Friday, April 16, 2021

अद्भुत अलौकिक बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर तमिल नाडु भारत. Amazing supernatural Brihadeeswarar temple Thanjavur Tamil Nadu India.

Ek yatra khajane ki khoje






























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एक बहुत ही अद्भुत और अलौकिक मंदिर की यात्रा पर जो अपने अद्भुत वास्तुकला और शायद विश्व में सबसे अनोखे ग्रेनाइट पत्थरों से बने इस मंदिर की यात्रा पर जिसे हम सभी बृहदेश्वर मंदिर  के नाम से जानते हैं।


           बृहदेश्वर मंदिर

       तंजावुर तमिलनाडु

             भारतवर्ष




 नमस्कार दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान शिव को समर्पित तमिलनाडु के बृहदेश्वर मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है।साथ ही साथ दोस्तों आश्चर्य करने की बात यह है कि पूरे संसार में मंदिर अपनी तरह का एक मंदिर है जो कि सबसे कठोर पत्थर ग्रेनाइट से बना हुआ है जिस पर नक्काशी करना ही अपने आप में अद्भुत है क्योंकि पूरा का पूरा मंदिर ग्रेनाइट से बना हुआ है जो हमें आश्चर्य में डाल देता है।

            दोस्तों माना जाता है कि इजिप्ट के पिरामिडों के रहस्यों का उजागर तो किया जा सकता है लेकिन अपने भारत के तंजावुर शहर के इस महान बृहदेश्वर मंदिर के रहस्य को उजागर करना असंभव है।
                 दोस्तों अपने विशिष्ट वास्तुकला के लिए यह मंदिर जाना जाता है दोस्तों 130000 टन ग्रेनाइट पत्थरों से इसका निर्माण किया गया है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ग्रेनाइट पत्थर इस इलाके के आसपास भी नहीं पाया जाता है और यह रहस्य आज तक रहस्य ही बना हुआ है कि इतनी भारी मात्रा में ग्रेनाइट पत्थर लाया कहां से गया था। दोस्तों उस जमाने में वास्तुकारो  ने बहुत ही सोच समझ कर इस मंदिर का निर्माण किया होगा। साथ ही दोस्तों इस मंदिर की दुर्ग की ऊंचाई भी संसार में सर्वाधिक है।









दोस्तों तंजावुर का पेरिया कोविल यानी बड़ा मंदिर विशाल दीवारों से घिरा हुआ है ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि इस मंदिर की नींव 16वीं शताब्दी में रखी गई थी। दोस्तों इस मंदिर की ऊंचाई 216 फुट है और दोस्तों संभवत यह संसार का सबसे ऊंचा मंदिर है जो पूर्ण रूप से ग्रेनाइट पत्थरों से बना हुआ है।दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से मंदिर का कलश जो कि सबसे ऊपर स्थापित है केवल एक ही ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर बनाया गया है जो कि उस काल में असंभव था और आज के आधुनिक युग में भी असंभव है। दोस्तों इस कलश का वजन 80 टन है और दोस्तों साथ ही साथ प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी बाबा की मूर्ति जो कि 16 फुट लंबी और 13 फुट ऊंची है एक ही ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर बनाई गई है।

            दोस्तों आज से हजारों वर्ष पूर्व 80 टन का पत्थर मंदिर के ऊपर कैसे चढ़ाया गया होगा यह भी एक अनसुलझा रहस्य ही है।साथ ही साथ दोस्तों ग्रेनाइट पत्थर की खदानें जो कि मंदिर के 100 किलोमीटर की दूरी के क्षेत्र में कहीं भी मौजूद नहीं है दोस्तों यह रहस्य तो है ही साथ ही साथ यह भी हैरानी की बात है कि ग्रेनाइट पत्थर के ऊपर नक्काशी करना ही बहुत कठिन है क्योंकि आज के आधुनिक युग में भी मशीनों से ही बड़ी कठिनाई से ग्रेनाइट के पत्थरों पर नक्काशी की जाती है।












दोस्तों बृहदेश्वर मंदिर को पेरूवुदईयार कोविल , तंजई पेरिया कोविल  व राजाराजेश्वरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों इस मंदिर की एक और विशेषता यह है कि गोपुरम की छाया जमीन पर पढ़ती ही नहीं है।दोस्तों पिरामिड कि वह आकृति जो दक्षिण भारत के मंदिरों के मुख्य द्वार पर स्थित होता है उसे ही गोपुरम के नाम से जाना जाता है।दोस्तों मंदिर के अंदर स्थित भित्ति चित्रों में से एक जिसमें भगवान शिव असुरों के किलो का विनाश कर नृत्य कर रहे हैं बहुत ही सुंदर ढंग से चित्रित किया गया है और इसी भित्ति चित्र में भगवान शिव एक  श्रद्धालु को स्वर्ग पहुंचाने के लिए एक सफेद हाथी भेज रहे हैं जो बहुत ही अद्भुत है दोस्तों बहुत ही सुंदर तरीके से इन चित्रों को ग्रेनाइट के पत्थरों पर उकेरा गया है। दोस्तों ये  भित्ति चित्र उस जमाने के बहुत ही उन्नत तकनीक को दर्शाते हैं।
          दोस्तों बहुत ही आश्चर्य होता है हमें यह देखकर कि उस जमाने में हमारे पूर्वज ना जाने किस उच्च तकनीक का प्रयोग करते थे जिसे शायद ही हम कभी जान पाएंगे। 








          धन्यवाद दोस्तों

    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗



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         English translate
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 Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey of a very amazing and supernatural temple which is known for its amazing architecture and perhaps the most unique granite stones in the world, which we all know as Brihadeeswarar Temple.  .



 Brihadeeswarar Temple


 Thanjavur Tamil Nadu


 India





 Namaskar Friends, you will be surprised to know that the Brihadeeswarar Temple in Tamil Nadu dedicated to Lord Shiva is completely built of granite stones. At the same time, it is a surprise to the friends that the temple is one of its kind in the whole world which is the hardest stone.  It is amazing to carve on granite itself because the whole temple is made of granite which makes us wonder.


 Friends, it is believed that the secrets of the Egyptian pyramids can be revealed, but it is impossible to uncover the secret of this great Brihadeeswarar temple in Thanjavur city of India.

 Friends, this temple is known for its distinctive architecture. Friends, it has been constructed with 130000 tons of granite stones but surprisingly, granite stone is not found even around this area and this mystery remains a mystery till date.  Where did that huge quantity of granite stone go from?  Friends, the architects must have built this temple very thoughtfully in those days.  Also, friends, the height of the fort of this temple is also the highest in the world.












 Friends, Periya Kovil ie large temple of Thanjavur is surrounded by huge walls. Historical sources suggest that the foundation of this temple was laid in the 16th century.  Friends, the height of this temple is 216 feet and friends it is probably the tallest temple in the world which is completely made of granite stones.  Has been created which was impossible in that period and is impossible even in today's modern era.  Friends, this urn weighs 80 tons and friends as well as the statue of Nandi Baba situated at the entrance which is 16 feet long and 13 feet high is made by carving the same granite stone.







 Friends, how the 80-ton stone was mounted on the temple thousands of years ago is also an unsolved mystery, as well as friends granite stone quarries which do not exist anywhere in the area of ​​100 kilometers of the temple.  It is a mystery as well as it is surprising that it is very difficult to carve on granite stone because in today's modern era, it is very difficult to carve granite stones with machines.









 Friends Brihadeeswarar Temple is also known as Peruvudaiyar Kovil, Tanjai Periya Kovil and Rajarajeshwaram Temple.  Friends, another feature of this temple is that the shadow of Gopuram does not read on the ground. The shape of the two pyramids which is situated at the main gate of the temples of South India is known as Gopuram.  One of the murals inside which Lord Shiva is dancing to destroy the kilos of Asuras is depicted very beautifully and in this mural, Lord Shiva is sending a white elephant to bring a devotee to heaven who is  It is very amazing friends. These pictures are engraved on granite stones in a very beautiful way.  Friends, these murals depict the very advanced technology of that era.

 Friends, we are very surprised to see that in those days our ancestors used to know which high technology we would hardly know.










 Thanks guys


 Mountain Leopard             Mahendra 🧗🧗














  

Wednesday, April 14, 2021

अद्भुत अलौकिक उनाकोटी की यात्रा जो अपने प्राचीन शैल चित्रों व पत्थरों पर बने अलौकिक एवं अद्भुत मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है - उनाकोटी त्रिपुरा भारत Visit to the amazing supernatural Unakoti, which is world famous for its ancient rock paintings and supernatural and amazing sculptures made on stones - Unakoti Tripura India.

Ek yatra khajane ki khoje
























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   नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर आपको लेकर चल रहा हूं उनाकोटी , त्रिपुरा जहां दोस्तों आप देखोगे अलौकिक और अद्भुत लाखो वर्ष पूर्व बने चट्टानों पर उकेरे गए रहस्यमई और अलौकिक मूर्तियों को। 
               दोस्तों संकीर्ण पागडंडियो , दूरदराज फैले घने जंगलों और प्राचीन  रॉक मूर्तियों से भरा यह स्थान काफी प्राचीन और रहस्यो से भरपूर है दोस्तों यहां आपको ऐसी शानदार कलात्मक और अलग-अलग तरह के शैल चित्रों को देखने का अनुभव प्राप्त होगा जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।










   उनाकोटी की प्राचीन मूर्तियां

             त्रिपुरा

           भारतवर्ष


  नमस्कार दोस्तों उनाकोटी जोकि त्रिपुरा के घने जंगलों में मौजूद है दोस्तों यहीं पर मौजूद है पहाड़ों और चट्टानों को काटकर बनाए गए रहस्यमई और अलौकिक भगवान शिव एवं समस्त देवी देवताओं की मूर्तियां।
       दोस्तों आश्चर्यजनक रूप से एक या हजारों भी नहीं बल्कि एक करोड़ मूर्तियां मौजूद है यहां पर। दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि आज तक इन मूर्तियों का लिखित इतिहास नहीं मिल पाया है कि इन मूर्तियों को किसने बनाया और कब बनाया था ? आज भी रहस्य बना हुआ है दोस्तों माना जाता है कि इन मूर्तियों का निर्माण लाखो वर्ष पूर्व किया गया था। लेकिन दोस्तों आश्चर्य करने वाली बात यह है कि जब ईसा पूर्व मनुष्य की इतनी उन्नत सभ्यता मौजूद नहीं थी तो लाखों वर्ष पूर्व इन मूर्तियों का निर्माण किसने किया था।क्योंकि दोस्तों आज के वर्तमान युग में भी शायद हम अत्याधुनिक मशीनों की मदद से भी इन जैसी मूर्तियों का निर्माण नहीं कर सकते हैं।













दोस्तों पुरातात्विक खोजों के आधार पर कहा गया है कि इन मूर्तियों में से केवल एक मूर्ति कम है एक करोड़ की संख्या को प्राप्त करने में , शायद इसी कारण से इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है।लेकिन दोस्तों स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर पूरे एक करोड़ देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद है जिनमें से एक मूर्ति अद्भुत रूप से अलौकिक और रहस्यमई है जो हमें खुली आंखों से दिखाई नहीं देती है जो कहीं इन्हीं पहाड़ियों में अति गुप्त रूप से मौजूद है जिसे खोजा जाना अभी बाकी है।

          दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक करोड़ मूर्तियों का यह परिवार केवल भारत में ही नहीं बल्कि  मंगोलिया , रूस व अमेरिका तक में फैला हुआ है जो अलग-अलग नामों एवं पहचान के साथ मौजूद है। लेकिन दोस्तों उनाकोटी की बात ही कुछ और है अद्भुत अलौकिक और हमारे पूर्वजों की अनमोल धरोहर है।














   दोस्तों आप सभी यहां की यात्रा बहुत ही आसानी से कर सकते हो रेल मार्ग , वायु मार्ग एवं सड़क मार्ग के द्वारा - त्रिपुरा का उनाकोटि शहर अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जाना जाता है। दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई और कोलकाता से इसकी दूरी क्रमशः 2,303, 3,373, 3,149 और 1,427 किमी की दूरी पर स्थित है। परिवहन के तीनों तरीके से आप यहां पहुंच सकते है।
 








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हवाई मार्ग - उनाकोटि का निकटतम हवाई अड्डा अगरतल्ला एयरपोर्ट है। इसे महाराज बीर बिकम एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह एयरपोर्ट साल 1942 में बनाया गया था अब यह उत्तर पूर्व राज्यों का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। यह AAI ( भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) के प्रशासन के अधीन है। यहां उतरने के बाद आप सार्वजनिक परिवहन लेकर आगे की यात्रा कर सकते है।
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दिल्ली - दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा से एयर इंडिगो, स्पाइस जेट, इंडिगो और विस्तारा के विमान ले सकते हैं। प्रति व्यक्ति तक़रीबन 7,000 रुपये









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मुंबई - मुंबई एयरपोर्ट से गो एयर, स्पाइस जेट, एयर इंडिया की विमानें उपलब्ध हैं। प्रति व्यक्ति किराया 14,000 रूपये के करीब है। 
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कोलकाता - नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय  एयरपोर्ट से करीब 9,000 रूपये खर्च करके आप स्पाइस जेट, एयर इंडिया, गो एयर के विमानों के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
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मदुरै -  मदुरै एयरपोर्ट से एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट की विमानें उपलब्ध है। किराया करीब 19,000 रुपये।





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रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन अगरतल्ला रेलवे स्टेशन है। यह 2008 में बनाया गया था और 2016 में इसका पुनर्निर्माण भी किया गया था। गुवाहाटी के बाद, यह उत्तर पूर्व भारत में दूसरा रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से गंतव्य तक पहुंचने के लिए आप सार्वजनिक परिवहन ले सकते है। 
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दिल्ली स्टेशन से अगरतल्ला तक - ANVT-AGTL राजधानी एक्सप्रेस, त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस
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बैंगलुरू कैंट से अगरतल्ला तक - BNC-AGTL हमसफर एक्सप्रेस
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कोलकाता स्टेशन से अगरतल्ला तक - कंचनजंगा एक्सप्रेस सियालदाह स्टेशन से खुलती है।







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सड़क मार्ग- यदि आप पास में रहते है तो सड़क मार्ग चुन सकते है। आप अपनी टैक्सी के माध्यम से आप अपनी यात्रा कर सकते है। देखिये, सड़क मार्ग द्वारा अलग-अलग जगहों से आप यहां कैसे पहुंच सकते है। 
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सिलचर- 160 किमी NH 37 and NH 8
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हाईलाकांदी - 126 किमी कमलपुरा- कुमारघाट रोड 
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शिलांग - 325 किमी NH 6 या NH 8







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इम्मफाल - 414 किमी NH 37 or NH 8
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अगरतल्ला - 126 किमी करमपुर- कुमारघाट रोड
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           धन्यवाद दोस्तों

   महेंद्रा माउंटेन लैपर्ड 🧗🧗

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       English translate
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 Ek yatra khajane ki khoje




















 Hello friends I heartily greet all of you mountain leopard Mahendra friends. Today I am taking you on a journey to Unakoti, Tripura where friends you will see the supernatural and supernatural and supernatural statues carved on rocks made millions of years ago.

 Friends, this place full of narrow footpaths, remote remote forests and ancient rock sculptures, is quite ancient and full of secrets, friends here you will get to experience such magnificent artistic and different types of rock paintings that you would not have even imagined.  .




 Ancient sculptures of Unakoti


 Tripura


 India









 Namaskar Friends, Unakoti, which is present in the dense forests of Tripura, is present here friends. The statues of the mysterious and supernatural God Shiva and all the Gods and Goddesses created by cutting of mountains and rocks.

 Friends, surprisingly not one or even thousands but one crore idols are present here.  Friends, the surprising thing is that till date the written history of these idols has not been found who made these idols and when was they made?  Even today the mystery remains, friends, it is believed that these idols were built millions of years ago.  But friends, the surprising thing is that when the human beings did not have such advanced civilization before BC, then who built these idols millions of years ago, because friends, even in the present age, perhaps even with the help of cutting-edge machines like these  Can not build idols.
















 Friends, based on archaeological discoveries, it has been said that only one of these idols is less in number to achieve the number of crores, probably for this reason the place is named Unakoti. But friends believe that the locals here  There are statues of one crore Gods and Goddesses, one of which is wonderfully supernatural and mysterious, which is not visible to us with open eyes, which is very secretly present in these hills which is yet to be discovered.


 Friends, you will be surprised to know that this family of one crore idols is spread not only in India but also in Mongolia, Russia and America which exists with different names and identities.  But friends, Unakoti is something more amazing, supernatural and is a precious heritage of our ancestors.


 Friends, all of you can travel here very easily by rail, air and road - Unakoti city of Tripura is known for its beauty and peace.  It is situated at a distance of 2,303, 3,373, 3,149 and 1,427 km respectively from Delhi, Bangalore, Mumbai and Kolkata.  You can reach here by all three modes of transport.









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 By Air - The nearest airport to Unakoti is Agartala Airport.  It is also known as Maharaj Bir Bikam Airport.  This airport was built in the year 1942 and is now the second busiest airport in the North East states.  It is under the administration of AAI (Airports Authority of India).  After landing here, you can travel further by taking public transport.

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 Delhi - Indira Gandhi International Airport of Delhi can take Air Indigo, Spice Jet, Indigo and Vistara aircraft.  About 7,000 rupees per person

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 Go Air, Spice Jet, Air India flights are available from Mumbai - Mumbai Airport.  The per capita rent is close to Rs 14,000.











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 Kolkata - By spending around Rs 9,000 from Netaji Subhash Chandra Bose International Airport, you can reach via Spice Jet, Air India, Go Air planes.

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 Madurai - Air India, IndiGo, Spice Jet flights are available from Madurai Airport.  Rent is around 19,000 rupees.

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 Rail route - Nearest railway station is Agartalla railway station.  It was built in 2008 and was also rebuilt in 2016.  After Guwahati, it is the second railway station in North East India.  You can take public transport to reach the destination from the station.










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 Delhi Station to Agartala - ANVT-AGTL Rajdhani Express, Tripura Sundari Express

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 Bangalore Cantt to Agartala - BNC-AGTL Humsafar Express

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 From Kolkata station to Agartala - Kanchenjunga Express opens from Sealdah station.

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 By Road - If you live nearby, you can choose the road.  You can make your journey through your taxi.  See, how you can reach here from different places by road.

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 Silchar - 160 km NH 37 and NH 8

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 Highlakandi - 126 km Kamalpura - Kumarghat Road









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 Shillong - 325 km NH 6 or NH 8

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 Imphal - 414 km NH 37 or NH 8

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 Agartala - 126 km Karampur - Kumarghat Road

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 Thanks guys


 Mahendra Mountain            Leopard 🧗🧗










   विश्व की अन्य मूर्तियां जो हो सकती है कि वे सभी उनाकोटी से संबंधित हो।
 Other sculptures of the world that may all belong to Unakoti.

    







      Mountain leopard Mahendra 🧗🧗






 


Monday, April 12, 2021

एक यात्रा एशिया के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो तमिलनाडु के महाबलीपुरम में स्थित है - तमिलनाडु महाबलीपुरम भारत

Ek yatra khajane ki khoje



















         एशिया का अति प्राचीन प्रकाश स्तंभ  व भगवान शिव  का प्राचीन मंदिर

 Asia's ancient lighthouse and ancient temple of Lord Shiva
















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं एशिया महादेश के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभ की जो अपने अद्भुत वास्तुशैली और बनावट के लिए विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है।



        ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर 
        ( प्राचीन प्रकाश स्तंभ  )

      महाबलिपुरम , तमिलनाडु

                भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों यह एक विशाल ग्रे - सफेद , ग्रेनाइट चट्टान से बने महिषासुरमर्दिनी मंडप के शीर्ष पर एक अविश्वसनीय व अलौकिक रूप से रहस्यमई इमारत है।दोस्तों ऐतिहासिक दस्तावेजों के अध्ययन से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 1391 वर्ष पहले पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा निर्मित करवाया गया था। दोस्तों मशहूर महिषासुरमर्दिनी रॉक कट चट्टानी गुफा के ऊपर बना यह मंदिर यानी प्रकाश स्तंभ भगवान शिव को समर्पित है जो ओल्क्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।दोस्तों यह अति प्राचीन मंदिर प्रकाश स्तंभ के रूप में भी जाना जाता था , जो समुंद्र में नाविकों को मार्गदर्शन करता था।








 महिषासुरमर्दिनी मंडप  -  दोस्तों यह एक रॉक कट गुफा मंंदिर है जिसेे यमपुरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। जो मामल्लपुरम  जिसे हम महाबलीपुरम केेेे नाम से भी जानते हैं , मे मौजूद है। यह तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर के दक्षिण में मौजूद एक छोटा सा समुद्र तटीय  गांव है। और यहीं पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ।


         
 अति प्राचीन रॉक कट गुफा मंदिर जो माता महिषासुर मर्दिनी को समर्पित है।
 The ancient rock cut cave temple dedicated to Mata Mahishasura Mardini.




दोस्तों यह प्राचीन मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर  स्थल स्मारकों के समूहों का एक हिस्सा है। दोस्तों इस गुफा को पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन महामाला जो कि 630 से 668 ईसवी में इस क्षेत्र में शासन करते थे के समय का बताया जाता है। और माना जाता है कि इन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम भी रखा गया था।दोस्तों गुफा की वास्तुकला को उन महान धार्मिक विषयों की निरंतरता भी कहा जाता है जो आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम भारत में उकेरे गए थे। साथ ही साथ दोस्तों गुफा अपने स्तंभों में वास्तुकला की एक संक्रमणकालीन शैली को भी दर्शाती है जो गुफा के अंदर की दीवारों पर उकेरे गए शेर और अन्य भित्ति चित्रों के रूप में मौजूद हैं जो पल्लव राजाओं महेंद्रवर्मन और नरसिंह वर्मन के शासनकाल के दौरान विकसित हुई थी , जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था। दोस्तों इस शैली को मामल्ला के बेटे परमेश्वर वर्मन प्रथम ने जारी किया था।दोस्तों पुरातात्विक और ऐतिहासिक शोधों ने प्रमाणित किया है कि महाबलीपुरम शहर की स्थापना तब की गई थी जब इसका नाम मामल्ला के नाम पर रखा गया था। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोतों के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्ष 650 ईसवी के दौरान ही इन गुफाओं व रथो का निर्माण किया गया था।












 दोस्तों आप देख सकते हो कि महिषासुरमर्दिनी मंडप महाबलीपुरम शहर के एक पहाड़ी श्रृंखला के ऊपर मौजूद है जो कोरोमंडल तट के बंगाल की खाड़ी यानी हिंद महासागर के तट पर मौजूद है।दोस्तों या चेन्नई शहर से 5 किलोमीटर दूर और चिंगलपेट से लगभग 32 किलोमीटर दूर है और दोस्तों यही पर मौजूद है एशिया का सबसे प्राचीन प्रकाश स्तंभ जिसे ओलक्कन्नेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों यह अद्भुत है , अलौकिक है और अकल्पनीय है ।दोस्तों मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपने पूर्वजों के बारे में दो शब्द कहूं वे  अद्भुत थे।


              धन्यवाद दोस्तों
    माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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      English translate
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 माता महिषासुर मर्दिनी के द्वारा महिषासुर का वध करते हुए अति प्राचीन रॉक भित्तिचित्र
 Very ancient rock graffiti slaying Mahishasura by Mata Mahishasura Mardini











   Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra, Friends, today I am taking you on the journey of the oldest lighthouse of Asia continent which holds its own unique place in the world for its amazing architecture and design.









 Olkkaneshwar Temple

 (Ancient lighthouse)


 Mahabalipuram, Tamil Nadu


 India


 Hello friends This is an incredible and supernaturally mysterious building on top of the Mahishasuramardini pavilion made of a huge gray-white, granite rock. The study of two historical documents shows that the temple was built 1391 years ago by the Pallava king Mahendra Varman I  Was built by  Friends, this temple built on top of the famous Mahishasuramardini rock cut rock cave is dedicated to Lord Shiva which is famous as Olakkanneshwar Temple. Friends, this ancient temple was also known as Lighthouse, which guides the sailors in the sea.  used to do.




 रॉक कट गुफा के अंदर मौजूद अति प्राचीन भित्ति चित्र
 Very ancient murals inside the rock cut cave
 











 Mahishasuramardini Mandap - Friends, this is a rock cut cave temple also known as Yampuri.  It is situated on a hill.  Which is present in Mamallapuram which we also know as Mahabalipuram.  It is a small seaside village in the south of Chennai city of Tamil Nadu state.  And it is here that Asia's oldest lighthouse.








 Friends, this ancient temple is a part of the UNESCO World Heritage Site monument groups.  Friends, this cave is said to be from the time of King Narasimhavarman Mahamala of Pallava dynasty who ruled the region from 630 to 668 AD.  And it is believed that the city was also named after them. The architecture of the two caves is also said to be a continuation of the great religious themes that were wonderfully carved in western India.  At the same time, the Friends cave depicts in its pillars a transitional style of architecture that exists in the form of lions and other murals carved on the walls inside the cave which flourished during the reigns of the Pallava kings Mahendravarman and Narasimha Varman.  , Also known as Mamalla.  Friends, this style was issued by Mamalla's son Parmeshwar Varman I. Two archaeological and historical researches have attested that the city of Mahabalipuram was founded when it was named after Mamalla.  Friends, based on historical sources, it can be said that these caves and chariots were built only during the year 650 AD.





   गुफा के अंदर मौजूद भगवान विष्णु की शेष शैया पर सोते हुए अवस्था में अद्भुत भित्ति चित्र।
 Amazing murals in the sleeping state of Lord Vishnu resting inside the cave while sleeping.
 













 Friends, you can see that the Mahishasuramardini Mandapa is situated atop a hill range in the city of Mahabalipuram which is situated on the Bay of Bengal ie Indian Ocean off the Coromandel coast. 5 km from Friends or Chennai city and about 32 km from Chinglepet  And friends, it is here that Asia's oldest lighthouse, also known as Olakkaneshwar temple.  Friends, this is wonderful, supernatural and unimaginable. Friends, I have no words to say two words about my ancestors. They were amazing.








      Thanks guys

 Mountain Leopard              Mahendra 🧗🧗




    





Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...