Friday, June 4, 2021

एक यात्रा महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में मौजूद अद्भुत और अलौकिक अति प्राचीन पंचगंगा मंदिर की जहां स्वयं भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु और भगवान शिव पवित्र नदियों के रूप में विराजमान हैं-जिला सातारा महाबलेश्वर महाराष्ट्र भारत A visit to the wonderful and supernatural very ancient Panchganga temple in Mahabaleshwar, Maharashtra where Lord Brahma himself, Lord Vishnu and Lord Shiva are seated in the form of holy rivers - District Satara Mahabaleshwar Maharashtra India.

Ek yatra khajane ki khoje



























    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तोंआज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं महाराष्ट्रा के सतारा जिले में स्थित प्राचीन महाबलेश्वर शहर की यात्रा पर जहां हम देखेंगे अति प्राचीन पंचगंगा मंदिर को जहां पांच पवित्र नदियां एक साथ पत्थर के बने गाय के मुख से निकलती है।









                     पंचगंगा मंदिर

           सतारा - महाबलेश्वर  -महाराष्ट्र

                       भारतवर्ष
 
दोस्तों महाराष्ट्र के महाबलेश्वर बस अड्डा से 6 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन पंचगंगा मंदिर मौजूद है ।दोस्तों प्राचीन पंचगंगा मंदिर महाराष्ट्र के सतारा जिले के पुराने महाबलेश्वर में महाबलेश्वर मंदिर के पास ही स्थित है।
                          दोस्तों पुराणों के अनुसार माना जाता है कि पंचगंगा मंदिर का निर्माण 5 पवित्र नदियों कृष्णा ,वेन्ना , सावित्री , कोएना और गायत्री नदियों के संगम पर किया गया है।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर में अद्भुत रूप से एक पत्थर के बने गाय की मूर्ति के मुख से सभी पवित्र नदियां निकलती  हैं। इसलिए दोस्तों इस पवित्र स्थल को पंचगंगा मंदिर के नाम से जाना जाता है।











            दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में देवगिरि के यादव शासक राजा सिंघाड़े के द्वारा करवाया गया था।साथ ही दोस्तों यह भी पता चलता है कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में जाओली के राजा चंद्र राव मोरे और महान मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी बड़े पैमाने पर इस मंदिर की संरचना में सुधार करवाया था।

              दोस्तों प्राचीन पंचगंगा मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कृष्ण की एक बहुत ही सुंदर मूर्ति स्थापित है।

     



















           (    पंचगंगा मंदिर  )
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 दोस्तों प्राचीन पंचगंगा मंदिर धरती के उस बिंदु पर बना है जहां पर पांच पवित्र नदियां आकर मिलती है। दोस्तों इन पांचों नदियों को महाराष्ट्रा में गंगा नदी की तरह पवित्र माना जाता है। दोस्तों इन पांचों पवित्र नदियों के संगम स्थल होने के कारण ही इस मंदिर को पंचगंगा मंदिर के नाम से जाना जाता है।

                 दोस्तों अद्भुत रूप से इन पांचों पवित्र नदियों का जल संयुक्त रूप से पत्थर के बने गाय के मुख से बहती रहती है। दोस्तों पत्थर के बने इस पवित्र गाय को गौमुखी के नाम से जाना जाता है। 
  
             दोस्तों प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण यहां आते हैं । और पंचगंगा मंदिर की दर्शन करते हैं । और इन पवित्र नदियों के जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। साथ ही दोस्तों धार्मिक गतिविधियों में उपयोग करने के लिए इन पवित्र नदियों के जल को बोतलों में भरकर अपने घर भी ले जाते हैं।




















  ( प्राचीन पंचगंगा मंदिर की ऐतिहासिकता )
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 दोस्तों इस प्राचीन पंचगंगा मंदिर की इतिहास की कोई सही जानकारी नहीं मिल पाती है। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर 4500 से 5000 वर्ष पुराना हो सकता है।दोस्तों कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस मंदिर के भवन का निर्माण 13वीं शताब्दी में यादव राजा सिंघाड़े ने करवाया था।साथ ही बड़े पैमाने पर इस मंदिर का पुनः निर्माण कार्य 16वीं और 17वीं शताब्दी में राजा चंद्र राव मोरे और छत्रपति महाराज शिवाजी द्वारा भी करवाया गया था।



















     ( पौराणिक कथा पंचगंगा मंदिर की )
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दोस्तों पौराणिक कहानियों के अनुसार माना जाता है कि एक बार त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा , भगवान  विष्णु और भगवान शिव को इस पवित्र देवभूमि में पवित्र अनुष्ठान यज्ञ करना था , दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि हिंदुओं के धार्मिक अनुष्ठानों में पति और पत्नी दोनों का होना अनिवार्य होता है अतः दोस्तों माना जाता है कि उस समय माता सरस्वती वहां मौजूद नहीं थी।  जिस कारण से यज्ञ में देरी हो रही थी तब दोस्तों भगवान ब्रह्मा ने इंद्रदेव से कहा कि कृपया यज्ञ को पूरा करने के लिए एक पवित्र कन्या की व्यवस्था करें।
                      दोस्तों तब जाकर इंद्रदेव ने पास के ही एक गांव में रहने वाली गायत्री नाम की एक सुंदर कन्या को देखा जो पवित्र तो थी ही साथ ही में हमेशा भगवान में लीन रहा करती थी। दोस्तों यह सब जानकर इंद्रदेव गायत्री को लेकर यज्ञ स्थल पर पहुंचे।तब भगवान ब्रह्मा ने गायत्री से विवाह किया और यज्ञ को पूर्ण करने के लिए गायत्री अमृत कलश लेकर ब्रह्मा जी के साथ यज्ञ स्थल पर विराजमान हो जाती है।
        
       दोस्तों यह खबर जब माता सरस्वती को पहुंचती है तो वह क्रोधित होकर यज्ञ स्थल पर पहुंचती है। और ब्रह्मा जी को गायत्री के साथ यज्ञ में आहुति देते देख और भी क्रोधित हो जाती है।अतः दोस्तों माना जाता है कि माता सरस्वती क्रोध में आकर त्रिदेवों को श्राप दे देती है। जिस कारण से ब्रह्मा , विष्णु , महेश नदियों में परिवर्तित हो जाते हैं और गायत्री जलकुंड के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
 
             दोस्तों तभी से यहां भगवान ब्रह्मा को  वेन्ना नदी , भगवान विष्णु को कृष्णा नदी और भगवान शिव को कोयना नदी के रूप में जाना जाने लगा।साथ ही दोस्तों सावित्री और गायत्री नदियों को संयुक्त रूप से एक ही नाम से जाना जाता है।
  
       दोस्तों इस मंदिर से जुड़ा हुआ एक और किवदंती है जिसके अनुसार माना जाता है कि प्राचीन पंचगंगा मंदिर में 7 नदियां प्रवाहित होती है। जिसमें से 5 नदियां लगातार प्रवाहित होती रहती है जबकि दो अन्य सरस्वती 12 वर्ष पर प्रवाहित होती है और भागीरथी 60 वर्षों पर प्रवाहित होती है।











              ( अद्भुत वास्तुकला )
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  दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की वास्तुकला काफी प्राचीन व अद्भुत है। यह भारत के महान वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है।दोस्तों मंदिर का अधिकतर भाग खुला है। मंदिर परिसर में संगमरमर के दो तालाब बने हुए हैं जो हमेशा पानी से भरे रहते हैं। दोस्तों मंदिर के निर्माण में काले पत्थरों का उपयोग किया गया है साथ ही दोस्तों मंदिर का छत नक्काशीदार खंभों पर टिका हुआ है।
         दोस्तों मंदिर में दो जलकुंड बने हुए हैं दोस्तों पहले वाले कुंड में गाय माता की खूबसूरत पत्थर की मूर्ति बनी हुई है जिससे जल का निरंतर प्रवाह होते रहता है।दोस्तों दूसरे वाले कुंड में भी पत्थर की खूबसूरत गाय की मूर्ति बनी हुई है लेकिन जल का निरंतर प्रवाह नहीं होता है क्योंकि दूसरा जल कुंड पहले वाले जल कुंड से पानी प्राप्त करता है जब पहला वाला जल कुंड पूरी तरह से भर जाता है।
    दोस्तों ये जलकुंड ज्यादा गहरे नहीं है इन दोनों कुंडों में 8 , 8  सीढ़ियां बनी हुई है। दोस्तों दोनों जलकुंड देखने में एक जैसे लगते हैं दोस्तों पत्थर से बनी गाय की मूर्ति बहुत ही खूबसूरत है। दोस्तों आप देख सकते हैं कि अलौकिक रूप से गाय के मुख से लगातार पानी बहते रहती है। साथी दोस्तों अद्भुत रूप से गाय का एक छोटा सा बछड़ा दूध चूस रहा होता है।
           दोस्तों मंदिर में पांच छोटे-छोटे हॉल बने बने हुए हैं जहां प्रत्येक नदी का जल पत्थर के बने गाय की मूर्ति में आता जाता है जहां अद्भुत रूप से पांचों पवित्र नदियों का जल आपस में मिश्रित होते हैं और चमत्कारिक रूप से गाय के मुख से बहता रहता है।साथ ही दोस्तों मंदिर के छोटे से हॉल में भगवान विष्णु की मूर्ति भी स्थापित है जहां कृष्णा नदी का पानी आता है।




















           दोस्तों महाबलेश्वर शहर का मौसम सालों भर खुशनुमा बना रहता है इसलिए दोस्तों आप सभी वर्ष के किसी भी समय यहां आ जा सकते हैं।लेकिन दोस्तों पंचगंगा मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान होता है दोस्त हो इसलिए हो सके तो बरसात के मौसम में इस जगह की यात्रा जरूर करें तभी आप सभी को इस जगह की असली खूबसूरती देखने को मिल पाएगी।
          दोस्तों पंचगंगा मंदिर रोजाना सुबह 6:00 बजे खुलता है और देर शाम 7:00 बजे बंद हो जाता है।








                  धन्यवाद दोस्तों

         माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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             English translate
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, today I am taking you on a journey to the ancient city of Mahabaleshwar, located in the Satara district of Maharashtra, where we will see the ancient Panchganga temple where five holy rivers come together.  It comes out of the mouth of a cow made of stone.









 Panchganga Temple


 Satara - Mahabaleshwar - Maharashtra


 Bharatvarsh









 Friends, ancient Panchganga temple is present at a distance of 6 kilometers from Mahabaleshwar bus stand in Maharashtra. Friends, ancient Panchganga temple is located near Mahabaleshwar temple in old Mahabaleshwar of Satara district of Maharashtra.

 Friends, according to the Puranas, it is believed that the Panchganga temple has been constructed at the confluence of 5 holy rivers Krishna, Venna, Savitri, Koena and Gayatri. Friends, in this ancient temple, wonderfully made of stone, with the mouth of a cow idol.  All the holy rivers originate.  Therefore friends, this holy place is known as Panchganga Temple.


 Friends, historical documents show that this temple was built in the 13th century by the Yadava ruler Raja Singhade of Devgiri. Also it is known that in the 16th and 17th centuries, Raja Chandra Rao More of Jaoli and the great Maratha  Emperor Chhatrapati Shivaji Maharaj had also extensively improved the structure of this temple.


 Friends, the ancient Panchganga temple is dedicated to Lord Krishna.  Friends, a very beautiful idol of Lord Krishna is installed in the sanctum sanctorum of the temple.


















 (Panchganga Temple)

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 Friends, the ancient Panchganga temple is built on the point of the earth where five holy rivers meet.  Friends, these five rivers are considered as sacred as the Ganges river in Maharashtra.  Friends, due to being the confluence of these five holy rivers, this temple is known as Panchganga Temple.


 Friends, wonderfully, the water of these five holy rivers flows jointly through the mouth of a cow made of stone.  Friends, this holy cow made of stone is known as Gaumukhi.



 Friends, thousands of devotees come here every year.  And visit Panchganga temple.  And take the water of these holy rivers as prasad.  Along with this, friends fill the water of these holy rivers in bottles and take them to their homes to use in religious activities.
























 (Historicism of ancient Panchganga temple)

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 Friends, there is no correct information about the history of this ancient Panchganga temple.  Many historians believe that this temple can be 4500 to 5000 years old. Friends, some historical documents show that the building of this temple was built by Yadav king Singhade in the 13th century. Also this temple was built on a large scale.  Reconstruction work was also done by Raja Chandra Rao More and Chhatrapati Maharaj Shivaji in the 16th and 17th centuries.























 (Mythology of Panchganga Temple)

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 Friends, according to mythological stories, it is believed that once Tridev i.e. Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Shiva had to perform a sacred ritual yagna in this holy Devbhoomi, friends, as you would know that in the religious rituals of Hindus both husband and wife.  It is necessary to be there, so friends, it is believed that Mata Saraswati was not present there at that time.  Due to which the Yagya was getting delayed, then friends Lord Brahma told Indradev that please arrange a holy girl to complete the Yagya.

 Friends, then Indradev saw a beautiful girl named Gayatri living in a nearby village, who was holy and at the same time was always absorbed in God.  Friends, knowing all this, Indradev reached the place of Yagya with Gayatri. Then Lord Brahma married Gayatri and in order to complete the Yagya, Gayatri sits at the Yagya site with Brahma ji with the nectar urn.



 Friends, when this news reaches to Goddess Saraswati, she gets angry and reaches the place of Yagya.  And seeing Brahma ji offering sacrifice in the yagya along with Gayatri, she becomes even more angry. So friends, it is believed that Mother Saraswati, in anger, curses the Tridevs.  Due to which Brahma, Vishnu, Mahesh get converted into rivers and Gayatri gets converted into water tank.



 Since then, Lord Brahma came to be known as Venna River, Lord Vishnu as Krishna River and Lord Shiva as Koyna River. Also friends Savitri and Gayatri rivers are jointly known by the same name.



 Friends, there is another legend associated with this temple, according to which it is believed that 7 rivers flow in the ancient Panchganga temple.  Out of which 5 rivers flow continuously while two other Saraswati flows after 12 years and Bhagirathi flows after 60 years.




















 ( Amazing Architecture )

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 Friends, the architecture of this ancient temple is quite ancient and wonderful.  It represents the great architecture of India. Friends, most of the temple is open.  There are two marble ponds in the temple premises which are always filled with water.  Friends, black stones have been used in the construction of the temple, as well as the roof of the friends temple rests on carved pillars.

 Friends, there are two water bodies in the temple. Friends, in the first tank, there is a beautiful stone idol of cow mother, due to which there is a continuous flow of water. Friends, in the second pool also there is a beautiful stone idol of cow but of water.  There is no continuous flow because the second reservoir receives water from the first one when the first one is completely filled.

 Friends, this water tank is not very deep, there are 8, 8  steps in both these pools.  Friends, both the water bodies look alike, friends, the idol of a cow made of stone is very beautiful.  Friends, you can see that supernaturally, water flows continuously from the mouth of the cow.  Fellow friends, wonderfully a small calf of a cow is sucking milk.

 Friends, there are five small halls in the temple, where the water of each river flows into the idol of a cow made of stone, where wonderfully the waters of the five holy rivers mix together and miraculously flow from the mouth of the cow.  Also friends, the idol of Lord Vishnu is also installed in the small hall of the temple where the water of the Krishna river comes.


























 Friends, the weather of Mahabaleshwar city remains pleasant throughout the year, so friends, all of you can come here at any time of the year. But friends, the best time to visit the Panchganga temple is during the monsoon, so if possible, during the rainy season.  Make sure to visit this place in the season, only then you all will be able to see the real beauty of this place.

 Friends, Panchganga temple opens daily at 6:00 am and closes at 7:00 pm.











 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗















 Mountain leopard Mahendra.                              🧗🧗


























Wednesday, June 2, 2021

एक यात्रा चेलुवनारायण स्वामी मंदिर की जहां कालांतर में प्रभू श्रीराम अपने दोनों पुत्रों के साथ भ्रमण किए थे - मेलुकोट कर्नाटक भारत। A visit to the Cheluvanarayana Swamy temple where Lord Sri Rama later visited with his two sons - Melukote Karnataka India.

Ek yatra khajane ki khoje





























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे मेलुकोट की यात्रा पर जहां मौजूद हैं अति प्राचीनतम चेलुवनारायण स्वामी मंदिर। जहां कभी प्रभु श्री राम अपने दोनों पुत्र लव और कुश के साथ पधारे थे।दोस्तों यह प्राचीन मंदिर अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।









          चेलुवनारायण स्वामी मंदिर

              मेलुकोट  कर्नाटक

                  भारतवर्ष


 दोस्तों कावेरी घाटी की ओर मुख वाली यादवगिरि  या यदुगिरी के नाम से जानी जाने वाली चट्टानी पहाड़ियों पर निर्मित चेलुवनारायण स्वामी मंदिर मेलकोट में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।दोस्तों इस प्राचीन मंदिर में स्थापित प्रमुख पीठासीन देवता चेलुवनारायण स्वामी है जो श्री हरि भगवान विष्णु के ही एक रूप हैं दोस्तों मैसूर के तत्कालीन राजाओं के संरक्षण में इस मंदिर में काफी समृद्धि हासिल की थी।


               (   वैरामुडी उत्सव  )
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 दोस्तों वैरामुडी उत्सव इस प्राचीन मंदिर का वार्षिक त्योहार है जो मार्च व अप्रैल के महीने में आयोजित किया जाता है। इस दौरान लाखों तीर्थयात्री इस मंदिर में भगवान का दर्शन करने आते हैं।दोस्तों मंदिर परिसर में ही सबसे पुराना संस्कृत कॉलेज मौजूद है जो "श्री वेद वेदांत बोधनी" संस्कृत महापाठशाला के नाम से जाना जाता है जो सन 18 सो 54 में स्थापित किया गया था। 



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दोस्तों चेलुवनारायण स्वामी मंदिर जिसे थिरूनारायणपुरा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।दोस्तों यह प्राचीन मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले के मेलकोट कस्बा में मौजूद है। दोस्तों अद्भुत रूप से मंदिर को चट्टानी पहाड़ों पर निर्मित किया गया है।दोस्तों मंदिर को गौर से देखने पर ऐसा लगता है कि मानो या मंदिर कावेरी घाटी की ओर देख रहा हो या फिर कावेरी घाटी की निगरानी कर रहा हो।
      दोस्तों यह प्राचीन मंदिर मैसूर शहर से लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर और बेंगलुरु शहर से 156 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।










              (     मंदिर परिसर  )
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दोस्तों इस प्राचीन मंदिर को नक्काशी दार खंभों से पंक्तिबद्ध किया गया है दोस्तों मंदिर के शीर्ष पर एक गुंबद स्थापित है जिससे अद्भुत रूप से नक्काशीदार मूर्तियों से सजाया गया है। दोस्तों इस प्राचीन मंदिर के प्रमुख देवता चेलुवनारायण स्वामी है जो उनमगासु विली और  चेलुवापिल्ले राया  के नाम से भी जाने जाते हैं दोस्तों ये भगवान विष्णु के ही एक स्वरूप हैं।
                       दोस्तों मंदिर परिसर में मौजूद शिलालेख में भगवान को राम प्रिया के नाम से भी उल्लेख किया गया है दोस्तों माना जाता है कि प्रभु श्री राम ने अपने दोनों पुत्रों लव और कुश के साथ इस मंदिर का दौरा किया था और मंदिर में मौजूद देवताओं को पुष्पांजलि अर्पित की थी।


















दोस्तों माना जाता है कि मुगल आक्रमणकारी महमूद शाह ने इस मंदिर पर आक्रमण कर मंदिर में मौजूद भगवान की धातु की मूर्ति को अपने साथ उठाकर लेकर चला गया था। दोस्तों भगवान की धातु की मूर्ति को वह अपनी बेटी बीबी नचियारी को खिलौने के रूप में खेलने के लिए दे दिया था।परंतु दोस्तों कहां जाता है कि वह भगवान की मूर्ति के साथ खेलने के बजाय पूजा करने लगी थी और भगवान के भक्ति में लीन हो गई थी। दोस्तों यह सब देखकर महमूद शाह ने भगवान की मूर्ति को वापस रामानुजाचार्य को लौटा दिया था।दोस्तों यह भी कहा जाता है कि वह भगवान की भक्ति में इतनी लीन हो गई थी कि उसकी मौत भी भगवान के चरणों में इसी मंदिर परिसर में हुई थी।साथ ही दोस्तों ऐसा भी माना जाता है कि उसकी आत्मा अग्नि पुंज के रूप में भगवान की मूर्ति में विलीन हो गई थी।











  (  मंदिर की अद्भुत प्राचीन वास्तु कला  )
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 दोस्तों इस अद्भुत और खूबसूरत मंदिर को द्रविड़ शैली में निर्मित किया गया है।दोस्तों मंदिर के ठीक नीचे एक सुंदर तालाब का निर्माण किया गया है जो पत्थरों से बना हुआ है ।दोस्तों जो देखने में सीढ़ीदार कुएं की तरह है।दोस्तों तालाब की सीढ़ियों पर पत्थरों से धनुषाआकार तकियों का निर्माण किया गया है ताकि तीर्थयात्री उन पर आराम कर सके। दोस्तों मंदिर के प्रवेश द्वार को त्रिकोणीय मीनार से सुशोभित किया गया है तथा मुख्य प्रवेश द्वार को स्तंभों वाली संरचनाओं से सजाया गया है दोस्तों जिसके ऊपर खूबसूरत गोपुरम बनाया गया है।दोस्तों मंदिर की बाहरी भाग में खूबसूरत खंभों वाला गलियारा है जहां इन खंभों पर अद्भुत और बारीक नक्काशीदार मूर्तियों को बनाया गया है।
    
             दोस्तों मंदिर का मुख्य गर्भगृह जहां भगवान को स्थापित किया गया है एक वर्गाकार संरचना है।दोस्तों मुख्य गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर एक स्तंभयुक्त गलियारा भी बनाया गया है।दोस्तों मंदिर परिसर में ही मंदिरों जैसी दिखने वाली छोटी संरचनाएं जल में तैरती हुई किश्ती को सुशोभित करती है दोस्तों जो इस मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण स्थापत्य विशेषता है।दोस्तों इन सभी छोटे मंदिरों को सभी दिशाओं में पंक्तिबद्ध हिंदू देवी-देवताओं की सुंदर और नक्काशीदार मूर्तियों से सजाया गया है।दोस्तों ऐसा माना जाता है कि स्थानीय लोगों के द्वारा ये देवगण इस मंदिर को बुरी आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।









 










दोस्तों स्तब्ध कर देने वाली इन स्तंभों में सजावटी नक्काशीयो  वाले हिस्सों को अलग से नहीं जोड़ा गया है बल्कि पूरा स्तंभ एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया है ? क्या इनकी फर्निशिंग देखकर आपको लगता है कि इसे मात्र छेनी - हथौड़ी से तराशा गया होगा। दोस्तों यह अद्भुत और अलौकिक हैं ये हमारे पूर्वजों के अनुपम धरोहर हैं।











 (  आसानी से पहुंचा जा सकता है चेलुवा नारायण स्वामी मंदिर  )
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 हवाई जहाज के द्वारा  -  दोस्तों 133 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मेलकोट का नजदीकी हवाई अड्डा है। 

 रेल द्वारा  -  दोस्तों 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मैसूर रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है ।दोस्तों यह कर्नाटक के प्रमुख शहरों के साथ देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।


 बस के द्वारा  -  दोस्तों केआरटीडीसी की बसे मैसूर और बेंगलुरु दोनों शहरों से नियमित रूप से चलती है। दोस्तों आप मैसूर से तुमकुर और आगे के लिए बस ले सकते हैं और जक्कनहली क्रॉसिंग पर उतर सकते हैं दोस्तों मेलकोट इस जगह से लगभग  6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।







             धन्यवाद दोस्तों

      माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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             English translate
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Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, today I am taking you all on a trip to Melukote, a small town in Karnataka, where the oldest Cheluvanarayana Swamy temple is present.  Where once Lord Shri Ram had come with his two sons Lav and Kush. Friends, this ancient temple is also known for its amazing architecture.










 Cheluvanarayan Swamy Temple


 Melukote, Karnataka


 Bharatvarsh












 Friends: The Cheluvanarayana Swamy Temple, built on the rocky hills known as Yadavagiri or Yadugiri, facing the Cauvery Valley, is a famous pilgrimage site located in Melkot. Friends, the principal presiding deity enshrined in this ancient temple is Cheluvanarayana Swamy, the deity of Sri Hari Lord Vishnu.  Friends are a form, under the patronage of the then kings of Mysore, this temple had achieved great prosperity.











 (Vairamudi festival)

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 Friends Vairamudi festival is the annual festival of this ancient temple which is held in the month of March and April.  During this time, lakhs of pilgrims come to see the Lord in this temple. The oldest Sanskrit college is present in the two temple premises which is known as "Sri Ved Vedanta Bodhani" Sanskrit Mahapathasala which was established in 1854.  .



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 Friends Cheluvanarayana Swamy Temple also known as Thirunarayanapura Temple. Friends, this ancient temple is present in Melkot town of Mandya district in Karnataka state, India.  Friends, wonderfully the temple has been built on the rocky mountains. Friends, on looking closely at the temple, it seems as if the temple is looking towards the Kaveri valley or is monitoring the Kaveri valley.

 Friends, this ancient temple is located at a distance of about 48 km from the city of Mysore and 156 km from the city of Bangalore.









 (  Temple Complex  )

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 Friends, this ancient temple is lined with carved pillars. Friends, a dome is installed on the top of the temple, which is decorated with wonderfully carved sculptures.  Friends, the principal deity of this ancient temple is Cheluvanarayana Swamy, also known as Unemagasu Villi and Cheluvapillay Raya, friends. It is a form of Lord Vishnu.

 Friends, in the inscription present in the temple premises, the Lord is also mentioned by the name of Ram Priya. Friends, it is believed that Lord Shri Ram, along with his two sons Luv and Kush, visited this temple and paid floral tributes to the deities present in the temple.  Had it.


















 Friends, it is believed that the Mughal invader Mahmud Shah attacked this temple and took away the metal idol of God present in the temple with him.  Friends, he had given the metal idol of God to his daughter Bibi Nachiyari to play as a toy. But where does friends go that instead of playing with the idol of God, she started worshiping and got absorbed in the devotion of God.  Went.  Friends, after seeing all this, Mahmud Shah returned the idol of the Lord back to Ramanujacharya. Friends are also said that he was so absorbed in devotion to God that he also died at the feet of the Lord in this temple complex.  Also friends, it is believed that his soul merged into the idol of God in the form of Agni Punj.

















 (Wonderful ancient architecture of the temple)

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 Friends, this wonderful and beautiful temple has been built in Dravidian style. Friends, a beautiful pond has been constructed just below the temple which is made of stones. Friends, which is like a terraced well in view. Friends, on the steps of the pond.  Arched pillows are made of stones so that the pilgrim can rest on them.  Friends, the entrance of the temple is decorated with a triangular tower and the main entrance is decorated with pillared structures, friends, on which a beautiful gopuram has been built. Friends, there is a beautiful pillared corridor in the outer part of the temple where these pillars are amazing.  And finely carved sculptures have been made.









 The main sanctum sanctorum of the Friends temple where the Lord is installed is a square structure. A pillared corridor has also been built on the inner walls of the two main sanctum sanctorum. The small temple-like structures in the two temple complex itself adorn the floating rooster  Friends, which is the most important architectural feature of this temple. Friends, all these small temples are decorated with beautiful and carved idols of Hindu gods and goddesses lined in all directions. Friends, it is believed that these deities are worshiped by the local people in this temple.  Provides protection to the temple from evil spirits.




















 Shocking friends, the decorative carvings are not added separately in these columns, but the entire pillar is made by carving the same stone.  Do you think that by seeing their furnishing, it must have been carved with a mere chisel-hammer.  Friends, this is amazing and supernatural, they are unique heritage of our ancestors.








 (Easily accessible Cheluva Narayana Swamy Temple)

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 By Air Friends Bangalore International Airport situated at a distance of 133 kms is the nearest airport to Melkot.


 By Rail - Friends Mysore Railway Station is the nearest railway station located at a distance of 51 kms. It is well connected to the major cities of Karnataka as well as all the major cities of the country.



 By Bus - Friends KRTDC buses run regularly from both Mysore and Bangalore cities.  Friends, you can take a bus from Mysore to Tumkur and onwards and get down at Jakkanahalli crossing Friends, Melkot is located at a distance of about 6 kilometers from this place.









 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗













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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...