Monday, April 12, 2021

एक यात्रा एशिया के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो तमिलनाडु के महाबलीपुरम में स्थित है - तमिलनाडु महाबलीपुरम भारत

Ek yatra khajane ki khoje



















         एशिया का अति प्राचीन प्रकाश स्तंभ  व भगवान शिव  का प्राचीन मंदिर

 Asia's ancient lighthouse and ancient temple of Lord Shiva
















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एशिया महादेश के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो अपने अद्भुत वास्तुशैली और बनावट के लिए विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है।



        ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर 
        ( प्राचीन प्रकाश स्तंभ  )

      महाबलिपुरम , तमिलनाडु

                भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों यह एक विशाल ग्रे - सफेद , ग्रेनाइट चट्टान से बने महिषासुरमर्दिनी मंडप के शीर्ष पर एक अविश्वसनीय व अलौकिक रूप से रहस्यमई इमारत है।दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों के अध्ययन से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 1391 वर्ष पहले पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा निर्मित करवाया गया था। दोस्तों मशहूर महिषासुरमर्दिनी रॉक कट चट्टानी गुफा के ऊपर बना यह मंदिर यानी प्रकाश स्तंभ भगवान शिव को समर्पित है जो ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।दोस्तों यह अति प्राचीन मंदिर प्रकाश स्तंभ के रूप में भी जाना जाता था , जो समुंद्र में नाविकों को मार्गदर्शन करता था।








 महिषासुरमर्दिनी मंडप  -  दोस्तों यह एक रॉक कट गुफा मंंदिर है जिसेे यमपुरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। जो मामल्लपुरम  जिसे हम महाबलीपुरम केेेे नाम से भी जानते हैं , मे मौजूद है। यह तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर के दक्षिण में मौजूद एक छोटा सा समुद्र तटीय  गांव है। और यहीं पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ।


         
 अति प्राचीन रॉक कट गुफा मंदिर जो माता महिषासुर मर्दिनी को समर्पित है।
 The ancient rock cut cave temple dedicated to Mata Mahishasura Mardini.




दोस्तों यह प्राचीन मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर  स्थल स्मारकों के समूहों का एक हिस्सा है। दोस्तों इस गुफा को पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन महामाला जो कि 630 से 668 ईसवी में इस क्षेत्र में शासन करते थे के समय का बताया जाता है। और माना जाता है कि इन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम भी रखा गया था।दोस्तों गुफा की वास्तुकला को उन महान धार्मिक विषयों की निरंतरता भी कहा जाता है जो आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम भारत में उकेरे गए थे। साथ ही साथ दोस्तों गुफा अपने स्तंभों में वास्तुकला की एक संक्रमणकालीन शैली को भी दर्शाती है जो गुफा के अंदर की दीवारों पर उकेरे गए शेर और अन्य भित्ति चित्रों के रूप में मौजूद हैं जो पल्लव राजाओं महेंद्रवर्मन और नरसिंह वर्मन के शासनकाल के दौरान विकसित हुई थी , जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था। दोस्तों इस शैली को मामल्ला के बेटे परमेश्वर वर्मन प्रथम ने जारी किया था।दोस्तों पुरातात्विक और ऐतिहासिक शोधों ने प्रमाणित किया है कि महाबलीपुरम शहर की स्थापना तब की गई थी जब इसका नाम मामल्ला के नाम पर रखा गया था। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्ष 650 ईसवी के दौरान ही इन गुफाओं व रथो का निर्माण किया गया था।












 दोस्तों आप देख सकते हो कि महिषासुरमर्दिनी मंडप महाबलीपुरम शहर के एक पहाड़ी श्रृंखला के ऊपर मौजूद है जो कोरोमंडल तट के बंगाल की खाड़ी यानी हिंद महासागर के तट पर मौजूद है।दोस्तों या चेन्नई शहर से 5 किलोमीटर दूर और चिंगलपेट से लगभग 32 किलोमीटर दूर है और दोस्तों यही पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ जिसे ओलक्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों यह अद्भुत है , अलौकिक है और अकल्पनीय है ।दोस्तों मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपने पूर्वजों के बारे में दो शब्द कहूं वे  अद्भुत थे।


              धन्यवाद दोस्तों
    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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      English translate
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 माता महिषासुर मर्दिनी के द्वारा महिषासुर का वध करते हुए अति प्राचीन रॉक भित्तिचित्र
 Very ancient rock graffiti slaying Mahishasura by Mata Mahishasura Mardini











   Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra, Friends, today I am taking you on the journey of the oldest lighthouse of Asia continent which holds its own unique place in the world for its amazing architecture and design.









 Olkkaneshwar Temple

 (Ancient lighthouse)


 Mahabalipuram, Tamil Nadu


 India


 Hello friends This is an incredible and supernaturally mysterious building on top of the Mahishasuramardini pavilion made of a huge gray-white, granite rock. The study of two historical documents shows that the temple was built 1391 years ago by the Pallava king Mahendra Varman I  Was built by  Friends, this temple built on top of the famous Mahishasuramardini rock cut rock cave is dedicated to Lord Shiva which is famous as Olakkanneshwar Temple. Friends, this ancient temple was also known as Lighthouse, which guides the sailors in the sea.  used to do.




 रॉक कट गुफा के अंदर मौजूद अति प्राचीन भित्ति चित्र
 Very ancient murals inside the rock cut cave
 











 Mahishasuramardini Mandap - Friends, this is a rock cut cave temple also known as Yampuri.  It is situated on a hill.  Which is present in Mamallapuram which we also know as Mahabalipuram.  It is a small seaside village in the south of Chennai city of Tamil Nadu state.  And it is here that Asia's oldest lighthouse.








 Friends, this ancient temple is a part of the UNESCO World Heritage Site monument groups.  Friends, this cave is said to be from the time of King Narasimhavarman Mahamala of Pallava dynasty who ruled the region from 630 to 668 AD.  And it is believed that the city was also named after them. The architecture of the two caves is also said to be a continuation of the great religious themes that were wonderfully carved in western India.  At the same time, the Friends cave depicts in its pillars a transitional style of architecture that exists in the form of lions and other murals carved on the walls inside the cave which flourished during the reigns of the Pallava kings Mahendravarman and Narasimha Varman.  , Also known as Mamalla.  Friends, this style was issued by Mamalla's son Parmeshwar Varman I. Two archaeological and historical researches have attested that the city of Mahabalipuram was founded when it was named after Mamalla.  Friends, based on historical sources, it can be said that these caves and chariots were built only during the year 650 AD.





   गुफा के अंदर मौजूद भगवान विष्णु की शेष शैया पर सोते हुए अवस्था में अद्भुत भित्ति चित्र।
 Amazing murals in the sleeping state of Lord Vishnu resting inside the cave while sleeping.
 













 Friends, you can see that the Mahishasuramardini Mandapa is situated atop a hill range in the city of Mahabalipuram which is situated on the Bay of Bengal ie Indian Ocean off the Coromandel coast. 5 km from Friends or Chennai city and about 32 km from Chinglepet  And friends, it is here that Asia's oldest lighthouse, also known as Olakkaneshwar temple.  Friends, this is wonderful, supernatural and unimaginable. Friends, I have no words to say two words about my ancestors. They were amazing.








      Thanks guys

 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗




    





Saturday, April 10, 2021

एक यात्रा प्राचीन विराटनगर की जो आज शेखावाटी नगर के नाम से जाना जाता है - भारत A visit to the ancient Viratnagar which is today known as Shekhawati city - India

Ek yatra khajane ki khoje




















    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा है महाभारत कालीन प्राचीन विराटनगर की यात्रा पर जो आज शेखावाटी नगर के नाम से जाना जाता है। जो अपने भव्य महलों के के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं।



          शेखावाटी नगर 

             राजस्थान

              भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों आपको पता है कि भारत का पेरिस कौन सा नगर है जी हां दोस्तों भारत का पेरिस   शेखावाटी नगर है जो कभी प्राचीन विराटनगर हुआ करता था जी हां दोस्तों वही विराट नगर जहां अज्ञातवास के दौरान वीर योद्धा अर्जुन ने शरण लिया था। दोस्तों वही विराटनगर आज का शेखावाटी नजर है जो राजस्थान में स्थित है।दोस्तों शेखावाटी नगर का इतिहास बड़ा ही रोचक और गौरवशाली रहा है दोस्तों माना जाता है कि यह क्षेत्र रामायण काल में समुंद्र की  अथाह गहराइयों में डूबा हुआ था , और दोस्तों महाभारत काल में प्रसिद्ध विराटनगर हुआ करता था।









दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी इस क्षेत्र में यदा-कदा समुद्री जीवो के जीवाश्म मिल जाते हैं क्योंकि दोस्तों यह क्षेत्र विशाल समुंद्र हुआ करता था।दोस्तों माना जाता है कि यह क्षेत्र महाभारत काल के बाद बहुत समय तक विरान पड़ा रहा था।दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि शक एवं हुणों के समय इस क्षेत्र में हिंदुओं और विदेशी लोगों का आना एवं इस क्षेत्र में बसना शुरू हुआ था। दोस्तों मध्य काल से पूर्व इस क्षेत्र में प्रतिहारों न भी शासन किया था ।  प्रतिहारो के बाद ही शेखावाटी चौहानों ने इस क्षेत्र को अपने शासन में ले लिया था।
              दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि बाद के समयकाल में महाराज पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद बाहरी आक्रमणकारियों जैसे मोहम्मद गौरी एवं अफगान तुर्क वंश का शासन क्षेत्र पर स्थापित हो गया था।दोस्तों लगभग 1200 ईस्बी से लेकर 13 वीं सदी के अंत तक लगभग 100 वर्षों तक चौहानों ने शेखावाटी में तुर्कों से लड़ाइयां लड़ी। लेकिन दोस्तों आगे चलकर ददरेवा के चौहान राजा कायम सिंह के इस्लाम  कबूल कर लेने के बाद इस क्षेत्र का बहुत ही बुरा हाल हुआ था।दोस्तो आप समझ सकते हो कि मुस्लिम आक्रमणकारियों के क्रूरता के आगे राजाओं को अपना धर्म बदलना पड़ा था , तो प्रजा की तो बात ही क्या थी ? 














दोस्तों ददरेवा की चौहान राजा के मुसलमान बन जाने के बाद पूरा राजस्थान ही नहीं पूरा का पूरा भारत है असुरक्षित हो गया था। लेकिन आमेर के क्षत्रियों ने शेखावाटी के उद्धार के लिए आमेर के महाराजा उदयकर्ण जी के पुत्र कुंवर शेखाजी को जिम्मेदारी दी गई कि वह शेखावाटी से  क्रूर आक्रमणकारियों का संहार करके अपना शासन कायम करें।और दोस्तों ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि कुंवर शेखाजी ने शेखावाटी से तुर्को का पूर्णतः सफाया कर दिया था और जो बचे थे वे सभी मेवात की ओर भाग गए थे। दोस्तों शेखाजी ने हरियाणा के भिवानी तक का क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया था ।







दोस्तों कछवाहो ने आगे चलकर इस क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों को काफी आगे बढ़ाया एवं भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ व्यापारियों एवं अपने कार्य में निपुण कारीगरों को शेखावाटी में आमंत्रित किया और उन्हें यहां बसाया।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शेखावतो के कल में कोई भी  पढ़ा लिखा व्यक्ति
 छोटे मकानों में नहीं रहता था क्योंकि उनका अपना निजी महल होता था। दोस्तों आज भी शेखावाटी में जितनी अधिक हवेलियां हैं छोटे से कम से कम क्षेत्र में उतनी अधिक हवेलियां शायद ही किसी नगर में हो।दोस्तों शेखावाटी नगर का भ्रमण करने पर पता चलता है कि मध्यकाल में हिंदुओं का केवल गरीबी का इतिहास नहीं रहा उसी मध्यकाल में कछवाहा शासन के दौरान यहां जीवन बसर कर रही प्रजा गरीब नहीं थी।  क्योंकि दोस्तों गौर करने वाली बात यह है कि अन्य राज्यों के सुल्तानों को जहां महल नसीब नहीं था वही हर तरह से सुख सुविधाओं से संपन्न महलों में शेखावाटी की आम जनता रहती थी।  दोस्त को समय की झंझावातों को पार करते हुए वहीं महल और हवेलियां आज भी शेखावाटी नगर में मौजूद है  जो अपनी प्राचीनता और भव्यता को आज भी एहसास करवा रही है।















             धन्यवाद दोस्तों   

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗 
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         English translate
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      Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, on today's journey I am taking you on a journey to the ancient Viratnagar of Mahabharata, which is today known as Shekhawati Nagar.  Which are world famous due to their magnificent palaces.









 Shekhawati Nagar


 Rajasthan


 India


 Hello friends, do you know which city of India is Paris, yes, the Paris of India is Shekhawati city, which once used to be ancient Viratnagar, yes friends, the same Virat city where the heroic warrior Arjun took refuge during the unknown.  Friends, Viratnagar is the present day Shekhawati located in Rajasthan. The history of the two friends Shekhawati city has been very interesting and glorious. Friends, it is believed that this area was immersed in the deep depths of the sea during the Ramayana period, and friends in the Mahabharata period  There used to be the famous Viratnagar.



















 Friends, you will be surprised to know that even today fossils of marine life are found in this area because friends, this area used to be a huge ocean. Friends, it is believed that this area was deserted for a long time after the Mahabharata period.  Friends, historical sources show that during the time of Shakas and Huns, Hindus and foreigners started coming to this area and settling in this area.  Friends, Pratiharas also ruled in this area before the Middle Ages.  It was only after Pratiharo that the Shekhawati Chauhans took this area under their rule.

 Friends, historical sources suggest that after the defeat of Maharaja Prithviraj Chauhan in the later period, the rule of external invaders like Mohammad Ghori and Afghan Turk dynasty was established.  For 100 years the Chauhans fought the Turks in Shekhawati.  But friends later, after the Chauhan King Kayam Singh of Dadreva had converted to Islam, the region was in a very bad condition. Friends, you can understand that due to the cruelty of the Muslim invaders, the kings had to change their religion, then the subjects  So what was the matter?








 Friends, after the Chauhan king of Dadreva became a Muslim, the whole of Rajasthan, not only the whole of India, had become insecure.  But for the salvation of Shekhawati, the Kshatriyas of Amer were given the responsibility of Kunwar Shekhaji, the son of Maharaja Udayakarnaji of Amer to rule over the brutal invaders from Shekhawati.  Had completely eliminated the Turks and all those who had escaped had fled towards Mewat.  Friends Shekhaji had captured the area up to Bhiwani in Haryana.















 Friends, Kachwaho further increased the business activities in this area and invited the best traders and craftsmen of India, who are skilled in their work, to Shekhawati and settled them here. Friends, you will be surprised to know that any person who wrote in Shekhawato's tomorrow.

 Did not live in small houses because they had their own private palace.  Friends, even today there are as many havelis in Shekhawati as there are hardly any havelis in the area, at least in the small area. Friends visiting the city of Shekhawati shows that Hindus did not have a history of poverty only in the medieval period.  The subjects living here during the Kachhwaha rule were not poor.  Because friends, it is worth noting that the Sultans of other states, where the palace was not destined, had the general population of Shekhawati in the palaces endowed with all the amenities.  The palace and havelis are still present in the city of Shekhawati, passing the hardships of time to the friend, which is still making its antiquity and grandeur felt today.


  





 Thanks guys


 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗




































Mountain leopard                Mahendra 🧗🧗






Wednesday, April 7, 2021

एक यात्रा ऐरावतेश्वर मंदिर तामिलनाडु की दारासुरम - भारत। A Visit to Airavateshwara Temple Tamil Nadu's Darasuram - India.

Ek yatra khajane ki khoje

















            विश्व प्रसिद्ध प्रथम 3डी तकनीक वाली हाथी और बैल की चित्रकारी एरावतेश्वरा मंदिर।
 World famous first 3D technique elephant and bull painting Eravateshwara Temple.
 














 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं तमिलनाडु के द्वारा दारासूरम में स्थित एरावतेश्वर मंदिर जो अपने अद्भुत स्थापत्य कला और दीवारों पर की गई चित्रकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है।


                  एरावतेश्वर मंदिर 

                दारासुरम  तमिलनाडु

                        भारतवर्ष









 नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे अद्भुत और खूबसूरत मंदिर की यात्रा पर चल रहे हैं जिसका निर्माण राजा राजराजा चोल द्वितीय के द्वारा करवाया गया था।जो अपने अद्भुत स्थापत्य कला और दीवारों पर विशेष प्रकार की बनाई गई मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है दोस्तों इस मंदिर की सबसे खास और आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि हमें यही पर चित्रकारी की 3डी तकनीक की पहली प्रमाण देखने को मिलती है। जैसे हमें यहां पर एक ऐसी चित्र या फिर दीवारों पर बनाई गई एक ऐसी मूर्ति जिसे हम सभी को देखने को मिलता है वह है एक बैल और हाथी की 3डी तकनीक में बनाई गई चित्रकारी या मूर्तिकला जो बहुत ही अद्भुत और अलौकिक है। दोस्तों जैसे ही आप दीवार पर बनी इस मूर्ति को देखोगे तो आश्चर्यचकित हो जाओगे क्योंकि जब आप बैल को देखोगे तो लगेगा जैसे या हाथी की मूर्ति है और जैसे ही आप हाथी पर ध्यान दोगे तो लगेगा किया बैल की मूर्ति बनी हुई है । दोस्तों अद्भुत तकनीक के द्वारा बनाया गया चित्र हमारे पूर्वजों की         उच्च    तकनीकी  मूर्तिकला ज्ञान को  दर्शाता है जो संभवतः पहली 3डी तकनीक रही होगी उस जमाने में। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि राजा राजराजा चोल द्वितीय ने 1146 और 1172 ईसवी के बीच चोल साम्राज्य पर शासन किया था और उसी दरमियान इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। एवं दोस्तों माना जाता है इनकी की राजधानी गंगापुरी थी , जिसे यहां से प्राप्त शिलालेखों में "गंगाईकोंडा चोलापुरम" के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों साथ ही साथ ऐतिहासिक प्रमाणो में दर्ज है कि इसका नाम उत्तर भारत के सबसे पवित्र नदी देवी गंगा के नाम पर रखा गया था। 









 दोस्तों इस मंदिर की स्थापत्य कला देखते ही बनती है। दोस्तों जब आप इस मंदिर को देखोगे तो बिना आश्चर्यचकित हुए रह ही नहीं सकते हो। दोस्तों यह मंदिर आपको अंदर से झकझोर कर रख देगा कि कैसे हमारे पूर्वजों ने अपने उत्कृष्ट ज्ञान के बल पर इन मंदिरों का निर्माण किया था। दोस्तों  प्राचीन ऐरावतेश्वर मंदिर तमिलनाडु के दारासुरम में स्थित है जो कुंबकोणम के दक्षिण पश्चिम में लगभग 4 किलोमीटर दूर और चेन्नई से 310 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में और चिदंबरम से 90 किलोमीटर दूर स्थित है। दोस्तों यह मंदिर उत्तर पूरब में तंजावुर के प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर से लगभग 40 किलोमीटर और गंगाईकोंडा चोलापुरम मंदिर के दक्षिण पश्चिम में लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह तीनों मंदिर यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सूचीबद्ध है।

















               धन्यवाद दोस्तों


        माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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 Hello friends I heartily congratulate all of you on the mountain leopard Mahendra. Friends, today I am taking you all to visit the Eravateshwara Temple located in Darasuram by Tamil Nadu for its amazing architecture and painting on the walls of the world.  is famous.



 Eravateshwar Temple


 Darasuram Tamil Nadu


 India
















 Namaskar Friends, today we are going on the journey of a wonderful and beautiful temple which was built by King Rajaraja Chola II, which is world famous for its amazing architecture and special sculptures on the walls.  The most special and surprising thing is that we get the first evidence of the 3D technique of painting on it.  For example, here we have such a picture or a sculpture made on the walls that we all get to see is a 3D technique of sculpture or sculpture of an ox and elephant which is very amazing and supernatural.  Friends, as soon as you see this statue built on the wall, you will be surprised because when you see the bull, it will look like or there is an elephant statue and as soon as you look at the elephant, the bull statue will remain.  Friends, the picture created by amazing technology reflects the high-tech sculptural knowledge of our ancestors, which may have been the first 3D technology in those days.  Friends, historical sources suggest that Raja Rajaraja Chola II ruled the Chola Empire between 1146 and 1172 AD and that the temple was constructed during that period.  He is believed to be friends and his capital was Gangapuri, which is also known as "Gangaikonda Cholapuram" in inscriptions found from here.  Friends as well as historical evidences that it was named after the most sacred river goddess of North India, the Ganges.
















 Friends, the architecture of this temple is made on seeing it.  Friends, when you see this temple, you cannot be surprised without being surprised.  Friends, this temple will shock you from inside how our ancestors built these temples on the strength of their excellent knowledge.  Friends The ancient Airavateshwara temple is located at Darasuram in Tamil Nadu, about 4 km southwest of Kumbakonam and 310 km southwest of Chennai and 90 km from Chidambaram.  Friends, this temple is located about 40 kilometers from the famous Brihadeeswarar temple of Thanjavur in the north east and about 30 kilometers to the southwest of the Gangaikonda Cholapuram temple.  Friends, you will be surprised to know that these three temples are listed in the UNESCO World Heritage Site.



















 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                          🧗🧗

















   






    Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗































Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...