Wednesday, April 14, 2021

अद्भुत अलौकिक उनाकोटी की यात्रा जो अपने प्राचीन शैल चित्रों व पत्थरों पर बने अलौकिक एवं अद्भुत मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है - उनाकोटी त्रिपुरा भारत Visit to the amazing supernatural Unakoti, which is world famous for its ancient rock paintings and supernatural and amazing sculptures made on stones - Unakoti Tripura India.

Ek yatra khajane ki khoje
























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   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर आपको लेकर चल रहा हूं उनाकोटी , त्रिपुरा जहां दोस्तों आप देखोगे अलौकिक और अद्भुत लाखो वर्ष पूर्व बने चट्टानों पर उकेरे गए रहस्यमई और अलौकिक मूर्तियों को। 
               दोस्तों संकीर्ण पागडंडियो , दूरदराज फैले घने जंगलों और प्राचीन  रॉक मूर्तियों से भरा यह स्थान काफी प्राचीन और रहस्यो से भरपूर है दोस्तों यहां आपको ऐसी शानदार कलात्मक और अलग-अलग तरह के शैल चित्रों को देखने का अनुभव प्राप्त होगा जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।










   उनाकोटी की प्राचीन मूर्तियां

             त्रिपुरा

           भारतवर्ष


  नमस्कार दोस्तों उनाकोटी जोकि त्रिपुरा के घने जंगलों में मौजूद है दोस्तों यहीं पर मौजूद है पहाड़ों और चट्टानों को काटकर बनाए गए रहस्यमई और अलौकिक भगवान शिव एवं समस्त देवी देवताओं की मूर्तियां।
       दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से एक या हजारों भी नहीं बल्कि एक करोड़ मूर्तियां मौजूद है यहां पर। दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि आज तक इन मूर्तियों का लिखित इतिहास नहीं मिल पाया है कि इन मूर्तियों को किसने बनाया और कब बनाया था ? आज भी रहस्य बना हुआ है दोस्तों माना जाता है कि इन मूर्तियों का निर्माण लाखो वर्ष पूर्व किया गया था। लेकिन दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि जब ईसा पूर्व मनुष्य की इतनी उन्नत सभ्यता मौजूद नहीं थी तो लाखों वर्ष पूर्व इन मूर्तियों का निर्माण किसने किया था।क्योंकि दोस्तों आज के वर्तमान युग में भी शायद हम अत्याधुनिक मशीनों की मदद से भी इन जैसी मूर्तियों का निर्माण नहीं कर सकते हैं।













दोस्तों पुरातात्विक खोजों के आधार पर कहा गया है कि इन मूर्तियों में से केवल एक मूर्ति कम है एक करोड़ की संख्या को प्राप्त करने में , शायद इसी कारण से इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है।लेकिन दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर पूरे एक करोड़ देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद है जिनमें से एक मूर्ति अद्भुत रूप से अलौकिक और रहस्यमई है जो हमें खुली आंखों से दिखाई नहीं देती है जो कहीं इन्हीं पहाड़ियों में अति गुप्त रूप से मौजूद है जिसे खोजा जाना अभी बाकी है।

          दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक करोड़ मूर्तियों का यह परिवार केवल भारत में ही नहीं बल्कि  मंगोलिया , रूस व अमेरिका तक में फैला हुआ है जो अलग-अलग नामों एवं पहचान के साथ मौजूद है। लेकिन दोस्तों उनाकोटी की बात ही कुछ और है अद्भुत अलौकिक और हमारे पूर्वजों की अनमोल धरोहर है।














   दोस्तों आप सभी यहां की यात्रा बहुत ही आसानी से कर सकते हो रेल मार्ग , वायु मार्ग एवं सड़क मार्ग के द्वारा - त्रिपुरा का उनाकोटि शहर अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जाना जाता है। दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई और कोलकाता से इसकी दूरी क्रमशः 2,303, 3,373, 3,149 और 1,427 किमी की दूरी पर स्थित है। परिवहन के तीनों तरीके से आप यहां पहुंच सकते है।
 








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हवाई मार्ग - उनाकोटि का निकटतम हवाई अड्डा अगरतल्ला एयरपोर्ट है। इसे महाराज बीर बिकम एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह एयरपोर्ट साल 1942 में बनाया गया था अब यह उत्तर पूर्व राज्यों का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। यह AAI ( भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) के प्रशासन के अधीन है। यहां उतरने के बाद आप सार्वजनिक परिवहन लेकर आगे की यात्रा कर सकते है।
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दिल्ली - दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा से एयर इंडिगो, स्पाइस जेट, इंडिगो और विस्तारा के विमान ले सकते हैं। प्रति व्यक्ति तक़रीबन 7,000 रुपये









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मुंबई - मुंबई एयरपोर्ट से गो एयर, स्पाइस जेट, एयर इंडिया की विमानें उपलब्ध हैं। प्रति व्यक्ति किराया 14,000 रूपये के करीब है। 
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कोलकाता - नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय  एयरपोर्ट से करीब 9,000 रूपये खर्च करके आप स्पाइस जेट, एयर इंडिया, गो एयर के विमानों के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
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मदुरै -  मदुरै एयरपोर्ट से एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट की विमानें उपलब्ध है। किराया करीब 19,000 रुपये।





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रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन अगरतल्ला रेलवे स्टेशन है। यह 2008 में बनाया गया था और 2016 में इसका पुनर्निर्माण भी किया गया था। गुवाहाटी के बाद, यह उत्तर पूर्व भारत में दूसरा रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से गंतव्य तक पहुंचने के लिए आप सार्वजनिक परिवहन ले सकते है। 
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दिल्ली स्टेशन से अगरतल्ला तक - ANVT-AGTL राजधानी एक्सप्रेस, त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस
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बैंगलुरू कैंट से अगरतल्ला तक - BNC-AGTL हमसफर एक्सप्रेस
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कोलकाता स्टेशन से अगरतल्ला तक - कंचनजंगा एक्सप्रेस सियालदाह स्टेशन से खुलती है।







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सड़क मार्ग- यदि आप पास में रहते है तो सड़क मार्ग चुन सकते है। आप अपनी टैक्सी के माध्यम से आप अपनी यात्रा कर सकते है। देखिये, सड़क मार्ग द्वारा अलग-अलग जगहों से आप यहां कैसे पहुंच सकते है। 
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सिलचर- 160 किमी NH 37 and NH 8
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हाईलाकांदी - 126 किमी कमलपुरा- कुमारघाट रोड 
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शिलांग - 325 किमी NH 6 या NH 8







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इम्मफाल - 414 किमी NH 37 or NH 8
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अगरतल्ला - 126 किमी करमपुर- कुमारघाट रोड
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           धन्यवाद दोस्तों

   महेंद्रा माउंटेन लैपर्ड 🧗🧗

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       English translate
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 Ek yatra khajane ki khoje




















 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra friends. Today I am taking you on a journey to Unakoti, Tripura where friends you will see the supernatural and supernatural and supernatural statues carved on rocks made millions of years ago.

 Friends, this place full of narrow footpaths, remote remote forests and ancient rock sculptures, is quite ancient and full of secrets, friends here you will get to experience such magnificent artistic and different types of rock paintings that you would not have even imagined.  .




 Ancient sculptures of Unakoti


 Tripura


 India









 Namaskar Friends, Unakoti, which is present in the dense forests of Tripura, is present here friends. The statues of the mysterious and supernatural God Shiva and all the Gods and Goddesses created by cutting of mountains and rocks.

 Friends, surprisingly not one or even thousands but one crore idols are present here.  Friends, the surprising thing is that till date the written history of these idols has not been found who made these idols and when was they made?  Even today the mystery remains, friends, it is believed that these idols were built millions of years ago.  But friends, the surprising thing is that when the human beings did not have such advanced civilization before BC, then who built these idols millions of years ago, because friends, even in the present age, perhaps even with the help of cutting-edge machines like these  Can not build idols.
















 Friends, based on archaeological discoveries, it has been said that only one of these idols is less in number to achieve the number of crores, probably for this reason the place is named Unakoti. But friends believe that the locals here  There are statues of one crore Gods and Goddesses, one of which is wonderfully supernatural and mysterious, which is not visible to us with open eyes, which is very secretly present in these hills which is yet to be discovered.


 Friends, you will be surprised to know that this family of one crore idols is spread not only in India but also in Mongolia, Russia and America which exists with different names and identities.  But friends, Unakoti is something more amazing, supernatural and is a precious heritage of our ancestors.


 Friends, all of you can travel here very easily by rail, air and road - Unakoti city of Tripura is known for its beauty and peace.  It is situated at a distance of 2,303, 3,373, 3,149 and 1,427 km respectively from Delhi, Bangalore, Mumbai and Kolkata.  You can reach here by all three modes of transport.









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 By Air - The nearest airport to Unakoti is Agartala Airport.  It is also known as Maharaj Bir Bikam Airport.  This airport was built in the year 1942 and is now the second busiest airport in the North East states.  It is under the administration of AAI (Airports Authority of India).  After landing here, you can travel further by taking public transport.

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 Delhi - Indira Gandhi International Airport of Delhi can take Air Indigo, Spice Jet, Indigo and Vistara aircraft.  About 7,000 rupees per person

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 Go Air, Spice Jet, Air India flights are available from Mumbai - Mumbai Airport.  The per capita rent is close to Rs 14,000.











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 Kolkata - By spending around Rs 9,000 from Netaji Subhash Chandra Bose International Airport, you can reach via Spice Jet, Air India, Go Air planes.

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 Madurai - Air India, IndiGo, Spice Jet flights are available from Madurai Airport.  Rent is around 19,000 rupees.

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 Rail route - Nearest railway station is Agartalla railway station.  It was built in 2008 and was also rebuilt in 2016.  After Guwahati, it is the second railway station in North East India.  You can take public transport to reach the destination from the station.










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 Delhi Station to Agartala - ANVT-AGTL Rajdhani Express, Tripura Sundari Express

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 Bangalore Cantt to Agartala - BNC-AGTL Humsafar Express

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 From Kolkata station to Agartala - Kanchenjunga Express opens from Sealdah station.

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 By Road - If you live nearby, you can choose the road.  You can make your journey through your taxi.  See, how you can reach here from different places by road.

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 Silchar - 160 km NH 37 and NH 8

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 Highlakandi - 126 km Kamalpura - Kumarghat Road









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 Shillong - 325 km NH 6 or NH 8

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 Imphal - 414 km NH 37 or NH 8

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 Agartala - 126 km Karampur - Kumarghat Road

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 Thanks guys


 Mahendra Mountain            Leopard 🧗🧗










   विश्व की अन्य मूर्तियां जो हो सकती है कि वे सभी उनाकोटी से संबंधित हो।
 Other sculptures of the world that may all belong to Unakoti.

    







      Mountain leopard Mahendra 🧗🧗






 


Monday, April 12, 2021

एक यात्रा एशिया के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो तमिलनाडु के महाबलीपुरम में स्थित है - तमिलनाडु महाबलीपुरम भारत

Ek yatra khajane ki khoje



















         एशिया का अति प्राचीन प्रकाश स्तंभ  व भगवान शिव  का प्राचीन मंदिर

 Asia's ancient lighthouse and ancient temple of Lord Shiva
















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एशिया महादेश के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो अपने अद्भुत वास्तुशैली और बनावट के लिए विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है।



        ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर 
        ( प्राचीन प्रकाश स्तंभ  )

      महाबलिपुरम , तमिलनाडु

                भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों यह एक विशाल ग्रे - सफेद , ग्रेनाइट चट्टान से बने महिषासुरमर्दिनी मंडप के शीर्ष पर एक अविश्वसनीय व अलौकिक रूप से रहस्यमई इमारत है।दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों के अध्ययन से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 1391 वर्ष पहले पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा निर्मित करवाया गया था। दोस्तों मशहूर महिषासुरमर्दिनी रॉक कट चट्टानी गुफा के ऊपर बना यह मंदिर यानी प्रकाश स्तंभ भगवान शिव को समर्पित है जो ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।दोस्तों यह अति प्राचीन मंदिर प्रकाश स्तंभ के रूप में भी जाना जाता था , जो समुंद्र में नाविकों को मार्गदर्शन करता था।








 महिषासुरमर्दिनी मंडप  -  दोस्तों यह एक रॉक कट गुफा मंंदिर है जिसेे यमपुरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। जो मामल्लपुरम  जिसे हम महाबलीपुरम केेेे नाम से भी जानते हैं , मे मौजूद है। यह तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर के दक्षिण में मौजूद एक छोटा सा समुद्र तटीय  गांव है। और यहीं पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ।


         
 अति प्राचीन रॉक कट गुफा मंदिर जो माता महिषासुर मर्दिनी को समर्पित है।
 The ancient rock cut cave temple dedicated to Mata Mahishasura Mardini.




दोस्तों यह प्राचीन मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर  स्थल स्मारकों के समूहों का एक हिस्सा है। दोस्तों इस गुफा को पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन महामाला जो कि 630 से 668 ईसवी में इस क्षेत्र में शासन करते थे के समय का बताया जाता है। और माना जाता है कि इन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम भी रखा गया था।दोस्तों गुफा की वास्तुकला को उन महान धार्मिक विषयों की निरंतरता भी कहा जाता है जो आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम भारत में उकेरे गए थे। साथ ही साथ दोस्तों गुफा अपने स्तंभों में वास्तुकला की एक संक्रमणकालीन शैली को भी दर्शाती है जो गुफा के अंदर की दीवारों पर उकेरे गए शेर और अन्य भित्ति चित्रों के रूप में मौजूद हैं जो पल्लव राजाओं महेंद्रवर्मन और नरसिंह वर्मन के शासनकाल के दौरान विकसित हुई थी , जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था। दोस्तों इस शैली को मामल्ला के बेटे परमेश्वर वर्मन प्रथम ने जारी किया था।दोस्तों पुरातात्विक और ऐतिहासिक शोधों ने प्रमाणित किया है कि महाबलीपुरम शहर की स्थापना तब की गई थी जब इसका नाम मामल्ला के नाम पर रखा गया था। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्ष 650 ईसवी के दौरान ही इन गुफाओं व रथो का निर्माण किया गया था।












 दोस्तों आप देख सकते हो कि महिषासुरमर्दिनी मंडप महाबलीपुरम शहर के एक पहाड़ी श्रृंखला के ऊपर मौजूद है जो कोरोमंडल तट के बंगाल की खाड़ी यानी हिंद महासागर के तट पर मौजूद है।दोस्तों या चेन्नई शहर से 5 किलोमीटर दूर और चिंगलपेट से लगभग 32 किलोमीटर दूर है और दोस्तों यही पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ जिसे ओलक्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों यह अद्भुत है , अलौकिक है और अकल्पनीय है ।दोस्तों मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपने पूर्वजों के बारे में दो शब्द कहूं वे  अद्भुत थे।


              धन्यवाद दोस्तों
    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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      English translate
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 माता महिषासुर मर्दिनी के द्वारा महिषासुर का वध करते हुए अति प्राचीन रॉक भित्तिचित्र
 Very ancient rock graffiti slaying Mahishasura by Mata Mahishasura Mardini











   Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra, Friends, today I am taking you on the journey of the oldest lighthouse of Asia continent which holds its own unique place in the world for its amazing architecture and design.









 Olkkaneshwar Temple

 (Ancient lighthouse)


 Mahabalipuram, Tamil Nadu


 India


 Hello friends This is an incredible and supernaturally mysterious building on top of the Mahishasuramardini pavilion made of a huge gray-white, granite rock. The study of two historical documents shows that the temple was built 1391 years ago by the Pallava king Mahendra Varman I  Was built by  Friends, this temple built on top of the famous Mahishasuramardini rock cut rock cave is dedicated to Lord Shiva which is famous as Olakkanneshwar Temple. Friends, this ancient temple was also known as Lighthouse, which guides the sailors in the sea.  used to do.




 रॉक कट गुफा के अंदर मौजूद अति प्राचीन भित्ति चित्र
 Very ancient murals inside the rock cut cave
 











 Mahishasuramardini Mandap - Friends, this is a rock cut cave temple also known as Yampuri.  It is situated on a hill.  Which is present in Mamallapuram which we also know as Mahabalipuram.  It is a small seaside village in the south of Chennai city of Tamil Nadu state.  And it is here that Asia's oldest lighthouse.








 Friends, this ancient temple is a part of the UNESCO World Heritage Site monument groups.  Friends, this cave is said to be from the time of King Narasimhavarman Mahamala of Pallava dynasty who ruled the region from 630 to 668 AD.  And it is believed that the city was also named after them. The architecture of the two caves is also said to be a continuation of the great religious themes that were wonderfully carved in western India.  At the same time, the Friends cave depicts in its pillars a transitional style of architecture that exists in the form of lions and other murals carved on the walls inside the cave which flourished during the reigns of the Pallava kings Mahendravarman and Narasimha Varman.  , Also known as Mamalla.  Friends, this style was issued by Mamalla's son Parmeshwar Varman I. Two archaeological and historical researches have attested that the city of Mahabalipuram was founded when it was named after Mamalla.  Friends, based on historical sources, it can be said that these caves and chariots were built only during the year 650 AD.





   गुफा के अंदर मौजूद भगवान विष्णु की शेष शैया पर सोते हुए अवस्था में अद्भुत भित्ति चित्र।
 Amazing murals in the sleeping state of Lord Vishnu resting inside the cave while sleeping.
 













 Friends, you can see that the Mahishasuramardini Mandapa is situated atop a hill range in the city of Mahabalipuram which is situated on the Bay of Bengal ie Indian Ocean off the Coromandel coast. 5 km from Friends or Chennai city and about 32 km from Chinglepet  And friends, it is here that Asia's oldest lighthouse, also known as Olakkaneshwar temple.  Friends, this is wonderful, supernatural and unimaginable. Friends, I have no words to say two words about my ancestors. They were amazing.








      Thanks guys

 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗




    





Saturday, April 10, 2021

एक यात्रा प्राचीन विराटनगर की जो आज शेखावाटी नगर के नाम से जाना जाता है - भारत A visit to the ancient Viratnagar which is today known as Shekhawati city - India

Ek yatra khajane ki khoje




















    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा है महाभारत कालीन प्राचीन विराटनगर की यात्रा पर जो आज शेखावाटी नगर के नाम से जाना जाता है। जो अपने भव्य महलों के के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं।



          शेखावाटी नगर 

             राजस्थान

              भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों आपको पता है कि भारत का पेरिस कौन सा नगर है जी हां दोस्तों भारत का पेरिस   शेखावाटी नगर है जो कभी प्राचीन विराटनगर हुआ करता था जी हां दोस्तों वही विराट नगर जहां अज्ञातवास के दौरान वीर योद्धा अर्जुन ने शरण लिया था। दोस्तों वही विराटनगर आज का शेखावाटी नजर है जो राजस्थान में स्थित है।दोस्तों शेखावाटी नगर का इतिहास बड़ा ही रोचक और गौरवशाली रहा है दोस्तों माना जाता है कि यह क्षेत्र रामायण काल में समुंद्र की  अथाह गहराइयों में डूबा हुआ था , और दोस्तों महाभारत काल में प्रसिद्ध विराटनगर हुआ करता था।









दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी इस क्षेत्र में यदा-कदा समुद्री जीवो के जीवाश्म मिल जाते हैं क्योंकि दोस्तों यह क्षेत्र विशाल समुंद्र हुआ करता था।दोस्तों माना जाता है कि यह क्षेत्र महाभारत काल के बाद बहुत समय तक विरान पड़ा रहा था।दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि शक एवं हुणों के समय इस क्षेत्र में हिंदुओं और विदेशी लोगों का आना एवं इस क्षेत्र में बसना शुरू हुआ था। दोस्तों मध्य काल से पूर्व इस क्षेत्र में प्रतिहारों न भी शासन किया था ।  प्रतिहारो के बाद ही शेखावाटी चौहानों ने इस क्षेत्र को अपने शासन में ले लिया था।
              दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि बाद के समयकाल में महाराज पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद बाहरी आक्रमणकारियों जैसे मोहम्मद गौरी एवं अफगान तुर्क वंश का शासन क्षेत्र पर स्थापित हो गया था।दोस्तों लगभग 1200 ईस्बी से लेकर 13 वीं सदी के अंत तक लगभग 100 वर्षों तक चौहानों ने शेखावाटी में तुर्कों से लड़ाइयां लड़ी। लेकिन दोस्तों आगे चलकर ददरेवा के चौहान राजा कायम सिंह के इस्लाम  कबूल कर लेने के बाद इस क्षेत्र का बहुत ही बुरा हाल हुआ था।दोस्तो आप समझ सकते हो कि मुस्लिम आक्रमणकारियों के क्रूरता के आगे राजाओं को अपना धर्म बदलना पड़ा था , तो प्रजा की तो बात ही क्या थी ? 














दोस्तों ददरेवा की चौहान राजा के मुसलमान बन जाने के बाद पूरा राजस्थान ही नहीं पूरा का पूरा भारत है असुरक्षित हो गया था। लेकिन आमेर के क्षत्रियों ने शेखावाटी के उद्धार के लिए आमेर के महाराजा उदयकर्ण जी के पुत्र कुंवर शेखाजी को जिम्मेदारी दी गई कि वह शेखावाटी से  क्रूर आक्रमणकारियों का संहार करके अपना शासन कायम करें।और दोस्तों ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि कुंवर शेखाजी ने शेखावाटी से तुर्को का पूर्णतः सफाया कर दिया था और जो बचे थे वे सभी मेवात की ओर भाग गए थे। दोस्तों शेखाजी ने हरियाणा के भिवानी तक का क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया था ।







दोस्तों कछवाहो ने आगे चलकर इस क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों को काफी आगे बढ़ाया एवं भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ व्यापारियों एवं अपने कार्य में निपुण कारीगरों को शेखावाटी में आमंत्रित किया और उन्हें यहां बसाया।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शेखावतो के कल में कोई भी  पढ़ा लिखा व्यक्ति
 छोटे मकानों में नहीं रहता था क्योंकि उनका अपना निजी महल होता था। दोस्तों आज भी शेखावाटी में जितनी अधिक हवेलियां हैं छोटे से कम से कम क्षेत्र में उतनी अधिक हवेलियां शायद ही किसी नगर में हो।दोस्तों शेखावाटी नगर का भ्रमण करने पर पता चलता है कि मध्यकाल में हिंदुओं का केवल गरीबी का इतिहास नहीं रहा उसी मध्यकाल में कछवाहा शासन के दौरान यहां जीवन बसर कर रही प्रजा गरीब नहीं थी।  क्योंकि दोस्तों गौर करने वाली बात यह है कि अन्य राज्यों के सुल्तानों को जहां महल नसीब नहीं था वही हर तरह से सुख सुविधाओं से संपन्न महलों में शेखावाटी की आम जनता रहती थी।  दोस्त को समय की झंझावातों को पार करते हुए वहीं महल और हवेलियां आज भी शेखावाटी नगर में मौजूद है  जो अपनी प्राचीनता और भव्यता को आज भी एहसास करवा रही है।















             धन्यवाद दोस्तों   

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗 
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         English translate
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      Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, on today's journey I am taking you on a journey to the ancient Viratnagar of Mahabharata, which is today known as Shekhawati Nagar.  Which are world famous due to their magnificent palaces.









 Shekhawati Nagar


 Rajasthan


 India


 Hello friends, do you know which city of India is Paris, yes, the Paris of India is Shekhawati city, which once used to be ancient Viratnagar, yes friends, the same Virat city where the heroic warrior Arjun took refuge during the unknown.  Friends, Viratnagar is the present day Shekhawati located in Rajasthan. The history of the two friends Shekhawati city has been very interesting and glorious. Friends, it is believed that this area was immersed in the deep depths of the sea during the Ramayana period, and friends in the Mahabharata period  There used to be the famous Viratnagar.



















 Friends, you will be surprised to know that even today fossils of marine life are found in this area because friends, this area used to be a huge ocean. Friends, it is believed that this area was deserted for a long time after the Mahabharata period.  Friends, historical sources show that during the time of Shakas and Huns, Hindus and foreigners started coming to this area and settling in this area.  Friends, Pratiharas also ruled in this area before the Middle Ages.  It was only after Pratiharo that the Shekhawati Chauhans took this area under their rule.

 Friends, historical sources suggest that after the defeat of Maharaja Prithviraj Chauhan in the later period, the rule of external invaders like Mohammad Ghori and Afghan Turk dynasty was established.  For 100 years the Chauhans fought the Turks in Shekhawati.  But friends later, after the Chauhan King Kayam Singh of Dadreva had converted to Islam, the region was in a very bad condition. Friends, you can understand that due to the cruelty of the Muslim invaders, the kings had to change their religion, then the subjects  So what was the matter?








 Friends, after the Chauhan king of Dadreva became a Muslim, the whole of Rajasthan, not only the whole of India, had become insecure.  But for the salvation of Shekhawati, the Kshatriyas of Amer were given the responsibility of Kunwar Shekhaji, the son of Maharaja Udayakarnaji of Amer to rule over the brutal invaders from Shekhawati.  Had completely eliminated the Turks and all those who had escaped had fled towards Mewat.  Friends Shekhaji had captured the area up to Bhiwani in Haryana.















 Friends, Kachwaho further increased the business activities in this area and invited the best traders and craftsmen of India, who are skilled in their work, to Shekhawati and settled them here. Friends, you will be surprised to know that any person who wrote in Shekhawato's tomorrow.

 Did not live in small houses because they had their own private palace.  Friends, even today there are as many havelis in Shekhawati as there are hardly any havelis in the area, at least in the small area. Friends visiting the city of Shekhawati shows that Hindus did not have a history of poverty only in the medieval period.  The subjects living here during the Kachhwaha rule were not poor.  Because friends, it is worth noting that the Sultans of other states, where the palace was not destined, had the general population of Shekhawati in the palaces endowed with all the amenities.  The palace and havelis are still present in the city of Shekhawati, passing the hardships of time to the friend, which is still making its antiquity and grandeur felt today.


  





 Thanks guys


 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗




































Mountain leopard                Mahendra 🧗🧗






Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...