Ek yatra khajane ki khoje
नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता । दोस्तों आज की यात्रा में हम चल रहें हैं 18570 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव हिमाचल प्रदेश की यात्रा पर ।🙏🙏🙏🙏
श्रीखंड महादेव
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हिमाचल प्रदेश
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#श्रीखंडमहादेव यात्रा – #अमरनाथ_से भी #कठिन है महादेव की यह यात्रा।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन मानी जाती है। उसके बाद अमरनाथ यात्रा का नंबर आता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊचाई पर चढ़ना होता है।
श्रीखंड महादेव
श्रीखण्ड यात्रा के आगे अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई कुछ भी नहीं है। ऐसा उन लोगों का कहना है जो दोनों जगह होकर आए हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा नहीं चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
श्रीखंड महादेव जाते हुए श्रद्धालु
क्या है पौराणिक महत्व- श्रीखंड की पौराणिकता मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भीअपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली। इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती कारूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।
विभिन्न स्थानों से दूरी
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
शिमला से रामपुर – 130 किमी
रामपुर से निरमंड – 17 किलोमीटर
निरमंड से बागीपुल – 17 किलोमीटर
बागीपुल से जाओं – करीब 12 किलोमीटर
कैसे पहुंचे श्रीखंड-
आप रामपुर बुशहर(शिमला से 130 कि० मी०) से 35 कि० मी० की दूरी पर बागीपुल या अरसू सड़क मार्ग से पहुँच सकते है श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावोंमें माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं। बागीपुल से 7 कि० मी० दूरी पर जाँव गाँव तक गाड़ी से पंहुचा जा सकता है जाँव से आगे की 25 किलोमीटर की सीधी चढाई पैदल यात्रा शुरू होती है।
यात्रा के तीन पड़ाव- सिंहगाड़ थाचड़ू और भीम डवार है
श्रीखंड महादेव जाते हुए श्रद्धालु जाँव से सिंहगाड़ 3 कि० मी० सिंहगाड़ से थाचड़ू 8 कि० मी० और थाचड़ू से भीम डवार 9 कि० मी० की दूरी पर है यात्रा के तीनो पडावो मे श्री खंड सेवा दल की ओर से यात्रियों की सेवा मे लंगर दिन रात चलाया जाता है भीम डवार से श्री खण्ड कैलाश दर्शन 7 कि० मी० की दूरी पर है तथा दर्शन उपरांत भीम डवार या थाचड़ू वापिस आना अनिवार्य होता है
यात्रा मे सिंहगाड, थाचरू, कालीकुंड, भीमडवारी, पार्वती बाग, नयनसरोवर व भीमबही आदि स्थान आते हैं। सिंहगाड यात्रा का बेस कैंप है। जहां से नाम दर्ज करने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी जाती है। श्रीखंडसेवा समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए हर पडाव पर लंगर की व्यवस्था होतीहै।
धन्यवाद दोस्तों
माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
English translate
_________________
Hello friends, I would like to extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra. Friends, in today's journey we are going on a trip to Srikhand Mahadev Himachal Pradesh situated at an altitude of 18570 feet.🙏🙏🙏🙏
Shrikhand Mahadev
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Himachal Pradesh
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#ShrikhandMahadeva Yatra - This journey of Mahadev is even harder than #Amarnath_.
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
The journey of Kailash Mansarovar is considered to be the most difficult. After that comes the Amarnath Yatra number. But the journey of Shrikhand Mahadev of Himachal Pradesh is more difficult than the Amarnath Yatra. In Amarnath Yatra, where people have to climb about 14000 feet, then one has to climb 18570 feet in height to see Shrikhand Mahadev.
Shrikhand Mahadev
There is nothing climbing the Amarnath Yatra in front of the Shrikhand tour. It is said of those who have come both places. Srikhand Mahadev is adjacent to the Great Himalayan National Park in Himachal. According to local people, Lord Shiva resides on this peak. The height of its Shivling is 72 feet. To reach here there is a track from between beautiful valleys. During Amarnath Yatra, people resort to mules. At the same time, Shrikhand Mahadev has such a difficult climb of 35 kilometers, on which no mule horse can walk. The road to Srikhand goes through Rampur Bushair. From here, the walking tour starts after Nirmand, followed by Bagipul and finally after village.
Devotees visiting Shrikhand Mahadev
What is the mythological significance- The mythology of Shrikhand is that the demon Bhasmasura sought a boon from Shiva with his austerity that he would be consumed by whomever he laid his hands on. Being demonic, she decided to marry Mata Parvati. So Bhasmapur planned to devour Lord Shiva by putting his hands on it but Lord Vishnu destroyed his intention. Vishnu wore the Mata Parvati form and persuaded Bhasmasura to dance with him. During the dance, Bhasmasura placed his hands on his head and was consumed. Even today, the soil and water there appear red from a distance.
Distance from different places
To reach Shrikhand Mahadev, one has to reach trains and buses from Rampur in Shimla district to Bagipul and Jaan via Nirmand in Kullu district. From where the distance has to be traveled about thirty kilometers ahead.
Shimla to Rampur - 130 km
Rampur to Nirmand - 17 km
Nirmand to Bagipul - 17 km
Go from Bagipul - about 12 kilometers
How to reach Shrikhand
You can reach Bagipul or Arsu by road 35 km from Rampur Bushahr (130 km from Shimla) while going to Srikhand, natural Shiva cave, seven temples in Nirmand, nine goddesses including Mata Parvati in Javas, Parashurama temple, Dakshineswar Mahadev , Hanuman Temple Arsu, Sinhagad, Jotkali, Dhankdwar, Bakasur Badh, Dhankdwar and Kunsha etc. 7 km from Bagipul can be reached by car from village to village. The trek of 25 km straight from the village starts on foot.
There are three stops of the journey - Sinhagad Thachdu and Bhim Dwar
On the way to Srikhand Mahadev, the devotee is at a distance of 3 km from Sinhagad to Thachdu 8 km from Sinhagad and 9 km from Bhchwar to Bhchwar from Thachdu, the langar is carried on day and night in the service of the pilgrims by the Shri Khand Seva Dal. Shri Khand Kailash Darshan is at a distance of 7 km from Bhim Dwar and it is mandatory to return to Bhim Dwar or Thachdu after darshan.
Places like Sinhagad, Thacharu, Kalikund, Bhimdwari, Parvati Bagh, Nayanasarovar and Bhimbahi are included in the journey. Sinhgad is the base camp of the journey. From where devotees are allowed to visit after registering the name. On behalf of Shrikhand Seva Samiti there is a system of langar for devotees at every step.🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks guys
Mountain Leopard Mahendra
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏