Tuesday, December 22, 2020

कालिंजर - पन्ना घाटी में रेडियो टैग लगाकर छोड़े गए 25 गिद्ध -संरक्षण में मिलेगी मदद-भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से शुरू किया मिशन, लगातार की जा सकेगी निगरानी. Kalinjar - 25 vultures left by radio tag in Panna Valley - will help in conservation - Mission launched in collaboration with Wildlife Institute of India, can be monitored continuously

Ek yatra khajane ki khoje

                            
पन्ना टाइगर रिजर्व में गिद्धों की रेडियो टैगिंग करते भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून  के विशेषज्ञ।
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Expert of Wildlife Institute of India Dehradun radio-tagging vultures in Panna Tiger Reserve.

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 कालिंजर - पन्ना घाटी में रेडियो टैग लगाकर छोड़े गए 25 गिद्ध
   संरक्षण में मिलेगी मदद: भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से शुरू किया गया मिशन , लगातार की जा सकेगी निगरानी ।
       विलुप्त प्राय गिद्धों के संरक्षण और सतत  निगरानी  के लिए अब रेडियो टैगिंग कीी प्रक्रिया शुरूू की गई है। दोस्तों इस अनूठे और अहम प्रयोग का मकसद पर्यावरण के इन सफाई कर्मियोंं के रिहायशी , प्रवास के मार्ग एवंं पन्ना लैंडस्केप में मौजूदगी की सटीक सूचना , उपस्थिति    आदी की जानकारी   जुुटाना है । पन्ना टाइगर रिजर्व ने इनके संरक्षण और संख्या  वृद्धि  केे लि केंद्र सरकार की इजाजत केेे बाद भारतीय वन्य  जीव संस्थान  के सहयोग से पहलेेे चरण में 25  गिद्धो को  रेडियो टैगिंग कर जीपीएस टैैग से लैस कर छोड़ हैं। अब इनकी लोकेेशन आसानी से पता चलेगी और सुरक्षा भी  की जा सकेगी।
   दोस्तों जैसा कि आपको पता होगा की बांदा जिले की सीमा से सटे मध्यपदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व ना सिर्फ बाघो , बल्कि गिद्धों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है । बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा पन्ना  व करतल क्षेत्र बागी 2 की बहुतायत है। पर्यावरण की सफाई कर्मी कहलाने वाले गिद्धों की यहां 7 प्रजातियां पाई जाती है। एवं 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की है। शेष 3 प्रजातियां प्रवासी है। इनकी संख्या करीब 600 होने की अनुमान है। लेकिन संख्या में तेजी से कमी को देखते हुए संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने गिद्धों की रेडियो टैगिंग के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान , देहरादून की मदद ली। विशेषज्ञ  डॉक्टर के रमेश व  सहायक विशेषज्ञ डॉ सुप्रेतम  की टीम ने 15 दिन तक गिद्धों को पकड़ कर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस किया। दोस्तों पहले चरण में रेडियो टैगिंग पूरी कर ली गई है। व आगे दुसरे गिद्धो को भी टैगिंग की जायेगी। 
 
         यह है रेडियो टैगिंग --  डब्ल्यूआइआइ के विशेषज्ञ दक्षिण अफ्रीका और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी भारत के विधि के तहत घास के मैदान में 15 वर्ग मीटर आकार का पिंजरा बनाया गया है। कैमरा नुमा पिंजरे में ताजे मांस के टुकड़े डालते हैं जिन्हें खाने के लिए  गिद्ध पिंजरे के भीतर आ जाते हैं , लेकिन बाहर नहीं निकल पाते। इसी दौरान पिंजरे में कैद गिद्ध को रेडियो टैगिंग की जाती है । इसमें गिद्धों के सिर के पास मोबाइल चिप की तरह छोटा जीपीएस उपकरण फिट कर दिया जाता है।फिर 7 दिनों बाद उड़ान भरने के लिए गिद्धों को खुला छोड़ दिया जाता है।
 
 क्या होगा फायदा --   १. इसके जरिए इनकी लोकेशन पता चलती रहेगी कि वह कहां कहां जा रही है और अपना आवास क्षेत्र बना रही है।
२. एवं सबसे ज्यादा कौन सी जगह उन्हें पसंद आ रही है इसका सहज आकलन होगा।
३. दोस्तों भविष्य में उन स्थानों को ही उनके रहने के लिए विकसित किया जाएगा ताकि वे आसानी से अपना प्रजनन उन्हीं क्षेत्रों में कर सके और अपनी जनसंख्या वृद्धि कर पाएंगे।
 यह 7 प्रजातियां पाई जाती है इन क्षेत्रों में - १.  स्थानीय -
१. बिल्ड

२. किंग वल्चर
३. लांग विल्ड वल्चर
४. वाइट रंप 
५. इजिप्शियन वल्चर 
 
 प्रवासी प्रजाति यह माइग्रेट होती रहती हैं। 
१. हिमालयन ग्रिफाॅन 
२. यूरेशियन ग्रिफाॅन 
३. सिनेरियस 
  दोस्तों पहले चरण  में फिलहाल 25  गिद्धो को रेडियो टैगिंग की गई है । इन्हें जीपीएस से लैस कर छोड़ दिया गया है । और इनके जरिए इनकी  मॉनिटरिंग  की जा सकेगी ।

            धन्यवाद दोस्तों
    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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                  88888888   

                                      Vultur

 
  Kalinjar - 25 vultures released by putting radio tags in Panna Valley

 Help in conservation: Mission launched in collaboration with Wildlife Institute of India, will be monitored continuously.

 The radio tagging process has now been initiated for the conservation and continuous monitoring of extinct vultures.  Friends, the purpose of this unique and important experiment is to gather information about the presence, habituation and habitual use of these cleaners of environment, route of migration and presence in the emerald landscape.  With the permission of the Central Government for their conservation and increase in numbers, Panna Tiger Reserve in collaboration with the Wildlife Institute of India has released 25 vultures by radio tagging them with GPS tag.  Now their location will be easily detected and security can also be done.
 Friends, as you may know that Panna Tiger Reserve of Madhya Pradesh, bordering the Banda district, is world famous not only for tigers but also for vultures.  Bagelkhand has maximum emerald and voluminous area of ​​Bagi 2.  There are 7 species of vultures known as environmental cleaners.  And 4 species belong to Panna Tiger Reserve.  The remaining 3 species are migratory.  Their number is estimated to be around 600.  But in view of the rapid reduction in numbers, effective steps are being taken for conservation.  In this sequence, the Panna Tiger Reserve management enlisted the help of the Wildlife Institute of India, Dehradun for radio tagging of the vultures.  Expert Doctor K Ramesh and team of Assistant Specialist Dr Supratam held the vultures for 15 days and equipped them with global positioning system.  Radio tagging has been completed in the Friends first phase.  And further, other vultures will also be tagged.


 This is Radio Tagging - a 15-square-meter cage in a meadow built under the method of WII expert South Africa and Bombay Natural History Society of India.  Camera Numa inserts pieces of fresh meat into the cage which the vultures enter inside the cage to eat, but cannot exit.  At the same time radio tagging is done to the vulture in the cage.  A small GPS device like a mobile chip is fitted near the head of the vultures. The vultures are then left open to fly after 7 days.


 What will be the benefit - 1.  Through this, their location will be known where they are going and making their own housing area.

 2.  And which place they like the most will be a comfortable assessment.

 3.  Friends, in the future, only those places will be developed for their living so that they can easily breed themselves in the same areas and will be able to increase their population.

 This 7 species is found in these areas - 1.  Local -

 1.  Build


 2.  King culture

 3.  Long will culture

 4.  White rump

 5.  Egyptian culture


 Migratory species continue to migrate.

 1.  Himalayan Griffan

 2.  Eurasian Griffan

 3.  Cinereous

 At present 25 radio vultures have been radio tagged in the first phase.  They have been left equipped with GPS.  And through them they can be monitored.

 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra
 

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