Friday, January 29, 2021

यात्रा विजय मंदिर विदिशा मध्य प्रदेश भारतवर्ष की दोस्तों इस मंदिर को भी सोमनाथ मंदिर की तरह क्रूर और अत्याचारी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कई बार तोड़ा था और अंत में औरंगजेब ने इस मंदिर को तोपों से उड़ा दिया था। Yatra Vijay Mandir Vidisha Madhya Pradesh Friends of Bharatvarsha This temple, like the Somnath temple, was broken many times by cruel and tyrannical Muslim invaders and finally Aurangzeb blew this temple with cannons.

Ek yatra khajane ki khoje







                          विजय मंदिर के खंडहर
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                         Ruins of Vijay Temple
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                      विजय मंदिर

        विदिशा मध्य प्रदेश

             भारतवर्ष


 



 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗 आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप सभी लोगों को लेकर चल रहा हूं मध्य प्रदेश की यात्रा पर जहां हम एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर पहुंचेंगे जिसे बाहरी आक्रमणकारियों ने बार-बार थोड़ा और नुकसान पहुंचाया  और यहां तक कि हमारे इस धरोहर को अपना पहचान भी देने की कोशिश की लेकिन वह अपने मंसूबे में कभी कामयाब नहीं हो पाए । दोस्तों आज भी यह मंदिर अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं खंडहरों के रूप में। दोस्तों यह मंदिर है विजय मंदिर जो अपने अद्भुत निर्माण शैली के लिए विश्व विख्यात है।








     
            अपनी भव्यता को दिखाता खंडहरों के रूप में मौजूद मंदिर
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  Temples in the form of ruins showing their grandeur
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 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर के नाम पर ही विदिशा का नाम "भेलसा "रखा गया है या "भेलसा" के नाम से मशहूर हुआ है। दोस्तों सर्वप्रथम इस मंदिर के बारे में विश्व को अरब के इतिहासकार अलबरूनी के ऐतिहासिक स्रोतों से पता चला जो भारत में अरब के क्रूर आक्रमणकारी महमूद गजनी के साथ सन् 1024 ई. में भारत आया था।दोस्तों आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि यह मंदिर अपने समय काल में देश के विशालतम मंदिरों में से एक था। दोस्तों हमारे साहित्यिक स्रोत बताते हैं कि यह मंदिर आधा मील लंबा और आधा मील चौड़ा था एवं इसकी  ऊंचाई 105 गज थी  । जिससे मंदिर का कलश और ध्वज दूर से ही दिखाई पड़ते थे। दोस्तों इसकी भव्यता एवं सुंदरता को देखकर ही मुस्लिम आक्रमणकारियों को चिढ़ होती थी।जिस कारण से अत्याचारी आक्रमणकारियों ने हमारे इस भव्य मंदिर को लूटा और तोड़ दिया।









  यानी देखा जाए तो दोस्तों यह मंदिर अपनी विशालता एवं विश्व विख्यात होने के कारण हमेशा से क्रूर अत्याचारी मुस्लिम शासकों के आंखों का कांटा बना रहा और उन्होंने इसे कई बार लूटा और तोड़ा।









     
      विजय मंदिर की खूबसूरत अवशेष पत्थरों के रूप में
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     Beautiful remnants of Vijay temple in the form of stones

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 दोस्तों मंदिर की वास्तुकला एवं मूर्तियों की बनावट देखने से पता चलता है कि यह 10वीं एवं 12वीं सदी में इस क्षेत्र के प्रसिद्ध हिंदू शासकों के द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण  करवाया गया था ।दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि इस मंदिर पर मुस्लिम शासकों का आक्रमण परमार काल में ही शुरू हो गया था। दोस्त और सबसे पहला आक्रमण इस मंदिर पर दिल्ली के गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने सन् 1233 ईस्वी में किया था। इसने मंदिर के साथ-साथ पूरे नगर को लूटा और बर्बाद कर दिया था। दोस्तों इसके बाद पुनः एक और आक्रमणकारी जिसे हम सभी मलिक काफूर के नाम से जानते हैं जो मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का एक मंत्री था जिसने सन् 1459 ईस्वी में इस मंदिर पर आक्रमण किया और बुरी तरह से लूटा और साथ ही साथ यहां स्थापित 8 फुट की ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा को दिल्ली ले जाकर बदायूं दरवाजे की मस्जिद की सीढ़ियों में जुड़वा दिया था। दोस्तों यह जानकर आपको दुःख होगा कि आज भी भारत की इस अस्मिता को आक्रमणकारियों के वंशजों द्वारा पैरों तले रौंदा जा रहा है । 












 दोस्तों इसी प्रकार मांडू के मुस्लिम शासक महमूद खिलजी ने भी सन् 1459 ईस्वी में इस मंदिर पर आक्रमण करके लूटा - खसौटा और अंत में सन् 1682 ईस्वी में सबसे  क्रूर अत्याचारी मुस्लिम शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को तोपों से उड़वा दिया । मंदिर के खूबसूरत शिखरों को तोड़वा डाला और मंदिर के अष्टकोणीय भाग को चतुष्कोणीय  बनवा दिया। और साथ ही साथ मंदिर के अवशेषों से दो  मिनार बनवा दिया और उसे एक मस्जिद का रूप दे दिया ।





                                मंदिर के खूबसूरत स्तंभ
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                    Beautiful pillars of the temple
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 दोस्तों आप आज भी मंदिर के पार्श्व भाग में तोप के गोलो के निशान स्पष्ट रूप से देख सकते हो। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि अत्याचारी औरंगजेब के मरने के बाद मंदिर में मौजूद खंडित मूर्तियों की फिर से पूजा की जाने लगी। दोस्तों सन 1760 ईस्वी में पेशवा महाराज ने अत्याचारियों द्वारा बनवाए गए मस्जिद के स्वरूप को नष्ट कर दिया गया। और इस क्षेत्र में रहने वाले भोई  जाति के लोगों को माता के इस मंदिर में पूजा करने को कहा जो आज भी इस मंदिर में पूजा पाठ करते हैं।











 दोस्तों यह विजय मंदिर आज भी अपने अस्तित्व को खंडहरों के रूप में संजोए हुए हैं और अपने स्वर्णिम इतिहास की व्याख्यान कर रही है।







                  मंदिर परिसर में स्थित खूबसूरत बावड़ी
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                   Beautiful stepwell located in the temple complex
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                   धन्यवाद दोस्तों

              माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗









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            English translate
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               Vijay Temple
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         Vidisha Madhya Pradesh

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                      India
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 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra 🧗 I heartily congratulate all of you guys, today I am taking you all on a journey to Madhya Pradesh where we will visit a temple which is repeatedly damaged by external invaders  Transported and even tried to give his identity to this heritage of ours but he never succeeded in his plan.  Friends, even today this temple continues to exist as ruins.  Friends, this temple is Vijay Mandir which is world famous for its amazing construction style.








 Friends, you will be surprised to know that Vidisha is named after this temple "Bhelsa" or famously known as "Bhelsa".  Friends, the world first came to know about this temple from the historical sources of Arab historian Alberuni who came to India in 1024 AD with the brutal invader of Arab, Mahmud Ghazni. Friends, you will be surprised to know that this temple in its time  The period was one of the largest temples in the country.  Friends, our literary sources state that this temple was half a mile long and half a mile wide and its height was 105 yards.  Due to which the urn and flag of the temple were visible from a distance.  Friends, seeing the grandeur and beauty of it, the Muslim invaders were irritated due to which the tyrannical invaders looted and broke our grand temple.












 That is, friends, because of its vastness and world renown, this temple has always been a thorn in the eyes of the cruel tyrannical Muslim rulers and they looted and broke it many times.













 The architecture and sculpture of the Friends temple shows that this temple was rebuilt in the 10th and 12th centuries by the famous Hindu rulers of the region. Two historical sources suggest that the invasion of the Muslim rulers on this temple is permissible.  It had started in the era itself.  Friend and the first invasion of this temple was made by Iltutmish, the ruler of Delhi's slave dynasty in 1233 AD.  It looted and ruined the temple as well as the entire city.  Friends after this, again another invader whom we all know as Malik Kafur who was a minister of Muslim ruler Alauddin Khilji who attacked this temple in 1459 AD and looted it badly and at the same time established 8 feet here.  After taking the high octagonal statue to Delhi, it was added to the stairs of the mosque of Badaun Darwaza.  Friends, you will be sad to know that even today the identity of India is being trampled under foot by the descendants of the invaders.











 Friends, similarly, the Muslim ruler of Mandu, Mahmud Khilji, attacked and looted the temple in 1459 AD, and finally in 1682 AD, the most cruel tyrannical Muslim ruler Aurangzeb set the temple ablaze with cannons.  Torn down the beautiful peaks of the temple and made the octagonal part of the temple quadrangular.  And at the same time built two minars from the remnants of the temple and gave it the form of a mosque.












 Friends, you can still clearly see the marks of cannon balls in the lateral part of the temple.  Friends, historical sources suggest that after the death of the tyrannical Aurangzeb, the fragmented idols in the temple began to be worshiped again.  Friends, in 1760 AD, Peshwa Maharaj destroyed the form of mosque built by the oppressors.  And people of Bhoi caste living in this area asked to worship in this temple of Mother who still worship in this temple.
















 Friends, this Vijay temple still cherishes its existence as ruins and is lecturing its golden history.












 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗









                       Mountain lappord Mahendra
                                     🧗🧗



  




 




 




Tuesday, January 26, 2021

एक यात्रा पंचलींगेश्वर महादेव की गोविंदनाहल्ली कर्नाटक भारतवर्ष A visit to Panchlingeshwar Mahadev's Govindanahalli Karnataka India

Ek yatra khajane ki khoje


    



                      मंदिर परिसर में स्थित नंदी की प्रतिमा
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     Nandi's statue located in the temple premises
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           पंचलिंगेश्वर महादेव मंदिर

              गोविंदनाहल्ली

                  कर्नाटक

                 भारतवर्ष



  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लेपर्ड महिंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं ।दोस्तों आज की यात्रा पर हम चल रहे हैं पंचलिंगेश्वर महादेव मंदिर गोविंदानाहल्ली  कर्नाटक की यात्रा पर जो अपने अद्भुत निर्माण कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है लेकिन दोस्तों इसे जो पहचान और प्रसिद्धि मिलनी चाहिए था वह आज तक नहीं मिल पाया है ।चलिए दोस्तों अपने पूर्वजों के इस महान धरोहर को पास से अवलोकन करते हैं।










 दोस्तों पंच लिंगेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण होयसाला साम्राज्य के महान सम्राट राजा वीर सोमेश्वर के शासनकाल में किया गया था। इन्होंने मंदिर के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। दोस्तों आपको पता होगा कि पंच लिंगेश्वर  का शाब्दिक अर्थ होता है पांच लिंड जो कि भगवान शिव का सार्वभौमिक प्रतिक है। दोस्तों इस प्राचीन मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में संरक्षित किया गया है।






                               पंच लिंगेश्वर महादेव मंदिर
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               Panch Lingeshwar Mahadev Temple
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 दोस्तों माना जाता है कि होयसाल वंश के शासन काल के समय का प्रसिद्ध मूर्तिकार   "रूवरी मल्लितालम" ने इस मंदिर के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 













 दोस्तों प्रसिद्ध इतिहासकारों का मानना है कि होयसाल वास्तुकला में पंच लिंगेश्वर मंदिर का निर्माण एक रसमई और दुर्लभ उदाहरण है। क्योंकि पांचों मंदिर उत्तर दक्षिण अक्षीय योजना पर बना हुआ है जिनमें गर्भ गृह पूर्व दिशा में स्थित है । दोस्तों प्रत्येक मंदिर में गर्भगृह है जो एक हॉल से जुड़ा हुआ है जो ऊपर में एक चबूतरे पर खुलता है। साथ ही साथ दोस्तों पूर्व दिशा में स्थित बड़ा सा हाल है जिसमें बहुत सारे खंभे हैं जो अलग-अलग मंडप को आपस में जोड़ते है 






                             मंदिर परिसर में स्थित हॉल
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                 Hall located in the temple premises
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 दोस्तों मेरे पास शब्द नहीं है इस मंदिर की खूबसूरती की व्याख्यान करने के लिए अतः आप स्वयं आकर इस मंदिर की खूबसूरती का अवलोकन कर सकते हैं। और अपने पूर्वजों की वास्तुकला पर गर्व जिन्होंने इतनी खूबसूरत मंदिर का निर्माण करवाया था।।










                  धन्यवाद दोस्तों

                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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           English translate
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                   मंदिर की बाहरी दीवारों पर अद्भुत चित्रकारी
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          Amazing painting on the outer walls of the temple
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 Panchlingeshwar Mahadev Temple


 Govindanahalli


 Karnataka


 India








 Hello friends I heartily welcome all of you to the Mountain Leopard Mahindra. Friends, today we are going on a trip to Panchlingeshwar Mahadev Temple Govindanahalli Karnataka which is world famous for its amazing construction art but friends who get recognition and fame.  Wanted, it has not been found till date. Let's take a closer look at this great heritage of our ancestors.





                               अद्भुत देवी की मूर्ति
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                     Idol of amazing goddess
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 Friends Panch Lingeshwar Mahadev Temple was built during the reign of King Veer Someshwar, the great emperor of the Hoysala Empire.  He made his significant contribution in the construction of the temple.  Friends, you will know that Panch Lingeshwar literally means five lind which is a universal symbol of Lord Shiva.  Friends, this ancient temple has been preserved by the Archaeological Survey of India as a monument of national importance.











 Friends, it is believed that during the reign of the Hoysala dynasty, the famous sculptor "Ruvri Mallittalam" had contributed significantly to the construction of this temple.








                           सुंदर कलाकृति दीवारों पर
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                  Beautiful artwork on the walls
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 Friends Famous historians believe that the construction of Panch Lingeshwar Temple in Hoysala architecture is a rasamai and rare example.  Because the five temples are on the north-south axial plan, in which the garbha griha is located in the east direction.  Friends, each temple has a sanctum sanctorum which is connected by a hall which opens on a platform above.  At the same time, there is a large hall located in the east direction with many pillars that connect different pavilions.









 Friends, I do not have the words to explain the beauty of this temple, so you can come and see the beauty of this temple yourself.  And proud of the architecture of his ancestors who built such a beautiful temple.



                     दीवारों पर उकेरी गई अद्भुत रचना
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              Amazing work engraved on the walls
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 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗















Amazing work engraved on the walls



















माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗










 

Saturday, January 23, 2021

अद्भुत और दुर्लभ बृहदेश्वर मंदिर - तंजावुर तामिलनाडु भारत वर्ष -अद्भुत और अलौकिक रहे होंगे दोस्तों इस मंदिर के निर्माण कर्ता जिन्होंने केवल पत्रों पर पत्थर रखकर इस मंदिर का निर्माण किया था Amazing and Rare Brihadeeswarar Temple - Thanjavur Tamil Nadu India Year - must have been wonderful and supernatural friends who built this temple only by placing stones on letters.

Ek yatra khajane ki khoje



                              मंदिर का विहंगम दृश्य
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                     A panoramic view of the temple
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              बृहदेश्वर मंदिर

      तंजावुर तमिल नाडु

 
            भारतवर्ष


  अद्भुत और अलौकिक रहे होंगे दोस्तों इस मंदिर के निर्माणकर्ता  जिन्होंने केवल पत्थरों पर पत्थर रखकर इस मंदिर का निर्माण कर दिया था। 






  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर हम चल रहे हैं बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर तमिलनाडु की जहां हम देखेंगे कि कैसे एक अलौकिक मंदिर सिर्फ पत्थरों के ऊपर पत्थर रखकर बनाया गया है इस अद्भुत और अलौकिक मंदिर जो हमारे पूर्वजों के अनमोल धरोहर है। 











 दोस्तो आप विश्वास नहीं करोगे कि हमारे देश भारत में एक ऐसा मंदिर है यानी मौजूद है जो केवल पत्थरों के ऊपर पत्थर रखकर बनाया गया है जो अद्भुत रूप से 216 फीट ऊंचा है दोस्तों यह मंदिर हजारों वर्षों से अपने अलौकिक इतिहास को अपने में समेटे हुए बिना झुके खड़ा है।







                        शाम के समय का दृश्य मंदिर का
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                        Evening scene of temple
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 दोस्तों अद्भुत अलौकिक बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु के छोटे से शहर तंजावुर में स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है इस मंदिर का निर्माण महान सम्राट चोल ने 1010 ईस्वी में करवाया था जो भगवान शिव का अनन्य भक्त था।। 









 दोस्तों यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। दोस्तों मंदिर चारों ओर से ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। दोस्तों मंदिर का मुख्य दरवाजा लगभग 30 मीटर ऊंचा है । दोस्तों इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में नंदी मंडप  , प्रार्थना मंडप एवं अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर बने हुए हैं। जो कि अन्य कालखंड में  इस क्षेत्र के अन्य राजाओं ने बनवाए थे ।









 दोस्तों यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि यह विश्व की एकमात्र मंदिर है जो पूरी तरह से ग्रेनाइट पत्थरों से बनी हुई है। दोस्तों उस कालखंड में इस मंदिर को बनाने में 1 . 3 टन पत्थरों का उपयोग किया गया था। दोस्तों सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर के 60 से 70 किलोमीटर के दायरे में   कोई पहाड़ स्थित नहीं है दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि ग्रेनाइट पत्रों को यहां तक लाने के लिए 3000 से लेकर 4000 हाथियों का प्रयोग किया गया था।






                               अद्भुत निर्माण शैली
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                     Amazing construction style
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 दोस्तों माना जाता है कि जिस कालखंड में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ था उस समय यह विश्व की सबसे ऊंचा मंदिर था।जो सारे संसार में हमारी स्थापत्य कला का लोहा मनवाने में सक्षम था ।दोस्तों आश्चर्य की बात है कि इस मंदिर के निर्माण   में केवल 7 वर्ष लगे थे । जो कि एक ऐतिहासिक प्रमाण है।











 दोस्तों एक और आश्चर्य करने वाली बात है । दोस्तों मंदिर के शिखर जिसे हम विमान भी कहते हैं कि ऊपर स्थापित पत्थर का बना कुंभ का वजन लगभग 81 टन है जो कि एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया था। दोस्तों यही आश्चर्य करने वाली बात है कि इस पत्थर को 200 फीट की ऊंचाई पर कैसे स्थापित किया गया होगा। उस कालखंड में , जबकि आज के आधुनिक समय में भी असंभव है या मुश्किल भरा काम है। लेकिन हमारे पूर्वजों ने आज से हजारों वर्ष पूर्व इस कार्य को संभव बना दिया था।











 दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि इस भारी पत्थर को मंदिर के ऊपर लगाने के लिए एक 6 किलोमीटर लंबी और ऊंचा एक रैंप तैयार किया गया था। जिस पर हाथियों की सहायता से इस पत्थर को खींचकर ऊपर तक पहुंचाया गया था।दोस्तों आप सभी इस मंदिर की निर्माण की भव्यता का अंदाज केवल इस एक घटना से ही लगा सकते हैं कि हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर के निर्माण में किस प्रकार की वास्तुकला का उपयोग किया होगा। 





                                 अद्भुत मंदिर शिखर
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                        Wonderful temple peak
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  दोस्तों इसी प्रकार इस मंदिर में मौजूद नंदी मंडप में स्थित नंदी बाबा की प्रतिमा की ऊंचाई 13 फीट लंबाई 16 फीट है जो कि एक ही ग्रेनाइट पत्थर को काटकर बनाया गया है। एवं    गर्भ गृह में मौजूद शिवलिंग देश के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है जो कि 29 फीट ऊंचा है। दोस्तों इस मंदिर के निर्माण में पत्थरों को आपस में जोड़ने वाले विधि का उपयोग किया गया है जो कि उस कालखंड के उच्च तकनीक को दर्शाता है। 






                         धन्यवाद दोस्तों


              
               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                     English translate
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 Brihadeeswarar Temple


 Thanjavur Tamil Nadu




 India



 Friends, the builders of this temple must have been amazing and supernatural, who built this temple only by placing stones on the stones.







 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra. A hearty greetings to all of you guys. Today we are going to visit Brihadeeswarar Temple Thanjavur in Tamil Nadu where we will see how a supernatural temple is built with stones on top of this amazing and supernatural temple.  Which is the precious heritage of our ancestors.








         




 Friends, you will not believe that there is such a temple in our country India that exists which is built only by placing stones on top of stones which is amazingly 216 feet high Friends, this temple has been without thousands of years to cover its supernatural history in itself.  Is standing bent.













 Friends, the amazing supernatural Brihadeeswarar temple is located in the small town of Thanjavur in Tamil Nadu which is dedicated to Lord Shiva. This temple was built in 1010 AD by the great Emperor Chola who was an exclusive devotee of Lord Shiva.











 Friends, this temple is mainly dedicated to Lord Shiva.  The Friends Temple is surrounded by high walls that were constructed in the 16th century.  The main door of the Friends temple is about 30 meters high.  Friends, in addition to the temple there are temples of Nandi Mandap, Prayer Mandap and other deities.  Which were built by other kings of this region in other periods.










 Friends, you will be surprised to know that this is the only temple in the world which is completely made of granite stones.  Friends, in making this temple in that period 1.  3 tons of stones were used.  Friends, the biggest surprise is that no mountains are located within the range of 60 to 70 kilometers of this temple. Friends, historical sources show that 3000 to 4000 elephants were used to bring granite letters here.












 Friends, it is believed that it was the tallest temple in the world at the time when this temple was built, which was able to get the iron of our architecture in the whole world.  It took 7 years.  Which is a historical proof.













 Friends is another surprising thing.  Friends, the peak of the temple, which we also call the Vimana, is that the stone Kumbha installed above weighs about 81 tons which was made by cutting the same stone.  Friends, it is surprising how this stone would have been installed at a height of 200 feet.  In that period, even in today's modern times, impossible or difficult work.  But our ancestors made this work possible thousands of years ago.












 Friends, historical sources state that a ramp of 6 km long and high was designed to put this heavy stone on top of the temple.  On which this stone was pulled up to the top with the help of elephants. Friends, all of you can imagine the grandeur of the construction of this temple only by an incident that our ancestors used to build this temple.  Must have used.











 Friends, similarly, the statue of Nandi Baba situated in Nandi Mandap present in this temple is 13 feet in length by 16 feet, which is made by cutting the same granite stone.  And the Shivling present in the womb is one of the largest Shivling in the country, which is 29 feet high.  Friends, in the construction of this temple, the method of interlinking stones is used which shows the high technology of that period.







                    Thanks guys





      Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗



       
  Thanjavur brihadeeswara temple
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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...