Monday, June 7, 2021

एक यात्रा भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित देवबलोदा महादेव की जिसे छ:मासी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जो अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।-भिलाई ,देवबलोदा छत्तीसगढ़, भारत A visit to Devbaloda Mahadev, also known as Chhamasi Temple, located in the state of Chhattisgarh, India, which is world famous for its amazing architecture. - Bhilai, Devbaloda Chhattisgarh, India.

Ek yatra khajane ki khoje


























 
 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूंदोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं छत्तीसगढ़ के सुदूर "देवबलोदा"  शहर की यात्रा पर। जहां हम देखेंगे अति प्राचीन शिव मंदिर को जो अपने अद्भुत वास्तु शैली के कारण खजुराहो की याद दिला देती है। दोस्तों यह मंदिर "छः मासी" मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।








 
         छः मासी शिव मंदिर

         देवबलोदा , छत्तीसगढ़ 

                 भारतवर्ष

  नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं छत्तीसगढ़ राज्य के एक सुदूर शहर देवबलोदा की यात्रा पर जहां हम एक अनोखे शिव धाम की दर्शन करेंगे , जो अपने वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। साथ ही दोस्तों इस मंदिर को देखने खजुराहो मंदिर की याद आ जाती है। दोस्तों इस प्राचीन शिव धाम को छ:मासी मंदिर भी कहा जाता है।
             दोस्तों इस प्राचीन मंदिर का निर्माण कलचुरी काल में किया गया था । दोस्तों इस समय यह प्राचीन मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तहत संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है।

                 दोस्तों महाशिवरात्रि के दौरान इस प्राचीन मंदिर में तीर्थ यात्रियों की काफी भीड़ जमा होती है ।दोस्तों मंदिर परिसर में एक छोटा मेला का भी आयोजन होता है। जहां काफी संख्या में आसपास के गांव वाले मेले का आनंद उठाने आते हैं और साथ ही मंदिर में मौजूद शिवलिंग का दर्शन कर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


















      [ मंदिर से जुड़ी प्रचलित  ]                        दंतकथा
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 दोस्तों दंत कथाओं के अनुसार माना जाता है कि जो मूर्तिकार इस मंदिर का निर्माण कर रहा था ।वह अपने कार्य में इतना तल्लीन हो गया था , कि उसे अपने कपड़ों और शरीर का परवाह ही नहीं रहा था।अतः वह मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए दिन रात काम करते हुए वह एकदम नग्न हो गया था।दोस्तों माना जाता है कि प्रतिदिन उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लेकर आती थी ।लेकिन दोस्तों एक दिन किसी कारणवश उसकी बहन भोजन लेकर आ गई ।दोस्तों अचानक अपनी बहन को सामने देख वे दोनों इतनी ज्यादा शर्मिंदा हो गए हैं कि वे दोनों खुद को छिपाने के लिए मंदिर के पास ही स्थित तालाब में कूद गए।दोस्तों माना जाता है कि यह सब देख कर उसकी बहन भी मंदिर के पास ही मौजूद दूसरे तालाब में कूद गई थी। दोस्तों आज भी दोनों तालाब या पवित्र कुंड मंदिर परिसर में ही मौजूद हैं। दोस्तों स्थानीय लोग तालाब को कसारा तालाब के नाम से पुकारते हैं दोस्तों तालाब के पास ही एक अजीब सा पत्थर मौजूद है जो देखने में एकदम कलश यानी मिट्टी के घड़ा के समान लगता है। दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि यह वही कलश है। जिसे मूर्तिकार की बहन लेकर आई थी , पानी भरने के लिए जो उस कांड के बाद पत्थर के रूप में बदल गया था।

         दोस्तों जब आप इस मंदिर की यात्रा पर आओगे तो देखोगे कि मंदिर कब मंडप आज भी अधूरा है शायद यह वही कारण रहा होगा जिसके कारण मंदिर का मंडप आज तक नहीं बन पाया होगा।

















        दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर परिसर में मौजूद तालाब या कुंड के अंदर एक गुप्त सुरंग मौजूद है जो काफी दूर मौजूद छत्तीसगढ़ के ही एक पुराने शहर "आरंग" कस्बा में मौजूद एक मंदिर के पास निकलता है। दोस्तों लोग बताते हैं कि मूर्तिकार ने जब तालाब में छलांग लगाई तो उसे वह सुरंग मिल गई , और वह सुरंग के रास्ते "आरंग" कस्बा जा पहुंचा जहां वह पत्थर की मूर्ति बन गया।दोस्तों माना जाता है कि आज उसी स्थान पर "भानदेव" का मंदिर बना हुआ है।
           दोस्तों मंदिर परिसर में मौजूद पवित्र कुंड के बगल में ही 23 सीढ़ियां और 2 प्राचीन कुएं में मौजूद हैं।दोस्तों माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मात्र 6 महीने में किया गया था इसलिए इसे छ: मासी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

















        (  वास्तुकला )
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 दोस्तों यह प्राचीन मंदिर पूर्व मुखी है दोस्तों इस मंदिर के निर्माण में बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है दोस्तों मंदिर  में एक गर्भ गृह मौजूद है जो एक मंडप से जुड़ा हुआ है। मंडप नक्काशीदार खंभों से युक्त है। जो नागर वास्तुशैली को दर्शाता है।

        दोस्तों गर्भ गृह में डेढ़ फीट ऊंचे शिवलिंग स्थापित है।दोस्तों गर्भ गृह के अंदर अद्भुत रूप से शैव द्वारपालों द्वारा संरक्षित एक अत्यधिक अलंकृत प्रवेश द्वार के माध्यम से पहुंचा जाता है।साथ ही में दोस्तों गर्भ गृह के अंदर माता पार्वती , भगवान गणेश और हनुमान जी की भी मूर्ति स्थापित है। दोस्तों मंडप में स्थित स्तंभों को भैरव की छवियों से अलंकृत किया गया है।साथ ही साथ भगवान विष्णु , देवी दुर्गा ,भगवान शिव शंभू , संगीतकारों , नर्तक - नर्तकियों  को भी बहुत ही सुंदर तरीके से स्तंभों पर उकेरा गया है।दोस्तों मंदिर की बाहरी दीवारों पर शिकार , शिकारियों और सांडों की लड़ाईयों को बहुत ही अद्भुत तरीके से चित्रित किया गया है।

          दोस्तों मंदिर के सामने ही नंदी बाबा मौजूद हैं।

















         (  आवागमन )
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 दोस्तों यह प्राचीन मंदिर ट्रेन और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

 सड़क मार्ग  -     दोस्तों यह प्राचीन मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।जो राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा   अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जो राजधानी रायपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर और  भिलाई नगर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
 रेलमार्ग  - दोस्तों देवबलोदा चरौदा रेलवे स्टेशन मंदिर के पास ही स्थित है । जहां सभी जगह से आने वाली ट्रेनें रूकती है।

 हवाई मार्ग  -  दोस्तों निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई  अड्डा रायपुर में स्थित है।








            धन्यवाद दोस्तों

     माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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      English translate 
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   Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, I warmly greet all of you, friends, on today's journey, I am taking you on a journey to the remote "Devbaloda" city of Chhattisgarh.  Where we will see the very ancient Shiva temple which reminds of Khajuraho due to its amazing architectural style.  Friends, this temple is also known as "Chha Masi" temple.


















 Chhas Masi Shiva Temple


 Devbaloda, Chhattisgarh


 Bharatvarsh







 Hello friends, on today's journey, I am taking you on a journey to Devbaloda, a remote city in the state of Chhattisgarh, where we will see a unique Shiva Dham, which is world famous for its architecture.  Also friends, seeing this temple reminds me of Khajuraho temple.  Friends, this ancient Shiva Dham is also called Chhamasi Temple.

 Friends, this ancient temple was built in the Kalachuri period.  Friends, at this time this ancient temple has been declared a protected monument under the Archaeological Survey of India.







 Friends, during Mahashivratri, a large crowd of pilgrims gather in this ancient temple. Friends, a small fair is also organized in the temple premises.  Where a large number of nearby villages come to enjoy the fair as well as get blessings from God by visiting the Shivling present in the temple.
















 [ Previous associated with the temple] 

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 Friends, according to legends, it is believed that the sculptor who was building this temple was so engrossed in his work, that he did not care about his clothes and body. So he completed the construction work of the temple.  He had become completely naked while working day and night to do this. Friends, it is believed that his wife used to bring food for him every day. But friends, one day for some reason his sister came with food. Friends suddenly saw their sister in front.  Both of them have become so embarrassed that they both jumped into the pond located near the temple to hide themselves. Friends, it is believed that seeing all this, his sister also jumped into another pond near the temple.  Friends, even today both the ponds or the holy tank are present in the temple premises only.  Friends, local people call the pond by the name of Kasara Talab. Friends, there is a strange stone near the pond, which looks like a pot of earth.  Friends, local people tell that this is the same Kalash.  Which was brought by the sister of the sculptor, to fill the water which had turned into stone after that incident.


 Friends, when you come to visit this temple, you will see that when the temple pavilion is still incomplete, perhaps this must have been the reason due to which the temple pavilion would not have been built till date.



















 Friends, local people believe that there is a secret tunnel inside the pond or pool present in the temple premises, which comes out near a temple present in "Arang" town, an old city of Chhattisgarh, which is very far away.  Friends, people tell that when the sculptor jumped into the pond, he found that tunnel, and through the tunnel he reached "Arang" town where he became a stone idol. Friends, it is believed that today at the same place "Bhandev"  The temple has been built.

 Friends, there are 23 steps and 2 ancient wells next to the holy pool present in the temple premises. Friends, it is believed that this temple was constructed in just 6 months, hence it is also known as Chha Masi Mandir.  .





















 (  architecture )

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 Friends, this ancient temple is facing east. Friends, sandstone has been used in the construction of this temple. Friends, there is a sanctum sanctorum in the temple which is connected to a mandap.  The mandapa is dotted with carved pillars.  Which shows the Nagara architectural style.







 One and a half feet high Shivling is installed in the sanctum sanctorum. The inside of the sanctum sanctorum is wonderfully accessed through a highly ornate entrance guarded by Shaivite gatekeepers. Also inside the sanctum sanctorum are Mata Parvati, Lord Ganesha and Hanuman  The idol of Ji is also installed.  The pillars located in the Friends Mandap are decorated with the images of Bhairav. As well as Lord Vishnu, Goddess Durga, Lord Shiva Shambhu, musicians, dancers - dancers, have been carved on the pillars in a very beautiful way. Friends, the exterior of the temple.  The battles of hunting, hunters and bulls are depicted in a very wonderful way on the walls.


 Friends, Nandi Baba is present in front of the temple itself.

















 (  Traffic )

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 Friends, this ancient temple is well connected by train and road.


 By Road - Friends This ancient temple is well connected with National Highway. Which is well connected by National Highway.  Which is located at a distance of 20 kilometers from the capital Raipur and 15 kilometers from Bhilai Nagar.









 Railroad - Friends Devbaloda Charoda railway station is located near the temple.  Where trains coming from all the places stop.







 By Air - Friends, the nearest airport is Swami Vivekananda Airport, located in Raipur.








 thanks guys


 Mountain Leopard                Mahendra🧗🧗






























  Mountain Leopard               Mahendra 🧗🧗















Friday, June 4, 2021

एक यात्रा महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में मौजूद अद्भुत और अलौकिक अति प्राचीन पंचगंगा मंदिर की जहां स्वयं भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु और भगवान शिव पवित्र नदियों के रूप में विराजमान हैं-जिला सातारा महाबलेश्वर महाराष्ट्र भारत A visit to the wonderful and supernatural very ancient Panchganga temple in Mahabaleshwar, Maharashtra where Lord Brahma himself, Lord Vishnu and Lord Shiva are seated in the form of holy rivers - District Satara Mahabaleshwar Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje



























    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तोंआज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्रा के सतारा जिले में स्थित प्राचीन महाबलेश्वर शहर की यात्रा पर जहां हम देखेंगे अति प्राचीन पंचगंगा मंदिर को जहां पांच पवित्र नदियां एक साथ पत्थर के बने गाय के मुख से निकलती है।









                     पंचगंगा मंदिर

           सतारा - महाबलेश्वर  -महाराष्ट्र

                       भारतवर्ष
 
दोस्तों महाराष्ट्र के महाबलेश्वर बस अड्डा से 6 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन पंचगंगा मंदिर मौजूद है ।दोस्तों प्राचीन पंचगंगा मंदिर महाराष्ट्र के सतारा जिले के पुराने महाबलेश्वर में महाबलेश्वर मंदिर के पास ही स्थित है।
                          दोस्तों पुराणों के अनुसार माना जाता है कि पंचगंगा मंदिर का निर्माण 5 पवित्र नदियों कृष्णा ,वेन्ना , सावित्री , कोएना और गायत्री नदियों के संगम पर किया गया है।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर में अद्भुत रूप से एक पत्थर के बने गाय की मूर्ति के मुख से सभी पवित्र नदियां निकलती  हैं। इसलिए दोस्तों इस पवित्र स्थल को पंचगंगा मंदिर के नाम से जाना जाता है।











            दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में देवगिरि के यादव शासक राजा सिंघाड़े के द्वारा करवाया गया था।साथ ही दोस्तों यह भी पता चलता है कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में जाओली के राजा चंद्र राव मोरे और महान मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी बड़े पैमाने पर इस मंदिर की संरचना में सुधार करवाया था।

              दोस्तों प्राचीन पंचगंगा मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कृष्ण की एक बहुत ही सुंदर मूर्ति स्थापित है।

     



















           (    पंचगंगा मंदिर  )
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 दोस्तों प्राचीन पंचगंगा मंदिर धरती के उस बिंदु पर बना है जहां पर पांच पवित्र नदियां आकर मिलती है। दोस्तों इन पांचों नदियों को महाराष्ट्रा में गंगा नदी की तरह पवित्र माना जाता है। दोस्तों इन पांचों पवित्र नदियों के संगम स्थल होने के कारण ही इस मंदिर को पंचगंगा मंदिर के नाम से जाना जाता है।

                 दोस्तों अद्भुत रूप से इन पांचों पवित्र नदियों का जल संयुक्त रूप से पत्थर के बने गाय के मुख से बहती रहती है। दोस्तों पत्थर के बने इस पवित्र गाय को गौमुखी के नाम से जाना जाता है। 
  
             दोस्तों प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण यहां आते हैं । और पंचगंगा मंदिर की दर्शन करते हैं । और इन पवित्र नदियों के जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। साथ ही दोस्तों धार्मिक गतिविधियों में उपयोग करने के लिए इन पवित्र नदियों के जल को बोतलों में भरकर अपने घर भी ले जाते हैं।




















  ( प्राचीन पंचगंगा मंदिर की ऐतिहासिकता )
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 दोस्तों इस प्राचीन पंचगंगा मंदिर की इतिहास की कोई सही जानकारी नहीं मिल पाती है। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर 4500 से 5000 वर्ष पुराना हो सकता है।दोस्तों कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस मंदिर के भवन का निर्माण 13वीं शताब्दी में यादव राजा सिंघाड़े ने करवाया था।साथ ही बड़े पैमाने पर इस मंदिर का पुनः निर्माण कार्य 16वीं और 17वीं शताब्दी में राजा चंद्र राव मोरे और छत्रपति महाराज शिवाजी द्वारा भी करवाया गया था।



















     ( पौराणिक कथा पंचगंगा मंदिर की )
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दोस्तों पौराणिक कहानियों के अनुसार माना जाता है कि एक बार त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा , भगवान  विष्णु और भगवान शिव को इस पवित्र देवभूमि में पवित्र अनुष्ठान यज्ञ करना था , दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि हिंदुओं के धार्मिक अनुष्ठानों में पति और पत्नी दोनों का होना अनिवार्य होता है अतः दोस्तों माना जाता है कि उस समय माता सरस्वती वहां मौजूद नहीं थी।  जिस कारण से यज्ञ में देरी हो रही थी तब दोस्तों भगवान ब्रह्मा ने इंद्रदेव से कहा कि कृपया यज्ञ को पूरा करने के लिए एक पवित्र कन्या की व्यवस्था करें।
                      दोस्तों तब जाकर इंद्रदेव ने पास के ही एक गांव में रहने वाली गायत्री नाम की एक सुंदर कन्या को देखा जो पवित्र तो थी ही साथ ही में हमेशा भगवान में लीन रहा करती थी। दोस्तों यह सब जानकर इंद्रदेव गायत्री को लेकर यज्ञ स्थल पर पहुंचे।तब भगवान ब्रह्मा ने गायत्री से विवाह किया और यज्ञ को पूर्ण करने के लिए गायत्री अमृत कलश लेकर ब्रह्मा जी के साथ यज्ञ स्थल पर विराजमान हो जाती है।
        
       दोस्तों यह खबर जब माता सरस्वती को पहुंचती है तो वह क्रोधित होकर यज्ञ स्थल पर पहुंचती है। और ब्रह्मा जी को गायत्री के साथ यज्ञ में आहुति देते देख और भी क्रोधित हो जाती है।अतः दोस्तों माना जाता है कि माता सरस्वती क्रोध में आकर त्रिदेवों को श्राप दे देती है। जिस कारण से ब्रह्मा , विष्णु , महेश नदियों में परिवर्तित हो जाते हैं और गायत्री जलकुंड के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
 
             दोस्तों तभी से यहां भगवान ब्रह्मा को  वेन्ना नदी , भगवान विष्णु को कृष्णा नदी और भगवान शिव को कोयना नदी के रूप में जाना जाने लगा।साथ ही दोस्तों सावित्री और गायत्री नदियों को संयुक्त रूप से एक ही नाम से जाना जाता है।
  
       दोस्तों इस मंदिर से जुड़ा हुआ एक और किवदंती है जिसके अनुसार माना जाता है कि प्राचीन पंचगंगा मंदिर में 7 नदियां प्रवाहित होती है। जिसमें से 5 नदियां लगातार प्रवाहित होती रहती है जबकि दो अन्य सरस्वती 12 वर्ष पर प्रवाहित होती है और भागीरथी 60 वर्षों पर प्रवाहित होती है।











              ( अद्भुत वास्तुकला )
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  दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की वास्तुकला काफी प्राचीन व अद्भुत है। यह भारत के महान वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है।दोस्तों मंदिर का अधिकतर भाग खुला है। मंदिर परिसर में संगमरमर के दो तालाब बने हुए हैं जो हमेशा पानी से भरे रहते हैं। दोस्तों मंदिर के निर्माण में काले पत्थरों का उपयोग किया गया है साथ ही दोस्तों मंदिर का छत नक्काशीदार खंभों पर टिका हुआ है।
         दोस्तों मंदिर में दो जलकुंड बने हुए हैं दोस्तों पहले वाले कुंड में गाय माता की खूबसूरत पत्थर की मूर्ति बनी हुई है जिससे जल का निरंतर प्रवाह होते रहता है।दोस्तों दूसरे वाले कुंड में भी पत्थर की खूबसूरत गाय की मूर्ति बनी हुई है लेकिन जल का निरंतर प्रवाह नहीं होता है क्योंकि दूसरा जल कुंड पहले वाले जल कुंड से पानी प्राप्त करता है जब पहला वाला जल कुंड पूरी तरह से भर जाता है।
    दोस्तों ये जलकुंड ज्यादा गहरे नहीं है इन दोनों कुंडों में 8 , 8  सीढ़ियां बनी हुई है। दोस्तों दोनों जलकुंड देखने में एक जैसे लगते हैं दोस्तों पत्थर से बनी गाय की मूर्ति बहुत ही खूबसूरत है। दोस्तों आप देख सकते हैं कि अलौकिक रूप से गाय के मुख से लगातार पानी बहते रहती है। साथी दोस्तों अद्भुत रूप से गाय का एक छोटा सा बछड़ा दूध चूस रहा होता है।
           दोस्तों मंदिर में पांच छोटे-छोटे हॉल बने बने हुए हैं जहां प्रत्येक नदी का जल पत्थर के बने गाय की मूर्ति में आता जाता है जहां अद्भुत रूप से पांचों पवित्र नदियों का जल आपस में मिश्रित होते हैं और चमत्कारिक रूप से गाय के मुख से बहता रहता है।साथ ही दोस्तों मंदिर के छोटे से हॉल में भगवान विष्णु की मूर्ति भी स्थापित है जहां कृष्णा नदी का पानी आता है।




















           दोस्तों महाबलेश्वर शहर का मौसम सालों भर खुशनुमा बना रहता है इसलिए दोस्तों आप सभी वर्ष के किसी भी समय यहां आ जा सकते हैं।लेकिन दोस्तों पंचगंगा मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान होता है दोस्त हो इसलिए हो सके तो बरसात के मौसम में इस जगह की यात्रा जरूर करें तभी आप सभी को इस जगह की असली खूबसूरती देखने को मिल पाएगी।
          दोस्तों पंचगंगा मंदिर रोजाना सुबह 6:00 बजे खुलता है और देर शाम 7:00 बजे बंद हो जाता है।








                  धन्यवाद दोस्तों

         माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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             English translate
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, today I am taking you on a journey to the ancient city of Mahabaleshwar, located in the Satara district of Maharashtra, where we will see the ancient Panchganga temple where five holy rivers come together.  It comes out of the mouth of a cow made of stone.









 Panchganga Temple


 Satara - Mahabaleshwar - Maharashtra


 Bharatvarsh









 Friends, ancient Panchganga temple is present at a distance of 6 kilometers from Mahabaleshwar bus stand in Maharashtra. Friends, ancient Panchganga temple is located near Mahabaleshwar temple in old Mahabaleshwar of Satara district of Maharashtra.

 Friends, according to the Puranas, it is believed that the Panchganga temple has been constructed at the confluence of 5 holy rivers Krishna, Venna, Savitri, Koena and Gayatri. Friends, in this ancient temple, wonderfully made of stone, with the mouth of a cow idol.  All the holy rivers originate.  Therefore friends, this holy place is known as Panchganga Temple.


 Friends, historical documents show that this temple was built in the 13th century by the Yadava ruler Raja Singhade of Devgiri. Also it is known that in the 16th and 17th centuries, Raja Chandra Rao More of Jaoli and the great Maratha  Emperor Chhatrapati Shivaji Maharaj had also extensively improved the structure of this temple.


 Friends, the ancient Panchganga temple is dedicated to Lord Krishna.  Friends, a very beautiful idol of Lord Krishna is installed in the sanctum sanctorum of the temple.


















 (Panchganga Temple)

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 Friends, the ancient Panchganga temple is built on the point of the earth where five holy rivers meet.  Friends, these five rivers are considered as sacred as the Ganges river in Maharashtra.  Friends, due to being the confluence of these five holy rivers, this temple is known as Panchganga Temple.


 Friends, wonderfully, the water of these five holy rivers flows jointly through the mouth of a cow made of stone.  Friends, this holy cow made of stone is known as Gaumukhi.



 Friends, thousands of devotees come here every year.  And visit Panchganga temple.  And take the water of these holy rivers as prasad.  Along with this, friends fill the water of these holy rivers in bottles and take them to their homes to use in religious activities.
























 (Historicism of ancient Panchganga temple)

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 Friends, there is no correct information about the history of this ancient Panchganga temple.  Many historians believe that this temple can be 4500 to 5000 years old. Friends, some historical documents show that the building of this temple was built by Yadav king Singhade in the 13th century. Also this temple was built on a large scale.  Reconstruction work was also done by Raja Chandra Rao More and Chhatrapati Maharaj Shivaji in the 16th and 17th centuries.























 (Mythology of Panchganga Temple)

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 Friends, according to mythological stories, it is believed that once Tridev i.e. Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Shiva had to perform a sacred ritual yagna in this holy Devbhoomi, friends, as you would know that in the religious rituals of Hindus both husband and wife.  It is necessary to be there, so friends, it is believed that Mata Saraswati was not present there at that time.  Due to which the Yagya was getting delayed, then friends Lord Brahma told Indradev that please arrange a holy girl to complete the Yagya.

 Friends, then Indradev saw a beautiful girl named Gayatri living in a nearby village, who was holy and at the same time was always absorbed in God.  Friends, knowing all this, Indradev reached the place of Yagya with Gayatri. Then Lord Brahma married Gayatri and in order to complete the Yagya, Gayatri sits at the Yagya site with Brahma ji with the nectar urn.



 Friends, when this news reaches to Goddess Saraswati, she gets angry and reaches the place of Yagya.  And seeing Brahma ji offering sacrifice in the yagya along with Gayatri, she becomes even more angry. So friends, it is believed that Mother Saraswati, in anger, curses the Tridevs.  Due to which Brahma, Vishnu, Mahesh get converted into rivers and Gayatri gets converted into water tank.



 Since then, Lord Brahma came to be known as Venna River, Lord Vishnu as Krishna River and Lord Shiva as Koyna River. Also friends Savitri and Gayatri rivers are jointly known by the same name.



 Friends, there is another legend associated with this temple, according to which it is believed that 7 rivers flow in the ancient Panchganga temple.  Out of which 5 rivers flow continuously while two other Saraswati flows after 12 years and Bhagirathi flows after 60 years.




















 ( Amazing Architecture )

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 Friends, the architecture of this ancient temple is quite ancient and wonderful.  It represents the great architecture of India. Friends, most of the temple is open.  There are two marble ponds in the temple premises which are always filled with water.  Friends, black stones have been used in the construction of the temple, as well as the roof of the friends temple rests on carved pillars.

 Friends, there are two water bodies in the temple. Friends, in the first tank, there is a beautiful stone idol of cow mother, due to which there is a continuous flow of water. Friends, in the second pool also there is a beautiful stone idol of cow but of water.  There is no continuous flow because the second reservoir receives water from the first one when the first one is completely filled.

 Friends, this water tank is not very deep, there are 8, 8  steps in both these pools.  Friends, both the water bodies look alike, friends, the idol of a cow made of stone is very beautiful.  Friends, you can see that supernaturally, water flows continuously from the mouth of the cow.  Fellow friends, wonderfully a small calf of a cow is sucking milk.

 Friends, there are five small halls in the temple, where the water of each river flows into the idol of a cow made of stone, where wonderfully the waters of the five holy rivers mix together and miraculously flow from the mouth of the cow.  Also friends, the idol of Lord Vishnu is also installed in the small hall of the temple where the water of the Krishna river comes.


























 Friends, the weather of Mahabaleshwar city remains pleasant throughout the year, so friends, all of you can come here at any time of the year. But friends, the best time to visit the Panchganga temple is during the monsoon, so if possible, during the rainy season.  Make sure to visit this place in the season, only then you all will be able to see the real beauty of this place.

 Friends, Panchganga temple opens daily at 6:00 am and closes at 7:00 pm.











 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗















 Mountain leopard Mahendra.                              🧗🧗


























Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...