जल वायु पृथ्वी अग्नि आकाश
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पंचमहाभूत
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Water , air , earth , fire , sky
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Quinquent
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दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की जानकारी।
दोस्तों आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। हालांकि, इस चिकित्सा पद्धति को अब तक व्यापक विस्तार नहीं मिल पाया है। दूसरी तरफ आयुर्वेद के करीब 2000 वर्ष बाद प्रचलन में आई एलोपैथी प्रयोग और अनुसंधान के दम पर काफी आगे निकल गई है । हालांकि , विगत कुछ वर्षों में पारंपरिक और असरदार चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को आधार और विस्तार देने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर पहल की है। परिणाम स्वरूप चिकित्सा पद्धति का प्रसार उस वर्ग में भी बढ़ने लगा है , जो अब तक इसे ' जड़ी _ बुटी ' भर समझता रहा।
▶️➡️ आयुर्वेद क्या है - प्रकृति आधारित इस पुरातन चिकित्सा पद्धति में शारीरिक संरचना प्राकृतिक क्रियाओं और ब्रह्मांड के तत्वों के समन्वय के सिद्धांत पर इलाज का प्रावधान है।
जड़ी - बुटियां
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Herbs
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▶️➡️ इतिहास- माना जाता है कि आयुर्वेद का जन्म ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में हुआ। इसकी आधारशिला हिंदू दार्शनिक विद्यालय वैशेषिक और तक विद्यालय न्याय में रखी गई। यह अभिव्यक्ति की रूपरेखा से भी जुड़ी है , जिसे समाख्या के नाम से जाना जाता है। समाख्या की स्थापना भी उसी समय हुई थी जब वैशेषिक और न्याय विद्यालयों का बोलबाला था। वैशेषिक विद्यालयों में रोगों की स्थिति की पढ़ाई होती थी, जबकि न्याय विद्यालयों में इलाज शुरू करने से पहले मरीज और रोग की स्थिति के बारे में पढ़ाया जाता था। वैशेषिक विद्यालय किसी तत्व को छह प्रकार में विभक्त करते हैं-द्रव्य ,विशेष , क्रम , सामान्य , समाव्यय और गुण। बाद में वैशेषिक और न्याय विद्यालयों का विलय हो गया और उन्हें न्याय वैशेषिक विद्यालय के नाम से जाना जाने लगा।न्याय - वैशेषिक विद्यालयों ने ही प्राचीन ज्ञान को विस्तार दिया और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई। इन स्कूलों की स्थापना से पहले और आज भी आयुर्वेद का जनक पृथ्वी की रचना करने वाले भगवान ब्रह्मा को मानााा जाता है ।
▶️➡️वेदो में वर्णन - हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथ यजुर्वेद , ऋग्वेद , सामवेद व अथर्ववेद में भी चिकित्सा प्रणाली का उल्लेख है। ऋग्वेद में 67 पौधों जबकि अथर्ववेद में और यजुर्वेद में क्रमशः 293 व 81 औषधीय पौधों का जिक्र है।आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति इन वेदों से प्राप्त ज्ञान पर आधारित है। अथर्ववेद और ऋग्वेद की रचना आत्रेय ऋषि ने की। ऐसा माना जाता है कि उन्हें इसका ज्ञान भगवान इंद्र ने दिया था। इंद्र ने खुद ब्रह्मा से या विद्या सीखी थी। एवं अग्निवेश ऋषि ने वेदों के ज्ञान को संग्रहित किया, जिसका संपादन चरक और कुछ अन्य ऋषि-मुनियों ने किया। इस रचना को चरक संहिता के नाम से जाना जाता है। चरक संहिता में जहां रोगों और उसके उपचार का वर्णन है , वही सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा का उल्लेख है।
चरक ऋषि
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Charaka Sage
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▶️➡️ आयुर्वेद का आधार-- आयुर्वेद का मानना है कि पूरा ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है। इनमें वायु , जल ,आकाश , पृथ्वी व अग्नि शामिल है। आयुर्वेद में इन्हें पंच महाभूत कहां गया है ।मनुष्य के शरीर में 3 विकार पैदा होते हैं - पित्त दोष , वात दोष , व कफ दोष । इन्हें त्रिदोष कहां जाता है , जो 5 उपदोषो के साथ मिलकर शारीरिक क्रिया को नियंत्रित करते हैं। आयुर्वेद का मानना है कि मनुष्य के शरीर में सप्त धातु हैं-- रस , मेद , रक्त , मज्जा , अस्थि ; मम्स व शुक्र।इनके अलग-अलग काम है और रोगो के निदान में भी इनकी मस्ती भूमिका होती हैं।
▶️➡️ चिकित्सा के सूत्र - 1-वात दोष- इसके तहत कोशिकाओं का आवागमन , शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन , बेकार पदार्थों के उत्सर्जन का नियमन किया जाता है ।सूखे पन से इसके असर में इजाफा होता है।
2- पित्त दोष -इसके तहत शरीर के ताप कर्म का नियमन किया जाता है । ऑप्टिक तंत्रिकाााओं के बीच समन्वय के साथ भूख और प्यास का प्रबंंधन भी होता है ।शरीर की गर्म दशाएं पित्त को बढ़ाती है।
3-कफ दोष- शरीर में पसीने और चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों से इस में वृद्धि होती है। शरीर के जोड़ों को सही सही तरीके से काम करने के लिए यहां लुब्रिकेशन का काम करता है। शरीर की अपचय क्रिया वात से नियंत्रित होती हैं , उपापचय पित्त और कफ से उपचय प्रक्रिया का नियमन होता हैं। किसी स्वस्थ शरीर के लिए तीनों दोषो और अन्य कारकों के बीच संतुलन होना बहुत आवश्यक होता हैं।
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
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English translate
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Ayurveda, the world's oldest medical system
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Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra, friends, today I have brought for you the information of Ayurveda, the world's oldest medical system.
Friends Ayurveda is one of the oldest medical practices in the world. However, this medical practice has not yet been found to be widespread. On the other hand, almost 2000 years after Ayurveda, allopathy in circulation has gone a long way on the basis of experimentation and research. However, in the last few years, the government has taken a large-scale initiative to provide a foundation and extension to traditional and effective medical practice Ayurveda. As a result, the spread of medical practice has started increasing in that class, which till now has considered it as a 'herd' buti.
️➡️ ️➡️ What is Ayurveda - In this ancient based medical system, body structure provides treatment on the principle of coordination of natural actions and elements of the universe.
Herbs
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Herbs
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️➡️ ️➡️ History- Ayurveda is believed to have originated in the second century BC. Its foundation was laid in the Hindu philosophical school of Vaiseshika and also in school justice. It is also associated with the outline of expression, known as Samkhya. Samkhya was also established at a time when Vaishika and Nyaya schools were dominated. The condition of diseases was taught in special schools, while in the justice schools, the condition of the patient and disease was taught before starting treatment. Special schools divide an element into six types - matter, special, order, general, isomer and property. Later on, the Vaishika and Nyaya Vidyalayas merged and came to be known as Nyaya Vaheshika Vidyalaya. Nyaya - Vaishika Vidyalaya itself expanded the ancient knowledge and played a big role in the propagation of Ayurveda. Before the establishment of these schools and even today, the father of Ayurveda is believed to be Lord Brahma who created the earth.
️➡️Description in vedo- Ancient texts of Hinduism Yajurveda, Rigveda, Samveda and Atharvaveda also mention medical system. There are 67 plants in Rigveda while 293 and 81 medicinal plants are mentioned in Atharvaveda and Yajurveda respectively. Ayurveda medical practice is based on knowledge gained from these Vedas. The Atharvaya sage composed the Atharvaveda and Rigveda. It is believed that Lord Indra had given him this knowledge. Indra himself learned or learned from Brahma. And Agnivesh Rishi collected the knowledge of Vedas, which was edited by Charak and some other sages. This composition is known as Charaka Samhita. While Charaka Samhita describes diseases and its treatment, surgery is mentioned in Sushruta Samhita.
Charaka Sage
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Charaka Sage
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▶️➡️ Foundation of Ayurveda - Ayurveda believes that the whole universe is made up of five elements. These include air, water, sky, earth and fire. In Ayurveda, where did he go to Panch Mahabhut. 3 disorders arise in the body of man - Pitta dosha, Vata dosha, and Kapha dosha. Where do they go to Tridosha, who together with 5 Upadoshas control the physical activity. Ayurveda believes that there are seven metals in the human body - juice, fattening, blood, marrow, bone; Mums and Venus. They have different functions and they also have a fun role in diagnosing diseases.
▶️➡️Formula of Medicine - 1-Vata dosha - It regulates the movement of cells, electrolyte balance in the body, the excretion of waste substances. Dry water increases its effect.
2- Pitta dosha-- Under this, the regulation of body temperature is done. Coordination between optic nerves is accompanied by the management of hunger and thirst. Hot body conditions increase bile.
3-Kapha Dosha- This is aggravated by sweat and greasy foods in the body. Lubrication works here to make the joints of the body work properly. The catabolism of the body is controlled by Vata, metabolism is regulated by bile and phlegm. For a healthy body, balance between all the three doshas and other factors is very important.
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra
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