Tuesday, April 20, 2021

हिमालय की वादियों में स्थित शक्तिपीठ माता पूर्णागिरी मंदिर की यात्रा --चंपावत नगर उत्तराखंड भारतवर्ष Visit to Shaktipeeth Mata Purnagiri Temple situated in the Himalayan Plains - Champawat Nagar Uttarakhand India .

Ek yatra khajane ki khoje















                माता पूर्णागिरी मंदिर की विहंगम दृश्य।
                 A bird's eye view of the Mata Purnagiri temple.














 
  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्राआप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं उत्तराखंड के सुरमई वादियों में यानी दोस्तों हिमालय की वादियों में स्थित शक्तिपीठ माता पूर्णागिरी मंदिर की यात्रा पर।








      माता पूर्णागिरी मंदिर

   चंपावत नगर , उत्तराखंड

             भारतवर्ष


  दोस्तों अति प्राचीन माता पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड राज्य के चंपावत नगर में काली नदी के दाएं किनारे पर स्थित है। दोस्तों चीन , नेपाल और तिब्बत की सीमाओं से घिरे सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण चंपावत जिले के प्रवेश द्वार टनकपुर से 19 किलोमीटर दूर स्थित यह शक्तिपीठ मां भगवती की 108 सिद्ध पीठों में से एक है। दोस्तों उत्तराखंड जनपद चंपावत के टनकपुर पर्वतीय अंचल में स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर यह शक्ति पीठ स्थापित है जो माता पूर्णागिरी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
     
         दोस्तों माता पूर्णागिरी मंदिर की मान्यता यह है कि जब भगवान शिव शंभू तांडव करते हुए यज्ञ कुंड से माता सती के शरीर को लेकर आकाश मार्ग से जा रहे थे तब भगवान विष्णु ने तांडव नृत्य को देखकर माता सती के शरीर के अंग के  टुकड़े टुकड़े कर दिए जो आकाश मार्ग से पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर जा गिरी थी।अतः दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से कथा के अनुसार जहां जहां माता सती के अंग गिरे वे सभी स्थान माता के शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गए । दोस्तों माना जाता है कि माता सती के "नाभि" अंग चंपावत जिले के "पूर्णा" पर्वत पर ही गिरने से मां पूर्णागिरी मंदिर की स्थापना हुई है।
और तभी से ही देश के चारों दिशाओं में स्थित मल्लिका गिरी हेमला गिरी व पूर्णागिरि में इस पावन स्थल पूर्णागिरि पर्वत को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ है।














दोस्तों पुराणों के अनुसार महाभारत काल में प्राचीन ब्रह्मा कुंड के निकट पांडवों द्वारा देवी भगवती की आराधना तथा ब्रह्मा देव मंडी में सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा द्वारा आयोजित विशाल यज्ञ में एकत्रित अपार सोने से यहां सोने का पर्वत बन गया था।
  
       दोस्तों साथ ही साथ कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अध्ययन से पता चलता है कि सन 1632 ईस्वी में कुमाऊं के राजा ज्ञानचंद के दरबार में गुजरात से आए एक ब्राह्मण श्री चंद्र तिवारी जी को इस देवी स्थल की महिमा स्वप्न में देखने पर उन्होंने यहां मूर्ति स्थापित कर इस जगह को और प्रसिद्ध कर दिया था।
      दोस्तों माना जाता है कि देश के चारों दिशाओं में स्थित कालिका गिरी , हेमला गिरी व मल्लिका गिरी में सबसे ज्यादा मां पूर्णागिरि का यह शक्तिपीठ सर्वोच्च महत्व रखता है।दोस्तों यहां आने पर आप देखोगे कि आसपास घने जंगलों के बीच में स्थित एक ऊंचे पर्वत पर विराजमान है माता भगवती दुर्गा।दोस्तों इस स्थल को देश के अति महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में गिना जाता है।साथ ही दोस्तों माना जाता है कि चैत्र मास की नवरात्रा में यहां माता का दर्शन करना विशेष महत्व रखता है फिर भी यहां सालों भर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।














दोस्तों माता पूर्णागिरी मंदिर की एक और प्रचलित किवदंती है , दोस्तों किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है कि प्राचीन काल में एक हठी साधु ने व्यर्थ रूप से ही माता पूर्णागिरी के उच्च शिखर पर चढ़ने की कोशिश की तो माता ने क्रोध में आकर साधु को नदी के पार फेंक दिया था।परंतु बाद में माता को इस साधु पर दया आ गई और दयालु माता ने इस संत को सिद्ध बाबा के नाम से विख्यात कर उसे आशीर्वाद दिया। कि जो व्यक्ति मेरा दर्शन करने आएगा वह मेरे दर्शन के बाद तुम्हारा भी दर्शन करेगा जिससे कि उसकी मनोकामना पूर्ण होगी। इसी कारण दोस्तों कुमाऊं के अधिकतर स्थानीय लोग सिद्ध बाबा के नाम से मोटी रोटी बनाकर सिद्ध बाबा को भेंट स्वरूप चढ़ाते हैं।

        दोस्तों माता पूर्णागिरी मंदिर में ही कुछ दूरी पर स्थित झूठे मंदिर की एक अलग ही कहानी है। दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि एक बार एक सेठ जिसका कोई संतान नहीं था को देवी मां ने सपने में आकर कहा कि मेरे दर्शन के बाद ही तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।जिससे वह खुश होकर माता पूर्णागिरी के दर्शन किए और कहा कि यदि उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह देवी मां के लिए सोने का मंदिर बनवाएगा।
                लेकिन दोस्तों मनोकामना पूर्ण होने पर भी सेठ ने लालच में आकर सोने की मंदिर की जगह तांबे की मंदिर में सोने की पॉलिश लगाकर देवी मां को चढ़ाने के लिए मंदिर की ओर जाने लगा तो रास्ते में वह "टुन्याश" नामक स्थान पर पहुंचकर वह तांबे की मंदिर को लेकर आगे बढ़ ही नहीं सका। दोस्तों थक हार कर सेठ को तांबे की मंदिर वहीं पर स्थापित करना पड़ा । तभी से ही वह मंदिर वहीं पर स्थापित है और वर्तमान समय में झूठे मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। 
    
        दोस्तों माता पूर्णागिरी मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि इस स्थान पर बच्चों का मुंडन कराने पर बच्चे दीर्घायु और बुद्धिमान होते हैं। दोस्तों इसलिए भी इस मंदिर का विशेष महत्व है साथ ही दोस्तों प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में तीर्थयात्री इस मंदिर परिसर में अपने बच्चों को लेकर मुंडन कराने के लिए आते हैं।
















दोस्तों अंग्रेजों के जमाने के ऐतिहासिक दस्तावेजों में उल्लेखित है कि प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शिकारी "जिम कार्बेट" मैं सन 1927 ईस्वी में अपने यात्रा के दौरान इस स्थल पर विश्राम किया था और उसने पूर्णागिरि पर्वत पर स्वयं अलौकिक प्रकाश पुंजो को देखा था जिससे वह देवी मां के चरणों में नतमस्तक हो गया था। दोस्तों वापस लौटने पर उसने देवी मां के चमत्कारों का उल्लेख देशी व विदेशी अखबारों में कर इस पवित्र स्थल को काफी मशहूर किया था। दोस्तों कहां जाता है कि जो भक्त सच्ची आस्था लेकर माता पूर्णागिरी की दरबार में आता है अपनी मनोकामनाओं को साकार कर के ही वापस लौटता है।











           धन्यवाद दोस्तों

     माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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      English translate
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 Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra. I extend my heartiest greetings to all of you, friends. Today, I am taking you on a trip to the Shaktipeeth Mata Purnagiri temple located in the picturesque hills of Uttarakhand, i.e. in the Himalayas.









 Mata Purnagiri Temple


 Champawat Nagar, Uttarakhand


 India



 Friends, the ancient Mata Purnagiri Temple is located on the right bank of the Kali River in Champawat Nagar in the state of Uttarakhand.  Friends Shaktipeeth, located 19 km from Tanakpur, the gateway to the strategically important Champawat district, surrounded by the borders of China, Nepal and Tibet, is one of the 108 Siddha Peethas of Maa Bhagwati.  Friends, this Shakti Peeth is situated at an altitude of about 3000 feet in the peak of Annapurna peak located in the Tanakpur mountain region of Champawat, Uttarakhand district, which is famous as Mata Purnagiri temple.



 Friends Mata Purnagiri temple has the belief that when Lord Shiva was going through the sky route while carrying the Shambhu Tandava from the Yagna Kunda to the body of Mata Sati, then Lord Vishnu saw the Tandava dance and cut the body part of Mata Sati into pieces.  Which fell on different places of the earth from the sky route, so friends surprisingly, according to the legend, where all the parts of Mother Sati fell, all those places became famous as Shaktipeeth of Mother.  Friends, it is believed that the "navel" organ of Mata Sati fell on the "Poorna" mountain in Champawat district, which established the Maa Purnagiri temple.

 And since then, this holy place Purnagiri mountain has got the highest position in Mallika Giri Hemla Giri and Purnagiri located in all four directions of the country.














 According to the Friends Puranas, in the Mahabharata period near the ancient Brahma Kunda, the worship of Goddess Bhagwati by the Pandavas and the immense gold collected in Brahma Dev Mandi in a huge yagna organized by Lord Brahma, the Creator, became a mountain of gold here.



 Friends, as well as a study of some historical sources, shows that in 1632 AD, in the court of King Gyanchand of Kumaon, a Brahmin from Gujarat, Shri Chandra Tiwari ji, seeing the glory of this Goddess site in his dream, installed the idol here.  The place was made more famous.

 Friends, it is believed that this Shaktipeeth of Maa Purnagiri holds the highest importance in Kalika Giri, Hemla Giri and Mallika Giri located in all the four directions of the country. When friends come here, you will see that on a high mountain situated in the middle of dense forests.  Mata Bhagwati Durga is seated. Friends, this place is counted among the most important Shaktipeeths of the country. Also friends are believed that visiting the mother in the Navratra of Chaitra month is of special importance, yet devotees visit here throughout the years.  Stays on













 Friends is another popular legend of the Mata Purnagiri temple, according to the friends legends, it is believed that in the ancient times a stubborn monk tried in vain to climb the high peak of Mata Purnagiri, then the mother got angry and sent the sadhu into the river.  He was thrown across. But later, the mother took pity on this sadhu and the kind mother blessed this saint by making him known as Siddha Baba.  That the person who comes to see me will also see you after my darshan, so that his wish will be fulfilled.  For this reason, most of the local people of Kumaon make thick bread in the name of Siddha Baba and offer it to Siddha Baba as an offering.


 Friends lies a different story of the false temple situated at a distance in the Mata Purnagiri temple itself.  According to friends mythology, it is believed that once a Seth who had no child, the Goddess came in a dream and said that only after my darshan you will get the son Ratna, so that she was happy and saw Mata Purnagiri and said  That if he gets the son Ratna then he will build a gold temple for the Mother Goddess.

 But even after the desire of friends was complete, Seth came to greed and started to go to the temple to offer the Goddess mother by putting gold polish in the copper temple instead of the gold temple, on the way he reached a place called "Tunyash".  Could not move forward regarding the temple.  Fearing defeat, Seth had to install a copper temple there.  Since then, that temple has been established there and in the present times it is famous as a false temple.



 There is also a belief of Friends Mata Purnagiri Temple that children are longevity and wise when they shave children at this place.  Friends, this temple is also of special importance, as well as friends, millions of pilgrims come to the temple premises every year to shave their children.













 Friends, the historical documents of the British era mention that the famous environmentalist and hunter "Jim Corbett" I rested at this place during my visit in 1927 AD and he himself saw the supernatural light on the mountain Purnagiri, which gave him the Mother Goddess.  Was bowed down at the feet of.  On returning friends, he had made this sacred place quite famous by mentioning the miracles of the Mother Goddess in domestic and foreign newspapers.  Where do friends go that a devotee who comes to the court of Mother Purnagiri with true faith, returns only after realizing his wishes.




 Thanks guys


 Mountain Leopard            Mahendra 🧗🧗

  




              







     Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗














          

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