टंडवा प्रखंड की गुफाएं
झारखंड
भारत
नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको लेकर चल रहा हूं झारखंड की टंडवा प्रखंड की गुफाओं की यात्रा पर।
दोस्तों चतरा जिले में हजारीबाग , चतरा और रांची जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में टंडवा प्रखंड के पिपरवार पहाड़ी क्षेत्र के 2 स्थानों हरगौरी एवं भगवान टोला तथा ठिठोगी क्षेत्र के सप्त पहाड़ी में प्राचीन गुफाएं मिली है। यह गुफाएं अति प्राचीन है और इसमें आदिमानवों
का कभी ठिकाना रहा होगा यह प्रागैतिहासिक कालीन गुफाएं अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण और राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोए जा सकते हैं।
दोस्तों 6 अद्भुत गुफाएं टंडवा प्रखंड में मिली हैं इन गुफाओं 500 लोगों के रहने की व्यवस्था है इन गुफाओं में मध्य पाषाण युग की चित्रकारी का भी पता चला है , ये गुफाएं ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। दोस्तों और सबसे महत्वपूर्ण बात है इन गुफाओं में जलस्रोतों का पाया जाना । जिससे इस बात का बल मिलता है कि इन गुफाओं में आदिमानवों का बसेरा रहा होगा ।
दोस्तों पिपरवार क्षेत्र में जिस प्रकार की गुफाएं मिली है वैसी गुफाएं संभवतः भारत में प्रथम तथा विश्व में दुसरी है ।ये गुफाएं 1900 वर्ष पुरानी बताई गई हैं। दोस्तों जानकर आश्चर्य होगा कि गुफाओं की भीतर दीवारों पर बड़ी संख्या में सफेद , पीले और केसरिया रंगों से बने चित्र मीले हैं। यह गुफाएं पाषाण काल की है चित्रों में हिरण के झुण्डो के कई चित्र , ज्यामितीय बनावट के कई चित्र और तीर धनुष लिए लोगों के चित्र पाए गए हैं। दोस्तों साथ ही साथ पुरातत्ववेताओं को इस क्षेत्र में कुषाण काल के दुर्लभ भवन के भी अवशेष मिले हैं।
दोस्तों साथ ही साथ 8000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व सभ्यता की पांच गुफाएं भी मिली है इन गुफाओं में पाई गई चित्रकारी में तीर धनुष लिए झुंड के झुंड आदि मानवों को शिकार करते तथा शिकार किए गए जानवरों के पास दिखाया गया है ये पाषाण काल के पूर्व के पैलियोलीथिक वस्तुएं है।
पिपरवार कोयला परियोजना के भगवान टोला में दुसरी सदी ईसा पूर्व के 60 * 100 फीट में मैगालीथ भी मिले हैं। इस प्रकार की गुफाएं भारत में इससे पहले मध्य प्रदेश में पाई गई थी. यहां हरगौरी एवं भगवान टोला में प्रागैतिहासिक धरोहर का पता लगा है इन दोनों स्थानों पर इससे 1000 वर्ष पूर्व के समाधि स्थलों का पता लगा है हरगौरी में कुछ ऐसे टूल्स मिले हैं जिनमें इस क्षेत्र में इससे 800 से 1000 वर्ष पूर्व लोहा उद्योग होने का पता चलता है मध्य पूरा पाषाण काल के टूल्स अद्भुत है यहां पाषाण समाधि स्थल से आयरन ,स्लैग , 1 एयर पाइप , हैंड हैंगर एवं ढलाई किए गए भाले का अग्रभाग प्राप्त हुआ है।
इसी क्षेत्र के ठिठोगी गांव क्षेत्र के सप्त पहाड़ी में भी एक , दो तल्ले वाली गुफा मिली है . 50 गुने 30 फीट के क्षेत्र की इस गुफा से पुरानी कलाकृतियां प्राप्त हुई है जिन्हें पुरातत्व विशेषज्ञों ने 'मेन्हीर' नाम दिया है। ये कलाकृतियां भी हजारों वर्ष पुरानी है।
धोरधोरा खावा --टंडवा प्रखंड के सराढू ग्राम में एक अत्यंत रमणीक स्थल है . यहां एक गुफा है जिसका द्वार चौड़ा है एवं सफेद चिकने पत्थर से बना है गुफा के ठीक नीचे चिकना चमकता हुआ लाल पत्थर का सपाट है ।लाल पत्थर के नीचे नीचे एक नदी बहती है कहा जाता है कि ग्रामीण को यहां खुदाई वगैरह करने पर प्राचीन काल की चोड़ी चोड़ी ईटे एवं प्राचीन वस्तुएं यदा-कदा मिलती रहती है। यह जंगल में होने के कारण अत्यंत मनोरम है। दूर-दूर से यहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
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English translate
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Tandwa Block Caves
Jharkhand
India
Hello friends, today I am taking you on a journey to the caves of Tandwa Block of Jharkhand.
Friends, ancient caves have been found in 2 places Hargouri and Bhagwan Tola of Piparwar hill area of Tandwa block in the border areas of Hazaribagh, Chatra and Ranchi districts in Chatra district and Sapta hill of Tithogi area. These caves are very ancient and have ancient humans
This prehistoric period caves may have been a place of great importance in itself and can be preserved as a national heritage.
Friends, 6 amazing caves have been found in Tandwa Block. These caves have an arrangement of 500 people. These caves have also revealed the paintings of the Middle Stone Age, these caves are historically important. Friends and the most important thing is to find the waters in these caves. Which reinforces the fact that these caves must have been inhabited by the primitive people.
Friends, the type of caves found in Piparwar region is probably the first in India and the second in the world. These caves are said to be 1900 years old. Friends will be surprised to know that on the inner walls of the caves there are a large number of paintings made of white, yellow and saffron colors. These caves are of Stone Age paintings, many pictures of deer herds, many pictures of geometric textures and pictures of people carrying arrow bow have been found. Friends as well as archaeologists have also found the remains of a rare Kushan building in this area.
Friends, as well as five caves of civilization have been found from 8000 BCE to 4000 BCE, the paintings found in these caves have been shown near the prey of human beings hunting and hunting animals like flocks of arrows and bow. Palaeolithic objects of the East.
Magaliths have also been found at 60 * 100 feet of the 2nd century BCE at Bhagwan Tola of Pipwarwar coal project. Caves of this type were found in India earlier in Madhya Pradesh. Here prehistoric heritage has been unearthed in Hargauri and Bhagwan Tola, both these places have found mausoleum sites dating back to 1000 years ago, some such tools have been found in Hargauri which shows the iron industry in this area from 800 to 1000 years ago. The tools of the Middle Stone Age are amazing, here the stone mausoleum has received a façade of iron, slag, 1 air pipe, hand hanger and cast spear.
One, two-floor cave has also been found in the Sapta hill in the village of Chitogi area of the same area. Old artefacts have been obtained from this cave of 50 times 30 feet area which has been named 'Menheer' by the archaeologists. These artifacts are also thousands of years old.
Dhordhora Khawa - is a very beautiful place in Saradhu village of Tandwa Block. There is a cave here whose door is wide and made of white smooth stone, just below the cave there is a smooth shining red stone flat. A river flows down below the red stone is said to have been excavated by the villagers, etc. Chudai Chodi Ete and antiques are occasionally found. It is very captivating because of being in the forest. People come from far away to have a picnic.
Mountain lappord Mahendra
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