Saturday, October 16, 2021

एक यात्रा पौराणिक भारत के अद्भुत रहस्यों की ओर महाभारत काल अद्भुत युद्ध रणनीति चक्र व्यूह A Journey Towards the Amazing Mysteries of Mythical India Mahabharata Era Amazing War Strategy Chakra Vyuha.

Ek yatra khajane ki khoje










                             चक्र व्यूह 









  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों क्या आपको पता है एक जटिल और खतरनाक पौराणिक युद्ध रणनीति के बारे में जिसे हम सभी चक्र व्यूह के नाम से जानते हैं। दोस्तों इस प्राचीन युद्ध रणनीति ने महाभारत के इतिहास को ही बदल के रख दिया था।







                     चक्र व्यूह

 नमस्कार दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रह्मांड का सबसे बड़ा और भयंकर महायुद्ध था, महाभारत काल के कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के साथ हुआ यह महासंग्राम। दोस्तों आप सभी जानकर अचंभित रह जाएंगे कि इतिहास में इतना भयंकर महायुद्ध केवल एक ही बार पौराणिक महाभारत काल में हुआ था।






  दोस्तों इतिहासकारों एवं वैज्ञानिकों का मानना है कि महाभारत काल में कुरुक्षेत्र युद्ध स्थल पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।

 दोस्तों आप सभी को पता ही होगा चक्र व्यूह के बारे में जो कि अपने समय का एक महानतम युद्ध कला था। दोस्तों यदि कोई दुश्मन युद्ध कला के इस महानतम चक्र व्यूह के अंदर फंस जाएं तो उसका इस चक्र व्यूह के अंदर से निकलना नामुमकिन हो जाता था। और अंत में वह चक्र व्यूह के अंदर ही मारा जाता था । जैसा कि महाभारत काल के एक महान योद्धा अर्जुन पुत्र राजकुमार अभिमन्यु के साथ हुआ था।





                                
           दोस्तों चक्र यानी "पहिया " और "व्यूह"  यानी "गठन"   दोस्तों पहिए की जैसा घुमता हुआ "व्यूह" है चक्रव्यूह ।

  दोस्तों कुरूक्षेत्र युद्ध स्थल का सबसे ख़तरनाक रणतंत्र था "चक्र व्यूह"


      दोस्तों यद्यपि आज का आधुनिक जगत भी चक्रव्यूह जैसे रणतंत्र से अनभिज्ञ है। दोस्तों पौराणिक काल में भी चक्रव्यूह या पद्म व्यूह भी को भेदना असंभव था ।दोस्तों द्वापर युग में केवल 7 महायोद्धा ही इसे भेदना जानते थे। दोस्तों उनमें से थे स्वयं भगवान कृष्ण और अर्जुन ,भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण ,अश्वत्थामा और प्रद्युमन ही चक्रव्यू को भेद  सकते थे।अर्जुन पुत्र महायोद्धाअभिमन्यु केवल चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करना जानता था।









 (  दोस्तों आइए जानते हैं चक्रव्यूह के बारे में )


  दोस्तों पौराणिक काल में रणक्षेत्र में चक्रव्यूह की रचना अपने दुश्मनों को हराने  के लिए किया जाता था। दोस्तों चक्रव्यू में कुल सात परत होती थी। जिसमें सबसे अंदरूनी परत में सबसे शौर्यवान  सैनिक तैनात होते थे।
                                          दोस्तों इन परतों का निर्माण इस प्रकार किया जाता था। की बाहरी परत के सैनिकों से अंदर की परत के सैनिक  शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा बलशाली होते थे। दोस्तों सबसे बाहरी परत में पैदल सैन्य के सैनिक तैनात हुआ करते थे। एवं अंदरूनी परत में अस्त्र शास्त्र से सुसज्जित हाथियों की सेना हुआ करती थी। दोस्तों चक्रव्यूह की रचना एक भूल -भुलैया जैसी होती थी ।जिसमें एक बार शत्रु फस गया तो उसका निकलना असंभव हो जाता था।

          दोस्तों माना जाता है कि चक्रव्यूह में हर परत की सेना घड़ी के कांटे के जैसे ही हर पल घूमता रहता था। दोस्तों इस कारण से चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करने वाला व्यक्ति अंदर ही खो जाता था ।और बाहर जाने का रास्ता भूल जाता था।

 दोस्तों महाभारत काल में चक्रव्यूह की रचना  गुरु द्रोणाचार्य ही करते थे।

   दोस्तों महाभारत काल में चक्रव्यूह को उस युग का सबसे सर्वश्रेष्ठ सैन्य दल दल माना जाता था ।दोस्तों माना जाता है कि इस खतरनाक चक्रव्यूह की रचना महाराज युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए ही किया गया था।







      दोस्तों माना जाता है कि 48 × 128 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ कुरुक्षेत्र यानी आज का आधुनिक हरियाणा का क्षेत्र में ही यह महायुद्ध हुआ था ।जिसमें विभिन्न प्रदेशों के लाखों की संख्या में सैनिकों ने भाग लिया था।

             दोस्तों चक्रव्यूह को घूमता हुआ मौत का पहिया भी कहा जाता था ।क्योंकि एक बार जो इस चक्रव्यूह के अंदर गया वह कभी भी बाहर नहीं आ सकता था। दोस्तों आश्चर्यचकित करने वाली बात यह थी, कि यह चक्रव्यू पृथ्वी की तरह ही अपने अक्ष पर घूमता था ।तथा साथ ही साथ हर परत भी परिक्रमा करती हुई घूमती थी। दोस्तों इसी कारण से बाहर जाने के द्वार हर वक्त अलग-अलग दिशा में बदल जाता था ।जो शत्रु को भ्रमित कर देता था ।दोस्तों अद्भुत और अकल्पनीय युद्ध तंत्र था चक्रव्यूह।

    दोस्तों मेरा मानना है कि आज के आधुनिक युग में इतने उलझे हुए और असामान्य रणतंत्र को युद्ध में शामिल नहीं किया जा सकता है।








       दोस्तों जरा कल्पना कीजिए कि सहस्त्र  वर्ष पूर्व चक्रव्यू जैसे घातक युद्ध तकनीक को अपनाने वाले वे योद्धागण कितने बुद्धिमान रहे होंगे।
          
   दोस्तों आप सभी को जानकर आश्चर्य होगा की चक्रव्यू ठीक उस आंधी की तरह था जो अपने मार्ग में आने वाले हर एक वस्तु को तिनके की तरह उड़ा कर नष्ट कर देता था। दोस्तों महाभारत काल में इस चक्रव्यूह को भेदने की जानकारी केवल साथ महा योद्धाओं को ही थी ।दोस्तों अर्जुन पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह के भीतर केवल प्रवेश करना जानता था ।और कुछ ही प्रवेश द्वारों को वह तोड़ना जानता था। वाह चक्रव्यू के अंतिम दरवाजे को तोड़ना नहीं जानता था। इसी कारण बस कौरवों ने छल से महायोद्धा अभिमन्यु की हत्या कर दी थी।

  दोस्तों माना जाता है कि युद्ध में चक्रव्यूह का गठन शत्रु सैन्य को मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना जर्जर बना देता था। कि एक ही पल में हजारों की संख्या में सैनिक अपने प्राण त्याग देते थे।

 दोस्तों महाभारत काल के महान योद्धाओं में स्वयं भगवान कृष्ण ,धनुर्धर अर्जुन ,भीष्म पितामह ,गुरु द्रोणाचार्य, दानवीर कर्ण ,अश्वत्थामा और प्रधुम्न के अलावा चक्रव्यूह से बाहर निकलने की रणनीति किसी के भी पास नहीं था।






   आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संगीत या शंखनाद यानी शंख की आवाज के अनुसार ही चक्रव्यू के सैनिक अपने स्थिति को बदल सकते थे ।दोस्तों कोई भी सेनापति या सैनिक अपनी मर्जी से अपनी स्थिति को बदल नहीं सकता था।
                  दोस्तों अद्भुत और अकल्पनीय सदियों पूर्व भी इतने वैज्ञानिक तरीके से अनुशासित रणनीति का गठन करना सामान्य विषय नहीं था।

    दोस्तों माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में कुल 3 बार चक्रव्यू का गठन किया गया था। जिनमें से एक में युवराज अभिमन्यु की मौत हुई थी ।एवं एक में अर्जुन ने भगवान कृष्ण की मदद से चक्रव्यू को तोड़कर जयद्रथ का वध किया था। 









    दोस्तों हमें गर्व करना चाहिए कि हम सभी उस भारतवर्ष के रहने वाले हैं। जिस देश में सदियों पूर्व भी विज्ञान और तकनीक का अद्भुत संगम देखने को मिलता था।

 दोस्तों युद्ध स्थल का महान रणनीति चक्रव्यूह "ना भूतो ना भविष्यति" युद्ध तकनीक था।

 यानी दोस्तों देखा जाए तो इस युद्ध रणनीति "चक्रव्यूह" को ना भूतकाल में किसी ने देखा और ना भविष्य काल में कोई इसे देख पाएगा।

  दोस्तों आपको बता दूं कि मध्य प्रदेश के एक सुदूर घने जंगलों में और कर्नाटक के एक शिव मंदिर में आज भी चक्रव्यू का एक नक्शा बना हुआ है‌। जिसे आप देख सकते हैं और अपनी संस्कृति पर गर्व कर सकते हैं।









      दोस्तों आज के लिए बस इतना है।

            धन्यवाद दोस्तों

        माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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             English translate
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          चक्र व्यूह की संरचना







            

 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you.  Friends, do you know about a complex and dangerous mythological war strategy which we all know by the name of Chakra Vyuha.  Friends, this ancient war strategy had changed the history of Mahabharata itself.


                           Trap  (  Chakravyuh )


 Hello friends, you will be surprised to know that the biggest and fiercest war of the universe was, this great battle happened with Kauravas and Pandavas in Kurukshetra of Mahabharata period.  Friends, all of you will be surprised to know that such a fierce war in history happened only once in the mythological Mahabharata period.


 Friends, historians and scientists believe that nuclear weapons were used at the Kurukshetra war site during the Mahabharata period.











 Friends, all of you must know about Chakra Vyuh, which was one of the greatest martial arts of its time.  Friends, if an enemy gets trapped inside this greatest Chakra Vyuha of martial arts, then it was impossible to get out of this Chakra Vyuha.  And in the end he was killed inside the Chakra Vyuha itself.  As happened to Prince Abhimanyu, son of Arjuna, a great warrior of the Mahabharata period.



 Friends Chakra means "wheel" and "Vyuh" means "formation".


 Friends, the most dangerous battle of Kurukshetra battle site was "Chakra Vyuh".









 Friends, although today's modern world is also ignorant of battles like Chakravyuh.  Friends, even in the mythological period, it was impossible to pierce Chakravyuh or Padma Vyuh. Friends, in the Dwapar era, only 7 great warriors knew how to penetrate it.  Friends were among them Lord Krishna himself and Arjuna, Bhishma Pitamah, Dronacharya, Karna, Ashwatthama and Pradyumna could penetrate the chakravyu.



 (Friends, let's know about Chakravyuh)



 Friends, in the mythological period, Chakravyuh was created in the battlefield to defeat its enemies.  Friends, there were a total of seven layers in the Chakravyu.  In which the most brave soldiers were stationed in the innermost layer.

 Friends, these layers were constructed in this way.  The soldiers of the inner layer were physically and mentally stronger than the soldiers of the outer layer.  Friends, infantry soldiers used to be stationed in the outermost layer.  And in the inner layer there used to be an army of elephants equipped with weapons.  Friends, the composition of Chakravyuh was like a maze. In which once the enemy got trapped, it became impossible to get out.









 Friends, it is believed that in the Chakravyuh, the army of each layer used to rotate every moment like the fork of the clock.  Friends, for this reason the person entering the Chakravyuh used to get lost inside and forget the way to go out.


 Friends, in the Mahabharata period, only Guru Dronacharya used to compose Chakravyuh.


 Friends, in the Mahabharata period, Chakravyuh was considered to be the best military team of that era. Friends, it is believed that this dangerous Chakravyuh was composed only to take Maharaj Yudhishthira captive.


 Friends, it is believed that this great war took place in Kurukshetra, spread over an area of ​​48 × 128 km, in the area of ​​today's modern Haryana. In which lakhs of soldiers from different regions participated.











 Friends, Chakravyuh was also called the spinning wheel of death. Because once one who went inside this Chakravyuh could never come out.  Friends, the surprising thing was that this Chakravyu used to rotate on its axis just like the Earth. At the same time, every layer also revolved around.  Friends, for this reason, the door to go out used to change in different directions all the time. Which confused the enemy. Friends, the wonderful and unimaginable battle system was Chakravyuh.


 Friends, I believe that in today's modern era, such a complicated and unusual war system cannot be involved in war.


 Friends, just imagine how intelligent those warriors, who adopted deadly warfare techniques like Chakravyu, a thousand years ago, must have been.











 Friends, all of you will be surprised to know that Chakravyu was just like that storm which used to destroy everything coming in its path like a straw.  Friends, in the Mahabharata period, only the great warriors had the information to penetrate this Chakravyuh. Friends, Arjun's son Abhimanyu only knew how to enter the Chakravyuh. And he knew how to break only a few entrances.  Wah did not know how to break the last door of Chakravyu.  For this reason, the Kauravas had killed the great warrior Abhimanyu by deceit.


 Friends, it is believed that the formation of Chakravyuh in the war made the enemy military so shabby psychologically and mentally.  That in an instant thousands of soldiers gave up their lives.











 Friends, apart from Lord Krishna, Archer Arjuna, Bhishma Pitamah, Guru Dronacharya, Danveer Karna, Ashwatthama and Pradhuman among the great warriors of the Mahabharata period, no one had the strategy to get out of the Chakravyuh.


 You will be surprised to know that the soldiers of Chakravyu could change their position according to the music or the sound of the conch shell. Friends, no commander or soldier could change his position on his own free will.

 Friends, wonderful and unimaginable centuries ago, it was not a common topic to constitute such a scientifically disciplined strategy.


 Friends, it is believed that Chakravyu was formed a total of 3 times in the war of Mahabharata.  In one of which, Yuvraj Abhimanyu was killed. And in one, Arjuna killed Jayadratha by breaking the Chakravyu with the help of Lord Krishna.













 Friends, we should be proud that we all are residents of that Bharatvarsh.  The country where even centuries ago, there was a wonderful confluence of science and technology.


 Friends, the great strategy maze of battle site was "Na Bhooto Na Bhaviti" war technique.


 That is, if friends are seen, no one has seen this war strategy "Chakravyuh" in the past nor will anyone be able to see it in the future.










 Friends, let me tell you that even today a map of Chakravyu remains in a remote dense forest of Madhya Pradesh and a Shiva temple in Karnataka.  Which you can see and be proud of your culture.


 Friends, that's all for today.


 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗


   




          पत्थरों पर उकेरी गई है चक्रव्यूह की संरचना



  























Sunday, October 3, 2021

एक यात्रा महाभारत कालीन प्रसिद्ध नगरों कीA Journey to the Famous Cities of the Mahabharata Period.

Ek yatra khajane ki khoje


























  नमस्कार दोस्तों माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के यात्रा ब्लॉग में आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन हैं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाभारत कालीन कुछ प्रसिद्ध नगरों की जो इस समय भी विभिन्न नामों से मौजूद हैं।








 गांधार  -  दोस्तों आज के कंधार को प्राचीन काल में गांधार के रूप में जाना जाता था।दोस्तों यह देश प्राचीन काल में आज के पाकिस्तान के रावलपिंडी से लेकर सुदूर अफगानिस्तान तक फैला हुआ था ।दोस्तों महाभारत काल में महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी वहां के राजा सुबल की पुत्री थी।दोस्तों की भ्रांतियां हैं कि गांधारी के श्राप के कारण पूरा अफगानिस्तान आज तक तबाही झेल रहा है।









 तक्षशिला -  दोस्तों तक्षशिला प्राचीन गांधार प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। दोस्तों आज वर्तमान में तक्षशिला को रावलपिंडी के नाम से जाना जाता है दोस्तों तक्षशिला प्राचीन काल में शिक्षा का विश्व प्रसिद्ध केंद्र हुआ करता था।








 केकय प्रदेश-  दोस्तों आज के जम्मू कश्मीर के उत्तरी क्षेत्र का उल्लेख महाभारत काल में केकय प्रदेश के रूप में किया जाता था। दोस्तों प्राचीन काल में केकय प्रदेश के राजा जयसेन का विवाह भगवान कृष्ण के पिता महाराज वसुदेव की बहन राधा देवी के साथ हुआ था। दोस्तों उनके पुत्र विंद व जरासंध दुर्योधन का मित्र था। दोस्तों महाभारत के युद्ध में विंद ने कौरवों का साथ दिया था।








 मद्र देश -  दोस्तों केकय प्रदेश से सटा हुआ मद्र प्रदेश आज का जम्मू कश्मीर प्रदेश ही है। दोस्तों  ग्रंथ एतरेय ब्रहामण के अनुसार हिमालय के पहाड़ियों के नजदीक होने के कारण मद्र देश को उत्तर का कुरु भी कहा जाता था। दोस्तों महाभारत काल में मद्र देश के राजा शल्य थे , जिनकी बहन माद्री का विवाह महाराज पाण्डु से हुआ था। दोस्तों नकुल और सहदेव रानी माद्री के ही पुत्र थे।









 उज्जनक प्रदेश-  दोस्तों आज के नैनीताल का वर्णन महाभारत काल में उज्जनक के रूप में किया गया है। दोस्तों गुरु द्रोणाचार्य यहां पांडवों और कौरवों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्रदान करते थे। दोस्तों कुंती पुत्र भीम ने गुरु द्रोणाचार्य के आदेश पर यहां एक शिव लिंग की स्थापना की थी। दोस्तों यही कारण है कि इस क्षेत्र को भीमशंकर के नाम से जाना जाता है। दोस्तों भीम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी यहां मौजूद है दोस्तों वर्तमान में आज यहां एक विशाल मंदिर का निर्माण किया जा चुका है। दोस्तों माना जाता है कि यह प्राचीन शिव लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है।









 शिविदेश -  दोस्तों महाभारत काल में दक्षिण पंजाब को शिवि देश के नाम से जाना जाता था। दोस्तों महाभारत में महाराज उशीनर का वर्णन है जिनके पौत्र शैव्य थे । दोस्तों राजा शैव्य के पुत्री  देविका का विवाह महाराज युधिष्ठिर से हुआ था। दोस्तों  राजा शैव्य एक महान धनुर्धर और महारथी थे । उन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था और अर्जुन का साथ देते हुए युद्ध को जिताने में अपना अतुलनीय योगदान दिया था।







 वाणगंगा-    दोस्तों कुरूक्षेत्र से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रसिद्ध वाणगंगा दोस्तों कहा जाता है कि महाभारत की भीषण लड़ाई में घायल पितामह भीष्म को यहां तिरो के सैय्या पर लिटाया गया था। दोस्तों कथा के अनुसार भीष्म ने प्यास लगने पर जब पानी की मांग की तो  अर्जुन ने वाणों से धरती पर प्रहार किया और गंगा की धारा फूट पड़ा । दोस्तों यही कारण है कि इस स्थान को वाणगंगा के नाम से जाना जाता है।








 कुरूक्षेत्र-   दोस्तों आज का हरियाणा ही  कुरूक्षेत्र हैं । दोस्तों यही पर  प्रसिद्ध महाभारत की युद्ध हुआ था । दोस्तों मान्यता है कि आदि काल में भगवान ब्रह्मा जी ने एक पवित्र यज्ञ का आयोजन किया था । दोस्तों आज भी इस स्थान पर एक ब्रह्म  सरोवर मौजूद है। दोस्तों पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता में लिखा हुआ है कि महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने यदुवंश के अन्य सदस्यों के साथ इस पवित्र सरोवर में स्नान किया था।
  








हस्तिनापुर-   दोस्तों महाभारत में वर्णित हस्तिनापुर का क्षेत्र आज के मेरठ शहर के आसपास का है। दोस्तों यह क्षेत्र चंद्रवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करता था । दोस्तों देखा जाए तो सही मायने में  महाभारत युद्ध की पटकथा यही लिखा गया था। दोस्तों महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने हस्तिनापुर को ही अपने राज्य का राजधानी बनाया था।









 
वर्णावत -  दोस्तों इस स्थान को भी मेरठ शहर के नजदीक ही माना जाता है।  दोस्तों वर्णावत में ही  पांडवों को छल से मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षाग्रह का निर्माण करवाया था। दोस्तों यह स्थान गंगा नदी के किनारे पर है । दोस्तों महाभारत के प्रसिद्ध कथा के अनुसार इस ऐतिहासिक युद्ध को टालने के लिए जिन पांच गांवों की मांग की थी , उनमें से एक वर्णावत भी था । दोस्तों आज भी यहां एक छोटा सा गांव है जिसका वर्णावा है।










 वृंदावन-  दोस्तों यह स्थान आज के मथुरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। दोस्तों वृंदावन को भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं के लिए जाना जाता है दोस्तों यही पर विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर मौजूद हैं।








 मगध -  दोस्तों दक्षिण बिहार में मौजूद मगध जरासंध की राजधानी थी। दोस्तों जरासंध की दो पुत्रियां "अस्ति और प्राप्ति"  का विवाह महाराज कंस से हुआ था। दोस्तों  जब भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया तब वे अनायास ही जरासंध के दुश्मन बन बैठे थे।








 गोकुल -  दोस्तों  यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह स्थान भी मथुरा शहर से आठ किलोमीटर दूर है । दोस्तों महाराज कंस से रक्षा के लिए भगवान कृष्ण के पिता  वसुदेव ने उन्हें अपने परम मित्र नंदराय के घर  गोकुल में छोड़ दिया था । दोस्तों भगवान कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम गोकुल में साथ साथ पले बढ़े थे।







   द्वारका-  दोस्तों माना जाता है कि गुजरात के पश्चिमी तट पर मौजूद यह स्थान कालांतर में समुद्र में समा गया है। दोस्तों इस अद्भुत नगर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के आज्ञा से महान् देव शिल्पी विश्वकर्मा जी ने किया था। दोस्तों माना जाता है कि जरासंध के बार बार हमले से यदुवंशियो को  बचाने के लिए भगवान कृष्ण अपनी राजधानी स्थानांतरित कर द्वारिका ले गए थे।







  अंग देश -  दोस्तों वर्तमान में  उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का क्षेत्र व बिहार के भागलपुर जिले के क्षेत्र को अंग देश के रूप में चिह्नित किया गया है दोस्तों दोनों में से अंग देश कौन-सा क्षेत्र है यह शोध का विषय है । लेकिन दोस्तों अधिकतर इतिहासकारों का मानना है कि बिहार का भागलपुर जिले का क्षेत्र ही महाभारत कालीन प्रसिद्ध अंग प्रदेश था। दोस्तों मान्यताओं के मुताबिक जरासंध ने अंग देश  दुर्योधन को उपहार स्वरूप भेंट किया था। जिसे बाद में दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को दें दिया था । दोस्तों इस स्थान को शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है।









 चंदेरी-   दोस्तों चंदेरी मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित है। दोस्तों आज के समय में चंदेरी की पहचान यहां की कशीदाकारी और साड़ियों के निर्माण के लिए है। लेकिन दोस्तों चंदेरी का इतिहास भी उतना ही गौरवशाली है जितनी प्रसिद्ध यहां की कशीदाकारी है। दोस्तों इस ऐतिहासिक शहर का उल्लेखन  महाभारत में भी मिलता है। दोस्तों  11 वीं सदी में यहां एक महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र हुआ करता था। एवं प्रमुख व्यापारिक मार्ग यहीं से होकर गुजरता था। दोस्तों यहां ऐसी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जो पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन हुआ है। 







    दोस्तों धन्यवाद आज के लिए बस इतना ही।
                 धन्यवाद दोस्तों


            माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗






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              English translate
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  Hello friends, a warm greeting to all of you in the travel blog of Mountain Leopard Mahendra, friends, on today's journey, I am taking you to some of the famous cities of the Mahabharata era, which are still present under different names.








 Gandhara  - Friends, today's Kandahar was known as Gandhara in ancient times. Friends, this country was spread from Rawalpindi in present-day Pakistan to remote Afghanistan in ancient times.  She was the daughter of Subal. Friends have misconceptions that due to the curse of Gandhari, the whole of Afghanistan is facing devastation till date.







 Taxila - Friends Taxila used to be the capital of ancient Gandhara region.  Friends, today Taxila is known as Rawalpindi, friends Taxila used to be a world famous center of education in ancient times.







 Kekay Pradesh - Friends, the northern region of present-day Jammu and Kashmir was mentioned as Kekay Pradesh in the Mahabharata period.  Friends, in ancient times, King Jayasena of Kekay Pradesh was married to Radha Devi, sister of Lord Krishna's father Maharaj Vasudev.  His sons Vind and Jarasandha were friends of Duryodhana.  Friends, Vind had supported the Kauravas in the war of Mahabharata.







 Madra Desh - Friends, the state of Madhya Pradesh, which is adjacent to the state, is the present-day Jammu and Kashmir state.  Friends, according to the text Atreya Brahman, due to its proximity to the Himalayan hills, the country of Madra was also called the Kuru of the North.  Friends, in the Mahabharata period, the king of Madra was Shalya, whose sister Madri was married to Maharaja Pandu.  Friends Nakula and Sahadeva were the sons of Queen Madri.







 Ujjanak region - Friends, today's Nainital has been described as Ujjanak in the Mahabharata period.  Friends, Guru Dronacharya used to provide education of weapons to the Pandavas and Kauravas here.  Friends, Kunti's son Bhima had established a Shiva Linga here on the orders of Guru Dronacharya.  Friends, this is the reason why this area is known as Bhimashankar.  Friends Shivling established by Bhima is present here even today friends, today a huge temple has been constructed here.  Friends, it is believed that this ancient Shiva Linga is one of the 12 Jyotirlingas which is famous as Bhimashankar Jyotirlinga.







 Shivdesh - Friends, during the Mahabharata period, South Punjab was known as Shiv Desh.  Friends, in the Mahabharata, there is a description of Maharaj Ushinar whose grandson was Shaivya.  Friends, the daughter of King Shaivya, Devika was married to Maharaj Yudhishthira.  Friends, King Shaivya was a great archer and master.  He had supported the Pandavas in the war of Mahabharata and made an incomparable contribution in winning the war by supporting Arjuna.








 Vanganga-  Friends is located at a distance of about three kilometers from Kurukshetra. The famous Vanganga friends are said to have laid down the paternal grandfather Bhishma, who was injured in the fierce battle of Mahabharata, on the Saiya of Tiro here.  According to the legend, when Bhishma asked for water when he was thirsty, Arjuna struck the earth with his arrows and the Ganges stream burst.  Friends, this is the reason why this place is known as Vanganga.









 Kurukshetra - Friends, today's Haryana is Kurukshetra.  Friends, this is where the famous Mahabharata war took place.  Friends, it is believed that in ancient times Lord Brahma had organized a holy yajna.  Friends, even today a Brahma Sarovar exists at this place.  Friends, it is written in the holy book Shrimad Bhagwat Geeta that before the war of Mahabharata, Lord Krishna along with other members of Yaduvansh had bathed in this holy lake.










 Hastinapur - Friends, the area of ​​Hastinapur described in the Mahabharata is around the present-day city of Meerut.  Friends, this region used to be the capital of Chandravanshi kings.  Friends, in the true sense, this was the script of the Mahabharata war that was written.  Friends, after the Mahabharata war, the Pandavas made Hastinapur the capital of their kingdom.











 Varnavat - Friends, this place is also considered close to the city of Meerut.  Friends, in order to kill the Pandavas with deceit, Duryodhana had built Lakshagraha in Varnavat itself.  Friends, this place is on the bank of river Ganges.  Friends, according to the famous story of Mahabharata, one of the five villages that were demanded to avert this historical war was Varnavat.  Friends, even today there is a small village here which has a Varnava.










 Vrindavan - Friends, this place is about 10 kilometers away from today's Mathura.  Friends, Vrindavan is known for the child pastimes of Lord Krishna, friends, the world famous Banke Bihari temple is present here.









 Magadha - Friends, Magadha was the capital of Jarasandha present in South Bihar.  Friends Jarasandha's two daughters "Asti and Prapti" were married to Maharaj Kansa.  Friends, when Lord Krishna killed his maternal uncle Kansa, he unintentionally became the enemy of Jarasandha.









 Gokul - Friends, this place situated on the banks of river Yamuna is also eight kilometers away from the city of Mathura.  Friends, Lord Krishna's father, Vasudev had left him in the house of his best friend Nandaraya, Gokul, to protect him from Maharaj Kansa.  Friends, Lord Krishna and his elder brother Balram grew up together in Gokul.









 Dwarka - Friends, it is believed that this place on the west coast of Gujarat has submerged in the sea over a period of time.  Friends, this wonderful city was built by the great god Shilpi Vishwakarma ji on the orders of Lord Shri Krishna.  Friends, it is believed that Lord Krishna shifted his capital to Dwarka to save the Yaduvanshis from the repeated attacks of Jarasandha.







 Ang Desh - Friends, at present, the area of ​​Gonda district of Uttar Pradesh and Bhagalpur district of Bihar has been marked as Anga Desh, friends, which of the two regions is Anga Desh, this is the subject of research.  But friends, most historians believe that the region of Bhagalpur district of Bihar was the famous Anga region during the Mahabharata period.  According to friends' beliefs, Jarasandha had presented an organ to Duryodhana as a gift.  Which was later given by Duryodhana to his friend Karna.  Friends, this place is also known as Shakti Peeth.









 Chanderi - Friends, Chanderi is located in the Ashok Nagar district of Madhya Pradesh.  Friends, in today's time, Chanderi is recognized for its embroidery and manufacturing of sarees.  But friends, the history of Chanderi is equally as glorious as the embroidered here.  Friends, the mention of this historical city is also found in Mahabharata.  Friends, there used to be an important military center here in the 11th century.  And the main trade route passed through here.  Friends, there are many such historical buildings here which have become the center of attraction among tourists.







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 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗
 





Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...