Wednesday, February 24, 2021

एक यात्रा छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में स्थित जतमाई माता मंदिर की- छत्तीसगढ़ भारत वर्ष A visit to the Jatmai Mata Temple situated in the dense forests of Chhattisgarh - Chhattisgarh India

Ek yatra khajane ki khoje










                               जतमाई माता मंदिर












  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में स्थित जतमाई माता मंदिर की यात्रा पर जो अपने अलौकिक और अद्भुत स्थापत्य कला के लिए विश्व विख्यात है।









            जतमाई माता मंदिर

                 छत्तीसगढ़

                  भारतवर्ष

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 नमस्कार दोस्तों वैदिक इंजीनियरिंग की श्रेष्ठता का जीता जागता साक्ष्य एवं प्रमाण है छत्तीसगढ़ का जतमाई माता मंदिर , दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि  माता मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पहले यहां रहने वाले कमार आदिवासियों द्वारा करवाया गया था ।






दोस्तों इस मंदिर को देखकर आपको आश्चर्य होगा कि हमारे घरों के दीवारों के आसपास हल्का सा भी पानी इकट्ठा हो जाए तो हमारा मकान साल भर भी नहीं चलता वह जर्जर हो जाता है। और तो और दोस्तों अगर 3 महीने जोरदार बारिश हो जाए तो मुंबई दिल्ली जैसे आधुनिक शहर और उनके मकान पानी में नाव  की तरह बहने लगते हैं। लेकिन दोस्तों जतमाई माता मंदिर हजारों वर्षों से पानी के बीचो-बीच खड़ा है बिना किसी नुकसान के वह भी झरने के बीचो बीच और शायद आने वाले हजारों वर्षों तक यूं ही खड़ा रहेगा। दोस्तों आश्चर्य करने की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां तो पानी   कुछ वर्षों में पहाड़ तक को चीर देते हैं यानी पहाड़ को दो भागों में बांट देते हैं लेकिन दोस्तों इस मंदिर को आज तक कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। दोस्तों यही तो है इस मंदिर की श्रेष्ठता था जिसे हमारे पूर्वजों ने बहुत ही योजना तरीके से बनवाया था।





                                  बाबा नंदी







दोस्तों यह मंदिर सुरक्षित है यह तो बड़ी बात है  ही उससे भी बड़ी बात है दोस्तों झरने के बीचो-बीच मंदिर बनाने की कल्पना करना एवं उस कल्पना को हकीकत में बदल भी देना जो कि हमारे पूर्वजों ने करके दिखा भी दिया था , दोस्तों यह मंदिर विश्व के घोर आश्चर्य में से एक है वह भी झरनों के बीचों-बीच मंदिर का सुरक्षित बचा रह ना वह भी अनंत काल से।

 दोस्तों बहुत ही खूबसूरत और अलौकिक स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है जतमाई माता मंदिर।







 दोस्तों जतमाई माता मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ और पर्यटन स्थलों में से एक है दोस्तों माता मंदिर घने जंगलों के बीच प्रकृति की गोद में बसा हुआ है ।दोस्तों यह मंदिर अपने कल कल करते प्राकृतिक सदाबहार झरनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।दोस्तों माता के मंदिर के ठीक  बीचों-बीच बहती हुई जलधाराएं उनके चरणों को छूकर चट्टानों से नीचे गिरती है। दोस्तों स्थानीय दंत कथाओं या मान्यताओं के अनुसार यह जलधाराएं माता की सेविका आए हैं जो देवी मां के भक्तों को अपने जल से नहलाती हैं। दोस्तों झरने में स्नानआदि करने के बाद ही भक्तगण माता की दर्शन करते हैं।दोस्तों वैसे तो यहां सालों भर भक्तों का भीड़ लगा रहता है और सभी माता का दर्शन का लाभ उठाते हैं ,साथ ही साथ दोस्तों प्रतिवर्ष चैत्र माह और  नवरात्रि में भी मेले का आयोजन होता है। और दूर-दूर से लोग माता का दर्शन करने आते हैं और पिकनिक का भी आनंद उठाते हैं।दोस्तों जतमाई माता मंदिर वनो के बीचो बीच स्थित होने के कारण एक खूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।











दोस्तों मां के आशीर्वाद से मिलता है संतान सुख ऐसी मान्यता है कि जतमई माता के मंदिर में वे लोग भी आते हैं जो नि:संतान होते हैं। ये दंपति माता से संतान सुख का मन्नत मांगते हैं और मन्नत का धागा पेड़ों में बांध जाते हैं एवं मन्नत पूरा होने पर हुए दुबारा माता के दर्शन को आते हैं।






 दोस्तों यहां प्रकृति के रोमांच के साथ-साथ आस्था का जबरदस्त संगम देखने को मिलता है।






               धन्यवाद दोस्तों

            माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗 🧗


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 Hello friends, I heartily greet all of you mountain lepards Mahendra, Friends, today I am taking you all on a journey to the Jatmai Mata Temple situated in the dense forests of Chhattisgarh, which is world famous for its supernatural and amazing architecture.  is.




 Jatmai Mata Temple


 Chhattisgarh


 India


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 Namaskar Friends: The Jatmai Mata Temple of Chhattisgarh is a living testimony to the superiority of Vedic engineering, friends. Historical sources show that the Mata Temple was built by the Kamar tribals living here thousands of years ago.












 Friends, you will be surprised to see this temple that if even a little water collects around the walls of our houses, then our house does not run even throughout the year.  And friends and if 3 months of heavy rain falls, then modern cities like Mumbai Delhi and their houses start flowing like a boat in water.  But friends, Jatmai Mata temple has been standing in the middle of water for thousands of years, without any loss, it will also stand in the middle of the waterfall and probably for thousands of years to come.  Friends, the biggest thing to surprise is that water here rips up the mountain in a few years i.e. divides the mountain into two parts, but friends, this temple has not suffered any damage till date.  Friends, this is the superiority of this temple which was built by our ancestors in a very planned way.









 Friends, this temple is safe, it is a big thing, it is even bigger than that. Friends, imagine creating a temple in the middle of the waterfall and turning that imagination into reality which our ancestors had demonstrated, Friends, this temple.  One of the biggest wonders of the world is that it is safe to remain in the midst of the waterfalls and that too from eternity.


 Friends, the Jatmai Mata Temple is a beautiful specimen of very beautiful and supernatural architecture.











 Mitra Jatmai Mata Temple is one of the major pilgrimage and tourist destinations of Chhattisgarh. The Friends Mata Temple is nestled in the lap of nature amidst the thick forests. Friends, this temple is also famous for its natural evergreen waterfalls.  The streams flowing right in the middle of the temple touch their feet and fall down from the rocks.  According to friends local legends or beliefs, these streams have come to the servants of Mother, who bathe the devotees of the Mother Goddess with their water.  Friends take a bath in the waterfall, devotees visit the mother only. Friends, there are crowds of devotees throughout the year and all take advantage of the mother's darshan, as well as friends of the fair every year in Chaitra month and Navratri.  It is organized.  And people from far and wide come to see Mata and also enjoy picnics. The friends Jatmai Mata Temple is also famous as a beautiful picnic spot due to being situated in the middle of the forests.








 Friends, child happiness comes from the blessings of the mother, it is believed that the people who are children are also come to the temple of Jatmai Mata.  These couples ask for a vow of child happiness from the mother and the thread of the vow is tied in the trees and come to see the mother again after the vow is completed.









 Friends here, there is a tremendous confluence of faith along with the thrill of nature.





 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                          🧗 🧗




















Tuesday, February 23, 2021

एक यात्रा अपने झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित बहोरनपुर के ईटवा टिल्हा की जहां मां तारा सहित भगवान बुद्ध की एक ही स्थान पर मिली 5 प्रतिमाएं A visit to Etawah Tilha of Bahoranpur in Hazaribagh district of Jharkhand where 5 statues of Lord Buddha including mother Tara were found at one place.

Ek yatra khajane ki khoje
















 






















         बहोरनपुर में खुदाई के दौरान मिली भगवान बुध की प्रतिमाएं                                   विभिन्नन मुद्राओं में
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Statues of Lord Mercury found in various postures during excavation in Bahoranpur
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 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं अपने झारखंड प्रदेश के हजारीबाग जिले में स्थित बहोरनपुर की जहां पर बहुत ही प्राचीन एक टिलहा स्थित है जिसे वहां के स्थानीय लोग इटवा टिलहा के नाम से जानते हैं। दोस्तों बहोरनपुर कभी बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था जहां पर आज खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग वालों को मां तारा सहित भगवान बुद्ध की एक ही स्थान पर 5 प्रतिमाएं मिली है। 












 दोस्तों झारखंड के हजारीबाग जिले के बहोरनपुर स्थित पहाड़ी की तलहटी में बने इटवा टिलहा में खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग वालों को 2 प्रतिमाएं मिली थी। दोस्तों दोनों प्रतिमाएं भगवान बुद्ध की महानिवार्ण मुद्रा की है। दोस्तों यह पहला मौका है जब हजारीबाग के इटवा टीलहा में खुदाई के दौरान 2 प्रतिमाएं मिली इससे पूर्व यहां पर मिट्टी का घड़ा , कील आदि वस्तुएं मिल चुकी है।दोस्तों दोनों प्रतिमाओं के मिलने से पुरातात्विक विभाग वाले की आंखों में भी चमक आ गई अतः प्रतिमाओं को लेकर पुरातात्विक विभाग द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है और इस इलाके में पूरे जोर-शोर से खुदाई का कार्य किया जा रहा है।










 दोस्तों यहां मिली मौन प्रतिमाएं बोल रही है कि कभी बहोरनपुर बौद्ध धर्म का एक बहुत बड़ा आध्यात्मिक केंद्र रहा होगा।
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 दोस्तों मालूम चलता है कि बिहार के राजगीर, नालंदा , पावापुरी और बोधगया के बाद 10 वीं शताब्दी के पाल वंश के शासकों के शासनकाल में झारखंड के हजारीबाग का बहोरनपुर भी बौद्ध धर्म का  एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा होगा। दोस्तों पुरातत्व विभाग द्वारा दूसरे चरण की खुदाई में मिल रही प्रतिमाएं इस बात की ओर इशारा कर रही है। दोस्तों सोमवार को यहां खुदाई में पांच प्रतिमाएं प्राप्त हुई थी।इनमें से एक मां तारा और चार भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं थी।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्राप्त बुद्ध की प्रतिमाएं विभिन्न मुद्राओं में बनी हुई है। दोस्तों सभी प्रतिमाएं इटवा टिलहे के पश्चिम - उत्तर कोने से प्राप्त हुई है। दोस्तों एक ही कोने से सभी प्रतिमाओं के मिलने से पुरातात्विक विभाग के विशेषज्ञ भी आश्चर्यचकित हो रहे हैं।  दोस्तों टिलहे में मौजूद कोने को बौद्ध धर्म में विशेष महत्व का होना बता रहे हैं। जो आगे के शोध में सामने आ जाएगा।










दोस्तों माना जा रहा है जी अब तक बौद्ध सर्किट में राजगीर , नालंदा , पावापुरी ,बोधगया , चतरा की कौलेश्वरी पहाड़ी  तथा मां भद्रकाली मंदिर का जिक्र आता रहा है लेकिन अब यह क्षेत्र भी इसमें शामिल हो सकता है। दोस्तों प्राप्त प्रतिमाओं , बौद्ध मठ के आकार और अवशेषों से यह बात तो तय हो गई है कि बहोरनपुर भी बौद्ध धर्म का पाल वंश के समय का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र रहा होगा। दोस्तों आश्चर्य की बात है कि इटवा टिलहा से बरामद सभी प्रतिमाएं सैंड स्टोन की बनी हुई है। दोस्तों इसी तरह की प्रतिमाएं मां भद्रकाली मंदिर से भी बरामद हुई थी। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हजारीबाग में कहीं भी सैंड स्टोन नहीं मिलता है।यानी दोस्तों साबित होता है कि प्राचीन काल में इन प्रतिमाओं को कहीं और से लाकर प्राण प्रतिष्ठित किया गया था। और बहुत ही महत्वपूर्ण बौद्ध मठ की स्थापना की गई थी इस क्षेत्र में। दोस्तों हो सकता है कि यह शिक्षा का भी बहुत ही महत्वपूर्ण केंद्र रहा होगा यह शोध का विषय है।





               धन्यवाद दोस्तों

             माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗








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  Ek yatra khajane ki khoje









 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, today I am taking you all on my journey to Bahoranpur in Hazaribagh district of Jharkhand, where a very ancient Tilha is located there  People know it by the name of Itwa Tilha.  Friends, Bahoranpur was once an important center of Buddhism where during the excavation today, the archaeological department has found 5 statues of Lord Buddha along with mother Tara at one place.









 Friends, during the excavation at Itwa Tilha in the foothills of Bahoranpur in Hazaribagh district of Jharkhand, the archaeological department found 2 statues.  Friends, both idols are of the great posture of Lord Buddha.  Friends, this is the first time when 2 statues were found during the excavation at Itwa Tilaha, Hazaribagh, before it has been found here an earthen pot, nail etc. The two archaeological department's eyes also shone in the eyes of the archaeological department, hence the statues  The analysis is being done by the archaeological department and excavation work is being done in this area.











 Friends, the silent statues found here are saying that Bahoranpur must have been a very big spiritual center of Buddhism.

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 Friends know that Bahoranpur of Hazaribagh in Jharkhand would have been an important center of Buddhism during the reigns of the 10th-century Pal dynasty after Rajgir, Nalanda, Pavapuri and Bodh Gaya in Bihar.  Friends, the statues found in the second phase of excavation by the Archaeological Department are pointing to this.  Friends, five statues were found in the excavation here on Monday. One of them was statues of mother Tara and four Lord Buddha. Friends, you will be surprised to know that the received Buddha statues are in different postures.  Friends All statues have been received from the west-north corner of Itwa Tilhe.  Friends, experts of the archaeological department are also surprised by the meeting of all the statues from the same corner.  Friends are telling the corner present in Tilhe to be of special importance in Buddhism.  Which will be revealed in further research.











 It is believed that till now the Buddhist circuit has been mentioned in Rajgir, Nalanda, Pavapuri, Bodh Gaya, Kaleshwari hill of Chatra and Maa Bhadrakali temple but now this area can also be included in it.  The statues and friends of friends, the size and the remains of the Buddhist monastery have ensured that Bahoranpur must have been an important cultural center of Buddhism during the Pala dynasty.  It is surprising that all the statues recovered from Itwa Tilha are made of sand stone.  Friends, similar idols were also recovered from Maa Bhadrakali temple.  Friends, you will be surprised to know that sand stone is not found anywhere in Hazaribagh. This proves that in ancient times, these statues were brought to life by bringing these idols from elsewhere.  And a very important Buddhist monastery was established in this area.  Friends, it may be that it has also been a very important center of education, it is a subject of research.





 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra  






                        🧗🧗














Monday, February 22, 2021

एक यात्रा शारदा पीठ जम्मू-कश्मीर की - जो वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद हैं। visit to Sharda Peeth of Jammu and Kashmir.

Ek yatra khajane ki khoje




































  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं । दोस्तों आइए चलते हैं आज की यात्रा पर "मां शारदा" की उस पवित्र पीठ की यात्रा पर जो आज के वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में स्थित है।








 दोस्तों आइए चलते हैं 1947 के दशक में जब भारत अंग्रेजों से आजाद हुआ था।दोस्तों तब उस जमाने में भारतवर्ष के जम्मू कश्मीर का क्षेत्रफल 222236 वर्ग किलोमीटर था । जिसमें से चीन और पाकिस्तान ने मिलकर आधे जम्मू कश्मीर पर अपना कब्जा किया हुआ है और हमारे भारतवर्ष के पास केवल 102387 वर्ग किलोमीटर जम्मू कश्मीर का भूमि खंड शेष बचा हुआ है।
                       दोस्तों जम्मू कश्मीर का जो भाग आज हमारे पास नहीं है उनमें से गिलगिट , बालटिस्तान , बजारत , चिल्लास , हाजीपीर आदि हिस्से पर पाकिस्तान का सीधा शासन है। एवं मुजफ्फराबाद , मीरपुर , कोटली और छंब आदि इलाके हालांकि स्वायत्त शासन में हैं। परंतु यह इलाके भी पाक के नियंत्रण में है दोस्तों।













दोस्तों पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इसी क्षेत्र जम्मू कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले के सीमा के किनारे पवित्र कृष्ण - गंगा नदी बहती है।दोस्तों जानकर आपको आश्चर्य होगा कि कृष्ण- गंगा नदी वही नदी है जिसमें समुद्र मंथन के पश्चात शेष बचे "अमृत" को "असुरों" से छुपा कर रखा गया था। और उसी के बाद स्वयं भगवान ब्रह्मा जी ने कृष्ण - गंगा नदी के किनारे मां शारदा का मंदिर बनाकर उन्हें वहां स्थापित किया था।दोस्तों हमारे वेद पुराण बताते हैं कि जिस दिन से मां शारदा वहां विराजमान हुई उस दिन से ही सारा जम्मू कश्मीर "नमस्ते शारदा देवी कश्मीरपुरवासनी/ त्वोमहंमप्रार्थये नित्यम विदादानम च देही में" कहते हुए उनकी आराधना करता रहा है एवं दोस्तों उन कश्मीरियों पर मां शारदा की ऐसी कृपा हुई थी "अष्टांग योग" और अष्टांग हृदय लिखने वाले वाग्भट वही जन्मे , नीलमत पुराण वही रची गई ,  चरक संहिता , शिव पुराण , कल्हण की राजतरंगिणी , सारंग देव की संगीत रत्नाकर सब के सब अद्वितीय ग्रंथों की रचना यही की गई थी। दोस्तों उस कश्मीर में जो रामकथा लिखीं गई थी उसी में मंक्केश्वर महादेव का वर्णन सर्वप्रथम स्पष्ट रूप से किया गया था। दोस्तों शैव दार्शनिकों की लंबी परंपरा जम्मू कश्मीर से ही शुरू हुई थी। साथ ही साथ दोस्तों चिकित्सा पद्धति , खगोल शास्त्र , ज्योतिष दर्शन , विधि ,न्याय शास्त्र , पाककला , चित्रकला और भवन शिल्प विधाओ का भी प्रसिद्ध केंद्र था जम्मू कश्मीर क्योंकि उस पर मां शारदा का साक्षात आशीर्वाद प्राप्त था। दोस्तों प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा विवरण में लिखा है कि शारदा पीठ के पास उसने ऐसे ऐसे विद्वान देखें जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती कि कोई इतना भी विद्वान हो सकता है। दोस्तों शारदा पीठ के पास ही एक बहुत बड़ा विद्यापीठ भी था जहां दुनिया भर से विद्यार्थी ज्ञानार्जन करने आते थे। 













 
दोस्तों मां शारदा के उस पवित्र पीठ में न जाने कितने सहस्त्र वर्षों से हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन एक विशाल मेला का आयोजन होता था जहां भारत के कोने कोने से वाग्देवी सरस्वती के उपासक साधना करने आते थे , दोस्तों भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को शारदा अष्टमी इसलिए कहा जाता था।दोस्तों शारदा तीर्थ श्रीनगर से लगभग  125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है फिर भी वहां के लोग पैदल मां के दर्शन करने जाया करते थे।









दोस्तों शास्त्रों के अनुसार एक बहुत ही रोचक दंत कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक निम्न जाति के व्यक्ति को भगवान शिव की उपासना से एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। जिसका नाम उस दंपति ने "शांडलि" रखा था।
दोस्तों शांडलि बहुत ही प्रतिभावन था जिससे उनसे जलन भाव रखने के कारण ब्राह्मणों ने उनका यगोपवित संस्कार करने से मना कर दिया था।दोस्तों निराश शांडलि को ऋषि वशिष्ठ ने मां शारदा के दर्शन करने की सलाह दी और उनके सलाह पर जब वे वहां पहुंचे तो मां ने उन्हें दर्शन दिया और उन्हें नाम दिया ऋषि शांडिल्य। दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि आज हिंदुओं के अंदर हर एक जाति में शांडिल्य गोत्र पाया जाता है।










दोस्तों हिंदू धर्म का महिमामंडन करने निकले जगतगुरु शंकराचार्य जब शारदा पीठ पहुंचे तो उन्हें भी मां शारदा ने दर्शन दिए थे और हिंदू धर्म को बचाने का आशीर्वाद दिया था।दोस्तों मां शारदा की कृपा से ही कश्मीर के शासक जैनुल आबेदीन का मन बदल गया था , जब वह उनके दर्शन के लिए वहां गया था। फिर उसने कश्मीर में अपने पिता सिकंदर द्वारा किए गए हर पाप का प्रायश्चित किया था , दोस्तों इतिहास के किताबों में दर्ज हैं कि मां शारदा की उपासना में वो इतना लीन हो जाता था कि उसे दुनिया की कोई खोज खबर नहीं होती थी।  















दोस्तों भारत के कई हिस्सों में जब यगोपवित संस्कार होता है तो बटु को कहा जाता है कि तू शारदा पीठ जाकर ज्ञानार्जन कर और फिर सांकेतिक रूप से वो बटुक शारदा पीठ की दिशा में सात कदम आगे बढ़ता है और फिर कुछ समय पश्चात इस आशय से वह सात कदम पीछे आता है कि अब उसकी शिक्षा पूर्ण हो गई है और वो विद्वान बन कर वहां से लौट रहा है। दोस्तों एक समय ऐसा था जब ये सांकेतिक संस्कार एक दिन वास्तविकता में बदलता था क्योंकि वे बटुक शिक्षा ग्रहण करने मां शारदा पीठ ही जाता था। मगर आज दुर्भाग्य से हमारी "मां शारदा" हमारे पास नहीं है और हम उनके पास जाएं ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है।दोस्तों अब शायद यगोपवित कि यह रस्म सांकेतिक ही रह जाएगी सदा के लिए। 










दोस्तों हमें शारदा पीठ की मुक्ति चाहिए हमें शारदा पीठ तक जाना है दोस्तों हमें दुनिया को बताना होगा कि शारदा पीठ हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित एक अद्भुत और अलौकिक सबसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों में से एक था। अतः दोस्तों आपसे निवेदन है कि शारदा पीठ की यात्रा पर जरूर जाएं और अपने पूर्वजों के इस अद्भुत धरोहर को अपने नजरों से अवश्य देखें। 












               धन्यवाद दोस्तों
              माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, let's go on the journey of that holy backing of "Maa Sharada" which is located in the present day occupied state of Pakistan.









 Friends, let's go when India became independent from the British in the 1947s. At that time, the area of ​​Jammu and Kashmir in India was 222236 square kilometers.  Out of which China and Pakistan together occupy half of Jammu and Kashmir and our India year only 102387 square kilometers of the remaining land segment of Jammu and Kashmir.

 Friends, the part of Jammu and Kashmir which we do not have today, among them Gilgit, Baltistan, Bazaarrat, Chilas, Hajipir etc., is under direct rule of Pakistan.  And the areas like Muzaffarabad, Mirpur, Kotli and Chamba etc. are under autonomous governance.  But this area is also under the control of Pakistan.














 Friends, the holy Krishna-Ganges river flows along the border of Muzaffarabad district of Jammu and Kashmir under the control of Pakistan. Friends, you will be surprised to know that Krishna-Ganga river is the same river in which the "nectar" remaining after the churning of the sea is called "Asuras".  "Was kept hidden from.  And after that, Lord Brahma himself built a temple of Maa Sarada on the banks of the Krishna-Ganges river and installed them there. Friends, our Ved Purana tells that from the day Maa Sharda was enthroned, the whole of Jammu and Kashmir "Namaste  Sharada Devi has been worshiping her by saying "in Kashmir Purvasani / Tvammahamprathyay Nityam Vidadanam Ch Dehi" and friends, Mother Sharada was blessed with such blessings on those Kashmiris "Ashtanga Yoga" and Vagbhat, who wrote Ashtanga heart, was born the same, Neelmat Purana was composed, Charak  All the unique texts were composed by Samhita, Shiva Purana, Kalhana's Rajatarangini, Sarang Dev's music, Ratnakar.  Friends, Mankeshwar Mahadev was first clearly mentioned in the Ramkatha that was written in Kashmir.  Friends, the long tradition of Shaivite philosophers started from Jammu and Kashmir itself.  At the same time, friends were also famous centers of medical practice, astronomy, astrology, philosophy, law, jurisprudence, culinary arts, painting and building crafts etc. Jammu Kashmir because it was blessed with the blessings of Mother Sharda.  Friends, famous Chinese traveler Xuanzang has written in his travelogue that near the Sharda Peeth he saw such scholars who cannot be imagined that anyone could be so scholar.  Friends, there was also a big school near Sharada Peeth where students from all over the world used to come to learn.
















 Friends, not knowing how many years in the holy bench of Mother Sharada, a huge fair was held every year on the day of Bhadrapad Shukla Paksha Ashtami where worshipers of Vagdevi Saraswati from every corner of India used to come to worship, Friends Ashtami date of Bhadrapad month  It was called Sharada Ashtami because the two Sharada shrine is located at a distance of about 125 km from Srinagar, yet the people used to visit the mother on foot.
















 According to friends scriptures, a very interesting legend is prevalent according to which a low caste person got a son Ratna from the worship of Lord Shiva.  The couple was named "Shandali" by that couple.

 Friends, Shandali was very talented, due to jealousy of him, the Brahmins refused to perform Yagopavit Sanskar. Friends, frustrated Shandali was advised by sage Vasistha to visit Maa Sharada and on his advice, when he reached there, his mother  Gave him darshan and named him sage Shandilya.  Friends, as you may be aware that within Hinduism, the Shandilya gotra is found in every caste.











 Friends, Jagadguru Shankaracharya, who came out to glorify Hinduism, came to Sharada Peeth when he was also seen by mother Sharada and blessed to save Hinduism. It was only by the grace of Mother Sharada that the ruler of Kashmir, Janul Abedin changed his mind,  When he went there to see him.  Then he atoned for every sin committed by his father Alexander in Kashmir, friends are recorded in the history books that he used to become so absorbed in the worship of mother Sharda that he had no news of the world.

















 Friends, in many parts of India, when the Yagopavit ceremony is performed, the Batu is told that you go to Sharda Peeth and enlighten and then symbolically that Batuk moves seven steps towards the Sharada Peetha and then after some time he will  It comes seven steps back that now his education is complete and he is returning from there after becoming a scholar.  Friends, there was a time when this symbolic rite would one day turn into reality because they used to go to mother Sharada Peeth to get education.  But today unfortunately we do not have our "Mother Sharda" and there is no such system for us to go to them. Friends may now rejoice that this ritual will remain symbolic forever.











 Friends, we need the liberation of Sharada Peeth We have to go to Sharada Peeth Friends, we must tell the world that Sharada Peeth was one of the most wonderful and supernatural most ancient education centers established by our ancestors.  Therefore, friends, you are requested to go on a journey of Sharada Peeth and see this amazing heritage of your ancestors from your eyes.




















 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗































 








Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...