तेजी से नदी के सतह पर तैरने लगता है फिर मैं दौड़कर  नाव के  पाल को सम्भाल लेता हूं फिर भी संभालते संभालते नाव बह कर सीढ़ियों से काफी दूर पहुंच जाता है और अंधेरा होने के कारण वह हमारे आंखों से ओझल हो जाता है । चुंकि हमे नदी के उस पार जाना था इसलिए हम सभी नाव में रखें पतवार से नाव को चलाने लगते हैं और तेजी से नदी के उस पार बढ़ने लगते हैं ।  लगती है जैसे नदी काफी चौड़ी है  और गहरी भी है   इसमें पानी शायद  बड़े वाले झरने से ही आता होगा  ।    और अंधेरा होने के कारण  आगे हमे  कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था । जिस कारण आगे कही हम किसी पहाड़ या चट्टान से ना टकरा जाएं । इसलिए हमने नाव के आगे मशाल को बांध दिया ताकि हमे आगे का दृश्य स्पष्ट दिख सके ।   जब तक हम सभी किनारे पर पहुंचते  तब तक मैंने सोचा क्यों नहीं एक बार  इस नाव को  इसके अंदर तक चेक कर लिया जाए  ।हो सकता हैं हमें और भी कोई वस्तु या  कोई सबूत मिल जाए जिसके जरिए हम  आसानी से  सुरंग के मुहाने तक पहुंच जाए ।    ंऔर टिंकू को नाव संभालने को कह कर   मैं और राजा नाव के अंदर चलें जाते हैं  ताकि हम कुछ ढुंढ सके ।ं और देखा जाए तो यह केवल नाव ही नहीं था   बल्कि पुरा का पुरा एक बड़ा पानी का जहाज़ था  जिसके अंदर बहुत सारे कमरे बने हुए थे ।  और इन कमरों में बहुत सारे समान पड़ हुए थे  जैसे लग रहा था कि यह किसी व्यापारी का जहाज़ हो  । तभी मेरी नजर एक  मोटा सा पुस्तक पर पड़ता है जिसके उपर हमारे राज्य का चिन्ह बना हुआ था ।  यानी अब स्पष्ट हो गया था कि इस पानी जहाज़ को हमारे पुरखों ने ही निर्माण करवाया था । और उस पुस्तक मैंने अपने थैले में रख लिया ताकि बाद में पढ़ा जा सके ।  कि तभी बाहर से आवाज़ आने लगती है  टिंकू भाई चिल्ला रहें थे उपर में   नदी का किनारा आ गया , नदी का किनारा आ गया और हम सभी दौड़कर नाव के उपर आ गये । 



____________________________________________________


 English translate
____________________


Friends were all very happy with the boat meeting.  But the boat was quite old and had been tied in this way for many centuries and it seems like the last time our grandfather's grandfather had supported it.  And after them all of us were going to do it today.  Since the boat was quite old but still looking strong, so all of us could handle it and start riding on the boat one by one.  And after all the people are alive, I open it to the shrunk which makes the boat tied and as soon as the boat is free from bondage, it starts swimming on the surface of the river fast. Then I run and take care of the sail of the boat still  The boat carrying the handle flows far away from the stairs and due to the darkness it disappears from our eyes.  Since we had to go across the river, all of us keep in the boat and start to move the boat from the rudder and move quickly across the river.  It seems as if the river is quite wide and deep, the water may have come from a large waterfall.  And due to the darkness, we did not see anything clear ahead.  Because of which we should not bump into any mountain or rock.  So we tied the torch in front of the boat so that we could see the view ahead.  By the time we all reached the shore, I thought why not check this boat once inside it. Maybe we can find some other object or some evidence through which we can easily reach the mouth of the tunnel.  .  And by asking Tinku to take the boat, I and the king go inside the boat so that we can find something. And to be seen, it was not only the boat but the Pura Pura was a big water vessel with lots of room inside it.  Had happened.  And there were a lot of similarities in these rooms that looked like it was a merchant's ship.  Then I look at a small book on which the symbol of our state was made.  That is, it was now clear that our ancestors had built this water vessel.  And I kept that book in my bag so that it could be read later.  That is when the voice starts coming from outside, Tinku brothers were shouting, the river's edge came up, the river's edge came and we all ran over the boat.



____
_______________________________________________ 

   किनारे पहुंचते ही सबसे पहले हमने   नाव को एक   सुरक्षित जगह पर  सिकड़ के जरिए बांध देते हैं । और सावधानी पूर्वक हम सभी नाव से नीचे उतर आते हैं  और जैसे ही  मशाल की रोशनी ज़मीन पर पड़ती हैं   हम सभी अवाक  ंंंंंं और हैरानी से भर उठते हैं  क्योंकि यहां पर चारों ओर जमीन पर मानवों का कंकाल पड़ा हुआ था मानो यहां पर कभी भयंकर युद्ध हुआ हों   जिसके बारे में पिता श्री पता नहीं था । शायद यह हमारे दुश्मनों के कंकाल हो शायद ये लोग  गुप्त तरीके से हमारे राजमहल में घुसने बाले थे लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने इनका काम तमाम कर दिया था ।  और तभी पिता श्री की नजर  दिबारो पर लगे मशालो पर जाता है और हम सभी मिलकर उनमें आग लगा देते  जिससे प्रकाश चारों ओर फैल जाता है ।


____________________________________________________

 English translate
___________________ 

As soon as we reach the shore, we first tie the boat to a safe place by squeezing.  And carefully we all get down from the boat and as soon as the torchlight falls on the ground, we are all speechless and shocked because there was a human skeleton lying on the ground all around here as if there was a fierce war here.  Had happened, about which Father Shri did not know.  Maybe it is the skeletons of our enemies, perhaps these people had secretly entered our palace, but our brave soldiers had done their work.  And then the gaze of Father Shri goes to the torches on Dibaro and we all together set fire to them, so that the light spreads all around.


____________________________________________________
 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कि कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है । कल की कहानी में कैसे हम  सभी भुलभुलैया में  खो जाते हैं और फिर सूरंग के मुहाने तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है । तों दोस्तों कल मिलते हैं।


               धन्यवाद दोस्तों



____________________________________________________


English translate
___________________

Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because the story is going to be very fun.  In yesterday's story how we all get lost in forgetfulness and then have to struggle a lot to reach the mouth of Surang.  See you guys tomorrow.



 Thanks guys
 

Saturday, July 4, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje






                           ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
                                   ,------------------------------------


   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं 🙏🙏🙏🙏
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे नदी में बाढ़ आ जाने के कारण हम सभी  पुल को पार नहीं कर पा रहे थे । क्योंकि कि बाढ़ का पानी पुल के उपर से बहने लगा था । साथ ही वर्षा भी काफी तेज हो रही थी  जिह कारण से हमे हमारे सैनिकों के लिए बने  छावनी में रुकना पड़ा  । और वही से हम सभी ने  दुरबीन के जरिए  नदी के उस किनारे पर स्थित राजमहल में   हमने माता श्री और अपने शुभचिंतकों को भी वे सभी सही सलामत थे को देखा  और वे लोग। भी  हमें  सही सलामत देखकर खुश हुएं ।  इसके बाद हम सभी लोग  छाबनी में बने कोठरी के अंदर चलें गए  और वहां पर रसोइया ने हमारे लिए लजीज व्यंजन बनाया जिसे खा कर हम सभी तृप्त हो गये। एवं खाना खाते खाते ही पिता श्री ने बताया कि इस छाबनी और इसमें बने इस कोठरी का  निर्माण  तुम्हारे दादा जी के दादा जी ने करवाया था ंऔर इसमें एक  गुप्त सुरंग का भी निर्माण करवाया था जिसका उपयोग वे लोग संकट के समय में किया करते थे । इस सुरंग के चार मुहाने थे ।  जिसमें से एक मुहाना  राजमहल के नीचे से होते हुए सिधे  बड़ा  वाला झरने के बिचो बिच निकलता है । और दुसरा मुहाना  इस कोठरी में कहीं खुलता है  और तिसरा मुहाना उस गुफा में खुलती हैं जहां हमारा गुप्त प्रशिक्षण शिविर है जहां से हम सभी अभी लौट के आ रहे हैं ।ं और चौथा वाला  मुहाना अभी भी गुप्त है जिसके बारे में किसी को पता नहीं है कि वह कहां  खुलता है या निकलता है ।   इन सुरंगों के जरिए ही हमारे पुर्वज  संकट के समय में  अपनी रक्षा किया करते थे । और एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में भी उपयोग किया करते थे ।। तभी राजा भाई बोलते हैं  इसका मतलब कि हम इस समय इन सुरंगों के जरिए  नदी को पार करके  राजमहल में पहुंच सकते हैं । वाह मजा आ जायेगा  । तभी पिता श्री बोलते हैं कि  बेटा मैंने कभी उन सुरंगों का उपयोग नहीं किया था और सुरंग का मुहाना इस कोठरी में कहा पर बना हुआ है मुझे मालूम नहीं है क्योंकि यह कोठरी भी तो कई  छोटे बड़े  भुलभुलैया में बटा हुआ है जिस कारण से सुरंग का मुहाना  ढुंढना मुश्किलों से भरा हुआ है । लेकिन तुम्हारे दादा जी ने मुझे एक बार बताया था कि कोठरी के अंदर जो सुरंग का स्थित है वहा एक बड़ा सा  प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है  जिसकी पूजा हमारे पुरखों द्वारा किया जाता था ।  इस शिवलिंग पर गंगाजल द्वारा स्वयं जलाभिषेक होते रहता है और किसी को पता नहीं है कि गंगा जल कहा से निकलता है । और वही पास में ही सुरंग का मुहाना है जिसपर बड़ा सा पत्थर का दरवाजा लगा हुआ है और दरवाजा के उपर से ही गंगा जल प्रस्फुटित होते रहता है और सिधे शिवलिंग पर गिरती हैं। और दरवाजा एक मंत्र के द्वारा ही खुलता है । और वह मंत्र सिर्फ तुम्हारे दादा जी को ही पता था ।जिसे एक बार उस मंत्र को तुम्हारे दादा जी ने मुझे भी बताया था लेकिन इस समय मैं उस मंत्र को भुल गया हू लेकिन अगर शायद मैं उस दरवाज़े तक पहुंच जाऊं तो शायद मुझे वह मंत्र याद आ जाएं। । तभी सेनापति जी एक पुराना सा  नक्शा ले के आ जाते हैं और बोलते हैं महाराज  यह पुराना नक्शा  इसी कोठरी का है  जो मुझे इसी कोठरी के तहखाने में मिला था । और इस नक्शे के जरिए हम उस सुरंग के मुहाने तक पहुंच सकते हैं ।



-------------------------------------------------------------------------------------
         English translate
          ----_---------------------


Secret of Tambakhani Cave

 , ------------------------------------



 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm welcome to all of you.

 As friends yesterday, you read how all of us were unable to cross the bridge due to flooding in the river.  Because the flood water started flowing over the bridge.  At the same time the rainfall was also getting very strong, due to which we had to stay in the camp made for our soldiers.  And from that we all saw the mother and our well-wishers in the palace on the banks of the river through telescopes and they were all safe.  Also we are happy to see safe and sound.  After this, all of us went inside the closet in Chhabani and there the cook made a delicious dish for us which we all satiated.  And while eating food, Father Shri told that this Chhabani and this cellar built in it was built by your grandfather's grandfather and a secret tunnel was also built in it which he used to use in times of crisis.  This tunnel had four mouths.  One of the estuaries passes through the bottom of the palace with a big waterfall.  And the other estuary opens somewhere in this cell and the third estuary opens in the cave where our secret training camp is from where we are all coming back. And the fourth one is still secret which no one knows about.  Is where it opens or exits.  Only through these tunnels did our ancestors protect themselves in times of crisis.  And also used to go from one place to another.  That is when Raja Bhai speaks, that means we can cross the river through these tunnels and reach the palace.  Wow it will be fun  That is why Father Shri says that son I had never used those tunnels and the mouth of the tunnel is in this cell but I do not know because this cell is also divided into many small big maze, due to which the tunnel  Finding the estuary is difficult.  But your grandfather once told me that inside the closet the tunnel is located, there is a big natural Shivling which was worshiped by our forefathers.  Jalabhishekas are done by Ganga water itself on this Shivling and no one knows that where Ganga water comes out.  And the same is the mouth of the tunnel nearby, on which a big stone door is installed and from above the door, the Ganges continues to erupt and falls directly on the Shivling.  And the door opens with a mantra.  And that mantra was known only to your grandfather. Once upon a time that mantra was also told to me by your grandfather, but at this time I have forgotten that mantra, but if I can reach that door, maybe I will get that mantra.  Please remember.  .  Then Senapati ji comes with an old map and says Maharaj, this old map is of this cell which I found in the cellar of this cell.  And through this map, we can reach the mouth of that tunnel.


____________________________________________________


 और फिर हम सभी   मशाल की रोशनी में  उस  नक्शे का निरीक्षण करने लगते हैं नक्शा बहुत ही रहस्यमई और चमड़े का बना हुआ था । तभी निरीक्षण करते करते हमें नक्शे एक कोने पर हमे वह प्राकृतिक शिवलिंग नजर आया । और संतोष भाई खुशी से उछल पड़ते हैं  वाह हमने शिवलिंग को ढुंढ लिया । और हमे भी प्रसन्नता हुई कि नक्शा सही है  और हम सभी तहखाने में उतरने की तैयारी करने लगते हैं   और बाहर में मौसम और भी खराब हो रहा था  और नदी का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा था  । और हम जल्द से जल्द  सुरंग के मुहाने ढुंढ कर राजमहल में पहुंचना चाह रहे थे । लेकिन इतना आसान नहीं था  सुरंग के मुहाने तक पहुंच पाना और अगर हम पहुंच भी जाते हैं उस मुहाने तक तो उसे खोलना बहुत कठिन था  क्योंकि उसे खोलने वाला मंत्र पिता श्री को याद नहीं था और नहीं उस मुहाने के पास कभी गये थे । वे सिर्फ अपने पिता श्री इसके बारे में सुना था । लेकिन नक्शा मिल जाने के कारण और नक्शे में शिवलिंग होने के कारण यह तो साबित हो ही गया था कि  यहां पर  जरूर कोई-न-कोई सुरंग जो सिधे राजमहल के तहखाने में निकलती है । अतः हम बिना समय गंवाए   सेनापति जी को सेना के साथ उपर ही छोड़ कर  क्योंकि पुल की भी देखभाल करनी थी और  जरूरत पड़ने पर पुल की मरम्मत भी करनी पड़ती । इसलिए उन्हें उपर ही छोड़ कर  । पिता श्री और मामा जी के साथ  हम सभी भाई  तहखाने में नीचे उतर गए  हमारे पास सिर्फ  वह नक्शा और मशाले थी जिसके जरिए हमें सुरंग के मुहाने तक पहुंचाना था। नीचे तहखाने में उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी जो नीचे लगभग 100 फ़ीट तक थी । दोस्तों क्या बताऊं नीचे काफी अंधेरा था और मशाल की रोशनी जहां तक पहुंच रही थी वहीं तक  हम देख पा रहे थे । अतः हम सभी सम्भल सम्भल कर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे।


-------------------------------------------------------------------------------------
 English translate
___________________

  
 And then we all start inspecting that map in torchlight, the map was very mysterious and made of leather.  While inspecting it, we found the natural Shivling on the map at one corner.  And Santosh bhai jumps with joy, wow we found the Shivling.  And we were also happy that the map is correct and we all started preparing to get into the basement and the weather was getting worse outside and the water level of the river kept increasing.  And we wanted to reach the mouth of the tunnel at the earliest and reach the palace.  But it was not so easy to reach the mouth of the tunnel and even if we reach that mouth it was very difficult to open it because father Shree did not remember the mantra to open it and never went to that mouth.  They had just heard about it from their father Mr.  But due to the finding of the map and the Shivling in the map, it was proved that there is definitely some tunnel here which originates in the basement of Sidhe Rajmahal.  Therefore, we, without wasting time, left the commander with the army above because the bridge had to be taken care of and the bridge also had to be repaired when needed.  So leaving them upstairs.  All of us brothers, along with Father Shri and Mama ji, came down to the basement. We had only the map and the machine through which we had to reach the mouth of the tunnel.  There were stairs to descend to the basement below, which was about 100 feet below.  What friends can tell, it was very dark and we were able to see where the torch light was reaching.  So, we all managed to get down the stairs.



____________________________________________________

   दोस्तों  अभी जैसे ही हम सभी पचास सीढ़ियां ही नीचे उतरे थे कि हमें  पानी की  गर्जना की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं  यानी हम सभी नदी के तल के नीचे पहुंच चुके थे  क्योंकि उपर नदी में बाढ़ आया  हुआ था इसलिए हमें पानी की गर्जना हमे सुनाई पड़ रही थी । और नीचे का माहौल एकदम शांत था केवल हमें पानी की गर्जना सुनाई पड़ रही थी । और हम सभी धीरे धीरे नीचे उतर ही रहे थे कि हमें  तहखाने के नीचे भी पानी के बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं जैसे नीचे कोई नदी बह रही हों। अतः हम सभी उत्सुकता पूर्व  तेजी से नीचे की ओर उतरने लगते हैं और जैसे ही हम अंतिम सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं नीचे का नजारा देखकर हम सभी आश्चर्य चकित रह जाते हैं क्योंकि दोस्तों नीचे भी एक बह रही थी । जिससे हम सभी आश्चर्य में पड़ गये कि अब क्या किया जाए  क्योंकि यहां तों एक ंंंंंंंंंं और नया मुसीबत खडा हो गया था । 


___________________________________________________
English translate
__________________

 

Friends, as soon as we all came down the fifty stairs that we started to hear the roar of water, that is, we had all reached the bottom of the river because the river was flooded so we heard the roar of water  Was living  And the atmosphere below was very quiet only we could hear the roar of water.  And we were all slowly getting down that we could hear the sound of water flowing below the basement as if a river was flowing below.  So we all start descending rapidly down the curiously east and as we descend the final stairs we are all amazed to see the view below as one of the friends was also drifting down.  Due to which we all wondered what to do now, because there was a new trouble here.


___________________________________________________

 दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि एक नई मुसीबत जो सामने आ खड़ी हुई थी । 

                       धन्यवाद दोस्तों 


____________________________________________________
 English translate
____________________


Friends, I will narrate the incident tomorrow because a new problem was coming to the fore.


 Thanks guys
 
 

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...