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Statues of Lord Mercury found in various postures during excavation in Bahoranpur
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं अपने झारखंड प्रदेश के हजारीबाग जिले में स्थित बहोरनपुर की जहां पर बहुत ही प्राचीन एक टिलहा स्थित है जिसे वहां के स्थानीय लोग इटवा टिलहा के नाम से जानते हैं। दोस्तों बहोरनपुर कभी बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था जहां पर आज खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग वालों को मां तारा सहित भगवान बुद्ध की एक ही स्थान पर 5 प्रतिमाएं मिली है।
दोस्तों झारखंड के हजारीबाग जिले के बहोरनपुर स्थित पहाड़ी की तलहटी में बने इटवा टिलहा में खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग वालों को 2 प्रतिमाएं मिली थी। दोस्तों दोनों प्रतिमाएं भगवान बुद्ध की महानिवार्ण मुद्रा की है। दोस्तों यह पहला मौका है जब हजारीबाग के इटवा टीलहा में खुदाई के दौरान 2 प्रतिमाएं मिली इससे पूर्व यहां पर मिट्टी का घड़ा , कील आदि वस्तुएं मिल चुकी है।दोस्तों दोनों प्रतिमाओं के मिलने से पुरातात्विक विभाग वाले की आंखों में भी चमक आ गई अतः प्रतिमाओं को लेकर पुरातात्विक विभाग द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है और इस इलाके में पूरे जोर-शोर से खुदाई का कार्य किया जा रहा है।
दोस्तों यहां मिली मौन प्रतिमाएं बोल रही है कि कभी बहोरनपुर बौद्ध धर्म का एक बहुत बड़ा आध्यात्मिक केंद्र रहा होगा।
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दोस्तों मालूम चलता है कि बिहार के राजगीर, नालंदा , पावापुरी और बोधगया के बाद 10 वीं शताब्दी के पाल वंश के शासकों के शासनकाल में झारखंड के हजारीबाग का बहोरनपुर भी बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा होगा। दोस्तों पुरातत्व विभाग द्वारा दूसरे चरण की खुदाई में मिल रही प्रतिमाएं इस बात की ओर इशारा कर रही है। दोस्तों सोमवार को यहां खुदाई में पांच प्रतिमाएं प्राप्त हुई थी।इनमें से एक मां तारा और चार भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं थी।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्राप्त बुद्ध की प्रतिमाएं विभिन्न मुद्राओं में बनी हुई है। दोस्तों सभी प्रतिमाएं इटवा टिलहे के पश्चिम - उत्तर कोने से प्राप्त हुई है। दोस्तों एक ही कोने से सभी प्रतिमाओं के मिलने से पुरातात्विक विभाग के विशेषज्ञ भी आश्चर्यचकित हो रहे हैं। दोस्तों टिलहे में मौजूद कोने को बौद्ध धर्म में विशेष महत्व का होना बता रहे हैं। जो आगे के शोध में सामने आ जाएगा।
दोस्तों माना जा रहा है जी अब तक बौद्ध सर्किट में राजगीर , नालंदा , पावापुरी ,बोधगया , चतरा की कौलेश्वरी पहाड़ी तथा मां भद्रकाली मंदिर का जिक्र आता रहा है लेकिन अब यह क्षेत्र भी इसमें शामिल हो सकता है। दोस्तों प्राप्त प्रतिमाओं , बौद्ध मठ के आकार और अवशेषों से यह बात तो तय हो गई है कि बहोरनपुर भी बौद्ध धर्म का पाल वंश के समय का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र रहा होगा। दोस्तों आश्चर्य की बात है कि इटवा टिलहा से बरामद सभी प्रतिमाएं सैंड स्टोन की बनी हुई है। दोस्तों इसी तरह की प्रतिमाएं मां भद्रकाली मंदिर से भी बरामद हुई थी। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हजारीबाग में कहीं भी सैंड स्टोन नहीं मिलता है।यानी दोस्तों साबित होता है कि प्राचीन काल में इन प्रतिमाओं को कहीं और से लाकर प्राण प्रतिष्ठित किया गया था। और बहुत ही महत्वपूर्ण बौद्ध मठ की स्थापना की गई थी इस क्षेत्र में। दोस्तों हो सकता है कि यह शिक्षा का भी बहुत ही महत्वपूर्ण केंद्र रहा होगा यह शोध का विषय है।
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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English translate
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Ek yatra khajane ki khoje
Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, today I am taking you all on my journey to Bahoranpur in Hazaribagh district of Jharkhand, where a very ancient Tilha is located there People know it by the name of Itwa Tilha. Friends, Bahoranpur was once an important center of Buddhism where during the excavation today, the archaeological department has found 5 statues of Lord Buddha along with mother Tara at one place.
Friends, during the excavation at Itwa Tilha in the foothills of Bahoranpur in Hazaribagh district of Jharkhand, the archaeological department found 2 statues. Friends, both idols are of the great posture of Lord Buddha. Friends, this is the first time when 2 statues were found during the excavation at Itwa Tilaha, Hazaribagh, before it has been found here an earthen pot, nail etc. The two archaeological department's eyes also shone in the eyes of the archaeological department, hence the statues The analysis is being done by the archaeological department and excavation work is being done in this area.
Friends, the silent statues found here are saying that Bahoranpur must have been a very big spiritual center of Buddhism.
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Friends know that Bahoranpur of Hazaribagh in Jharkhand would have been an important center of Buddhism during the reigns of the 10th-century Pal dynasty after Rajgir, Nalanda, Pavapuri and Bodh Gaya in Bihar. Friends, the statues found in the second phase of excavation by the Archaeological Department are pointing to this. Friends, five statues were found in the excavation here on Monday. One of them was statues of mother Tara and four Lord Buddha. Friends, you will be surprised to know that the received Buddha statues are in different postures. Friends All statues have been received from the west-north corner of Itwa Tilhe. Friends, experts of the archaeological department are also surprised by the meeting of all the statues from the same corner. Friends are telling the corner present in Tilhe to be of special importance in Buddhism. Which will be revealed in further research.
It is believed that till now the Buddhist circuit has been mentioned in Rajgir, Nalanda, Pavapuri, Bodh Gaya, Kaleshwari hill of Chatra and Maa Bhadrakali temple but now this area can also be included in it. The statues and friends of friends, the size and the remains of the Buddhist monastery have ensured that Bahoranpur must have been an important cultural center of Buddhism during the Pala dynasty. It is surprising that all the statues recovered from Itwa Tilha are made of sand stone. Friends, similar idols were also recovered from Maa Bhadrakali temple. Friends, you will be surprised to know that sand stone is not found anywhere in Hazaribagh. This proves that in ancient times, these statues were brought to life by bringing these idols from elsewhere. And a very important Buddhist monastery was established in this area. Friends, it may be that it has also been a very important center of education, it is a subject of research.
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra
🧗🧗
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