Thursday, March 18, 2021

अति प्राचीन पुरातात्विक खोज - शिवलिंग Ancient Antiquarian Discovery - Shivling

Ek yatra khajane ki khoje















         हड़प्पा कालीन स्थल कालीबंगा से प्राप्त शिवलिंग , शिवलिंग एक योनि पीठ पर स्थापित है 
 The Shivalinga obtained from the Harappan site Kalibanga, the Shivlinga is installed on a vaginal back.
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    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।दोस्तों आज का मेरा ब्लॉग थोड़ा हटकर है जो भगवान शिव को समर्पित है शायद आप सभी लोगों को पसंद आए।



         
 सन 1940 में पुरातत्वविद डॉक्टर एम एस वत्स द्वारा हड़प्पा से खोजा गया शिवलिंग।
 Shivalinga discovered from Harappa in 1940 by archaeologist Dr. MS Vats.
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    अति प्राचीन पुरातात्विक खोज                     शिवलिंग
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  नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भगवान शिव शंकर कोई एक हिंदू देव मात्र नहीं है। क्योंकि दोस्तों हमारे पवित्र धर्मग्रंथों में भगवान शिव को समस्त ब्रह्मांड का उर्जा माना गया है। दोस्तों यही कारण है कि शिव , धर्म ,जाति , लिंग और क्षेत्र के भेदों से परे हैं शिव , सबके हैं और संपूर्ण जगत शिव का है।











दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भगवान शिव शंकर को प्रतीक रूप में लिंग में प्रतिस्थापित किया जाता है और हम सभी सनातन धर्मी इसी रूप में इन्हें पूजते हैं जैसा कि दोस्तों आप सभी को मालूम होगा की शिवलिंग प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार के होते हैं। दोस्तों शिवलिंग की उत्पत्ति और प्राप्ति के सवाल पर हमें कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पाता है दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अर्थवेद से प्रारंभ होकर लिंग पुराण और रामायण , महाभारत आदि पवित्र हिंदू धर्म ग्रंथों में शिवलिंग पूजन के प्रमाण मौजूद हैं।  





         हड़प्पा कालीन अति प्राचीन शिवलिंग 
               Harappan  Shivling










दोस्तों पुरातात्विक साक्ष्यों या प्रमाणों की बात करें तो भारतवर्ष की प्राचीनतम ज्ञात मानव सभ्यता यानी सिंधु घाटी सभ्यता से ही शिवलिंग मिलने प्रारंभ हो जाते हैं।यानी देखा जाए तो अति प्राचीन सिंधु सभ्यता के लोग भी भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में किया करते थे। और आगे चलकर प्राचीन सेंधव सभ्यता के लोगों ने भी इसी पूजा पद्धति को जारी रखा जो आज वर्तमान में भी निरंतर जारी है , भगवान शिव को उनके प्रतिक शिवलिंग के रूप में पूजना ।




दोस्तों जैसा कि आप सभी लोगों ने पढ़ा होगा कि गुप्त काल में हिंदू मंदिरों के विकास के युग के प्रारंभ होने के साथ ही शिवलिंग भी कलात्मक रूप में विकसित होने लग गए थे।दोस्तों उस काल में शिवलिंग पर शिव की मुखाकृति उकेरी जाने लगी थी , और दोस्तों यही प्रक्रिया लिंगो पर बाद में पूर्ण प्रतिमा उकेरे जाने तक विकसित हुई। क्योंकि दोस्तों एकमुखी , चतुर्मुखी , अष्टमुखी शिवलिंग आज भी गुप्त काल के उस स्वर्णिम युग के संदेशवाहक के रूप में यत्र तत्र देखने को मिल जाते हैं। यद्यपि दोस्तों गुप्त शासक वैष्णव मत के अनुयाई थे किंतु फिर भी गुप्त काल में भगवान शिव , माता पार्वती , माता गौरी , भगवान गणेश , भगवान कार्तिकेय , नंदी बाबा  आदि के अनेक सुंदर साहब प्रतिमाएं बनाई गई थी।





           हड़प्पाकालीन पशुपति सील -योग मुद्रा में बैठे पशुपति और उनके समीप विचरण करते पशु ।
  
Harappan Pashupati Seal - Pashupati sitting in yoga pose and animals roaming near him.
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दोस्तों आगे चलकर यानी गुप्तकाल के बाद में अनेकों राजवंशों ने शैल  संप्रदाय को राज्याश्रय  दिया और संपूर्ण भारतवर्ष में अनेकों शिवालयों का निर्माण किया गया जिनमें शिवलिंग को मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में स्थापित किया जाता था। दोस्तों चंदेल काल में निर्मित खजुराहो का कंदारिया महादेव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। दोस्तों 11 वीं - 12 वीं सदी में मालवा के परमार राजाओं ने भी अनेक सुंदर शिवालयों का निर्माण करवाया।इसी प्रकार उत्तर का सोमनाथ कहे जाने वाले भोजेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग संसार के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है ।दोस्तों भारत के अतिरिक्त समूचे दक्षिण एशिया और सुदूर पूर्व के देशों में जैसे इंडोनेशिया , जापान , वियतनाम , कंबोडिया , सिलोन , जावा , सुमात्रा आदि में भी शिवालय एवं शिवलिंगों की स्थापना की गई थी। 















यानी दोस्तों देखा जाए तो भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाने की पद्धति अति प्राचीन से भी प्राचीन है।।



                           वियतनाम से प्राप्त शिवलिंग
                    Shivling received from Vietnam











                 धन्यवाद दोस्तों


               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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               English translate
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 Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra. Friends today my blog is a little different which is dedicated to Lord Shiva, maybe you all like it.











 Ancient archaeological discovery shivlinga

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 Hello friends as you all know that Lord Shiva Shankar is not just a Hindu god.  Because friends, in our holy scriptures, Lord Shiva is considered the energy of the entire universe.  Friends, this is the reason that Shiva is beyond the distinctions of religion, caste, gender and region, Shiva belongs to everyone and the whole world belongs to Shiva.




 
                एक मुखी शिवलिंग छठी से सातवीं सदी गुप्त काल
                One Mukhi Shivling Sixth to Seventh Century Gupta Period
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 Friends, as you all know that Lord Shiva Shankar is substituted in the linga as a symbol and we all worship him in the same way as friends all of you will know that Shivling is both natural and man-made.  Occur.  Friends, we do not get any clear answer on the question of origin and attainment of Shivling. Friends, as we all know that there is evidence of Shivling worship in the sacred Hindu religion texts like Linga Purana and Ramayana, Mahabharata, starting from Arthaveda.











 Friends, if you talk about archaeological evidence or evidences, then the Shivalinga starts from the oldest known human civilization of India i.e. the Indus Valley Civilization.  .  And later, people of ancient rock civilization continued this same method of worship, which continues even today, worshiping Lord Shiva as their counterpart Shivalinga.










         माय सन वियतनाम से उत्खनन में प्राप्त एक विशाल शिवलिंग लगभग 10वीं से 11वीं सदी ईसवी।
  A large Shivalinga excavated from My Sun Vietnam dating from about 10th to 11th century AD.
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 Friends, as all of you must have read that with the beginning of the era of the development of Hindu temples in the Gupta period, Shivling also started to develop in artistic form. In that period, the face of Shiva was engraved on the Shivling,  And friends, this process evolved until the full statue was carved on the lingo later.  Because friends, Ekamukhi, Chaturmukhi, Ashtamukhi Shivling, are still seen as a messenger of that golden age of Gupta period.  Although friends were followers of Gupta ruler Vaishnavism, yet many beautiful saab idols of Lord Shiva, Mata Parvati, Mata Gauri, Lord Ganesha, Lord Kartikeya, Nandi Baba etc. were built in Gupta period.








 Friends later, in the post-Gupta period, many dynasties ruled the Shaila sect and many pagoda were built all over India in which the Shivalinga was installed in the main sanctum sanctorum of the temple.  Friends, Kandariya Mahadev Temple of Khajuraho built in Chandel period is world famous.  Friends, the Parmar kings of Malwa also built many beautiful pagoda in the 11th - 12th century. Similarly, the Shivalinga established in the Bhojeshwar Shiva temple called Somnath in the north is one of the largest Shivalingas in the world.  Pagoda and Shivalingas were also established in South Asia and Far East countries such as Indonesia, Japan, Vietnam, Cambodia, Ceylon, Java, Sumatra etc.





                        मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित भूभरा के शिवालय में स्थापित छठी से सातवीं शताब्दी का अति सुंदर मुखलिंग।
 Exquisite Mukhling of sixth to seventh century established in Bhubhra's pagoda located in Satna district of Madhya Pradesh.
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 That is, if you see friends, the method of worshiping Lord Shiva in the form of Shivalinga is even more ancient than the oldest.









 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗



            नीलकंठेश्वर शिव मंदिर उदयपुर -विदिशा 12वी से 13 वी सदी में निर्मित। 

 Neelkantheshwar Shiva Temple Udaipur - Vidisha Built in 12th to 13th century.
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          अति प्राचीन भगवान शिव की शैल चित्र
 Rock figure of the very ancient Lord Shiva
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                बूंदी राजस्थान से खोजा गया एक गुप्तकालीन एकमुखी शिवलिंग।

 A Gupta Shiva lingam dating back to Bundi Rajasthan.
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    पूरे भारतवर्ष में 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग स्थापित है जिनमें उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग अति प्रसिद्ध है उज्जैन के प्राचीन महाकाल मंदिर को क्रूर आक्रमणकारी सुल्तान इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था वर्तमान में मंदिर मराठाकालीन है।

 Jyotirlinga is established in 12 places throughout India, in which Mahakaleshwar Shivling of Ujjain is very famous. The ancient Mahakal temple of Ujjain was destroyed by the brutal invader Sultan Iltutmish. Currently the temple is Maratha.
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                     मंदसौर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में स्थापित अष्ट मुखी शिवलिंग गुप्त काल।

Ashta Mukhi Shivling Gupta period established in the famous Pashupatinath temple of Mandsaur Madhya Pradesh
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                गुप्तकालीन एक मुखी शिवलिंग उदयगिरी की गुफाएं मध्य प्रदेश पांचवी से लेकर छठी शताब्दी के बीच।
 The caves of Udayagiri, a mukhi Shivling in Gupta period, Madhya Pradesh between the fifth to the sixth century.

















 



Sunday, March 14, 2021

एक यात्रा अद्भुत और अकल्पनीय बेहटा गांव के अति प्राचीन जगन्नाथ मंदिर की - कानपुर जनपद उत्तर प्रदेश भारतवर्ष A visit to the amazing and unimaginable Jagannath temple of Behta village - Kanpur district Uttar Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje


















                          अति प्राचीन जगन्नाथ मंदिर
                          Ancient Jagannath Temple
                       















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्राआप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड के "बेहटा" गांव की यात्रा पर जहां हम देखेंगे अति प्राचीन अद्भुत और अलौकिक जगन्नाथ मंदिर जो बहुत ही रहस्यमई और चमत्कारिक है।




          अति प्राचीन जगन्नाथ मंदिर

                    बेहटा गांव

               उत्तर प्रदेश कानपुर

                  
                      भारतवर्ष





 नमस्कार दोस्तों क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि किसी मंदिर की छत से चिलचिलाती धूप में अचानक पानी टपकने लगे।एवं अद्भुत रूप से बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए।दोस्तों यह घटना है तो बड़ी रोचक और हैरान कर देने वाली लेकिन 100% सच यही है।
           









दोस्तों उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड से ठीक 3 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है "बेहटा" और यही मौजूद है अद्भुत और अलौकिक मंदिर जहां धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य।


      दोस्तों यह रहस्यमई घटना कर्म किसी आम इमारत या  भवन के नहीं बल्कि यह होता है भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में।
















 दोस्तों हमारा भारतवर्ष एक ऐसा देश है जो आश्चर्यो से परिपूर्ण है।हमारे देश के प्रत्येक राज्य के हर एक शहर के कोने कोने में कोई ना कोई अलौकिक और अद्भुत जगह मौजूद है।दोस्तों ऐसी ही एक जगह है उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में स्थित भगवान जगन्नाथ की प्राचीन मंदिर जो कि अपनी एक अनोखी विशेषता के कारण बहुत ही प्रसिद्ध है।दोस्तों इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह प्राचीन मंदिर वर्षा होने की सूचना 7 दिन पहले ही दे देता है। दोस्तों आप शायद यकीन न करें पर यह एकदम हकीकत है।












दोस्तों यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है दोस्तों यह मंदिर कानपुर जनपद के भीतर गांव विकासखंड मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खासियत यह है कि बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती है दोस्तों मंदिर का रहस्य आज तक रहस्य ही है। हालांकि दोस्तों इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम खोज या सर्वेक्षण के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही जानकारी या समय का पुरातत्ववेता या वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके हैं। दोस्तों केवल इतना ही पता लग पाया है कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में हुआ था।दोस्तों उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है।


















लेकिन दोस्तों वर्तमान समय में इस मंदिर से लोगों को बहुत फायदे हुए हैं जैसे बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसान अपने घरेलू या खेती के काम निपटाने की योजना बनाने लगते हैं। दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है मान्यता है कि यही पत्थर मानसून आने के पहले पानी टपका कर संदेश देने लगता है।










दोस्तों भगवान जगन्नाथ का मंदिर कितना पुराना है इसका सटीक आकलन अभी तक नहीं हो पाया है।दोस्तों पुरातत्व विभाग ने कई बार प्रयास किए पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण का सही समय पता नहीं चल सका है। दोस्तों मंदिर की दीवार है करीब 14 फीट मोटी है दोस्तों मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ , बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां हैं।


दोस्तों आजकल यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है दोस्तों जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथयात्रा यहां से भी निकाली जाती है।











                  धन्यवाद दोस्तों


                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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                  English translate




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Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra. I extend my heartiest greetings to all of you, friends. Today I am taking you on a journey to the "Behata" village of the village development block in Kanpur district called Uttar Pradesh's industrial city, where we will see the very ancient  The amazing and supernatural Jagannath temple which is very mysterious and wondrous.





 Ancient Jagannath Temple


 Behata Village


 Uttar Pradesh Kanpur




 India










 Hello friends, can you ever imagine that the roof of a temple suddenly started dripping water in the scorching sun, and amazingly as soon as it started raining, the water stopped dripping from the roof. Friends, this incident is very interesting and shocking.  This is tax-paying but 100% true.












 Friends, there is a village "Behta", just 3 kilometers from the inner development block of Kanpur district called Uttar Pradesh's industrial city, "Bhatta" and this wonderful and supernatural temple where water droplets dripping from the roof in the sun and roof in the rain  Secret of leakage closure.



 Friends, this mysterious event is not about any common building or building but in the ancient temple of Lord Jagannath.
















 Friends, our India is a country full of wonders. There is a supernatural and wonderful place in every corner of every state of our country. God is located in Kanpur district of Uttar Pradesh.  The ancient temple of Jagannath which is very famous due to its unique feature. Friends, the specialty of this temple is that this ancient temple gives notice of rain 7 days in advance.  Friends, you may not believe it but it is a reality.













 Friends, this temple is dedicated to Lord Jagannath. Friends, this temple is located 3 kilometers from the village development block headquarters within Kanpur district.  Friends, it is said that the specialty of this temple is that 7 days before the rains, a few drops start dripping from its roof automatically. Friends, the secret of the temple remains a mystery till date.  Although there have been many attempts to know this secret, but even after all the research or discovery, the archaeologist or scientists have not been able to find out the exact information of the construction of the temple and the mystery or time.  Friends, only this much has been known that the last renovation of the temple was done in the 11th century. Information like when and how many renovations were made before the friends or who built it remains an unknown puzzle even today.









 But friends, people have benefited greatly from this temple at the present time, as the farmers are planning to settle their domestic or agricultural work due to the knowledge of the rain.  Friends, a stone is placed on the summit of the sanctum sanctorum of the temple, it is believed that this stone drips water before the monsoon arrives.











 Friends, an accurate assessment of how old the temple of Lord Jagannath is has not yet been done. The Friends Archaeological Department has made several attempts, but despite all the surveys, the exact time of construction of the temple has not been known.  Friends temple wall is about 14 feet thick. Friends inside the temple there are black smooth stone idols of Lord Jagannath, Baldau and sister Subhadra.



 Friends, this temple is under the Archaeological Department these days, like the Rath Yatra takes place in the Jagannath temple of Puri in the same way, the Rath Yatra is also carried out from here.






 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗





















 




 

Friday, March 12, 2021

एक यात्रा रहस्यमई और अद्भुत या अलौकिक मंदिर बाथू की लड़ी मंदिर की जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है- भारत A visit to the mysterious and wonderful or supernatural temple of Bathu-laden temple located in Kangra district of Himachal Pradesh - India

Ek yatra khajane ki khoje








           बाथू की लड़ी मंदिर का विहंगम दृश्य  और सामने ही हिमालय  राज का विहंगम दृश्य नजर आ रहा है ।
 
A panoramic view of Bathu's ladhi temple and a panoramic view of the Himalayan Raj is visible in front of it.

























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं जा रहा हूं हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा जिले में जहां हम देखेंगे अद्भुत और अलौकिक बाथू की लड़ी मंदिर की जो कि एक  जलाशय के टापू पर बना हुआ है।
















                   बाथू की लड़ी मंदिर


                कांगड़ा , हिमाचल प्रदेश


                        भारतवर्ष










 दोस्तों अपने भारतवर्ष में कई रहस्यमई और अलौकिक स्थान है जिनका अपना समृद्ध ऐतिहासिक अतीत रहा है दोस्तों उन्हीं स्थानों में से एक  रहस्यमई और अद्भुत स्थान है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बाथू की लड़ी मंदिर।दोस्तों इस मंदिर को अद्भुत और अनोखा बनाने का तथ्य यह है कि यह मंदिर वर्ष के 8 महीने तक बांध के पानी में डूबा रहता है। दोस्तों बाथू मंदिर का मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है साथ ही साथ मुख्य मंदिर के चारों ओर छोटे-छोटे 8 मंदिरों का समूह भी मौजूद है।



















दोस्तों मंदिर का बाथू नामकरण मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए मजबूत बाथू पत्थर के कारण पड़ा है , एवं "लड़ी" नाम इस तथ्य के कारण है कि मंदिर दूर से एक "हार" के रूप में दिखाई देती है। दोस्तों मंदिर को नागर शैली में निर्मित किया गया है। दोस्तों प्राचीन ऐतिहासिक दस्तावेजों में दर्ज है कि इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था।







दोस्तों यहां भगवान शिव के मंदिर के साथ-साथ भगवान विष्णु , भगवान गणेश एवं मां काली के मंदिर भी मौजूद हैं। दोस्तों मंदिर के पास ही एक अष्टकोणीय  टाॅवर मौजूद है जिसके ऊपर चढ़कर मंदिरों के समूह को आसानी से देखा जा सकता है।












दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि वर्तमान समय में महाराणा प्रताप झील पर बने पोंग बांध के जल स्तर के बढ़ जाने के कारण मंदिर परिसर 8 महीने तक पानी में डूबा रहता है। दोस्तों जिस कारण से श्रद्धालुगण नांव की सहायता से मंदिर तक पहुंच पाते हैं। दोस्तों मंदिर जुलाई से फरवरी तक पानी के नीचे रहता है इसे केवल मार्च और जून के महीनों के बीच देखा जा सकता है।








                   धन्यवाद दोस्तों


                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗


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               English translate
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Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra. Warm greetings to all of you guys. Today I am going to visit Kangra district of Himachal Pradesh where we will see the amazing and supernatural bathing temple which is built on the island of a reservoir.













 Bathu Ki Ladhi Temple



 Kangra, Himachal Pradesh



 India









 Friends, there are many mysterious and supernatural places in India, which have a rich historical past, Friends, one of those places is a mysterious and wonderful place.  Bathu-laden temple in Kangra district of Himachal Pradesh. The fact that friends make this temple amazing and unique is that the temple remains submerged in the water of the dam for 8 months of the year.  Friends, the main temple of Bathu temple is dedicated to Lord Shiva as well as a group of small 8 temples are present around the main temple.

















 The bathing nomenclature of the Friends temple derives from the strong bath stone used in the construction of the temple, and the name "Ladai" is due to the fact that the temple appears as a "necklace" from afar.  The Friends Temple is built in the Nagara style.  Friends recorded in ancient historical documents that these temples were built by the Pandavas during their exile.








 Friends, there are temples of Lord Shiva as well as temples of Lord Vishnu, Lord Ganesha and Mother Kali.  An octagonal tower is located near the Friends Temple, on top of which one can easily see the group of temples.















 It is surprising to friends that at present, the temple complex remains submerged in water for 8 months due to the rise in the water level of the Pong Dam on Maharana Pratap Lake.  Friends, for which reason, devotees reach the temple with the help of Nawan.  Friends temple remains under water from July to February. It can be seen only between the months of March and June.









 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗



Mountain Leopard Mahendra
🧗🧗











 

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...