Sunday, June 13, 2021

एक यात्रा अद्भुत अलौकिक स्वयंभू भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की, भगवान शिव शंभू ने रावण के छोटे भाई कुंभकरण के पुत्र भीमा राक्षस का संहार कर इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी मनुष्यों के कल्याण के लिए - पुणे महाराष्ट्र भारत. A visit to the wonderful supernatural self-styled Bhimashankar Jyotirlinga, Lord Shiva Shambhu established this Jyotirlinga by killing the demon Bhima, son of Ravana's younger brother Kumbhakaran, for the welfare of humans - Pune Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje






















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्रा के पुणे जिले में स्थित लाल वन क्षेत्र के वन्य जीव अभ्यारण में स्थित प्राचीन भीमशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर।

             भीमशंकर ज्योतिर्लिंग 

                 पुणे - महाराष्ट्र

                    भारतवर्ष






नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा पर हम चल रहे हैं महाराष्ट्र के पुणे में स्थित प्राचीन भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की दर्शन को ।दोस्तों माना जाता है कि यह अलौकिक ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है यानी यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए थे। देवताओं के आवाहन पर।
             
      दोस्तों प्राचीन भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भोरगिरी ग्राम खेड़ से 50 किलोमीटर उत्तर पश्चिम की ओर और पुणे शहर से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पवित्र ज्योतिर्लिंग पश्चिमी घाट के सहाद्रि पर्वतमला के ऊंचे पर्वतों पर स्थित है। दोस्तों सहाद्रि पर्वतमाला से ही भीम नदी का उद्गम हुआ है। दोस्तों भीमा नदी दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है।








                और दोस्तों यही पर मौजूद है भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग दोस्तों यह अति प्राचीन शिव मंदिर हमारे देश भारत में पाए जाने वाले 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।दोस्तों गौर करने वाली बात यह है कि सहाद्रि पर्वत माला की ऊंचाइयों पर स्थित यानी कि 3250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस प्राचीन मंदिर का पवित्र शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे इस क्षेत्र में मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

    








                  (  वास्तु शिल्प )

 दोस्तों भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रसिद्ध नागर शैली की वास्तुकला में बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का अद्भुत संगम है। दोस्तों इस अद्भुत मंदिर में बने प्राचीन कलाकृतियों केअद्भुत नक्काशी यों को देखकर आश्चर्य होता है कि कितने महान रहे होंगे उस समय के विश्वकर्मा वास्तुशिल्पी । साथ ही दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण के समय मंदिर का शिखर नाना फडणवीस द्वारा 18वीं सदी में बनवाया गया था। 
                     साथी दोस्तों पता चलता है कि महान मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी इस पवित्र ज्योतिर्लिंग की पूजा एवं मंदिर के रखरखाव के लिए काफी सुविधाएं प्रदान की थी।








                       दोस्तों आपको इस मंदिर प्रांगण में एक बड़ा सा घंटा लटका हुआ मिलेगा जिसके बारे में कहा जाता है कि इस घंटे का भी निर्माण नाना फडणवीस ने ही करवाया था।










      (     प्रसिद्ध रमणीक पर्यटन स्थल  )

 दोस्तों इस क्षेत्र की यात्रा करने पर आपको यहां के प्रसिद्ध हनुमान झील , गुप्त भीमाशंकर , भीमा नदी का उद्गम स्थल , नागफनी , मुंबई पॉइंट व साक्षी विनायक जैसे प्रसिद्ध स्थलो को देखने का अवसर प्राप्त हो सकता है।दोस्तों भीमाशंकर मंदिर लाल वन क्षेत्र और वन्य जीव अभ्यारण द्वारा संरक्षित है दोस्तों इस वन अभ्यारण्य क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों , जानवरों ,पेड़ पौधे एवं फूलों की अनेक प्रजातियां मौजूद है।दोस्तों यह क्षेत्र श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्वतारोहियों के बीच भी काफी प्रसिद्ध है यहां काफी   प्रसिद्धि ट्रैकिंग क्षेत्र मौजूद हैं जहां पर्वतारोही समय-समय पर पर्वतारोहण का लुफ्त उठाते रहते हैं।साथी दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां संसार के सभी क्षेत्रों से लोग इस अद्भुत मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं।


















             (  पौराणिक दंतकथा )

 दोस्तों शिवपुराण में वर्णित है कि त्रेता युग में रावण के छोटे भाई कुंभकरण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस हुआ करता था।दोस्तों माना जाता है कि इस राक्षस का जन्म ठीक उसके पिता कुंभकरण के मृत्यु के बाद हुआ था।जिस कारण से उसे अपने पिता की मृत्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की जानकारी नहीं थी। दोस्तों बाद में जब उसे अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो , वह भगवान श्रीराम का वध करने के लिए आतुर हो गया था । अतः दोस्तों अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए भीम राक्षस ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर उसे भगवान ब्रह्मा जी ने सदा विजयी होने का वरदान दे दिया था। दोस्तों वरदान पाने के बाद वह और ज्यादा अत्याचारी हो गया था जिस कारण से दोस्तों उससे मनुष्यों के साथ-साथ देवी देवता भी भयभीत रहने लगे थे। दोस्तों माना जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में उसकी आतंक चर्चा होने लगी थी। दोस्तों उसका आतंक इतना बढ़ गया था कि युद्ध में उसने देवताओं को भी पराजित करना शुरू कर दिया था।

               दोस्तों हद तो तब हो गई जब उसने धरती पर सभी धार्मिक अनुष्ठानों को बंद करवा दिया था।










              अंतता दोस्तों हद से ज्यादा परेशान होकर सभी देवगण भगवान शिव के शरण में गए और भगवान शिव से प्रार्थना की कि उन्हें इस दुष्ट से मुक्ति दिलाएं।दोस्तों तब भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिया कि वे इस अत्याचारी राक्षस का संहार करेंगे।दोस्तों कहा जाता है कि भगवान शिव और भीम राक्षस के बीच घमासान युद्ध हुआ था। दोस्तों जिसमें अंततः भगवान शिव ने उस दुष्ट राक्षस को भस्म यानी जलाकर राख कर दिया था।और अंततः दुष्ट राक्षस के अत्याचार से सभी को मुक्ति मिल पाई थी।









           दोस्तों कहा जाता है कि भगवान शिव से सभी देवगण ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हो जाएं ।दोस्तों  वे मनुष्यों के कल्याण के लिए देवताओं की प्रार्थना को स्वीकार कर  भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हैं।

       दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।









                   धन्यवाद दोस्तों

               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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              English translate
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      Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you, friends, on today's journey, I am taking you on the journey of ancient Bhimashankar Jyotirlinga located in the Wildlife Sanctuary of Red Forest area located in Pune district of Maharashtra.


 Bhimashankar Jyotirlinga


 PUNE - MAHARASHTRA


 Bharatvarsh







 Hello friends, we are going on today's journey to visit the ancient Bhimashankar Jyotirlinga temple located in Pune, Maharashtra. Friends, it is believed that this supernatural Jyotirlinga is Swayambhu i.e. this Shivling himself appeared.  At the call of the gods.








 Friends, the ancient Bhimashankar Jyotirling is located 50 km northwest of Bhorgiri village Khed and 110 km from Pune city. Friends, you will be surprised to know that this holy Jyotirling is situated on the high mountains of Sahadri range of Western Ghats.  Friends, the Bhima river has originated from the Sahadri ranges.  Friends, the Bhima river flows in the south-west direction and joins the Krishna river in Raichur district.

 And friends, this is the famous Jyotirlinga of Lord Shiva. Friends, this very ancient Shiva temple is one of the 12 Jyotirlingas found in our country India. Friends, the thing to note is that it is situated on the heights of the Sahadri mountain range i.e. 3250 feet.  The sacred Shivling of this ancient temple, situated at a height of .  Hence it is also known as Moteshwar Mahadev in this region.






















 (  architectural craft )


 Friends, Bhimashankar Jyotirlinga Temple is a wonderful amalgamation of ancient and new structures built in the famous Nagara style of architecture.  Friends, seeing the wonderful carvings of ancient artifacts made in this wonderful temple, it is surprising how great Vishwakarma architect must have been at that time.  Also friends, historical documents show that at the time of the reconstruction of this ancient temple, the shikhara of the temple was built by Nana Fadnavis in the 18th century.

 Fellow friends learn that the great Maratha emperor Chhatrapati Shivaji Maharaj had also provided a lot of facilities for the worship of this holy Jyotirlinga and the maintenance of the temple.








 Friends, you will find a big bell hanging in this temple courtyard, about which it is said that this hour was also built by Nana Fadnavis.










 (  Famous Delightful Tourist Place)


 Friends, on traveling to this area, you can get an opportunity to see famous places like Hanuman Lake, Gupt Bhimashankar, the origin of Bhima River, Hawthorn, Mumbai Point and Sakshi Vinayak. Friends, Bhimashankar Temple Red Forest Area and Wilderness.  The wildlife is protected by the sanctuary, friends, many species of birds, animals, trees, plants and flowers of different species are present in this forest sanctuary area. Friends, this area is very famous among devotees as well as mountaineers. There are quite a lot of famous trekking areas.  Where mountaineers keep enjoying mountaineering from time to time. Fellow friends, you will be surprised to know that people from all regions of the world come here to see and worship this wonderful temple.
















 (mythical legend)


 Friends, it is described in Shiv Puran that in Treta Yuga, there used to be a demon named Bhima, son of Ravana's younger brother Kumbhakaran. Friends, it is believed that this demon was born right after the death of his father Kumbhakaran.  The incident of the death of the father at the hands of Lord Rama was not known.  Friends, later when he came to know about this incident from his mother, he became eager to kill Lord Shri Ram.  So friends, in order to fulfill his purpose, the demon Bhima did severe penance for many years, due to which Lord Brahma ji gave him a boon to be victorious forever.  Friends, after getting the boon, he had become more tyrannical, due to which friends, along with humans, gods and goddesses were also afraid of him.  Friends, it is believed that his terror was being discussed in the whole universe.  Friends, his terror had increased so much that in the war he had started defeating even the gods.









 Friends, the limit was reached when he had stopped all religious rituals on earth.

 In the end friends, all the gods went to the shelter of Lord Shiva and prayed to Lord Shiva to give them freedom from this evil. Friends, then Lord Shiva assured everyone that he would kill this tyrannical demon.  It is said that there was a fierce battle between Lord Shiva and the demon Bhima.  Friends, in which finally Lord Shiva had burnt that evil demon to ashes. And finally everyone got freedom from the tyranny of the evil demon.










 Friends, it is said that all the gods requested Lord Shiva to sit in the form of Shivling at this place. Friends, by accepting the prayers of the gods for the welfare of human beings, even today in the form of Bhimashankar Jyotirling, the sanctum sanctorum of the temple  are seated in


 Friends, that's all for today.








 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra
                    🧗🧗











Mountain Leopard Mahendra
                     🧗🧗

































 

Friday, June 11, 2021

एक यात्रा त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जो अपने तीन छोटे-छोटे शिवलिंगों के लिए विश्व प्रसिद्ध है- ग्राम त्र्यंबक - जिला नासिक महाराष्ट्र भारत A Visit Trimbakeshwar Jyotirlinga Temple which is world famous for its three small Shivlings - Village Trimbak - District Nashik Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje

























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तोंआज की यात्रा पर दोस्त मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबक गांव की जहां हम दर्शन करेंगे त्रिदेवों की अद्भुत छोटे-छोटे शिवलिंगों की ।






      त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

  ग्राम- त्र्यंबक , जिला-नासिक

         महाराष्ट्र  - भारतवर्ष 





 नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबक गांव की जहां मौजूद है अलौकिक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग।दोस्तों आज हमें भगवान के उस अद्भुत और अलौकिक रूप का दर्शन हुआ है दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस अति प्राचीन मंदिर में भगवान ब्रह्मा , भगवान विष्णु और भगवान शिव यानी त्रिदेव पवित्र लिंग के रूप में विराजमान हैं।













 ( पुराणों में वर्णन है इस क्षेत्र की महत्ता  )
 
 दोस्तों पुराणों के अनुसार माना जाता है कि पूजनीय गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के विनम्र निवेदन करने पर ही भगवान शिव इस स्थान पर विराजमान हुए थे और त्र्यंबकेश्वर    के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं।दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह के अंदर अद्भुत रूप से एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे छोटे लिंग मौजूद हैं जो भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान भोलेनाथ यानी इन तीनों त्रिदेवों के प्रतीक माने जाते हैं।













       (  पौराणिक कथा )
 दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि प्राचीन काल में त्र्यंबक क्षेत्र गौतम ऋषि की तपोभूमि हुआ करती थी।दोस्तों माना जाता है कि गौतम ऋषि अपने ऊपर लगे गौ हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए कई युगों तक कठोर तप कर भगवान शिव से माता गंगा को इस क्षेत्र में अवतरित करने का वरदान मांगा था। दोस्तों जिसके फलस्वरूप दक्षिण भारत की गंगा अर्थात पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम हुआ था।












   (   प्राचीन स्थापत्य कला )
 दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बाला जी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था। दोस्तों इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सन 1755 में शुरू हुआ था और  31 साल के लंबे पुनः निर्माण कार्य के बाद 1786 में जाकर संपन्न हुआ था। दोस्तों उस समय के निर्माण कार्य के ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस भव्य प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण में लगभग 1600000 रुपए खर्च किए गए थे। जो उस समय के लिए बहुत ही बड़ी रकम हुआ करती थी।

             दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य भवन सिंधु - आर्य वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट नमूना है।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर के अंदर गर्भ गृह में प्रवेश करने के बाद आपको सिर्फ शिवलिंग की केवल आर्घा ही दिखाई देगी शिवलिंग नहीं , क्योंकि दोस्तों काफी गौर से देखने पर आर्घा के अंदर अलौकिक रूप से एक - एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं।दोस्तों इन्ही तीनो लिंगो को त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु और भगवान महेश यानी शिव शंभू का अवतार माना जाता है।दोस्तों सुबह के समय होने वाली विशेष पूजा पद्धति के बाद इस आर्घा पर चांदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है। 





दोस्तों गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित यह प्राचीन त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है जो इस प्राचीन मंदिर के स्थापत्य को और भी अधिक अद्भुत बना देता है।दोस्तों अलौकिक रूप से इस मंदिर के पंचकोशी में कालसर्प शांति , त्रिपिंडी विधि एवं नारायण नागबली पूजा अनुष्ठान संपन्न होती है जिन्हें श्रद्धालु गान अलग-अलग मन्नत पूरी होने के लिए संपन्न करवाते हैं।

    दोस्तों यह प्राचीन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग अपने समय काल के सबसे अद्भुत और अलौकिक मंदिरों में से एक है जो तीनों त्रिदेवों का प्रतिनिधित्व लिंग के रूप में करता है।





           धन्यवाद दोस्तों

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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       English translate
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you friends, friends, on today's journey, I am taking you to Trimbak village located in Nashik district of Maharashtra, where we will see the wonderful small Shivlings of Tridev.







 Trimbakeshwar Jyotirlinga


 Village- Trimbak, District-Nashik


 Maharashtra - India






 Hello friends, today's visit is to Trimbak village located in Nashik district of Maharashtra, where the supernatural Trimbakeshwar Jyotirling is present. Friends, today we have seen that wonderful and supernatural form of God, friends, you will be surprised to know that in this very ancient temple Lord Brahma, Lord  Vishnu and Lord Shiva i.e. Tridev are seated in the form of holy linga.















 (The importance of this area is described in the Puranas)





 Friends, according to the Puranas, it is believed that Lord Shiva was seated at this place only on the humble request of the revered Gautam Rishi and Godavari river and became famous as Trimbakeshwar.  There are three small lingams present in the pit which are considered to be the symbols of Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Bholenath i.e. these three trinity.












 (  mythology )

 Friends, according to mythology, it is believed that in ancient times, the Trimbak region used to be the tapobhumi of Gautam Rishi. Friends, it is believed that Gautam Rishi did severe penance for many ages to get rid of the sin of killing cows on him and prayed to Lord Shiva.  He had asked for the boon of incarnating Mother Ganga in this area.  Friends, as a result of which the Ganges of South India i.e. the holy Godavari river was originated.















(   Ancient Architecture) 

 Friends, historical documents show that this ancient temple was rebuilt by the third Peshwa Bala ji i.e. Nana Saheb Peshwa.  Friends, the restoration of this ancient temple started in the year 1755 and was completed in 1786 after a long reconstruction work of 31 years.  Friends, the historical documents of the construction work of that time show that about 160000 rupees were spent in the reconstruction of this grand ancient temple.  Which used to be a huge amount for that time.


 Friends, you will be surprised to know that the grand building of Trimbakeshwar temple is an excellent example of Indus-Aryan architecture. Friends, after entering the sanctum sanctorum inside this ancient temple, you will only see only Argha of Shivling, not Shivling, because friends are very careful.  On seeing, supernaturally three lingas of one inch each are seen inside the Argha. Friends, these three lingas are considered to be incarnations of Tridev i.e. Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Mahesh i.e. Shiva Shambhu. Friends, special worship to be done in the morning.  After the ritual, a silver five-faced crown is offered to this Argha.







 Friends, this ancient Trimbakeshwar temple situated on the banks of river Godavari is made of black stones which makes the architecture of this ancient temple even more amazing. Friends, supernaturally, Kalsarp Shanti, Tripindi Vidhi and Narayan Nagbali worship in Panchkoshi of this temple.  Rituals take place which are performed by devotees singing songs to fulfill their various vows.


 Friends, this ancient Trimbakeshwar Jyotirlinga is one of the most wonderful and supernatural temples of its time, which represents the three trinity in the form of a linga.









 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗 
















   Mountain Leopard                Mahendra 🧗🧗











Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...