Tuesday, March 23, 2021

एक यात्रा प्राचीन तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर की - गोवा भारत। A Visit to the Ancient Tambari Surla Mahadev Temple - Goa India.

Ek yatra khajane ki khoje




















                          तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर
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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लेपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं बहुत ही  सुंदर और अद्भुत अलौकिक वास्तुकला से परिपूर्ण उस जमाने की अति प्राचीन भगवान शिव की मंदिर की यात्रा पर। जो हमारे बहुत ही खूबसूरत छोटे से राज्य गोवा में स्थित है।  













          तांबडी सुरला महादेव मंदिर

                      गोवा
      
                    भारतवर्ष

 नमस्कार दोस्तों अति प्राचीन तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोस्तों भगवान भोलेनाथ का यह प्राचीन मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है।दोस्तों यह प्राचीन मंदिर अपने अद्भुत और अनूठी वास्तुशैली के लिए काफी प्रसिद्ध है जो गोवा में घूमने के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।दोस्तों 12 वीं शताब्दी के दौरान निर्मित किया गया यह मंदिर कंदब यादव वंश की वास्तुकला शैली का एकमात्र स्मारक है। दोस्तों मंदिर के निर्माण काल के समय है इन क्षेत्रों पर कंदब वंश का शासन था। दोस्तों कदंब वंश के शासकों ने ही अपने आराध्य देव भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।










दोस्तों मंदिर के इतिहास को खंगालने पर पता चलता है कि मंदिर को  बेसाल्ट पत्थरों से कंदब शैली में बनाया गया था। जो दक्कन के पठार के पहाड़ों के ऊपर स्थित है।दोस्तों गोवा में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर कंधार वंश की वास्तुकला शैली की एकमात्र निशानी है ।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गोवा में पहले प्राचीन मंदिरों की संख्या बहुत अधिक थी , लेकिन दोस्तों बाहरी क्रूर मुस्लिम शासकों एवं पुर्तगाली शासकों ने लगभग सभी भव्य तथा पौराणिक मंदिरों को नष्ट कर दिया था। दोस्तों यह एक मात्र ऐसा भगवान शिव का मंदिर है जो बाहरी आक्रमणों से अछूता बच गया था। क्योंकि बाहरी आक्रमणकारियों को इस जगह के बारे में पता ही नहीं चल पाया था क्योंकि यह उस जमाने में घने जंगलों के बीच स्थित दक्कन पठार के पहाड़ों के ऊपर बना हुआ है जहां पहुंचना आज भी बहुत ही कठिन है। जिस कारण से क्रूर मुस्लिम आक्रमणकारी   यहां तक पहुंची नहीं पाए थे।लेकिन दोस्तों अफसोस की यहां मौजूद बाकी पौराणिक मंदिरों को इन आक्रमणकारियों से बचाया नहीं जा सका था।


















दोस्तों तांबड़ी सुरला महादेव मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में कंदब वंश के शासन काल में किया गया था । दोस्तों यह मंदिर हमारे पूर्वजों का अनुपम धरोहर है इसे संजोए रखना हमारा परम कर्तव्य है अन्यथा भगवान शिव का यह मंदिर भी इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा।











                  धन्यवाद दोस्तों

           माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                English translate
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Hello friends I extend my hearty greetings to all of you guys at Mountain Leopard Mahendra.  Friends, today I am taking you on a journey of the temple of the very ancient Lord Shiva of that era, very beautiful and full of wonderful supernatural architecture.  Which is located in our very beautiful small state of Goa.

















 Tambdi Surla Mahadev Temple


 Goa



 India


 Namaskar Friends, the very ancient Tambadi Surla Mahadev Temple is located at a distance of about 65 km from Goa's capital Panaji.  Friends, this ancient temple of Lord Bholenath is very famous. Friends, this ancient temple is quite famous for its amazing and unique architecture which is considered to be one of the major pilgrimage sites for visiting Goa. The friends built during the 12th century  This Gaya temple is the only monument to the architectural style of the Kandab Yadav dynasty.  The friends are during the construction period of the temple, these areas were ruled by the Kandab dynasty.  Friends, the rulers of the Kadamb dynasty had built this temple of their adorable god Lord Shiva.

















 After going through the history of the Friends temple, it is revealed that the temple was built in the Kandab style with basalt stones.  Which is situated atop the mountains of the Deccan plateau. This temple of Lord Shiva located in two Goa is the only sign of the architectural style of the Kandahar dynasty. Friends, you will be surprised to know that earlier ancient temples in Goa were very large, but friends external  The brutal Muslim rulers and Portuguese rulers destroyed almost all the grand and mythological temples.  Friends, this is the only temple of Lord Shiva that was left untouched by external invasions.  Because the outside invaders could not know about this place because it is built on the mountains of the Deccan plateau, which is situated amidst the dense forests at that time, which is still very difficult to reach.  Due to which the brutal Muslim invaders could not reach here, but friends regret that the rest of the mythological temples here could not be saved from these invaders.

















 Friends Tambadi Surla Mahadev Temple was built in the 12th century under the rule of the Kandab dynasty.  Friends, this temple is a unique heritage of our ancestors, it is our ultimate duty to preserve it, otherwise this temple of Lord Shiva will also remain confined in the pages of history.












 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra                           🧗🧗













































































































































































































Mountain lappord Mahendra
🧗🧗









Thursday, March 18, 2021

अति प्राचीन पुरातात्विक खोज - शिवलिंग Ancient Antiquarian Discovery - Shivling

Ek yatra khajane ki khoje















         हड़प्पा कालीन स्थल कालीबंगा से प्राप्त शिवलिंग , शिवलिंग एक योनि पीठ पर स्थापित है 
 The Shivalinga obtained from the Harappan site Kalibanga, the Shivlinga is installed on a vaginal back.
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    नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।दोस्तों आज का मेरा ब्लॉग थोड़ा हटकर है जो भगवान शिव को समर्पित है शायद आप सभी लोगों को पसंद आए।



         
 सन 1940 में पुरातत्वविद डॉक्टर एम एस वत्स द्वारा हड़प्पा से खोजा गया शिवलिंग।
 Shivalinga discovered from Harappa in 1940 by archaeologist Dr. MS Vats.
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    अति प्राचीन पुरातात्विक खोज                     शिवलिंग
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  नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भगवान शिव शंकर कोई एक हिंदू देव मात्र नहीं है। क्योंकि दोस्तों हमारे पवित्र धर्मग्रंथों में भगवान शिव को समस्त ब्रह्मांड का उर्जा माना गया है। दोस्तों यही कारण है कि शिव , धर्म ,जाति , लिंग और क्षेत्र के भेदों से परे हैं शिव , सबके हैं और संपूर्ण जगत शिव का है।











दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भगवान शिव शंकर को प्रतीक रूप में लिंग में प्रतिस्थापित किया जाता है और हम सभी सनातन धर्मी इसी रूप में इन्हें पूजते हैं जैसा कि दोस्तों आप सभी को मालूम होगा की शिवलिंग प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार के होते हैं। दोस्तों शिवलिंग की उत्पत्ति और प्राप्ति के सवाल पर हमें कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पाता है दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अर्थवेद से प्रारंभ होकर लिंग पुराण और रामायण , महाभारत आदि पवित्र हिंदू धर्म ग्रंथों में शिवलिंग पूजन के प्रमाण मौजूद हैं।  





         हड़प्पा कालीन अति प्राचीन शिवलिंग 
               Harappan  Shivling










दोस्तों पुरातात्विक साक्ष्यों या प्रमाणों की बात करें तो भारतवर्ष की प्राचीनतम ज्ञात मानव सभ्यता यानी सिंधु घाटी सभ्यता से ही शिवलिंग मिलने प्रारंभ हो जाते हैं।यानी देखा जाए तो अति प्राचीन सिंधु सभ्यता के लोग भी भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में किया करते थे। और आगे चलकर प्राचीन सेंधव सभ्यता के लोगों ने भी इसी पूजा पद्धति को जारी रखा जो आज वर्तमान में भी निरंतर जारी है , भगवान शिव को उनके प्रतिक शिवलिंग के रूप में पूजना ।




दोस्तों जैसा कि आप सभी लोगों ने पढ़ा होगा कि गुप्त काल में हिंदू मंदिरों के विकास के युग के प्रारंभ होने के साथ ही शिवलिंग भी कलात्मक रूप में विकसित होने लग गए थे।दोस्तों उस काल में शिवलिंग पर शिव की मुखाकृति उकेरी जाने लगी थी , और दोस्तों यही प्रक्रिया लिंगो पर बाद में पूर्ण प्रतिमा उकेरे जाने तक विकसित हुई। क्योंकि दोस्तों एकमुखी , चतुर्मुखी , अष्टमुखी शिवलिंग आज भी गुप्त काल के उस स्वर्णिम युग के संदेशवाहक के रूप में यत्र तत्र देखने को मिल जाते हैं। यद्यपि दोस्तों गुप्त शासक वैष्णव मत के अनुयाई थे किंतु फिर भी गुप्त काल में भगवान शिव , माता पार्वती , माता गौरी , भगवान गणेश , भगवान कार्तिकेय , नंदी बाबा  आदि के अनेक सुंदर साहब प्रतिमाएं बनाई गई थी।





           हड़प्पाकालीन पशुपति सील -योग मुद्रा में बैठे पशुपति और उनके समीप विचरण करते पशु ।
  
Harappan Pashupati Seal - Pashupati sitting in yoga pose and animals roaming near him.
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दोस्तों आगे चलकर यानी गुप्तकाल के बाद में अनेकों राजवंशों ने शैल  संप्रदाय को राज्याश्रय  दिया और संपूर्ण भारतवर्ष में अनेकों शिवालयों का निर्माण किया गया जिनमें शिवलिंग को मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में स्थापित किया जाता था। दोस्तों चंदेल काल में निर्मित खजुराहो का कंदारिया महादेव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। दोस्तों 11 वीं - 12 वीं सदी में मालवा के परमार राजाओं ने भी अनेक सुंदर शिवालयों का निर्माण करवाया।इसी प्रकार उत्तर का सोमनाथ कहे जाने वाले भोजेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग संसार के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है ।दोस्तों भारत के अतिरिक्त समूचे दक्षिण एशिया और सुदूर पूर्व के देशों में जैसे इंडोनेशिया , जापान , वियतनाम , कंबोडिया , सिलोन , जावा , सुमात्रा आदि में भी शिवालय एवं शिवलिंगों की स्थापना की गई थी। 















यानी दोस्तों देखा जाए तो भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाने की पद्धति अति प्राचीन से भी प्राचीन है।।



                           वियतनाम से प्राप्त शिवलिंग
                    Shivling received from Vietnam











                 धन्यवाद दोस्तों


               माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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               English translate
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 Hello friends I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra. Friends today my blog is a little different which is dedicated to Lord Shiva, maybe you all like it.











 Ancient archaeological discovery shivlinga

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 Hello friends as you all know that Lord Shiva Shankar is not just a Hindu god.  Because friends, in our holy scriptures, Lord Shiva is considered the energy of the entire universe.  Friends, this is the reason that Shiva is beyond the distinctions of religion, caste, gender and region, Shiva belongs to everyone and the whole world belongs to Shiva.




 
                एक मुखी शिवलिंग छठी से सातवीं सदी गुप्त काल
                One Mukhi Shivling Sixth to Seventh Century Gupta Period
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 Friends, as you all know that Lord Shiva Shankar is substituted in the linga as a symbol and we all worship him in the same way as friends all of you will know that Shivling is both natural and man-made.  Occur.  Friends, we do not get any clear answer on the question of origin and attainment of Shivling. Friends, as we all know that there is evidence of Shivling worship in the sacred Hindu religion texts like Linga Purana and Ramayana, Mahabharata, starting from Arthaveda.











 Friends, if you talk about archaeological evidence or evidences, then the Shivalinga starts from the oldest known human civilization of India i.e. the Indus Valley Civilization.  .  And later, people of ancient rock civilization continued this same method of worship, which continues even today, worshiping Lord Shiva as their counterpart Shivalinga.










         माय सन वियतनाम से उत्खनन में प्राप्त एक विशाल शिवलिंग लगभग 10वीं से 11वीं सदी ईसवी।
  A large Shivalinga excavated from My Sun Vietnam dating from about 10th to 11th century AD.
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 Friends, as all of you must have read that with the beginning of the era of the development of Hindu temples in the Gupta period, Shivling also started to develop in artistic form. In that period, the face of Shiva was engraved on the Shivling,  And friends, this process evolved until the full statue was carved on the lingo later.  Because friends, Ekamukhi, Chaturmukhi, Ashtamukhi Shivling, are still seen as a messenger of that golden age of Gupta period.  Although friends were followers of Gupta ruler Vaishnavism, yet many beautiful saab idols of Lord Shiva, Mata Parvati, Mata Gauri, Lord Ganesha, Lord Kartikeya, Nandi Baba etc. were built in Gupta period.








 Friends later, in the post-Gupta period, many dynasties ruled the Shaila sect and many pagoda were built all over India in which the Shivalinga was installed in the main sanctum sanctorum of the temple.  Friends, Kandariya Mahadev Temple of Khajuraho built in Chandel period is world famous.  Friends, the Parmar kings of Malwa also built many beautiful pagoda in the 11th - 12th century. Similarly, the Shivalinga established in the Bhojeshwar Shiva temple called Somnath in the north is one of the largest Shivalingas in the world.  Pagoda and Shivalingas were also established in South Asia and Far East countries such as Indonesia, Japan, Vietnam, Cambodia, Ceylon, Java, Sumatra etc.





                        मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित भूभरा के शिवालय में स्थापित छठी से सातवीं शताब्दी का अति सुंदर मुखलिंग।
 Exquisite Mukhling of sixth to seventh century established in Bhubhra's pagoda located in Satna district of Madhya Pradesh.
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 That is, if you see friends, the method of worshiping Lord Shiva in the form of Shivalinga is even more ancient than the oldest.









 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗



            नीलकंठेश्वर शिव मंदिर उदयपुर -विदिशा 12वी से 13 वी सदी में निर्मित। 

 Neelkantheshwar Shiva Temple Udaipur - Vidisha Built in 12th to 13th century.
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          अति प्राचीन भगवान शिव की शैल चित्र
 Rock figure of the very ancient Lord Shiva
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                बूंदी राजस्थान से खोजा गया एक गुप्तकालीन एकमुखी शिवलिंग।

 A Gupta Shiva lingam dating back to Bundi Rajasthan.
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    पूरे भारतवर्ष में 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग स्थापित है जिनमें उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग अति प्रसिद्ध है उज्जैन के प्राचीन महाकाल मंदिर को क्रूर आक्रमणकारी सुल्तान इल्तुतमिश ने नष्ट कर दिया था वर्तमान में मंदिर मराठाकालीन है।

 Jyotirlinga is established in 12 places throughout India, in which Mahakaleshwar Shivling of Ujjain is very famous. The ancient Mahakal temple of Ujjain was destroyed by the brutal invader Sultan Iltutmish. Currently the temple is Maratha.
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                     मंदसौर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में स्थापित अष्ट मुखी शिवलिंग गुप्त काल।

Ashta Mukhi Shivling Gupta period established in the famous Pashupatinath temple of Mandsaur Madhya Pradesh
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                गुप्तकालीन एक मुखी शिवलिंग उदयगिरी की गुफाएं मध्य प्रदेश पांचवी से लेकर छठी शताब्दी के बीच।
 The caves of Udayagiri, a mukhi Shivling in Gupta period, Madhya Pradesh between the fifth to the sixth century.

















 



Sunday, March 14, 2021

एक यात्रा अद्भुत और अकल्पनीय बेहटा गांव के अति प्राचीन जगन्नाथ मंदिर की - कानपुर जनपद उत्तर प्रदेश भारतवर्ष A visit to the amazing and unimaginable Jagannath temple of Behta village - Kanpur district Uttar Pradesh India.

Ek yatra khajane ki khoje


















                          अति प्राचीन जगन्नाथ मंदिर
                          Ancient Jagannath Temple
                       















  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्राआप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज की यात्रा पर मैं आपको लेकर चल रहा हूं उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड के "बेहटा" गांव की यात्रा पर जहां हम देखेंगे अति प्राचीन अद्भुत और अलौकिक जगन्नाथ मंदिर जो बहुत ही रहस्यमई और चमत्कारिक है।




          अति प्राचीन जगन्नाथ मंदिर

                    बेहटा गांव

               उत्तर प्रदेश कानपुर

                  
                      भारतवर्ष





 नमस्कार दोस्तों क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि किसी मंदिर की छत से चिलचिलाती धूप में अचानक पानी टपकने लगे।एवं अद्भुत रूप से बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए।दोस्तों यह घटना है तो बड़ी रोचक और हैरान कर देने वाली लेकिन 100% सच यही है।
           









दोस्तों उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड से ठीक 3 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है "बेहटा" और यही मौजूद है अद्भुत और अलौकिक मंदिर जहां धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य।


      दोस्तों यह रहस्यमई घटना कर्म किसी आम इमारत या  भवन के नहीं बल्कि यह होता है भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में।
















 दोस्तों हमारा भारतवर्ष एक ऐसा देश है जो आश्चर्यो से परिपूर्ण है।हमारे देश के प्रत्येक राज्य के हर एक शहर के कोने कोने में कोई ना कोई अलौकिक और अद्भुत जगह मौजूद है।दोस्तों ऐसी ही एक जगह है उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में स्थित भगवान जगन्नाथ की प्राचीन मंदिर जो कि अपनी एक अनोखी विशेषता के कारण बहुत ही प्रसिद्ध है।दोस्तों इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह प्राचीन मंदिर वर्षा होने की सूचना 7 दिन पहले ही दे देता है। दोस्तों आप शायद यकीन न करें पर यह एकदम हकीकत है।












दोस्तों यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है दोस्तों यह मंदिर कानपुर जनपद के भीतर गांव विकासखंड मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खासियत यह है कि बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती है दोस्तों मंदिर का रहस्य आज तक रहस्य ही है। हालांकि दोस्तों इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम खोज या सर्वेक्षण के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही जानकारी या समय का पुरातत्ववेता या वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके हैं। दोस्तों केवल इतना ही पता लग पाया है कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में हुआ था।दोस्तों उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है।


















लेकिन दोस्तों वर्तमान समय में इस मंदिर से लोगों को बहुत फायदे हुए हैं जैसे बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसान अपने घरेलू या खेती के काम निपटाने की योजना बनाने लगते हैं। दोस्तों मंदिर के गर्भ गृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है मान्यता है कि यही पत्थर मानसून आने के पहले पानी टपका कर संदेश देने लगता है।










दोस्तों भगवान जगन्नाथ का मंदिर कितना पुराना है इसका सटीक आकलन अभी तक नहीं हो पाया है।दोस्तों पुरातत्व विभाग ने कई बार प्रयास किए पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण का सही समय पता नहीं चल सका है। दोस्तों मंदिर की दीवार है करीब 14 फीट मोटी है दोस्तों मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ , बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां हैं।


दोस्तों आजकल यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है दोस्तों जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथयात्रा यहां से भी निकाली जाती है।











                  धन्यवाद दोस्तों


                माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗
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                  English translate




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Hello friends, I am a mountain lepard Mahendra. I extend my heartiest greetings to all of you, friends. Today I am taking you on a journey to the "Behata" village of the village development block in Kanpur district called Uttar Pradesh's industrial city, where we will see the very ancient  The amazing and supernatural Jagannath temple which is very mysterious and wondrous.





 Ancient Jagannath Temple


 Behata Village


 Uttar Pradesh Kanpur




 India










 Hello friends, can you ever imagine that the roof of a temple suddenly started dripping water in the scorching sun, and amazingly as soon as it started raining, the water stopped dripping from the roof. Friends, this incident is very interesting and shocking.  This is tax-paying but 100% true.












 Friends, there is a village "Behta", just 3 kilometers from the inner development block of Kanpur district called Uttar Pradesh's industrial city, "Bhatta" and this wonderful and supernatural temple where water droplets dripping from the roof in the sun and roof in the rain  Secret of leakage closure.



 Friends, this mysterious event is not about any common building or building but in the ancient temple of Lord Jagannath.
















 Friends, our India is a country full of wonders. There is a supernatural and wonderful place in every corner of every state of our country. God is located in Kanpur district of Uttar Pradesh.  The ancient temple of Jagannath which is very famous due to its unique feature. Friends, the specialty of this temple is that this ancient temple gives notice of rain 7 days in advance.  Friends, you may not believe it but it is a reality.













 Friends, this temple is dedicated to Lord Jagannath. Friends, this temple is located 3 kilometers from the village development block headquarters within Kanpur district.  Friends, it is said that the specialty of this temple is that 7 days before the rains, a few drops start dripping from its roof automatically. Friends, the secret of the temple remains a mystery till date.  Although there have been many attempts to know this secret, but even after all the research or discovery, the archaeologist or scientists have not been able to find out the exact information of the construction of the temple and the mystery or time.  Friends, only this much has been known that the last renovation of the temple was done in the 11th century. Information like when and how many renovations were made before the friends or who built it remains an unknown puzzle even today.









 But friends, people have benefited greatly from this temple at the present time, as the farmers are planning to settle their domestic or agricultural work due to the knowledge of the rain.  Friends, a stone is placed on the summit of the sanctum sanctorum of the temple, it is believed that this stone drips water before the monsoon arrives.











 Friends, an accurate assessment of how old the temple of Lord Jagannath is has not yet been done. The Friends Archaeological Department has made several attempts, but despite all the surveys, the exact time of construction of the temple has not been known.  Friends temple wall is about 14 feet thick. Friends inside the temple there are black smooth stone idols of Lord Jagannath, Baldau and sister Subhadra.



 Friends, this temple is under the Archaeological Department these days, like the Rath Yatra takes place in the Jagannath temple of Puri in the same way, the Rath Yatra is also carried out from here.






 Thanks guys



 Mountain Leopard Mahendra                            🧗🧗





















 




 

Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...