Monday, January 11, 2021

अद्भुत , अलौकिक और रहस्यों से परिपूर्ण श्रापित किराड़ू मंदिर - राजस्थान भारतवर्ष. Wonderful, supernatural and full of mysteries cursed Kiradu temple - Rajasthan India

Ek yatra khajane ki khoje











                             

                               अद्भुत किराडू मंदिर
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                         Amazing Kiradu Temple
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 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗 आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों मैं आज अपने  'एक यात्रा खजाने की खोज' के दरमियान आ पहुंचा हूं। रेत की दुनिया में जी हां अलौकिक और खूबसूरत राजस्थान की यात्रा पर। दोस्तों न जाने कितने रहस्य और दंत कथाओं को अपने अंदर समेटे हुए हैं यह मरुभूमि। दोस्तों इस मरूभूमि ने ना जाने कितने रहस्यमई कहानियां और अलौकिक लोक  संगीत को जन्म दिया है जिसे कलमबद्ध करना हम जैसे यात्रियों के लिए असंभव है क्योंकि इस मरूभूमि के कण-कण में ऐतिहासिक और लोक नायकों की आत्माये निवास करती हैं । दोस्तों मैं नमन करता हूं इस मरुभूमि को जिसने असंख्य योद्धाओं को जन्म दिया है।




 अद्भुत , अलौकिक और रहस्य से परिपूर्ण श्रापित किराडू मंदिर राजस्थान भारतवर्ष


        
   
                    खूबसूरत किराडू के खंडहर
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                         Ruins of beautiful kiradu
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   दोस्तों मैंने भी इस मरूभूमि की यात्रा पर न जाने कितनी ही अलौकिक और रहस्यमई घटनाओं को महसूस किया था । और साथ ही साथ ही इस मरूभूमि में मैंने जीवन की कठिन से कठिन पहलुओं को जाना और समझा। और दोस्तों मरूभूमि की इस यात्रा के दौरान ही मैं राजस्थान के सबसे रहस्यमई और अलौकिक मंदिर किराडू मंदिर के प्रांगण में पहुंचा।और यहां के लोगों ने मुझे जब इस मंदिर की दंतकथा सुनाई तू मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। क्योंकि दोस्तों मैं जिस समय इस मंदिर में पहुंचा था शाम होने में कुछ ही समय बचा हुआ था यानी कुछ ही समय के अंतराल पर अंधेरा होने वाला था। क्योंकि सूर्य देव पश्चिम दिशा में क्षितिज पर डूबने वाले थे और चंद्र देव का आगमन होने वाला था।






  अतः दोस्तों दूसरे दिन आने के बारे में सोच कर मैं जल्द से जल्द ग्रामीणों के साथ किराडू मंदिर से दूर उस ग्रामीण के साथ उसके गांव की ओर चल पड़ा जहां मैं रात को रुकने वाला था। दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मरूभूमि की रेत दिन में जितनी शांति पैदा करती है सूर्य के ढलने के बाद यही शांति और खामोशी उतनी ही खौंफ और सिहरन पैदा करती है।  





       
               
          विखंडित मूर्तियां
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                        Disintegrated sculptures
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 दोस्तों मरुभूमि का एक बहुत ही खूबसूरत शहर है बाड़मेर जो बहुत ही समय तक खामोशी की चादर को लपेटे हुए था लेकिन अब वर्तमान समय में मरुभूमि का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है जिसकी वजह है श्रापित किराडू मंदिर।







 दोस्तों मुझे अपने ग्रामीण दोस्त जो यही के थे महावीर सिंह के साथ उनके गांव पहुंचते-पहुंचते शापित किराडू मंदिर की सीमाओं से काफी दूर रात के 8:30 बज चुके थे। दोस्तों जब मैं महावीर सिंह की गांव पहुंचा तो गांव की खूबसूरती देखकर अचंभित हो गया था ।गांव के चारों ओर   बड़े-बड़े टिल्ले थे। दोस्तों जिस कारण से रात्रि के समय गांव की खूबसूरती देखते ही बन रही थी। और इस समय सभी ग्रामीण अपने घरों में रात की खाने की तैयारी में लगे हुए थे। और मेरे जैसे बहुत सारे पर्यटक जिनमें से विदेशी पर्यटकों की संख्या भी काफी थी। वे सभी लोग गांव में ही स्थित एक खंडहरनुमा हवेली में जो कि काफी प्राचीन लग रहा था जिसके ऊपर छत नहीं था , शायद समय के कालखंड में ढह गया होगा। और इसी खंडहर नुमा हवेली के बीच में आग जल रहा था और चारों ओर कालीन बिछा हुआ था।और सभी लोग उसके चारों और बैठ कर बातें कर रहे थे और कुछ लोग नाच गान कर रहे थे।




               
                 
  खूबसूरत स्तंभ कलाकृति
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                         Beautiful column artwork
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 जैसा कि दोस्तों आप लोगों को पता नहीं होगा कि रात के समय में मरुस्थल में काफी ठंड पड़ती है अतः दोस्तों रात के समय खुले आसमान के नीचे टिमटिमाते तारो और चांद को निहारते हुए आग तापने का मजा ही कुछ और होता है। दोस्तों ऊपर चांद की शीतलता और नीचे मरूभूमि की ठंडक और चारों ओर दूर-दूर तक फैली अंधकार वातावरण में अजीब सी खौफ पैदा कर रही थी। फिर भी सारे पर्यटक आग के चारों ओर बैठकर अपनी ही दुनिया में मस्त थे।






 अतः दोस्तों मैं भी अपना सारा सामान महावीर सिंह को देकर उनको उनके घर भेज दिया जहां मैं रुका था और मैं पर्यटको के समूह में शामिल हो गया और उनसे बातें करने लगा। एवं मरुभूमि की शीतलता में आग की गर्मी का मजा लेने लगा। दोस्तों बातों ही बातों में पता चला कि ये लोग भी किराडू मंदिर की ही यात्रा पर आए हुए हैं लेकिन श्राप के खौफ के करण कोई भी पर्यटक रात्रि के समय वहां रूकना नहीं चाहता था। इसलिए ये सभी लोग इस दुरदराज के गांव में शरण लिए हुए थे। और सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन दोस्तों समुह में कुछ ऐसे भी साहसी  लोग थे जो रात्रि के समय ही  किराडू मंदिर जाने की तैयारी में थे  , लेकिन गांव वालों के विरोध के कारण वे लोग जा नहीं पा रहे थे। अतः दोस्तों जैसे जैसे रात गहरी हो रही थी वैसे वैसे चारों ओर वातावरण में अजीब सी खामोशी  छाने लगी थी । और वैसे वैसे सारे पर्यटक अपने अपने ठिकानों पर सोने जा रहे थे और जबकि सारे विदेशी पर्यटक अपने अपने टेंटों में जा चुके थे। और मैं भी अपने दोस्त महावीर सिंह के घर पर लौट चुका था । और रात्रि का भोजन करने के बाद मिट्टी के बने बहुत ही खूबसूरत दो मंजिलें मकान के छत पर सोने चला गया। लेकिन मैं कोठरी के अंदर न सोकर बाहर लगे  चारपाई पर ही लेट गया और चांद तारों को देखते देखते न जाने कब मुझे नींद आ गई पता ही नहीं चला।





     
     
                         बहुत ही सुंदर रचना
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                            Very beautiful creation
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 दोस्तों सुबह में मेरी नींद जब महावीर सिंह मुझे चाय के लिए उठाने आए तो खुली। लेकिन आदतन मैंने सबसे पहले महावीर सिंह जी से गर्म पानी मांगा और गर्म पानी पीने के बाद में फ्रेश होने चला गया। और बाथरूम से तैयार होकर बाहर आया। तब तक नाश्ता भी लग चुकी थी अतः हम सभी लोग एक साथ बैठकर नाश्ता करने लगे और किराडू मंदिर कैसे चल से जल्द पहुंचा जाए इस पर चर्चा करने लगे। और नाश्ता समाप्त करने के बाद मैंने फटाफट अपना बैग और कैमरा उठाया और महावीर सिंह के साथ चल दिया किराडू मंदिर की ओर।








 दोस्तों रास्ते में वे सभी पर्यटक मुझे मिले जिनसे रात में मेरी मुलाकात हुई थी ।और जल्द ही हम सभी बातें करते-करते किराडू मंदिर पहुंच चुके थे।दोस्तों सुबह के समय में किराडू मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही थी।  बहुत ही अलौकिक दृश्य उत्पन्न हो रहा था ,जैसे जैसे सूर्य की रोशनी मंदिर पर पड़ रही थी वैसे वैसे मंदिर की भव्यता निखार आते जा रही थी। मानो जैसे एक अलौकिक रोशनी प्रस्फुटित हो रही हो। दोस्तों क्या बताऊं सूर्य की रोशनी में इतनी भव्यता तो  रात्रि में चांद की रोशनी में कितना भव्य दिखता होगा यह मंदिर यह सोचकर मैं आज भी रोमांचित हो उठता हूं। अतः  दोस्तों मैं किसी न किसी दिन रात्रि के समय में इस मंदिर की यात्रा पर जरूर आऊंगा।




               
               
 अद्भुत स्तंभों पर की गई कलाकृति  
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                  Artwork on amazing pillars
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 दोस्तों किराडू मंदिर अपने अद्भुत एवं अलौकिक शिल्प कला और अपने मशहूर लोक प्रचलित श्रापित दंतकथा के अनुसार इस मंदिर की यात्रा पर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटको को न केवल आश्चर्यचकित करती है बल्कि उनके मन में प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के लिए आश्चर्य एवं कौतूहल पैदा करती है । दोस्तों प्राचीन और ऐतिहासिक दस्तावेजों की माने तो किराडू को मंदिरों का शहर या मरूभमि का 'खजुराहों' भी कहा जाता है दोस्तों किराडू मुख्यत:
 पांच मंदिरों का एक भव्य श्रृंखला है जिसमें एक भगवान विष्णु को समर्पित है और अन्य भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करते हैं।








 श्रापित मंदिर:-  दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि 11वी और 12 वीं शताब्दी में किराडू सम्राज्य अपने वैभव काल में थी। जब परमार वंश के राजा सोमेश्वर ने किराडू राज्य के विकास के लिए काफी मेहनत की और किराडू के वैभव को इतिहास में अमर बना दिया था। दोस्तों इतिहासकारों का मानना है कि 13 वी और 14 वी शताब्दी के दौरान तूर्क आक्रमणकारियों ने इस पूरे क्षेत्र को बर्बर तरीके से लूटा और बर्बाद कर दिया था लेकिन एक किवदंती की की मानें तो स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार एक श्राप ने इस पुरे क्षेत्र को वीराना बना दिया था। 




                                         मंडप
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                                      Pavilion
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 दोस्तों किंवदंती  बताती है कि 12 वीं शताब्दी के आसपास एक महात्मा अपने शिष्यों के साथ यहां आए थे जिनका इस क्षेत्र में रहने वाले गांव वालों ने काफी स्वागत और सत्कार किया था। जिससे महात्मा काफी खुश हुए थे। और  ये महात्मा कुछ समय के बाद अपने शिष्य को यहीं पर छोड़ कर कहीं चले गए थे। और कुछ ही दिनों बाद वहां रुके हुए  शिष्य- गण किसी भयंकर बीमारी की चपेट में आ गए। इस बात की जानकारी होते हुए भी ग्राम वासियों ने अन्य शिष्यों की कोई मदद नहीं की। सिर्फ एक कुम्हारीन को छोड़कर। इस निर्धन वृद्धा ने जितना हो सके उतनी मदद की थी।









 दोस्तों इस बात की जानकारी होते हैं महात्मा वापस लौटे और अपने शिष्यों की चिंताजनक हालत देखकर बहुत ही क्रोधित हुए। और उन ग्राम वासियों को भयंकर श्राप दे दिया। कि तुम सभी पाषाण की तरह हो तुम लोगों ने मेरे शिष्यों की कोई मदद नहीं की इसलिए मैं तुम सभी को श्राप देता हूं कि तुम  सभी पाषाण की मूर्ति में बदल जाओ। और उस मददगार वृद्ध महिला को बोला की सूर्यास्त से पहले इस जगह को छोड़ दें अन्यथा वो भी  पाषाण की मूर्ति बन जाएंगी । उन्होंने उसे यह निर्देश भी दिया कि जातें समय  वो पलटकर पीछे नहीं देखेगी  अन्यथा तुरन्त पत्थर में बदल जाएंगी । भयवश वह कुम्हारन अपने घर की ओर भागी। और महात्मा भी अपने शिष्यों के साथ वहां से वापस लौट गए। लेकिन वह वृद्धा जब अपना घर छोड़ने लगी तो उसके मन में  श्राप के प्रति  संदेह पैदा हुआ और अपने घर के प्रति मोह भी उत्पन्न हुआं और उसने पलट कर पीछे देखा और वह तुरंत पाषाण की प्रतिमा में बदल गई।



     
              
 स्तब्ध कर देने वाली कलाकृतियां
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                                 Stunning artwork
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 दोस्तों जिसे मैंने रास्ते में पड़ने वाले सिंहणी गांव में देखा भी उस कुम्हारन की पाषाण की प्रतिमा। दोस्तों ग्रामीण बोलते हैं कि तब से वह श्राप आज भी प्रचलित है जिसके कारण आज भी कोई सूर्यास्त के बाद वहां रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।









 भारतवर्ष की अनुपम धरोहर:-  दोस्तों इसी किंवदंती के कारण यह  मंदिर पर्यटको  को अपनी और आकर्षित करती है और इसी आकर्षण के कारण मैं भी यहां खिंचा चला आया था। और यहां आकर इस मंदिर की भव्यता और मूर्तियों को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे इस मंदिर का निर्माण देवताओं ने किया हो।परंतु कुछ भी कहो दोस्तों यह हमारे गौरवशाली अतीत का अनुपम धरोहर है।



             






           धन्यवाद दोस्तों

      माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗







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                 English translate
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  Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra 🧗 I warmly greet you all.  Friends, I have arrived today during my 'treasure hunt'.  Yes in the world of sand on a journey to the supernatural and beautiful Rajasthan.  Friends, do not know how many mysteries and legends are contained inside this desert.  Friends, this desert has given rise to many mysterious stories and supernatural folk music, which is impossible for the travelers like us to compose because the souls of historical and folk heroes reside in every particle of this desert.  Friends, I salute this desert which has given birth to innumerable warriors.






 Amazing, supernatural and full of mystery cursed Kiradu temple Rajasthan India






 Friends, I too had experienced many supernatural and mysterious incidents on this desert journey.  And at the same time I came to know and understand the most difficult aspects of life in this desert.  And friends, during this visit to the desert, I reached the courtyard of the most mysterious and supernatural temple of Rajasthan, the Kiradu temple. And people here told me the story of this temple when you were standing tall.  Because friends, when I reached this temple, there was little time left in the evening, that is, it was going to be dark at some time.  Because the Sun God was about to sink on the horizon in the west direction and the arrival of Chandra Dev was about to take place.







 So, thinking of coming to friends the next day, I walked with the villagers as soon as possible away from the Kiradu temple towards the village where I was going to stay the night.  Friends, you will be surprised to know that the peace of the desert in the day creates the same peace and silence after the sun sets.










 Friends, a very beautiful city of desert is Barmer which was wrapped in a sheet of silence for a long time but now it has become a famous tourist destination of desert in the present time due to which the cursed Kiradu temple.









 Friends, with my rural friend who belonged to this, Mahavir Singh, reaching his village, it was past 8:30, quite far from the boundaries of the cursed Kiradu temple.  Friends, when I reached the village of Mahavir Singh, I was amazed to see the beauty of the village. There were big tills around the village.  Friends, because of which the beauty of the village was being seen at night.  And at this time all the villagers were in their homes preparing for dinner.  And a lot of tourists like me out of which the number of foreign tourists was also considerable.  All of them may have collapsed in the period of time in a ruined mansion situated in the village which looked quite ancient, with no roof above it.  And in the midst of this ruined mansion, a fire was burning and carpet was spread all around. And all the people were sitting around and talking and some people were singing songs.









 As you guys may not know that it is very cold in the desert in the night time, so friends, watching the flickering taro and the moon under the open sky at night is the fun of heating the fire.  Friends, the coldness of the moon above and the coolness of the desert below and the far-reaching darkness was creating strange awe in the atmosphere.  Nevertheless, all the tourists were sitting around the fire in their own world.








 So friends, I also gave all my belongings to Mahavir Singh and sent him to his house where I stayed and I joined the group of tourists and started talking to them.  And started enjoying the heat of the fire in the coolness of the desert.  Friends came to know that these people have also come to visit the Kiradu temple, but due to the fear of curse, no tourist wanted to stop there at night.  So all these people took refuge in this Durdaraj village.  And were waiting for morning.  But there were some courageous people in the Friends group who were preparing to go to Kiradu temple at night, but due to the opposition of the villagers, they could not go.  Therefore, as the night was getting darker, strange atmosphere was being spread in the surroundings.  And by the way, all the tourists were going to sleep at their places and while all the foreign tourists had gone to their tents.  And I too had returned to my friend Mahavir Singh's house.  And after having dinner, two very beautiful floors made of clay went to sleep on the roof of the house.  But I did not sleep inside the closet, I lay down on the bedstead outside and did not know when I fell asleep while looking at the moon stars.










 Friends, I woke up in the morning when Mahavir Singh came to pick me up for tea.  But habitually I first asked for hot water from Mahavir Singh ji and after drinking hot water went to freshen up.  And came out of the bathroom ready.  By then breakfast was also served, so all of us started sitting together and having breakfast and started discussing how to reach Kiradu temple quickly.  And after finishing breakfast I immediately picked up my bag and camera and walked with Mahavir Singh towards Kiradu temple.










 Friends, I met all the tourists on the way whom I met at night. And soon we all reached the Kiradu temple while talking. The friends were seeing the grandeur of the Kiradu temple in the morning.  A very supernatural scene was being generated, just as the sunlight was falling on the temple, the grandeur of the temple was getting better.  As if a supernatural light is erupting.  Friends, what should I say, I am still thrilled to think that this temple would be so grand in the light of the sun and how gorgeous it would look in the moonlight at night.  Therefore, friends, I will definitely visit this temple at night time on some day.







 Friends, Kiradu Temple, according to its amazing and supernatural craftsmanship and its famous folk-famous cursed legend, not only surprises the foreigners visiting the temple, but also creates wonder and curiosity for the ancient Indian culture and civilization.  Does.  Friends, if ancient and historical documents are believed, Kiradu is also called the city of temples or the 'Khajuraho' of Marubhami.

 There is a grand series of five temples in which one is dedicated to Lord Vishnu and the other represents Lord Shiva.










 Cursed Temple: - Friends, historical documents show that the 11th century and 12th century Kingdom of Kiradu was in its grandeur.  When King Someshwar of Parmar dynasty worked hard for the development of Kiradu kingdom and the glory of Kiradu was made immortal in history.  Friends historians believe that during the 13th and 14th centuries, the Turk invaders looted and ruined this entire region, but according to a legend, a curse according to the local villagers made this entire region deserted.  Had given.









 Friends legend states that around the 12th century a Mahatma came here with his disciples who were greatly welcomed and welcomed by the villagers living in the region.  Due to which Mahatma was very happy.  And after some time these Mahatmas left their disciple and went somewhere.  And after a few days, the disciple, who was staying there, came in the grip of some terrible disease.  Despite knowing this, the villagers did not help other disciples.  Except just one potter.  This poor old woman helped as much as she could.











 Friends are aware of this, Mahatma returned and became very angry seeing the worrying condition of his disciples.  And gave a terrible curse to those villagers.  That all of you are like a stone, you guys did not help my disciples, so I curse you all that you all turn into a stone statue.  And said to the helpful old lady, leave this place before sunset, otherwise they will also become stone idols.  He also instructed her that at the time she would not turn back and look back, otherwise she would immediately turn into stone.  Frightened, the potter ran towards her house.  And the Mahatma also returned from there with his disciples.  But when the old lady started leaving her house, she had doubts about the curse and also a fascination for her house and she turned back and looked back and she immediately turned into a stone statue.










 Friends, I saw in the Sinhani village on the way, also a stone statue of that potter.  Friends villagers say that since then that curse is still prevalent today due to which no one can muster the courage to stop there after sunset.










 Anupam Heritage of India: - Friends, due to this legend, this temple attracts more tourists and due to this attraction, I was also drawn here.  And after coming here and looking at the grandeur and idols of this temple, it seems as if the Gods have built this temple, but say anything friends, it is a unique heritage of our glorious past.



 




 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗










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Friday, January 8, 2021

एक यात्रा सूर्य मार्तंड मंदिर के खंडहरों की -कश्मीर भारतवर्ष

Ek yatra khajane ki khoje


                    

                      सूर्य मार्तंड मंदिर का विहंगम दृश्य
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     A panoramic view of Surya Martand Temple
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 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं सूर्य मार्तंड मंदिर की खंडहरों की यात्रा पर जोकि अनंतनाग कश्मीर में स्थित है। जो हमारे पूर्वजों के द्वारा बनाए गए भव्य और अनमोल धरोहर थे। जिसे बाहर से आए दुराचारी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अपने विस्तार वादी नीतियों के कारण ध्वस्त कर दिया था। दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि ये मुस्लिम आक्रमणकारी भारतवर्ष में शरणार्थी बनकर आए थे जिन्हें हमारे पूर्वजों ने भारतवर्ष में शरण दिया था बाद में इन्ही शरणार्थियों ने आक्रमणकारियों के रूप में हमारे पूर्वजों के धरोहरों और उनके अच्छाइयों को पैरों तले रौंद दिया था।
     
        
     
                      भव्य मंदिर के अवशेष
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                    Ruins of a magnificent temple
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             दोस्तों आज मैं उन्हें खंडित मंदिरों को आप को दिख लाना चाहता हूं और साथ ही साथ पूरे विश्व को भी जिससे उन्हें पता चल सके कि कश्मीर और भारत वर्ष किसका है।
      हां दोस्तों आपने सही समझा कश्मीर के अनंतनाग में स्थित सूर्य मार्तंड मंदिर जिसे हमारे पूर्वजों ने बनाया था। दोस्तों इन खंडहरों को देखकर ऐसा लगता है कि कितनी मेहनत और लगन से हमारे पूर्वजों ने इन मंदिरों का निर्माण किया होगा। अद्भुत और अलौकिक मंदिर निर्माण कला जो कि आज की वर्तमान समय में भी संभव नहीं है बनाया जाना।
        अतः दोस्तों मेरा विनम्र निवेदन है हर उन भारतीयों से कि एक बार वे सूर्य मार्तंड मंदिर के खंडहरों को देखने अवश्य आएं।और उन्हें देखकर एहसास करना चाहिए कि हमारे पूर्वज इतने ज्ञानी और निर्माण कला में निपुण थे। और यह भी एहसास करना चाहिए कि कैसे बर्बर शरणार्थियों ने जिन्हें हमारे पूर्वजों ने शरण दिया था ।उल्टे उन्होंने ही हमारे पूर्वजों को मारा काटा और जबरन अपने कौम में शामिल करने की कोशिश किया। यानी कि उल्टे हमारे ही पीठ में छुरा घोंप कर हमारी धरती माता को अपने कब्जे में कर लिया।
                     अतः आइए दोस्तों चलते हैं सूर्य मार्तंड मंदिर के खंडहरों की यात्रा पर।

            सूर्य मार्तंड मंदिर खंडहर
                  अनंतनाग कश्मीर
                       भारत-वर्ष

  सूर्य मार्तंड मंदिर का निर्माण:-  सूर्य मार्तंड मंदिर को उस समय के महा प्रतापी महाराज 'ललितादत्य मुक्तापीड़' ने बनवाया था। जिन का शासनकाल 724 ईस्वी से लेकर 761 ईस्वी भी था । दोस्तों ललितादित्य मुक्तापीड़ महाराज नागवंशी राजाओं में सबसे महा प्रतापी राजा थे। पुरातात्विक साहित्यो में इन सब बातों का उल्लेख किया गया है दोस्तों स्वयं पुरातत्व विभाग वालों ने यह पर अपना एक बोर्ड लगा रखा है जिसमें मार्तण्ड सूर्य मंदिर का इतिहास दर्ज है।
                 
             
             
       खंडित मूर्ति के अवशेष 
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                        Ruins of a fragmented statue
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                दोस्तों महाराज ललितादत्य मुक्तापीड़ बड़ा महत्वाकक्षी एवं पराक्रमी राजा थे।
  उन्होंने अपने समय के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक महाराज यशोवर्मन को बहुत ही बुरी तरह पराजित किया था। और साथ ही साथ दोस्तों महाराज ललितादित्य ने अपनी शक्तिशाली फौज की सहायता से अरबों को तिब्बत से भागने को मजबूर कर दिया था।
               दोस्तों महाराज ललितादित्य ने तिब्बत और बंगाल जैसे राज्यों को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था और एक महान सम राज्य का निर्माण किया था। 
                  
      दोस्तों यह वही महा प्रतापी महाराज ललितादित्य मुक्तापीड़ थे जिन्होंने अरब  बर्बर आक्रमणकारियों को धूल चटा कर उस समय के भारतीय राजाओं के मन में यह विश्वास भर दिया था कि अरब के आक्रमणकारी अपराजित नहीं है। 
                   दोस्तों महा प्रतापी राजा ललितादित्य के शासनकाल 724 ईसवी से लेकर 761 ईसवी तक यानी जब तक महान सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड़ का शासन रहा तब तक किसी अरब या तुर्की आक्रांत का साहस नहीं हुआ कि कश्मीर या भारतवर्ष की ओर आंख उठाकर भी देख ले। परंतु दोस्तों बाद के समय काल में महा प्रतापी राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ के द्वारा बनवाए गए सूर्य मार्तंड मंदिर को बर्बर आक्रमणकारी   'सिकंदर बुतशिकन' ने खंडित कर दिया था। दोस्तों आपको जानकर यह आश्चर्य होगा की मूर्तियों को तोड़ने के कारण इसका नाम  'बुतशिकन' पड़ा था। जबकि इसका असली नाम  'सिकंदर शाह मीर' हुआ करता था। दोस्तों इस ने 1389 से लेकर 1413 ईसव के दौरान ,
 भारतवर्ष के असंख्य हिंदुओं के मंदिरों को तोड़ डाले थे। उनमें से ही एक कश्मीर के अलौकिक सूर्य मार्तंड मंदिर भी था जिसे उसने तोड़ दिया था जो आज खंडहर के रूप में मौजूद है।
               दोस्तों बाद के कालखंड में कश्मीर को बर्बर आक्रांताओं से मुक्त  'आमेर' के राजाओं ने दिलवाई थी । दोस्तों आमेर राजवंश आज के बृजमंडल जो की जयपुर से उतर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र और उड़िसा तक फैले हुए थे।
             
 
            अद्भुत और अलौकिक खंडहरों के अवशेष 
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              Remnants of amazing and supernatural ruins
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               धन्यवाद दोस्तों
            माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा🧗🧗
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                   English translate
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              Adbhut aur alaukik Siva lingam
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  Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra Friends, today I am taking you all on a journey to the ruins of Surya Martand Temple which is located in Anantnag Kashmir.  Which were grand and priceless heritage created by our ancestors.  The vicious Muslim invaders from outside were demolished due to their expansionist policies.  Friends, you will be surprised to know that these Muslim invaders came to India as refugees whom our ancestors had given refuge in India. Later these refugees trampled the heritage and goodness of our ancestors as invaders.

 Friends, today I want to bring them to you the fragmented temples as well as the whole world so that they can know whose year is Kashmir and India.

 Yes friends, you got it right, Surya Martand Temple located in Anantnag, Kashmir, which was built by our ancestors.  Friends, looking at these ruins, it seems that with hard work and dedication our ancestors must have built these temples.  Amazing and supernatural temple construction art that is not possible even in the present day.

        
             
  पुरातत्व विभाग द्वारा लगाया गया बोर्ड
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                 Board put up by Department of Archeology
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 So friends, my humble request is to every Indian that once they come to see the ruins of Surya Martand Temple and they should realize by seeing that our ancestors were so knowledgeable and skilled in construction art.  And one should also realize how the barbaric refugees whom our ancestors gave asylum. Ultimately they killed our ancestors and tried to forcibly join their community.  That is, on the contrary, by stabbing in our back, we captured our mother earth.

 So let's go on a journey to the ruins of Surya Martand Temple.
      
                

                         खंडित मूर्ति के अवशेष
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                    Ruins of a fragmented statue
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 Surya Martand Temple Ruins
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         Anantnag Kashmir
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               Bharat varsh
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 Construction of Surya Martand Temple: - ▶️Surya Martand Temple was built by the then great King Maharaj 'Lalitaditya Muktapeed'.  Jin's reign was from 724 AD to 761 AD.  Friends Lalitaditya Muktapeed Maharaj was the most majestic king among the Nagavanshi kings.  All these things have been mentioned in the archaeological literature, Friends, the archeology department itself has put a board on it, which records the history of Martand Sun Temple.


            
       
     बहुत ही सुंदर है दोस्तों सूर्य मार्तंड मंदिर
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                Surya Martand Temple is very beautiful
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 Friends, Maharaj Lalitaditya Muktapeed was a very ambitious and mighty king.

 He defeated Maharaja Yashovarman, one of the most powerful rulers of his time, very badly.  And at the same time friends Maharaj Lalitaditya, with the help of his powerful army, had forced the Arabs to flee Tibet.

 Friends Maharaj Lalitaditya had conquered kingdoms like Tibet and Bengal and merged into his empire and created a great equal state.

   
     
 बर्फबारी के दौरान सूर्य मार्तंड मंदिर की अलौकिक दृश्य 
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           Supernatural view of Surya Martand Temple during snowfall
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 Friends, it was the same great majesty, Lalitaditya Muktapeed, who lured the Arab barbaric invaders and filled the minds of the Indian kings of the time with the belief that the Arab invaders were not undefeated.

 Friends, till the reign of the great majestic king Lalitaditya from 724 AD to 761 AD, till the time when the great emperor Lalitaditya Muktapid ruled, no Arab or Turkish invader had the courage to look at Kashmir or India.  But friends, the Surya Martand temple built by the great majestic king Lalitaditya Muktapeed in the later period was ruined by the barbarian invader 'Alexander Butashikan'.  Friends, you will be surprised to know that it was named 'Bootshikan' due to the breaking of idols.  While its real name was 'Sikander Shah Mir'.  Friends, from 1389 to 1413 AD,

 The temples of innumerable Hindus of India were destroyed.  One of them was the supernatural Surya Martand Temple of Kashmir which he broke down which exists today as ruins.

 Friends, in the later period, the kings of 'Amer' got Kashmir free from barbaric invaders.  Friends, the Amer Dynasty was today the Brijmandal which extended from Jaipur to the eastern region of Uttar Pradesh and Orissa.

        
     
               खंडहर में मौजूद मूर्तियों के अवशेष
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                    Ruins of idols present in the ruins
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 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗

                   









 


        Mountain lappord          Mahendra 🧗🧗

Wednesday, January 6, 2021

झारखंड के महत्वपूर्ण वन्य जीव अभयारण्यो की एक यात्रा भारत वर्ष A Visit to Important Wildlife Sanctuaries of Jharkhand India Year

Ek yatra khajane ki khoje

 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप लोगों को लेकर चल रहा हूं । भारत वर्ष के एक महत्वपूर्ण राज्य झारखंड मे स्थित वन्य जीव अभयारण्यो की यात्रा पर।
     दोस्तों झारखंड अपने हरे - भरे जंगलों , ऊंचे पहाड़ों , पठारो एवं विश्व के सर्वाधिक घने जंगल सारंडा के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यानि दोस्तों झारखंड अपने प्राकृतिक  वनस्पतियों की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य हैं । दोस्तों यहां के वनों में विभिन्न प्रकार के हिंसक जानवरों का बसेरा है जैसे यहां के वनों में बाघ , भेड़िया ,गौर ,हाथी , तेंदुए ,भालू , एवं जंगली कुत्ते पाएं जाते हैं। दोस्तों झारखंड राज्य में वन्य जीवों के संरक्षण हेतु एक राष्ट्रीय उद्यान और 11 अभयारण्यों को स्थापित किया गया है।
                  
                      प्रवेश द्वार
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        दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य🏞️
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 दोस्तों दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण जो कि हाथियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है मेरे अपने शहर जमशेदपुर से 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोस्तों यह अभयारण्य 193 .22  वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
दोस्तों यह पहाड़ी वन देवी माता दलमा माई के नाम से भी प्रसिद्ध है ।दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण की स्थापना सन् 1978 ई. में की गई थी। दोस्तों यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों से भरा - पड़ा है। आश्चर्यजनक बात यह है दोस्तों कि झारखंड के किसी अन्य शहर यह सौभाग्य प्राप्त नहीं है जहां शहर के एक दम नजदीक हाथियों की चिंघाड़ और तेंदुए की दहाड़ सुनाई देती हैं। दोस्तों इस अभ्यारण्य में  ' एलीफेंट प्रोजेक्ट ' लागूं की गई है । यहां पर 300 से अधिक हाथी पाए जाते हैं । दोस्तों साथ ही साथ दलमा पहाड़ हम जैसे ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग हैं। और न जाने कितने ही रहस्यों से भरा पड़ा है यह दलमा पहाड़ जिसे खोजा जाना अभी बाकी हैं।
                    

        भगवान बिरसा जैविक उद्यान🏞️
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 दोस्तों भगवान बिरसा जैविक उद्यान 26 जनवरी 1994 को रांची जिले में शहर से 17 किलोमीटर दूर उत्तर में रांची पटना मार्ग के किनारे सपही नदी के तट पर ओरमांझी प्रखंड के चकला गांव में झारखंड के दूसरे वन्य - प्राणी उद्यान का उद्घाटन किया गया था। दोस्तों भगवान बिरसा जैविक उद्यान पटना रांची मुख्य मार्ग के दोनों और लगभग 104 हेक्टेयर भू-भाग  में फैला हुआ है। जिसमें से 83 हेक्टेयर भूमि में वन्य प्राणी उद्यान स्थापित किया गया है जबकि से 21 हेक्टेयर भूमि पर वनस्पति उद्यान बनाया गया है। दोस्तों इस उद्यान में भेड़ियों  , गौर तथा जंगली कुत्तों के लिए अध्ययन एवं प्रजनन संस्थान तथा सफारी पार्क खोलने की भी योजना है । इस उद्यान में भी विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का बसेरा है।

             बिरसा मृग विहार 🏞️
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 दोस्तों बिरसा मृग विहार रांची शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर रांची खूंटी मार्ग पर स्थित एक रमणीय स्थल है जहां पर शहर के लोग पिकनिक मनाने जाया करते हैं।दोस्तों बिरसा मृग विहार का सिंधिया नाम 23 मार्च 1981 को हुआ था और उद्घाटन 1 अगस्त 1986 को किया गया था।दोस्तों जैसे ही आप बिरसा मृग विहार के प्रवेश द्वार के अंदर दाखिल होंगे तो आपको एक छोटी सी वाटिका का नजर आएगी जहां पर एक गोलंबर पर बच्चों को खेलने के लिए उनकी मनपसंद खेल साधनों को स्थापित किया गया है। तथा दर्शकों के विश्राम के लिए सुंदर विश्राम स्थल एवं कैंटीन ही बनाए गए हैं। दोस्तों बिरसा मृग विहार 54 एकड़ वन क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां पर विभिन्न प्रकार की जीव जंतुओं का बसेरा है।
                   

       जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान 🏞️
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 दोस्तों बोकारो स्टील सिटी का जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान 122 एकड़ भूमि में फैला हुआ है तथा इसके विस्तार के लिए 100 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के प्रयास चल रहे हैं अब तक पूरे वन क्षेत्र में 30,000 से ज्यादा वृक्ष लगाए जा चुके हैं जिनमें साल , शीशम और सागौन प्रमुख है। दोस्तों 14 जनवरी 1990 को एम आर रामकृष्णन मैं इस जैविक उद्यान का उद्घाटन किया था।दोस्तों इस जेविक उद्यान में देश-विदेश से मंगा कर तरह-तरह के विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों को सुविधा पूर्ण वातावरण में रखा गया है।
               सृष्टि उद्यान 🏞️
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 दोस्तों सृष्टि उद्यान दुमका जिले से 4 किलोमीटर की दूरी पर कुरुआ की तीन पहाड़ियों को सृष्टि उद्यान का नाम दिया गया है यह उद्यान पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण और पहाड़ी पर स्थित है। दोस्तों 80 एकड़ में फैले इस उद्यान में एक पहाड़ी पर बहुत सारे पौधों की किस्में और दूसरी पहाड़ी पर कैक्टस की किस्मों को जबकि तीसरी पहाड़ी पर जड़ी बूटी वाले पौधों को लगाए गए हैं।

   पालकोट वन्य प्राणी अभयारण्य 🏞️
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   दोस्तों झारखंड के एक बहुत ही खूबसूरत सिटी गुमला में एक वन्य प्राणी अभ्यारण की स्थापना की घोषणा 1990 में की गई थी जो 183. 18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित होने वाला अभयारण्य है दोस्तों सरकारी दस्तावेज के अनुसार इस जमीन यानी इस अभ्यारण्य के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई 30 दिसंबर 1997 को की गई थी जो अब पालकोट वन्य प्राणी अभ्यारण के नाम से मशहूर है।दोस्तों यह बनने प्राणी अभयारण्य गुमला जिले के पूरे पालकोट प्रखंड तथा आंशिक रूप से सिमडेगा तथा रायडीह प्रखंड में  अवस्थित है पालकोट अभ्यारण ने के पूरब में कोयल नदी और पश्चिम में शंख नदी बहती है तथा इन दोनों के बीच अधिसूचित वन भूमि ही मुख्यता अभयारण्य के रूप में स्थित है ।

               जीवाश्म उद्यान 🏞️
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 जैसा कि दोस्तों आप सभी को पता होगा कि साहिबगंज जिले के 37 ऐसे गांव हैं जहां पर मुख्यता संथाल और पहाड़ियां आदिवासी निवास करते हैं और इन्हीं गांवों में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म पाए जाते हैं। दोस्तों इन जीवाश्म को उचित संरक्षण और विकास की आवश्यकता है एवं शोधकर्ताओं को लुभाने के लिए यहां पर अनेक सुविधाओं की आवश्यकता है अगर यह सब चीजें यहां पर हो जाए तो जीवाश्म का अध्ययन करने वालों के लिए यह एक अनमोल तोहफा होगा।
        महुआडांड़ भेड़िया अभयारण्य 🏞️
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 दोस्तों यह अभयारण्य डाल्टनगंज से 94 किलोमीटर दूर महुआडांड़ छेछारी  घाटी में स्थित है। दोस्तों इस की स्थापना सन 1976 ईस्वी में तत्कालीन वन संरक्षक श्री एम पी शाही ने की थी ।यह अभ्यारण ने 63 . 26 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां भेड़ियों के प्रजनन केंद्र भी है।

            बेतला नेशनल पार्क 🏞️
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   दोस्तों झारखंड में स्थित बेतला नेशनल पार्क एक राष्ट्रीय पार्क है दोस्तों आप सभी को पता है कि बेतला नेशनल पार्क काफी प्रसिद्ध है यहां पर हाथी , गौर , चीतल , सांभर नीलगाय और शेर देखने को मिल जाते हैं।   दोस्तों बेतला नेशनल पार्क देसी और विदेशी पर्यटको में काफी मशहूर है और यहां प्रत्येक वर्ष देश और विदेश के सैलानी बेतला नेशनल पार्क का भ्रमण करने आते हैं  और आनंदित होते हैं ।
                    पक्षी विहार
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                तिलैया पक्षी विहार 🏞️
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  दोस्तों आपको बता दूं कि तिलैया डैम बरही से जो कि हजारीबाग में पड़ता है से 18 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 2  , 13 और 33 के मिलन स्थल पर स्थित है। दोस्तों साथ ही साथ यह कोडरमा से 19 किलोमीटर और हजारीबाग शहर से 56 किलोमीटर दूर है इस डैम को बराबर नदी के ऊपर बनाया गया है जिसकी ऊंचाई 99 फीट लंबाई 1200 फीट है। दोस्तों इस डैम म देसी विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है 

             तेनुघाट पक्षी विहार 🏞️
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 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि झारखंड राज्य के तेनुघाट डैम एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बना हुआ डैम है। यह डैम बोकारो जिले में स्थित है। दोस्तों इसकी लंबाई 7 किलोमीटर लंबी है। और जलजमाव का क्षेत्रफल 100 वर्ग किलोमीटर है।दोस्तों दिसंबर और जनवरी में लाखों की संख्या में यहां पनडुब्बी एक प्रकार कर पानी में रहने वाला पक्षी यहां प्रवास करने आते हैं।। दोस्तों ये विदेशी पक्षियां हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके यहां आते हैं। दोस्तों यह पक्षी विहार शोधकर्ताओं के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। दोस्तों यहां आने के लिए हमें सबसे पहले पेटरवार आना पड़ता है जो बोकारो और रामगढ़ के बीचों-बीच स्थित है जहां से हमे तेनुघाट के लिए छोटी बड़ी मिलती हैं। दोस्तों यहां से तेनुघाट 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोस्तों गोमियो रेलवे स्टेशन से तेनुघाट 15 किलोमीटर दूर है। दोस्तों तेनुघाट से ही बोकारो  इस्पात कारखाने को जल की आपूर्ति की जाती है। यहां से बोकारो तक 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया है जिसमें 24 घण्टे पानी रहता है । दोस्तों इसी के तट पर तेनुघाट थर्मल पॉवर स्टेशन ललपनिया में स्थित है।।
              
             ईचागढ़ पक्षी विहार 🏞️
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 दोस्तों स्वर्णरेखा परियोजना के डूबे क्षेत्रों में जमशेदपुर के इचागढ़ और नीमड़ी में दर्जनों पेड़ों पर बसेरा लेकर हर साल मई महीने में साइबेरियन पक्षी अंडे देने आते हैं और अपने बच्चों  का लालन पोषण करने , उन्हें उड़ने के काबिल बनाने के बाद यहां से नवंबर महीने में वापस रूस की लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं। दोस्तों प्रतिवर्ष यहां लगभग 200 प्रवासी  साइबेरियन क्रेन यहां आते हैं।

               प्रजनन केंद्र
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            मूटा मगर प्रजनन केंद्र 🏞️
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  दोस्तों रांची से 35 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में ओरमांझी प्रखंड में सिकिदरी से 6 किलोमीटर जाने पर 3 किलोमीटर पैदल चलकर मूटा मगर प्रजनन केंद्र पहुंचा जा सकता है। मूटा के आसपास भेंडा नदी में कुल 15 गहरी खाई या है जिसमें से छह खाइयों में मगर पाए जाते हैं। दोस्तों जब आप यहां ठंड के मौसम में पहुंचोंगे तो आपको नदी के किनारे धूप में बैठे मगर आसानी से देखने को मिल जाएंगे यहां दर्जनों छोटे मोटे और बड़े मगरमच्छ हैं। 

                   धन्यवाद दोस्तों 
               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                 English translate
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 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm welcome to all of you guys, I am taking you guys on today's journey.  On a visit to the wildlife sanctuary located in Jharkhand, an important state of India.

 Friends, Jharkhand is world famous for its lush green forests, high mountains, plateaus and Saranda, the world's most dense forest.  That is, friends Jharkhand is a rich state in terms of its natural flora.  Friends, the forests here are inhabited by a variety of predatory animals such as tigers, wolves, gaurs, elephants, leopards, bears, and wild dogs.  Friends, a national park and 11 sanctuaries have been established in the state of Jharkhand for the protection of wildlife.


 Dalma Wildlife Sanctuary🏞️


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 Friends Dalma Wildlife Sanctuary, which is world famous for elephants, is located 10 to 15 kilometers from my own city Jamshedpur.  Friends, this sanctuary is spread over an area of ​​193 .22 sq km.

 Friends, this hill is also known as Forest Goddess Mata Dalma Mai. Dalma Wildlife Sanctuary was established in 1978 AD.  Friends, this sanctuary is filled with different types of wild animals.  The amazing thing is that no other city of Jharkhand has this privilege where elephant chirps and leopard roars are heard near the city.  Friends, 'Elephant Project' has been implemented in this sanctuary.  More than 300 elephants are found here.  Friends as well as Dalma Pahadar are paradise for trekking lovers like us.  And do not know how many mysteries this Dalma mountain is still to be discovered.

                    

 Lord Birsa Biological Park🏞️

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 Friends Lord Birsa Biological Park The second wildlife park of Jharkhand was inaugurated on 26 January 1994 in Chakla village of Ormanjhi block on the banks of Sapahi River along Ranchi Patna Road, 17 km north of the city in Ranchi district.  Friends Lord Birsa Biological Park is spread both on the Patna Ranchi main road and in about 104 hectares of land.  Out of which 83 hectare land has been established Wildlife Park while 21 hectare land has been built botanical garden.  Friends, there are plans to open a study and breeding institute and safari park for wolves, gaur and wild dogs in this park.  The park is also home to a variety of wild animals.


 Birsa Mrig Vihar 🏞️

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 Friends Birsa Mrig Vihar is a delightful site located on Ranchi Khunti Marg, 35 km from the city of Ranchi, where the people of the city go for a picnic. Friends Birsa Mrig Vihar was named Scindia on 23 March 1981 and inaugurated on 1 August 1986.  As soon as you enter inside the entrance of Birsa Mriga Vihar, you will see a small garden where their favorite sports equipment has been installed for children to play on a roundabout.  And beautiful rest places and canteens have been made for the visitors to relax.  Friends Birsa Mrig Vihar is spread over 54 acres of forest area and is home to a wide variety of fauna.

 Jawaharlal Nehru Biological Park🏞️

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 Friends, Jawaharlal Nehru Biological Park of Bokaro Steel City is spread over 122 acres of land and efforts are on to acquire 100 acres of land for its expansion. So far more than 30,000 trees have been planted in the entire forest area including Sal, Sheesham and  Teak is predominant.  Friends, this organic garden was inaugurated on 14 January 1990 in MR Ramakrishnan. Friends, this jovic garden has a variety of different types of animal birds kept in a convenient environment.


 Srishti Garden 🏞️

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 Friends: Srishti Udyan 4 kilometers from Dumka district, three hills of Kurua have been named Srishti Udyan, this garden is completely natural environment and is situated on a hill.  Friends, this garden spread over 80 acres has many varieties of plants on one hill and cactus varieties on the other hill while herb plants are planted on the third hill.

 Palkot Wildlife Sanctuary🏞️

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 Friends, the establishment of a wildlife sanctuary in Gumla, a very beautiful city of Jharkhand, was announced in 1990, which is 183. A sanctuary to be established in an area of ​​18 square kilometers, Friends, according to the government documents, this land i.e. land acquisition for this sanctuary  The action was taken on 30 December 1997 which is now popularly known as Palkot Wildlife Sanctuary. Friends, this zoological sanctuary is located in the entire Palkot block of Gumla district and partly in Simdega and Raidih block. Palkot sanctuary has cuckoo in the east  The river and the conch river flows to the west and between these two, the notified forest land is situated as the main sanctuary.

                

 Fossil Park 🏞️

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 As friends all of you will know that there are 37 such villages in the Sahibganj district, where mainly the Santhals and the hills are inhabited by tribals and in these villages fossils are found in crores of years old.  Friends, these fossils need proper conservation and development and many facilities are needed here to entice researchers. If all these things happen here then it will be a precious gift for those studying fossils.


 Mahuadand Wolf Sanctuary🏞️

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 Friends, this sanctuary is located in the Mahuadand Chhechari Valley, 94 km from Daltonganj.  Friends, it was founded in 1976 AD by the then forest conservator Shri MP Shahi. The sanctuary 63.  Spread over an area of ​​26 square kilometers and there are also breeding centers of wolves.

 Betla National Park 🏞️

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 Friends, Betla National Park is a national park located in Jharkhand, Friends, you all know that Betla National Park is very famous here elephant, gaur, chital, sambar nilgai and lion can be seen.  Friends, the Betla National Park is quite popular among domestic and foreign tourists and every year tourists from all over the country and abroad come to visit and enjoy the Betla National Park.


 Bird house🏞️

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 Tilaiya bird sanctuary🏞️

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 Friends, let me tell you that Tilaiya Dam is located at the meeting point of National Highways Nos. 2, 13 and 33, 18 km from Barhi which falls in Hazaribagh.  Friends, at the same time it is 19 km from Koderma and 56 km from Hazaribagh city, this dam has been built on an equal river whose height is 99 feet, 1200 feet in length.  Friends, there is a gathering of native exotic birds in this dam.


 Tenughat Bird Sanctuary🏞️

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 Friends, you will be surprised to know that Tenughat Dam of Jharkhand state is the largest earthen dam in Asia.  This dam is located in Bokaro district.  Friends, its length is 7 kilometers long.  And the area of ​​water logging is 100 square kilometers. In December and January, in millions of friends, the submarine comes here to stay in the water birds.  Friends, these foreign parties travel thousands of kilometers to come here.  Friends, this bird sanctuary is nothing less than a haven for researchers.  To come here friends, first of all we have to come to Petarwar, which is located in the middle of Bokaro and Ramgarh, from where we get small big for Tenughat.  Friends, Tenughat is located 16 kilometers from here.  Tenughat is 15 kilometers from the Friends Gomio railway station.  Friends, water is supplied to Bokaro Steel Plant itself from Tenughat.  A 40 km long canal has been constructed from here to Bokaro, which holds 24 hours of water.  Friends, Tenughat Thermal Power Station is located at Lalapania on the banks of this.



 Echagarh bird sanctuary🏞️

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 Friends settle on dozens of trees in Ichagarh and Neemari in Jamshedpur in the submerged areas of the Swarnarekha Project, every year in May the Siberian birds come to lay eggs and return here in November after nurturing their children, enabling them to fly.  Go on a long trip to Russia.  Friends, about 200 migratory Siberian cranes visit here every year.


 Breeding center

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 Muta Magar Breeding Center 🏞️

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 Friends, Moota Breeding Center can be reached by walking 3 km from Sikidari in Ormanjhi block north of 35 km from Ranchi.  There are a total of 15 deep moats in the Bhenda river around Moota, of which six are found in trenches.  Friends, when you reach here in the cold season, you will be able to sit in the sun on the banks of the river but you can easily see here there are dozens of small, thick and big crocodiles.


 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...