Friday, June 25, 2021

एक यात्रा भारत के अंतिम गांव माणा की अद्भुत अलौकिक यहीं पर महर्षि व्यास जी ने भगवान गणेश जी की मदद से पवित्र वेद पुराण और महाभारत ग्रंथ की रचना की थी।- ग्राम माणा जिला चमोली उत्तराखंड भारतA Journey to the last village of Mana, the wonderful supernatural being of the last village of India. It is here that Maharishi Vyas ji, with the help of Lord Ganesha, composed the holy Vedas, Puranas and Mahabharata texts. - Village Mana District Chamoli Uttarakhand India.

Ek yatra khajane ki khoje






















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एक ऐसे अद्भुत अलौकिक गांव की यात्रा पर जो भारत का अंतिम गांव है जी हां दोस्तों आपने सही सुना आज की यात्रा पर हम चल रहे हैं भारत के अंतिम गांव माणा की यात्रा पर।जो अपने नैसर्गिक खूबसूरती से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है जहां कभी महर्षि व्यास जी ने भगवान गणेश जी की मदद से पवित्र वेद और पुराण एवं महाभारत ग्रंथ की रचना की थी।








 भारत का आखिरी गांव -माणा

      जिला - चमोली उत्तराखंड

               भारतवर्ष




  दोस्तों भारत का आखिरी गांव माणा बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर ऊंचाई पर बसा हुआ है मान समुद्र तल से 19000 फुट की ऊंचाई पर
 अवस्थित है दोस्तों यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है दोस्तों माणा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य कारणों की वजह से भी मशहूर है।  
                दोस्तों उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित ग्राम माणा बद्रीनाथ से 4 किलोमीटर दूर स्थित है।

  दोस्तों मान्यता है कि इस गांव को मिला हुआ है भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद।
















   दोस्तों मान्यता है कि अगर आप गरीबी से पीछा छुड़ाना चाहते हैंं तो इस पवित्र स्थान पर जरूर आएं।

      दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव का नाता महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है।दोस्तों यहां यह भी कहानी प्रचलित है कि इसी गांव से होते हुए पांडव स्वर्ग को गए थे।















🏔️ दोस्तों क्या आप जानते हैं भारत के आखिरी ग्राम माणा से जुड़ी अद्भुत पांच बातें🏔️

 1.  दोस्तों माणा गांव का पौराणिक नाम मणिभद्र है।
              दोस्तों यही पर अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम होता है।

 2. दोस्तों  आखिरी गांव माणा में ही सरस्वती नदी पर भीम पुल मौजूद है।
               दोस्तों कहां जाता है कि जब महाभारत काल में पांडव स्वर्ग जा रहे थे। तब उन्होंने सरस्वती नदी से आगे जाने के लिए रास्ता मांगा था।लेकिन दोस्तों जब सरस्वती नदी ने रास्ता देने से मना कर दिया। तब दोस्तों भीम ने दो बड़ी-बड़ी शिलाओं को उठाकर इसके ऊपर रख दी थी। जिससे पुल का निर्माण हुआ था।
                      दोस्तों कहते हैं कि इसी पुल से होते हुए पांडव स्वर्ग गए थे दोस्तों आज भी भीम पुल मौजूद है।

 3.  दोस्तों कहां जाता है कि जब भगवान गणेश यहां पवित्र वेद लिख रहे थे ।तो सरस्वती नदी की तेज कल कल ध्वनि पर गणेश जी ने उनसे शोर कम करने के लिए कहा था ।लेकिन दोस्तों सरस्वती जी के नहीं रुकने पर उन्होंने रुष्ट होकर सरस्वती नदी को श्राप दे दिया कि आज के बाद  यहां से आगे किसी को नहीं दिखोगी ।
             और दोस्तों सच में जब आप इस स्थल पर सरस्वती नदी को देखोगे तो आपको समझ में नहीं आएगा कि सरस्वती नदी की तेज धारा आगे जहां कर कहां पर गुम हो जा रही है।

 4. दोस्तों पौराणिक कथाओं से पता चलता है कि माणा स्थित व्यास गुफा में ही महर्षि वेदव्यास ने पवित्र वेद पुराण और महाभारत की रचना की और भगवान गणेश जी उनके लेखक बने थे। दोस्तों ऐसी मान्यता है कि व्यास जी इसी गुफा में रहते थे। दोस्तों वर्तमान में इस गुफा में महर्षि व्यास जी का मंदिर बना हुआ है।

 5.  दोस्तों माणा गांव से 5 किलोमीटर आगे वसुंधरा झरना मौजूद है।दोस्तों अद्भुत रूप से 400 फीट की ऊंचाई से गिरता इस जलप्रपात का पानी अद्भुत रूप से मोतियों की बौछार करता हुआ सा प्रतीत होता है।
                          दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि इस झरने की पानी की बूंदे पापियों के शरीर पर नहीं पड़ती है।
















 माता बाला त्रिपुरा सुंदरी की प्राचीन मंदिर
 ________________________
दोस्तों माणा गांव में काफी पुराने समय से एक मंदिर मौजूद है। यह मंदिर गांव में रहने वाले रावत जाति के लोगों का माना जाता है यह मंदिर माता बाला त्रिपुरा सुंदरी को समर्पित है।















 दोस्तों माणा गांव में घूमने जाने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर के बीच है। इस दौरान यहां प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में यात्री आते हैं क्योंकि दोस्तों आमतौर पर इन्हीं दिनों बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुलते हैं। दोस्तों भारत और चीन की सीमा पर स्थित इस गांव में अनोखे नजारे देखने को मिलते हैं। जो आपके मन को मोह लेगा।








          धन्यवाद दोस्तों

 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
 _________________________
     English translate
     ___________________

 











 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you. Friends, on today's journey, I am taking you on the journey of such a wonderful supernatural village which is the last village of India. Yes, friends, you heard it right.  We are going on the journey of Mana, the last village of India. Which attracts tourists with its natural beauty, where once Maharishi Vyas ji with the help of Lord Ganesha composed the holy Vedas and Puranas and Mahabharata texts.















 India's last village - Mana


 District - Chamoli Uttarakhand


 Bharatvarsh







 Friends, the last village of India, Mana is situated at an altitude of 3 km from Badrinath Dham, at an altitude of 19000 feet above sea level.

 Friends, this village is located on the border of India and Tibet. Friends, Mana village is famous for its cultural heritage as well as many other reasons.

 Friends, village Mana located in Chamoli district of Uttarakhand is located 4 kilometers away from Badrinath.


 Friends, it is believed that this village has got the special blessings of Lord Shiva.














 Friends, it is believed that if you want to get rid of poverty, then definitely come to this holy place.


 Friends, you will be surprised to know that the connection of this village is also associated with Mahabharata period. Friends, the story is also prevalent here that the Pandavas went to heaven through this village.















 ️  Friends, do you know five wonderful things related to Mana, the last village of India.


 1. Friends, the mythological name of Mana village is Manibhadra.

 Friends, this is where the Alaknanda and Saraswati rivers meet.







 2. Friends, in the last village Mana itself, there is a Bhima bridge on the Saraswati river.

 Where does friends go that when the Pandavas were going to heaven during the Mahabharata period.  Then he had asked for a way to go beyond the Saraswati river. But friends, when the Saraswati river refused to give way.  Then friends Bhima picked up two big rocks and placed them on top of it.  From which the bridge was built.

 Friends say that the Pandavas went to heaven through this bridge, friends even today Bhim bridge exists.






 3. Where does friends go that when Lord Ganesha was writing the holy Vedas here. So on the strong sound of river Saraswati yesterday, Ganesh ji asked him to reduce the noise. But friends, Saraswati ji got angry when Saraswati ji did not stop.  Cursed the river that from today onwards no one will be seen from here.

 And friends, really when you see the Saraswati river at this place, then you will not understand that where is the fast stream of Saraswati river going ahead.






 4. Friends Mythology reveals that Maharishi Ved Vyas composed the holy Vedas Purana and Mahabharata in the Vyas cave located in Mana and Lord Ganesha became their author.  Friends, it is believed that Vyas ji used to live in this cave.  Friends, at present there is a temple of Maharishi Vyas ji in this cave.







 5.  Friends, 5 kilometers ahead of Mana village, Vasundhara Waterfall is present. Friends, the water of this waterfall, falling wonderfully from a height of 400 feet, looks like a shower of pearls.

 Friends, it is said that the water drop of this spring does not fall on the body of sinners.














 Ancient Temple of Mata Bala Tripura Sundari

 ________________________

 Friends, a temple has existed in Mana village for a long time.  This temple is believed to be of Rawat caste people living in the village. This temple is dedicated to Mata Bala Tripura Sundari.









 Friends, the best time to visit Mana village is from May to October.  During this, a large number of travelers come here every year because friends usually open the doors of Badrinath Dham on these days.  Friends, unique views are seen in this village situated on the border of India and China.  which will captivate your mind.








 thanks guys


 Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗



















   Mountain Leopard               
      Mahendra 🧗🧗



















              
         





Wednesday, June 23, 2021

एक यात्रा भारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक कहे जाने वाले अंतरिक्ष वेधशाला यानी भारतीय ज्योतिषी की वेधशाला मेरुदंड या गरुड़ स्तंभ , ध्रुव स्तंभ जिसे आज कुतुब मीनार के नाम से जाना जाता है जो प्राचीन काल में विश्व का एकमात्र प्रमुख एवं प्रसिद्ध ज्योतिषी वेधशाला हुआ करता था- दिल्ली भारतवर्ष.A trip Space observatory called the flag bearer of Indian culture, ie Indian astrologer's observatory Merudand or Garuda pillar, Dhruv pillar which is today known as Qutub Minar, which used to be the world's only major and famous astrological observatory in ancient times - Delhi India.

Ek yatra khajane ki khoje
























   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं ।दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं मेरुदंड या फिर मेरु स्तंभ राजधानी दिल्ली की यात्रा पर जिसे आज हम सभी मुगल आक्रमणकारियों द्वारा दिए गए परिवर्तित नाम कुतुबमीनार के नाम से जानते हैं।

          तो आइए दोस्तों चलते हैं भारत के सबसे प्राचीन व अति महत्वपूर्ण भारतीय ज्योतिषी की वेधशाला दिल्ली स्थित मेंरु स्तम्भ के प्रांगण में।

       मेरुस्तंभ या गरुड़ स्तंभ
  
 (   परिवर्तित नाम कुतुब मीनार )

           दिल्ली भारतवर्ष

 दोस्तों प्राचीन भारतवर्ष में विभिन्न स्थानों पर अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए ऐसी अनेक वेधशालाओं का निर्माण किया गया था।दोस्तों आपको जानकर दुख होगा कि बाहर से आए मुस्लिम और बर्बर आक्रमणकारियों ने भारत देश के सभी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक व पवित्र धार्मिक मंदिरों एवं उनसे जुड़ी भवनों एवं सभी महत्वपूर्ण वेधशालाओं को नष्ट कर दिया था।
           दोस्तों वर्तमान समय में अब केवल भारत की राजधानी दिल्ली स्थित एवं महत्वपूर्ण वेधशाला मेरुदंड यानी में मेरुस्तम्भ भी बचा हुआ है अपने दुर्दशाओं पर आंसू बहाते हुए।
               क्योंकि दोस्तों आज इस प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को भी क्रूर आक्रमणकारियों ने नाम बदलकर अपना नाम या पहचान देने की कोशिश की है। लेकिन दोस्तों वे इस बात को नहीं झुठला सकते हैं कि यह भारतीय संस्कृति का अनमोल धरोहर है। जिसे छुपाना या झूठलाना असंभव है।











    दोस्तों अनेक प्राचीन दस्तावेजों के अध्ययन एवं भारत के कई प्रख्यात विद्वानों ने अपने गहन अध्ययन एवं खोजों द्वारा बताया है कि राजधानी दिल्ली स्थित कुतुब मीनार किसी समय पूरे विश्व की प्रख्यात वेधशाला हुआ करती थी।






  (  वेधशाला का निर्माण काल  )

 दोस्तों इस महान स्तंभ का निर्माण अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए भारत के महान सम्राट वीर विक्रमादित्य जी के नवरत्नों में प्रख्यात ज्योतिष आचार्य वराहमिहिर  द्वारा सम्राट के सहयोग से किया गया था। साथी दोस्तों राजधानी दिल्ली के निकट ही बसा ग्राम मिहरावली जिसे हम लोग महरोली के नाम से जानते हैं।
आचार्य वराहमिहिर के नाम से ही बताया गया था।

        दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर माना जाता है कि अनुमानतः 2200 वर्ष पूर्व आचार्य वराहमिहिर ने 29 नक्षत्रों नौ ग्रहों एवं ध्रुवतारे को इंगित या बोध कराने के लिए एवं अंतरिक्ष से संबंधित जानकारियों को प्राप्त करने के लिए प्राचीन भारत के और आज के राजधानी दिल्ली स्थित एक बड़े सरोवर के मध्य एक मेरु स्तंभ का निर्माण करवाया था।
      दोस्तों आश्चर्य की बात यह है कि इस अद्भुत मेरु स्तंभ की ऊंचाई प्रसिद्ध मेरु पर्वत की ऊंचाई के अनुपात में ली गई थी।
             दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से 7 ग्रहों के अनुसार 7 मंजिलें और नीचे से ऊपर की ओर 29 नक्षत्रों के संख्या के हिसाब से 29 गवाक्ष यानी रोशनदान बने हुए थे।
              दोस्तों अद्भुत रूप से स्तंभ के निर्माण में स्तंभ के अंदर वाले हिस्से में काले पत्थरों का प्रयोग हुआ है ताकि अंदर वाले हिस्से में बिल्कुल घोर अंधेरा रहे।
              दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से इस स्तंभ का मुख्य दरवाजा उत्तरी ध्रुव की ओर इंगित करता हुआ बना हुआ है।
















दोस्तों प्राचीन भारतीय वास्तुकला या इंजीनियरिंग का कमाल है यह मेरु स्तंभ क्योंकि दोस्तों इस अद्भुत वेधशाला की नींव 16 गज गहरी और ऊंचाई लगभग 84 गज थी। साथ ही दोस्तो  इस स्तंभ का झुकाव 5 अंश दक्षिण की ओर है। दोस्तों आपको जानकर दुख होगा कि अंग्रेजों के शासनकाल में स्तंभ के ऊपरी झुकाव को तुड़वा दिया गया था । जिससे इसकी ऊंचाई 76 गज ही रह गई है।








       (  अद्भुत संयोग )

 दोस्तों मेरू स्तंभ की एक अन्य बहुत ही महत्वपूर्ण विशेषता है ।आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि प्रत्येक वर्ष 21 जून को 12:00 बजे इस स्तंभ की छाया पृथ्वी पर नहीं पड़ती है।दोस्त को छाया नहीं पड़ने का कारण यही है कि प्रत्येक वर्ष 21 जून को सूर्य भूमध्य रेखा से 23.4 डिग्री अक्षांश उत्तर की ओर रहता है।
                             आइए दोस्तों एक रहस्य और देखते हैं दोस्तों राजधानी दिल्ली भूमध्य रेखा से 28 . 5 डिग्री अक्षांश उत्तर की ओर है अतः इन दोनों अक्षांशों में 5 अंश का अंतर है अतः दोस्तों इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमारे प्राचीन ज्योतिषा आचार्यों द्वारा ज्योतिषी गणना के अनुसार स्तंभ निर्माण में ऊपरी हिस्से को 5 डिग्री दक्षिण की ओर झुकाव दिया था।
               दोस्तों माना जाता है कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान उस समय के इंजीनियरों को इस स्तंभ के टेढ़े होने का कारण समझ में नहीं आ सका था। अतः उन्हें इस स्तंभ के गिरने का खतरा महसूस होने लगा था। अतः दोस्तों उन ब्रिटिश इंजीनियरों ने स्तंभ के भार को कम करने के लिए स्तंभ के ऊपरी खंड को तोड़वा दिया था।   






            दोस्तों अद्भुत रूप से आचार्य वराहमिहिर के इस अलौकिक स्तंभ के चारों और 27 अन्य वेधशालाओं का निर्माण की गई थी जिन्हें 29 मंदिरों का समूह कहा जाता था। जिनमें हिंदू एवं जैन मंदिर भी शामिल थे।















लेकिन दोस्तों आगे चलकर दुर्भाग्यवश इन महत्वपूर्ण मंदिरों को मुस्लिम मुगल  आक्रमणकारी अत्याचारी कुतुबुद्दीन ऐबक ने तुड़वा कर मस्जिद में परिवर्तित करने का प्रयास किया था तथा उस पर अपना नाम खुदवा दिया था।
                दोस्तों सुखद बात यह है कि आक्रमणकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ करने के बावजूद इस महत्वपूर्ण भारतीय सांस्कृतिक धरोहर मेरु स्तंभ के ध्वंसावशेष   अभी भी भारतीय संस्कृति के धरोहर रहे किसी समय के प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण वेधशाला होने का आभास कराती रहती है। साथ ही दोस्तों अपनी अद्भुत विचित्रताओ से खगोल वैज्ञानिकों का
 ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रहती है।







     धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।

  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

 _________________________

      English translate
      __________________
















 Hello friends, I warmly greet all of you, Mountain Leopard Mahendra. Friends, on today's journey, I am taking you on the journey of Merudand or Meru Pillar capital Delhi, which today we all have changed the name of Qutub Minar given by the Mughal invaders.  know from


 So friends, let's go to India's oldest and most important Indian astrologer's observatory in the courtyard of Mainru Pillar located in Delhi.


 Merustambha or Garuda Pillar















 (   changed name Qutub Minar)


 Delhi Bharatvarsh


 Friends, in ancient India, many such observatories were built to study space at different places. Friends, you will be sad to know that the Muslim and barbaric invaders from outside have destroyed all the important cultural and historical and holy religious temples of India and from them.  Attached buildings and all important observatories were destroyed.

 Friends, in the present time, now only Merustambh is left in the important observatory located in Delhi, the capital of India, shedding tears over its plight.

 Because friends, today this ancient Indian cultural heritage has also been renamed by cruel invaders and tried to give their name or identity.  But friends, they cannot deny that it is a priceless heritage of Indian culture.  Which is impossible to hide or lie.














 Friends, studying many ancient documents and many eminent scholars of India have told through their deep studies and discoveries that Qutub Minar located in the capital Delhi was once a famous observatory of the whole world.








 (  construction period of the observatory  )


 Friends, this great pillar was built by the eminent astrologer Acharya Varahamihira in the Navaratnas of the great emperor of India, Veer Vikramaditya, with the help of the emperor, to study the space.  Friends, the village Mihravali, which is situated near the capital Delhi, is known by the name of Mehroli.

 It was told by the name of Acharya Varahamihira.






 Friends, on the basis of historical documents, it is believed that approximately 2200 years ago, Acharya Varahamihira, to indicate or understand the 29 constellations, nine planets and polar stars and to obtain information related to space, is a place in ancient India and today's capital Delhi.  A Meru pillar was built in the middle of the big lake.








 Friends, the surprising thing is that the height of this wonderful Meru pillar was taken in proportion to the height of the famous Meru mountain.

 Friends, surprisingly, there were 7 floors according to the 7 planets and 29 Gavaksha i.e. skylights were made according to the number of 29 constellations from bottom to top.

 Friends, wonderfully, in the construction of the pillar, black stones have been used in the inner part of the pillar so that the inner part remains absolutely dark.

 Friends, surprisingly, the main door of this pillar is made pointing towards the North Pole.
















 Friends, this Meru pillar is a marvel of ancient Indian architecture or engineering, because friends, the foundation of this wonderful observatory was 16 yards deep and the height was about 84 yards.  Also friends, the inclination of this pillar is 5 degrees towards south.  Friends, you will be sad to know that the upper inclination of the pillar was broken during the British rule.  Due to which its height has remained only 76 yards.








 (wonderful coincidence)


 Friends, there is another very important feature of Meru pillar. You will be surprised to know that every year on 21st June at 12:00, the shadow of this pillar does not fall on the earth. The reason why friend does not get shadow is that every year 21  In June, the Sun is 23.4 degrees north of the equator.

 Come friends let's see a secret and friends, the capital Delhi is 28 from the equator.  5 degree latitude is towards the north, so there is a difference of 5 degrees between these two latitudes, so friends, keeping this fact in mind, according to the astrological calculations by our ancient astrologers, the upper part was tilted towards 5 degree south in the pillar construction.

 Friends, it is believed that during the British rule, the engineers of that time could not understand the reason for the crookedness of this pillar.  So they started feeling the danger of falling of this pillar.  So friends, those British engineers had broken the upper section of the column to reduce the weight of the column.


>




 Friends, wonderfully 27 other observatories were built around this supernatural pillar of Acharya Varahamihira which was called a group of 29 temples.  In which Hindu and Jain temples were also included.















 But friends later, unfortunately, these important temples were demolished by the Muslim Mughal invader tyrant Qutubuddin Aibak and tried to convert it into a mosque and got his name carved on it.






 Friends, the pleasant thing is that despite the massive sabotage by the invaders, the ruins of this important Indian cultural heritage Meru Pillar still give the impression of being a famous and important observatory of some time, which was the heritage of Indian culture.  Along with this, friends of astronomers with their amazing quirks

 Keeps attracting attention.






 Thanks guys that's all for today.


 Mountain Leopard                Mahendra🧗🧗












             Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗






















Saturday, June 19, 2021

एक यात्रा एक ऐसे शिव धाम की जहां से कालांतर में शिव परिवार की मूर्तियां स्वयं अदृश्य हो गई है। भारतवर्ष के अद्भुत अलौकिक एकलिंग्वेश्वर महादेव मंदिर जो प्रत्येक वर्ष सिर्फ 1 दिन के लिए महाशिवरात्रि के दिन वक्त गणों के लिए खोला जाता है- जयपुर राजस्थान भारत. A journey to such a Shiva Dham from where the idols of Shiva family themselves have become invisible over time. India's wonderful supernatural Eklingveshwar Mahadev Temple, which is opened for only 1 day every year on the day of Mahashivratri for the time-Jaipur Rajasthan India.

Ek yatra khajane ki khoje





















  नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं भारतवर्ष के मरुस्थल  कहे जाने वाले राजस्थान के जयपुर शहर की यात्रा पर,  जहां हम देखेंगे पूरे भारत के सबसे चमत्कारी शिव मंदिरों में से एक को। जो अपने अलौकिकता के कारण पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। दोस्तों आप यकीन नहीं करोगे इस मंदिर के रहस्य को जिसे आज तक नहीं सुलझाया गया है।
  
 तो आइए दोस्तों चलते हैं एकलिंग्वेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा पर।















  एकलिंग्वेश्वर महादेव मंदिर

       जयपुर - राजस्थान

             भारतवर्ष
 दोस्तों प्राचीन एकलिंग्वेश्वर महादेव मंदिर भारतवर्ष के राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में स्थित एक प्राचीन शिवालय है। दोस्तों इस प्राचीन शिवालय के भवन यानी मंदिर का निर्माण आमेर जयपुर के "कुशवाहा" राजवंश के महाराजा "सवाई" जयसिंह द्वितीय जी ने अपने देखरेख में करवाया था।
          दोस्तों उस समय के दस्तावेजों में दर्ज है कि मंदिर की नक्काशी जयपुर रियासत काल के प्रसिद्ध वास्तुविद ब्राह्मण विद्याधर जी ने की थी।













☀️ दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से यह अलौकिक सिवालय वर्ष में सिर्फ एक ही बार महाशिवरात्रि के दिन खुलता है। ☀️

 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास और उसकी ऐतिहासिक घटनाओं की अभिव्यक्ति करने वाले अनेकों प्राचीन दिव्य मंदिर मौजूद है। दोस्तों उन्हीं में से एक है जयपुर स्थित अलौकिक एकलिंग्वेश्वर महादेव मंदिर।
          दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की दीवारें जहां प्राचीन राजस्थान की गुलाबी नगरी के इतिहास की अनेकों दंतकथाएं अपने अंदर छुपाई हुई है। दोस्तों वही एक और अद्भुत अलौकिकता इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।
                  दोस्तों इस महादेव मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुगण के लिए केवल शिवरात्रि के दिन ही खोले जाते हैं दोस्तों एकलिंग्वेश्वर  महादेव को अत्यंत पवित्र और चमत्कारी माना  गया है।दोस्तों ऐतिहासिकता व मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि यह प्राचीन मंदिर हमारी सोच से भी ज्यादा पुरानी है यानी दोस्तों जयपुर शहर के बसने से हजारों वर्ष पहले ही इस स्थान पर पवित्र शिवलिंग की स्थापना हो चुकी थी।













 ☀️दोस्तों एकलिंग्वेश्वर मंदिर अपने आप में किसी चमत्कारी घटना से कम नहीं है।☀️
 दोस्तों प्राचीन एक लिंगवे स्वर महादेव मंदिर भगवान भोलेनाथ शिव को समर्पित है दोस्तों जहां मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव चमत्कारी शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं । वहीं दोस्तों आश्चर्य की बात यह है कि बाबा भोलेनाथ के साथ ना तो माता पार्वती , भगवान गणेश और कार्तिकेय जी     भी नहीं मौजूद है ।
            दोस्तों कहां जाता है कि प्रारंभ में भगवान शिव के साथ शिव परिवार की भी स्थापना की गई थी , लेकिन अद्भुत रूप से कुछ समय बाद शिव परिवार की सभी प्रतिमाएं अपने आप गायब हो गई थी।
        जिसके बाद दोस्तों पुनः एक बार शिव परिवार की स्थापना की गई थी , लेकिन पुनः चमत्कारी रूप से शिव परिवार अदृश्य हो गए थे।दोस्तों कहां जाता है कि इन अलौकिक घटनाओं के बाद फिर से शिव परिवार की मूर्तियों को स्थापित करने का साहस किसी में नहीं हुआ । तब से लेकर आज तक भगवान भोलेनाथ अकेले इस प्राचीन मंदिर में विराजमान हैं।







☀️दोस्तों स्थानीय लोगों से पता चलता है कि यहां रियासत काल में राज परिवार की ओर से पूजा अर्चना की जाती थी। तथा श्रावण माह में रुद्राभिषेक व सहस्त्रघाट का आयोजन किया जाता था दोस्तों आज भी मंदिर की रखरखाव की व्यवस्था जयपुर राज परिवार की तरफ से ही किया जाता है।

बस दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।







      धन्यवाद दोस्तों
 
 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

_________________________
        English translate
        ___________________

 











 Hello friends, on today's journey, I am taking you on a journey to the city of Jaipur, Rajasthan, which is called the desert of India, where we will see one of the most miraculous Shiva temples in the whole of India.  Which is famous all over India due to its supernatural.  Friends, you will not believe the mystery of this temple which has not been solved till date.





 So friends, let's go on the journey of Ekalingveshwar Mahadev Temple.





 Eklingveshwar Mahadev Temple


 Jaipur, Rajasthan


 Bharatvarsh






 Friends Ancient Eklingveshwar Mahadev Temple is an ancient pagoda located in Jaipur city of Rajasthan state of India.  Friends, the building of this ancient pagoda i.e. temple was built by Maharaja "Sawai" Jai Singh II of "Kushwaha" dynasty of Amer Jaipur under his supervision.






 Friends, it is recorded in the documents of that time that the carving of the temple was done by Brahmin Vidyadhar ji, a famous architect of the princely state of Jaipur.






 ️ Friends, surprisingly this supernatural pagoda opens only once in a year on the day of Mahashivratri.  ️






 Friends, you will be surprised to know that there are many ancient divine temples expressing the ancient history of our India and its historical events.  Friends, one of them is the supernatural Eklingveshwar Mahadev Temple located in Jaipur.

 Friends, the walls of this ancient temple, where many fables of the history of the pink city of ancient Rajasthan are hidden inside themselves.  Friends, another amazing supernaturality makes it different from other temples of India.

 Friends, the doors of this Mahadev temple are opened for the devotees only on the day of Shivratri. Friends, Eklingveshwar, Mahadev is considered to be extremely holy and miraculous. Friends, it is said on the basis of historicity and beliefs that this ancient temple is older than our thinking.  That is, thousands of years before the settlement of Jaipur city, the holy Shivling was established at this place.








 ️Friends Eklingveshwara temple is no less than a miraculous event in itself.️

 Friends, the ancient one Lingaway Swara Mahadev Temple is dedicated to Lord Bholenath Shiva, where Lord Shiva is seated in the form of a miraculous Shivling in the sanctum sanctorum of the temple.  On the other hand, the surprising thing is that neither Mata Parvati, Lord Ganesha and Kartikeya ji are present with Baba Bholenath and at the same time Baba Nandi is also not present, friends.







 Where does friends go that initially Shiva family was also established with Lord Shiva, but after some time amazingly all the idols of Shiva family disappeared on their own.







 After which friends once again the Shiva family was established, but again miraculously the Shiva family had disappeared. Friends, where does it go that after these supernatural events, no one has the courage to install the idols of Shiva family again.  happen .  Since then till today Lord Bholenath is sitting alone in this ancient temple.








 Friends, it is known from the local people that during the princely period, worship was done on behalf of the royal family.  And in the month of Shravan, Rudrabhishek and Sahastraghat were organized, friends, even today the arrangement for the maintenance of the temple is done by the Jaipur royal family only.






 That's all for today guys.



 thanks guys






 Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗



















 





 

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...