Sunday, March 7, 2021

एक यात्रा - पहाड़ों के उपर सपाट चट्टानों पर की गई विश्व की सबसे पुरानी राॅक नक्काशिया या चित्र - रत्नागिरि और राजापुर महाराष्ट्र भारत वर्ष. A journey - the world's oldest rock carvings or pictures on the flat rocks above the mountains - Ratnagiri and Rajapur Maharashtra India .

Ek yatra khajane ki khoje
































   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं जा रहा हूं महाराष्ट्रा के रत्नागिरी और राजापुर के पहाड़ियों पर जहां हम देखेंगे कि कैसे हमारे पूर्वजों ने  राॅक नक्काशियो को पहाड़ियों के सबसे ऊंचे सपाट चट्टानों पर उकेरा था।  दोस्तों कुछ लोग मानते हैं कि इन  चित्रों को परग्रहियों ने बनाया था। कुछ भी हो दोस्तों ये अद्भुत हैं। 











 दोस्तों हमारे भारतवर्ष के पश्चिमी भाग में स्थित महाराष्ट्र  के पहाड़ी इलाकों में हजारों वर्ष पुरानी चट्टानों पर की गई नक्काशियो की खोज के बारे में भी जाना जाता है । दोस्तों माना जाता है कि ये सभी राॅक नक्काशियो को  पूर्व की अज्ञात किसी उन्नत सभ्यता द्वारा बनाई गई थी।














दोस्तों लघु प्रस्तुति ग्रे- लाईन - राॅक नक्काशियो को  पेट्रोग्लिफ्स के रूप में भी जाना जाता है। दोस्तों  पश्चिम महाराष्ट्र के के कोंकण क्षेत्र में मौजूद ऊंची पहाड़ियों के उपर  हजारों की संख्या में  राॅक नक्काशियाॅ पाईं गईं हैं या  खोजकर्ताओं द्वारा खोजी गई है । दोस्तों ये नक्काशियाॅ  ज्यादातर महाराष्ट्रा के रत्नागिरी और राजापुर क्षेत्रों में खोजें गए हैं । दोस्तों अधिकांश नक्काशिया या चित्र  चट्टानी सपाट  पहाड़ी पर उकेरी गई थी । जो हजारों वर्षों तक किसी को ये नज़र नहीं आयें थे , कारण था दोस्तों  ज्यादातर  नक्काशिया  मिट्टी , धुल और मिट्टी के परतों के नीचे छिपे या दबे हुए थे। साथ ही साथ दोस्तों कुछ ऐसे भी नक्काशी या चित्र  थे जो  स्पष्ट रूप से नज़र आते थे  , जिन्हें स्थानीय लोग  बहुत ही पवित्र मानते थे और उनकी पूजा भी की जाती थी।











 दोस्तों पत्थरों पर की गई नक्काशियो की विशाल विविधताओं ने  विशेषज्ञों और खोजकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया है । दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन नक्काशियो में  , जानवरों , पक्षियों , मानवों , आंकड़े , और अद्भुत रूप से ज्यामितीय आकृतियां  इन सभी को चित्रित किया गया है।















दोस्तों आप सभी आश्चर्य चकित हो सकतें हों जिस तरह से इन पेट्रोग्लाइफ्स को खींचा गया है वे वास्तव में आश्चर्यजनक हैं क्योंकि दोस्तों  दुनिया भर के अन्य क्षेत्रों में  पाएं जाने वाले राॅक नक्काशियो और  भारत वर्ष के इन राॅक नक्काशियो में एक समानता है ।











दोस्तों दुनिया भर के विशेषज्ञों का मानना है कि ये सभी राॅक नक्काशियाॅ प्रागैतिहासिक काल में बनाए गए थे और संभवतः ये सभी पुराने खोजें गए प्रमाणों में से एक है।















               धन्यवाद दोस्तों



            माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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            English translate
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Hello friends, I would like to give a warm welcome to all of you mountain lepards Mahendra, friends. Today I am going on the journey of Ratnagiri in Maharashtra and Rajapur hills where we will see how our ancestors carved rock carvings on the highest flat rocks of the hills.  Was.  Friends, some people believe that these pictures were made by the angels.  Whatever you are friends, these are wonderful.












 Friends, it is also known about the discovery of carvings on thousands of years old rocks in the hills of Maharashtra located in the western part of our India.  Friends, it is believed that all these rock carvings were made by an advanced civilization unknown to the past.










 Friends short presentation Gray Line - Rock carvings are also known as petroglyphs.  Friends, thousands of rock carvings have been found or discovered by explorers on the high hills present in the Konkan region of Western Maharashtra.  Friends, these carvings have been discovered mostly in the Ratnagiri and Rajapur regions of Maharashtra.  Most carvings or paintings were carved on a rocky flat hill.  For thousands of years, no one had seen this, the reason was that most of the carvings were hidden or buried under layers of mud, dust and clay.  At the same time, there were some carvings or pictures which were clearly visible to friends, which the locals considered very sacred and were also worshiped.
















 The huge variations of the carvings on the Friends stones have shocked experts and explorers.  Friends, you will be surprised to know that in these carvings, animals, birds, humans, figures, and amazingly geometric figures are all depicted.












 Friends, all of you may be surprised at the way these petroglyphs have been drawn, they are truly amazing because friends have a similarity between rock carcasses found in other regions around the world and these rock carcasses of the year of India.
















 Friends, experts from all over the world believe that all these rock carvings were made in prehistoric times and it is probably one of the oldest discovered evidences.







 Thanks guys




 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗













Mountain Leopard Mahendra
🧗🧗






















Friday, March 5, 2021

एक यात्रा कर्नाटका के शिवकाशी नदी की जहां हम देखेंगे हजारों पवित्र शिवलिंगों को - सिरसी कर्नाटका भारत वर्ष A visit to the Sivakasi River in Karnataka where we will see thousands of holy Shivalingas - Sirsi Karnataka India

Ek yatra khajane ki khoje






























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी लोगों को लेकर चल रहा हूं एक बहुत ही अद्भुत और अकल्पनीय अलौकिक नदी की यात्रा पर जहां मौजूद है हजारों पवित्र शिवलिंग और साथ ही साथ भगवान शिव के शिवगण । जिन्हें नदी में मौजूद पत्थरों पर  बनाया गया है।। आइए दोस्तों चलते हैं पवित्र नदी की ओर ।









 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि  कर्नाटक में मौजूद एक छोटा से नगर सिरसी हैं जो अपने एक अद्भुत नदी शलमाला के कारण देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं क्योंकि इस नदी में भगवान शिव के प्रतिरूप  शिवलिंग हजारों की संख्या में मौजूद हैं । दोस्तों  आश्चर्य की बात है कि ये सभी शिवलिंग नदी के बीच में मौजूद चट्टानों पर ही बने हैं । इतना ही नहीं दोस्तों  नदी में मौजूद चट्टानों पर  शिवलिंगों के साथ साथ  नंदी , नागराज आदि भगवान् शिव से संबंधित  चिन्हों की भी आकृतियां बनी हुई है । दोस्तों इन शिवलिंगों के हजारों की संख्या में मौजूद होने की वजह से इस स्थान का नाम सहस्रलिंगम भी है ।

















दोस्तों कहते हैं कि नदी स्वयं करतीं हैं भगवान शिव को जलाभिषेक , दोस्तों इस कारण से नदी को बहुत ही पवित्र माना जाता है जिसका एक कारण तो  यहां भारी संख्या में शिवलिंग का मौजूद होना तो है ही  साथ ही साथ चट्टानों के नदी के बीच में होने के कारण  नदी स्वयं ही इन शिवलिंगों का  जलाभिषेक करतीं हैं  जिस कारण से नदी को बहुत ही पवित्र माना जाता है । दोस्तों यही कारण है कि  सावन के महीने में दूर दूर से हजारों श्रद्धालु यहां इन शिवलिंगों का दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।










दोस्तों साहित्यिक दस्तावेजों में वर्णित हैं कि 16 वीं सदी में सदाशिवाराय नाम के एक महा शिव भक्त  सम्राट हुआं करते थे । माना जाता है कि वे अपने आराध्य भगवान शिव के लिए कुछ अद्भुत करना चाहते थे इसलिए उन्होंने शलमाला  नदी के बीच में  भगवान शिव और उनके प्रिय शिव गणों की हजारों आकृतियां निर्मित करवा दी थी।















दोस्तों इस अद्भुत  नजारे को देखने के लिए शिव भक्तो को नवंबर से मार्च के महीने में यहां आना चाहिए , क्योंकि इन दो  महीनों में जाना सबसे उत्तम माना जाता है। दोस्तों वैसे तो इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए प्रत्येक दिन यहां अनेकों शिव भक्तो का आना-जाना लगा रहता है  लेकिन दोस्तों  शिवरात्रि व श्रावणमास के सोमवार को यहां भक्तगण  विशेष रूप से आते हैं । दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि सहस्र लिंगम के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी दुखों का निवारण हो जाता है।











                  धन्यवाद दोस्तों
 
                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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               English translate
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 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, on today's journey I am taking all of you on a journey of a very amazing and unimaginable supernatural river where thousands of holy Shivalingas exist as well as God  Shiva of Shiva.  Which are built on the stones present in the river.  Let's go to the holy river, friends.

















 Friends, you will be surprised to know that Sirsi is a small town present in Karnataka which is quite famous in the country and abroad due to its amazing river Shalmala, because this river has thousands of Shivalingas, replicants of Lord Shiva.  Surprising friends, all these are built on the rocks in the middle of the Shivalinga river.  Not only this, along with the Shivling on the rocks present in the river friends, the figures of Nandi, Nagaraja etc. related to Lord Shiva also remain.  Friends, this place is also named Sahasralingam due to the presence of thousands of these Shivlingas.











 Friends say that the river itself performs Lord Shiva's Jalabhishek, friends, because of this reason the river is considered very sacred, one of the reasons is that there is a large number of Shivling present here as well as rocks being in the middle of the river.  Due to this, the river itself performs these Shivalingas for water, due to which the river is considered very sacred.  Friends, this is the reason that thousands of devotees from far and wide come here to visit and worship these Shivalingas during the month of Sawan.




















 Friends are mentioned in literary documents that in the 16th century a great Shiva devotee named Sadasivaraya used to be the emperor.  It is believed that he wanted to do something amazing for his adorable Lord Shiva, so he had built thousands of figures of Lord Shiva and his beloved Shiva Ganas in the middle of the Shalmala River.









 Friends, to see this amazing view, Shiva devotees should come here in the month of November to March, because it is considered best to go in these two months.  Friends, to see this amazing view, many Shiva devotees visit here every day, but the devotees especially come here on the Monday of Shivaratri and Shravanmas.  Friends local people believe that the mere sight of Sahasra Lingam relieves all the sufferings of the devotees.













 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗































A visit to the Sivakasi River in Karnataka where we will see thousands of holy Shivalingas - Sirsi Karnataka India

Wednesday, March 3, 2021

भारत वर्ष की सबसे प्राचीन नटराज की प्रतिमा - उड़िसा भारत वर्ष Statue of the oldest Nataraja of India - Odisha India .

Ek yatra khajane ki khoje














                       प्राचीन प्रतिमा भगवान नटराज की
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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आप सभी जो यह प्रतिमा देख रहे हैं यह भारत वर्ष की सबसे प्राचीन नटराज की प्रतिमा है ।










 दोस्तों माना जाता है कि यह भारत वर्ष की सबसे प्राचीन भगवान शिव की नटराज रूप वालीं प्रतिमा है  जिसे चौथी शताब्दी के आसपास निर्माण किया गया था । दोस्तों  प्रतिमा के नीचे नागा वंश के महाराजा सत्रुभंजा का 13 पंक्तियों का  शिलालेख  के रूप में उल्लेखित किया गया है जिसमें पाटलिपुत्र और  तटीय राज्य उड़िसा में विदेशी मूल के  कुषाण शासकों और मुरूंडा शासकों के साथ कई विजयी लड़ाईयां लड़ी थी ।इन सब बातों का शिलालेख में उल्लेख किया गया है । साथ ही साथ यह शिलालेख बताता है कि उसके सम्राज्य की सीमा  पूरब में गुहाटी से लेकर  पश्चिम में  संगाला यानी  हिमाचल प्रदेश तक था । 









दोस्तों इसी शिलालेख में उल्लेख है कि उसने अपने साम्राज्य के  धार्मिक और आध्यात्मिक  स्थलों को खुले दिल से मुक्तदान किया था । दोस्तों सत्रुभंजा की  राज्य की राजधानी "आसनपत"  उड़ीसा के क्योंझर जिले में स्थित थी । दोस्तों यह प्राचीन भगवान शिव की नटराज  अवस्था वाली प्रतिमा हमारे पूर्वजों की अनमोल धरोहर है ।






                  धन्यवाद दोस्तों

              माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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            English translate
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                    Ancient Statue of Lord Nataraja
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  Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm greetings to all of you guys, all of you who are seeing this statue, it is the oldest Nataraja statue of the year India.










 Friends, it is believed that this is the Nataraja form of the oldest Lord Shiva of India, which was built around the fourth century.  Under the Friends statue, Maharaja Satubhanja of the Naga dynasty is mentioned in a 13-line inscription in which several victorious battles were fought with the Kushan rulers of foreign origin and the Murunda rulers in Pataliputra and the coastal state of Orissa.  Has been mentioned.  At the same time, this inscription states that the extent of his empire ranged from Guhati in the east to Sangala in the west i.e. Himachal Pradesh.







 Friends, it is mentioned in this inscription that he liberated the religious and spiritual sites of his empire with an open heart.  Friends, the state capital of Sasrubhanja "Asanpat" was located in Keonjhar district of Odisha.  Friends, this ancient Nataraja statue of Lord Shiva is a precious heritage of our ancestors.







 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗















 

Tuesday, March 2, 2021

एक यात्रा रामलिंगम राॅक कट मंदिर की -पलसंबिया महाराष्ट्र भारत वर्ष A visit to Ramlim Rock cut temple - Palsambia Maharashtra India .

Ek yatra khajane ki khoje



























 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं जा रहा हूं महाराष्ट्रा के पलसंबिया क्षेत्र के अद्भुत और अकल्पनीय रामलिंगम के खंडहरों को देखने जो अद्भुत संरचनाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।





















   

 
 दोस्तों महाराष्ट्रा के पलसंबिया क्षेत्र को रामलिंगम  खंडहरों के रूप में जाना जाने वाले  अद्वितीय और अलौकिक पत्थर के संरचनाओं के लिए जाना जाता है। दोस्तों किंवदंतियां हैं कि  इन अखंड और अलौकिक मंदिरों का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा एक ही रात में किया गया था । दोस्तों पांडवों से तात्पर्य है पांचों भाईयों  , युधिष्ठिर , भीम ,  अर्जून , नकुल और सहदेव से हैं जो महाभारत के प्रमुख नायक थे।

















दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ  12 शिव लिंग स्थापित है  जो स्थानीय मान्यताओं के अनुसार 12 ज्योर्तिलिंग का प्रतिनिधित्व करतें हैं ।







 
                 धन्यवाद दोस्तों
          माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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              English translate
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Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra, a hearty greeting to all of you guys. Today I am going to visit the amazing and unimaginable Ramalingam ruins of Palsambia region of Maharashtra which are world famous for amazing structures.





























 Friends Palsambia region of Maharashtra is known for unique and supernatural stone structures known as Ramalingam ruins.  Friends are legends that these monolithic and supernatural temples were built by the Pandavas in the Mahabharata period on a single night.  Friends, the Pandavas, refers to the five brothers, Yudhishthira, Bhima, Arjuna, Nakula and Sahadeva, who were the main protagonists of the Mahabharata.















 Friends, surprisingly, 12 Shiva lingas are installed at the entrance with a statue of Lord Ganesha representing 12 Jyotirlingas as per local beliefs.









 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra                          🧗🧗






























   Mountain lappord Mahendra.                        🧗🧗










   

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...