Wednesday, January 6, 2021

झारखंड के महत्वपूर्ण वन्य जीव अभयारण्यो की एक यात्रा भारत वर्ष A Visit to Important Wildlife Sanctuaries of Jharkhand India Year

Ek yatra khajane ki khoje

 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आप लोगों को लेकर चल रहा हूं । भारत वर्ष के एक महत्वपूर्ण राज्य झारखंड मे स्थित वन्य जीव अभयारण्यो की यात्रा पर।
     दोस्तों झारखंड अपने हरे - भरे जंगलों , ऊंचे पहाड़ों , पठारो एवं विश्व के सर्वाधिक घने जंगल सारंडा के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यानि दोस्तों झारखंड अपने प्राकृतिक  वनस्पतियों की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य हैं । दोस्तों यहां के वनों में विभिन्न प्रकार के हिंसक जानवरों का बसेरा है जैसे यहां के वनों में बाघ , भेड़िया ,गौर ,हाथी , तेंदुए ,भालू , एवं जंगली कुत्ते पाएं जाते हैं। दोस्तों झारखंड राज्य में वन्य जीवों के संरक्षण हेतु एक राष्ट्रीय उद्यान और 11 अभयारण्यों को स्थापित किया गया है।
                  
                      प्रवेश द्वार
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        दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य🏞️
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 दोस्तों दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण जो कि हाथियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है मेरे अपने शहर जमशेदपुर से 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोस्तों यह अभयारण्य 193 .22  वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
दोस्तों यह पहाड़ी वन देवी माता दलमा माई के नाम से भी प्रसिद्ध है ।दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण की स्थापना सन् 1978 ई. में की गई थी। दोस्तों यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों से भरा - पड़ा है। आश्चर्यजनक बात यह है दोस्तों कि झारखंड के किसी अन्य शहर यह सौभाग्य प्राप्त नहीं है जहां शहर के एक दम नजदीक हाथियों की चिंघाड़ और तेंदुए की दहाड़ सुनाई देती हैं। दोस्तों इस अभ्यारण्य में  ' एलीफेंट प्रोजेक्ट ' लागूं की गई है । यहां पर 300 से अधिक हाथी पाए जाते हैं । दोस्तों साथ ही साथ दलमा पहाड़ हम जैसे ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग हैं। और न जाने कितने ही रहस्यों से भरा पड़ा है यह दलमा पहाड़ जिसे खोजा जाना अभी बाकी हैं।
                    

        भगवान बिरसा जैविक उद्यान🏞️
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 दोस्तों भगवान बिरसा जैविक उद्यान 26 जनवरी 1994 को रांची जिले में शहर से 17 किलोमीटर दूर उत्तर में रांची पटना मार्ग के किनारे सपही नदी के तट पर ओरमांझी प्रखंड के चकला गांव में झारखंड के दूसरे वन्य - प्राणी उद्यान का उद्घाटन किया गया था। दोस्तों भगवान बिरसा जैविक उद्यान पटना रांची मुख्य मार्ग के दोनों और लगभग 104 हेक्टेयर भू-भाग  में फैला हुआ है। जिसमें से 83 हेक्टेयर भूमि में वन्य प्राणी उद्यान स्थापित किया गया है जबकि से 21 हेक्टेयर भूमि पर वनस्पति उद्यान बनाया गया है। दोस्तों इस उद्यान में भेड़ियों  , गौर तथा जंगली कुत्तों के लिए अध्ययन एवं प्रजनन संस्थान तथा सफारी पार्क खोलने की भी योजना है । इस उद्यान में भी विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का बसेरा है।

             बिरसा मृग विहार 🏞️
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 दोस्तों बिरसा मृग विहार रांची शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर रांची खूंटी मार्ग पर स्थित एक रमणीय स्थल है जहां पर शहर के लोग पिकनिक मनाने जाया करते हैं।दोस्तों बिरसा मृग विहार का सिंधिया नाम 23 मार्च 1981 को हुआ था और उद्घाटन 1 अगस्त 1986 को किया गया था।दोस्तों जैसे ही आप बिरसा मृग विहार के प्रवेश द्वार के अंदर दाखिल होंगे तो आपको एक छोटी सी वाटिका का नजर आएगी जहां पर एक गोलंबर पर बच्चों को खेलने के लिए उनकी मनपसंद खेल साधनों को स्थापित किया गया है। तथा दर्शकों के विश्राम के लिए सुंदर विश्राम स्थल एवं कैंटीन ही बनाए गए हैं। दोस्तों बिरसा मृग विहार 54 एकड़ वन क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां पर विभिन्न प्रकार की जीव जंतुओं का बसेरा है।
                   

       जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान 🏞️
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 दोस्तों बोकारो स्टील सिटी का जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान 122 एकड़ भूमि में फैला हुआ है तथा इसके विस्तार के लिए 100 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के प्रयास चल रहे हैं अब तक पूरे वन क्षेत्र में 30,000 से ज्यादा वृक्ष लगाए जा चुके हैं जिनमें साल , शीशम और सागौन प्रमुख है। दोस्तों 14 जनवरी 1990 को एम आर रामकृष्णन मैं इस जैविक उद्यान का उद्घाटन किया था।दोस्तों इस जेविक उद्यान में देश-विदेश से मंगा कर तरह-तरह के विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों को सुविधा पूर्ण वातावरण में रखा गया है।
               सृष्टि उद्यान 🏞️
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 दोस्तों सृष्टि उद्यान दुमका जिले से 4 किलोमीटर की दूरी पर कुरुआ की तीन पहाड़ियों को सृष्टि उद्यान का नाम दिया गया है यह उद्यान पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण और पहाड़ी पर स्थित है। दोस्तों 80 एकड़ में फैले इस उद्यान में एक पहाड़ी पर बहुत सारे पौधों की किस्में और दूसरी पहाड़ी पर कैक्टस की किस्मों को जबकि तीसरी पहाड़ी पर जड़ी बूटी वाले पौधों को लगाए गए हैं।

   पालकोट वन्य प्राणी अभयारण्य 🏞️
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   दोस्तों झारखंड के एक बहुत ही खूबसूरत सिटी गुमला में एक वन्य प्राणी अभ्यारण की स्थापना की घोषणा 1990 में की गई थी जो 183. 18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित होने वाला अभयारण्य है दोस्तों सरकारी दस्तावेज के अनुसार इस जमीन यानी इस अभ्यारण्य के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई 30 दिसंबर 1997 को की गई थी जो अब पालकोट वन्य प्राणी अभ्यारण के नाम से मशहूर है।दोस्तों यह बनने प्राणी अभयारण्य गुमला जिले के पूरे पालकोट प्रखंड तथा आंशिक रूप से सिमडेगा तथा रायडीह प्रखंड में  अवस्थित है पालकोट अभ्यारण ने के पूरब में कोयल नदी और पश्चिम में शंख नदी बहती है तथा इन दोनों के बीच अधिसूचित वन भूमि ही मुख्यता अभयारण्य के रूप में स्थित है ।

               जीवाश्म उद्यान 🏞️
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 जैसा कि दोस्तों आप सभी को पता होगा कि साहिबगंज जिले के 37 ऐसे गांव हैं जहां पर मुख्यता संथाल और पहाड़ियां आदिवासी निवास करते हैं और इन्हीं गांवों में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म पाए जाते हैं। दोस्तों इन जीवाश्म को उचित संरक्षण और विकास की आवश्यकता है एवं शोधकर्ताओं को लुभाने के लिए यहां पर अनेक सुविधाओं की आवश्यकता है अगर यह सब चीजें यहां पर हो जाए तो जीवाश्म का अध्ययन करने वालों के लिए यह एक अनमोल तोहफा होगा।
        महुआडांड़ भेड़िया अभयारण्य 🏞️
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 दोस्तों यह अभयारण्य डाल्टनगंज से 94 किलोमीटर दूर महुआडांड़ छेछारी  घाटी में स्थित है। दोस्तों इस की स्थापना सन 1976 ईस्वी में तत्कालीन वन संरक्षक श्री एम पी शाही ने की थी ।यह अभ्यारण ने 63 . 26 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां भेड़ियों के प्रजनन केंद्र भी है।

            बेतला नेशनल पार्क 🏞️
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   दोस्तों झारखंड में स्थित बेतला नेशनल पार्क एक राष्ट्रीय पार्क है दोस्तों आप सभी को पता है कि बेतला नेशनल पार्क काफी प्रसिद्ध है यहां पर हाथी , गौर , चीतल , सांभर नीलगाय और शेर देखने को मिल जाते हैं।   दोस्तों बेतला नेशनल पार्क देसी और विदेशी पर्यटको में काफी मशहूर है और यहां प्रत्येक वर्ष देश और विदेश के सैलानी बेतला नेशनल पार्क का भ्रमण करने आते हैं  और आनंदित होते हैं ।
                    पक्षी विहार
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                तिलैया पक्षी विहार 🏞️
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  दोस्तों आपको बता दूं कि तिलैया डैम बरही से जो कि हजारीबाग में पड़ता है से 18 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 2  , 13 और 33 के मिलन स्थल पर स्थित है। दोस्तों साथ ही साथ यह कोडरमा से 19 किलोमीटर और हजारीबाग शहर से 56 किलोमीटर दूर है इस डैम को बराबर नदी के ऊपर बनाया गया है जिसकी ऊंचाई 99 फीट लंबाई 1200 फीट है। दोस्तों इस डैम म देसी विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है 

             तेनुघाट पक्षी विहार 🏞️
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 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि झारखंड राज्य के तेनुघाट डैम एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बना हुआ डैम है। यह डैम बोकारो जिले में स्थित है। दोस्तों इसकी लंबाई 7 किलोमीटर लंबी है। और जलजमाव का क्षेत्रफल 100 वर्ग किलोमीटर है।दोस्तों दिसंबर और जनवरी में लाखों की संख्या में यहां पनडुब्बी एक प्रकार कर पानी में रहने वाला पक्षी यहां प्रवास करने आते हैं।। दोस्तों ये विदेशी पक्षियां हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके यहां आते हैं। दोस्तों यह पक्षी विहार शोधकर्ताओं के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। दोस्तों यहां आने के लिए हमें सबसे पहले पेटरवार आना पड़ता है जो बोकारो और रामगढ़ के बीचों-बीच स्थित है जहां से हमे तेनुघाट के लिए छोटी बड़ी मिलती हैं। दोस्तों यहां से तेनुघाट 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोस्तों गोमियो रेलवे स्टेशन से तेनुघाट 15 किलोमीटर दूर है। दोस्तों तेनुघाट से ही बोकारो  इस्पात कारखाने को जल की आपूर्ति की जाती है। यहां से बोकारो तक 40 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया है जिसमें 24 घण्टे पानी रहता है । दोस्तों इसी के तट पर तेनुघाट थर्मल पॉवर स्टेशन ललपनिया में स्थित है।।
              
             ईचागढ़ पक्षी विहार 🏞️
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 दोस्तों स्वर्णरेखा परियोजना के डूबे क्षेत्रों में जमशेदपुर के इचागढ़ और नीमड़ी में दर्जनों पेड़ों पर बसेरा लेकर हर साल मई महीने में साइबेरियन पक्षी अंडे देने आते हैं और अपने बच्चों  का लालन पोषण करने , उन्हें उड़ने के काबिल बनाने के बाद यहां से नवंबर महीने में वापस रूस की लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं। दोस्तों प्रतिवर्ष यहां लगभग 200 प्रवासी  साइबेरियन क्रेन यहां आते हैं।

               प्रजनन केंद्र
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            मूटा मगर प्रजनन केंद्र 🏞️
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  दोस्तों रांची से 35 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में ओरमांझी प्रखंड में सिकिदरी से 6 किलोमीटर जाने पर 3 किलोमीटर पैदल चलकर मूटा मगर प्रजनन केंद्र पहुंचा जा सकता है। मूटा के आसपास भेंडा नदी में कुल 15 गहरी खाई या है जिसमें से छह खाइयों में मगर पाए जाते हैं। दोस्तों जब आप यहां ठंड के मौसम में पहुंचोंगे तो आपको नदी के किनारे धूप में बैठे मगर आसानी से देखने को मिल जाएंगे यहां दर्जनों छोटे मोटे और बड़े मगरमच्छ हैं। 

                   धन्यवाद दोस्तों 
               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                 English translate
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 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra, a warm welcome to all of you guys, I am taking you guys on today's journey.  On a visit to the wildlife sanctuary located in Jharkhand, an important state of India.

 Friends, Jharkhand is world famous for its lush green forests, high mountains, plateaus and Saranda, the world's most dense forest.  That is, friends Jharkhand is a rich state in terms of its natural flora.  Friends, the forests here are inhabited by a variety of predatory animals such as tigers, wolves, gaurs, elephants, leopards, bears, and wild dogs.  Friends, a national park and 11 sanctuaries have been established in the state of Jharkhand for the protection of wildlife.


 Dalma Wildlife Sanctuary🏞️


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 Friends Dalma Wildlife Sanctuary, which is world famous for elephants, is located 10 to 15 kilometers from my own city Jamshedpur.  Friends, this sanctuary is spread over an area of ​​193 .22 sq km.

 Friends, this hill is also known as Forest Goddess Mata Dalma Mai. Dalma Wildlife Sanctuary was established in 1978 AD.  Friends, this sanctuary is filled with different types of wild animals.  The amazing thing is that no other city of Jharkhand has this privilege where elephant chirps and leopard roars are heard near the city.  Friends, 'Elephant Project' has been implemented in this sanctuary.  More than 300 elephants are found here.  Friends as well as Dalma Pahadar are paradise for trekking lovers like us.  And do not know how many mysteries this Dalma mountain is still to be discovered.

                    

 Lord Birsa Biological Park🏞️

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 Friends Lord Birsa Biological Park The second wildlife park of Jharkhand was inaugurated on 26 January 1994 in Chakla village of Ormanjhi block on the banks of Sapahi River along Ranchi Patna Road, 17 km north of the city in Ranchi district.  Friends Lord Birsa Biological Park is spread both on the Patna Ranchi main road and in about 104 hectares of land.  Out of which 83 hectare land has been established Wildlife Park while 21 hectare land has been built botanical garden.  Friends, there are plans to open a study and breeding institute and safari park for wolves, gaur and wild dogs in this park.  The park is also home to a variety of wild animals.


 Birsa Mrig Vihar 🏞️

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 Friends Birsa Mrig Vihar is a delightful site located on Ranchi Khunti Marg, 35 km from the city of Ranchi, where the people of the city go for a picnic. Friends Birsa Mrig Vihar was named Scindia on 23 March 1981 and inaugurated on 1 August 1986.  As soon as you enter inside the entrance of Birsa Mriga Vihar, you will see a small garden where their favorite sports equipment has been installed for children to play on a roundabout.  And beautiful rest places and canteens have been made for the visitors to relax.  Friends Birsa Mrig Vihar is spread over 54 acres of forest area and is home to a wide variety of fauna.

 Jawaharlal Nehru Biological Park🏞️

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 Friends, Jawaharlal Nehru Biological Park of Bokaro Steel City is spread over 122 acres of land and efforts are on to acquire 100 acres of land for its expansion. So far more than 30,000 trees have been planted in the entire forest area including Sal, Sheesham and  Teak is predominant.  Friends, this organic garden was inaugurated on 14 January 1990 in MR Ramakrishnan. Friends, this jovic garden has a variety of different types of animal birds kept in a convenient environment.


 Srishti Garden 🏞️

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 Friends: Srishti Udyan 4 kilometers from Dumka district, three hills of Kurua have been named Srishti Udyan, this garden is completely natural environment and is situated on a hill.  Friends, this garden spread over 80 acres has many varieties of plants on one hill and cactus varieties on the other hill while herb plants are planted on the third hill.

 Palkot Wildlife Sanctuary🏞️

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 Friends, the establishment of a wildlife sanctuary in Gumla, a very beautiful city of Jharkhand, was announced in 1990, which is 183. A sanctuary to be established in an area of ​​18 square kilometers, Friends, according to the government documents, this land i.e. land acquisition for this sanctuary  The action was taken on 30 December 1997 which is now popularly known as Palkot Wildlife Sanctuary. Friends, this zoological sanctuary is located in the entire Palkot block of Gumla district and partly in Simdega and Raidih block. Palkot sanctuary has cuckoo in the east  The river and the conch river flows to the west and between these two, the notified forest land is situated as the main sanctuary.

                

 Fossil Park 🏞️

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 As friends all of you will know that there are 37 such villages in the Sahibganj district, where mainly the Santhals and the hills are inhabited by tribals and in these villages fossils are found in crores of years old.  Friends, these fossils need proper conservation and development and many facilities are needed here to entice researchers. If all these things happen here then it will be a precious gift for those studying fossils.


 Mahuadand Wolf Sanctuary🏞️

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 Friends, this sanctuary is located in the Mahuadand Chhechari Valley, 94 km from Daltonganj.  Friends, it was founded in 1976 AD by the then forest conservator Shri MP Shahi. The sanctuary 63.  Spread over an area of ​​26 square kilometers and there are also breeding centers of wolves.

 Betla National Park 🏞️

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 Friends, Betla National Park is a national park located in Jharkhand, Friends, you all know that Betla National Park is very famous here elephant, gaur, chital, sambar nilgai and lion can be seen.  Friends, the Betla National Park is quite popular among domestic and foreign tourists and every year tourists from all over the country and abroad come to visit and enjoy the Betla National Park.


 Bird house🏞️

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 Tilaiya bird sanctuary🏞️

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 Friends, let me tell you that Tilaiya Dam is located at the meeting point of National Highways Nos. 2, 13 and 33, 18 km from Barhi which falls in Hazaribagh.  Friends, at the same time it is 19 km from Koderma and 56 km from Hazaribagh city, this dam has been built on an equal river whose height is 99 feet, 1200 feet in length.  Friends, there is a gathering of native exotic birds in this dam.


 Tenughat Bird Sanctuary🏞️

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 Friends, you will be surprised to know that Tenughat Dam of Jharkhand state is the largest earthen dam in Asia.  This dam is located in Bokaro district.  Friends, its length is 7 kilometers long.  And the area of ​​water logging is 100 square kilometers. In December and January, in millions of friends, the submarine comes here to stay in the water birds.  Friends, these foreign parties travel thousands of kilometers to come here.  Friends, this bird sanctuary is nothing less than a haven for researchers.  To come here friends, first of all we have to come to Petarwar, which is located in the middle of Bokaro and Ramgarh, from where we get small big for Tenughat.  Friends, Tenughat is located 16 kilometers from here.  Tenughat is 15 kilometers from the Friends Gomio railway station.  Friends, water is supplied to Bokaro Steel Plant itself from Tenughat.  A 40 km long canal has been constructed from here to Bokaro, which holds 24 hours of water.  Friends, Tenughat Thermal Power Station is located at Lalapania on the banks of this.



 Echagarh bird sanctuary🏞️

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 Friends settle on dozens of trees in Ichagarh and Neemari in Jamshedpur in the submerged areas of the Swarnarekha Project, every year in May the Siberian birds come to lay eggs and return here in November after nurturing their children, enabling them to fly.  Go on a long trip to Russia.  Friends, about 200 migratory Siberian cranes visit here every year.


 Breeding center

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 Muta Magar Breeding Center 🏞️

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 Friends, Moota Breeding Center can be reached by walking 3 km from Sikidari in Ormanjhi block north of 35 km from Ranchi.  There are a total of 15 deep moats in the Bhenda river around Moota, of which six are found in trenches.  Friends, when you reach here in the cold season, you will be able to sit in the sun on the banks of the river but you can easily see here there are dozens of small, thick and big crocodiles.


 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗

Tuesday, January 5, 2021

भाग तीन- अद्भुत और अकल्पनीय यात्रा झारखंड के चतरा जिले में स्थित पहाड़ियों की Part Three- Amazing and unimaginable journey of the hills located in Chatra district of Jharkhand

Ek yatra khajane ki khoje

              

              सांस्कृतिक विरासत
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             जलप्रपात 
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा में भी मैं चतरा क्षेत्र में मौजूद कुछ रमणीक जल प्रपातों की जांच पड़ताल करेंगे । तो आइए दोस्तों चलते हैं झारखंड के कुछ अनछुए रमणीक और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा पर। 🧗🧗
 बलबल दुआरी का गर्म झरना-  दोस्तों बल बल दुआरी के नाम से प्रसिद्ध , चतरा से 35 किलोमीटर पूर्व में गिद्धौर कटक मसांडी मार्ग पर अवस्थित एक सुंदर पर्यटन स्थल है। दोस्तों आप यहां हजारीबाग से भी आ सकते हैं क्योंकि सड़क मोटर यात्रा योग्य है और यहां सीधे चतरा से भी पहुंचा जा सकता है। दोस्तों इस जगह पर आने में वर्षा ऋतु में थोड़ी कठिनाई होती है किंतु आप शीतकाल तथा ग्रीष्म काल में सुविधा पूर्वक आनंद उठाने यहां आ सकते हैं।
 दोस्तों इस क्षेत्र में मौजूद ग्राम दुआरी के पास बलबल नदी के किनारे गर्म पानी का स्रोत है या कहे तो कुंड है जिसमें पानी बराबर उबलता रहता है। जैसा कि लोगों का मानना है चर्म रोग के लिए यहां का पानी औषधीय गुण रखता है। दोस्तों जिस प्रकार चर्म रोग से छुटकारा पाने के लिए लोग राजगीर जाते हैं वैसे ही यहां भी लोग बहुतायत संख्या में आते हैं। दोस्तों लोग यहां पर कब से आ रहे हैं इसकी कोई ऐतिहासिक प्रमाणिकता नहीं है फिर भी इसकी अपनी एक अलग सांस्कृतिक पहचान है। जो प्राचीन काल से लगातार चली आ रही है।
 खोया बनारू -  (दो पहाड़ियों के बीच का रास्ता जिससे होकर नदी बहती है।)  दोस्तों चतरा का सर्वाधिक सुंदर आकर्षक एवं मनोरम पर्यटन स्थल खोया बनारू है जो चतरा मुख्यालय से 10 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है जहां 8 किलोमीटर तक गाड़ी के द्वारा जाया जा सकता है और शेष 2 किलोमीटर पैदल एवं दुर्गम रास्ता है इस रास्ते में पड़ने वाले जंगल घने और हरे भरे हैं तथा यहां की हरितमा मनोमुग्धकारी है। बनारु का  खाई पत्थरों को काटता - छांटता हुआ गुजरात हैं   जिस कारण से कई स्थानों पर बरामदा तथा छज्जा नुमा आकृति बन गई है । दोस्तों प्रकृति ने दोनो ओर पत्थरों की दीवारों को तराश तराश कर आकर्षक बना दिया है 
         दोस्तों कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि मानों पेड़ पत्थरों में स्थानांतरित हो गया हो। दोस्तों इसके सुंदर , कलात्मक एवं मनोहारी दृश्य को देखने से प्रतीत होता है कि प्रकृति के हाथों में पत्थर मोम बनकर रह गया हों। दोस्तों खाई में यदि कोई पत्थर फेंका जाए तो , बहुत ही सुंदर प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है जो अपने आप में एक आश्चर्य पैदा करती है।
 केरीदह जलप्रपात 🏞️-  दोस्तों  यह जलप्रपात चतरा से 8 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित है। यह जलप्रपात भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक है परंतु यहां  पहुंचना थोड़ कठिन है । क्योकि यह जलप्रपात तीन ओर से पहाड़ियोंं से घिरा हुआ है। जो बहुत ही सुंदर आकर्षण पैदा करता है दोस्तों यह जलप्रपात ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग साबित हो सकता हैं।
 मालूदह जलप्रपात 🏞️-  दोस्तों यह जलप्रपात भी चतरा से 8 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए भी दुर्गम रास्तों को तय करना पड़ता है जो कि घने जंगलों से होते हुए गुजरता है। यह जलप्रपात 50 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है जो बहुत ही सुंदर दृश्य उत्पन्न करता है। इस जलप्रपात की खास बात यह है कि दोस्तों की इसका पानी दोनों पहाड़ियों को बिना छुए हुए बीच में गिरता है। दोस्तों प्रकृति ने इसे अर्द्ध वृताकार ढालू दीवार की तरह तराशा है जो यह स्मरण कराता है कि एक सौंदर्य की वस्तु हमेशा के लिए आनंददायक होता है।
 तमासीन जलप्रपात 🏞️-  दोस्तों यह जलप्रपात चतरा से 26 किलोमीटर उत्तर पूर्व में इटखोरी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर तुलबुल पंचायत मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर है। दोस्तों यह जलप्रपात प्रकृति की अनमोल धरोहर हैं जो मनोहारी एवं सुरमयी घाटियों के बीच एक बड़ा आकर्षक और रोमांचित करता हुआ जलप्रपात है। दोस्तों यहां पहुंचने के लिए दुर्गम घने जंगलों के बीच बहुत ही दुर्गम मार्ग से पहाड़ी के नीचे उतरना पड़ता है।पहाड़ी के दूसरे छोर से लगभग 50 फीट की ऊंचाई से महाने नदी की कलकल धारा नीचे गिरती है जो बहुत ही मनोरम और सुंदर दृश्य उत्पन्न करती है।
         दोस्तों ग्राम कोल्हैया से होकर यहां पहुंचा जा सकता है दोस्तों यहां चट्टानों पर झुंड के झुंड बंदर उछलते - कुदते देखे जाते हैं। दोस्तों यहां पहुंचने पर पता चलता है कि सामान्य स्थल से लगभग 100 फीट की गहराई में बड़ी चट्टानों से टकराता यह जलप्रपात अद्भुत मनोहारी दृश्य उत्पन्न कर रहा है । दोस्तों चहुंमुखी दिशाओं से हरे भरे पेड़-पौधो मध्य स्थित इस जलप्रपात में बड़ी बड़ी चट्टानों पर से होकर बहती जलधारा का कल कल आवाज यहां की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगा रही है।
 दोस्तों सनातन धर्मावलंबियों के अनुसार इस जलप्रपात में देवी मां का वास है। यही कारण है कि यहां के लोग इस जलप्रपात को 'तमासीन माता' भी कहते हैं। तमासीन माता की आस्था से अभिभूत होकर लोग संतान प्राप्ति हेतु याचना करने तथा अपने बच्चों के मुंडन संस्कार कराने के लिए भी लोग यहां पहुंचते हैं। दोस्तों लोग यहां पूजा के साथ-साथ वन भोज के प्रयोजन में भी आते हैं
 राजा सुरथ की तपोभूमि-   दोस्तों वयोवृद्ध पुजारियों एवं शोधकर्ताओं के अनुसार , राजा सुरथ की तपोभूमि संभवत तमासीन नदी तट है  माना जाता है कि प्राचीन काल में राजा सुरथ ने नदी तट पर तपस्या की थी , वह स्थान आज भी नदी तट पर स्थित है। दोस्तों इस स्थान को राजा सुरथ की तपोभूमि बताने के पीछे यही एक तर्क नहीं है ,  बल्कि पौराणिक वर्णनो के अनुसार राजा सुरथ का नगर राज्य 'भद्रापुरी' थी, अनुमान लगाया जाता है कि यही भद्रापूरी आज भदुली के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है। विदित हो कि भदुली इटखोरी प्रखंड में ही अवस्थित है जहां अति प्राचीन नगर सभ्यताओं के कई अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
  तामसी देवी स्थल -   दोस्तों आसपास के क्षेत्रों के शक्ति उपासक एवं धर्मअनुरागी भक्तजन तामसीन में तामसी देवी का निवास मांगते हैं। अतः स्पष्ट है कि तामसी देवी का निवास स्थान माने जाने के कारण ही इस स्थान का नाम तामसीन पड़ा। दोस्तों यहां पहाड़ी के नीचे एक लंबा चौड़ा विस्तृत मैदान है।दोस्तों मैदान में दो पहाड़ियों के मिलने से एक अति दुर्गम सुरंग नुमा गुफा का निर्माण हुआ है और यही गुफा आसपास के साधकों के लिए तामसी देवी स्थल है और शक्ति पीठ के रूप में प्रतिष्ठित है।

  महादेव पोखर -   दोस्तों इस क्षेत्र में तुलबुल नामक ग्राम पंचायत में एक और महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है जो करमा गांव स्थित महादेव पोखर नाम से प्रसिद्ध है। दोस्तों इस स्थान पर भगवान शंकर की खंडित प्रतिमा एवं प्राचीन मंदिरों के सैकड़ों भग्नावशेष मौजूद हैं दोस्तों जो यहां कभी वैभवशाली प्राचीन मंदिर होने का अहसास कराते हैं। भाइयों पत्थरों की खंडित प्रतिमाओं को देखने के बाद अनायास ही धर्म प्रेमी श्रद्धालू ' दिल मंदिर ' के इतिहास को ढूंढने लगते हैं दोस्तों लोगों का कहना है कि मुगल शासन काल में एक दुराचारी बादशाह ने इस वैभवशाली मंदिर को तहस-नहस कर दिया था।
  डुमेर-सुमेर जलप्रपात 🏞️-  दोस्तों डुमेर सुमेर जलप्रपात बहुत ही सुंदर और आकर्षक पर्यटन स्थल हैं। जो चतरा के उत्तर में 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां 10 किलोमीटर तक गाड़ी से जाया जा सकता है और बाकी के 2 किलोमीटर पैदल दुर्गम इलाकों से होकर जाता जा सकता है । यह जलप्रपात चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और पानी काफी ऊंचाई से गिरता है जो एक रोमांचक दृश्य उत्पन्न करता है।

   गोआ जलप्रपात 🏞️-   दोस्तों यह जलप्रपात चतरा से 6 किलोमीटर पश्चिम में मालूदह के मार्ग में यह मनमोहक पर्यटक स्थल है जो बहुत ही खूबसूरत और अद्भुत जलप्रपात हैं जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है  यहां पहुंचने के लिए हमें संघरी नामक ग्राम से हो कर गुजरना पड़ता है  ।

             धन्यवाद दोस्तों
     माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                             English translate
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                       कुंदा का गुफा
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  Hello friends, I would like to extend my heartfelt greetings to all of you mountain lepards Mahendra, Friends, in today's journey also I will investigate some beautiful waterfalls present in Chatra region.  So friends, let's go on a visit to some untouched beauty and historical sites of Jharkhand.  🧗🧗

 Hot waterfall of Balbal Duari - Famous as Friends Bal Bal Duari, Gidhaur is a beautiful tourist destination situated on the Cuttack Masandi road, 35 km east of Chatra.  Friends, you can also come here from Hazaribagh because the road is motor travel worthy and it can also be reached directly from Chatra.  Friends, there is some difficulty in coming to this place during the rainy season, but you can come here to enjoy it in winter and summer.

 Friends, the village Duari in this area has a source of hot water on the banks of the Balbal River or, say, a pool, in which water keeps boiling evenly.  As people believe, the water here has medicinal properties for skin diseases.  Friends, just like people go to Rajgir to get rid of skin disease, in the same way people come here in abundance.  Since when people are coming here, there is no historical authenticity, yet it has a different cultural identity.  Which has been going on continuously since ancient times.


 Khoya Banaru - (The path between the two hills through which the river flows.) Friends The most beautiful and picturesque tourist spot of Chatra is Khoya Banaru which is located 10 kilometers southwest of Chatra headquarters where it can be transported by car for 8 kilometers.  The remaining 2 kilometers are on foot and inaccessible way, the forests falling in this path are dense and green and the greenery here is enchanting.  The trench of Banaru is a stone cut - Gujarat, due to which the verandah and the balcony have become a figure in many places.  Friends, nature has made the walls of both sides beautiful by carving the walls.

 Friends, at some places it seems as if the tree has moved into stones.  Friends, looking at its beautiful, artistic and beautiful view, it seems that stone has become wax in the hands of nature.  Friends, if a stone is thrown into the abyss, a very beautiful echo is heard which creates a surprise in itself.


 Keridah Falls 🏞️- Friends, this waterfall is located 8 kilometers northwest of Chatra.  This waterfall is also very beautiful and attractive but it is difficult to reach here.  Because this waterfall is surrounded by hills on three sides.  This waterfall can be a paradise for trekking lovers, which creates a very beautiful attraction.


 Maludah Falls 🏞️- Friends, this waterfall is also located 8 km west of Chatra.  To reach here one also has to decide the inaccessible paths which pass through dense forests.  This waterfall falls below a height of 50 feet which produces a very beautiful view.  The special thing about this waterfall is that its water of friends falls between the two hills without touching it.  Friends, nature has carved it like a semi-circular sloping wall, which reminds us that an object of beauty is always pleasurable.


 Tamasin Falls- 🏞️ friends. This waterfall is about 15 kilometers from Itkhori Block Headquarters, 26 kilometers northeast of Chatra and 3 kilometers from Tulbul Panchayat Headquarters.  Friends, this waterfall is a precious heritage of nature, which is a fascinating and thrilling waterfall between the picturesque and picturesque valleys.  To reach here, one has to descend down the hill by a very inaccessible route amidst the inaccessible dense forests. From the other end of the hill, about 50 feet from the height, the Kalka stream of Mahen river falls down which produces a very panoramic and beautiful view.  is.

 Friends can be reached here through the village crusher. Friends, there are herds of monkeys jumping on the rocks.  Friends, upon reaching here, it is found that this waterfall, which collides with large rocks at a depth of about 100 feet from the normal site, is producing amazing views.  Friends, the sound of the stream flowing through large rocks in this waterfall situated in the middle of green trees and trees from all directions, the sound is adding to the natural beauty of the place.

 According to friends Sanatan religions, this waterfall is inhabited by the Mother Goddess.  This is the reason that people here also call this waterfall as 'Tamasin Mata'.  Overwhelmed by the faith of the tamasin mother, people also come here to pray for the attainment of children and to perform the shaving of their children.  Friends, people come here for the purpose of worship as well as forest food.

 Raja Surath's Tapobhumi- According to friends, old priests and researchers, Raja Surath's Tapobhumi is probably the Tamasin river bank.  Friends, this is not an argument for describing this place as the Tapobhoomi of King Surath, but according to mythological accounts, the city kingdom of King Surath was 'Bhadrapuri', it is estimated that this Bhadrapuri is becoming famous today as Bhaduli.  It is to be noted that Bhaduli is located in Itkhori block where many remnants of ancient civilizations have also been found.


 Tamsi Devi Sthal - Friends, Shakti worshipers and religious devotees from the surrounding areas demand the residence of Tamsi Devi in ​​Tamsin.  Therefore, it is clear that this place was named Tamsin due to it being considered the abode of Tamsi Devi.  Friends, here is a long, wide expansive plain below the hill. Due to the joining of two hills in the Dostan Maidan, a very inaccessible tunnel Numa Cave has been built and this cave is the Tamsi Devi site for the seekers around and is reputed as Shakti Peetha.  .


 Mahadev Pokhar - Friends, there is another important place in this area in the village panchayat named Tulbul which is famous by the name Mahadev Pokhar in Karama village.  Friends, there are fragmented idols of Lord Shankar and hundreds of ruins of ancient temples at this place. Friends, who once feel here to be a magnificent ancient temple.  After seeing the broken stone idols of the brothers, the devotees suddenly find the history of the revered 'Dil Mandir'. Friends say that during the Mughal rule, a vicious king destroyed this magnificent temple.


 Dumer-Sumer Falls दोस्तों- Friends Dumare Sumer Falls is a very beautiful and attractive tourist destination.  Which is located 12 kilometers north of Chatra.  Where 10 kilometers can be transported by car and the remaining 2 kilometers can go through inaccessible areas.  This waterfall is surrounded by hills and the water falls from a great height which produces an exciting view.

 Goa Waterfalls- Friends, this waterfall is 6 kilometers west of Chatra, on the way to Maludah, it is a beautiful tourist spot which is very beautiful and amazing waterfall which is surrounded by hills from all around, to reach here we have to go from the village called Sanghari.  Have to pass.


 Thanks guys

 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗

       

        


               

Monday, January 4, 2021

भाग दो- माता भद्रकाली मंदिर भदुली ग्राम इटखोरी प्रखंड चतरा झारखण्ड भारत वर्ष। Part Two- Mata Bhadrakali Temple Bhaduli Village Itkhori Block Chatra Jharkhand India Year.

                            सहस्त्र लिंगम  
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Ek yatra khajane ki khoje

                


        माता भद्रकाली मंदिर

 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों जैसा कि आप लोगों ने पिछले अध्याय में पढ़ा माता भद्रकाली मंदिर के ऐतिहासिकता और प्राचीनता के बारे में जो कि अपने आप में अद्भुत और अलौकिक है जिसके बारे में कुछ भी वर्णन करना नामुमकिन है  फिर भी दोस्तो मेरे पास कुछ और भी जानकारी है माता भद्रकाली मंदिर परिसर के संबंध में जिसे मैं वर्णन कर रहा हूं।
  कुटेश्वर स्थान का तालाब -   सहस्र बुद्ध  स्तूप से तीन सौ फीट की दूरी पर एक तालाब हैं। जैसा कि दोस्तों मेरी जानकारी के अनुसार सन् 1978-79 में हस्त मानव मजदूरी योजना के अंतर्गत इस तालाब की  सफाई हुई थी , जिसमें अनेक प्रकार की प्राचीन वस्तुएं जैसे कि लाठी रहित भाले , लोहे की सिक्कड़ , तलवार , टांगी आदि लौह अस्त्र निकालें गए थे। जिनकी 25 है जबकि दो मोटे  सिक्कड़ भी पाए गए थे । लगता है कि  राजप्रासाद की चारदीवारी में भाले के समान तीक्ष्ण लौह अस्त्र का प्रयोग किया गया था। दोस्तों यह स्थल पुरातत्त्वविदों की बाट जोह रहा है ताकि इस स्थल का सही तरीके से पुरातात्विक उत्खनन किया जा सके। 
       
 शीतलनाथ के चरण - चिन्ह-   माता भद्रकाली के मुख्य मंदिर से 450 फीट की दूरी पर पश्चिम में एक पत्थर के टुकड़े पर एक जोड़ा चरण-चिन्ह है ।यह चरण चिन्ह जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर शीतल नाथ का है , जिनका काल 10 वी सदी ईसा पूर्व था । दोस्तों जैन साहित्य ' भदुली' को शीतला स्वामी के जन्म स्थान के रूप में  निरुपित करता है । आज भी जैन समुदाय मां भद्रकाली को  भदुली माता ही कहकर पुकारता है ।
     
                 दोस्तों यही से एक मंजूषा में ताम्र पत्र भी मिला था , जिसपर अंकित था    'शीतलनाथ '  इसमें जैन मंत्र भी उल्लेखित थे। दोस्तों ताम्रपत्र पर उल्लिखित लेख जब पढ़ लिया जाएगा तब तथ्य और तिथि पर विशेष प्रकाश पड़ेगा। दोस्तों यह ताम्रपत्र अभी मंदिर परिसर में नहीं है , बल्कि किसी षंडयंत्र का शिकार हो गया है यानि चोरी हो गया है , यदि उसे वापस कर दिया जाता है , तो भक्त जन और इतिहासकार उस सज्जन के ऋणी रहेंगे , जिनके घर की शोभा यह ताम्रपत्र बढ़ा रहा है।
 शाही वन पोखर ( रानी पोखर)-  दोस्तों मुख्य मंदिर से पूरब और सहस्त्र बुद्ध स्तूप से 300 फीट की दूरी पर मनोहारी बगीचा से सटे पूरब दिशा में राजा का वन पोखर है। जो एक रहस्यमई सुरंग द्वारा महाने नदी से जुड़ा हुआ है। जिससे होकर महाराज और महारानी पोखर में स्नान करने आया करते थे। दोस्तों शाही सरंक्षण में इस पोखर में विभिन्न प्रकार के कमल पुष्प उपजाए जाते थे जो राजा द्वारा स्नान के पश्चात अष्टभुजी देवी दुर्गा माता को पूजा अर्चना कर अर्पित किए जाते थे। कहा जाता है कि महाराज के द्वारा 108 कमल पुष्प प्रतिदिन मां को अर्पित किए जाते थे। दोस्तों यह वन पोखर 500 गुने 300 फीट में फैला हुआ है जो जीर्णोद्धार हेतु शोधकर्ताओं एवं सरकार की ओर देख रहा है।

 करुणामयी मां या कनुनिया माई का मंदिर-   वन पोखर से लगभग 300 फीट उत्तर स्थित करुणामई मां का मंदिर है , जिसे साधारण बोलचाल की भाषा में कनुनिया  माई का मंदिर भी कहा जाता है। यह एक सिद्ध तांत्रिक पीठ है , जहां एक प्रस्तर के नीचे शिवशक्ति या शून्य ओंकार शक्ति है।  शिव के बाएं सिद्धि , दाहिनी ओर रिद्धि  , उसके ऊपर शिव शक्ति का वरदहस्त , बाएं अर्धचंद्र  , अदाएं पूर्ण चंद्र और सबसे ऊपर स्थित अमृत कलश निखिल ब्रह्मांड की सकारात्मक व्याख्या है।

  बौद्ध देवी तारा - दोस्तों सन् 1917 में एक.एफ.लिस्टर द्वारा रचित तथा पी.सी.राय द्वारा परिवर्द्धित 1957 ई.मे हजारीबाग जिला गैजेटियर में ऐसा उल्लेख है कि यहां पर अनेक बौद्ध देवी तारा की प्रतिमाएं हैं किंतु दु:खद आश्चर्य है कि एक भी देवी तारा की प्रतिमा अब यहां पर उपलब्ध नहीं है। दोस्तों मां भद्रकाली मंदिर परिसर के पास 25 एकड़ भूमि पर रामकृष्ण मिशन स्कूल की स्थापना की गई है। साथ ही साथ मंदिर परिसर में शादी विवाह कराने के लिए भी उचित व्यवस्था जिला प्रशासन के द्वारा की गईं हैं।।
 डोहरा से प्राप्त कलाकृतियां -  ईटाखोरी प्रखंड का सीमावर्ती प्रखंड चतरा के भोकतमा पंचायत में डोहरा  गांव के निकटवर्ती जंगल में जब 1993 ई. में खुदाई की गई तो जमीन में दबे ऐसे पत्थर प्राप्त हुएं जिनपर विभिन्न देवी देवताओं व अन्य प्रकार की आकृतियां बनी हुई पाई गई।
                 दोस्तों पत्थरों पर खुद ही हुई इन कलात्मक मूर्तियों में भगवान राम तीर धनुष लिए हुए , लक्ष्मण और भरत ढाल तलवार और चक्र लिए हुए , एवं देवी राधिका दही लेकर इतराती हुई मुद्रा में है , भगवान शंकर त्रिशूल  ,डमरु और शंख लिए हुए तपस्या की मुद्रा में हैं। साथ ही साथ अन्य कलाकृतियों में हाथी , मछली , कलश तथा घड़ा व बछड़ों को दूध पिलाती हुई गाय है एवं अन्य पत्थरों पर स्तंभ , चौखट - दरवाजे की कलात्मक आकृतियां बनी हुई है।
                                 इस तरह की कलाकृतियां इटखोरी स्थित भद्रकाली मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान पाई गई थी दोस्तों दोनों की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है ।संभवत उस जमाने में डोहरा जंगल और भद्रकाली मंदिर में कुछ संबंध रहा होगा। दोस्तों ऐसा लगता है की डोहरा जंगल में जिन पत्थरों में कलाकृतियां उत्क्रीण पाई गई है , उसी प्रकार के पत्थर भद्रकाली मंदिर परिसर में खुदाई के दरमियान मिले थे , माता भद्रकाली  की मूर्ति 9 वी शताब्दी के मध्य में निर्मित बताई जाती है। आश्चर्य की बात है कि दोनों स्थलों के पत्थर एक समान है इसलिए यह कलाकृतियां भी उसी काल की लगती है। उस काल में डोहरा वह भद्रकाली क्षेत्र मगध राजधानी के क्षेत्र में ही था । दोस्तों संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह स्थल किसी राजा का किला या गढ़ होगा या फिर कोई शक्ति पीठ। दोस्तों खुदाई स्थल के पूरब में एक नदी भी है जिसकी दूरी 100 गज है , दोस्तों पुराणों के अनुसार जहां - जहां धार्मिक महत्व के स्थान हैं वहां- वहां से नदी गुजरती है।
        
          दोस्तों खुदाई स्थल  के लिए सुलभ रास्ता  , अंटा मोड़ से दो तीन किलोमीटर दक्षिण की ओर पक्की सड़क है फिर  चार किलोमीटर तक जंगली रास्ता तय करके वहां पहुंचना होता है। 

 महाने नदी का दह -  माता भद्रकाली मंदिर से 1 से 2 किलोमीटर की दूरी पर महाने नदी के किनारे एक 'दह' पहाड़ियों और जंगलों से घिरा है जिसकी प्राकृतिक तथा नैसर्गिक सुषमा अपने आप में अनुपम है यहां झुंड के झुंड लोग आनंद उठाने के लिए आते हैं एवं कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशुआ  के अवसर पर यहां एक मेला लग जाता है। लोग स्नान एवं धूप सेवन का आनंद लेते हैं एवं मेले का लुफ्त उठाते हैं। 

 कुंदा का ऐतिहासिक किला -  प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दक्षिण में कुंदा गांव में राजा का ऐतिहासिक किला आज भी अपनी पूरी मजबूती से खड़ा है । साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है कि इस भव्य किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था।

 कुंदा गुफा -  दोस्तों कुंदा के ऐतिहासिक किले से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर कुंदा गुफा मौजूद है जो प्राचीन काल की उन्नत तकनीक का परिचायक है। किले के दक्षिणी भाग से एक संकरी गली गुफा को किले से जोड़ती है एवं एक छिछली धारा गुफा के आधार को पकड़ती हुई उतरती है। दोस्तों पहाड़ी के निचले भाग से कुछ ऊपर पहाड़ी के अंदर ही यह गुफा है गुफा का प्रवेश द्वार इतना संकरा है कि कोई व्यक्ति बिना लेटे इसमें प्रवेश नहीं कर सकता है और गुफा के द्वार से प्रवेश करते हैं एक बड़ा सा हाल सामने मिलता है हॉल की ऊंचाई इतनी है कि कोई व्यक्ति आसानी से खड़ा रह सकता है इस हॉल का का उपयोग पर्यटक विश्राम के लिए करते हैं।
                   हॉल का संबंध दो कमरों से है जो आपस में एक दूसरे से जुड़े हैं दोस्तों एक कमरे में विशाल शिवलिंग है। यहां के स्थानीय लोगों का कथन है कि दूसरे कमरे में कोई 100 वर्षीय वृद्ध साधु रहते थे जो कहीं चले गए हैं। दोस्तों इस गुफा की सबसे विशिष्ट और उल्लेखनीय बात यह है कि बिना रोशनी के शिवलिंग वाले कमरे में सदैव प्रकाश रहता है जबकि केंद्रीय हॉल में धुप्प अंधेरा रहता है जबकि शिवलिंग कक्ष में हमेशा प्रकाश विद्यमान रहता है। 


                   धन्यवाद दोस्तों

                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗
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                    English translate
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                      Baudh stup
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Mata Bhadrakali Temple


 Hello friends, I would like to extend my heartfelt greetings to you guys, as you read in the last chapter, about the historicity and antiquity of the Mata Bhadrakali Temple which itself is amazing and supernatural about which it is impossible to describe anything.  Still friends, I have some more information regarding the Mata Bhadrakali temple complex which I am describing.

 Pond of Kuteshwar place - Sahasra is a pond three hundred feet from Buddha Stupa.  As per my knowledge, this pond was cleaned in 1978-79 under Hast Manav Wage Yojana, in which many types of antiques such as lathiless spears, iron coins, swords, legs etc. were removed.  .  Whose 25 are while two thick coins were also found.  It seems that sharp iron weapon was used like spear in the boundary wall of Rajprasad.  Friends, this site is waiting for archaeologists so that the archaeological excavation of this site can be done properly.



 Phase-insignia of Shitalnath- 450 feet from the main temple of Mata Bhadrakali is a paired foot-sign on a stone piece in the west.  Was the former.  Friends refer to the Jain literature 'Bhaduli' as the birth place of Sheetla Swamy.  Even today, the Jain community calls Mother Bhadrakali as Bhaduli Mother.



 Friends, a copper letter was also found in a manusha from which Jain mantra was also mentioned in it.  Friends, when the article mentioned on the copperplate will be read, then the fact and date will be special light.  Friends, this copperplate is not currently in the temple premises, but has fallen victim to a conspiracy, ie it has been stolen, if it is returned, the devout people and historians will be indebted to the gentleman, whose house adorned this copper plate.  Used to be.

 Shahi Van Pokhar (Rani Pokhar) - East of Friends main temple and 300 feet away from Sahastra Buddha Stupa is Raja forest Pokhar in the east direction adjoining the picturesque garden.  Which is connected to the Mahane River by a mysterious tunnel.  Through which Maharaj and Maharani used to come to bathe in Pokhar.  In the royal preservation, various types of lotus flowers were made in this pokhar which were offered by the king after bathing and offered obeisance to Ashtabhuji Devi Durga Mata.  It is said that 108 lotus flowers were offered daily by Maharaj to the mother.  Friends, this forest puddle is spread over 500 times 300 feet, which is looking towards the researchers and the government for renovation.

 Temple of Karunamayi Maa or Kanuniya Mai - Situated about 300 feet north of Van Pokhar is the temple of Karunamai Maa, also colloquially known as Kanuniya Mai's Temple.  It is a Siddha Tantric Peetha, where there is Shivshakti or zero Omkar Shakti under a stone.  Shiva's left Siddhi, Riddhi on the right, Shiva's power over him, the left half moon, Ada Purna Chandra and the nectar Kalash on the top are positive interpretations of Nikhil universe.


 Buddhist Goddess Tara - Friends, in 1917 AD Hazaribagh District Gadgetier, written by A. F. Lister and augmented by PC Rai, mentions that there are many statues of Buddhist Goddess Tara here but sad  That a single goddess Tara's statue is no longer available here.  Friends, Ramakrishna Mission School has been established on 25 acres of land near the premises of Maa Bhadrakali Temple.  At the same time, proper arrangements have been made by the district administration for getting married in the temple premises.


 Artifacts received from Dohra - When the excavation was done in 1993 AD in the forest adjacent to the village of Dohra in Bhoktama Panchayat of Chatra, the border block of Itakhori block, such stones were found buried in the ground on which various deities and other types of figures were found to be intact.  .

 In these artistic idols on the stones themselves, Lord Ram carried arrows, bow, Lakshmana and Bharata carried a sword and chakra, and Goddess Radhika is in a moving pose with curd, Lord Shankar trishul, damru and conch with austerity  Are in  At the same time, among other artifacts are elephants, fish, urns, and cows feeding the pot and calves, and on other stones, the artistic motifs of pillars, door-doors remain.
 Such artifacts were found during excavations at the Bhadrakali temple complex at Itkhori. The distance of the two friends is about 35 kilometers. Probably there was some connection between the Dohra forest and the Bhadrakali temple at that time.  Friends, it seems that the stones in which the artifacts have been found in the Dohra forest were found during excavation in the Bhadrakali temple complex, the idol of Mata Bhadrakali is said to be built in the middle of the 9th century.  Surprisingly, the stones of both the sites are the same, so these artifacts also appear to be of the same period.  In that period, Dohra was in the area of ​​the capital of Magadha, Bhadrakali region.  Friends, chances are being expressed that this place will be a fort or stronghold of a king or a Shakti Peeth.  To the east of the Friends excavation site is a river which is 100 yards away, according to the Friends Puranas - where there are places of religious importance - the river passes from there.


 Friends, the accessible road to the excavation site is two to three kilometers south of Anta Mor, a paved road and then a four-kilometer wild path has to be reached there.


 The river Mahane - 1 to 2 kilometers from Mata Bhadrakali temple is surrounded by a 'fire' hills and forests on the banks of river Mahane whose natural and scenic Sushma is unique in its own right, here flocks of herds come to enjoy  And on the occasion of Kartik Purnima, a fair is organized here on the occasion of Vishua.  People enjoy bathing and sunshine and enjoy the fair.



 Historical Fort of Kunda - Raja's historical fort in Kunda village, about 14 km south of Pratappur block headquarters, still stands in its full strength.  Based on the evidence, this grand fort is said to have been built in the 17th century.


 Kunda Cave - Friends, Kunda Cave is present about 1 kilometer from the historical fort of Kunda, which reflects the advanced technology of ancient times.  A narrow lane from the southern part of the fort connects the cave with the fort and a shallow stream descends holding the base of the cave.  Friends, this cave is inside the hill, some above the bottom of the hill, the entrance of the cave is so narrow that no person can enter it without lying down and when entering from the entrance of the cave, a big hall is found in front of the hall.  The height is so that one can easily stand, this hall is used by tourists for relaxation.
 The hall is related to two rooms which are connected to each other. Friends, there is a huge Shivling in one room.  The locals here state that in the second room lived some 100-year-old monks who have gone somewhere.  Friends, the most distinctive and remarkable thing of this cave is that the lightless Shivling room always has light, while the central hall has a bluish darkness while the Shivlinga room always has light.

                  
              Sheetalnath Mandir
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 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗

 
        

               Ancient artefact
                 In museum
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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...