Asia's ancient lighthouse and ancient temple of Lord Shiva
नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एशिया महादेश के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो अपने अद्भुत वास्तुशैली और बनावट के लिए विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है।
ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर
( प्राचीन प्रकाश स्तंभ )
महाबलिपुरम , तमिलनाडु
भारतवर्ष
नमस्कार दोस्तों यह एक विशाल ग्रे - सफेद , ग्रेनाइट चट्टान से बने महिषासुरमर्दिनी मंडप के शीर्ष पर एक अविश्वसनीय व अलौकिक रूप से रहस्यमई इमारत है।दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों के अध्ययन से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 1391 वर्ष पहले पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा निर्मित करवाया गया था। दोस्तों मशहूर महिषासुरमर्दिनी रॉक कट चट्टानी गुफा के ऊपर बना यह मंदिर यानी प्रकाश स्तंभ भगवान शिव को समर्पित है जो ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।दोस्तों यह अति प्राचीन मंदिर प्रकाश स्तंभ के रूप में भी जाना जाता था , जो समुंद्र में नाविकों को मार्गदर्शन करता था।
महिषासुरमर्दिनी मंडप - दोस्तों यह एक रॉक कट गुफा मंंदिर है जिसेे यमपुरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। जो मामल्लपुरम जिसे हम महाबलीपुरम केेेे नाम से भी जानते हैं , मे मौजूद है। यह तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर के दक्षिण में मौजूद एक छोटा सा समुद्र तटीय गांव है। और यहीं पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ।
अति प्राचीन रॉक कट गुफा मंदिर जो माता महिषासुर मर्दिनी को समर्पित है।
The ancient rock cut cave temple dedicated to Mata Mahishasura Mardini.
दोस्तों यह प्राचीन मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्मारकों के समूहों का एक हिस्सा है। दोस्तों इस गुफा को पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन महामाला जो कि 630 से 668 ईसवी में इस क्षेत्र में शासन करते थे के समय का बताया जाता है। और माना जाता है कि इन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम भी रखा गया था।दोस्तों गुफा की वास्तुकला को उन महान धार्मिक विषयों की निरंतरता भी कहा जाता है जो आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम भारत में उकेरे गए थे। साथ ही साथ दोस्तों गुफा अपने स्तंभों में वास्तुकला की एक संक्रमणकालीन शैली को भी दर्शाती है जो गुफा के अंदर की दीवारों पर उकेरे गए शेर और अन्य भित्ति चित्रों के रूप में मौजूद हैं जो पल्लव राजाओं महेंद्रवर्मन और नरसिंह वर्मन के शासनकाल के दौरान विकसित हुई थी , जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था। दोस्तों इस शैली को मामल्ला के बेटे परमेश्वर वर्मन प्रथम ने जारी किया था।दोस्तों पुरातात्विक और ऐतिहासिक शोधों ने प्रमाणित किया है कि महाबलीपुरम शहर की स्थापना तब की गई थी जब इसका नाम मामल्ला के नाम पर रखा गया था। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्ष 650 ईसवी के दौरान ही इन गुफाओं व रथो का निर्माण किया गया था।
दोस्तों आप देख सकते हो कि महिषासुरमर्दिनी मंडप महाबलीपुरम शहर के एक पहाड़ी श्रृंखला के ऊपर मौजूद है जो कोरोमंडल तट के बंगाल की खाड़ी यानी हिंद महासागर के तट पर मौजूद है।दोस्तों या चेन्नई शहर से 5 किलोमीटर दूर और चिंगलपेट से लगभग 32 किलोमीटर दूर है और दोस्तों यही पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ जिसे ओलक्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों यह अद्भुत है , अलौकिक है और अकल्पनीय है ।दोस्तों मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपने पूर्वजों के बारे में दो शब्द कहूं वे अद्भुत थे।
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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English translate
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Very ancient rock graffiti slaying Mahishasura by Mata Mahishasura Mardini
Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra, Friends, today I am taking you on the journey of the oldest lighthouse of Asia continent which holds its own unique place in the world for its amazing architecture and design.
Olkkaneshwar Temple
(Ancient lighthouse)
Mahabalipuram, Tamil Nadu
India
Hello friends This is an incredible and supernaturally mysterious building on top of the Mahishasuramardini pavilion made of a huge gray-white, granite rock. The study of two historical documents shows that the temple was built 1391 years ago by the Pallava king Mahendra Varman I Was built by Friends, this temple built on top of the famous Mahishasuramardini rock cut rock cave is dedicated to Lord Shiva which is famous as Olakkanneshwar Temple. Friends, this ancient temple was also known as Lighthouse, which guides the sailors in the sea. used to do.
Very ancient murals inside the rock cut cave
Mahishasuramardini Mandap - Friends, this is a rock cut cave temple also known as Yampuri. It is situated on a hill. Which is present in Mamallapuram which we also know as Mahabalipuram. It is a small seaside village in the south of Chennai city of Tamil Nadu state. And it is here that Asia's oldest lighthouse.
Friends, this ancient temple is a part of the UNESCO World Heritage Site monument groups. Friends, this cave is said to be from the time of King Narasimhavarman Mahamala of Pallava dynasty who ruled the region from 630 to 668 AD. And it is believed that the city was also named after them. The architecture of the two caves is also said to be a continuation of the great religious themes that were wonderfully carved in western India. At the same time, the Friends cave depicts in its pillars a transitional style of architecture that exists in the form of lions and other murals carved on the walls inside the cave which flourished during the reigns of the Pallava kings Mahendravarman and Narasimha Varman. , Also known as Mamalla. Friends, this style was issued by Mamalla's son Parmeshwar Varman I. Two archaeological and historical researches have attested that the city of Mahabalipuram was founded when it was named after Mamalla. Friends, based on historical sources, it can be said that these caves and chariots were built only during the year 650 AD.
Amazing murals in the sleeping state of Lord Vishnu resting inside the cave while sleeping.
Friends, you can see that the Mahishasuramardini Mandapa is situated atop a hill range in the city of Mahabalipuram which is situated on the Bay of Bengal ie Indian Ocean off the Coromandel coast. 5 km from Friends or Chennai city and about 32 km from Chinglepet And friends, it is here that Asia's oldest lighthouse, also known as Olakkaneshwar temple. Friends, this is wonderful, supernatural and unimaginable. Friends, I have no words to say two words about my ancestors. They were amazing.
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗
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