Saturday, July 4, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje






                           ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं 🙏🙏🙏🙏
जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे नदी में बाढ़ आ जाने के कारण हम सभी  पुल को पार नहीं कर पा रहे थे । क्योंकि कि बाढ़ का पानी पुल के उपर से बहने लगा था । साथ ही वर्षा भी काफी तेज हो रही थी  जिह कारण से हमे हमारे सैनिकों के लिए बने  छावनी में रुकना पड़ा  । और वही से हम सभी ने  दुरबीन के जरिए  नदी के उस किनारे पर स्थित राजमहल में   हमने माता श्री और अपने शुभचिंतकों को भी वे सभी सही सलामत थे को देखा  और वे लोग। भी  हमें  सही सलामत देखकर खुश हुएं ।  इसके बाद हम सभी लोग  छाबनी में बने कोठरी के अंदर चलें गए  और वहां पर रसोइया ने हमारे लिए लजीज व्यंजन बनाया जिसे खा कर हम सभी तृप्त हो गये। एवं खाना खाते खाते ही पिता श्री ने बताया कि इस छाबनी और इसमें बने इस कोठरी का  निर्माण  तुम्हारे दादा जी के दादा जी ने करवाया था ंऔर इसमें एक  गुप्त सुरंग का भी निर्माण करवाया था जिसका उपयोग वे लोग संकट के समय में किया करते थे । इस सुरंग के चार मुहाने थे ।  जिसमें से एक मुहाना  राजमहल के नीचे से होते हुए सिधे  बड़ा  वाला झरने के बिचो बिच निकलता है । और दुसरा मुहाना  इस कोठरी में कहीं खुलता है  और तिसरा मुहाना उस गुफा में खुलती हैं जहां हमारा गुप्त प्रशिक्षण शिविर है जहां से हम सभी अभी लौट के आ रहे हैं ।ं और चौथा वाला  मुहाना अभी भी गुप्त है जिसके बारे में किसी को पता नहीं है कि वह कहां  खुलता है या निकलता है ।   इन सुरंगों के जरिए ही हमारे पुर्वज  संकट के समय में  अपनी रक्षा किया करते थे । और एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में भी उपयोग किया करते थे ।। तभी राजा भाई बोलते हैं  इसका मतलब कि हम इस समय इन सुरंगों के जरिए  नदी को पार करके  राजमहल में पहुंच सकते हैं । वाह मजा आ जायेगा  । तभी पिता श्री बोलते हैं कि  बेटा मैंने कभी उन सुरंगों का उपयोग नहीं किया था और सुरंग का मुहाना इस कोठरी में कहा पर बना हुआ है मुझे मालूम नहीं है क्योंकि यह कोठरी भी तो कई  छोटे बड़े  भुलभुलैया में बटा हुआ है जिस कारण से सुरंग का मुहाना  ढुंढना मुश्किलों से भरा हुआ है । लेकिन तुम्हारे दादा जी ने मुझे एक बार बताया था कि कोठरी के अंदर जो सुरंग का स्थित है वहा एक बड़ा सा  प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है  जिसकी पूजा हमारे पुरखों द्वारा किया जाता था ।  इस शिवलिंग पर गंगाजल द्वारा स्वयं जलाभिषेक होते रहता है और किसी को पता नहीं है कि गंगा जल कहा से निकलता है । और वही पास में ही सुरंग का मुहाना है जिसपर बड़ा सा पत्थर का दरवाजा लगा हुआ है और दरवाजा के उपर से ही गंगा जल प्रस्फुटित होते रहता है और सिधे शिवलिंग पर गिरती हैं। और दरवाजा एक मंत्र के द्वारा ही खुलता है । और वह मंत्र सिर्फ तुम्हारे दादा जी को ही पता था ।जिसे एक बार उस मंत्र को तुम्हारे दादा जी ने मुझे भी बताया था लेकिन इस समय मैं उस मंत्र को भुल गया हू लेकिन अगर शायद मैं उस दरवाज़े तक पहुंच जाऊं तो शायद मुझे वह मंत्र याद आ जाएं। । तभी सेनापति जी एक पुराना सा  नक्शा ले के आ जाते हैं और बोलते हैं महाराज  यह पुराना नक्शा  इसी कोठरी का है  जो मुझे इसी कोठरी के तहखाने में मिला था । और इस नक्शे के जरिए हम उस सुरंग के मुहाने तक पहुंच सकते हैं ।



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         English translate
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Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm welcome to all of you.

 As friends yesterday, you read how all of us were unable to cross the bridge due to flooding in the river.  Because the flood water started flowing over the bridge.  At the same time the rainfall was also getting very strong, due to which we had to stay in the camp made for our soldiers.  And from that we all saw the mother and our well-wishers in the palace on the banks of the river through telescopes and they were all safe.  Also we are happy to see safe and sound.  After this, all of us went inside the closet in Chhabani and there the cook made a delicious dish for us which we all satiated.  And while eating food, Father Shri told that this Chhabani and this cellar built in it was built by your grandfather's grandfather and a secret tunnel was also built in it which he used to use in times of crisis.  This tunnel had four mouths.  One of the estuaries passes through the bottom of the palace with a big waterfall.  And the other estuary opens somewhere in this cell and the third estuary opens in the cave where our secret training camp is from where we are all coming back. And the fourth one is still secret which no one knows about.  Is where it opens or exits.  Only through these tunnels did our ancestors protect themselves in times of crisis.  And also used to go from one place to another.  That is when Raja Bhai speaks, that means we can cross the river through these tunnels and reach the palace.  Wow it will be fun  That is why Father Shri says that son I had never used those tunnels and the mouth of the tunnel is in this cell but I do not know because this cell is also divided into many small big maze, due to which the tunnel  Finding the estuary is difficult.  But your grandfather once told me that inside the closet the tunnel is located, there is a big natural Shivling which was worshiped by our forefathers.  Jalabhishekas are done by Ganga water itself on this Shivling and no one knows that where Ganga water comes out.  And the same is the mouth of the tunnel nearby, on which a big stone door is installed and from above the door, the Ganges continues to erupt and falls directly on the Shivling.  And the door opens with a mantra.  And that mantra was known only to your grandfather. Once upon a time that mantra was also told to me by your grandfather, but at this time I have forgotten that mantra, but if I can reach that door, maybe I will get that mantra.  Please remember.  .  Then Senapati ji comes with an old map and says Maharaj, this old map is of this cell which I found in the cellar of this cell.  And through this map, we can reach the mouth of that tunnel.


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 और फिर हम सभी   मशाल की रोशनी में  उस  नक्शे का निरीक्षण करने लगते हैं नक्शा बहुत ही रहस्यमई और चमड़े का बना हुआ था । तभी निरीक्षण करते करते हमें नक्शे एक कोने पर हमे वह प्राकृतिक शिवलिंग नजर आया । और संतोष भाई खुशी से उछल पड़ते हैं  वाह हमने शिवलिंग को ढुंढ लिया । और हमे भी प्रसन्नता हुई कि नक्शा सही है  और हम सभी तहखाने में उतरने की तैयारी करने लगते हैं   और बाहर में मौसम और भी खराब हो रहा था  और नदी का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा था  । और हम जल्द से जल्द  सुरंग के मुहाने ढुंढ कर राजमहल में पहुंचना चाह रहे थे । लेकिन इतना आसान नहीं था  सुरंग के मुहाने तक पहुंच पाना और अगर हम पहुंच भी जाते हैं उस मुहाने तक तो उसे खोलना बहुत कठिन था  क्योंकि उसे खोलने वाला मंत्र पिता श्री को याद नहीं था और नहीं उस मुहाने के पास कभी गये थे । वे सिर्फ अपने पिता श्री इसके बारे में सुना था । लेकिन नक्शा मिल जाने के कारण और नक्शे में शिवलिंग होने के कारण यह तो साबित हो ही गया था कि  यहां पर  जरूर कोई-न-कोई सुरंग जो सिधे राजमहल के तहखाने में निकलती है । अतः हम बिना समय गंवाए   सेनापति जी को सेना के साथ उपर ही छोड़ कर  क्योंकि पुल की भी देखभाल करनी थी और  जरूरत पड़ने पर पुल की मरम्मत भी करनी पड़ती । इसलिए उन्हें उपर ही छोड़ कर  । पिता श्री और मामा जी के साथ  हम सभी भाई  तहखाने में नीचे उतर गए  हमारे पास सिर्फ  वह नक्शा और मशाले थी जिसके जरिए हमें सुरंग के मुहाने तक पहुंचाना था। नीचे तहखाने में उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी जो नीचे लगभग 100 फ़ीट तक थी । दोस्तों क्या बताऊं नीचे काफी अंधेरा था और मशाल की रोशनी जहां तक पहुंच रही थी वहीं तक  हम देख पा रहे थे । अतः हम सभी सम्भल सम्भल कर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे।


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 And then we all start inspecting that map in torchlight, the map was very mysterious and made of leather.  While inspecting it, we found the natural Shivling on the map at one corner.  And Santosh bhai jumps with joy, wow we found the Shivling.  And we were also happy that the map is correct and we all started preparing to get into the basement and the weather was getting worse outside and the water level of the river kept increasing.  And we wanted to reach the mouth of the tunnel at the earliest and reach the palace.  But it was not so easy to reach the mouth of the tunnel and even if we reach that mouth it was very difficult to open it because father Shree did not remember the mantra to open it and never went to that mouth.  They had just heard about it from their father Mr.  But due to the finding of the map and the Shivling in the map, it was proved that there is definitely some tunnel here which originates in the basement of Sidhe Rajmahal.  Therefore, we, without wasting time, left the commander with the army above because the bridge had to be taken care of and the bridge also had to be repaired when needed.  So leaving them upstairs.  All of us brothers, along with Father Shri and Mama ji, came down to the basement. We had only the map and the machine through which we had to reach the mouth of the tunnel.  There were stairs to descend to the basement below, which was about 100 feet below.  What friends can tell, it was very dark and we were able to see where the torch light was reaching.  So, we all managed to get down the stairs.



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   दोस्तों  अभी जैसे ही हम सभी पचास सीढ़ियां ही नीचे उतरे थे कि हमें  पानी की  गर्जना की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं  यानी हम सभी नदी के तल के नीचे पहुंच चुके थे  क्योंकि उपर नदी में बाढ़ आया  हुआ था इसलिए हमें पानी की गर्जना हमे सुनाई पड़ रही थी । और नीचे का माहौल एकदम शांत था केवल हमें पानी की गर्जना सुनाई पड़ रही थी । और हम सभी धीरे धीरे नीचे उतर ही रहे थे कि हमें  तहखाने के नीचे भी पानी के बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं जैसे नीचे कोई नदी बह रही हों। अतः हम सभी उत्सुकता पूर्व  तेजी से नीचे की ओर उतरने लगते हैं और जैसे ही हम अंतिम सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं नीचे का नजारा देखकर हम सभी आश्चर्य चकित रह जाते हैं क्योंकि दोस्तों नीचे भी एक बह रही थी । जिससे हम सभी आश्चर्य में पड़ गये कि अब क्या किया जाए  क्योंकि यहां तों एक ंंंंंंंंंं और नया मुसीबत खडा हो गया था । 


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Friends, as soon as we all came down the fifty stairs that we started to hear the roar of water, that is, we had all reached the bottom of the river because the river was flooded so we heard the roar of water  Was living  And the atmosphere below was very quiet only we could hear the roar of water.  And we were all slowly getting down that we could hear the sound of water flowing below the basement as if a river was flowing below.  So we all start descending rapidly down the curiously east and as we descend the final stairs we are all amazed to see the view below as one of the friends was also drifting down.  Due to which we all wondered what to do now, because there was a new trouble here.


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 दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि एक नई मुसीबत जो सामने आ खड़ी हुई थी । 

                       धन्यवाद दोस्तों 


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Friends, I will narrate the incident tomorrow because a new problem was coming to the fore.


 Thanks guys
 
 

Friday, July 3, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje



             ताम्बाखानी गुफा का रहस्य



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।


जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे  भालुओं ने हम पर  हमला कर दिया  । और बड़े बड़े पत्थर हम पर फेंकने लगे थे । और मामा जी के घोड़े को  पकड़ कर  उसे मारने की कोशिश करने लगें थे और उसे घसीटते हुए घने जंगल की ओर ले जाने की कोशिश करने लगें थे  लेकिन मामा जी अपने घोड़े की लगाम को कसके पकड़े हुए थे । जिससे की भालू घोड़े को अपनी ओर टान नहीं पा रहा था कि तभी अचानक मैं देखता हूं एक दुसरा भालू मामा जी पर हमला कर दिया था और एक बड़ा सा पत्थर उठा कर  मामा के सर पर पटकने वाला था । कि तभी मैं उछल कर   उस भालू के ऊपर कुद पड़ा और उसे उठा कर  उफनते नदी में फेंक दिया। और फिर जिस भालू ने घोड़े को पकड़ रखा था  उस पर हम सभी लोग एक साथ हमला कर दिया और उसे मार भगाया । लेकिन तब तक  उसने घोड़े को काफी घायल कर दिया था । जिसके कारण घोड़े से काफी खुन बहनें लगा था । अभी हम घोड़े की जख्म को देख ही रहे थे कि  तभी हमने देखा कि कुछ लोग मसाल लेकर हमारी ओर आ रहे थे  यह देखकर हम सभी सावधान हो गये और सतर्क होकर  उनके पास आने का इंतजार करने लगे ।  और हमारे पास जो मसाले थी उसे बुझा दिया ताकि वे लोग हमें देख ना पाए । और पास आते ही हम उन पर हमला कर देंगे  और हम सभी यह सब सोच ही रहें थे कि तभी उनकी आवाजें सुनाई देने लगी ।ध्यान से सुनने पर    लगा जैसे वे लोग हमें ही पुकारा रहे थे । और पास आने पर  उनकी आवाजें  स्पष्ट सुनाई देने लगी । वे लोग हमें ही पुकार रहें थे । फिर भी हम सभी सतर्क ही रहें हों सकता है यह उनकी चाल हों । हमे अपनी जाल में फंसाने का । इसलिए हम सभी और भी सतर्क होकर  उनके और भी पास आने का इंतजार करने लगे । शायद वे लोग समझ  चुके थे कि हम सभी सतर्क हो चुके हैं । और वे लोग भी सावधानी पूर्वक आगे बढ़ते हुए  हमें आवाज देने लगें और हवा में एक विशेष प्रकार का  तीर छोड़ा  जो एक तेज़ प्रकाश के साथ हमारे राज्य का एक विशेष प्रकार के  चिन्ह को प्रदर्शित करने लगा । और पुरा का पुरा आकाश तेज़ रोशनी में प्रकाशमय हों गया । जिससे हम पुरी तरह आश्वस्त हो गये कि ये हमारे ही सैनिक है और ये  हमे खोजने आये हुए हैं । अतः हमने भी   उन्हें आवाज देकर अपने पास बुलाया  और वे लोग दौड़कर हमारे पास आ गये  । महाराज की जय हो  हमे छमा करे  । महारानी जी ने हमे आपको ढुंढने के लिए भेजा था । तभी घायल घोड़े को देखकर सेनापति जी बोलते हैं कि महाराजा कही आप पर भालुओं का झुंड ने हमला तो नहीं कर दिया था । क्योंकि यह भालुओं का झुंड कई दिनों से यहां पर घात लगाकर लोगों पर हमला कर रहे थे । और कई नगर वासियों को घायल कर दिया था । वे जब भी अपने जानवरों को लेकर इस ओर आते थे ।। और पालतू पशुओं को मारकर खा जाते थे । और जब हम इनका  शिकार करने आते  थे तो पता नहीं  भालुओं का झुंड कहा गायब हो जाता था । और सभी परेशान लौट जाते थे । और हमारे जाते ही इनका आतंक फिर से शुरू हो जाता था । तभी अजय भाई बोलते हैं कि सेनापति जी अब घबड़ाने की बात नहीं है हमने भालुओं को मार भगाया है और उनके मुखिया को मारकर नदी में फेंक दिया है  अब वे कभी भी हमारे इलाके में नजर नहीं आयेंगे। ंंऔर न हमारे गांव वालों पर और नहीं उनके पालतू पशुओं पर हमला करेंगे । ।






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              English translate
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Secret of Tambakhani Cave




 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.



 As friends yesterday, you read how bears have attacked us.  And big stones were thrown at us.  And Mama ji started trying to kill him by grabbing the horse and dragging him towards the dense forest but Mama ji was holding his horse's rein tightly.  So that the bear was not able to taunt the horse that suddenly I see a second bear attacked Mama ji and was about to pick up a big stone and hit the head of the maternal uncle.  That is when I jumped and jumped on the bear and picked it up and threw it into the swollen river.  And then the bear who held the horse attacked all of us together and drove him away.  But by then he had injured the horse heavily.  Due to which the horse had a lot of blood sisters.  We were just looking at the wound of the horse when we saw that some people were coming towards us with the spice, seeing that we all became alert and alert and started waiting for them to come.  And extinguished the spices we had so that those people could not see us.  And as soon as we get closer, we will attack them and we all were thinking that only then their voices started being heard. Hearing carefully, they felt like they were calling us.  And on approaching, their voices were heard clearly.  They were calling on us.  Nevertheless, we all should be cautious, this may be their trick.  To trap us.  So we all became more alert and waited for them to come closer.  Perhaps those people understood that we have all become cautious.  And those people also proceeded cautiously and started giving us a voice and released a special kind of arrow in the air which with a strong light began to display a special kind of symbol of our kingdom.  And the whole sky of Pura became bright in bright light.  Through which we were completely convinced that he is our only soldier and he has come to search for us.  So we too called them to their voices and they came running to us.  Hail to the King, forgive me.  Her Majesty sent us to find you.  At that time, seeing the injured horse, the commander said that Maharaja had attacked you by a flock of bears.  Because these herds of bears had been ambushing here for many days and attacking people.  And injured many townspeople.  Whenever he used to come to this side with his animals.  And used to kill and eat domesticated animals.  And when we came to hunt them, we do not know where the herd of bears would disappear.  And everyone used to return upset.  And their terror used to start again as soon as we left.  Then Ajay Bhai says that the commander is no longer a matter of panic, we have killed the bears and killed their chief in the river and now they will never be seen in our area.  Neither will we attack our villagers nor their domestic animals.  .




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            और हम सभी लोग बातें ही  कर रहे थे कि तभी मुसलाधार वर्षा शुरू हो जाती है  और नदी और भयंकर रूप धारण कर लेती हैं । और ऐसा लगने लगता है मानो  प्रलय का समय आ गया हों । हम तेजी से   राजमहल की ओर बढ़ने लगते हैं । और जल्द ही हम सभी उस विशाल पुल के पास पहुंच जाते हैं । और वहां की भयंकर स्थिति देखकर हमारा भी मन कांप गया । उस झरने की विकराल रूप देखकर । और मानों  लग रहा था पानी की वेग से पुल अब टुटा की तब  टुटा क्योंकि पानी  पुल के काफी ऊपर से बह रहा था ।  यानी पुरा का पुरा पुल डुब चुका था ।ं और इस समय उस पार जाना  अपने जान को खतरे में डालने जैसा था ।  तभी हमें देखकर  पुल के रक्षक  जो पुल की रक्षा के लिए तैनात थे  वे हमारे पास आ जाते हैं । वे इस समय ऊंचे जगह पर शरण लिए हुए थे ।  हमारे पास आते ही वे वोलते हैं महाराज की जय हो  इस समय पुल के उस पार जाना खतरे से खाली नहीं है   । आप कुछ समय यही पर रुक जाइए  जब तक पानी का वेग कम नहीं हों जाता है । और हम सभी पुल के पास से हटकर  ऊंचे जगह पर शरण ले लेते हैं  जहां से राजमहल  स्पष्ट  दिख रहा था  ।  तभी हमारे सेनापति  दुरबीन ले आते हैं  और बोलते हैं आप इस दुरबीन से  राजमहल की गतिविधियों को देख सकते हैं।   और फिर पिता श्री दुरबीन को अपने हाथों में लेकर  राजमहल की ओर देखने लगते हैं  तभी और मन ही मन मुस्कुराने लगते हैं । यह  सब देखकर हम सोचने लगते हैं  कि  पिता श्री मुस्करा क्यो रहे हैं तभी पिता श्री  वह दुरबीन  हमे थमा देते हैं  और बोलते हैं कि देख लो मैं क्यो मुस्करा रहा हूं ।  और मैं दुरबीन से राजमहल की ओर देखने लगता हूं तो देखता हूं कि उधर से माता श्री हमे  दुरबीन के द्वारा देख रही है  और मैं खुशी से झूम उठता हूं और दुरबिन को अपने भाइयों को दे देता हूं और वे भी एक एक कर अपने अपने माता-पिता को देख कर खुशी से झूम उठते हैं । और हम सभी लोग वर्षा रूकने का इंतजार करने लगते हैं ।





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 And all of us were talking that only then the torrential rain starts and the river takes a terrible form.  And it seems as if the time of judgment has come.  We start moving fast towards the palace.  And soon we all reach near that huge bridge.  And we were also shaken by seeing the terrible situation there.  Seeing that monstrous form of the waterfall.  And it seemed as if the bridge was broken due to the velocity of water because the water was flowing from the top of the bridge.  That is, the whole bridge of Pura had sunk. And going across it at this time was like risking your life.  Seeing us, the guards of the bridge who were deployed to protect the bridge come to us.  They had taken refuge in a high place at this time.  As soon as we come to them, they say, Hail Maharaj, going across the bridge at this time is not empty of danger.  You stay here for some time until the velocity of water decreases.  And we all move away from the bridge and take refuge in a higher place from where the palace was clearly visible.  That is when our commander brings the telescope and says that you can see the activities of the palace with this telescope.  And then the father takes Mr. Durbin in his hands and looks towards the palace, and only then he starts smiling.  Seeing all this, we start thinking that why is the father Mr. Muskara, then the father Mr. Hand give us that telescope and he says, "See why I am smiling."  And when I start looking at the palace from Durbin, I see that the mother is watching us from there through Durbin and I happily wakes up and give Durbin to my brothers and they too, one by one, their mother.  Seeing the father, he wakes up happily.  And we all start waiting for the rain to stop.





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   चुकी दोस्तों वर्षा हो रही थी   इसलिए हमें ठंड भी लग रही थी  इसलिए हम सभी सैनिकों के छावनी में बने कोठरी के अंदर चलें जातें हैं जहां पर हर तरह की व्यवस्था थी । अंदर में आग भी जल रही थी  जिससे कोठरी  अंदर से अच्छी तरह से गरम थी । और हम सभी आग के चारों ओर बैठ जाते हैं और दण्डक वन जाने की योजना बनाने लगते हैं  कि तभी  रसोईया हमारे लिए गरम गरम काढ़ा लें कर आ जाता हैं  जिसे हम सभी पी कर फिर से तरो ताज़ा हो जातें हैं ।  


  धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा । क्योंकि आगे कहानी में मजा आने वाला है।



  धन्यवाद दोस्तों


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English translate
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The old friends were raining, so we were feeling cold, so we all go inside the closet in the camp of the soldiers where there was every kind of arrangement.  A fire was also burning inside, so that the closet was well heated from the inside.  And we all sit around the fire and start making plans to go to Dandak forest that only then the kitchen or take a hot hot decoction for us, which we all drink and get refreshed again.



 Thank you guys, I will narrate the episode tomorrow.  Because there is going to be fun in the story ahead.




 Thanks guys
 
















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Thursday, July 2, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग

Ek yatra khajane ki khoje



              ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे मेरे और बाबा के घमासान युद्ध जारी था और हम दोनों में से कोई हारने को तैयार नहीं था । और एक-दूसरे पर वार पर वार किये जा रहें थे  । और लड़ते लड़ते कब सुबह से शाम हो गया पता ही नहीं चला । और लड़ते लड़ते अचानक बिजली कौंधती हैं और हम दोनों की तलवारें आपस में टकराने से चकनाचूर हो हों जाती हैं और हम दोनों निहत्थे हों जातें हैं । तभी बाबा की मुख से आवाज आती हैं अलख निरंजन , अलख निरंजन   और वह खड़े होकर मुस्कुराते हुए बोलते हैं बच्चों मैं तुमसे खुश हूं   । तुम लोग अपने परीक्षा में सफल हुए और अब  तुम लोग दण्डक वन जाने के लिए बिल्कुल तैयार हो ।  तभी मै बोलता हूं रूकिए बाबा आपको कैसे पता कि  हमलोग  दण्डक वन की यात्रा पर निकलने वाले हैं और यहां पर हमारी परीक्षा हों रही थी । तभी बाबा बोलते हैं  गुफा की पश्चिमी मुहाने पर देखो  तुम्हारे पिता श्री और मामा जी बैठे हुए हैं और हम दोनों की  युद्ध कला को देख रहे थे ।   तो हमने देखा कि सही में  गुफा की पश्चिमी मुहाने पर  पिता श्री और मामा जी अपने सैनिकों के साथ बैठक कर हमारी द्वंद्व युद्ध को देख रहे थे । परंतु यह कैसे हो हैं कि हमारी नजर पिता श्री पर नहीं गया ।  हम सभी अचंभित थे तभी पिता श्री और मामा जी हमारी ओर आने लगे ।  और हम लोगों के पास आते ही   बाबा जी को दण्डवत करते हैं । और बाबा जी उन्हें आशीर्वाद देते हैं आयुष्मान भव: और बोलते हैं  सभी राजकुमार बहुत बहादुर हैं  अतः मैं इन्हें विशेष तलवारें भेंट करूंगा जिसे मैंने लोक कल्याण के लिए तपस्या कर भोलेनाथ शिव शंकर से प्राप्त की थी । और जब तक ये तलवारें इनके पास रहेगी   तब तक इन्हें कोई दुश्मन नहीं हरा पायेगा । और बाबा ध्यानमुर्दा में बैठे कर कुछ मंत्रो का जाप करने लगते हैं और कुछ ही छनो में उनके हाथों में  सात तलवारें प्रकट होती हैं । और फिर मंत्रो के उच्चारण द्वारा उन तलवारों को हमे प्रदान करते हैं  फिर भी एक तलवार बाबा के पास बच जाता है   और हम सभी सोचने लगते हैं इस तलवार को बाबा किसे प्रदान करेंगे ।




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Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  As friends yesterday, you read how the war of war between me and Baba was going on and neither of us was ready to lose.  And were being attacked on each other.  And when fighting, it was not known from morning to evening.  And while fighting, suddenly the lightning flashes and the swords of both of us get smashed by colliding with each other and we both become unarmed.  That's why Baba's voice comes from Alakh Niranjan, Alakh Niranjan and he stands up and says smiling children, I am happy with you.  You succeeded in your exam and now you are ready to go to Dandak forest.  That's why I say stop Baba, how do you know that we are going to visit Dandak forest and we were being tested here.  Then Baba says, Look at the western mouth of the cave, your father Shri and maternal uncle are sitting and we were looking at the martial arts of both of us.  So we saw that Father Shri and maternal uncle were meeting with their soldiers at the western mouth of the cave and watching our duel war.  But how are we that our eyes did not go on Father Shree.  We were all taken aback when Father Sri and maternal uncle started coming towards us.  And as soon as we come to people, we worship Baba ji.  And Baba ji blesses him Ayushman Bhav: and says all the princes are very brave, so I will offer them special swords which I received from Bholenath Shiv Shankar by doing penance for public welfare.  And as long as these swords remain with them, no enemy will beat them.  And Baba starts reciting some mantras by sitting in the meditation and seven swords appear in his hands in a few days.  And then with the chanting of mantras we provide those swords, yet a sword survives to Baba and we all start thinking to whom Baba will give this sword.



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                         अभी हम लोग सोच ही रहें थे इस बारे में कि तभी बाबा बोलते हैं एक और वलशाली योद्धा हैं जो कि तुम्हारे मामा श्री हैं धर्म वीर  ये भी तुम्हारे साथ जायेंगे दण्डक वन  तुम्हारी सहायता के लिए । इसलिए यह तलवार मैं इन्हें सौंप रहा हूं ।  और बच्चों इन तलवारों को  हमेशा लोगों की मदद करने मे ही करना  अन्यथा तलवारें अपने आप गायब हो जायेंगी ।   अच्छा महाराज मैं अब चलता हूं मेरा समाधी का समय है चुका है । और राजकुमारों के दण्डक वन जाने की तैयारी शुरू कर दें । और यह बोलकर बाबा अंतर्ध्यान हो जातें हैं ।  और हम सभी लोग राजमहल की ओर निकल पड़ते हैं । और जैसे ही हम गुफा से बाहर आते हैं  गुफा भी हमारे आंखों के सामने से ओझल हो जाता है ।  तभी  अजय भाई बोलने लगते हैं  कि अरे  गुफा कहा गायब हो गया ।  और आश्चर्य होकर इधर-उधर देखने लगता है कि तभी तभी पिता श्री बोलते हैं कि   गुफा कहीं नहीं गायब हुआ है वह अपने जगह पर ही हैं  थोड़ी आगे जाकर देखो वह तुम्हें दिखाईं देने लगेगा  । और जैसे ही हम थोड़ी आगे बढ़ कर देखते हैं तो हमें गुफा दिखाई पड़ने लगता है और जैसे ही हम थोड़ी आगे बढ़ते हैं वह हमारे आंखों के सामने से ओझल हो जाता है । तभी पिता श्री बोलते हैं  यही  गुफा हमारा छुपा हुआ  सैन्य ठिकाना है   यही पर हमारे सैनिकों को  प्रशिक्षित किया जाता है जिसे तुम लोगों ने अपनी सुझबुझ से  खोज लिया था ।  अन्यथा यहां  पहली बार में पहुंचना  असंभव है  क्योंकि  मैं  और मेरे भाई लोग भी पहली बार में पहुंच नहीं पाये थे । जब हम सभी लोग तुम्हारी उम्र में प्रशिक्षण ले रहे थे ।  और तुम लोगों के दादा श्री महाराज थे । और हम सभी राजकुमार थे ।  


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Now we were just thinking about that only then Baba speaks another powerful warrior who is your maternal uncle Shri Dharm Veer. He will also go with you Dandak forest to help you.  So I am handing this sword to them.  And children always use these swords to help people, otherwise the swords will disappear on their own.  Ok Maharaj, now I go, my Samadhi time is over.  And start preparing the princes to go to Dandak forest.  And Baba gets angry by saying this.  And we all start towards the palace.  And as soon as we come out of the cave, the cave also disappears before our eyes.  Then Ajay bhai starts saying that hey cave disappeared.  And start to look here and there by surprise that only then Father Shree says that the cave has not disappeared anywhere. He is at his place and go a little further and he will start to see you.  And as soon as we look a little further, we start seeing a cave and as we move a little, it disappears from our eyes.  That is when Father Shri says that this cave is our hidden military base, on which our soldiers are trained, which you guys discovered by your suggestion.  Otherwise it is impossible to reach here in the first place, because my brother and I also could not reach the first time.  When all of us were training at your age.  And your grandfather was Mr. Maharaj.  And we were all princes.


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  दोस्तों  बातें करते करते हम सभी राजमहल की ओर आगे बढ़ रहें थे  । चुकी रात हो चुकी थी  इसलिए घोर अंधेरा था चारों ओर रास्ता बड़ी मुश्किल से दिखाई पड़ रहा था इसलिए एक जगह रुक कर हमलोगो ने मसाले जला ली और आगे बढ़ने का फैसला लिया । और नदी के किनारे किनारे हम सभी आगे बढ़ने लगे । चुंकि बरसात का मौसम था  इसलिए नदी अपने उफान थीं और बहुत ही भयंकर तरीके से गर्जना करते हुए अपनी वेग में वह रही थी । भगवान की कृपा थी कि इस समय  वर्षा रूकी हुई थी । लेकिन रास्ता बहुत ही खराब हो चुका था  जिससे घोड़ों को आगे बढ़ने में काफी परेशानी हो रही थी । अतः हम सभी घोड़ों के पिठ से नीचे उतरकर पैदल ही चलना शुरू कर देते हैं   आगे आगे महाराज चल रहें थे और मैं एकदम  उनके पिछे था   और मामा जी सबसे पिछे  क्योंकि  सैनिकों को  गुफा में ही रूकने का आदेश दे दिया गया था । इसलिए इस समय हम सिर्फ आठ लोग ही थे ।  और हमे राजमहल में पहुंचना जरूरी था क्योंकि माताएं हमारी राह देख रही थी । इसलिए भरी बरसात में भी राजमहल के लिए निकल पड़े थे । हर तरह की मुसीबतों को झेलते हुए । आगे बढ़े जा रहे थे  कि तभी  पीछे वाले घोड़े ने हिनहिनाना शुरू कर दिया  जिसे मामा जी ने पकड़ रखा था । और जैसे ही हम पिछे मुडकर देखते हैं   हम सभी  हड़बड़ा जाते हैं क्योंकि एक बहुत ही बड़ा  भालु ने हमला कर दिया था और सिर्फ एक भालु नहीं भालुओं का पुरा परिवार था। जिन्होंने हमें चारों ओर से घेर लिया था । और हम पर बड़े बड़े पत्थर  उठा कर फेंकने लगे  । 

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          English translate
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While talking, all of us were moving towards the palace.  It was late night, so it was very dark, the way around it was hardly visible, so after stopping at one place, we burned the spices and decided to go ahead.  And we all started moving along the banks of the river.  Since it was the rainy season, the river was in its ebb and she roared in her velocity, roaring horribly.  God was pleased that the rain had stopped at this time.  But the path was very bad due to which the horses were having difficulty in moving.  So all of us get down from the horse seat and start walking on the same side, the Maharaj was walking ahead and I was right behind him and Mama ji was the last because the soldiers were ordered to stay in the cave itself.  So at this time we were only eight people.  And we needed to reach the palace because the mothers were looking for us.  That is why we left for the palace even in the rainy season.  Facing all kinds of troubles.  They were moving forward when the horse behind it started humming which was held by Mama ji.  And as soon as we had been attacked by see us all rush because a very large bear populations Mudkr behind and only complete family of bear populations are not bears.  Who surrounded us all around.  And started throwing big stones at us.

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 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि हमारे सामने एक  नया मुसीबत आ खड़ा हुआ था । क्योंकि हम सभी लोग  भालुओं के अचानक हमले से  हड़बड़ा गये थे ।   और हमे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें ।

           धन्यवाद दोस्तों

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   English translate
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Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because a new problem was encountered in front of us.  Because we were all shocked by the sudden attack of bears.  And we did not understand what to do.


 Thanks guys





Wednesday, July 1, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




              ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । 

जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे मेरे ंंऔर  उस चमत्कारी  गुफा में मौजूद  पहलवान जैसे दिखने वाले  साधु बाबा के साथ द्वंद्व युद्ध होने वाला था । दोस्तों  बाबा को देखकर  जो  ताल पे ताल ठोके जा रहे थे  और गुस्से में उनकी आंखें  लाल लाल नज़र आ रही थी  बिल्कुल ज्वालामुखी की तरह ।  और तभी गरजते हुए बाबा बोलते हैं तुम मे से कौन लड़ने के लिए तैयार है मेरे साथ जल्दी बताओ नहीं तो मैं भष्म कर दुंगा तुम सबको ।  तभी अखिलेश गरजते हुए बोलता है  बाबा आप गुस्से में लाल मत हो हमने कोई गुनाह नहीं किया है और ना ही कोई पाप किया है हमने तो सिर्फ अपने आराध्य देव शिव शंकर भोलेनाथ की पूजा की है । जिसके लिए आप हमें दंड देने के लिए उतावले हो रहे हैं  । मैं चाहु तो एक घुसे में पताल लोक पहुंच दु । लेकिन मैं ऐसा नहीं करुंगा । क्योंकि आप मेरे पिता श्री के मित्र हैं । अखिलेश की बात सुनकर बाबा और भी गुस्से से सातवें आसमान में पहुंच जाते हैं तभी मैं उनका गुस्सा शांत करतें हुए बोलता हूं  बाबा मैं आप से द्वंद्व युद्ध करने के लिए तैयार हूं और यह हममें सबसे छोटा है इसलिए इसे माफ़ कर दें । महामुर्ख  जा मैं तुझे माफ़ कर देता हूं  तुम्हारे बड़े भाई के कहने पर ।ं और मैं भी अखिलेश को समझाता हूं कि भाई तु शांत हो जा । मैं बाबा जी को देख लेता हूं तुम एकदम शांत हो जा और राजा भाई से बोलता हूं भाई तू अखिलेश को संभाल । मैं जा रहा हूं बाबा से द्वंद्व युद्ध करने । तभी संतोष भाई बोलते हैं भाई जरा संभल कर मुझे तो यह कोई मायाबी राक्षस लगता है । तुम कहो तो मैं अभी इसका काम तमाम कर दूं । तभी टिंकू और अजय आप लोग सोच क्या रहे हैं हम आभी इनका सर धड़ से अलग कर देते हैं । नहीं भाईयों आप लोग रूक जाओ । बाबा ने मुझे द्वंद्व युद्ध के लिए ललकारा है  इसलिए मैं इनसे द्वंद्व युद्ध लड़ूंगा ।  और इनको हराऊंगा। और आपलोग बैठ कर हमारी द्वंद्व को देखें ।  अभी  हम बात ही कर रहे थे  बाबा एक बार फिर गरजते हुए बोलते हैं क्या हुआ बच्चों डर गये क्या   । तों मैं गरजते हुए बोलता हूं हम डरने वालों में से नहीं है  हम योद्धा है  योद्धा आप को पता नहीं है दुश्मन हमारे नाम से ही कांपते हैं । परंतु हम आपका सम्मान करते हैं क्योंकि कि आप एक संन्यासी हैं और हम सन्यासीयो से युद्ध नहीं करते हैं  लेकिन मैं आज आप से युद्ध करूंगा। 


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                    English translate
         

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Ek yatra khajane ki khoje





 Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.


 As friends yesterday, you read how a duel was going to happen with me and the wrestler-like monk Baba present in that miraculous cave.  Seeing friends Baba, who were being beaten to the beat and angry, their eyes looked red red like a volcano.  And then the thundering baba says, which one of you is ready to fight, tell me quickly or else I will burn you all.  That is why Akhilesh speaks thundering Baba, do not be angry red, we have not committed any crime nor have we committed any sin, we have only worshiped our adorable Lord Shiva Shankar Bholenath.  For which you are rash to punish us.  If I want to reach Patal Lok in a hurry.  But I will not do it.  Because you are a friend of my father Shri.  After listening to Akhilesh, Baba reaches the seventh sky with more anger, then I speak to calm his anger, Baba, I am ready to fight a duel with you and this is the youngest among us, so forgive it.  Mahamurkh ji, I forgive you at the behest of your elder brother. And I also convince Akhilesh that brother you should calm down.  I see Baba ji, you become very calm and you say to the king, brother, please take care of Akhilesh.  I am going to fight with Baba.  That's why Santhosh Bhai says, brother, I think it is a magic monster, after being careful.  If you say that, I will do all this work now.  That's why Tinku and Ajay, what are you guys thinking, we just cut them off the head.  No, brothers, you guys stop.  Baba challenged me to a duel war, so I will fight a duel war with him.  And I will beat them.  And you sit and watch our duality.  While we were still talking, Baba once again roared and said, "What happened, are the children scared?"  So I say thundering, we are not among those who are afraid, we are warriors, warriors you do not know. Enemies tremble in our name only.  But we respect you because you are a monk and we do not fight with monks but I will fight with you today.



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         मेरी बात सुनकर बाबा जी गुस्से में बोलते हैं तो फिर आ जाओ अखाड़े में । और मैं भी गुस्से में सांप की तरह फुफकारते हुए  अखाड़े में कुद जाता हूं । बाबा जी से दो दो हाथ करने के लिए  । तभी राजा भाई चिल्ला के बोलते हैं अपनी तलवार ले लो  और मैं उछल कर अपनी हाथो से तलवार पकड़ लिया और बाबा से हमारी युद्ध शुरू हो जाती हैं  तभी बाबा जी अपनी तलवार को जमीन में गाड़ देते हैं और निहत्थे हों जातें हैं तो मैं भी अपनी तलवार को जमीन में गाड़ देता हूं और निहत्थे होकर  बाबा से लड़ने लगता हूं । और मैंने बाबा को उठाकर दुर फेंक दिया और वे सिधे जाकर शिवलिंग से टकरा जाते हैं और वे फिर भयंकर गर्जना करते हुए मेरे और आगे बढ़ते हैं और फिर वे मेरे छाती पर एक मुक्का मारते हैं और फिर मैं उड़ता हुआ दुर जाकर एक चट्टान से टकरा जाता हूं जिससे वह चट्टान टुकड़े टुकड़े में बदल जाता है । और फिर मैं गुस्से में भर कर चट्टान के उपर से ही बाबा के उपर छलांग लगा देता हूं और बाबा के उपर जोरदार मुस्सक से प्रहार करता हूं जिससे बाबा ज़मीन के अंदर धंसते चले जाते हैं । और मैं जोर दार ठहाका लगाने लगता हूं  जिससे पुरा वातावरण गुंजने लगता है । कि तभी बाबा अचानक धरती को फाड़कर बाहर निकल आते हैं और  मुझे उठाकर दुर पहाड़ों के उपर पटक देते हैं जिससे पुरा का पुरा पहाड़ टुटकर मेंरे उपर गिर जाता हैं और मैं पहाड़ के नीचे दब जाता हूं  और बाबा जोर जोर से ठहाके लगाने लगते हैं ।  और मेरे भाईयो की ओर देखने लगते हैं  अलख निरंजन मैं अब तुम सबको भष्म कर दुंगा ।  जिससे मेरे भाईयो की गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और वे लोग बाबा को मारने के लिए दौड़ पड़ते हैं कि तभी  धरती कांपने लगती हैं और मैं  पहाड़ों को चिरकर उनके सामने आ खड़ा होता हुं और बोलता हूं रुक जाओ भाईयों मैं अभी जिंदा हुं ।  और बाबा की ओर दौड़ लगा देता हूं और यह सब देखकर बाबा मेरी ओर दौड़ लगा देते हैं । और हम दोनों मे जोरदार टक्कर होती हैं जिससे हम दोनों दुर अपने अपने तलवारों के पास जाकर गिरते हैं । और फिर हम दोनों अपनी अपनी तलवारों को बाहर निकाल लेते हैं और एक-दूसरे पर वार करने लगते हैं  और जैसे जैसे हमारी तलवारें आपस में टकराती थी । वैसे वैसे बिजलियां कड़कने लगती थी । दोस्तों क्या बताऊं बहुत ही भयंकर युद्ध हो रहा था । और कोई भी हार नहीं मान रहा था। 






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                  English translate
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 Baba ji speaks angrily after listening to me, then come back to the arena.  And I also jump into the arena, hissing like an angry snake.  Two hands to Baba Ji.  Then Raja Bhai shouted, take your sword and I leaped and grabbed the sword with my hands and our war with Baba starts, only then Baba ji bury his sword in the ground and become unarmed, then I too  I bury the sword in the ground and start fighting Baba unarmed.  And I pick up Baba and throw it away and they go straight into the Shivlinga and they then go ahead with me roaring fiercely and then they hit a punch on my chest and then I go flying and hit a rock.  So that it turns into a piece of rock.  And then in a fit of rage, I leap over Baba from the top of the rock and hit him with a loud grin which causes Baba to sink inside the ground.  And I start laughing loudly, which makes the whole environment resonate.  That is when Baba suddenly comes out after tearing the earth and picks me up and bangs him on top of the mountains so that the whole mountain of Pura falls down on me and I get buried under the mountain and Baba starts laughing loudly.  And look at my brothers, Alakh Niranjan, I will devour you all now.  Due to which the anger of my brothers reaches the seventh sky and they run to kill Baba, when the earth starts shivering and I stand in front of them by cutting the mountains and say stop, brothers, I am still alive.  And I run towards Baba and seeing this, Baba runs towards me.  And both of us have a strong collision, due to which we both fall near our swords.  And then we both take out our swords and start attacking each other and as our swords collide.  By the way, the lightning began to crack.  What to tell friends, a very fierce war was taking place.  And nobody was giving up.
 




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 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कि कहानी में एक नाटकीय मोड़ आने वाला है । जबकि मेरे और बाबा जी के बिच भयंकर युद्ध जारी है ।

          धन्यवाद दोस्तों


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English translate
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Thank you guys, I will narrate the episode tomorrow because the story is going to have a dramatic twist.  While fierce war between me and Baba Ji continues.


 Thanks guys

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Tuesday, June 30, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje



                ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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        नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । 
                                 जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा  कि कैसे सुबह सुबह पिता श्री हमारे कमरे में आ धमकते हैं  और सिर्फ अखिलेश को छोड़कर सभी लोग उठ चुके थे यानी अखिलेश की तों बैंड बाजा बजने वाला था ।  मामा जी पहले से ही तैयार थे  । और हम भी जल्दी जल्दी तैयार हो चुके थे । पिता श्री जैसे ही कमरे में प्रवेश करते हैं  उनकी नजर  अखिलेश के उपर पड़ती है जो चादर ओढ़े आराम से सोया हुआ था । यह देख कर पिता श्री गुस्से से आग बबूला हो गये । और टिंकू से बोलते हैं  जाओ एक घड़ा पानी लेकर आओ  और इस निक्कमे के उपर डालो अभी तक सोया हुआ है  
और पिता श्री हमारी ओर देखने लगे  और इसी दरम्यान अखिलेश मौका देखकर   चुपके से स्नान घर में घुस जाता है  तभी मामा जी बोलते हैं जरा पिछे घुम के तों देखिए  और पापा  पिछे घुमते हैं तो देखते हैं कि अखिलेश है ही नहीं अरे यह बदमाश कहा गया । तभी पांच मिनट के अंदर अखिलेश तैयार होकर स्नान घर से बाहर आ जाता हैं  और बोलता है  मैं तैयार हूं चले प्रशिक्षण शिविर में व्यायाम करने । और सभी हंसने लगते हैं  क्योंकि वह सबका दुलारा जो था ।   और फिर हम सभी लोग  अस्तबल में आ जाते हैं और अपने अपने घोड़े पर बैठ कर प्रशिक्षण शिविर कि ओर निकल पड़ते हैं ।
                            हमारा प्रशिक्षण शिविर    नगर के बाहर और उस विशाल पुल के उस पार   उस चमत्कारी और रहस्यमई  झरना के उपर वाले पहाड़ी पर बना हुआ था  । जहां पर आम लोगों को पहुचना नामुमकिन था  ।  और जैसे ही हम पुल को पार करते हैं  मुसलाधार वर्षा शुरू हो जाती हैं  तभी पिता श्री अपने घोड़े को एक चाबुक मारते हैं और उनका घोड़ा हवा की तरह बातें करने लगती हैं और  हमसे बहुत आगे निकल जाते हैं  और पिछे पिछे मामा जी भी और हम पिछे छुट जाते हैं  तभी जोरदार बिजली चमकती हैं  और बड़ी बड़ी चट्टानें हम पर गिरने लगती हैं  तभी मैं चिल्ला कर बोलता हूं भागों और अपनी अपनी जान बचाओ और हम भी अपने घोड़े को ज़ोरदार चाबुक लगाते हैं और हमारे घोड़े हबा की  तरह दौड़ने लगते हैं । और प्रशिक्षण शिविर की ओर बढ़ने लगते हैं लेकिन रास्ते में पिता श्री और मामा जी कहीं नहीं दिख रहें थे  शायद वे लोग हमसे पहले शिविर में पहुंच गए होंगे। लेकिन  हमलोग रास्ता भटक चुके थे  क्योंकि कि वर्षा इतनी तेज हो रही थी कि हमें कुछ नहीं दिख रहा था  हम सिर्फ भागे जा रहे थे और शिविर की ओर जाने वाले रास्ते को छोड़कर किसी और रास्ते में निकल चुके थे । 






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      Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how Father Shree used to threaten us in our room in the morning and everyone except for Akhilesh had got up, ie Akhilesh's band was going to play Baja.  Mama ji was already ready.  And we were also ready early.  As soon as Father Shree enters the room, his eyes are on Akhilesh, who was sleeping comfortably in a bed sheet.  On seeing this, the father Mr. Anger became furious.  And speak to Tinku, go bring a pot of water and pour it over this Nikkeme is still asleep

 And Father Shri started looking at us and in the meantime, Akhilesh sneaks into the bath house by seeing the opportunity, then the maternal uncle says, just look at the back of the roam and the father walks backwards, then see if Akhilesh is there or not, he is said to be a crook.  .  Then, within five minutes, Akhilesh comes out of the bathing house ready and says I am ready to go to training camp.  And everyone starts laughing because he was the one who loved everyone.  And then we all come to the stables and sit on our own horses and start towards the training camp.

 Our training camp was built on the hill above the miraculous and mysterious waterfall outside the city and across the huge bridge.  Where it was impossible to reach the common people.  And as soon as we cross the bridge, the torrential rains begin, only when Father Shri whips his horse with a whip and his horse starts talking like the wind and goes ahead of us and the last uncle too and we  The last ones are left when the lightning flashes and the big rocks fall on us, then I speak and shout the parts and save our lives and we also whip our horse vigorously and our horses start running like haba.  And start towards the training camp but on the way father and uncle were nowhere to be seen, they may have reached the camp before us.  But we had lost our way because the rain was getting so strong that we could not see anything, we were just running and left the path leading to the camp.                                                                                                                                   
                                                                                   
   तभी हमें एक गुफा दिखाई पड़ती हैं और  हम सभी तेज़ वर्षा से बचने के लिए  उस गुफा के अंदर चलें जातें है  और गुफा के अंदर पहुंचते ही सबसे पहले हम अपने घोड़ों को एक जगह बांध देते हैं  तभी राजा भाई बोलते हैं कि गुफा काफी बड़ा है चलों अंदर चलकर देखते हैं अंदर में क्या है ।  और हम सभी लोग राजा भाई के पिछे पिछे अंदर की ओर चल पड़ते हैं और हम सभी लोग 100 कदम ही चले थे कि तभी हमें अचानक  पानी की तेज आवाज सुनाई पड़ती हैं मानों कोई बहुत बड़ा झरना बह रहा हों और हम तेजी से उस आबाज की ओर बढ़ने लगते हैं ।   और अचानक हमारी होश उड़ जाती हैं  हमारे सामने एक विशाल झरना बह रह था और इस विशाल झरने की। सिधे आकाश से गिर रही थी  और सबसे आश्चर्य चकित करने वाली बात थी  । झरने के नीचे स्थापित  विशाल शिवलिंग । और आकाश से गिरने वाला पानी सिधे शिवलिंग पर गिर रहा था । दोस्तों बहुत ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत हों रहा था । एक और बात गौर करने वाली थी कि यहां हर तरह छोटे बड़े शिवलिंग मौजूद थे । बहुत ही मनोरम दृश्य था मानों जैसे हम शिव लोक में पहुंच गए हैं ।।  तभी हम सभी को को स्नान करने का मन हुआ  और शिवलिंग देखकर   भगवान भोलेनाथ शिव शंकर की पूजा करने का मन होने लगा ।  तों हम सभी भाई कपड़े उतार कर सबसे पहले  झरने के नीचे स्नान करने लगें  । और स्नान करने के बाद हम सभी भाई गुफा  में उगे  सुंदर सुंदर     फूलों को तोड़कर ले आये और  उस प्रकाशमयी शिव लिंग के चारों ओर बैठकर पुजा करने लगें । और जैसे ही हम लोगों ने शिवलिंग पर बेलपत्र और पुष्प अर्पित किए  वैसे गुस्से से दहाड़ने की आवाज सुनाई पड़ने लगी और पैरों को पटकते हुए  एक साधु बाबा हमारी ओर आते हुए दिखे । जो किसी पहलवान से कम नजर नही आ रहें थे । वे गरजते हुए हमसे बोल रहे थे  किसकी हिम्मत हुई जो हमारे द्वारा स्थापित हमारे अराध्य देव की शिवलिंग की पूजा करने की हिम्मत हुई है ।  पास अते ही हम  सभी खड़े होकर उनको दण्डवत करने लगते हैं  प्रणाम गुरु देव  हमसे कोई गलती हो गई हों तो हमें माफ़ कर दिजिए।  तभी बाबा बोलते हैं तुम लोग कौन हों और तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई इस शिवलिंग की पूजा करने की मैं तुम सभी को भष्म कर दुंगा ।  तभी राजा भाई बोलते हैं क्षमा करें गुरु देव  हम इस  राज्य के महाराज कृष्ण प्रताप  शिव शंकर प्रताप और उनके छोटे भाइयों के पुत्र हैं ।  और पिता श्री का नाम सुनते ही उनका गुस्सा थोड़ा शांत होता हैं । अच्छा तुम हमारे मित्र के बेटे हों फिर भी तुम लोगों ने गलती की है अब तुम में से एक को मेरे साथ द्वंद्व युद्ध करना और मुझे हराना होगा । तभी मैं तुम सब को क्षमा  करूंगा।  उनकी बातें सुन कर सभी लोग मुझे देखने लगते हैं ।


      धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे बहुत ही रोमांचक मुकाबला होने वाला था मेरे और बाबा के बिच।



         धन्यवाद दोस्तों



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English translate
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      Then we see a cave and we all go inside that cave to avoid the heavy rains and first we tie our horses to a place as soon as we reach the cave, then Raja Bhai says that the cave is very big  Let's go inside and see what is inside.  And all of us walk backwards behind Raja Bhai and we all walked 100 steps only when suddenly we hear a loud sound of water as if a big waterfall is flowing and we are fast  They move forward.  And suddenly our senses fly away. A huge waterfall was flowing in front of us and this huge waterfall.  It was falling straight from the sky and the most surprising thing was astonishing.  The huge Shivalinga installed under the waterfall.  And the water falling from the sky was falling directly on the Shivling.  Friends were presenting very beautiful scenes.  Another thing to note was that small and large Shivling was present here.  It was a very panoramic view as if we have reached the Shiva world.  Then we all felt like bathing and seeing Shivalinga, started feeling like worshiping Lord Bholenath Shiva Shankar.  So all of us brothers take off their clothes and start bathing under the waterfall.  And after bathing, all of us brothers brought the beautiful flowers that had grown in the cave, and started sitting around that luminous Shiva Linga and worshiped.  And as soon as we offered bell-leaf and flower on the Shivling, the sound of roaring with anger began to be heard and a sadhu Baba was seen coming towards us, with his feet slammed.  Who could not look less than any wrestler.  They were roaring and speaking to us, who dared to worship the lingam of our Lord Aradhya established by us.  As soon as we all stand up and start worshiping them, Pranam Guru, please forgive us if you have made any mistake.  Then Baba speaks about who you are and how dare you people to worship this Shivling, I will devour all of you.  That's why Raja Bhai speaks sorry, Guru Dev. We are the sons of Krishna Pratap, Shiv Shankar Pratap and his younger brothers.  And on hearing father's name, his anger gets a bit quiet.  Well you are the son of our friend, yet you have made a mistake, now one of you will have to fight a duel with me and defeat me.  Then I will forgive all of you.  After listening to them, everyone starts seeing me.



 Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because a very exciting contest was going to take place between me and Baba.




 Thanks guys
 










                 
                  

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...