Thursday, March 25, 2021

एक यात्रा अद्भुत , अलौकिक और रहस्यमई भूतों के द्वारा एक ही रात में बनाया गया भगवान शिव की ककनमठ मंदिर - मुरैना मध्यप्रदेश भारत Kakanamath temple of Lord Shiva built in a single night by a journey of amazing, supernatural and mysterious ghosts - Morena Madhya Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje

 










































  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर फिर से मैं आपको लेकर चल रहा हूं मुरैना मध्य प्रदेश जहां हम देखेंगे कि कैसे एक बहुत ही अद्भुत अलौकिक और रहस्यमई मंदिर को भूतों ने एक ही रात में बनाया था। । तो आइए दोस्तों चलते हैं मुरैना मध्य प्रदेश  भगवान शिव की अद्भुत और अलौकिक ककनमठ मंदिर की यात्रा पर।


















             ककनमठ मंदिर

             मुरैना , मध्य प्रदेश

                   भारतवर्ष
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 नमस्कार दोस्तों ककनमठ मंदिर एक अति प्राचीन भगवान शिव की मंदिर है जो मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित है दोस्तों इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में ग्वालियर के कुशवाहा या कच्छघात वंश के महाराज कीर्तिराज कच्छघात  में करवाया था। 
        दोस्तों ग्वालियर राज्य से लगभग 70 किलोमीटर दूर मुरैना जिले में सिहोनिया स्थित ककनमठ मंदिर अपने अद्भुत और अलौकिक वास्तुकला के कारण देसी विदेशी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।दोस्तों कभी सिंहपनिया नगर कहे जाने वाले सिहोनिया विश्व पर्यटन के मानचित्र पर इसी मंदिर के नाम से जाना जाता था।
       
          दोस्तों इस मंदिर का निर्माण खजुराहो शैली में किया गया है क्योंकि दोस्तों यह मंदिर उत्तर नागर शैली में बना हुआ है। क्योंकि मंदिर निर्माण की इस रैली को उत्तर नागर शैली के नाम से ही जाना जाता था। क्योंकि आठवीं शताब्दी के दौरान मंदिरों का निर्माण नागर शैली में ही किया जाता रहा था दोस्तों ककनमठ मंदिर उत्तर नागर शैली का उत्कृष्ट नमूना है।














     दोस्तों आप सभी को जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में चुनें , गारे और सीमेंट का उपयोग बिलकुल नहीं किया गया है। दोस्तों अद्भुत अलौकिक और रहस्यमई है यह मंदिर क्योंकि यह मंदिर एक विशेष प्रकार के पत्थरों का बना हुआ है।क्योंकि दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि इस प्रकार के पत्थर आज तक भारत के किसी भी कोने में देखने को नहीं मिला है। दोस्तों यह मंदिर कैसे बना है इस बात का जवाब अच्छे-अच्छे इंजिनियर्स के पास भी नहीं है।
          दोस्तों यह विशाल और अद्भुत मंदिर वाकई किसी आश्चर्य से कम नहीं है क्योंकि दोस्तों इस मंदिर के पत्थरों के बीच ना तो कोई चुनां है और नहीं सीमेंट सारे के सारे पत्थर एक के ऊपर एक कतारबद्ध रूप से रखे गए हैं। साथ ही साथ दोस्तों इस मंदिर को अंदर से देखना वाकई में अद्भुत है।
             
             दोस्तों स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रहस्यमई तरीके से भूतों ने एक रात में     ही  किया था।लेकिन दोस्तों इस मंदिर को बनाते बनाते सुबह हो गई थी जिस कारण से भूतों को मंदिर निर्माण का कार्य अधूरा छोड़कर जाना पड़ा था। दोस्तों आज भी इस मंदिर को देखने में कुछ ऐसा ही लगता है कि इस मंदिर का निर्माण अधूरा ही रह गया था।

















 लेकिन दोस्तों इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में कुशवाहा वंश के राजा कीर्तिराज ने करवाया था। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि करीब 1000 वर्ष पहले सिहोनिया कुशवाहा राजपूतों की राजधानी हुआ करती थी। दोस्तों इस समय काल में शासन करने वाले इस क्षेत्र के राजा कीर्तिराज कच्छघात भगवान शिव के परम भक्त थे और उनकी पत्नी भी भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। दोस्तों राजा कीर्तिराज की पत्नी का नाम ककनावती थीं। उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम ककनमठ मंदिर पड़ा।दोस्तों उस जमाने में आसपास कोई शिवालय ना होने के कारण रानी को भगवान शिव की उपासना में दिक्कत होती थी तब रानी के कहने पर ही राजा कीर्तिराज राज ने इस अद्भुत और अलौकिक मंदिर का निर्माण करवाया था।
      दोस्तों कुछ भी हो यह मंदिर हमारे पूर्वजों का अनुपम धरोहर है ऐसा मंदिर बहुत ही कम  देखने को मिलता है। दोस्तों हमारे पूर्वज इस प्रकार के वास्तुकला और मंदिर निर्माण की कला में बहुत ही निपुण थे तभी तो इस प्रकार के अद्भुत और अलौकिक रहस्यमई मंदिरों का निर्माण पूरे भारतवर्ष में किया था।।










               धन्यवाद दोस्तों 

         माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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              English translate
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  Hello friends, I heartily greet all of you mountain lepards Mahendra, Friends, today I am taking you again on my journey to Morena Madhya Pradesh where we will see how a very amazing supernatural and mysterious temple has been haunted by ghosts in one night.  was made.  .  So friends, let's go to Morena Madhya Pradesh on a visit to Lord Shiva's wonderful and supernatural Kakanamath Temple.




 Kakanamath Temple


 Morena, Madhya Pradesh


 India

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 Namaskar Friends Kakanamath Temple is an ancient temple of Lord Shiva located in Morena, Madhya Pradesh. Friends, this temple was built in 11th century by Kushwaha of Gwalior or Maharaja Kirtiraj Kachaghatha of Kachchagha dynasty.

 Friends, Kakanmath Temple at Sihonia in Morena district, about 70 km from Gwalior state, remains a center of attraction among the homegrown foreign tourists due to its amazing and supernatural architecture.  Was known by the name.



 Friends, this temple has been constructed in Khajuraho style because friends this temple is built in North Nagar style.  Because this temple construction rally was known as Uttar Nagar style.  Because the temples were built in the Nagara style during the eighth century, the Friends Kakanamath temple is an excellent specimen of the North Nagar style.












 Friends, all of you will be surprised to know that in this temple choose, mortar and cement are not used at all.  Friends, this temple is amazingly supernatural and mysterious because this temple is made of a special type of stones, because friends are surprising that this type of stone has not been seen in any corner of India till date.  Friends, even the best engineers do not have the answer to how this temple is built.

 Friends, this huge and wonderful temple is really no surprise because friends have not chosen any among the stones of this temple and not all the stones of cement are stacked one on top of the other.  Also, friends, it is truly amazing to see this temple from inside.



 According to local legends, the temple is believed to have been mysteriously constructed by the ghosts in one night, but the friends were made in the morning to build this temple, due to which the ghosts had to leave the temple construction unfinished.  .  Friends, even today, it seems that in looking at this temple, the construction of this temple had remained incomplete.












 But friends historians believe that this temple was built in the 11th century by King Kirtiraj of Kushwaha dynasty.  Friends, historical sources suggest that about 1000 years ago Sihonia used to be the capital of the Kushwaha Rajputs.  Friends, Kirtiraj Kacharagha, the king of this region who ruled during this time, was an ardent devotee of Lord Shiva and his wife was also an ardent devotee of Lord Shiva.  Friends, King Kirtiraj's wife's name was Kakanavati.  The name of this temple was named Kakanmath Temple after him. The queen used to have trouble in worshiping Lord Shiva due to the absence of a pagoda around it at that time, then King Kirtiraj Raj built this wonderful and supernatural temple at the behest of the queen.  Had it done.

 Whatever be the friends, this temple is a unique heritage of our ancestors, such a temple is rarely seen.  Friends, our forefathers were very proficient in this type of architecture and the art of temple construction, then only such amazing and supernatural mystical temples were built all over India.


























 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗












        





  Mountain lappord Mahendra
                      🧗🧗


















     



         

Tuesday, March 23, 2021

एक यात्रा प्राचीन तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर की - गोवा भारत। A Visit to the Ancient Tambari Surla Mahadev Temple - Goa India.

Ek yatra khajane ki khoje




















                          तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर
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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लेपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं बहुत ही  सुंदर और अद्भुत अलौकिक वास्तुकला से परिपूर्ण उस जमाने की अति प्राचीन भगवान शिव की मंदिर की यात्रा पर। जो हमारे बहुत ही खूबसूरत छोटे से राज्य गोवा में स्थित है।  













          तांबडी सुरला महादेव मंदिर

                      गोवा
      
                    भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों अति प्राचीन तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोस्तों भगवान भोलेनाथ का यह प्राचीन मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है।दोस्तों यह प्राचीन मंदिर अपने अद्भुत और अनूठी वास्तुशैली के लिए काफी प्रसिद्ध है जो गोवा में घूमने के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।दोस्तों 12 वीं शताब्दी के दौरान निर्मित किया गया यह मंदिर कंदब यादव वंश की वास्तुकला शैली का एकमात्र स्मारक है। दोस्तों मंदिर के निर्माण काल के समय है इन क्षेत्रों पर कंदब वंश का शासन था। दोस्तों कदंब वंश के शासकों ने ही अपने आराध्य देव भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।










दोस्तों मंदिर के इतिहास को खंगालने पर पता चलता है कि मंदिर को  बेसाल्ट पत्थरों से कंदब शैली में बनाया गया था। जो दक्कन के पठार के पहाड़ों के ऊपर स्थित है।दोस्तों गोवा में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर कंधार वंश की वास्तुकला शैली की एकमात्र निशानी है ।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गोवा में पहले प्राचीन मंदिरों की संख्या बहुत अधिक थी , लेकिन दोस्तों बाहरी क्रूर मुस्लिम शासकों एवं पुर्तगाली शासकों ने लगभग सभी भव्य तथा पौराणिक मंदिरों को नष्ट कर दिया था। दोस्तों यह एक मात्र ऐसा भगवान शिव का मंदिर है जो बाहरी आक्रमणों से अछूता बच गया था। क्योंकि बाहरी आक्रमणकारियों को इस जगह के बारे में पता ही नहीं चल पाया था क्योंकि यह उस जमाने में घने जंगलों के बीच स्थित दक्कन पठार के पहाड़ों के ऊपर बना हुआ है जहां पहुंचना आज भी बहुत ही कठिन है। जिस कारण से क्रूर मुस्लिम आक्रमणकारी   यहां तक पहुंची नहीं पाए थे।लेकिन दोस्तों अफसोस की यहां मौजूद बाकी पौराणिक मंदिरों को इन आक्रमणकारियों से बचाया नहीं जा सका था।


















दोस्तों तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में कंदब वंश के शासन काल में किया गया था । दोस्तों यह मंदिर हमारे पूर्वजों का अनुपम धरोहर है इसे संजोए रखना हमारा परम कर्तव्य है अन्यथा भगवान शिव का यह मंदिर भी इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा।











                  धन्यवाद दोस्तों

           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey of the temple of the very ancient Lord Shiva of that era, very beautiful and full of wonderful supernatural architecture.  Which is located in our very beautiful small state of Goa.

















 Tambdi Surla Mahadev Temple


 Goa



 India


 Namaskar Friends, the very ancient Tambadi Surla Mahadev Temple is located at a distance of about 65 km from Goa's capital Panaji.  Friends, this ancient temple of Lord Bholenath is very famous. Friends, this ancient temple is quite famous for its amazing and unique architecture which is considered to be one of the major pilgrimage sites for visiting Goa. The friends built during the 12th century  This Gaya temple is the only monument to the architectural style of the Kandab Yadav dynasty.  The friends are during the construction period of the temple, these areas were ruled by the Kandab dynasty.  Friends, the rulers of the Kadamb dynasty had built this temple of their adorable god Lord Shiva.

















 After going through the history of the Friends temple, it is revealed that the temple was built in the Kandab style with basalt stones.  Which is situated atop the mountains of the Deccan plateau. This temple of Lord Shiva located in two Goa is the only sign of the architectural style of the Kandahar dynasty. Friends, you will be surprised to know that earlier ancient temples in Goa were very large, but friends external  The brutal Muslim rulers and Portuguese rulers destroyed almost all the grand and mythological temples.  Friends, this is the only temple of Lord Shiva that was left untouched by external invasions.  Because the outside invaders could not know about this place because it is built on the mountains of the Deccan plateau, which is situated amidst the dense forests at that time, which is still very difficult to reach.  Due to which the brutal Muslim invaders could not reach here, but friends regret that the rest of the mythological temples here could not be saved from these invaders.

















 Friends Tambadi Surla Mahadev Temple was built in the 12th century under the rule of the Kandab dynasty.  Friends, this temple is a unique heritage of our ancestors, it is our ultimate duty to preserve it, otherwise this temple of Lord Shiva will also remain confined in the pages of history.












 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗













































































































































































































Mountain lappord Mahendra
🧗🧗









Thursday, March 18, 2021

अति प्राचीन पुरातात्विक खोज - शिवलिंग Ancient Antiquarian Discovery - Shivling

Ek yatra khajane ki khoje















         हड़प्पा कालीन स्थल कालीबंगा से प्राप्त शिवलिंग , शिवलिंग एक योनि पीठ पर स्थापित है 
 The Shivalinga obtained from the Harappan site Kalibanga, the Shivlinga is installed on a vaginal back.
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    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।दोस्तों आज का मेरा ब्लॉग थोड़ा हटकर है जो भगवान शिव को समर्पित है शायद आप सभी लोगों को पसंद आए।



         
 सन 1940 में पुरातत्वविद डॉक्टर एम एस वत्स द्वारा हड़प्पा से खोजा गया शिवलिंग।
 Shivalinga discovered from Harappa in 1940 by archaeologist Dr. MS Vats.
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    अति प्राचीन पुरातात्विक खोज                     शिवलिंग
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  नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भगवान शिव शंकर कोई एक हिंदू देव मात्र नहीं है। क्योंकि दोस्तों हमारे पवित्र धर्मग्रंथों में भगवान शिव को समस्त ब्रह्मांड का उर्जा माना गया है। दोस्तों यही कारण है कि शिव , धर्म ,जाति , लिंग और क्षेत्र के भेदों से परे हैं शिव , सबके हैं और संपूर्ण जगत शिव का है।











दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भगवान शिव शंकर को प्रतीक रूप में लिंग में प्रतिस्थापित किया जाता है और हम सभी सनातन धर्मी इसी रूप में इन्हें पूजते हैं जैसा कि दोस्तों आप सभी को मालूम होगा की शिवलिंग प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार के होते हैं। दोस्तों शिवलिंग की उत्पत्ति और प्राप्ति के सवाल पर हमें कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पाता है दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अर्थवेद से प्रारंभ होकर लिंग पुराण और रामायण , महाभारत आदि पवित्र हिंदू धर्म ग्रंथों में शिवलिंग पूजन के प्रमाण मौजूद हैं।  





         हड़प्पा कालीन अति प्राचीन शिवलिंग 
               Harappan  Shivling










दोस्तों पुरातात्विक साक्ष्यों या प्रमाणों की बात करें तो भारतवर्ष की प्राचीनतम ज्ञात मानव सभ्यता यानी सिंधु घाटी सभ्यता से ही शिवलिंग मिलने प्रारंभ हो जाते हैं।यानी देखा जाए तो अति प्राचीन सिंधु सभ्यता के लोग भी भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में किया करते थे। और आगे चलकर प्राचीन सेंधव सभ्यता के लोगों ने भी इसी पूजा पद्धति को जारी रखा जो आज वर्तमान में भी निरंतर जारी है , भगवान शिव को उनके प्रतिक शिवलिंग के रूप में पूजना ।




दोस्तों जैसा कि आप सभी लोगों ने पढ़ा होगा कि गुप्त काल में हिंदू मंदिरों के विकास के युग के प्रारंभ होने के साथ ही शिवलिंग भी कलात्मक रूप में विकसित होने लग गए थे।दोस्तों उस काल में शिवलिंग पर शिव की मुखाकृति उकेरी जाने लगी थी , और दोस्तों यही प्रक्रिया लिंगो पर बाद में पूर्ण प्रतिमा उकेरे जाने तक विकसित हुई। क्योंकि दोस्तों एकमुखी , चतुर्मुखी , अष्टमुखी शिवलिंग आज भी गुप्त काल के उस स्वर्णिम युग के संदेशवाहक के रूप में यत्र तत्र देखने को मिल जाते हैं। यद्यपि दोस्तों गुप्त शासक वैष्णव मत के अनुयाई थे किंतु फिर भी गुप्त काल में भगवान शिव , माता पार्वती , माता गौरी , भगवान गणेश , भगवान कार्तिकेय , नंदी बाबा  आदि के अनेक सुंदर साहब प्रतिमाएं बनाई गई थी।





           हड़प्पाकालीन पशुपति सील -योग मुद्रा में बैठे पशुपति और उनके समीप विचरण करते पशु ।
  
Harappan Pashupati Seal - Pashupati sitting in yoga pose and animals roaming near him.
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दोस्तों आगे चलकर यानी गुप्तकाल के बाद में अनेकों राजवंशों ने शैल  संप्रदाय को राज्याश्रय  दिया और संपूर्ण भारतवर्ष में अनेकों शिवालयों का निर्माण किया गया जिनमें शिवलिंग को मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में स्थापित किया जाता था। दोस्तों चंदेल काल में निर्मित खजुराहो का कंदारिया महादेव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। दोस्तों 11 वीं - 12 वीं सदी में मालवा के परमार राजाओं ने भी अनेक सुंदर शिवालयों का निर्माण करवाया।इसी प्रकार उत्तर का सोमनाथ कहे जाने वाले भोजेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग संसार के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है ।दोस्तों भारत के अतिरिक्त समूचे दक्षिण एशिया और सुदूर पूर्व के देशों में जैसे इंडोनेशिया , जापान , वियतनाम , कंबोडिया , सिलोन , जावा , सुमात्रा आदि में भी शिवालय एवं शिवलिंगों की स्थापना की गई थी। 















यानी दोस्तों देखा जाए तो भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाने की पद्धति अति प्राचीन से भी प्राचीन है।।



                           वियतनाम से प्राप्त शिवलिंग
                    Shivling received from Vietnam











                 धन्यवाद दोस्तों


               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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               English translate
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 Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra. Friends today my blog is a little different which is dedicated to Lord Shiva, maybe you all like it.











 Ancient archaeological discovery shivlinga

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 Hello friends as you all know that Lord Shiva Shankar is not just a Hindu god.  Because friends, in our holy scriptures, Lord Shiva is considered the energy of the entire universe.  Friends, this is the reason that Shiva is beyond the distinctions of religion, caste, gender and region, Shiva belongs to everyone and the whole world belongs to Shiva.




 
                एक मुखी शिवलिंग छठी से सातवीं सदी गुप्त काल
                One Mukhi Shivling Sixth to Seventh Century Gupta Period
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 Friends, as you all know that Lord Shiva Shankar is substituted in the linga as a symbol and we all worship him in the same way as friends all of you will know that Shivling is both natural and man-made.  Occur.  Friends, we do not get any clear answer on the question of origin and attainment of Shivling. Friends, as we all know that there is evidence of Shivling worship in the sacred Hindu religion texts like Linga Purana and Ramayana, Mahabharata, starting from Arthaveda.











 Friends, if you talk about archaeological evidence or evidences, then the Shivalinga starts from the oldest known human civilization of India i.e. the Indus Valley Civilization.  .  And later, people of ancient rock civilization continued this same method of worship, which continues even today, worshiping Lord Shiva as their counterpart Shivalinga.










         माय सन वियतनाम से उत्खनन में प्राप्त एक विशाल शिवलिंग लगभग 10वीं से 11वीं सदी ईसवी।
  A large Shivalinga excavated from My Sun Vietnam dating from about 10th to 11th century AD.
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 Friends, as all of you must have read that with the beginning of the era of the development of Hindu temples in the Gupta period, Shivling also started to develop in artistic form. In that period, the face of Shiva was engraved on the Shivling,  And friends, this process evolved until the full statue was carved on the lingo later.  Because friends, Ekamukhi, Chaturmukhi, Ashtamukhi Shivling, are still seen as a messenger of that golden age of Gupta period.  Although friends were followers of Gupta ruler Vaishnavism, yet many beautiful saab idols of Lord Shiva, Mata Parvati, Mata Gauri, Lord Ganesha, Lord Kartikeya, Nandi Baba etc. were built in Gupta period.








 Friends later, in the post-Gupta period, many dynasties ruled the Shaila sect and many pagoda were built all over India in which the Shivalinga was installed in the main sanctum sanctorum of the temple.  Friends, Kandariya Mahadev Temple of Khajuraho built in Chandel period is world famous.  Friends, the Parmar kings of Malwa also built many beautiful pagoda in the 11th - 12th century. Similarly, the Shivalinga established in the Bhojeshwar Shiva temple called Somnath in the north is one of the largest Shivalingas in the world.  Pagoda and Shivalingas were also established in South Asia and Far East countries such as Indonesia, Japan, Vietnam, Cambodia, Ceylon, Java, Sumatra etc.





                        मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित भूभरा के शिवालय में स्थापित छठी से सातवीं शताब्दी का अति सुंदर मुखलिंग।
 Exquisite Mukhling of sixth to seventh century established in Bhubhra's pagoda located in Satna district of Madhya Pradesh.
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 That is, if you see friends, the method of worshiping Lord Shiva in the form of Shivalinga is even more ancient than the oldest.









 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗



            नीलकंठेश्वर शिव मंदिर उदयपुर -विदिशा 12वी से 13 वी सदी में निर्मित। 

 Neelkantheshwar Shiva Temple Udaipur - Vidisha Built in 12th to 13th century.
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          अति प्राचीन भगवान शिव की शैल चित्र
 Rock figure of the very ancient Lord Shiva
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                बूंदी राजस्थान से खोजा गया एक गुप्तकालीन एकमुखी शिवलिंग।

 A Gupta Shiva lingam dating back to Bundi Rajasthan.
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    पूरे भारतवर्ष में 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग स्थापित है जिनमें उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग अति प्रसिद्ध है उज्जैन के प्राचीन महाकाल मंदिर को क्रूर आक्रमणकारी सुल्तान इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था वर्तमान में मंदिर मराठाकालीन है।

 Jyotirlinga is established in 12 places throughout India, in which Mahakaleshwar Shivling of Ujjain is very famous. The ancient Mahakal temple of Ujjain was destroyed by the brutal invader Sultan Iltutmish. Currently the temple is Maratha.
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                     मंदसौर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में स्थापित अष्ट मुखी शिवलिंग गुप्त काल।

Ashta Mukhi Shivling Gupta period established in the famous Pashupatinath temple of Mandsaur Madhya Pradesh
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                गुप्तकालीन एक मुखी शिवलिंग उदयगिरी की गुफाएं मध्य प्रदेश पांचवी से लेकर छठी शताब्दी के बीच।
 The caves of Udayagiri, a mukhi Shivling in Gupta period, Madhya Pradesh between the fifth to the sixth century.

















 



Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...