Wednesday, July 21, 2021

एक यात्रा प्रयागराज संगम तट पर मौजूद बड़े हनुमान जी मंदिर की जहां प्रत्येक वर्ष मां गंगा जलाभिषेक, करने आती है बरसात के मौसम में , अपने अद्भुत चमत्कारी शक्तियों के लिए जाने जाते हैं बड़े हनुमान जी - उत्तर प्रदेश प्रयागराज संगम तट भारत. A visit to the Bade Hanuman ji temple on the Sangam beach of Prayagraj, where every year Mother Ganga comes to perform Jalabhishek, during the rainy season, Bade Hanuman ji is known for his amazing miraculous powers - Uttar Pradesh Prayagraj Sangam Coast India.

Ek yatra khajane ki khoje
































  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर आपको लेकर चल रहा हूं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम तट पर जहां हम दर्शन करेंगे अद्भुत और अलौकिक लेटी हुई अवस्था में मौजूद राम भक्त हनुमान  जी की मूर्ति से दोस्तों जिनके दर्शन मात्र से सारी कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती है।


         बड़े हनुमान जी

      प्रयागराज, संगम तट, उत्तर                        प्रदेश

                 भारतवर्ष

   दोस्तों हनुमान जी की इस अद्भुत प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि सन् 1400 ईस्वी में जब भारत में औरंगजेब का शासन चल रहा था तब उसने हनुमान जी की प्रतिमा को हटाने की कोशिश की थी ,  दोस्तों कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी टस से मस न हो सकी थी। दोस्तों कहां जाता है कि औरंगज़ेब के  सैनिक गंभीर 
    बिमारी से ग्रस्त हो गये थे, अंततः औरंगजेब को  हनुमान जी की प्रतिमा को वहीं छोड़ कर जाना पड़ा था।

















   दोस्तों माना जाता है कि श्री लंका से अयोध्या वापस लौटने के समय भगवान श्री राम , माता सीता के साथ हनुमान जब संगम तट पर पहुंचे तो माता सीता ने हनुमान जी को यहां विश्राम करने को बोला था , दोस्तों तभी से यहां मौजूद मूर्ति विश्राम अवस्था में है।







 दोस्तों गंगा , यमुना और सरस्वती इन तीनों पवित्र नदियों के संगम तट पर बसा उत्तर प्रदेश का जिला इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है ।दोस्तों श्रद्धा से भक्तगण इस पावन भूमि को तीर्थों का राजा प्रयागराज अर्थात तीर्थराज भी कहते हैं।

             क्योंकि दोस्तों यहीं पर प्रत्येक 12 वर्ष में पवित्र महाकुंभ मेला का आयोजन होता है ।इस दौरान भक्तगण खिचड़ी , मौनी अमावस्या , बसंत पंचमी आदि पावन तिथियों में भारी मात्रा में स्नान  करने दूर-दूर से आते हैं। दोस्तों इस पावन अवसर पर  विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण आते हैं।

          दोस्तों संगम के इसी पावन तट पर श्री राम भक्त हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर मौजूद है दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की खास बात यह है कि यहां विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है।

     दोस्तों 16 वी शताब्दी से ही बाघंबरी   गद्दी मठ की देखरेख में यह प्राचीन मंदिर है। दोस्तों प्रयाग के कोतवाल कहे जाने वाले लेटे हुए हनुमान जी  एवं दोस्तों बांध के नीचे स्थित होने की वजह से बंधवा वाले हनुमान जी के नाम से भी जाने जाते हैं। दोस्तों कहां जाता है कि इनके दर्शन के बिना किसी भी भक्त का संगम में स्नान करना सफल नहीं होता है।















 ➡️  दोस्तों बहुत सारी मान्यताएं हैं ।इस मंदिर को लेकर परंतु दोस्तों प्रत्येक मान्यता हिंदुओं के दिल में बंधवा वाले हनुमान जी के प्रति एक अटूट विश्वास पैदा करती है ।और दोस्तों राम भक्त हनुमान जी भी श्रद्धा भाव रखने वाले भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं  किसी न किसी रूप में उनकी रक्षा कोतवाल की तरह करते रहते हैं।






☀️ संगम तट पर मौजूद प्राचीन हनुमान मंदिर का इतिहास ☀️

 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान श्री राम के परम भक्त भगवान शिव के रूद्र अवतार श्री हनुमान जी ने आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को खुब आशीर्वाद दिया और कट्टरता के भाव लाने वालों को भी बखूबी ज्ञान दिया है।

          दोस्तों की किंवदंतियां है कि हिंदुओं के सबसे बड़े विरोधी और मुगल सल्तनत के सबसे क्रूर और अत्याचारी शासक औरंगजेब  जब भारतवर्ष के मंदिरों को विध्वंस करवा रहा था। तो उसने प्रयागराज के बड़े हनुमान जी के इस मंदिर को भी तोड़ने की सोची और अपने मजदूरों से मंदिर के अंदर मौजूद मूर्ति को बाहर निकाल कर फेंकने को बोला और मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया तो मजदूरों ने हनुमान जी की मूर्ति को उठाने की बेहद चेष्टा की किंतु हनुमान जी की मूर्ति टस से मस नहीं हुई बल्कि और चमत्कारी रूप से धरती के अंदर धंसती ही गई थी । भगवान के इस चमत्कार को देखकर   अत्याचारी औरंगजेब डर गया और हार मान कर इस प्राचीन मंदिर को वैसे ही छोड़ दिया था।







 दोस्तों एक किवदंती यह भी है कि प्राचीन काल में किसी समय हनुमान जी का एक परम भक्त व्यापारी हनुमान जी की इस बड़ी मूर्ति को लेकर जलमार्ग से अपने गांव जा रहा था लेकिन हनुमान जी की माया से संगम तट पर आते ही मूर्ति की वजह से नांव का वजन अत्यधिक बढ़ गया जिस वजह से नांव दो टुकड़ों में बट गया और हनुमान जी की मूर्ति नदी की   अथाह गहराइयों में  डूब गई।
                 दोस्तों कहा जाता है कि कई वर्षों पश्चात जब गंगा जी का जल स्तर कम हुआ तो यह अद्भुत मूर्ति प्रकट हुई, तो उस वक्त मुगल शासक अकबर ने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था ।दोस्तों ऐसी मान्यता है।

☀️  अद्भुत रूप से गंगा माता प्रत्येक वर्ष जलाभिषेक करती है इस पवित्र मूर्ति को ☀️

 दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की देखरेख करने वाले "महंत" आनंद गिरी बताते हैं कि हनुमान जी की इस अनोखी मुद्रा वाले मंदिर को प्रत्येक वर्ष बरसात के दिनों में गंगा मैया मंदिर तक बढ़कर आती है और भोले नाथ के रूद्र अवतार का जलाभिषेक करके पुनः अपनी सीमाओं में लौट जाती है।







☀️  रामायण काल से भी जुड़ी हुई है इस मंदिर का इतिहास। ☀️

 दोस्तों संगम तट पर स्थित अकबर के किले के नजदीक स्थित यह प्राचीन व पवित्र मंदिर स्वयं में हनुमानजी के 20 फीट की मूर्ति के साथ-साथ कई अद्भुत कहानियों को अपने अंदर समेटे हुए अटल खड़ा है।
              दोस्तों मान्यता है कि लंका विजय के पश्चात जब पुष्पक विमान से भगवान श्री राम , माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ-साथ हनुमान जी अयोध्या लौटते हुए संगम तट पर पहुंचे थे , तो माता सीता ने हनुमान जी को यही पर विश्राम करने को बोला था। दोस्तों मान्यता है कि उसी समय से यहां पर विश्रामाअवस्था में हनुमान जी की अद्भुत मूर्ति विराजमान है।






        दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।

          धन्यवाद दोस्तों

 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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      English translate
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   Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, I am taking you on today's journey on the Sangam coast of Prayagraj, Uttar Pradesh, where we will see the wonderful and supernatural statue of Lord Hanuman in a lying position.  Friends, whose mere sight removes all the troubles and obstacles.







 Big hanuman ji


 Prayagraj, Sangam 

Beach, Uttar Pradesh 


 Bharatvarsh






 Friends, it is said about this wonderful statue of Hanuman ji that in 1400 AD, when Aurangzeb was ruling in India, he tried to remove the statue of Hanuman ji.  Couldn't mind.  Where does friends go that Aurangzeb's soldiers are serious

 Due to illness, Aurangzeb eventually had to leave the statue of Hanuman ji there.
















 Friends, it is believed that on the time of returning back to Ayodhya from Sri Lanka, Lord Rama, along with Mother Sita, when Hanuman reached the Sangam coast, had asked Hanuman to rest here, friends, since then the idol present here is in a state of rest.  is.








 Friends, the district of Uttar Pradesh, situated on the confluence of these three holy rivers Ganga, Yamuna and Saraswati, is presently known as Prayagraj.


 Because friends, the holy Maha Kumbh Mela is organized here every 12 years. During this, devotees come from far and wide to take bath in large quantities on the holy dates like Khichdi, Mauni Amavasya, Basant Panchami etc.  Friends, on this auspicious occasion, a large number of devotees from abroad also come.






 Friends, there is an ancient temple of Shri Ram devotee Hanuman ji on this holy bank of Sangam. Friends, the special thing about this ancient temple is that the statue of Hanuman ji sitting here is in a lying position.


 Friends, this ancient temple is under the supervision of Baghambari Gaddi Math since the 16th century.  Friends, Hanuman ji, who is called the Kotwal of Prayag, and friends are also known as Hanuman ji, due to being located under the dam.  Where does friends go that without their darshan, it is not successful for any devotee to take a bath in the confluence.













 ️  Friends, there are many beliefs about this temple, but friends, each belief creates an unwavering faith in the hearts of Hindus towards Hanuman ji. And friends, Ram Bhakt Hanuman ji also never disappoints the devotees who have reverence.  In some way or the other, they keep protecting them like Kotwal.








 ️ History of the ancient Hanuman temple on the Sangam coast ️


 Friends, you will be surprised to know that the Rudra incarnation of Lord Shiva, the supreme devotee of Lord Shri Ram, has blessed the devotees who come with the spirit of getting blessings and has also given great knowledge to those who bring fanaticism.






 There are legends of friends that when Aurangzeb, the biggest opponent of Hindus and the most cruel and tyrannical ruler of the Mughal Sultanate, was destroying the temples of India.  So he thought of destroying this temple of Lord Hanuman of Prayagraj too and asked his laborers to throw out the idol present inside the temple and ordered to destroy the temple, then the laborers tried to lift the idol of Hanuman ji.  Tried but the idol of Hanuman ji did not budge, but miraculously, it had sunk inside the earth.  Seeing this miracle of God, the tyrant Aurangzeb got scared and left this ancient temple after giving up.








 Friends, there is also a legend that at some point in ancient times a great devotee of Hanuman ji was going to his village by waterway with this big idol of Hanuman ji, but as soon as Hanuman ji came to the Sangam coast from Maya, the name of the idol caused the name.  Due to which the boat got split in two pieces and the idol of Hanuman ji got drowned in the "immeasurable depths" of the river.

 Friends, it is said that after many years, when the water level of Ganga ji decreased, then this wonderful idol appeared, then at that time the Mughal ruler Akbar had built this grand temple. Friends, there is such a belief.


 ️  Amazingly Ganga Mata performs Jalabhishek every year to this holy idol ️







 Friends, "Mahant" Anand Giri, who maintains this ancient temple, tells that the temple with this unique posture of Hanuman ji rises up to the Ganga Maiya temple every year during the rainy season and after performing Jalabhishek of the Rudra incarnation of Bhole Nath again its borders.  returns in.







 The history of this temple is also associated with the Ramayana period.  ️


 Friends, this ancient and holy temple, situated near the fort of Akbar, situated on the Sangam coast, stands firm in itself, with a 20 feet statue of Hanumanji, as well as many wonderful stories inside it.

 Friends, it is believed that after the victory of Lanka, when Lord Shri Ram, Mata Sita and Lakshman ji along with Lord Shri Ram, Mata Sita and Lakshman ji reached the Sangam beach while returning to Ayodhya, Mother Sita asked Hanuman ji to rest on it.  .  Friends, it is believed that since that time a wonderful idol of Hanuman ji is sitting here in the state of rest.







 Friends, that's all for today.


 thanks guys






 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗



























Friday, July 16, 2021

एक यात्रा मेंढक मंदिर जो प्राचीन शिव मंदिर है। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियां इशारा करतीं हैं कि कभी हाथीयों को उठा ले जाने वाले विशाल पक्षी हुआ करती थी- ओयल कस्बा , लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश भारतA visit Frog Temple which is ancient Shiva temple. Artifacts carved on the walls of the temple indicate that there used to be a giant bird carrying elephants - Oyal Kasba, Lakhimpur-Khiri Uttar Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje









       अद्भुत विशाल पक्षी की चित्रकारी जो कभी हाथियों को लेकर भी लेकर उड़ जाता था । अनुमानतः किसी जमाने में इस प्रकार की विशाल पक्षी हुआ करते थे जो हाथी जैसे विशाल पशु को भी ले कर उड़ जाया करते थे।
 Painting of a wonderful huge bird that used to fly with elephants too.  It is estimated that at some point there used to be such huge birds which used to fly away with even a huge animal like elephant.









  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । एक अद्भुत प्राचीन मंदिर की यात्रा पर जिसे पूरा विश्व मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाता है जिसके पीठ पर विराजमान है प्राचीन शिव मंदिर। जो उत्तर प्रदेश के ओयल कस्बा , लखीमपुर- खीरी में मौजूद है।







            मेंढक मंदिर
   
  ओयल कस्बा- लखीमपुर-खीरी

              उत्तर प्रदेश

               भारतवर्ष

 दोस्तों भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर-खीरी  के ओयल कस्बे में बने एक अनोखे प्राचीन मंदिर में भगवान शिव मेंढक के पीठ पर विराजमान हैं।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि "मांडूक तंत्र" "विद्या" पर आधारित यह अद्भुत शिव मंदिर "मेंढक" मंदिर के नाम से भी विश्व प्रसिद्ध है।दोस्तों आपको जानकर यह भी आश्चर्य होगा कि यह भारत देश का इकलौता मेंढक मंदिर भी है।













          दोस्तों इस प्राचीन शिव मंदिर की खास बात यह है कि यहां मौजूद नर्मदेश्वर महादेव का शिवलिंग अपना रंग बदलते रहता है।
         दोस्तों अद्भुत रूप से मौजूद बाबा नंदी की मूर्ति खड़ी अवस्था में है जो पूरे भारतवर्ष में कहीं और नहीं देखने को मिलता है।


दोस्तों इतिहासकारों का मानना है कि यह प्राचीन मंदिर राजस्थानी स्थापत्य कला के आधार पर बनाया गया है। जो तांत्रिक "मांडूक" तंत्र पर आधारित है।दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से मंदिर की बाहरी दीवारों पर शव साधना करती उत्कीर्ण मूर्तियां इसे तांत्रिक मंदिर ही सिद्ध करती है।










  

             ऐतिहासिकता
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 दोस्तों माना जाता है कि चहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने इस अद्भुत मंदिर का निर्माण करवाया था। दोस्तों की किंवदंतियां है कि मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला प्रदेश के एक महान तांत्रिक ने की थी।दोस्तों तंत्र बाद पर आधारित इस प्राचीन मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण भक्त गणों का मन मोह लेती है।

           दोस्तों इस प्राचीन मेंढक मंदिर में प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के साथ-साथ दीपावली पर भी भक्त एवं श्रद्धालुगण बड़ी संख्या में भगवान शिव के इस अनोखे रूप का दर्शन करने के लिए आते हैं।
      












 दोस्तों यहां के ग्रामीणों का मानना है कि इन अफसरों पर यहां पूजा पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है एवं निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के इस अनोखे शिवलिंग की मात्र दर्शन से।







     दोस्तों माना जाता है कि प्राचीन समय में मंदिर के ऊपर मौजूद छत्र भी सूर्य की रोशनी के साथ साथ घूमता था ।लेकिन दोस्तों अब वर्तमान समय में वह क्षतिग्रस्त हो गया है।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर में एक अनोखा कुआं भी मौजूद है जिसका पानी हमेशा कुएं के तल पर मौजूद रहता है।

        दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद शिवलिंग बेहद खूबसूरत है जो संगमरमर के कसीकेदारी से बनी ऊंची शीला पर विराजमान है।
दोस्तों माना जाता है कि इस शिवलिंग को नर्मदा नदी से लाया गया था जिस कारण से यह पवित्र शिवलिंग भगवान नर्मदेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है।

        दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।










          धन्यवाद दोस्तों

   माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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     English translate
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  Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, I am taking you on today's journey.  On a visit to a wonderful ancient temple known as the entire world Frog Temple with the ancient Shiva temple on its back.  Which is present in Oyal town of Uttar Pradesh, Lakhimpur-Kheeri.







 Frog Temple



 Oil town - Lakhimpur - Kheri


 Uttar Pradesh


 Bharatvarsh










 Friends, Lord Shiva is seated on the back of a frog in a unique ancient temple built in the Oyal town of Lakhimpur-Khiri in the state of Uttar Pradesh, India. Friends, you will be surprised to know that this wonderful Shiva temple based on the "Vidya" of "Manduk Tantra" "Frog"  It is also world famous by the name of the temple. Friends, you will also be surprised to know that it is also the only frog temple in India.







 Friends, the special thing about this ancient Shiva temple is that the Shivling of Narmadeshwar Mahadev present here keeps changing its color.

 Friends, the idol of Baba Nandi is in a standing position, which is not seen anywhere else in the whole of India.








 Friends, historians believe that this ancient temple has been built on the basis of Rajasthani architecture.  Which is based on the Tantric "Manduk" Tantra. Friends, surprisingly, the engraved sculptures on the outer walls of the temple doing body meditation prove it to be a Tantric temple.





 historicity

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 Friends, it is believed that Raja Bakhsh Singh of Chahman dynasty had built this wonderful temple.  Friends have legends that the architectural concept of the temple was done by a great tantrik of Kapila region. Friends, the architectural structure of this ancient temple based on the Tantra, attracts the attention of the devotees due to its special style.


 Friends, devotees and devotees in large numbers come to this ancient frog temple every year on Mahashivratri as well as on Diwali to see this unique form of Lord Shiva.










 Friends, the villagers here believe that worshiping these officers here gives special results and childless couples get children.  With the mere sight of this unique Shivling of Lord Shiva.











 Friends, it is believed that in ancient times the umbrella above the temple also used to rotate along with the sunlight. But friends, now it has been damaged in the present time. Friends, there is also a unique well in this ancient temple whose water is always well.  is present at the bottom.











 Friends, the Shivling present in the sanctum sanctorum of the temple is very beautiful, which is seated on a high rock made of marble.

 Friends, it is believed that this Shivling was brought from the river Narmada, due to which this holy Shivling is famous as Lord Narmadeshwar.






 Friends, that's all for today.


 thanks guys


 Mountain Leopard                 Mahendra🧗🧗


















 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗



















Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...