Thursday, July 16, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग-- विद्या शंकर मंदिर -1338 ई. प्राचीन विजय नगर साम्राज्य। A Journey with Mountain Leopard Mahendra - Vidya Shankar Temple - 1338 AD Ancient Vijay Nagar Empire

Ek yatra khajane ki khoje

















           प्राचीन विद्या शंकर मंदिर कि यात्रा पर
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       नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।


                  श्रृंगेरी कि यात्रा पर, यात्रियों को विद्या शंकर मंदिर को जाने 'की सिफारिश करते हैं' जो विद्याशंकारा के लिए समर्पित है। इस तीर्थ स्थल का निर्माण 1338 ई. में विद्यारान्य, नाम के एक ऋषि द्वारा किया गया था जो विजयनगर साम्राज्य, के संस्थापकों के लिए संरक्षक थे और 14 वीं सदी में यहाँ रहते थे।यह मंदिर द्रविड़, चालुक्य, दक्षिणी भारतीय और विजयनगर स्थापत्य शैली को दर्शाता है। पर्यटक कई शिलालेख देख सकते हैं जो विजयनगर साम्राज्य के योगदान को दर्शाती है।















इस आयताकार मंदिर में 12 खंभे शामिल हैं जो कि राशि चक्र के खंभे के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन सभी स्तंभों बारह राशियों की नक्काशियों प्रदर्शित किये गए हैं, जिनकी रूपरेखा खगोलीय अवधारणाओं को विचार में रखकर किए गए थे। इन पर सौर चिन्ह बनें हुए हैं । हर सुबह जब सूर्य की किरणें मंदिर में प्रवेश करती हैं तो वे वर्ष के वर्तमान मास का संकेत देने वाले एक विशेष स्तम्भ से टकराती हैं....
है ना आश्चर्य...

एक गर्भाग्रिहा, जहां देवी दुर्गा और भगवान विद्या गणेश की मूर्तियों को देखा जा सकता है, मंदिर में मौजूद है। इसके अलावा, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश्वर की मूर्तियां, उनके पत्नियों की मूर्तियों के साथ गर्भाग्रिहा में देखे जा सकता है।

मंदिर के केन्द्रीय छत कि एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि इस्पे सुंदर वास्तुकला प्रदर्शित कि गयी है। इस स्थल पर छते ढालवां मोड़ा के लिए जाने जाते है। मंदिर के तहखाने में भगवान शिव, भगवान विष्णु, दसावतार, शंमुखा, देवी काली और विभिन्न प्रकार के जानवरों के सुंदर आंकड़े स्थापित किये गये हैं। यह मंदिर विद्यातिर्था रथोत्सव के उत्सव के लिए जाना जाता है जो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष के दौरान आयोजित किया जाता है।














कहां जाता है कि आगे चलकर इसी साम्राज्य में कृष्णदेव राय राजा बना और उसकी महानता, शौर्य, पौरूष, औजस्व और पराक्रम का अंदाज हम बाबर की आत्मकथा से लगा लगा सकते हैं ।
16 वीं शताब्दी में जब बाबर भारत आया तो वो लिखता हैं "इस समय भारत में 2 काफिर रियासतें हैं और 5 मुस्लिम रियासतें हैं, इनमें सबसे शक्तिशाली दक्षिण का राजा कृष्णदेव राय हैं और उसे हरा करने योग्य शक्ति मुझमें नहीं है"
इस कथन से बाबर की विवश्ता और बेबसी दोनों का पता चलता हैं।
और ध्यान रखिएगा... ये मध्यकालीन भारत की बात हैं, जिस समय इस्लामिक शक्ति अपने चर्म पर थी।
लेकिन... इसके बाद भी कुछ लोग हिंदू संस्कृति का और हिन्दू सभ्यता का उपहास उड़ाते हैं... वो सभी दुरात्मा बस ये बता दे कि और किस धर्म में हिन्दू (सनातन) धर्म से अधिक करूणा, दया, शौर्य, साहस, पराक्रम, औजस्व और कर्तव्यपरायणता रही हैं।

                           धन्यवाद दोस्तों

           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा














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English translate
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Visit of ancient Vidya Shankar temple

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.












 On the journey to Sringeri, travelers recommend 'going' to the Vidya Shankar temple which is dedicated to Vidyashankara.  This pilgrimage site was built in 1338 AD by a sage named Vidyaranya, a patron to the founders of the Vijayanagara Empire, and lived here in the 14th century.  Shows.  Tourists can see many inscriptions that show the contribution of the Vijayanagara Empire.


 This rectangular temple consists of 12 pillars which are famous as the pillars of the zodiac.  All these pillars are displayed carvings of twelve zodiac signs, which were designed keeping in mind the astronomical concepts.  There are solar signs on them.  Every morning when the rays of the sun enter the temple, they collide with a special pillar indicating the current month of the year….

 No wonder…
















 A garbhagriha, where idols of Goddess Durga and Lord Vidya Ganesha can be seen, is present in the temple.  Also, idols of Lord Brahma, Lord Vishnu and Lord Maheshwara, along with the idols of their wives can be seen in Garbhagriha.


 Another prominent feature of the central roof of the temple is that it has beautiful architecture displayed.  This site is known for Chhata Dhawan Moda.  Beautiful figures of Lord Shiva, Lord Vishnu, Dasavatara, Shanmukha, Devi Kali and various types of animals are installed in the basement of the temple.  This temple is known for the celebration of Vidyatirtha Rathotsava which is held during Kartik Shukla Paksha.












 Where does it go that later in this kingdom, Krishnadeva Raya became the king and we can guess his greatness, valor, valor, courage and might from the autobiography of Babur.

 When Babur came to India in the 16th century, he writes "India currently has 2 Kafir princely states and 5 Muslim princely states, among them the most powerful king of the south is Krishnadeva Raya and I do not have the power to defeat it".

 This statement reveals both Babur's authority and helplessness.

 And take care ... This is the talk of medieval India, at which time Islamic power was at its talon.

 But ... Even after this, some people ridicule Hindu culture and Hindu civilization ... All those misdeeds just tell that and in which religion more compassion than Hindu (Sanatan) religion, mercy, valor, courage, valor  , Has been virtuous and dutiful.


 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra






































Wednesday, July 15, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग__एक यात्रा माता सुरकंडा देवी की उत्तराखंड भारत। A Journey with Mountain Leopard Mahendra__ A Visit to Uttarakhand India of Mother Surkanda Devi

Ek yatra khajane ki khoje



                                    #सुरकंडा_देवी_मंदिर

सुरकंडा देवी एक हिन्दूओं का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है। सुरकंडा देवी मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। सुरकंडा देवी मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर यूलिसाल गांव, धानाल्टी, टिहरी जिला, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। सुदकंडा देवी मंदिर धनाल्टी से 6.7 किलोमीटर और चम्बा से 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचाने के लिए लोगों को कद्दूखाल से 3 किलोमीटर के पैदल यात्रा करनी पडती है। यह मंदिर लगभग 2,757 मीटर की ऊंचाई पर है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें सती का सर इस स्थान पर गिरा था इसलिए इसे मंदिर को श्री सुरकंडा देवी मंदिर भी कहा जाता है। सती के शरीर भाग जिस जिस स्थान पर गिरे थे इन स्थानों को शक्ति पीठ कहा जाता है।

सुरकंडा देवी मंदिर घने जंगलों से घिरा हुआ है और इस स्थान से उत्तर दिशा में हिमालय का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। दक्षिण दिशा में देहरादून और ऋ़षिकेश शहरों का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। यह मंदिर साल में ज्यादा दर समय कोहरे से डका रहता है। वर्तमान मंदिर का पुनः निर्माण किया गया है वास्तविक मंदिर की स्थापना समय का पता नहीं है ऐसा माना जाता है कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है।

सुरकंडा देवी मंदिर में गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाता है जो हर साल मई और जून के बीच आता है। नवरात्री का त्योहार भी विशेष रूप से मनाया जाता है।
      
    
              धन्यवाद दोस्तों
     
        माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा



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English translate
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Surkanda_devi_mandir


 Surkanda Devi is an ancient Hindu temple.  The temple is dedicated to Goddess Durga, one of the nine goddess forms.  Surkanda Devi Temple is one of the 51 Shakti Peethas.  The statue of Goddess Kali is installed in Surkanda Devi temple.  The temple is located in Ulisesal Village, Dhanalti, Tehri District, Uttarakhand, India.  Sudakanda Devi Temple is located 6.7 kilometers from Dhanalti and 22 kilometers from Chamba.  To reach this temple, people have to travel 3 km from Kaddukhal.  The temple is at an altitude of about 2,757 meters.


 According to mythology, Goddess Sati sacrificed her life in the sacrificial fire performed by her father Dakshevara, when Lord Shankar was circling the entire universe carrying the dead body of Goddess Sati, during this time, Lord Vishnu, with his Sudarshan Chakra, sati's body.  Was divided into 51 parts, in which the head of Sati fell at this place, hence the temple is also known as Sri Surakanda Devi Temple.  The places where Sati's body part fell are called Shakti Peetha.


 Surkanda Devi Temple is surrounded by dense forests and from this place a beautiful view of the Himalayas is seen in the north.  A beautiful view of the cities of Dehradun and Rishikesh can be seen in the south direction.  This temple remains foggy during most of the year.  The present temple has been rebuilt. The establishment of the actual temple is not known at the time. It is believed that this is a very ancient temple.


 The festival of Ganga Dussehra is celebrated at Surkanda Devi Temple which falls between May and June every year.  The festival of Navratri is also particularly celebrated.





 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra




Monday, July 13, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग--- 1900

Ek yatra khajane ki khoje








    कल्पना कीजिए कि आपका जन्म 1900 में हुआ था।

  जब आप 14 वर्ष के होते हैं, तो प्रथम विश्व युद्ध शुरू होता है और समाप्त होता है जब आप 18 मिलियन 22 मिलियन मृत हो जाते हैं।

  एक वैश्विक महामारी के तुरंत बाद, स्पैनिश फ्लू, प्रकट होता है, जिसमें 50 मिलियन लोग मारे जाते हैं।  और आप जीवित हैं और 20 वर्ष के हैं।

  जब आप 29 वर्ष के होते हैं तो आप न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के पतन के साथ शुरू हुए वैश्विक आर्थिक संकट से बच जाते हैं, जिससे मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और अकाल होता है।

  जब आप 33 साल के हो जाते हैं तो नाज़ियों को सत्ता में आ जाते हैं।

  जब आप 39 वर्ष के होते हैं, तो द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होता है और समाप्त होता है जब आप 60 साल के मृतकों के साथ 45 वर्ष के हो जाते हैं।  प्रलय में 6 मिलियन यहूदियों की मौत हो जाती है।

  जब आप 52 वर्ष के हो जाते हैं, तो कोरियाई युद्ध शुरू हो जाता है।
  जब आप 64 वर्ष के हो जाते हैं, तो वियतनाम युद्ध शुरू होता है और समाप्त होता है जब आप 75 वर्ष के होते हैं।

  1985 में पैदा हुए एक बच्चे को लगता है कि उसके दादा-दादी को पता नहीं है कि जीवन कितना कठिन है, लेकिन वे कई युद्धों और आपदाओं से बचे रहे।

  एक नई महामारी के बीच आज हमारे पास एक नई दुनिया में सभी सुख-सुविधाएं हैं।  लेकिन हम शिकायत करते हैं क्योंकि हमें मास्क पहनने की जरूरत है।  हम शिकायत करते हैं क्योंकि हमें अपने घरों तक ही सीमित रहना चाहिए जहां हमारे पास भोजन, बिजली, पानी, वाईफाई, यहां तक ​​कि नेटफ्लिक्स भी हैं!  उस दिन कोई भी वापस मौजूद नहीं था।  लेकिन मानवता उन परिस्थितियों से बची रही और जीवन जीने की खुशी कभी नहीं खोई।

  हमारे परिप्रेक्ष्य में एक छोटा सा बदलाव चमत्कार पैदा कर सकता है।  हमें आभारी होना चाहिए कि हम जीवित हैं।  हमें एक-दूसरे की रक्षा और मदद करने के लिए जो कुछ भी करना चाहिए, वह करना चाहिए।

  यह संदेश सभी तक पहुंचना चाहिए।  कृपया इसे फैलाने में मेरी मदद करें।

  





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English translate
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Imagine you were born in 1900.

 When you're 14, World War I begins and ends when you're 18 with 22 million dead.

 Soon after a global pandemic, the Spanish Flu, appears, killing 50 million people. And you're alive and 20 years old.

 When you're 29 you survive the global economic crisis that started with the collapse of the New York Stock Exchange, causing inflation, unemployment and famine.

 When you're 33 years old the nazis come to power.

 When you're 39, World War II begins and ends when you're 45 years old with a 60 million dead. In the Holocaust 6 million Jews die.

 When you're 52, the Korean War begins.
 When you're 64, the Vietnam War begins and ends when you're 75.

 A child born in 1985 thinks his grandparents have no idea how difficult life is, but they have survived several wars and catastrophes.

 Today we have all the comforts in a new world, amid a new pandemic. But we complain because we need to wear masks. We complain because we must stay confined to our homes where we have food, electricity, running water, wifi, even Netflix! None of that existed back in the day. But humanity survived those circumstances and never lost their joy of living.

 A small change in our perspective can generate miracles. We should be thankful that we are alive. We should do everything we need to do to protect and help each other.

 This message should reach everyone. Please help me spread it.


Saturday, July 11, 2020

एक यात्रा माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा के संग --A Journey with Mountain Leopard Mahendra --- World's First Aircraft - Shivkar Bapuji Talpade-1864--1916 संसार का पहला विमान - शिवकर बापूजी तलपड़े -1864--1916

Ek yatra khajane ki khoje







            ये तो मुझे भी पता नहीं था कि हवाई जहाज का अविष्कार आधुनिक समय में राईट बंधुओं ने नहीं बल्कि मुंबई के शिवकर बापूजी तलपड़े ने किया था ..!
और वो भी संस्कृत में लिखित विमान शास्त्र को पढ़कर .....
संसार का पहला विमान शिवकर बापूजी तलपडे
(1864–1916) ने बनाया था जो की मुंबई के रहने वाले थे तथा Pathare Prabhu community के सदस्य
थे ...!
शिवकर जी संस्कृत व वेदों के महान ज्ञाता थे ...!
उन्होंने उस विमान का नाम ....
"मारुतसखा (मारुत
अर्थात हवा, वायु ) (सखा का अर्थ मित्र ) रखा ...!"
मारुतसखा शब्द का प्रयोग ऋग्वेद (7.92.2) में देवी सरस्वती के लिए प्रयुक्त हुआ है ! सन 1895 में उन्होंने
इस विमान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और 1500 फुट की ऊंचाई तक उड़ाया ...! 
इनकी रचना का मुख्य आधार महर्षि भारद्वाज रचित ‘विमानशास्त्र‘ था ..!
अंग्रेजी हुकूमत के कहने पर बड़ोदा के रजवाडो ने शिवकरजी की और अधिक सहायता नही की ...!
अंग्रेजों ने एक समझोते के नाम पर शिवकर जी से धोखा किया और उस विमान की रचना से सम्बंधित
समस्त दस्तावेज उनसे हथिया लिए ...! फिर क्या होना था वे दस्तावेज अमेरिका पहुंचे और Wright brothers के हाथ लग गये ....!
इसके 8 वर्ष पश्चात सन 1903 में राईट बंधुओं ने उसी प्रकार के एक विमान की
रचना की और अपने नाम से रजिस्टर करवा लिया और ढंढोरा पिटते फिरे ..!
सन 1916 में शिवकर जी की मृत्यु रहस्यमय तरीके से हो गयी ....!


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English translate
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I did not even know that the modern day airplane was not invented by the Right brothers but Shivkar Bapuji Talpade of Mumbai ..!

 And that too by reading Vimana Shastra written in Sanskrit .....

 Shivkar Bapuji Talpade, the world's first aircraft

 (1864–1916), who were residents of Mumbai and members of the Pathare Prabhu community

 Were ...!

 Shivkar ji was a great knowledgeer of Sanskrit and Vedas…!

 He named the plane ....

 "Marutsakha (Marut

 That is, air, air) (Sakha means friend) kept…! "

 The word Marutsakha is used in the Rigveda (7.92.2) for Goddess Saraswati!  In 1895, he

 Launched this aircraft successfully and flew to a height of 1500 feet ...!

 The main basis of his work was 'Vimasastra' composed by Maharishi Bharadwaj ..!

 At the behest of the British rule, Rajvado of Baroda did not help Shivkarji any more…!

 The British betrayed Shivkar ji in the name of a compromise and related to the creation of that aircraft

 Took all the documents from them ...!  Then what had to happen? Those documents reached America and the Wright brothers got their hands…!

 Eight years later, in 1903, the Wright brothers made an aircraft of the same type

 Created and got his name registered and beat the drummer ..!

 Shivkar ji died mysteriously in the year 1916 ....!


Friday, July 10, 2020

Ek yatra mountain lappord Mahendra ke sang.___ छाया सोमेश्वर

Ek yatra khajane ki khoje




      छाया सोमेश्वर
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तेलंगाना राज्य के नालगोण्डा जिले में 800 वर्ष पुराना यह शिवलिंग आज भी वैज्ञानिकों के लिये एक चुनौती हैं।
आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि अनेक स्तम्भों वाले इस मन्दिर के शिवलिंग पर पूरे दिन एक स्तंभ की छाया पीछे की दीवार पर देखी जा सकती है लेकिन यह किस स्तंभ की छाया है, इसका पता आज तक नही लगाया जा सका। 

साभार : ANCIENT HINDU


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Chhaya Someshwar

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 This 800 year old Shivling in Nalgonda district of Telangana state is still a challenge for scientists.

 You will be surprised to know that the shadow of a pillar can be seen on the back wall all day on the Shivalinga of this multi-pillared temple, but the shadow of which pillar is not known till date.


 Sincerely: ANCIENT HINDU

Tuesday, July 7, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग _7

Ek yatra khajane ki khoje




               ताम्बाखानी गुफा का रहस्य
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नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
 जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी तहखाने के नीचे बने भुलभुलैया में  राजमहल तक जाने वाले सुरंग के मुहाने की तलाश में  भुलभुलैया के अंदर भटक गए थे और गोल गोल घूम कर एक ही जगह पर वापस आ जा रहे थे। जिससे थक कर हम सभी एक जगह बैठ गये थे । और जमीन के अंदर होने से हमे ठंड भी लग रहा था इसलिए हमने आग जला ली थी ताकि ठंड से राहत मिल सके । पता है दोस्तों यही आग हमारे लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि आग के धुआं के कारण ही हमें उस रास्ते का पता चला जिससे होकर हम सभी सुरंग के मुहाने तक पहुंच सकते थे । अतः दोस्तों हम सभी जल्दी जल्दी आग को बुझा कर उस रास्ते में प्रवेश कर जाते हैं जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा था । और हम तेजी से बढ़े जा रहें थे अंदर की ओर ।हमे जल्द ही  पानी बहने की आवाज सुनाई पड़ने लगती हैं जिससे हम तेजी से उस ओर आगे बढ़ने लगते हैं  और लगभग हम सभी सौ कदम ही आगे बढ़े थे कि हमें घंटे की आवाज सुनाई पड़ने लगती है जैसे कि कोई मंदिर में घंटा बजा रहा हों । और हम उत्सुकता पूर्वक उस आगे बढ़ने लगे।  अचानक हम सभी  ठिठक कर रूक गये  क्योंकि हमारे सामने   लगभग एक सौ फुट गहरी खाई थी   और चारों ओर एक अद्भुत और अलौकिक प्रकाश का पुंज प्रस्फुटित हो रहा था  मानो न मानो दोस्तों  वह प्रकाश कहीं और से नहीं  बल्कि खाई के नीचे बने उस विशाल और चमत्कारी शिवलिंग से ही प्रस्फुटित हो रहा था और ठिक शिवलिंग के उपर के उपर एक विशाल घंटा लटक रहा था । और उस घंटे को एक पांच मुख वाला एक विशाल सर्प हिला रहा था जिस कारण घंटे से  आवाज निकल रही थी। और ठिक उसके उपर  गंगा माता अपने जल से शिवलिंग को जल अर्पण कर रही थी । बहुत ही अद्भुत नजारा था दोस्तों  । और उपर में चारों ओर बहुत सारे सुरंग बनें हुए थे और सभी के सभी सुरंग पत्थरों से बन्द था । और उनमें से एक सुरंग सबसे अद्भुत था क्योंकि उस सुरंग के उपर से ही  एक छोटी सी झरना  निकल रही थी और नीचे शिवलिंग पर गिर रही थी ।  कि अचानक तभी पंच मुखी सर्प की नजर हम पर पडती हैं और हम पर गुस्से से फुफकारने लगता है  और डर कर हम पिछे हट जाते हैं  । कि तभी पिता श्री बोलते हैं डरो मत बच्चों नागराज हमे कुछ नहीं करेंगे ।  तुम्हारे दादा जी ने हमे बताया था कि एक सर्प  शिवलिंग और और हमारे पुरखों की खजाने की रक्षा करते हैं अतः नागराज हमे कुछ नहीं करेंगे। सभी लोग शांत होकर बैठ जाओ और अपने इष्ट देव भोले बाबा जी को याद करो ।ं और हम सभी शांत होकर बैठ जाते हैं और भोले नाथ को याद करने लगते हैंं और नागराज बहुत ही तेज़ी से हमारी ओर आते हैं और हमें सुंघने लगते हैं और हम शांत चुपचाप बैठे रहे  और बारी बारी से एक-एक को सुंघने के बाद  नागराज वापस मुड़ते हैं और एक सुरंग की ओर आगे बढ़ जाते हैं और सुरंग का दरवाजा अपने आप खुल जाता है और वे उसके अंदर चलें जाते हैं और उनके अंदर जाते ही सुरंग का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता हैं  और अखिलेश खुशी से चिल्ला उठता है और बोलता है नागराज ने हमे छोड़ दिया। 





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 English translate


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Secret of Tambakhani Cave

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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.

 As friends yesterday, you read how we all wandered inside the labyrinth in search of the tunnel leading to the palace under the cellar and were turning round and coming back to the same place.  Due to which we all sat down in one place.  And being inside the ground, we were feeling cold as well, so we lit a fire so that we could get relief from the cold.  You know friends, this fire proved to be a boon for us because it was due to the smoke of the fire that we came to know the way through which we all could reach the mouth of the tunnel.  So friends, we all quickly extinguish the fire and enter the path from which smoke was coming out.  And we were moving fast inwards. We soon started to hear the sound of water flowing so that we started moving rapidly towards that and almost all of us had moved hundred steps to hear the sound of the hour.  Looks like someone is playing the bell in the temple.  And we eagerly started moving forward.  Suddenly we all stopped and stopped because there was a gap of about a hundred feet deep in front of us and a wonderful and supernatural light was being sprung up all around, as if friends, that light was not from anywhere else but that huge and miraculous under the moat.  It was emerging from the Shivling itself and a huge hour was hanging above the right Shivling.  And on that hour a huge serpent with a five face was shaking due to which the sound was coming out of the hour.  And on top of that Ganga Mata was offering water to Shiva Linga with her water.  It was a wonderful sight, friends.  And there were lots of tunnels all over, and all of them were closed with stones.  And one of those tunnels was the most amazing because a small waterfall was coming out from above that tunnel and falling on the Shivling below.  Suddenly, the Panch Mukhi snake's eye falls on us and he starts puffing at us with anger and we retreat behind fear.  That is when Father Shri says, do not be afraid, children, Nagraj will not do anything to us.  Your grandfather told us that a snake protects the Shivling and the treasures of our forefathers, so Nagraj will not do anything to us.  Let all the people sit down and remember their favorite God Bhole Baba ji. And we all sit quietly and remember Bhole Nath and Nagraj comes towards us very quickly and starts to smell us and  We sat quietly and after sniffing each other, Nagraj turned back and proceeded towards a tunnel and the door of the tunnel opened automatically and he walked in and went inside  The door of the tunnel closes by itself and Akhilesh shouts with joy and says Nagraj left us.



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  तभी पिता श्री बोलते हैं पता है बच्चों हमारी जान कैसे बची‌  और अगर कोई और होता तो अब तक यमलोक पहुच गया होता और नहीं तो नागराज का निवाला बन गया होता।  शिवलिंग की स्थापना हमारे हमारे पुरखों ने ही की थी और हर रोज शिवलिंग पूजा किया करते थे। और इन सब पुरखों में सबसे अग्रणी महिला थी हमारी परदादी जी । जिन्होंने ने अपनी प्राण शिवलिंग पर ही अर्पित कर मोक्ष को प्राप्त कर ली थी । वे बहुत ही दयालु महिला थी और कुशल प्रशासक भी जब हमारे पिता श्री छोटे थे और जब परदादा जी  एवं दादा जी दोनो  दण्डक वन की यात्रा पर गये थे तो परदादी ही राजकाज संभाली हुई थी क्योंकि वे दोनों वर्षो तक  दण्डक वन के राक्षसों का सफाया करने में बिता दिया था । और जब वे लौटे तो परदादी काफी बुढी हों गई थी और अपने अंतिम समय इन्हीं कंदराओं मे शिवलिंग की पूजा करने में बिता दी थी ।  हमारे पिता श्री बोलते थे कि हमारे परदादी मां को भगवान भोलेनाथ ने शाक्क्षात दर्शन दिए थे । और जब वे स्वर्ग को सिधार गई तो  । तो परदादा जी ने भी उसी कुटिया में अपने प्राण त्यागे थे जिसमें परदादी रहा करती थी । और फिर बाद में हमारे दादा जी ने  इन कंदराओं को हमेशा के लिए बंद कर दिया था । और तब से लेकर आज तक कोई भी नहीं आया था। और गलती से भी हमारे दुश्मन गुप्त रूप से इन कंदराओं के जरिए हम पर हमला करने की सोचते और इन गुफाओं में आते थे तो उन्हें नागराज अपना निवाला बना लेते थे।  और हम सभी लोग बातें करते करते नीचे की ओर उतरने लगे  जहां पर शिव लिंग स्थापित था । 



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English translate
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 That is when the father Shri speaks, you know how children will save our life and if someone else had reached Yamlok by now, otherwise he would have become the owner of Nagraj.  Shivling was founded by our forefathers and used to worship Shivalinga everyday.  And the foremost woman among all these ancestors was our great-grandmother.  Who had attained salvation by offering his life on Shivling itself.  She was a very kind lady and also a skilled administrator, when our father Shri was small and when great grandfather and grandfather both went to visit Dandak forest, great grandmother was in charge of the kingdom because they both wiped out the demons of Dandak forest for years.  I had spent  And when he returned, the great-grandmother had grown old and spent her last time worshiping Shiva lingam in these Kandras.  Our father Shri used to say that Lord Bholenath had given a darshan to his great-grandmother.  And when she went to heaven.  So great grandfather also gave up his life in the same hut in which great grandmother used to live.  And then later our grandfather closed these kandaras forever.  And since then no one had come.  And even by mistake, our enemies secretly thought of attacking us through these caves and used to come to these caves, then Nagraj would make them their morsels.  And we all started talking down to where Shiva Linga was installed.

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और दोस्तों जैसे ही लगभग पचास फिट नीचे उतरे होंगे कि तभी हमें वह कुटिया नजर आने लगा  जिसमें हमारी परदादी जी अपने अंतिम समय में रहा करतीं थीं । जिसे देखकर हम सभी आश्चर्य चकित रह गये ।ं और तेजी से नीचे उतरने लगे और अंततः नीचे पहुंच ही गये । सबसे पहले नीचे हम सभी ने शिवलिंग को प्रणाम किया और भगवान से आशीर्वाद मांगी की जल्द से जल्द  हमे वह सुरंग का मुहाना मिल जाए जिससे होकर हम सभी को राजमहल पहुंचना था । प्रणाम करने के बाद हम सभी  उस कुटिया की ओर प्रस्थान कर गये  जिसमें हमारी परदादी रहा करती थीं । शायद वहां से हमे कुछ सबुत मिल जाए उस चमत्कारी सुरंग का । और हम सभी चल पड़े उस ओर । दोस्तों शिवलिंग से लगभग सौ मीटर की दूरी पर थी कुटिया ।  तभी पिता श्री बोले कि हम कुटिया में पहुंच कर थोड़ी देर आराम करेंगे क्योंकि हम सब काफी थक चुके हैं । तभी राजा भाई बोलते हैं हां पिता श्री काफी थक चुके हैं  इसलिए थोड़ा आराम कर लिया जायेगा । उसके बाद हम सभी मिलकर सुरंग के मुहाने ढुंढ निकालेंगे  और राजमहल पहुंच कर मां के हाथों का बना गरमागरम स्वादिष्ट खाना खायेंगे। वाह मजा आ जायेगा। तभी टिंकू भाई बोलते हैं वाह मेरे मुंह में तो अभी से पानी आने लगा है । और हम सभी बातें करते करते कुटिया के पास पहुंच जाते हैं और हमारा आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है क्योंकि कुटिया जस के तस वैसा ही था जैसे सदियों पहले था ।  ना कुछ टुटा था और नहीं कुछ फुटा था बिल्कुल वैसा ही जैसा हमने सुना था पिता श्री बोले । और फिर पिता श्री कुटिया का दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देखकर उनके आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी ।
 


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 And friends, as soon as about fifty fit must have come down, that is when we started to see the hut in which our great-grandmother used to live in her last time.  Seeing which all of us were surprised and started coming down fast and finally reached the bottom.  First of all, we all bowed down to the Shiva lingam and sought blessings from the Lord that at the earliest we could find the mouth of the tunnel through which we all had to reach the palace.  After bowing, we all went towards the hut in which our great-grandmother lived.  Maybe from there we can get some evidence of that miraculous tunnel.  And we all walked towards that.  Friends, the hut was about a hundred meters away from Shivling.  Then the father said that after reaching the hut we will rest for a while because we are all tired.  That's when the king says brother yes, father Shree is very tired, so a little rest will be taken.  After that, we all together will find out the mouth of the tunnel and after reaching the palace will eat delicious hot food made by the mother's hands.  Wow it will be fun  That's why Tinku Bhai says, Wow, my mouth has started getting water from now on.  And we all go to the hut talking and we are not surprised because the hut was the same as it was centuries ago.  There was nothing broken or not something was exactly the same as we had heard, Father said.  And then the father opened the door of Mr. Kutia and seeing the view inside, a stream of tears flowed from his eyes.


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  क्योंकि कि दोस्तों अंदर का नजारा ही ऐसा था कि पिता श्री अपने आप को  रोने से रोक नहीं सके । और उनको रोता देखकर हम सभी भी अपने आप को रोक नहीं सके और हमारे आंखों से भी आंसुओं की धारा बहने लगी । 
धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा  ।
          
            धन्यवाद दोस्तों 





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English translate
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   Because the view inside friends was such that Father Sri could not stop himself from crying.  And seeing them weeping, we all could not stop ourselves and tears started flowing from our eyes.

 Thank you guys, I will narrate the episode tomorrow.



 Thanks guys
 ।ं

Monday, July 6, 2020

एक खतरनाक यात्रा mountain lappord Mahendra के संग भाग-6 का अगला अध्याय

Ek yatra khajane ki khoje




  • ताम्बाखानी गुफा का रहस्य

नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
  

जैसा कि दोस्तों कल आपलोगो ने पढ़ा कि कैसे हम सभी  तहखाने के अंदर मौजूद नदी को पार करके भुलभुलैया के पास पहुंच चुके थे । जहां पर हमे अपने पुरखों के द्वारा लड़े गये युद्ध की निशानी देखने को मिली ।करता बताऊं दोस्तो बहुत भयावह नजारा था यहां पर चारों ओर मानवों के कंकाल ही नज़र आ रहे थे । और हम सभी उन्हीं कंकालों के बीच से होकर हम सभी भुलभुलैया के मुहाने तक पहुंच  थे । और अब हमें इन्हीं भुलभुलईयो से होकर  सुरंग के मुहाने तक पहुंचना था ।
 पर समस्या यह थी कि अगर हम सभी इन भुलभुलइयो में भटक गये तो कभी बाहर नहीं निकल पायेंगे और हमारी कंकाले भी  इन्हीं भुलभुलईयो  में कहीं पड़ा मिलेगा।  तभी पिता श्री बोलते हैं कि कोई भी अलग अलग नहीं  नहीं होगा  हम सभी साथ साथ चलेंगे ताकि हम सभी एक दूसरे से बिछड़े नहीं।  और फिर हम सभी उस नक्शे को ध्यान से देखने लगें   जो उस  भुलभुलइयो का बना हुआ था  और उस नक्शे में हमें शिव लिंग स्पष्ट रूप से दिख रहा था  लेकिन स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि वह भुलभुलैया के किस भाग में मौजूद हैं । अतः दोस्तों हम सभी देर ना करते हुए भुलभुलैया में प्रवेश कर जाते हैं  एक अंजान  सा दिखने वाला सुरंग के मुहाने की तलाश में और उस अद्भुत शिवलिंग की खोज में जिसकी पूजा हमारे पुरखे किया करते थे ।  हम जैसे जैसे भुलभुलैया के अंदर जा रहे थे। हमारे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी  कि कहीं हम आपस में एक दूसरे से बिछड़ न जाते इसलिए हम सभी साथ साथ चल रहे थे । सबसे आगे मैं चल रहा था और सबसे पिछे राजा भाई ।  लगता है जैसे सदियों से इन गुफानुमा भुलभुलैया में कोई नहीं आया था  ।हर तरफ़ मकड़ियों का जाला और मरे हुए जानवरों के अवशेष पड़े
 हुए थे ।हम बीच बीच में नक्शा को देखते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। कि तभी हमें किसी जानवर की गुर्राने की आवाज सुनाई देती है जो तेजी से हमारी ओर बढ़ र‌ही थी ।  अतः हम सभी सावधान हो गऐ और हाथों में तलवार लेकर उस जानवर के पास आने का इंतजार करने लगे । तभी मामा श्री बोलते हैं जो भी जानवर है काफी बड़ा है और गुस्से में है  तभी अखिलेश भाई बोलते हैं कि जो भी हो  आज तो मैं उसे छोड़ने वाला नहीं हूं आज तो मैं उसका शिकार करके ही रहुंगा। अभी हम सभी बात ही कर रहे थे कि सामने से एक बहुत बड़ा  मगरमच्छ आता हुआ दिखाई पड़ा जो बहुत ही गुस्से में था और सिधे हम पर हमला करने वाला था  । लेकिन हम सब सावधान थे । जैसे ही उसने हम पर हमला किया वैसे ही अखिलेश और अजय ने उसके मुंह में जलती हुई मशाल डाल दिया । जिससे मगरमच्छ डर कर नदी की भागना शुरू कर दिया ।  बहुत ही अजीब सा मगरमच्छ था  लगभग 20फुट लम्बा और शरीर का रंग लाल था  जो इतनी अंधेरे में भी चमक रहा था ।  तभी पिता श्री बोलते हैं कि मैंने अपने जिंदगी में कभी ऐसा मगरमच्छ नहीं देखा था । अद्भुत था चलो जान बची हमारी । तभी राजा भाई बोलते हैं  देखो भाइयों मगरमच्छ जिस ओर से आया था  और उसके रेंगने से जमीन में निशान बन गया है  वह जहां से भी आया था वहां जरूर  पानी और किचड़ होगा तभी तो जमीन पर निशान बन गया है । शायद वहां पर शिव लिंग भी होगा । चलो हम इसी निशान का पिछा करते हैं हो सकता हैं शायद हम सब शिव लिंग तक पहुंच जाएं। तभी मामा जी बोलते हैं ठीक है चलो उस निशान का पिछा करते हैं और हम सभी मगरमच्छ के द्वारा बनें निशान का पिछा करते हुए आगे बढ़ने लगते हैं 





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 Secret of Tambakhani Cave


 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you mountain leopard Mahendra.




 As friends yesterday, you read how all of us had crossed the river inside the cellar and reached near the maze.  Where we got to see the sign of war fought by our forefathers. Telling friends, there was a very frightening sight here, only the skeletons of humans were seen all around.  And we all reached the mouth of the labyrinth through the same skeletons.  And now we had to reach the mouth of the tunnel through these same faults.

 But the problem was that if all of us wandered in these forgetfulness, we would never get out and our skeletons would also be found somewhere in these forgetfulness.  Then Father Shri says that no one will be different, we will all walk together so that we are not separated from each other.  And then we all start to look carefully at the map which was made of that forgetfulness and in that map we could clearly see the Shiva Linga but it was not clear in which part of the forgetfulness it is present.  So friends, all of us, without delay, enter the labyrinth in search of a strange looking tunnel and in search of the wonderful Shivalinga that our ancestors worshiped.  As we were going inside the labyrinth.  Our heartbeat was increasing so that we would not get separated from each other, so we were all walking together.  At the forefront, I was walking and the last king brother.  It seems as if no one has come to these cave maze for centuries. The spider web and the remains of dead animals are everywhere.

 We were moving forward looking at the map in between.  That is when we hear the growling of an animal that was fast moving towards us.  So we all became cautious and started waiting for the animal to come to us with a sword in our hands.  Then uncle Mama speaks whatever animal is very big and angry, then brother Akhilesh says that whatever happens today, I am not going to leave him, today I will remain hunting him.  All of us were just talking that a huge crocodile was seen coming from the front, which was very angry and was going to attack us directly.  But we were all careful.  Akhilesh and Ajay put a burning torch in his mouth as soon as he attacked us.  Due to which the crocodile started running away from the river.  There was a very strange crocodile about 20 feet long and the body color was red, which was shining even in such darkness.  Then Father Shri says that I had never seen such a crocodile in my life.  Our life was amazing.  That is why the king says that brother, look at the brothers from which the crocodile came and because of its crawling, there has been a scar in the ground, wherever it came from, there will definitely be water and mud.  Perhaps there will also be a Shiva Linga.  Let us follow this trail, maybe we all reach the Shiva linga.  That's when Mama ji says, okay let's follow that trail and we all start following the trail made by crocodiles.



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 अभी हम सभी थोड़ी दूर ही आगे बढ़े थे कि हमें  कल कल बहते हुए पानी की आवाज सुनाई देने लगती हैं  जिससे हम सभी उत्सुकता पूर्वक तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं  और अचानक आगे रास्ता बंद हो जाता है और हम सभी सर पकड़ कर बैठ जाते हैं  क्योंकि पानी बहने की आवाज दिवाल के उस पार से आ रही थी । अब हमें वापस वहीं पर जाना होगा जहां से हम चले थे । थोड़ी देर आराम करने के बाद हम सभी वापस वहीं लौट आए जहां पर हमारा मगरमच्छ से मुठभेड़ हुआ था ।   और हम सभी चारों ओर देखने लगें की अब क्या किया जाए क्योंकि हम सभी बीचों-बीच खड़े  और हमारे चारों ओर  दस रास्ते बनें हुए थे  जिसमें से एक रास्ता वह था  जिससे हम अंदर आये थे लेकिन वह कौन सा था हमे पता नहीं चल पा रहा था । यानी हम सभी इन भुलभुलइयो के जाल में फस चुके थे।  अतः हम सभी परेशान होकर वहीं पर बैठ जाते हैं   चुकी गुफा के अंदर काफी ठंड लग रही थी इसलिए हमने सोचा क्यो नहीं आग जला लिया जाए ताकि ठंड से राहत मिल सके ।    हम सोच ही रहें थे कि तभी अजय और अखिलेश लकड़ियों का गट्ठर लेकर आ जाते हैं तभी पिता श्री बोलते तुम्हें लकड़ियां कहा मिल गई । पिता श्री काफी लकड़ियां पड़
 हुई हैं पास में वही से उठाकर ले आये है। काफी ठंड लग रही है पहले आग जलाते हैं और फिर बाद में ठंडे दिमाग से सोचते हैं बाहर कैसे निकला जाए। और फिर आग जला लिया जाता है और हम सभी आग के चारों ओर बैठ जाते हैं जिससे हमें ठंड से राहत मिलने लगती है । तभी हम सभी एक साथ खुशी से उछल पड़ते हैं और एक साथ बोलते हैं मिल गया रास्ता  सुरंग के मुहाने तक पहुंचने का  और बाहर निकलने का  तभी पिता श्री बोलते हैं कैसे?   



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English translate


All of us had just moved a little further that we could hear the sound of running water from yesterday, due to which we all started moving eagerly fast and suddenly the path closed and we all sat down holding our heads.  Because the sound of flowing water was coming from the other side of the wall.  Now we have to go back to where we went.  After resting for a while, we all returned back to where we had encountered the crocodile.  And let us all start to see what to do now because we were all standing in the middle and there were ten paths around us, out of which one way was the one we came in but which was it we could not know.  Was.  That is, all of us had fallen into the trap of these forgetfulness.  So we all sit there after getting upset and it was very cold inside the cave, so we thought that the fire should not be lit to get relief from the cold.  We were thinking that only when Ajay and Akhilesh bring a bundle of wood, when you speak father, you have been told to say wood.  Father mr

 She has got her picked up nearby.  It is quite cold, first let's light a fire and then later think with a cool mind how to get out.  And then the fire is lit and we all sit around the fire, which gives us relief from the cold.  That is when we all jump together happily and speak together, we have found a way to reach the mouth of the tunnel and get out only then how does Father Shri speak?




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  चलिए पिता श्री सबसे पहले मैं नक्शा दिखात हूं। इस नक्शा में आपको कुछ असाधारण सा कुछ दिख रहा है  नहीं ना लेकिन मुझे दिख रहा है   हम सभी अभी जहां बैठे हैं वह जगह नक्शा में यहां पर हैं  देखिए इसके चारों ओर दस रास्ते हैं और हम यहां बीचों-बीच बैठे हुए हैं और बनें इन दो रास्तों में असाधारण रूप से तीर के निशान इस तरह बनें हुए हैं  जैसे हबा बह रही हों । और अभी देखिए  आग जलाने से जो धुआं उठ रहा है     वह   इस रास्ते से बाहर निकल रहा है और ठिक उसके सामने वाले रास्ते से हवा आ रही है और आग की लपटों को उस रास्ते की ओर धकेल रही हैं जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा है  और हम सभी खुशी से झूम उठे । और देर ना करते हुए  सबसे पहले उन दोनों रास्तों पर  चिन्ह बना दिया जिस ओर हवा आ रही थी और जिस रास्ते हवा निकल रही थी । उसके बाद जल्दी जल्दी हमने आग बुझाई और चल पड़े उस रास्ते पर जिस ओर से धुआं बाहर निकल रहा था। सुरंग की मुहाने और शिव लिंग की खोज में। 






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  English translate                               


Let me be the father, first I show the map.  In this map you don't see anything extraordinary, but I can see that where we all are sitting, the place is here in the map. See there are ten ways around it and we are sitting here in the middle and become  The two paths are exceptionally made of arrow marks as if the haba is flowing.  And now see that the smoke coming out of the fire is coming out of this path and the wind is coming out of the path in front of it and pushing the flames towards the way from which the smoke is coming out  And we all woke up happily.  And while not delaying, first of all, made a sign on both the paths where the wind was coming and the way the air was coming out.  After that we quickly extinguished the fire and walked on the path from which smoke was coming out.  In search of the mouth of the tunnel and the Shiva Linga.



 धन्यवाद दोस्तों आगे कि वृतांत मैं कल सुनाऊंगा क्योंकि आगे कहानी में   काफी रोमांचक पल आने वाला है।


           धन्यवाद दोस्तों
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English translate
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Thank you guys, I will narrate the incident tomorrow because a very exciting moment is coming in the story ahead.



 Thanks guys

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 ््व््व््व््व ह










 



                      

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...