Tuesday, July 5, 2022

एक यात्रा - रामराजा मंदिर ओरछा मध्यप्रदेश भारतA Tour - Ramraja Temple Orchha Madhya Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje










     नमस्कार दोस्तों मै पर्वतारोही महेंद्र कुमार आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज कि यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एक ऐसे अनोखे मंदिर कि यात्रा जहां प्रभू श्री राम राजा के रूप में विराजमान हैं अपने बाल स्वरूप में । 


            रामराजा मंदिर

            ओरछा मध्यप्रदेश

                 भारतवर्ष









 दोस्तों ओरछा भारत के मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक नगरी हैं। इसकी स्थापना रूद्र प्रताप सिंह द्वारा अपने राज्य की राजधानी के रूप में सन् 1501 के आस पास किसी समय में की थी । 

        दोस्तों ओरछा बुंदेलखंड में बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ हुआ है। दोस्तों यह टीकमगढ़ से 80 किलोमीटर दूर और उत्तर प्रदेश राज्य के झांसी से 15 किलोमीटर दूर स्थित है और दोस्तों यही पर मौजूद हैं भगवान श्री राम की अनोखी राम राजा मंदिर जहां भगवान श्री राम अपने बाल्यकाल में मौजूद हैं।








              रामराजा मंदिर

 दोस्तों  भगवान् श्री राम का ओरछा में 400 वर्ष पहले राज्याभिषेक हुआ था और उसके बाद से वर्तमान में आज तक यहां भगवान श्री राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह मंदिर  सम्पूर्ण विश्व का एकमात्र ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां भगवान श्री राम का राजा के रूप में पूजा जाता है।






   दोस्तों रामराजा के अयोध्या से ओरछा आने की एक अत्यंत ही सुंदर कथा है।


    दोस्तों कहा जाता है कि 500 वर्ष पहले एक दिन ओरछा  नरेश महाराज मधुकर शाह ने अपनी धर्मपत्नी गणेश कुंवर से भगवान कृष्ण के उपासना के इरादे से वृंदावन चलने को कहा। लेकिन दोस्तों रानी प्रभु श्री राम की अनन्य भक्त थी अतः उन्होंने  वृंदावन चलने से मना कर दिया। इससे क्रोध में आकर राजा ने यह कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपने राम को ओरछा लें कर  आओ।

      दोस्तों इसके बाद रानी  अयोध्या पहुंच कर सरयू नदी के किनारे लक्षमण क़िले के पास अपनी कुटिया बनाकर प्रभु श्री राम की आराधना शुरू कर दी।

      दोस्तों आपको पता है  इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसी दास भी अयोध्या में प्रभु श्री राम की साधना कर रहे थे । दोस्तों कहा जाता है कि तुलसी दास से आशीर्वाद प्राप्त कर रानी की अराधना दृढ़ से दृढतर होती गई। लेकिन दोस्तों रानी को कई महीनों तक  प्रभु श्री राम की दर्शन नहीं हुए। अंततः दोस्तों वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू नदी की अथाह जलराशि में कूद पड़ी । लेकिन दोस्तों प्रभू की माया अपरम्पार होती है दोस्तों यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें प्रभू श्री राम के दर्शन प्राप्त हुएं।









             दोस्तों रानी ने प्रभू श्री राम को अपना मंतव्य बताया जिसे सुनकर प्रभू श्री राम ने ओरछा चलना स्वीकार कर लिया किन्तु प्रभू श्री राम तीन शर्तें रखी। पहली यह कि ओरछा तक कि यात्रा पैदल होगी  , दुसरी शर्त यह कि यात्रा केवल पुष्प नक्षत्र में होगी , और तीसरा शर्त यह था दोस्तों कि  रामलला की मूर्ति जिस स्थान पर रखीं जाएगी वहां से पुनः नहीं उठेगी।

          दोस्तों रानी ने राजा को संदेश भेजा कि वो प्रभू श्री राम को लेकर ओरछा आ रही है दोस्तों यह सुनकर राजा मधुकर शाह ने रामराजा के विग्रह को स्थापित करने केलिए उस जमाने में करोड़ों रुपए की लागत से प्रभू श्री राम के लिए चतुर्भुज मंदिर का निर्माण करवाया।
                दोस्तों जब रानी ओरछा पहुंची तो रात्रि हो जाने की वजह से उन्होंने प्रभु श्री राम की मूर्ति को अपने महल के भोजन कक्ष में रख दिया और यह निश्चित हुआ कि शुभ मुहूर्त में प्रभू श्री राम की मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।








              लेकिन दोस्तों शर्त के अनुसार प्रभू श्री राम के इस विग्रह ने चतुर्भुज मंदिर जाने से मना कर दिया। 
              दोस्तों कहते हैं कि प्रभू श्री राम यहां अपने बाल स्वरूप में आए और अपनी मां का महल छोड़कर वे मंदिर में कैसे जा सकतें थे। अंत दोस्तों आज भी प्रभू श्री राम इसी रानी महल में विराजमान हैं और उनके लिए बना करोड़ों का चतुर्भुज मंदिर आज भी वीराना पड़ा है। दोस्तों यह मंदिर आज भी मूर्ति विहिन है ।









       दोस्तों यह भी एक संयोग कि बात है कि जिस संवत् 1631 को रामराजा का ओरछा में आगमन हुआ था , उसी दिन संत शिरोमणि तुलसी दास जी द्वारा पवित्र रामचरितमानस का लेखन भी पूर्ण हुआ था।

       दोस्तों एक और अलौकिक कहानी यह है कि जो भगवान श्री राम कि मूर्ति ओरछा में विद्यमान हैं उनके बारे में बताया जाता है कि जब भगवान श्री राम वनवास जा रहें थे तो उन्होंने अपनी एक बाल स्वरूप मूर्ति अपनी माता कौशल्या को दी थी। दोस्तों माता कौशल्या उसी को बाल भोग लगाया करती थीं। और जब भगवान श्री राम अयोध्या लौटे तो माता कौशल्या ने यह मूर्ति सरयू नदी में प्रवाहित कर दीं थीं। दोस्तों यही मूर्ति रानी गणेश कुंवर को  भगवान श्री राम के द्वारा सरयू नदी के मझधार से निकाल कर रानी को दीं गईं थीं।

       दोस्तों यह सम्पूर्ण विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान श्री राम की पूजा राजा के रूप में होती हैं। और सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात प्रत्येक दिन सलामी दी जाती है। दोस्तों यहां भगवान श्री राम ओरछाधीश के रूप में विराजमान हैं।
   
      दोस्तों रामराजा मंदिर के चारों ओर वीर बजरंगबली का मंदिर है जैसे छड़दारी हनुमानजी , बजरिया के हनुमान जी , लंका हनुमान जी का मंदिर मौजूद हैं जो रामराजा के सुरक्षा चक्र के रूप में चारों तरफ़ है। दोस्तों ओरछा के अन्य बहुमूल्य धरोहरों में लक्ष्मी मंदिर , पंचमुखी महादेव , राधिका बिहारी मंदिर ,राजा महल , राय प्रवीण महल , हरदौल की बैठक , हरदौल की समाधि आदि प्रमुख हैं।   

     धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।

   






 



    









































   English Translat
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 Hello friends, I warmly greet all of you, mountain climber Mahendra Kumar, friends, today I am taking you on this journey to visit such a unique temple where Lord Shri Ram is seated in the form of a king in his child form.








 Ramraja Temple


 Orchha Madhya Pradesh


 Bharatvarsh




 Friends Orchha is an ancient historical city located in Niwari district of Madhya Pradesh, India. It was founded by Rudra Pratap Singh sometime around 1501 as the capital of his kingdom.


 Friends Orchha is situated on the banks of Betwa river in Bundelkhand. Friends, it is located 80 kilometers away from Tikamgarh and 15 kilometers from Jhansi in the state of Uttar Pradesh, and friends, this is the unique Ram Raja temple of Lord Shri Ram, where Lord Shri Ram is present in his childhood.







 Ramraja Temple


 Friends, Lord Shri Ram was coronated 400 years ago in Orchha and since then till today Lord Shri Ram is worshiped here as a king. Friends, you will be surprised to know that this temple is the only wonderful temple in the whole world where Lord Shri Ram is worshiped as a king.











        Friends, there is a very beautiful story of Ramraja coming from Ayodhya to Orchha.



 Friends, it is said that 500 years ago one day Orchhanresh Maharaj Madhukar Shah asked his wife Ganesh Kunwar to go to Vrindavan with the intention of worshiping Lord Krishna.  But friends, Rani was an exclusive devotee of Lord Shri Ram, so she refused to go to Vrindavan.  Angered by this, the king said that if you are such a devotee of Ram, then go and cover your Ram and come.


 Friends, after reaching Ayodhya, the queen started worshiping Lord Shri Ram by making her hut near Lakshman fort on the banks of river Saryu.








 Friends, you know that these days Saint Shiromani Tulsi Das was also doing spiritual practice of Lord Shri Ram in Ayodhya.  Friends, it is said that after receiving blessings from Tulsi Das, the worship of the queen grew stronger and stronger.  But friends Rani did not see Lord Shri Ram for many months.  Eventually friends, she jumped into the bottomless waters of the Sarayu river to give up her life in despair.  But friends, the Maya of the Lord is incomparable, friends, here in the depths of the water, they got the darshan of Lord Shri Ram.










        Friends, Rani told Prabhu Shri Ram her intention, after hearing which Prabhu Shri Ram accepted to walk in Orchha, but Lord Shri Ram kept three conditions.  The first is that the journey up to Orchha will be on foot, the second condition is that the journey will be only in Pushpa Nakshatra, and the third condition was that the idol of Ram Lalla will not rise again from the place where it will be kept.


 Friends, Rani sent a message to the king that she is coming to Orchha with Lord Shri Ram. Friends, hearing this, King Madhukar Shah built a quadrangle temple for Lord Shri Ram at a cost of crores of rupees at that time to establish the Deity of Ramraja.  .

 Friends, when the queen reached Orchha, because it was night, she kept the idol of Lord Shri Ram in the dining room of her palace and it was decided that in the auspicious time, the idol of Lord Shri Ram would be established in the Chaturbhuj temple.  .








 But friends, according to the condition, this Deity of Lord Shri Ram refused to go to the Chaturbhuj temple.

 Friends say that Lord Shri Ram came here in his child form and how could he leave his mother's palace and go to the temple.  Finally friends, even today Lord Shri Ram is seated in this queen's palace and the quadrangle temple built for him has to be deserted even today.  Friends, this temple is still idolless.










       Friends, it is also a matter of coincidence that the Samvat on which Ramraja had arrived in Orchha in 1631, on the same day the writing of the holy Ramcharitmanas by Saint Shiromani Tulsi Das was also completed.


 Friends, another supernatural story is that the idol of Lord Shri Ram who is present in Orchha is told that when Lord Shri Ram was going to exile, he gave one of his childhood idols to his mother Kaushalya.  Friends, mother Kaushalya used to offer child bhog to him.  And when Lord Shri Ram returned to Ayodhya, Mata Kaushalya had immersed this idol in the river Saryu.  Friends, this idol was given to Rani Ganesh Kunwar by Lord Shri Ram from the middle of the river Sarayu and given to the queen.












 Friends, this is the only temple in the whole world where Lord Shri Ram is worshiped in the form of a king.  And salami is given every day before sunrise and after sunset.  Friends, Lord Shri Ram is seated here in the form of Orchhadheesh.



 Friends, around the Ramraja temple, there is a temple of Veer Bajrangbali such as Chaddari Hanumanji, Hanuman of Bajaria, Lanka Hanuman ji's temple is present which is around in the form of protection wheel of Ramraja.  Friends, among other valuable heritage of Orchha, Laxmi Temple, Panchmukhi Mahadev, Radhika Bihari Temple, Raja Mahal, Rai Praveen Mahal, Meeting of Hardaul, Samadhi of Hardaul etc. are prominent.


      Thanks guys that's all for today.


     




















           

Tuesday, June 28, 2022

एक यात्रा - सहस्त्रवाहू मंदिर उदयपुर राजस्थान भारतवर्षA Journey - Sahastravahu Temple Udaipur Rajasthan India.

Ek yatra khajane ki khoje







 SAHASTRAABAHU 

            TEMPLE

            UDAIPUR

             Rajasthan

        BHARATVERSA






 Namskar Dosto mountain leppard Mahendra 🧗:  The ancient temple is located in "Nagda" the ancient capital of Marwar.

     According to historians, this 1100 year old temple was built by Mewar's king "Manipal" and "Ratanpal"for their Queen mother.

            While another ancient temple was built next to it , which was done for the little Queen.
    That's why this temple is also famous by the name of saas-bahu.







    Rajmata of Mewar royal family dedicated the temple to "Lord Vishnu" and daughter - in - law  to sheshnag.


      Thank you for all.

   Mahendra mountain leppard 🧗🧗


































   Mountain leppard Mahendra 🧗🧗

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Saturday, June 4, 2022

एक यात्रा - बिहार की 2500 वर्ष पुरानी प्राचीन मौर्यकालीन दीवार को को विश्व विरासत स्थल में शामिल करने की चल रही हैं तैयारी। राजगीर बिहार .Ek Yatra - Preparations are underway to include the 2500 year old ancient Mauryan wall of Bihar in the World Heritage Site. Rajgir Bihar

  एक यात्रा 🧗🇮🇳 









  नमस्कार दोस्तों  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के यात्रा ब्लॉग में आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन है।


      दोस्तों आप सभी को जानकर हर्ष होगा कि विश्व विख्यात प्राचीन नगरी राजगीर में मौजूद मौर्यकालीन साइक्लोपीयन दीवार को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया जा रहा है।






        दोस्तों बिहार सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को राजगीर में मौजूद 2500 वर्ष से भी अधिक पुरानी साइक्लोपियन दीवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध करने  के लिए एक नया प्रस्ताव भेजा है जिसे लगभग स्वीकार कर लिया गया है।

   दोस्तों बिहार राज्य स्थित राजगीर की साइक्लोपियन दीवार पत्थरों की बनी 40 किलोमीटर लंबी दीवार है जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व बनाया गया था।








  इस प्राचीन दीवार को विश्व विरासत में शामिल करने का अथक प्रयास हो रहा है।

 दोस्तों पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि वे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में साइक्लोपियन दीवार को सूचीबद्ध करवाने का कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। दोस्तों उन्होंने साइक्लोपियन दीवार के ऐतिहासिक महत्व और विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।

                दोस्तों पुरातत्व शास्त्रियों ने बताया कि यह प्राचीन दीवार पुरे विश्व में साईक्लोपियन चिनाई के सबसे पुराने उदहारणो में से एक है अतः इस प्राचीन दीवार को विश्व विरासत स्थल में जरूर शामिल किया जाना चाहिए।







   यह प्राचीन दीवार मौर्य साम्राज्य द्वारा बनाया गया था।

 दोस्तों यह प्राचीन दीवार मौर्य साम्राज्य की विरासत है जिसे उस वंश के महान शासकों ने अपनी राजधानी की सुरक्षा के लिए बनवाया था। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मगध साम्राज्य का उस काल में एक अलग ही वर्चस्व था दोस्तों आज का राजगीर उस समय राजगृह के नाम से जाना जाता था। जो बहुत ही समृद्ध और खुशहाल हुआ करता था। दोस्तों जिस कारण यहां हमेशा आक्रमण का खतरा बना रहता था।


  दोस्तों जिस समय इस प्राचीन दीवार का निर्माण किया गया था उस समय इस क्षेत्र में यानी आज के राजगीर में महाराज बिम्बिसार और उनके पुत्र अजातशत्रु का शासन हुआ करता था।








 अद्भुत रूप से 40 किलोमीटर लंबी थी यह प्राचीन दीवार।

 दोस्तों अध्ययन करने से पता चलता है कि इस प्राचीन दीवार में जो पत्थर लगाईं गई है वो चुना पत्थर है जो उस समय की बेहतरीन वास्तुशिल्प की दास्तां बयां करती हैं हालांकि दोस्तों अब इस प्राचीन दीवार के अवशेष ही रह गए हैं।

    लेकिन दोस्तों अब भी इसे उस काल का बेहतरीन आकृति माना जाता है। दोस्तों यह प्राचीन दीवार उस दौर का प्रतिनिधित्व करता है जब वर्तमान समय की तरह सीमेंट आदि नहीं होता था और बड़े पैमाने पर चूना  पत्थर का उपयोग प्रमुख रूप से होता था।

          दोस्तों उस जमाने में दीवार बनाने में आज के मुकाबले काफी समय लगता था। फिर भी दोस्तों इस प्राचीन दीवार को 4 मीटर ऊंची और 40 किलोमीटर लंबी बनाईं गई थी।







      धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।


   माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗







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      English Translat 

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  A trip🇮🇳🧗
















 Hello friends, a warm welcome to all of you in the travel blog of Mountain Leopard Mahendra.



 Friends, all of you will be happy to know that the Mauryan Cyclopean Wall present in the world famous ancient city of Rajgir is being included in the World Heritage.



 Friends, the Government of Bihar has sent a new proposal to the Archaeological Survey of India to list the more than 2500 years old Cyclopean Wall in Rajgir as a UNESCO World Heritage Site, which has been almost accepted.






 Friends, the Cyclopean Wall of Rajgir located in the state of Bihar is a 40 km long wall made of stone, which was built in the 3rd century BC.







Relentless efforts are being made to include this ancient wall in the world heritage.


 Friends, Director of the Archaeological Survey of India, Deepak Anand told that they will leave no stone unturned to get the Cyclopean Wall listed in the UNESCO World Heritage Site. Friends, he has presented a new proposal, highlighting the historical importance and features of the Cyclopean Wall.







 Friends, archaeologists told that this ancient wall is one of the oldest examples of Cyclopean masonry in the whole world, so this ancient wall must be included in the World Heritage Site.



 This ancient wall was built by the Maurya Empire.


 Friends, this ancient wall is the legacy of the Maurya Empire, which was built by the great rulers of that dynasty to protect their capital.  Friends, you will be surprised to know that Magadha Empire had a different dominance in that period, friends, today's Rajgir was known as Rajgriha at that time.  Who used to be very rich and happy.  Friends, due to which there was always a danger of attack here.







 Friends, at the time when this ancient wall was built, this area i.e. today's Rajgir was ruled by Maharaja Bimbisara and his son Ajatashatru.



 Amazingly, this ancient wall was 40 kilometers long.


 Studying friends shows that the stone that has been installed in this ancient wall is the chosen stone, which tells the tales of the best architecture of that time, although friends, now only the remains of this ancient wall remain.







 But friends, it is still considered the best figure of that period.  Friends, this ancient wall represents the period when there was no cement etc. like the present time and limestone was mainly used on a large scale.



  Friends, in those days it used to take a lot more time than today to build a wall. Still friends, this ancient wall was made 4 meters high and 40 kilometers long.








 Thanks guys that's all for today.



 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗



















Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...