Saturday, August 8, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग-श्री कृष्णा जन्माष्टमी विशेष (स्वयं बनाएं भगवान का भोग). A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Shri Krishna Janmashtami Special (Make Yourself Lord's Enjoyment)

Ek yatra khajane ki khoje


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।  दोस्तों पारंपरिक तौर पर जन्माष्टमी के पर्व पर महिलाएं घर में ही तरह-तरह के पकवान बनाती रही हैं। अब वक्त है कि इस विरासत को नई पीढ़ी भी आगे बढ़ाए। आइए बाजार से खरीदने की जगह खुद ही इन्हें भक्ति भाव से बनाएं।  जय श्री कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏


     

                          आटे की पंजीरी
                           🙏🙏🙏🙏



🙏 जन्माष्टमी के दिन प्रसाद के लिए बहुत सारे पकवान बनाए जाते हैं।आटे की पंजीरी उसमें से एक है।इसे बनाना बहुत ही आसान है। इसमें पड़ने वालीं समाग्री का ध्यान रखा जाए तो यह बहुत ही स्वादिष्ट बनती हैं।         
                   ऐसे तैयार करे एक कड़ाही में थोड़ा सा घी डालकर गर्म कर खरबुजे के बीज भून लें। हल्के सुनहरे होने के बाद इन्हें निकाल कर अलग रख दें। फिर कड़ाही में घी डाले और कटे हुए मेवे डालकर तल लें। एक बार फिर कड़ाही में घी डाले और आटे को धीमी आंच पर सुनहरा होने तक भूनें। इसके बाद इसमें मेवा और खरबूजे का बीज डाल दें। समाग्री के ठंडा होने पर पिसी हुई चीनी मिलाएं। इस तरह आटे की पंजीरी तैयार हो जाएगी। और स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें पिसी हुई छोटी इलायची भी मिला सकती हैं।  धन्यवाद




                                माखन मिश्री
                                🙏🙏🙏🙏


🙏 लड्डू गोपाल को माखन चोर भी कहा जाता है। लगभग हम सभी यह बात जानते हैं कि लड्डू गोपाल को माखन मिश्री बहुत पसंद हैं। आप जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का प्रसाद भी चढ़
 सकतीं हैं। 
                         ऐसे तैयार करे- एक बड़े बर्तन में दही डालें। फिर उसे मथानी से मथे। इसके बाद दही को  ब्लेंडर में डाले । ब्लेंड करने से आसानी से मक्खन निकल आता है । मक्खन को एक कटोरी में निकाले और ऊपर से मिश्री और कटे हुए पिस्ता, बादाम आदि डाल दें। सुगंध और स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें केसर भी डाल सकते हैं। 
धन्यवाद


  

                               मखाना पाग 
                             🙏🙏🙏🙏



🙏 लड्डू गोपाल को मखाना पाग भी बहुत पसंद हैं। इसे आसानी से बनाया जा सकता हैं। मखाने के साथ अन्य मेवा भी पाग सकते हैं।
                 ऐसे तैयार करें- मखानो को देसी घी में अच्छे से तलें। इसके बाद शक्कर की गाढ़ी चाशनी बनाएं और उसमें मखानो को डुबो दें।इसी प्रकार से आप अन्य मेवों को को भी चाशनी में डुबोकर तैयार कर सकती हैं।  धन्यवाद




                             पंचामृत
                           🙏🙏🙏🙏

🙏 जन्माष्टमी मे पंचामृत का विशेष महत्व है। यह ऐसा प्रसाद हैं जिससे लड्डू गोपाल को नहलाया जाता है और इस पंचामृत को प्रसाद की तरह लोग पीते हैं। 

                             ऐसे तैयार करे- एक बर्तन में दही लें और अच्छे से फेंट लें। फिर इसमें दुध, शहद, गंगाजल और तुलसी डाले । इसके साथ ही इसमें मखाना , गरी , चिरौंजी, किशमिश, छुहारा आदि मेवा डाले। अंत में थोड़ा सा घी डाले। पंचामृत तैयार है।  धन्यवाद





                            मखाने की खीर
                         🙏🙏🙏🙏🙏


🙏 लड्डू गोपाल को दुध ,घी ,मक्खन और मेवे से बने विभिन्न प्रकार के पकवान बहुत पसंद हैं ।  लड्डू गोपाल को खीर भी प्रसाद के तौर पर चढ़ाई जाती हैं। 

                         ऐसे तैयार करें- काजू और बादाम को महीन महीन काटकर अलग रख लें। मखानो को काट लें और दरदरा पीस लें। अब एक बर्तन में घी गर्म करें। इसमें मखानो को एक मिनट के लिए भून लें । फिर इसमें दुध डाल कर उबालें। मखाने गल जाए तब इसमें कटे हुए मेवे और चीनी डालें ।बाद में इसमें पिसी हुई छोटी इलायची डालें।  धन्यवाद




              धन्यवाद दोस्तों
      




                     . माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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                                  English translate
                                  🙏🙏🙏🙏🙏🙏





Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, traditionally on the occasion of Janmashtami, women have been cooking different types of dishes at home.  Now is the time for the new generation to carry this legacy forward.  Let's make them ourselves with devotion instead of buying from the market.  Jai Shree Krishna 4






 Flour register

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 🙏 A lot of dishes are made for prasadam on Janmashtami. The dough register is one of them. It is very easy to make.  If you take care of the ingredients falling in it, then it becomes very tasty.

 Prepare in this way, put a little ghee in a pan and fry the melon seeds after heating.  After they turn light golden, remove them and keep them aside.  Then add ghee to the pan and add chopped nuts and fry them.  Once again put ghee in the pan and fry the flour on a low flame till it becomes golden.  After this, add nuts and melon seeds in it.  Add the powdered sugar as the ingredients cool.  In this way the flour register will be ready.  And to enhance the taste, you can also add ground cardamom to it.  Thank you





 Makhan Mishri

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 🙏 Laddu Gopal is also known as Makhan Chor.  Almost all of us know that Laddoo Gopal loves Makhan Mishri.  You also offered Prasad of Makhan Mishri to Laddu Gopal on Janmashtami

 She can

 Prepare in such a way - put curd in a big pot.  Then churn it with churn.  After this, pour the curd in a blender.  Blending brings out butter easily.  Take out the butter in a bowl and put sugar candy and chopped pistachios, almonds etc. on top.  Saffron can also be added to it to enhance aroma and taste.

 Thank you






 Makhana Pag

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 🙏Laddu Gopal also likes Makhana Paag.  It can be made easily.  Other nuts can also be eaten along with Makhana.

 Prepare in this way - Fry Makhano well in desi ghee.  After this, make a thick sugar syrup and dip the Makhano in it. Similarly, you can also prepare other dry fruits by dipping them in the syrup.  Thank you





 Panchamrit

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 Panchamrit  as special significance in Janmashtami.  This is such a prasad by which Laddu Gopal is bathed and people drink this Panchamrit like Prasad.


 Prepare like this- Take curd in a vessel and whisk well.  Then add milk, honey, gangajal and basil.  Along with this, add makhana, gari, chironji, raisins, dates and nuts.  Finally add some ghee.  Panchamrit is ready.  Thank you






 Grain Pudding

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 🙏 Laddu Gopal loves a variety of dishes made with milk, ghee, butter and dry fruits.  Kheer is also offered as Prasad to Laddu Gopal.


 Prepare in this way - Finely chop cashews and almonds and keep them aside.  Cut the makhano and grind coarsely.  Now heat ghee in a vessel.  Fry Makhano for a minute in it.  Then pour milk into it and boil it.  When the Makhane melts, add chopped nuts and sugar to it. Later add ground cardamom to it.  Thank you





 Thanks guys







 .  Mountain Leopard Mahendra
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Thursday, August 6, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग_नालंदा विश्वविद्यालय बिहार भारत वर्ष. A journey with the mountain leopard Mahendra_Nalanda University Bihar India year

Ek yatra khajane ki khoje


नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं प्राचीन भारत की सबसे महान और विश्वविख्यात महा विश्वविद्यालय नालंदा की यात्रा पर । 🙏🙏



                                 नालंदा विश्वविद्यालय
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                                  नालंदा बिहार
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                                    भारत वर्ष
                                     🙏🙏🙏






                        नालंदा यूनिवर्सिटी - अभी तक के ज्ञात इतिहास की सबसे महान यूनिवर्सिटी ।

आज भले ही भारत शिक्षा के मामले में 191 देशों की लिस्ट में 145वें नम्बर पर हो लेकिन कभी यहीं भारत दुनियाँ के लिए ज्ञान का स्रोत हुआ करता था। आज सैकड़ो छात्रों पर केवल एक अध्यापक उपलब्ध होते हैं वहीं हजारों वर्ष पहले इस विश्वविद्यालय के वैभव के दिनों में इसमें 10,000 से अधिक छात्र और 2,000 शिक्षक शामिल थे यानी कि केवल 5 छात्रों पर एक अध्यापक ..।  नालंदा में आठ अलग-अलग परिसर और 10 मंदिर थे, साथ ही कई अन्य मेडिटेशन हॉल और क्लासरूम थे। यहाँ एक पुस्तकालय 9 मंजिला इमारत में स्थित था, जिसमें 90 लाख पांडुलिपियों सहित लाखों किताबें रखी हुई थीं ।  यूनिवर्सिटी में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के स्टूडेंट्स भी पढ़ाई के लिए आते थे। और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उस दौर में यहां लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, भाषा विज्ञानं, इकोनॉमिक, मेडिसिन समेत कई विषय पढ़ाएं जाते थे।

इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी । केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे। इनमें व्याख्यान हुआ करते थे। मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था। आठ विशाल भवन, दस मंदिर, अनेक प्रार्थना कक्ष तथा अध्ययन कक्ष के अलावा इस परिसर में सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी। इस यूनिवर्सटी में देश विदेश से पढ़ने वाले छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा भी थी ।
यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा इतनी कठिन होती थी की केवल विलक्षण प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे। यहां आज के विश्विद्यालयों की तरह छात्रों का अपना संघ होता था वे स्वयं इसकी व्यवस्था तथा चुनाव करते थे। छात्रों को किसी प्रकार की आर्थिक चिंता न थी। उनके लिए शिक्षा, भोजन, वस्त्र औषधि और उपचार सभी निःशुल्क थे। राज्य की ओर से विश्वविद्यालय को दो सौ गाँव दान में मिले थे, जिनसे प्राप्त आय और अनाज से उसका खर्च चलता था।

लगभग 800 सालों तक अस्तित्व में रहने के बाद इस विश्वविद्यालय को भूखे-नंगे,असभ्य,आदमखोरों की नजर लग गयी । 1193 में, नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी के अधीन तुर्क मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा बर्बाद कर दिया गया । फारसी इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने अपनी किताब तबक़त-ए-नासिरी में लिखा है कि यूनिवर्सिटी को बर्बाद करते वक्त 1000 भिक्षुओं को जिंदा जलाया गया और 1000 भिक्षुओं के सर कलम कर दिए गए । पुस्तकालय को जला दिया गया, तत्कालीन इतिहासकारों ने लिखा है कि पुस्तकालय में किताबें लगभग 6 महीने तक जलती रहीं । और जलते हुए पांडुलिपियों के धुएं ने एक विशाल पर्वत का रूप ले लिया था ।


                           धन्यवाद दोस्तों
                # माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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                           English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey to Nalanda, the greatest and world famous Maha University of ancient India.  🙏🙏




 Nalanda University

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 Nalanda Bihar

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 India year

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 Nalanda University - The greatest university in history known to date.
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 Today, even though India is at the 145th place in the list of 191 countries in terms of education, India was once a source of knowledge for the world.  Today, only one teacher is available on hundreds of students, whereas thousands of years ago, during the glory days of this university, it included more than 10,000 students and 2,000 teachers, that is, only one teacher on 5 students ...  Nalanda had eight separate premises and 10 temples, along with several other meditation halls and classrooms.  Here a library was located in a 9-storey building, which housed millions of books including 90 lakh manuscripts.  Not only India but students from Korea, Japan, China, Tibet, Indonesia, Iran, Greece, Mongolia and other countries also came to study in the university.  And the most surprising thing is that at that time many subjects including Literature, Astrology, Psychology, Law, Astronomy, Science, Warfare, History, Maths, Architect, Linguistics, Economic, Medicine were taught here.


 Its entire complex was surrounded by a huge wall with a main entrance to it.  There were rows of monasteries from north to south.  The Kendriya Vidyalaya had seven large rooms and in addition three hundred other rooms.  Lectures were conducted here.  The monastery was of more than one floor, a well was built in the courtyard of each monastery.  Apart from eight huge buildings, ten temples, many prayer halls and study rooms, this complex also had beautiful gardens and lakes.  This university also had hostel facilities for students studying from abroad.

 The entrance examination in the university was so difficult that only the brightest talented students could get admission.  Here, like the universities of today, students had their own union and they used to arrange and elect their own.  The students did not have any kind of financial concern.  Education, food, clothes, medicine and treatment were all free for them.  Two hundred villages were donated to the university by the state, from which the income and food grains were spent.


 After being in existence for nearly 800 years, this university got the eye of hungry-naked, uncivilized, man-eaters.  In 1193, Nalanda University was ruined by the Ottoman Muslim invaders under Bakhtiyar Khilji.  Persian historian Minhaj-e-Siraj, in his book Tabqat-e-Nasiri, wrote that 1000 rulers were burnt alive and 1000 monks were beheaded while ruining the university.  The library was burnt, the then historians wrote that the books in the library kept burning for about 6 months.  And the smoke of the burning manuscripts had taken the form of a huge mountain.



 Thanks guys

 # Mountain Leopard Mahendra

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Tuesday, August 4, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- मलिकार्जुन मंदिर। कर्नाटक। Malikarjuna Temple with a traveling mountain leopard Mahendra. Karnataka.

Ek yatra khajane ki khoje


Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra. Today I am taking you on a journey to Mallikarjuna temple in Karnataka.🙏🙏





              Mallikarjuna Temple, Pattadakal, Karnataka
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Mallikarjuna Temple is a smaller version of the Virupaksha temple and was built by Vikramadiyta's second queen Trilokyamahadevi in 745. This temple is also was constructed by Rani Trilokyamahadevi to celebrate the victory (by Vikramaditya II) over the Pallavas. The Mallikarjuna temple was built immediately after and close to the Virupaksha temple (It has a similar plan), with a 4 storeyed vimana with a circular griva and sikhara. Mallikarjuna temple in Dravidian style.

Pattadakal, in Karnataka, represents the high point of an eclectic art which, in the 7th and 8th centuries under the Chalukya dynasty, achieved a harmonious blend of architectural forms from northern and southern India. An impressive series of nine Hindu temples, as well as a Jain sanctuary, can be seen there. One masterpiece from the group stands out – the Temple of Virupaksha, built c. 740 by Queen Lokamahadevi to commemorate her husband's victory over the kings from the South


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                                  हिंदी अनुवाद
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं कर्नाटका के मल्लिकार्जुन मंदिर की यात्रा पर।🙏🙏







मल्लिकार्जुन मंदिर, पट्टडकल, कर्नाटक

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 मल्लिकार्जुन मंदिर विरुपाक्ष मंदिर का एक छोटा संस्करण है और इसे विक्रमादित्य की दूसरी रानी त्रिलोक्यमहादेवी ने 745 में बनवाया था। इस मंदिर का निर्माण भी रानी त्रिलोकीमादेवी ने पल्लवों पर विजय (विक्रमादित्य द्वितीय) द्वारा मनाने के लिए करवाया था।  मल्लिकार्जुन मंदिर वीरुपक्ष मंदिर के करीब और बाद में बनाया गया था (इसकी एक समान योजना है), एक 4 मंजिला विमना के साथ एक गोलाकार ग्रिवा और शिखर है।  मल्लिकार्जुन मंदिर द्रविड़ शैली में।


 पट्टादकल, कर्नाटक में, एक उदार कला के उच्च बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है, जिसने 7 वीं और 8 वीं शताब्दी में चालुक्य वंश के तहत, उत्तरी और दक्षिणी भारत से वास्तुशिल्प रूपों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण हासिल किया।  नौ हिंदू मंदिरों और साथ ही एक जैन अभयारण्य की एक प्रभावशाली श्रृंखला वहां देखी जा सकती है।  समूह की एक उत्कृष्ट कृति - विरुपाक्ष का मंदिर, निर्मित सी।  740 में रानी लोकमहादेवी ने दक्षिण से राजाओं पर अपने पति की जीत का स्मरण किया।

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Monday, August 3, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग- तारकेश्वर मंदिर (हंगल कर्नाटक भारत). A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Tarakeswar Temple (Hangal Karnataka India)

Ek yatra khajane ki khoje





                                 तारकेश्वर मंदिर

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                                 हंगल कर्नाटक
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                                  भारत
                                  🙏🙏



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर हम सभी चल रहे हैं  तारकेश्वर मंदिर हंगल कर्नाटक की यात्रा पर ।जो अपने स्थापत्यकला के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।





               🙏सनातन_संस्कृति🙏
                
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🙏तारकेश्वर_मंदिर (कदंब और कल्याणचुक्य वंश) 🙏 हंगल / कर्नाटक:
तारकेश्वर मंदिर वास्तव में हमारे मध्ययुगीन काल के स्थापत्य चमत्कार का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर जो हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित है, 12 वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य में सौंपा गया है। मंदिर का नाम भगवान शिव के तारकेश्वर स्थान से लिया गया है .... मंदिर प्रारंभिक निर्माण कादंथा वंश के लिए समर्पित है लेकिन बाद के समय में कल्याणचालयकों ने आज के समय में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे ... किंवदंतियों के अनुसार, हंगल नह को महाभारत में विराटनगर माना जाता है, जहां पांडवों ने अपने अजातशत्रुओं के दौरान भेस में शरण ली थी ... हुबली से हंगल शहर 75 किलोमीटर दूर है। ।









यह मंदिर ग्रे-ग्रीन क्लोरीटिक विद्वान के साथ बनाया गया है और इसमें आंतरिक रूप से नक्काशीदार दीवारें और छत हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण मुख्य हॉल में है जिसमें एक कमल के रूप में एक बड़ा गुम्बदनुमा छत है (फोटो देखें) .... केंद्र की ओर संकेंद्रित वृत्तों में छत वृद्धि, सिलवटों के पैटर्न बनाते हैं, और फिर बूँदें नीचे फिर से यह शीर्ष तक पहुँचता है। इससे खिले हुए कमल का आभास होता है ...

दीवारों पर चित्र महाकाव्य रामायण के दृश्यों को चित्रित करते हैं ... मुख्य हॉल के खंभे खराद की तरह हैं। खंभों पर घंटी के आकार के खंड भी खराद का काम करने के समान हैं। .... खंभों पर सजावट में हाथियों और हीरे के आकार के रूपांकनों की बहुत विस्तृत नक्काशी शामिल है ... बगल में नंदी हॉल नामक एक और 12 स्तंभों वाला हॉल है। मुख्य हॉल ...

मंदिर की बाहरी दीवारों को साथ डिजाइन किया गया है। तारकेश्वर मंदिर के उत्तर-पूर्व में स्थित गणेश मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है ...।









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                                English translate
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Tarakeswar Temple


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 Hangal Karnataka

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 India

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, today we are all going on a trip to Tarakeswar temple Hangal Karnataka which is world famous for its architecture.






 🙏sanat_culture🙏



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 🙏tarkeshwar_mandir (Kadamba and Kalyanchukya dynasty) 🙏Hangal / Karnataka:

 The Tarakeswar temple is indeed a classic example of the architectural marvel of our medieval period.  The temple, which is dedicated to the Hindu deity Lord Shiva, is assigned in the middle of the 12th century AD.  The name of the temple is derived from the Tarakeswar place of Lord Shiva .... The temple is dedicated to the early construction of the Kadantha dynasty but in later times the Kalyanchalakas did many important works in today's time ... According to legends, Hangal Nah  Is considered to be Viratnagar in the Mahabharata, where the Pandavas took refuge in disguise during their Ajatashatru ... Hangal town is 75 km from Hubli.  .


 The temple is built with gray-green chloritic schist and has internally carved walls and ceilings.  The main attraction of the temple is in the main hall which has a large dome roof in the form of a lotus (see photo) .... The ceiling rises in concentric circles, forming folds patterns, and then drops down again at the top.  Reaches  This gives a feeling of blooming lotus…


 The paintings on the walls depict scenes from the epic Ramayana ... The pillars of the main hall are like a lathe.  The bell-shaped sections on the pillars are also similar to the lathe works.  .... The decoration on the pillars includes very elaborate carvings of elephants and diamond shaped motifs ... Next there is another 12 pillared hall called Nandi Hall.  main hall ...


 The outer walls of the temple are designed alongside.  The Ganesh temple located to the northeast of the Tarakeswar temple is built in the Nagara style.








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Sunday, August 2, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग-रमप्पा मंदिर (पालमपेट दक्षिण भारत)। A visit to the mountain-leopard Mahendra's Sang-Ramappa temple (Palampet South India)

Ek yatra khajane ki khoje



नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं । रामप्पा मंदिर की यात्रा पर जो कि अपने अद्भुत नक्काशी और बेसाल्ट पत्थरों के बने होने के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं।





                        रामप्पा मंदिर
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              पालमपेट  दक्षिण भारत
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                          भारत वर्ष के हिन्दू मंदिर की भव्यता देखो
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इस मंदिर की मूर्तियों और छत के अंदर जो पत्थर उपयोग किया गया है वह है बेसाल्ट जो कि पृथ्वी पर सबसे मुश्किल पत्थरों में से एक है इसे आज की आधुनिक Diamond electron machine ही काट सकती है वह भी केवल 1 इंच प्रति घंटे की दर से

अब आप सोचिये कैसे इन्होंने 900 साल पहले इस पत्थर पर इतनी बारीक कारीगरी की है

यहां पर एक नृत्यांगना की मूर्ति भी है जिसने हाई हील पहनी हुई है

सबसे ज्यादा अगर कुछ आश्चर्यजनक है वह है इस मंदिर की छत यहां पर इतनी बारीक कारीगरी की गई है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है

मंदिर की बाहर की तरफ जो पिलर लगे हुए हैं उन पर कारीगरी देखिए दूसरा उन की चमक और लेवल में कटाई

मंदिर के प्रांगण में एक नंदी भी है जो भी इसी पत्थर से बना हुआ है और उस पर जो कारीगरी की हुई है वह भी बहुत अद्भुत है

पुरातात्विक टीम जब यहां पहुंची तो वह इस मंदिर की शिल्प कला और कारीगिरी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रहे थे कि यह पत्थर क्या है और इतने लंबे समय से कैसे टिका हुआ है

पत्थर इतना सख्त होने के बाद भी बहुत ज्यादा हल्का है और वह पानी में तैर सकता है इसी वजह से आज इतने लंबे समय के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है

यह सब आज के समय में करना असंभव है इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी होने के बाद भी तो 900 साल पहले क्या इनके पास मशीनरी नहीं थी?

उस समय की टेक्नोलॉजी आज से भी ज्यादा आगे थी
यह सब इस वजह से संभव था कि उस समय वास्तु शास्त्र और शिल्पशास्त्र से जुड़ी हुई बहुत सी किताबें उपलब्धि थी जिनके माध्यम से ही यह निर्माण संभव हो पाये उस समय के जो इंजीनियर थे उनको इस बारे में लंबा अनुभव था क्योंकि सनातन संस्कृति के अंदर यह सब लंबे समय से किया जा रहा है

मंदिर शिव को समर्पित है

मंदिर का नाम इसके शिल्पी के नाम पर रखा हुआ है क्योंकि उस समय के राजा शिल्पी के काम से बहुत ज्यादा खुश हुए और उन्होंने इस मंदिर का नाम शिल्पी के नाम पर ही रख दिया

Ramappatemple
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                              धन्यवाद दोस्तों
                  माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा

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                         English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.  Friends, I am taking you on today's journey.  Visit to Ramappa temple which is world famous due to its amazing carvings and basalt stones.






 Ramappa Temple

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 Palampet South India

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 See the grandeur of the Hindu temple of India

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 The stone used in the statues and roof of this temple is basalt which is one of the toughest stones on earth, it can be cut only by today's modern Diamond electron machine, that too at the rate of only 1 inch per hour.


 Now you think how they have done such fine workmanship on this stone 900 years ago.


 There is also a statue of a dancer who is wearing a high heels.


 The most amazing thing is that the roof of this temple has been done with such fine workmanship, whose beauty is made on seeing it.


 Look at the workmanship on the pillars which are on the outside of the temple, secondly they are cut in brightness and level.


 There is also a Nandi in the courtyard of the temple which is also made of this stone and the workmanship done on it is also very amazing.


 When the archaeological team arrived here, she was very much impressed by the craftsmanship and artisanship of this temple but he could not understand one thing about what this stone is and how it has been for so long.


 Even after being so hard, the stone is very light and it can float in the water, due to this, there is no damage to the temple even after such a long time.


 It is impossible to do all this in today's time, even after having such good technology, did they not have machinery 900 years ago?


 The technology at that time was even further than today.

 All this was possible due to the achievement of many books related to Vastu Shastra and Shilpasastra at that time, through which this construction could be made possible.  It's been done for a long time


 The temple is dedicated to Shiva


 The temple is named after its craftsman, because the king of that time was very happy with the work of Shilpi and he named this temple after the artist.

                      Thank you friends
                  Mountain lappord Mahendra
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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

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