Friday, November 20, 2020

लेख- इतिहास में दफन हमारे नायक Articles - Our heroes buried in history

Ek yatra khajane ki khoje



    
लाल किला



 


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। 🙏🙏
 


➡️ इतिहास अमृत होता हैं।सतत विकासशील। जय पराजय में समभाव । दोस्तों तथ्य- सत्य को अंगीकृत करता है।वह किसी के प्रभाव में नहीं आता, पर सब को प्रभावित करता है। काल गति का तटस्थ दर्शक होता है , इसलिए इतिहासकारों को भी निष्पक्ष रहना चाहिए , लेकिन अधिकांश भारतीय इतिहासकारों ने स्वार्थवश  मनमानी की है। कई महत्वपूर्ण घटनाओं और नायकों की उपेक्षा हुई है। तथ्यों को तोड़ने -मरोड़ने का अपकृत्य भी किया है। इतिहास केवल भूत नहीं होता। यह भूत के साथ अनुभूत भी होता है। इस विवरण में जय पराजय का लेखा होता है। हर्ष - विषाद के विवरण होते हैं। राष्ट्र जीवन को उमंग से भरने वाले प्रेरक प्रसंग भी होते हैं।
शक्तिशाली पूर्वजों की स्मृति साहसी बनाती है। इतिहास में गर्व करने लायक प्रसंग होते हैं और पराजय के दंश भी। गर्वोक्ति के प्रसंग राष्ट्रीय सामर्थ्य को बढ़ाते हैं और पराजय के प्रसंग गलती न दोहराने की शिक्षा देते हैं। सशक्त और संपन्न राष्ट्र के लिए वास्तविक इतिहास बोध अनिवार्य है ,लेकिन यूरोपीय विद्वानों और उनके समर्थक भारतीय विद्वानों ने साम्राज्यवादी स्वार्थ की पूर्ति के लिए इतिहास को तहस-नहस किया। वामपंथी इतिहासकारों ने भी भारत को सदा पराजित सिद्ध करने का काम किया।इसलिए भारत के इतिहास को नए सिरे से जांचने और प्रमाणिक बनाने की बहस काफी समय से चल रही है।
भारत सदा पराजित देश नहीं रहा।हमारे इतिहास के नायकों ने विदेशी हमलावरों  और उनके शोषण को कभी स्वीकार नहीं किया। दोस्तों बकिम चंद्र ने लिखा था , ' अरब एक तरह से दिग्विजयी  रहे हैं। उन्होंने जहां आक्रमण किया वहां जीते , उन्होंने मिस्र , सीरिया , ईरान अफ्रीका , स्पेन , काबुल और तुर्किस्तान   पर  कब्जा किया , पर फ्रांस और भारत से पराजित होकर लौटे। लेकिन  100 वर्ष में भी वे भारत को नहीं जीत सके। ' यह तथ्य भारत की नई पीढ़ी को अल्प ज्ञात है  ,
क्योंकि भारतीय पौरुष पराक्रम
की घटनाओं और इतिहास के नायकों की उपेक्षा की गई ।
जेएस मिल ने  ' हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इंडिया ' लिखी थी। इंग्लैंड से भारत आने वाले अधिकारियों के लिए इसका अध्ययन उपयोगी बताया बताया गया था। जेएस मिल जैसे लेखकों ने भारतीय इतिहास को ब्रिटिश इतिहास का हिस्सा बनाने में कोई कोर -कसर नहीं छोड़ी।
प्राचीन काल को हिंदू इतिहास  ,मध्यकाल को मुस्लिम और आधुनिक काल को ब्रिटिश इतिहास बताया गया।
सच यह है कि संपूर्ण भारत पर न कभी अंग्रेजों की सत्ता रही और नहीं मुगलों की। 
मोहम्मद बिन कासिम मध्यकाल में पहला विदेशी हमलावर था। सिंधी के राजा दाहिर ने उसे सीधे संघर्ष में पराजित किया था। बाद में षड्यंत्र हुआ।
दोस्तों आप लोगों को पता ही होगा कि दाहिर भी इतिहास में प्रशंसा का पात्र नहीं है।बहुत ही अफसोस की बात है कि हमारे इतिहास के नायक इस तरह गुमनाम जिंदगी जी कर भी गुमनाम हो गए हैं।
इसी प्रकार हमारे एक और नायक जो कि उत्तर प्रदेश में बहराइच के राजा सुहेलदेव थे ने महमूद गजनबी के निकट संबंधी सैयद सालार गाजी और उसकी फौज को हराया था। लेकिन इतिहास में सुहेलदेव के पराक्रम का उल्लेख नगण्य है।
दोस्तों आप लोग शायद जानते होंगे कि केरल के मार्तंड वर्मा कई भाषाओं के विद्वान थे। परंतु उन पर भी इतिहासकारों का ध्यान नहीं गया और  वे इतिहास के पन्नों में  गुमनाम हो गए । 
हमारे एक और पराक्रमी राजा हुआ करते थे वे थे चोल वंश के राजेंद्र चोल उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के बड़े भाग पर अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था। जिस कारण से बंगाल की खाड़ी को चोल खाड़ी कहां जाने लगा था। सबसे बड़ी बात थी कि उनके पास समुद्री सेना भी थी लेकिन हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने उन्हें भी भुला दिया।दोस्तों भूले बिसरे नायकों की सूची में बंगाल के भास्कर बरमन भी हैं जिन्हें भी भुला दिया गया है।
दोस्तों आप सभी लोग विजयनगर साम्राज्य के बारे में तो जानते ही होंगे जो कि अपनी शासन व्यवस्था के लिए काफी चर्चा में रहा है  कृष्ण देव राय की शासन व्यवस्था आदर्श थी। उन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति का विकास किया। साथ ही साथ उन्होंने मुस्लिम समाज को बराबर का सामान दिया था।
▶️ दोस्तों भारतीय स्थापत्य की तीन शैलियां मानी जाती है -द्रविड़ , नागर और बेसर ।
द्रविड़ शैली का चरम विकास विजयनगर में हुआ था। मीनाक्षी मंदिर इसका प्रमाण है। नूनिज और पाइस आदि विद्वानों ने इस व्यवस्था की प्रशंसा की है,  लेकिन इतिहास में राजा और राज्य की प्रतिष्ठा को भुला दिया गया। यही स्थिति महाराष्ट्र में बाजीराव और बालाजी बाजीराव के साथ भी हुआ है। दोस्तों उन्होंने दिल्ली के लाल किले पर हमला किया। जीता। हिंदू पद पादशाही उन्हीं की अवधारणा है  और 'अटक से कटक' तक भारत के विस्तार की भी, लेकिन इतिहास में उनकी उपेक्षा हुई।
यूरोपीय वामपंथी इतिहासकारों ने बाबर , गजनी , गोरी  , औरंगजेब आदि को महत्व दिया। मध्यकाल को मुगल या मुस्लिम इतिहास सिद्ध करते रहें। मूर्तियों  ,मंदिरों के ध्वंस कर्ताओं और उत्पीड़कों  को नायक के रूप में पेश किया गया। जिस कारण से मुस्लिम समाज के 1 वर्ग में इसका गलत प्रभाव पड़ा। और हिंदुओं और मुसलमानों के नायक अलग-अलग हो गए ।आप लोगों को पता होगा दोस्तों एकताबद्ध राष्ट्र में सभी वर्गों का इतिहास -भूगोल एक होता है अंबेडकर ने यह बात ध्यान दिलाई कि यहां हिंदुओं और मुसलमानों के नायक अलग-अलग हैं । वामपंथी  यूरोप पंथी इतिहासकारों को भारत के पराक्रम और संस्कृति दर्शन की भी श्रेष्ठता नहीं दिखाई पड़ी। क्योंकि यह इतिहासकार प्रेरक नायकों की अनदेखा कर रहे थे।

▶️ देश के बाल दिल्ली ही नहीं है, मगर इतिहासकारों का ध्यान दिल्ली के आसपास की घटनाओं पर ही गया । साथ ही साथ 18 सो 57 के स्वाधीनता संग्राम को भी इतिहास में सम्मानजनक जगह नहीं मिल पाई। उसे ब्रिटिश प्रभावित विद्वानों और वामपंथियों ने सिपाहियों का विद्रोह बताया। वस्तुतः यह अंग्रेजों से सीधी लड़ाई थी। डरी अंग्रेजी सत्ता ने इसी के 2 साल के भीतर भारत के लिए पुलिस अधिनियम जैसे कई कानून बनाए। लेकिन दोस्तों सावरकर ने स्वाधीनता संग्राम का सही लिखा , जिसे अंग्रेजों ने जब्त कर लिया। सावरकर पर भी कई पुस्तकें हैं , पर इतिहास विरूपक उन्हें महत्व नहीं देते। ऐसी ही सोच वालों ने देश में पराजित मानसिकता को बढ़ाया। यह भारत को अशिक्षित और पिछड़ा बता रहे थे।वामपंथी इतिहासकारों ने प्राचीन इतिहास पर भी हमला बोला। पूर्वज आर्यों को भी विदेशी हमलावर बताया । और आत्महीनता से ग्रस्त एक नई बौद्धिक नस्ल का विकास होता रहा ।
आत्महीन समाज निराशा में रहते हैं। वे अब भी गलत तथ्यों के चलते आत्म हीनता का भाव भर रहे हैं।भारत को वास्तविक इतिहास बोध से समृद्ध करने के मार्ग में तथ्यहीन  इतिहास बाधा है 
दोस्तों भूले बिसरे नायकों को पाठ्यक्रम सहित सभी अवसरों पर याद कराया जाना जरूरी है। यह अच्छा हुआ कि अमीश त्रिपाठी में सुहेलदेव पर किताब लिखी और उनके अद्भुत पराक्रम से परिचित कराने का काम किया।दोस्तों ऐसे तमाम पराक्रमी योद्धा इतिहास में दफन हैं। जिस कारण से हमारे आने वाली पीढ़ियां उनके बारे में जान ही नहीं पा रही है।
दोस्तों सबसे बड़ी बात यह है कि आज का भारत पूर्वजों के सचेत और अचेत   कर्मों का परिणाम है। अब सचेत कर्म द्वारा उपेक्षित नायकों को प्रतिष्ठित करना होगा। आत्मा हीन समाज में राष्ट्रीय उमंग नहीं होती। अपनी संस्कृति , सभ्यता और दर्शन पर गर्व का अनुभव नहीं होता। दोस्तों राष्ट्रीय गौरव बोध के लिए वास्तविक इतिहास बोध जरूरी है। 
                           धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।




            
                                 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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English translate

Indian fort




Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  4





 ➡️ History is elixir. Continuous development.  Jai defeat defeat  Friends fact - embraces the truth. He does not come under the influence of anyone, but affects everyone.  Kaal is a neutral spectator of motion, so historians should also be impartial, but most Indian historians have been arbitrarily selfish.  Many important events and heroes have been neglected.  There is also the wrongdoing of breaking the facts.  History is not just a ghost.  It is also felt with the ghost.  This statement accounts for Jai defeat.  There are descriptions of joy and sadness.  There are also inspiring episodes that fill the life of the nation.

 The memory of powerful ancestors makes courageous.  There are proud episodes in history and the sting of defeat.  Contexts of pride enhance national strength and teach them not to repeat mistakes of defeat.  Real history is essential for a strong and prosperous nation, but European scholars and their pro-Indian scholars have destroyed history to fulfill imperialist interests.  The leftist historians also worked to prove that India was always defeated. Hence, the debate to re-examine and authenticate the history of India has been going on for a long time.

 India has not always been a defeated country. The heroes of our history never accepted the foreign invaders and their exploitation.  Friends Bakim Chandra wrote, 'The Arabs have been Digvijay in a way.  They won where they invaded, captured Egypt, Syria, Iran, Africa, Spain, Kabul and Turkistan, but were defeated and returned from France and India.  But even in 100 years he could not win India.  'This fact is little known to the new generation of India,

 Because Indian masculine might

 The events and heroes of history were ignored.

 JS Mill wrote 'History of British India'.  The study was said to be useful for officials coming from England to India.  Writers like JS Mill left no stone unturned in making Indian history a part of British history.

 The ancient period was referred to as Hindu history, the medieval period to Muslim and the modern period to British history.

 The truth is that the whole of India was never ruled by the British and not by the Mughals.

 Mohammed bin Qasim was the first foreign invader in the medieval period.  He was defeated in direct conflict by Dahir, the king of Sindhi.  Later the conspiracy took place.

 Friends, you may be aware that Dahir is not even worthy of praise in history. It is a matter of regret that the heroes of our history have become anonymous even after living an anonymous life like this.

 Similarly, another of our heroes, who was King Suheldev of Bahraich in Uttar Pradesh, defeated Syed Salar Ghazi and his army near Mahmud Ghaznabi.  But the mention of Suheldev's might in history is negligible.

 Friends, you may be aware that Martand Verma of Kerala was a scholar of many languages.  But they too did not get the attention of historians and they became anonymous in the pages of history.

 Another powerful king of ours used to be Rajendra Chola of Chola dynasty. He demonstrated his might over large parts of Southeast Asia.  Due to which, where did the Bay of Bengal go to Chola Bay.  The biggest thing was that he also had a marine force but our left-wing historians have forgotten him. In the list of two forgotten heroes, there is Bhaskar Barman of Bengal who has also been forgotten.

 Friends, all of you must have known about the Vijayanagara Empire, which has been in great discussion for its governance, Krishna Dev Rai's governance system was ideal.  He developed Indian civilization and culture.  At the same time, he gave equal goods to the Muslim society.

 ️ ️ Friends are considered three styles of Indian architecture - Dravidian, Nagar and Besar.

 The Dravidian style flourished in Vijayanagar.  The Meenakshi temple is a proof of this.  Scholars like Nuniz and Pais etc. have praised this system, but in history the prestige of the king and the kingdom was forgotten.  The same situation has happened with Bajirao and Balaji Bajirao in Maharashtra.  Friends, they attacked the Red Fort in Delhi.  Won  The Hindu term Padshahi is his concept and his expansion from 'Stuck to Cuttack' is also neglected in history.

 European leftist historians gave importance to Babur, Ghazni, Ghori, Aurangzeb etc.  Keep proving Mughal or Muslim history in the medieval period.  Statues, temple demolitioners and oppressors were projected as heroes.  Due to which it had a wrong effect in 1 section of Muslim society.  And the heroes of Hindus and Muslims were separated. You will know that friends, the history of all classes in a united nation - geography is one. Ambedkar pointed out that here Hindus and Muslims have different heroes.  Left-wing Europeans did not even see the superiority of India's might and culture philosophy.  Because these historians were ignoring motivational heroes.


 बाल बाल Not only is Delhi the child of the country, but the historians focus on the events around Delhi.  At the same time, the freedom struggle of 18 SO 57 could not find a respectable place in history.  The British influenced scholars and leftists termed the Sepoy Mutiny.  In fact, it was a direct fight with the British.  The English government made many laws like Police Act for India within 2 years of this.  But friends, Savarkar wrote the right to freedom struggle, which was confiscated by the British.  There are many books on Savarkar as well, but the history antics do not give him importance.  Those with similar thoughts increased the defeated mentality in the country.  He was describing India as illiterate and backward. Right wing historians also attacked ancient history.  The ancestors also called the Aryans a foreign invader.  And a new intellectual race obsessed with selflessness continued to develop.

 Selfless societies live in despair.  They are still filling their sense of inferiority due to wrong facts. Factual history is a hindrance in the way of enriching India with real history.

 Friends, forgotten heroes need to be reminded on all occasions including the syllabus.  It was good that Amish Tripathi wrote a book on Suheldev and made him aware of his amazing valor. All such mighty warriors are buried in history.  Because of which our future generations are unable to know about them.

 Friends, the biggest thing is that today's India is the result of conscious and unconscious deeds of ancestors.  Now the heroes neglected by conscious karma have to be distinguished.  There is no national zeal in the soul-less society.  One does not feel proud of its culture, civilization and philosophy.  Friends, real history is necessary for national pride.

 Thanks guys, that's all for today.







 Mountain Leopard Mahendra

                       
Fort in Rajasthan


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