Saturday, September 4, 2021

एक यात्रा भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत और अलौकिक मंदिर की जहां भगवान मात्र 2 मिनट के लिए सोते हैं - तिरूवरप्पु , जिला कोट्टायम , केरल भारतA visit to the wonderful and supernatural temple of Lord Krishna where the Lord sleeps for just 2 minutes - Tiruvarappu, District Kottayam, Kerala India.

Ek yatra khajane ki khoje



























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं भगवान कृष्ण के एक ऐसे अद्भुत और अलौकिक मंदिर की यात्रा पर जहां भगवान मात्र 2 मिनट के लिए सोते हैं और भगवान की भूख ऐसी की पुजारी को कभी-कभी दरवाजा भी तोड़ने पड़ती है दोस्तों दोस्तों यह प्राचीन और अलौकिक मंदिर केरल राज्य के कोट्टायम जिले में मौजूद तिरूवरप्पू में मौजूद है। 


       अद्भुत अलौकिक श्री कृष्ण मंदिर

             जिला कोट्टायम , तिरूवरप्पू

                    केरल , भारतवर्ष









 नमस्कार दोस्तों आज की यात्रा पर आप सभी को लेकर चल रहा हूं एक ऐसे अद्भुत और चमत्कारी मंदिर की यात्रा पर जहां भगवान श्री कृष्ण 23 . 58 घंटा मौजूद रहते हैं। भक्तजनों के दर्शन के लिए यानी दोस्तों भगवान कृष्ण अपने इस चमत्कारी मंदिर में हमेशा ही विराजमान रहते हैं।

                    दोस्तों डेढ़ हजार वर्ष पुराना यह प्राचीन व अद्भुत मंदिर केरल राज्य के कोट्टायम जिले में तिरूवारप्पू नामक छोटे से शहर में मौजूद है।


           दोस्तों मान्यता है कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिष्ठित विग्रह यानी चमत्कारी मूर्ति हमेशा भूखी रहती है अतः दोस्तों इसलिए इस प्राचीन मंदिर  को 23.58 घंटे एवं 365 दिन खुला रखा जाता है । ताकि भगवान कृष्ण की सेवा सत्कार होते रहे लगातार।









               दोस्तों इस प्राचीन मंदिर की एक और खासियत यह है कि पुजारी को दरवाजा खोलने के लिए चाबी तो दी ही जाती है और साथ ही साथ एक कुल्हाड़ी भी दी जाती है क्योंकि दोस्तों लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण भूख बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं ।और इसलिए यदि चाबी के साथ केवल 2 मिनट में दरवाजा खोलने में यदि कोई देरी होती है। तो पुजारी को कुल्हाड़ी से दरवाजा तोड़ने की अनुमति प्राप्त है।

                 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान कृष्ण का यह मंदिर केवल 2 मिनट के लिए बंद रहता है सुबह में 11:58 से 12:00 तक।दोस्तों लोक मान्यता है कि इस पवित्र मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की जो मूर्ति स्थापित है वह कंस का वध करने के बाद बहुत थक चुके श्रीकृष्ण का है।
                                          दोस्तों इसलिए महाअभिषेक समाप्त होने के बाद भगवान श्री कृष्ण का सिर पहले सूख जाता है। और जब नैवेद्यम उन्हें चढ़ाया जाता है तब उनका शरीर सुख जाता है। अतः दोस्तों इस प्राचीन पवित्र मंदिर में 10 बार नैवेद्यम पूजा होती है।
             दोस्तों इस मंदिर की एक और खासियत है जो भारत वर्ष के किसी और मंदिरों में देखने को नहीं मिलता है। दोस्तों वह खासियत यह है कि ग्रहण के समय भी मंदिर बंद नहीं होती है क्योंकि लोगों का मानना है कि इस दरमियान भगवान श्रीकृष्ण भूखे रह जाएंगे अतः मंदिर ग्रहण के समय भी खुला रहता है।
            दोस्तों माना जाता है कि कालांतर में किसी समय एक बार इस पवित्र मंदिर को ग्रहण के दौरान बंद कर दिया गया था। और जब ग्रहण समाप्त होने के बाद जब पुजारी ने मंदिर का दरवाजा खोला तो उन्होंने पाया कि भगवान कृष्ण की कमर की पट्टी नीचे खिसक गई है। दोस्तों उसी समय संयोगवश  मंदिर आए श्री आदि गुरु शंकराचार्य जी ने बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भगवान श्री कृष्ण बहुत भूखे रह गए थे ।दोस्तों तभी से उन्होंने ग्रहण काल के दौरान ही मंदिर बंद करने की परंपरा को समाप्त कर दिया था।









            दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान श्री कृष्ण के सोने का समय केवल 2 मिनट दैनिक यानी 11:58 बजे से 12:12 बजे है। और खुलने का समय दोपहर 12:00 बजे है।

        दोस्तों भगवान के इस प्राचीन मंदिर से प्रसाद का सेवन किए बिना किसी भक्तों को जाने की अनुमति नहीं है। दोस्तों हर दिन 11:57 बजे मंदिर को बंद करने से पहले पुजारी जी जोर से पुकारते हैं क्या कोई भी यहां है जिसने प्रसादम नहीं खाया हो। दोस्तों यह प्रसाद में सभी भक्तों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए है।

             दोस्तों एक और महत्वपूर्ण बात है एक बार जब आप पवित्र प्रसादम का स्वाद ले लेते हैं तो आप जीवन पर्यंत भूखे नहीं रहेंगे और जीवन भर आप को भोजन प्राप्त करने में कोई समस्या नहीं होगी।दोस्तों जो भी श्रद्धालु गण इस पवित्र मंदिर में भगवान का दर्शन करता है और भगवान का प्रसाद ग्रहण करता है दोस्तों भगवान श्रीकृष्ण उन सभी भक्तजनों का सतत् देखभाल करते रहते हैं।

         दोस्तों यहां अप्रैल के महीने में 10 दिनों तक वार्षिक उत्सव मनाया जाता है दोस्तों त्यौहार का मुख्य आकर्षण यहां की युवा कुमारी लड़कियां समारोह के दौरान दीप जलाती है ताकि उन सभी को मनचाहा वर प्राप्त हो।








   ☀️   प्रचलित व प्रसिद्ध किवदंती ☀️

 दोस्तों इस प्राचीन पवित्र मंदिर के बारे में एक प्रचलित किवदंती मशहूर है। दोस्तों की किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव जंगल में रहते थे तो भगवान कृष्ण ने उन्हें स्वयं चार हाथ वाली अपनी प्रतिमा दी थी।और जब पांडव अपनी माता के साथ जंगल से जाने लगे तो वहां मौजूद "चेरथलाई" समुदाय के लोगों ने यह मूर्ति उनसे ले ली थी। दोस्तों माना जाता है कि वह सभी आगे चलकर कई युगों तक वे इस अद्भुत और चमत्कारी मूर्ति की पूजा करते रहे। लेकिन बाद में उन्होंने कुछ कारणों से भगवान की इस मूर्ति को समुद्र में फेंक दिया था।
               दोस्तों माना जाता है कि कई युगों के बाद यह मूर्ति केरल के एक महान ऋषि को प्राप्त हुई हुए जब वे समुंद्र में यात्रा कर रहे थे।दोस्तों कहते हैं कि जब उनकी नाव समुद्र में डूब रही थी तब भगवान की इस अलौकिक मूर्ति को लेकर कोई दिव्य पुरुष प्रकट हुआ और उसने यह मूर्ति उन्हें प्रदान की थी।
                 दोस्तों उन्होंने ही इस अलौकिक मूर्ति को लाकर यहां पर स्थापित किया था।







           धन्यवाद दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।

             माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗









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             English translate
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Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, on today's journey, I am taking you on a journey to such a wonderful and supernatural temple of Lord Krishna, where God sleeps for only 2 minutes and God's hunger.  Such that the priest sometimes has to break the door, friends, this ancient and supernatural temple is present in Thiruvarappu in Kottayam district of Kerala state.



 Amazing Supernatural Shri Krishna Temple


 District Kottayam, Tiruvarappu


 Kerala, India









 Hello friends, on today's journey, I am taking you all on the journey of such a wonderful and miraculous temple where Lord Shri Krishna 23.  58 hrs are present.  For the darshan of the devotees, that is, friends, Lord Krishna always resides in this miraculous temple of his.


 Friends, this ancient and wonderful temple of one and a half thousand years old is present in a small town called Thiruvarappu in Kottayam district of Kerala state.









 Friends, it is believed that the iconic idol of Lord Shri Krishna here is always hungry, so friends, this ancient temple is kept open for 23.58 hours and 365 days.  So that the service of Lord Krishna continues to be felicitated.


 Friends, another feature of this ancient temple is that the priest is given a key to open the door as well as an ax because friends believe that Lord Krishna cannot stand hunger.  So if there is any delay in opening the door in just 2 minutes with the key.  So the priest is allowed to break the door with the axe.









 Friends, you will be surprised to know that this temple of Lord Krishna remains closed for only 2 minutes in the morning from 11:58 to 12:00. Friends, it is believed that the idol of Lord Krishna installed in this holy temple is the killing of Kansa.  After doing this, it is very tired of Shri Krishna.

 Friends, therefore, after the end of the Mahabhishek, the head of Lord Shri Krishna dries up first.  And when naivedyam is offered to him, his body becomes dry.  So friends, 10 times Naivedyam worship is done in this ancient holy temple.

 Friends, there is another specialty of this temple which is not seen in any other temple of India.  Friends, the specialty is that the temple is not closed even at the time of eclipse, because people believe that Lord Krishna will remain hungry during this time, so the temple remains open even during the eclipse.









 Friends, it is believed that once in a while this holy temple was closed during the eclipse.  And when the priest opened the temple door after the eclipse was over, he found that the waist band of Lord Krishna had slipped down.  Friends, at the same time incidentally, Shri Adi Guru Shankaracharya ji, who came to the temple, told that this happened because Lord Shri Krishna was left very hungry. Friends, since then he had ended the tradition of closing the temple only during the eclipse period.


 Friends, you will be surprised to know that the sleeping time of Lord Shri Krishna is only 2 minutes daily i.e. 11:58 to 12:12.  And the opening time is 12:00 noon.








 Friends, no devotees are allowed to go from this ancient temple of God without consuming prasad.  Friends, before closing the temple at 11:57 every day, the priest calls out loudly, is there anyone here who has not eaten prasadam.  Friends, this is to ensure the participation of all the devotees in the Prasad.


 Friends one more important thing is once you have taste of holy prasadam then you will not be hungry for life and you will not have any problem in getting food throughout your life. Friends, whoever devotees have darshan of God in this holy temple.  Friends, Lord Shri Krishna takes care of all those devotees continuously.









 Friends, here in the month of April, annual festival is celebrated for 10 days, friends, the main attraction of the festival, young virgin girls here light a lamp during the ceremony so that they all get the desired bride.








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☀️Famous and famous legends☀️ ️


 Friends, a popular legend is famous about this ancient holy temple.  According to the legends of friends, it is believed that during the Mahabharata period, when the Pandavas lived in the forest, Lord Krishna himself gave them his four-handed statue.  The people had taken this idol from them.  Friends, it is believed that they all continued to worship this wonderful and miraculous idol for many ages.  But later he threw this idol of God in the sea due to some reasons.

 Friends, it is believed that after many ages, this idol was received by a great sage of Kerala when he was traveling in the sea. Friends say that when his boat was sinking in the sea then no one took this supernatural idol of God.  The divine Purush appeared and presented this idol to them.

 Friends, he had brought this supernatural idol and established it here.







 Thanks guys that's all for today.


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗






             



 Mountain Leopard Mahendra.                         🧗🧗































 

Friday, September 3, 2021

एक यात्रा अद्भुत अलौकिक श्री वैष्णव परम्परा के अग्रणी संत स्वामी रामानुजाचार्य का पध्मासनस्थ भौतिक शरीर विगत 878 सालों से संरक्षित रखा जा रहा है।- श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर - तिरुचिरापल्ली ,श्रीरंगम , तमिलनाडु भारतA Journey to the wonderful supernatural The Padmasanastha physical body of Swami Ramanujacharya, a pioneer of the Sri Vaishnava tradition, is being preserved for the past 878 years. - Sriranganatha Swamy Temple - Tiruchirappalli, Srirangam, Tamil Nadu India.

Ek yatra khajane ki khoje



 




  महान संत रामानुजाचार्य का संरक्षित शरीर
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      नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं  तमिलनाडु स्थित श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर जहां मौजूद है भारत के सबसे महान संत का मृत भौतिक शरीर संरक्षित अवस्था में। दोस्तों जिनके दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है।तो आइए दोस्तों चलते हैं श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की यात्रा पर जो तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में मौजूद है।

           श्री रंगनाथ स्वमी मंदिर

          तिरुचिरापल्ली , श्रीरंगम

                 तमिलनाडु

                  भारतवर्ष








 नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप सभी को पता है कि पूरी दुनिया के लोग मिस्र देश की प्राचीन राजाओं के मृत शरीर यानी जिसे हम सभी "ममी" के नाम से जानते हैं और साथ ही भारत के गोवा राज्य में "सेंटजेवियर" के संरक्षित शरीर को देख हैरान होते हैं।

              लेकिन दोस्तों दुर्भाग्यवश बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि मिस्र के राजाओं के मृत शरीर जिस वस्त्र से लपेटे जाते थे वह वस्त्र जिसे मस्लीन कहा जाता है भारतवर्ष से ही आयातित होते थे।जिनका उपयोग मिस्र के लोग अपने मृत राजाओं के शरीर को लपेटने में क्या करते थे। यानी दोस्तों ममीफाइड करने में , और साथ ही इन कपड़ों पर विभिन्न प्रकार के जड़ी बूटियों का लेपन का भी उपयोग किया जाता था जो संभवत भारत से आयातित होते थे।

                 दोस्तों भारतवर्ष के राज्य तमिलनाडु का जिला तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम स्थित पवित्र श्री रंगनाथस्वामी मंदिर जिसे भारतवर्ष के सबसे बड़े मंदिर परिसर होने का गौरव प्राप्त है। और दोस्तों यही पर मौजूद है भारत के प्राचीनतम संरक्षित शरीर ।







                     दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विशिष्ट द्वैत दर्शन के महान आचार्य और श्री वैष्णव परंपरा के अग्रणी संत स्वामी रामानुजाचार्य का पद्मासन भौतिक शरीर विगत 878 सालों से संरक्षित रखा जा रहा है। जो अपने आप में अद्भुत और अलौकिक है दोस्तों।दोस्तों महान संत के शरीर को सन 1137 से अब तक सुरक्षित रखा जा रहा है यानी मिस्र देश की ममी की तरह।

           दोस्तों सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि भारत के इस महान संत के भौतिक शरीर का साक्षात दर्शन करने के लिए मंदिर प्रांगण में ही रखा हुआ है जिसे भक्तगण आसानी से देख सकते हैं।

           दोस्तों प्रसिद्ध श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के पांचवे परिक्रमा पथ पर स्थित श्री रामानुज मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने पर यह भौतिक शरीर संरक्षित है।







                       दोस्तों महान संत रामानुजाचार्य 120 वर्ष तक जीवित रहे थे। दोस्तों सन 1137 ईस्वी में उन्होंने पद्मासन अवस्था में ही समाधि ले ली थी।

                 दोस्तों स्वयं श्री रंगनाथस्वामी जी के आदेश से उसी अवस्था में संत रामानुजाचार्य के शिष्यों ने उनके भौतिक शरीर को संरक्षित  रख लिया था।दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से इस संरक्षित शरीर में आंखें , नाखून आदि स्पष्ट दिखाई देती है। दोस्तों सड़न से बचने के लिए इस शरीर पर रोजाना किसी भी प्रकार का अभिषेक नहीं किया जाता है ।दोस्तों केवल वर्ष में दो बार विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटियों से इस शरीर को साफ किया जाता है और उसी समय उस भौतिक शरीर पर चंदन और केसर का लेपन किया जाता है। ताकि शरीर सुरक्षित रह सके।

        दोस्तों इस मंदिर प्रांगण में संत रामानुजाचार्य द्वारा इस्तेमाल किया हुआ एक बॉक्स आज भी मंदिर के अंदर रखा हुआ है जिसे देखा जा सकता है।








           दोस्तों उल्लेखनीय बात यह है कि इस पावन और पवित्र स्थान का गोवा या मिश्र जैसा कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता है।
                 दोस्तों उनके शरीर को एक मूर्ति में संरक्षित रखा गया है और आज भी भक्तों के दर्शन के लिए खुला है दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि आज भी इस पवित्र मृत भौतिक शरीर के नाखून बढ़ रहे हैं। जिसे देखकर यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के मन अलौकिकता से आनंदित हो उठती है।





    
दोस्तों अद्भुत और अलौकिक है भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक यानी हमारे पूर्वज जिनकी संरचनाएं जो आज भी विश्व को अचंभित कर देती है।


                     धन्यवाद दोस्तों

             माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗







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              English translate
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 Preserved body of great saint Ramanujacharya
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, I am taking you on today's journey, Sriranganatha Swamy Temple in Tamil Nadu, where the dead physical body of India's greatest saint is present in a preserved condition.  Friends, whose mere darshan fulfills the wishes of the devotees. So friends, let's go on a visit to Sri Ranganathaswamy Temple which is present in Srirangam, Tiruchirappalli, Tamil Nadu.


 Sri Ranganatha Swami Temple


 Tiruchirappalli, Srirangam


 Tamil Nadu


 Bharatvarsh











 Hello friends, as you all know that people from all over the world see the dead body of the ancient kings of Egypt, which we all know as "Mummy" as well as the preserved body of "Saint Xavier" in the state of Goa, India.  are surprised.


 But friends, unfortunately very few people are aware that the cloth with which the dead bodies of the Egyptian kings were wrapped, the cloth called muslin was imported from India itself.  What did you do to wrap it?  That is, in mummifying friends, as well as various types of herbs were also used on these clothes which were probably imported from India.


 Friends, the holy Sri Ranganathaswamy temple located at Srirangam in Tiruchirappalli district of Tamil Nadu state of India, which has the distinction of being the largest temple complex in India.  And friends, here is the oldest preserved body of India.










 Friends, you will be surprised to know that the Padmasan physical body of Swami Ramanujacharya, a great teacher of specific duality philosophy and a pioneer of Sri Vaishnava tradition, is being preserved for the last 878 years.  Which is wonderful and supernatural in itself, friends. Friends, the body of the great saint is being kept safe since 1137, that is, like the mummy of the country of Egypt.


 Friends, the most surprising thing is that to see the physical body of this great saint of India, the temple is kept in the courtyard itself, which the devotees can easily see.


 Friends, this physical body is preserved at the south-west corner of Sri Ramanuja Temple, located on the fifth parikrama path of the famous Sri Ranganathaswamy temple.

 Friends, the great saint Ramanujacharya lived for 120 years.  Friends, in 1137 AD, he took samadhi in the state of Padmasan.











 Friends, on the orders of Sri Ranganathaswamy ji himself, the disciples of Sant Ramanujacharya had preserved his physical body in the same condition. Friends, surprisingly, eyes, nails etc. are clearly visible in this preserved body.  Friends, to avoid decomposition any kind of Abhishek is not done on this body daily. Friends, this body is cleaned with different types of herbs only twice a year and at the same time sandalwood and saffron are applied on that physical body.  coating is done.  in order to keep the body safe.


 Friends, in this temple courtyard, a box used by Saint Ramanujacharya is still kept inside the temple which can be seen.










 Friends, the remarkable thing is that this holy and holy place is not promoted like Goa or Egypt.

 Friends, his body has been preserved in an idol and is still open for devotees to see. Friends, the surprising thing is that even today the nails of this sacred dead physical body are growing.  Seeing which the mind of the devotees who come here gets blissful with supernatural.




 Friends, wonderful and supernatural are the flag bearers of Indian culture i.e. our ancestors whose structures which still amaze the world.



 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗














          Mountain Leopard                             Mahendra 🧗🧗

















Thursday, September 2, 2021

एक यात्रा तेजोमहालय की अद्भुत शिव धाम की जिसे आज हम सभी ताजमहल के से जानते हैं। जो कभी भारत के सबसे विशालतम और ख़ुबसूरत शिव धाम हुआ करती थी।जिसे सदियों पहले अपवित्र कर कब्र में परिवर्तित कर दिया गया था, दोस्तों आज समय आ गया है कि हम अपने इस शिव धाम को अत्याचारियों से मुक्त करा कर व पवित्र कर भगवान शिव को पुनः उनके घर में प्राण प्रतिष्ठा कर उनके गौरवमई इतिहास को पुनः स्थापित करे।- प्राचीन शिवालय पवित्र तेजोमहालय , आगरा भारतA visit to the wonderful Shiva Dham of Tejo Mahalaya, which we all know today from the Taj Mahal. Which was once the largest and most beautiful Shiva Dham of India. Which was defiled and converted into a grave centuries ago, friends, today the time has come that we should free our Shiva Dham from tyrants and make Lord Shiva holy. Re-establish their glorious history by consecrating life in their home. - Ancient Pagoda Holy Tejomahalaya, Agra India.

Ek yatra khajane ki khoje















      प्राचीन तेजोमहालय शिव धाम
             (  आज का ताजमहल  )

                    आगरा शहर

                      भारतवर्ष


















        प्राचीनता व ऐतिहासिकता
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 दोस्तों जैसा कि हमें इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य सन 1632 में शुरू हुआ और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था। 
                                     दोस्तों अब सोचने वाली बात यह है कि जब मुमताज़ की मौत 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 ईस्वी में ही ताजमहल में दफना दिया गया था। जबकि ताजमहल तो 1632 ईस्वी में बनना शुरू हुआ था।दोस्तों यह सब मनगढ़ंत बातें हैं जो अंग्रेज और मुस्लिम इतिहासकारों ने 18वीं सदी में लिखी थी।

                     दरअसल दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सन 1632 ईस्वी में भगवान शिव के इस पवित्र मंदिर को अपवित्र कर इस्लामिक लुक देने का कार्य शुरू हुआ था।दोस्तों इसी दरमियान 1649 ईस्वी में इसका मुख्य द्वार बना जिस पर कुरान की आयतें तराशी गई थी। दोस्तों ध्यान से देखने पर आपको आश्चर्य होगा कि इसके मुख्य द्वार के ऊपर हिंदू शैली के छोटे गुंबद के आकार का मंडप मौजूद है जो देखने में अत्यंत भव्य प्रतीत होता है।
                     दोस्तों ताजमहल की जो चार मीनारें  आपको नजर आती है वह सभी मुगल काल में खड़ी की गई थी और सामने स्थित फव्वारों को फिर से बनाया गया था।









          दोस्तों एक प्रसिद्ध पर्यटक जे. ए. मांडेलस्लो ने मुमताज की मौत के 7 वर्षों पश्चात voyages and travels into the east Indies . नाम से अपने निजी पर्यटन के संस्मरणों में आगरा शहर का तो उल्लेख किया है किंतु दोस्तों कथित ताजमहल के निर्माण का कोई उल्लेख नहीं किया है।

         दोस्तों इतिहासकार  "टाम्हरनिए" के कथन के अनुसार 20000 मजदूर यदि 22 वर्षों तक ताजमहल का निर्माण करते रहते तो उस काल में मौजूद विदेशी पर्यटक "मांडलेस्लो" भी उस विशाल निर्माण कार्य का उल्लेख जरूर करता। 






                 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ताजमहल के यमुना नदी के तरफ के दरवाजे की लकड़ी के एक टुकड़े को एक अमेरिकन प्रयोगशाला में की गई कार्बन डेटिंग जांच से पता चलता है कि लकड़ी का वो टुकड़ा शाहजहां के काल से लगभग 300 से 400 वर्ष पहले का है क्योंकि दोस्तों प्राचीन शिवालय के दरवाजों को 11 वीं सदी से ही अत्याचारी क्रूर मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा तोड़कर खोला गया एवं से लूटा गया था। और ना जाने कितनी ही बार दोस्तों इन दरवाजों को पुनः लगाया गया था। यानी दोस्तों फिर से बंद करने के लिए दूसरे दरवाजे भी लगाए गए थे।

                 दोस्तों इस से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह प्राचीन शिवालय वर्तमान में ताजमहल कितना प्राचीन होगा।दोस्तों कुछ प्राचीन ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि इस प्राचीन शिवालय का पुनः निर्माण सन 1115 ईस्वी में अर्थात् शाहजहां के समय से लगभग 500 वर्ष पूर्व किय गया था।







☀️ आइए दोस्तों ताजमहल के कुछ और रहस्यो को उजागर करते हैं जो यह सिद्ध करती है कि यह एक प्राचीन शिवालय या शिवधाम था।☀️

          दोस्तों ध्यान से देखने पर ताजमहल के गुंबद पर जो अष्टधातु का कलश खड़ा है। पता चलता है कि वह त्रिशूल आकार का पूर्ण कुंभ है ।  दोस्तों उसके मध्य दंड के शिखर पर पवित्र नारियल की आकृति बनी हुई है। दोस्तों ध्यान से  देखिएगा नारियल के तल पर दो झुके हुए आम के पत्ते बने हुए हैं और उसके नीचे कलश को दर्शाया गया है।

             दोस्तों आश्चर्यजनक ढंग से देखने से पता चलता है कि उस चंद्राकार के दो नोक और उनके बीचो-बीच नारियल का शिखर मिलाकर त्रिशूल का आकार बनाता है।दोस्तों आप सभी को मालूम ही होगा कि हिंदू और बौद्ध मंदिरों पर इसी प्रकार के कलश बने होते हैं।




           दोस्तों आप लोगों ने देखा ही होगा कि ताजमहल के अंदर मौजूद कब्र के ऊपर गुंबद के मध्य अष्टधातु की एक जंजीर लटक रही है।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पवित्र शिवलिंग के ऊपर जल अर्पित या सिंचन करने वाला स्वर्ण कलश इसी जंजीर पर टंगा रहता था।लेकिन दोस्तों मुगल काल में उस पवित्र स्वर्ण कलश को निकालकर शाहजहां के खजाने में जमा करा दिया गया था ।लेकिन दोस्त वह जंजीर आज भी लटक रही है। स्वर्ण कलश के इंतजार में।

          दोस्तों यह भी एक संयोग है कि अंग्रेजों के शासनकाल में उस जंजीर पर लॉर्ड कर्जन ने एक दीप लटकवा दिया ,था जो आज भी मौजूद हैं। 






          दोस्तों क्या आपको पता है?
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 दोस्तों कब्रगाह को महल क्यों कहा गया? यानी मकबरे को महल क्यों कहा गया? क्या किसी ने इस पर कभी सोचा नहीं क्योंकि पहले से ही निर्मित एक पवित्र महल को कब्रगाह में बदल दिया गया था। दोस्तों खास बात यह है कि इस पवित्र मंदिर को कब्रगाह में बदलते वक्त उसका नाम नहीं बदला गया और यहीं पर शाहजहां से गलती हो गई।अन्यथा हम भारतवासी कभी समझ ही नहीं पाते कि यहां पर कभी भगवान शिव का पवित्र शिवालय हुआ करता था।

                  दोस्तों आश्चर्यजनक ढंग से उस कालखंड के किसी भी सरकारी या शाही दस्तावेजो में एवं अखबारों आदि में ताजमहल शब्द का उल्लेख नहीं आया है यानी दोस्तों ताजमहल को ताज -ए-महल समझना हास्यास्पद है।





              दोस्तों आप संसार के इतिहास को उठाकर देख ले "महल" शब्द मुस्लिम शब्द है ही नहीं ।दोस्तों अरब , ईरान ,अफगानिस्तान आदि जगहों पर एक भी ऐसी मस्जिद या कब्र नहीं है जिसके बाद "महल" लगाया गया हो।






       दोस्तों आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दूं कि यह भी गलत है कि मुमताज के कारण इसका नाम मुमताज महल पड़ा क्योंकि शाहजहां की बेगम का नाम था "मुमता-उल-जमानी "।यानी दोस्तों मुमताज के नाम पर इसका नाम रखा होता तो ताजमहल के आगे से "मुम" को हटा देने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है।




                         दोस्तों इतिहासकार "विंसेंट स्मिथ" ने अपने पुस्तक "Akbar the great Mughal"   मैं लिखते हैं कि बाबर ने सन् 1530 में आगरा के वाटिका वाले महल में अपने उपद्रवी जीवन से मुक्ति पाई। दोस्तों वाटिका वाला वह महल ही आज का ताजमहल था।दोस्तों वह इतना विशाल और भव्य था कि इसके जितना दूसरा कोई भारतवर्ष में महल नहीं था।

          दोस्तों बाबर की पुत्री गुलबदन "हुमायूंनामा" नामक अपने ऐतिहासिक वृत्तांत में "ताज" का संदर्भ "रहस्य महल" के नाम से देती है।






           ☀️ दोस्तों प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार☀️

 दोस्तों प्राचीन पवित्र शिवालय और आज का कथित ताजमहल का निर्माण राजा परिमर्दिदेव  के शासनकाल में सन 1155 ईसवी में अश्विन शुक्ल पंचमी रविवार को हुआ था। लेकिन बाद में मुस्लिम आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी सहित कई मुस्लिम आक्रांताओं ने ताजमहल के द्वारा आदि को तोड़कर उसको बुरी तरह से लूटा और अपवित्र कर दिया था।






        दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह प्राचीन महल आज के ताजमहल से कई गुना ज्यादा बड़ा था ।और इसके तीन गुंबद हुआ करते थे।दोस्तों मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा तोड़े जाने के बाद हिंदुओं ने इसे फिर से मरम्मत करके बनवाया लेकिन वे ज्यादा समय तक इस पवित्र शिवालय की रक्षा नहीं कर सके ।










              ☀️  सांस्कृतिक साक्ष्य ☀️

 दोस्तों वास्तुकला के "विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र" नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में शिवलिंगों में तेज - लिंग का वर्णन आता है।यानी दोस्तों इसी प्राचीन मंदिर में यानी आज के ताजमहल में तेज-लिंग प्रतिष्ठित था ।इसलिए इसका नाम "तेजोमहालय" पड़ा था।





          दोस्तों मुगल काल में यानी शाहजहां के समय में यूरोपीय देशों से आने वाले कई यात्रियों ने भवन का उल्लेख ताज-ए-महल के नाम से किया है।जो कि उसके शिव मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम "तेजोमहालय" से मिल मेल खाता है।दोस्तों इसके विरुद्ध शाहजहां और औरंगजेब ने बड़ी चालाकी और सावधानी के साथ संस्कृत से मेल खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग ना करते हुए उसके स्थान पर "मकबरा" शब्द का ही प्रयोग किया है।

               दोस्तों एक और प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक श्री "पुरुषोत्तम नागेश ओक" के अनुसार हुमायूं ,अकबर, मुमताज, एत्मातुद्दौल , सफदरजंग जैसे सारे शाही और दरबारी लोगों को हिंदू महलो या उनके पवित्र मंदिरों में दफनाया गया है।

          दोस्तों आज का ताजमहल प्राचीन काल का "तेजो महल" यानी भगवान शिव का पवित्र मंदिर है। दोस्तों इस बात को स्वीकारना ही होगा कि ताजमहल के पहले से बने गर्भ गृह के अंदर मुमताज की लाश को दफनाए गई थी। ना कि लाश दफनाने के बाद उसके ऊपर ताजमहल का निर्माण किया गया था।





      दोस्तों ताजमहल शिव मंदिर को इंगित करने वाले शब्द "तेजोमहालय"  शब्द का अपभ्रंश है ।दोस्तों इस पवित्र "तेजोमहालय" शिवालय मंदिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे।

 



        दोस्तों देखने वालों ने अवलोकन किया होगा कि तहखाने के अंदर कब्र वाले कमरे में केवल सफेद संगमरमर के पत्थर लगे हैं जबकि अटारी व  कब्रों  वाले कमरों में पुष्पलता आदि से चित्रित चित्रकारी भी की गई है।
      दोस्तों इस से साफ जाहिर होता है कि मुमताज के मकबरे वाला कमरा ही शिव मंदिर का गर्भगृह है क्योंकि दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित है एवं उसके ऊपर 108 कलश अरुढ़ है। दोस्तों आपको तो पता ही है कि सनातन धर्म के हिंदू मंदिर परंपरा में 108 की संख्या को सर्वाधिक पवित्र माना गया है।
                                        दोस्तों "तेजोमहालय" यानी आज के ताजमहल को "नागनाथेश्वर"  महादेव के नाम से भी जाना जाता था।दोस्तों क्योंकि उसके "जलहरी" को नाग के द्वारा लपेटा हुआ जैसा बनाया गया था। दोस्तों यह विशालकाय मंदिर महल काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था।






                
 दोस्तों प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि आगरा शहर को प्राचीन काल में "अंगिरा" कहते थे। क्योंकि यह क्षेत्र महान तपस्वी ऋषि "अंगिरा" की तपोभूमि थी।दोस्तों अंगिरा ऋषि भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे। और उन्होंने ही इस विशाल शिवालय मंदिर की आधारशिला रखी थी और तेज- लिंग की स्थापना की थी।

                दोस्तों बहुत ही प्राचीन काल से आगरा शहर में भगवान शिव के 5 प्रसिद्ध शिव मंदिर मौजूद थे ।दोस्तों पूरे भारतवर्ष के निवासी प्राचीन काल से ही इन पांचो शिव मंदिर में जाकर दर्शन व पूजा-पाठ करते थे।लेकिन दोस्तों कुछ सदियों से आगरा शहर में केवल चार प्रसिद्ध शिव मंदिर मौजूद हैं ।उनमें से केवल बालकेश्वर महादेव ,पृथ्वीनाथ महादेव ,कैलाश महादेव और राज राजेश्वर महादेव मंदिर मौजूद या बचे हुए हैं।

             दोस्तों जानकर बहुत दुख पहुंचता है कि पांचवे शिव मंदिर जिसे हम सभी आज ताजमहल के नाम से जानते हैं को मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा अपवित्र कर सदियों पूर्व कब्र में बदल दिया गया था।
                                            दोस्तों स्पष्टत: यह पांचवा शिव मंदिर आगरा शहर के इष्ट देव नागराज अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर  ही हैं जो कि "तेजोमहालय"  मंदिर आज के ताजमहल में प्रतिष्ठित थे।
 
    दोस्तों आज भी ताज महल के अंदर वह शिवलिंग जिसे हम सभी तेज - लिंग के नाम से जानते हैं मौजूद है जिसे ढूंढा जाना बाकी है।





      दोस्तों इस प्राचीन शिवालय यानी भगवान शिव के मंदिर को किस तरह से अपवित्र किया गया था जिसकी व्याख्या करने में मैं असमर्थ हूं दोस्तों क्योंकि बचपन से ही हम सभी भारतीयों को गलत जानकारियां दी गई है या पढ़ाई गई है।





                  धन्यवाद दोस्तों

           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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            English translate
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 Hello friends, I am Mountain Leopard Mahendra, warm greetings to all of you, friends, I am taking you all on today's journey, on the journey of the world famous Tejo Mahalaya Shiv Dham, which we all know today as Taj Mahal. Which was impure centuries ago.  The tax was turned into a grave.  So friends, let's try to uncover the ancient secrets of Shiv Dham.




 Ancient Tejomahalaya Shiv Dham

 (Today's Taj Mahal)


 Agra city


 Bharatvarsh














 Antiquity and Historicity

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 Friends, as we are taught in history that the construction work of Taj Mahal started in the year 1632 and its construction work was completed in about 1653.

 Friends, now the thing to think about is that when Mumtaz died in 1631, then how he was buried in the Taj Mahal in 1631 AD itself.  Whereas the Taj Mahal started to be built in 1632 AD. Friends, these are all concoctions which were written by English and Muslim historians in the 18th century.


 Actually friends, you will be surprised to know that in the year 1632 AD, the work of desecrating this holy temple of Lord Shiva started giving Islamic look. Friends, in the meantime, in 1649 AD, its main gate was made on which the verses of Quran were carved.  Friends, if you look carefully, you will be surprised that there is a small Hindu-style dome-shaped pavilion above its main entrance, which looks very grand.

 Friends, the four minarets of the Taj Mahal that you see were all erected in the Mughal period and the fountains located in front were rebuilt.










 Friends a famous tourist J.  a.  Mandelslow voyages and travels into the east Indies 7 years after Mumtaz's death.  The city of Agra has been mentioned in the memoirs of his personal tourism by name, but friends have not made any mention of the construction of the so-called Taj Mahal.


 According to the statement of friends historian "Tamharniye", if 20000 laborers kept on building the Taj Mahal for 22 years, then the foreign tourist "Mandleslow" present in that period would also have mentioned that huge construction work.


 Friends, you will be surprised to know that a piece of wood on the side of the Yamuna river side of the Taj Mahal, a carbon dating test done in an American laboratory shows that that piece of wood is about 300 to 400 years before the time of Shah Jahan.  Because the doors of the ancient pagoda were broken open and looted from the 11th century by tyrannical cruel Muslim invaders.  And not knowing how many times these doors were reinstalled.  That is, other doors were also installed to close friends again.







 Friends, it can be estimated from this that how ancient this ancient pagoda will be at present Taj Mahal. Friends, some ancient historical documents show that this ancient pagoda was rebuilt in 1115 AD i.e. about 500 years before the time of Shah Jahan.  Was.


 Friends, let us uncover some more secrets of Taj Mahal which proves that it was an ancient pagoda or Shivdham.


 Friends, if you look carefully, the Ashtadhatu Kalash is standing on the dome of the Taj Mahal.  It turns out that he is a full-fledged Kumbh of trident shape.  Friends, there is a shape of a holy coconut on the top of the dand in the middle of it.  Friends, you will see that there are two bent mango leaves on the bottom of the coconut and the Kalash is depicted below it.








 Friends, looking astonishingly, it is known that the two ends of that moon shape and the coconut spire in the middle of them together form the shape of a trident. Friends, all of you must know that similar urns are made on Hindu and Buddhist temples.  .


 Friends, you must have seen that a chain of Ashtadhatu is hanging in the middle of the dome above the tomb present inside the Taj Mahal.  But friends, during the Mughal period, that sacred golden urn was taken out and deposited in the treasury of Shah Jahan. But friend that chain is still hanging today.  Waiting for the golden vase.


 Friends, it is also a coincidence that during the reign of the British, Lord Curzon had hung a lamp on that chain, which is still present today.









 Do you know guys?

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 Friends, why was the graveyard called a palace?  That is, why was the tomb called a palace?  Has anyone ever thought about this because a holy palace already built was converted into a graveyard.  Friends, the special thing is that while converting this holy temple into a graveyard, its name was not changed and it was here that Shah Jahan made a mistake. Otherwise we Indians can never understand that there used to be a holy pagoda of Lord Shiva here.


 Friends, surprisingly, the word Taj Mahal has not been mentioned in any official or royal documents of that period and in newspapers etc. That is, it is ridiculous to think of Taj Mahal as Taj-e-Mahal.


 Friends, if you look at the history of the world, the word "palace" is not a Muslim word at all. Friends, there is not a single mosque or tomb in places like Arabia, Iran, Afghanistan etc. After which "mahal" has been installed.











 Friends, for your information, let me also tell you that it is also wrong that it was named Mumtaz Mahal because of Mumtaz, because the name of the Begum of Shah Jahan was "Mumta-ul-Zamani". That is, if friends would have named it after Mumtaz, then Taj Mahal  There doesn't seem to be any justification for omitting "Mum" from the front.


 Friends historian "Vincent Smith" writes in his book "Akbar the great Mughal" that Babur got freedom from his troubled life in the palace of Agra in 1530.  Friends, that palace with Vatika was today's Taj Mahal. Friends, it was so huge and grand that there was no other palace in India like it.


 Friends, Babur's daughter Gulbadan in her historical account named "Humayunma" refers to "Taj" as "Rahasya Mahal".










 ️  ☀️Friends according to ancient historical facts☀️


 Friends, the ancient holy pagoda and today's so-called Taj Mahal were built during the reign of King Parimardideva in 1155 AD on Ashwin Shukla Panchami Sunday.  But later many Muslim invaders, including the Muslim invader Muhammad Ghori, broke the Taj Mahal through Adi and looted it badly and defiled it.



 Friends, you will be surprised to know that this ancient palace was many times bigger than today's Taj Mahal. And it used to have three domes. Friends, after being demolished by the Muslim invaders, the Hindus repaired it again and built it but they remained this holy for a long time.  Could not protect the pagoda.











 ️  ☀️Cultural Evidence ️☀️


 Friends, there is a description of Tej-Linga in Shivlings in the famous book called "Vishwakarma Vastu Shastra" of architecture. That is, friends, in this ancient temple i.e. in today's Taj Mahal, Tej-Linga was revered. Hence its name was "Tejo Mahalaya".



 Friends, during the Mughal period, i.e. during the time of Shah Jahan, many travelers from European countries have mentioned the building as Taj-e-Mahal. Which matches the traditional Sanskrit name of its Shiva temple "Tejo Mahalaya".  Against this, Shah Jahan and Aurangzeb with great cunning and caution have used the word "tomb" instead of using this word matching Sanskrit anywhere.


 Friends, according to another famous historian and writer Shri "Purushottam Nagesh Oak", all the royal and court people like Humayun, Akbar, Mumtaz, Etmatuddaul, Safdarjung are buried in Hindu palaces or their holy temples.


 Friends, today's Taj Mahal is the "Tejo Mahal" of ancient times, that is, the holy temple of Lord Shiva.  Friends, it has to be accepted that Mumtaz's body was buried inside the already built sanctum sanctorum of the Taj Mahal.  Not after the burial of the dead body, the Taj Mahal was built on it.


 Friends Tajmahal is a derivation of the word "Tejomahalaya" indicating the Shiva temple. Friends, in this holy "Tejomahalaya" Shivalaya  temple, Agreswar Mahadev was revered.











 Friends, the viewers must have observed that only white marble stones have been installed in the tomb room inside the basement, while the attic and the tomb rooms have been painted with flowers etc.

 Friends, it is clear from this that the room containing Mumtaz's tomb is the sanctum sanctorum of the Shiva temple because friends surprisingly have 108 Kalash painted in marble mesh and 108 Kalash Arud on it.  Friends, you know that the number 108 is considered the most sacred in the Hindu temple tradition of Sanatan Dharma.

 Friends "Tejomahalaya" i.e. today's Taj Mahal was also known as "Nagnatheshwar".  Friends, this huge temple palace was spread over a very large area.












 Friends, the study of ancient Indian texts shows that the city of Agra was called "Angira" in ancient times.  Because this area was the tapobhoomi of the great ascetic sage "Angira". Friends Angira Rishi was a great worshiper of Lord Shiva.  And it was he who had laid the foundation stone of this huge pagoda temple and established Tej-Linga.


 Friends, there were 5 famous Shiva temples of Lord Shiva in Agra city since ancient times. Friends, residents of all over India used to visit and worship these five Shiva temples since ancient times. But friends in Agra city for few centuries.  Only four famous Shiva temples exist. Out of them only Balkeshwar Mahadev, Prithvinath Mahadev, Kailash Mahadev and Raj Rajeshwar Mahadev temples exist or survive.


 Friends, it is very sad to know that the fifth Shiva temple, which we all know today as Taj Mahal, was desecrated by Muslim invaders and turned into a tomb centuries ago.

 Friends, apparently this fifth Shiva temple is the presiding deity of the city of Agra, Nagraj Agraeshwar Mahadev Nagnatheshwar, who was revered in the "Tejo Mahalaya" temple today's Taj Mahal.



 Friends, even today the Shivling which we all know by the name of Tej-Ling is present inside the Taj Mahal which is yet to be found.



 Friends, how was this ancient pagoda ie the temple of Lord Shiva desecrated, which I am unable to explain, friends, because since childhood, all of us Indians have been given wrong information or have been taught.









 thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra🧗🧗











   Mountain Leopard Mahendra.                         🧗🧗


























                   
           

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...