Tuesday, January 12, 2021

एक यात्रा उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित नीती गांव के टिम्मरसैंण पहाड़ी पर स्थित एक गुफा की जहां विराजमान हैं बाबा बर्फानी की ही तरह एक और बाबा बर्फानी , जो अलौकिक और अद्भुत हैं A visit to a cave located on the Timmarsain hill of Neeti village in Chamoli district of Uttarakhand where there is another Baba Barfani, who is supernatural and wonderful, just like Baba Barfani.

Ek yatra khajane ki khoje






                  
         टिम्मरसैण पहाड़ी पर स्थित गुफा में मौजूद बाबा बर्फानी
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 बाबा बर्फानी अमरनाथ की तरह ही एक और बाबा बर्फानी मौजूद हैं जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले की नीति घाटी में टिम्मरसैंण पहाड़ी में मौजूद गुफा में विराजमान होते हैं।।


 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप लोगों को लेकर चल रहा हूं । चीन सीमा से सटे देश के अंतिम गांव  नीती की यात्रा पर जहां पर मौजूद  टिम्मरसैंण की पहाड़ियों में स्थित गुफा में विराजते हैं एक और बाबा बर्फानी। यानी बर्फ की प्राकृतिक शिवलिंग  ।






  दोस्तों यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि बाबा अमरनाथ की ही तरह उत्तराखंड में भी बाबा बर्फानी विराजमान होते हैं। जोकि चमोली जिले के भारत चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव नीति घाटी में मौजूद  टिम्मरसैंण पहाड़ी पर स्थित गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में विराजमान होते हैं। और दोस्तों गुफा की छत से टपकने वाले जल शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। जो कि बहुत ही मनोरम दृश्य उत्पन्न करते हैं। दोस्तों पहाड़ों पर बर्फबारी अच्छी रही तो इस साल अप्रैल-मई तक शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते हैं। दोस्तों यहां पहुंचने के बाद मानो ऐसा लगता है जैसे की हम सभी शिव लोक में आ गए हैं चारों ओर बर्फ की सफेद चादर ऐसा मनोरम दृश्य उत्पन्न करता है जैसे मानो कि स्वयं शिव लोक  धरती पर उतर आई हो। और स्वयं भगवान गणेश बाल्यावस्था में इन घाटियों में बाल क्रीड़ा कर रहे हो। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन्हीं घाटियों में भगवान गणेश का जन्मस्थली भी है जो दोडी ताल लेक के पास स्थित है। जो उत्तरकाशी जिले में पड़ता है। जो अपने अनुपम सौंदर्य के कारण देसी-विदेशी  पर्यटको  में काफी मशहूर है और यहां लोग माता की मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं।। 





 दोस्तों अब तो भारत सरकार ने टिम्मरसैंण को इनर लाइन की बंदिशों से भी मुक्त कर दिया है जिसके बाद उत्तराखंड सरकार इसके प्रचार प्रसार के लिए योजना बनाने में जुट गई है और साथ ही साथ मार्च में टिम्मरसैंण महादेव की यात्रा की आयोजन की तैयारी में लग चुकी है। और अनुमान लगाया जा रहा है कि हजारों स्थानीय लोग इस यात्रा में शामिल होंगे और साथ ही साथ देस विदेशी पर्यटक भी इस यात्रा में शामिल होंगे । और बाबा बर्फानी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे। और साथ ही साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे।



         गुफा में मौजूद बाबा बर्फानी की अद्भुत शिवलिंग
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 दोस्तों चीन सीमा से सटे चमोली जिले के अंतर्गत जोशीमठ से बिरासी किलोमीटर की दूरी पर नीती घाटी मौजूद है और इसी खूबसूरत  नीति घाटी में भारत देश का अंतिम गांव नीती स्थित है। और इस घाटी में मौजूद है टिम्मरसैंण महादेव यानी बाबा बर्फानी की अलौकिक  गुफा । दोस्तों शरद ऋतु में इस गुफा में आकार लेने वाले शिवलिंग की ऊंचाई 6 से 8 फुट तक होती है। दोस्तों स्थानीय लोग यहां पूजा अर्चना करने आते हैं , लेकिन 'इनर लाइन' की बंदिशों के कारण अन्य क्षेत्रों के श्रद्धालु गण यहां नहीं आ पाते हैं क्योंकि उन्हें यहां आने की अनुमति नहीं है।परंतु अब बंदिश समाप्त हो जाने के कारण बाहर के भी श्रद्धालु गण यहां पूजा अर्चना करने आ सकते हैं। 




  दोस्तों दरअसल में यह भारतीय क्षेत्र सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए इसे 'इनर लाइन' के दायरे में रखा गया था और बाहरी लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित किया गया था। परंतु टिम्मरसैंण महादेव के धार्मिक महत्व को देखते हुए एवं इस घाटी में साहसिक पर्यटन की अपार संभावना को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को नीती घाटी में पर्यटन की अपार संभावना को बताते हुए आग्रह किया कि इस क्षेत्र को 'इनर लाइन' की बंदिशों से मुक्त किया जाए। और इस क्षेत्र की उचित विकास किया जाए और यहां रहने वाले लोगों को उचित रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। अतः इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष दिसंबर में इनर लाइन को आगे बढ़ाते हुए नीती घाटी के टिम्मरसैंण को इससे बाहर कर दिया। अतः दोस्तों अब उत्तराखंड सरकार यहां तीर्थाटन और पर्यटन की गतिविधियों को बढ़-चढ़कर बढ़ावा देगी।


                          भारत का अंतिम गांव नीती
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 नीती घाटी में स्थित  बाबा बर्फानी की यात्रा की तैयारी जोर शोर से चल रही है  :- दोस्तों चमोली जिले के जिला पर्यटन विकास पदाधिकारी के अनुसार 'इनर लाइन' से बाहर होने के बाद अब टिम्मरसैंण के लिए 'इनर लाइन' परमिट लेने की जरूरत नहीं रह गई है। आत: 2021 के मार्च महीने से टिम्मरसैंण महादेव यात्रा के  मद्देनजर सीमा सड़क संगठन से जोशीमठ से नीती घाटी तक जाने वाले सड़क को खुली रखने का आग्रह किया गया है। दोस्तों भारत के अंतिम गांव नीती के नजदीक से टिम्मरसैंण पहाड़ी पर गुफा तक पहुंचने के लिए करीब 2 किलोमीटर का पैदल रास्ता है जो कि काफी दुर्गम है। अतः दोस्तों नीती घाटी की विषम परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन यात्रियों की संख्या के निर्धारण को लेकर मंथन कर रही है। और साथ ही साथ नीति गांव और आसपास के गांव में पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था कर रही है। जिसकी रूपरेखा जिला प्रशासन तैयार कर रही है।एवं दोस्तों जिला पर्यटन विकास पदाधिकारी के अनुसार यात्रा के लिए उन्हीं व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे। आत: वैसे लोग ही बाबा बर्फानी  कि दर्शन कर पाएंगे जो हर तरह से स्वस्थ  होंगे।







 धार्मिक यात्रा के साथ-साथ साहसिक खेलों की अपार संभावना है  :-  दोस्तों उच्च हिमालई क्षेत्र में स्थित चमोली जिले के मलारी, बांपा , गमशाली  व अंतिम गांव नीती देश के सीमांत गांवों में से एक है । दोस्तों शरद ऋतु में अत्यधिक बर्फबारी होने पर इन गांव के निवासी जोशीमठ समेत हिमालय के निचले क्षेत्रों में आ जाते हैं। इसके बावजूद धार्मिक यात्रा और साहसिक पर्यटन के दृष्टिकोण से यह पूरा क्षेत्र खासा महत्व रखता है।दोस्तों बर्फ की सफेद चादर से ढकी चोटियों के साथ ही हिमालय की ऊंची भागों में स्थित यानी कि उच्च हिमालय में स्थित घास के बड़े-बड़े मैदान जिसे हम सभी 'बुग्यालों'  के नाम से जानते हैं। दोस्तों आश्चर्यचकित करने वाली इन घास के मैदानों की खूबसूरत नजारा हर किसी को अपने मोहपाश में बांध लेती है। जो हम जैसे यात्रियों को एक अजीब सी सुकून देती है एवं मन और शरीर यहीं का होकर रह जाता है।  और साथ ही साथ टिम्मरसैंण के बाबा बर्फानी के दर्शन नए उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है। 





                                         आदि बद्री
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 अतः दोस्तों टिम्मरसैंण महादेव की यात्रा शुरू होने से जहां देवभूमि में भी देश भर के पर्यटकों व श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन होंगे। साथ ही साथ सीमांत क्षेत्रों में धार्मिक यात्राओं और पर्यटन की गतिविधियों के शुरू हो जाने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे इससे सीमांत क्षेत्रों में पलायन भी रुक जाएगा जो कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से बहुत ही आवश्यक था।  अतः दोस्तों भारत के अंतिम गांव में स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन करने जरूर आएं और यहां की अलौकिक खूबसूरती का अवलोकन करने ना भूलें।





                   धन्यवाद दोस्तों
                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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            English translate
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                                          योग बद्री
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  Like Baba Barfani Amarnath, there is another Baba Barfani who sits in a cave in the Timmarsain hill in the Niti Valley of Chamoli district of Uttarakhand.



 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm welcome to all of you guys, today I am walking with you guys.  Another Baba Barfani sits in a cave located in the Timmarsain hills, where Neeti, the last village in the country bordering China.  That is, the natural Shivling of ice.







 Friends, you will be surprised to know that, like Baba Amarnath, Baba Barfani sits in Uttarakhand.  The last village on the Indo-China border in Chamoli district sits as a natural Shivling in a cave on the Timmarsain hill in the Niti Valley.  And friends do water bathing of Shivalinga, which drips from the roof of the cave.  Which produce a very panoramic view.  Friends, if the snowfall in the mountains is good, then the Shivling can be seen from April to May this year.  Friends, after reaching here, it seems as if we have all come to Shiva Loka, the white sheet of snow around creates such a panoramic view as if Shiva Loka himself has come down to earth.  And Lord Ganesha himself is playing child in these valleys in his childhood.  Friends, you will be surprised to know that in these valleys there is also the birthplace of Lord Ganesha which is located near Dodi Tal Lake.  Which falls in Uttarkashi district.  Which is very famous among domestic and foreign tourists due to its unique beauty and people come here to offer prayers in the temple of Mother.



      
     
                           भविष्य बद्री
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 Friends, the Government of India has also freed Timmarsain from the restrictions of the inner line, after which the Uttarakhand government has started planning for its publicity and at the same time has been preparing to organize the journey of Timmarsain Mahadev in March.  is.  And it is estimated that thousands of local people will join this journey as well as the des foreign tourists.  And Baba will get the good fortune to visit Barfani.  And at the same time local youth will also have the means of employment.






 Friends, Neeti Valley is present at a distance of eighty-two kilometers from Joshimath under the Chamoli district, adjacent to the China border, and in this beautiful Neeti Valley, the last village of the country of India is Neeti.  And in this valley exists Timmarsain Mahadev i.e. the supernatural cave of Baba Barfani.  Friends, the Shivalinga that takes shape in this cave in the autumn is 6 to 8 feet in height.  Friends local people come here to offer prayers, but due to the restrictions of the 'inner line', devotees from other areas are not able to come here because they are not allowed to come here.  Ganes can come here to worship.






 Friends, in fact, this Indian region is very important from a strategic point of view, so it was kept within the scope of 'Inner Line' and the movement of outsiders was restricted.  But seeing the religious significance of Timmarsain Mahadev and the immense potential for adventure tourism in this valley, the State Government urged the Central Government to convey the immense potential of tourism in Neeti Valley, by restoring the region to 'inner line'  Be released  And proper development of this area should be done and proper employment can be provided to the people living here.  Therefore, in view of the immense potential of tourism in this region, the Central Government in December last year moved the inner line out of the Timmarsain of Neeti valley by extending it.  So friends, Uttarakhand government will give a big boost to the pilgrimage and tourism activities here.



 
   
                              रूद्र नाथ देवालय
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 Preparations for the visit of Baba Barfani located in Neeti Valley are going on loudly :- According to the District Tourism Development Officer of Chamoli district, after getting out of 'Inner Line', there is no need to get 'Inner Line' Permit for Timmarsain.  It is left.  A: In view of the Timmarsain Mahadev Yatra from March 2021, the Border Roads Organization has been requested to keep the road from Joshimath to Neeti Valley open.  Friends, from the last village of Neeti, India, there is a walk of about 2 kilometers to reach the cave on Timmarsain hill, which is quite inaccessible.  Therefore, in view of the uneven conditions of the Friends Neeti Valley, the district administration is brainstorming on determining the number of passengers.  And at the same time the policy is making arrangements for tourists to stay in the village and the surrounding village.  According to the District Administration, which is being prepared by the District Administration and Friends, according to the District Tourism Development Officer, priority will be given to those persons who will be physically and mentally healthy for traveling.  Aath: Only such people will be able to see Baba Barfani who will be healthy in every way.








 Along with the religious journey, there is immense possibility of adventure sports :- Friends, Malari, Bampa, Gamshali and the last village of Neeti is one of the frontier villages of the country in Chamoli district located in the high Himalai region.  Friends, due to excessive snowfall in the autumn, the residents of these villages migrate to the lower regions of the Himalayas, including Joshimath.  Despite this, the entire region is very important from the point of view of religious travel and adventure tourism. The two peaks covered with white sheets of snow are located in the higher parts of the Himalayas, that is, the large grasslands in the high Himalayas which we all  Known as 'Bugyalas'.  Surprising friends, the beautiful views of these grasslands tie everyone in their entourage.  Which gives a strange relief to the travelers like us and the mind and body remain here.  And at the same time, the vision of Baba Barfani of Timmarsain infuses new enthusiasm and energy.







 So, with the commencement of the journey of friends Timmarsain Mahadev, where devotees and devotees from all over the country will see Baba Barfani in Devbhoomi.  At the same time, with the commencement of religious travel and tourism activities in the border areas, employment opportunities will be created, this will also prevent migration to the border areas which was very important from the security point of view.  Therefore, friends must come to visit Baba Barfani located in the last village of India and do not forget to observe the supernatural beauty of the place.



 
       
                    वसु धारा जलप्रपात
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 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗









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Monday, January 11, 2021

अद्भुत , अलौकिक और रहस्यों से परिपूर्ण श्रापित किराड़ू मंदिर - राजस्थान भारतवर्ष. Wonderful, supernatural and full of mysteries cursed Kiradu temple - Rajasthan India

Ek yatra khajane ki khoje











                             

                               अद्भुत किराडू मंदिर
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                         Amazing Kiradu Temple
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 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗 आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों मैं आज अपने  'एक यात्रा खजाने की खोज' के दरमियान आ पहुंचा हूं। रेत की दुनिया में जी हां अलौकिक और खूबसूरत राजस्थान की यात्रा पर। दोस्तों न जाने कितने रहस्य और दंत कथाओं को अपने अंदर समेटे हुए हैं यह मरुभूमि। दोस्तों इस मरूभूमि ने ना जाने कितने रहस्यमई कहानियां और अलौकिक लोक  संगीत को जन्म दिया है जिसे कलमबद्ध करना हम जैसे यात्रियों के लिए असंभव है क्योंकि इस मरूभूमि के कण-कण में ऐतिहासिक और लोक नायकों की आत्माये निवास करती हैं । दोस्तों मैं नमन करता हूं इस मरुभूमि को जिसने असंख्य योद्धाओं को जन्म दिया है।




 अद्भुत , अलौकिक और रहस्य से परिपूर्ण श्रापित किराडू मंदिर राजस्थान भारतवर्ष


        
   
                    खूबसूरत किराडू के खंडहर
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                         Ruins of beautiful kiradu
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   दोस्तों मैंने भी इस मरूभूमि की यात्रा पर न जाने कितनी ही अलौकिक और रहस्यमई घटनाओं को महसूस किया था । और साथ ही साथ ही इस मरूभूमि में मैंने जीवन की कठिन से कठिन पहलुओं को जाना और समझा। और दोस्तों मरूभूमि की इस यात्रा के दौरान ही मैं राजस्थान के सबसे रहस्यमई और अलौकिक मंदिर किराडू मंदिर के प्रांगण में पहुंचा।और यहां के लोगों ने मुझे जब इस मंदिर की दंतकथा सुनाई तू मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। क्योंकि दोस्तों मैं जिस समय इस मंदिर में पहुंचा था शाम होने में कुछ ही समय बचा हुआ था यानी कुछ ही समय के अंतराल पर अंधेरा होने वाला था। क्योंकि सूर्य देव पश्चिम दिशा में क्षितिज पर डूबने वाले थे और चंद्र देव का आगमन होने वाला था।






  अतः दोस्तों दूसरे दिन आने के बारे में सोच कर मैं जल्द से जल्द ग्रामीणों के साथ किराडू मंदिर से दूर उस ग्रामीण के साथ उसके गांव की ओर चल पड़ा जहां मैं रात को रुकने वाला था। दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मरूभूमि की रेत दिन में जितनी शांति पैदा करती है सूर्य के ढलने के बाद यही शांति और खामोशी उतनी ही खौंफ और सिहरन पैदा करती है।  





       
               
          विखंडित मूर्तियां
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                        Disintegrated sculptures
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 दोस्तों मरुभूमि का एक बहुत ही खूबसूरत शहर है बाड़मेर जो बहुत ही समय तक खामोशी की चादर को लपेटे हुए था लेकिन अब वर्तमान समय में मरुभूमि का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है जिसकी वजह है श्रापित किराडू मंदिर।







 दोस्तों मुझे अपने ग्रामीण दोस्त जो यही के थे महावीर सिंह के साथ उनके गांव पहुंचते-पहुंचते शापित किराडू मंदिर की सीमाओं से काफी दूर रात के 8:30 बज चुके थे। दोस्तों जब मैं महावीर सिंह की गांव पहुंचा तो गांव की खूबसूरती देखकर अचंभित हो गया था ।गांव के चारों ओर   बड़े-बड़े टिल्ले थे। दोस्तों जिस कारण से रात्रि के समय गांव की खूबसूरती देखते ही बन रही थी। और इस समय सभी ग्रामीण अपने घरों में रात की खाने की तैयारी में लगे हुए थे। और मेरे जैसे बहुत सारे पर्यटक जिनमें से विदेशी पर्यटकों की संख्या भी काफी थी। वे सभी लोग गांव में ही स्थित एक खंडहरनुमा हवेली में जो कि काफी प्राचीन लग रहा था जिसके ऊपर छत नहीं था , शायद समय के कालखंड में ढह गया होगा। और इसी खंडहर नुमा हवेली के बीच में आग जल रहा था और चारों ओर कालीन बिछा हुआ था।और सभी लोग उसके चारों और बैठ कर बातें कर रहे थे और कुछ लोग नाच गान कर रहे थे।




               
                 
  खूबसूरत स्तंभ कलाकृति
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                         Beautiful column artwork
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 जैसा कि दोस्तों आप लोगों को पता नहीं होगा कि रात के समय में मरुस्थल में काफी ठंड पड़ती है अतः दोस्तों रात के समय खुले आसमान के नीचे टिमटिमाते तारो और चांद को निहारते हुए आग तापने का मजा ही कुछ और होता है। दोस्तों ऊपर चांद की शीतलता और नीचे मरूभूमि की ठंडक और चारों ओर दूर-दूर तक फैली अंधकार वातावरण में अजीब सी खौफ पैदा कर रही थी। फिर भी सारे पर्यटक आग के चारों ओर बैठकर अपनी ही दुनिया में मस्त थे।






 अतः दोस्तों मैं भी अपना सारा सामान महावीर सिंह को देकर उनको उनके घर भेज दिया जहां मैं रुका था और मैं पर्यटको के समूह में शामिल हो गया और उनसे बातें करने लगा। एवं मरुभूमि की शीतलता में आग की गर्मी का मजा लेने लगा। दोस्तों बातों ही बातों में पता चला कि ये लोग भी किराडू मंदिर की ही यात्रा पर आए हुए हैं लेकिन श्राप के खौफ के करण कोई भी पर्यटक रात्रि के समय वहां रूकना नहीं चाहता था। इसलिए ये सभी लोग इस दुरदराज के गांव में शरण लिए हुए थे। और सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन दोस्तों समुह में कुछ ऐसे भी साहसी  लोग थे जो रात्रि के समय ही  किराडू मंदिर जाने की तैयारी में थे  , लेकिन गांव वालों के विरोध के कारण वे लोग जा नहीं पा रहे थे। अतः दोस्तों जैसे जैसे रात गहरी हो रही थी वैसे वैसे चारों ओर वातावरण में अजीब सी खामोशी  छाने लगी थी । और वैसे वैसे सारे पर्यटक अपने अपने ठिकानों पर सोने जा रहे थे और जबकि सारे विदेशी पर्यटक अपने अपने टेंटों में जा चुके थे। और मैं भी अपने दोस्त महावीर सिंह के घर पर लौट चुका था । और रात्रि का भोजन करने के बाद मिट्टी के बने बहुत ही खूबसूरत दो मंजिलें मकान के छत पर सोने चला गया। लेकिन मैं कोठरी के अंदर न सोकर बाहर लगे  चारपाई पर ही लेट गया और चांद तारों को देखते देखते न जाने कब मुझे नींद आ गई पता ही नहीं चला।





     
     
                         बहुत ही सुंदर रचना
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                            Very beautiful creation
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 दोस्तों सुबह में मेरी नींद जब महावीर सिंह मुझे चाय के लिए उठाने आए तो खुली। लेकिन आदतन मैंने सबसे पहले महावीर सिंह जी से गर्म पानी मांगा और गर्म पानी पीने के बाद में फ्रेश होने चला गया। और बाथरूम से तैयार होकर बाहर आया। तब तक नाश्ता भी लग चुकी थी अतः हम सभी लोग एक साथ बैठकर नाश्ता करने लगे और किराडू मंदिर कैसे चल से जल्द पहुंचा जाए इस पर चर्चा करने लगे। और नाश्ता समाप्त करने के बाद मैंने फटाफट अपना बैग और कैमरा उठाया और महावीर सिंह के साथ चल दिया किराडू मंदिर की ओर।








 दोस्तों रास्ते में वे सभी पर्यटक मुझे मिले जिनसे रात में मेरी मुलाकात हुई थी ।और जल्द ही हम सभी बातें करते-करते किराडू मंदिर पहुंच चुके थे।दोस्तों सुबह के समय में किराडू मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही थी।  बहुत ही अलौकिक दृश्य उत्पन्न हो रहा था ,जैसे जैसे सूर्य की रोशनी मंदिर पर पड़ रही थी वैसे वैसे मंदिर की भव्यता निखार आते जा रही थी। मानो जैसे एक अलौकिक रोशनी प्रस्फुटित हो रही हो। दोस्तों क्या बताऊं सूर्य की रोशनी में इतनी भव्यता तो  रात्रि में चांद की रोशनी में कितना भव्य दिखता होगा यह मंदिर यह सोचकर मैं आज भी रोमांचित हो उठता हूं। अतः  दोस्तों मैं किसी न किसी दिन रात्रि के समय में इस मंदिर की यात्रा पर जरूर आऊंगा।




               
               
 अद्भुत स्तंभों पर की गई कलाकृति  
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                  Artwork on amazing pillars
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 दोस्तों किराडू मंदिर अपने अद्भुत एवं अलौकिक शिल्प कला और अपने मशहूर लोक प्रचलित श्रापित दंतकथा के अनुसार इस मंदिर की यात्रा पर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटको को न केवल आश्चर्यचकित करती है बल्कि उनके मन में प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के लिए आश्चर्य एवं कौतूहल पैदा करती है । दोस्तों प्राचीन और ऐतिहासिक दस्तावेजों की माने तो किराडू को मंदिरों का शहर या मरूभमि का 'खजुराहों' भी कहा जाता है दोस्तों किराडू मुख्यत:
 पांच मंदिरों का एक भव्य श्रृंखला है जिसमें एक भगवान विष्णु को समर्पित है और अन्य भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करते हैं।








 श्रापित मंदिर:-  दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि 11वी और 12 वीं शताब्दी में किराडू सम्राज्य अपने वैभव काल में थी। जब परमार वंश के राजा सोमेश्वर ने किराडू राज्य के विकास के लिए काफी मेहनत की और किराडू के वैभव को इतिहास में अमर बना दिया था। दोस्तों इतिहासकारों का मानना है कि 13 वी और 14 वी शताब्दी के दौरान तूर्क आक्रमणकारियों ने इस पूरे क्षेत्र को बर्बर तरीके से लूटा और बर्बाद कर दिया था लेकिन एक किवदंती की की मानें तो स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार एक श्राप ने इस पुरे क्षेत्र को वीराना बना दिया था। 




                                         मंडप
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                                      Pavilion
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 दोस्तों किंवदंती  बताती है कि 12 वीं शताब्दी के आसपास एक महात्मा अपने शिष्यों के साथ यहां आए थे जिनका इस क्षेत्र में रहने वाले गांव वालों ने काफी स्वागत और सत्कार किया था। जिससे महात्मा काफी खुश हुए थे। और  ये महात्मा कुछ समय के बाद अपने शिष्य को यहीं पर छोड़ कर कहीं चले गए थे। और कुछ ही दिनों बाद वहां रुके हुए  शिष्य- गण किसी भयंकर बीमारी की चपेट में आ गए। इस बात की जानकारी होते हुए भी ग्राम वासियों ने अन्य शिष्यों की कोई मदद नहीं की। सिर्फ एक कुम्हारीन को छोड़कर। इस निर्धन वृद्धा ने जितना हो सके उतनी मदद की थी।









 दोस्तों इस बात की जानकारी होते हैं महात्मा वापस लौटे और अपने शिष्यों की चिंताजनक हालत देखकर बहुत ही क्रोधित हुए। और उन ग्राम वासियों को भयंकर श्राप दे दिया। कि तुम सभी पाषाण की तरह हो तुम लोगों ने मेरे शिष्यों की कोई मदद नहीं की इसलिए मैं तुम सभी को श्राप देता हूं कि तुम  सभी पाषाण की मूर्ति में बदल जाओ। और उस मददगार वृद्ध महिला को बोला की सूर्यास्त से पहले इस जगह को छोड़ दें अन्यथा वो भी  पाषाण की मूर्ति बन जाएंगी । उन्होंने उसे यह निर्देश भी दिया कि जातें समय  वो पलटकर पीछे नहीं देखेगी  अन्यथा तुरन्त पत्थर में बदल जाएंगी । भयवश वह कुम्हारन अपने घर की ओर भागी। और महात्मा भी अपने शिष्यों के साथ वहां से वापस लौट गए। लेकिन वह वृद्धा जब अपना घर छोड़ने लगी तो उसके मन में  श्राप के प्रति  संदेह पैदा हुआ और अपने घर के प्रति मोह भी उत्पन्न हुआं और उसने पलट कर पीछे देखा और वह तुरंत पाषाण की प्रतिमा में बदल गई।



     
              
 स्तब्ध कर देने वाली कलाकृतियां
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                                 Stunning artwork
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 दोस्तों जिसे मैंने रास्ते में पड़ने वाले सिंहणी गांव में देखा भी उस कुम्हारन की पाषाण की प्रतिमा। दोस्तों ग्रामीण बोलते हैं कि तब से वह श्राप आज भी प्रचलित है जिसके कारण आज भी कोई सूर्यास्त के बाद वहां रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।









 भारतवर्ष की अनुपम धरोहर:-  दोस्तों इसी किंवदंती के कारण यह  मंदिर पर्यटको  को अपनी और आकर्षित करती है और इसी आकर्षण के कारण मैं भी यहां खिंचा चला आया था। और यहां आकर इस मंदिर की भव्यता और मूर्तियों को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे इस मंदिर का निर्माण देवताओं ने किया हो।परंतु कुछ भी कहो दोस्तों यह हमारे गौरवशाली अतीत का अनुपम धरोहर है।



             






           धन्यवाद दोस्तों

      माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗







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                 English translate
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  Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra 🧗 I warmly greet you all.  Friends, I have arrived today during my 'treasure hunt'.  Yes in the world of sand on a journey to the supernatural and beautiful Rajasthan.  Friends, do not know how many mysteries and legends are contained inside this desert.  Friends, this desert has given rise to many mysterious stories and supernatural folk music, which is impossible for the travelers like us to compose because the souls of historical and folk heroes reside in every particle of this desert.  Friends, I salute this desert which has given birth to innumerable warriors.






 Amazing, supernatural and full of mystery cursed Kiradu temple Rajasthan India






 Friends, I too had experienced many supernatural and mysterious incidents on this desert journey.  And at the same time I came to know and understand the most difficult aspects of life in this desert.  And friends, during this visit to the desert, I reached the courtyard of the most mysterious and supernatural temple of Rajasthan, the Kiradu temple. And people here told me the story of this temple when you were standing tall.  Because friends, when I reached this temple, there was little time left in the evening, that is, it was going to be dark at some time.  Because the Sun God was about to sink on the horizon in the west direction and the arrival of Chandra Dev was about to take place.







 So, thinking of coming to friends the next day, I walked with the villagers as soon as possible away from the Kiradu temple towards the village where I was going to stay the night.  Friends, you will be surprised to know that the peace of the desert in the day creates the same peace and silence after the sun sets.










 Friends, a very beautiful city of desert is Barmer which was wrapped in a sheet of silence for a long time but now it has become a famous tourist destination of desert in the present time due to which the cursed Kiradu temple.









 Friends, with my rural friend who belonged to this, Mahavir Singh, reaching his village, it was past 8:30, quite far from the boundaries of the cursed Kiradu temple.  Friends, when I reached the village of Mahavir Singh, I was amazed to see the beauty of the village. There were big tills around the village.  Friends, because of which the beauty of the village was being seen at night.  And at this time all the villagers were in their homes preparing for dinner.  And a lot of tourists like me out of which the number of foreign tourists was also considerable.  All of them may have collapsed in the period of time in a ruined mansion situated in the village which looked quite ancient, with no roof above it.  And in the midst of this ruined mansion, a fire was burning and carpet was spread all around. And all the people were sitting around and talking and some people were singing songs.









 As you guys may not know that it is very cold in the desert in the night time, so friends, watching the flickering taro and the moon under the open sky at night is the fun of heating the fire.  Friends, the coldness of the moon above and the coolness of the desert below and the far-reaching darkness was creating strange awe in the atmosphere.  Nevertheless, all the tourists were sitting around the fire in their own world.








 So friends, I also gave all my belongings to Mahavir Singh and sent him to his house where I stayed and I joined the group of tourists and started talking to them.  And started enjoying the heat of the fire in the coolness of the desert.  Friends came to know that these people have also come to visit the Kiradu temple, but due to the fear of curse, no tourist wanted to stop there at night.  So all these people took refuge in this Durdaraj village.  And were waiting for morning.  But there were some courageous people in the Friends group who were preparing to go to Kiradu temple at night, but due to the opposition of the villagers, they could not go.  Therefore, as the night was getting darker, strange atmosphere was being spread in the surroundings.  And by the way, all the tourists were going to sleep at their places and while all the foreign tourists had gone to their tents.  And I too had returned to my friend Mahavir Singh's house.  And after having dinner, two very beautiful floors made of clay went to sleep on the roof of the house.  But I did not sleep inside the closet, I lay down on the bedstead outside and did not know when I fell asleep while looking at the moon stars.










 Friends, I woke up in the morning when Mahavir Singh came to pick me up for tea.  But habitually I first asked for hot water from Mahavir Singh ji and after drinking hot water went to freshen up.  And came out of the bathroom ready.  By then breakfast was also served, so all of us started sitting together and having breakfast and started discussing how to reach Kiradu temple quickly.  And after finishing breakfast I immediately picked up my bag and camera and walked with Mahavir Singh towards Kiradu temple.










 Friends, I met all the tourists on the way whom I met at night. And soon we all reached the Kiradu temple while talking. The friends were seeing the grandeur of the Kiradu temple in the morning.  A very supernatural scene was being generated, just as the sunlight was falling on the temple, the grandeur of the temple was getting better.  As if a supernatural light is erupting.  Friends, what should I say, I am still thrilled to think that this temple would be so grand in the light of the sun and how gorgeous it would look in the moonlight at night.  Therefore, friends, I will definitely visit this temple at night time on some day.







 Friends, Kiradu Temple, according to its amazing and supernatural craftsmanship and its famous folk-famous cursed legend, not only surprises the foreigners visiting the temple, but also creates wonder and curiosity for the ancient Indian culture and civilization.  Does.  Friends, if ancient and historical documents are believed, Kiradu is also called the city of temples or the 'Khajuraho' of Marubhami.

 There is a grand series of five temples in which one is dedicated to Lord Vishnu and the other represents Lord Shiva.










 Cursed Temple: - Friends, historical documents show that the 11th century and 12th century Kingdom of Kiradu was in its grandeur.  When King Someshwar of Parmar dynasty worked hard for the development of Kiradu kingdom and the glory of Kiradu was made immortal in history.  Friends historians believe that during the 13th and 14th centuries, the Turk invaders looted and ruined this entire region, but according to a legend, a curse according to the local villagers made this entire region deserted.  Had given.









 Friends legend states that around the 12th century a Mahatma came here with his disciples who were greatly welcomed and welcomed by the villagers living in the region.  Due to which Mahatma was very happy.  And after some time these Mahatmas left their disciple and went somewhere.  And after a few days, the disciple, who was staying there, came in the grip of some terrible disease.  Despite knowing this, the villagers did not help other disciples.  Except just one potter.  This poor old woman helped as much as she could.











 Friends are aware of this, Mahatma returned and became very angry seeing the worrying condition of his disciples.  And gave a terrible curse to those villagers.  That all of you are like a stone, you guys did not help my disciples, so I curse you all that you all turn into a stone statue.  And said to the helpful old lady, leave this place before sunset, otherwise they will also become stone idols.  He also instructed her that at the time she would not turn back and look back, otherwise she would immediately turn into stone.  Frightened, the potter ran towards her house.  And the Mahatma also returned from there with his disciples.  But when the old lady started leaving her house, she had doubts about the curse and also a fascination for her house and she turned back and looked back and she immediately turned into a stone statue.










 Friends, I saw in the Sinhani village on the way, also a stone statue of that potter.  Friends villagers say that since then that curse is still prevalent today due to which no one can muster the courage to stop there after sunset.










 Anupam Heritage of India: - Friends, due to this legend, this temple attracts more tourists and due to this attraction, I was also drawn here.  And after coming here and looking at the grandeur and idols of this temple, it seems as if the Gods have built this temple, but say anything friends, it is a unique heritage of our glorious past.



 




 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗










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