Wednesday, February 17, 2021

एक यात्रा चौंसठ योगिनी मंदिर की - मुरैना , मध्यप्रदेश भारत वर्ष A Visit to the Sixty-four Yogini Temple - Morena, Madhya Pradesh India

Ek yatra khajane ki khoje





                       विहंगम दृश्य 64 योगिनी मंदिर की
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               Bird's eye view of 64 yogini temple
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  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप सभी को एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर लेकर चल रहा हूं जो हूबहू हमारे देश के संसद भवन की तरह दिखता है। दोस्तों यह मंदिर है चौसठ योगिनी महादेव मंदिर जो तंत्र विद्या को जागृत करने के लिए विश्वविख्यात है तो आइए दोस्तों चलते हैं मंदिर की ओर।







  दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि हजारों वर्ष पहले ही हमारे पूर्वजों ने संसद की नींव रख दी थी ।दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हुबहू संसद भवन जैसी आकृति के एक नहीं चार मंदिर हैं जिन्हें हम सभी 64 यगिनी मंदिर के नाम से जानते हैं। 












  चौसठ योगिनी मंदिर का प्रतिरूप है हमारा संसद भवन
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                           चौसठ योगिनी मंदिर
 
                           मुरैना , मध्य प्रदेश


                                 भारतवर्ष 




  दोस्तों भारत में चार चौसठ योगिनी मंदिर मौजूद हैं । जिसमें से दो उड़ीसा राज्य में स्थित है और दो मध्यप्रदेश में मौजूद है।
और इनमें सबसे प्रमुख है । मध्यप्रदेश के मुरैना में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर । दोस्तों यह मंदिर प्राचीन काल में तंत्र मंत्र के लिए काफी प्रसिद्ध था । दोस्तों उस काल में विश्व का एकमात्र तांत्रिक साधना विश्वविद्यालय था जहां पर विश्व के सभी क्षेत्रों से तांत्रिक तंत्र साधना करने आते थे।












 आइए दोस्तों चलते हैं मंदिर की ओर दोस्तों करीब 200 सीढ़ियों को चढ़ने के बाद आप चौसठ योगिनी मंदिर के परिसर में प्रवेश कर पाओगे। क्योंकि यह मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है । दोस्तों ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण काफी समझ कर किया होगा। क्योंकि दोस्तों यह मंदिर एक वृतीय आधार पर बना हुआ है और इसमें 64 कमरों का निर्माण किया गया है और प्रत्येक कमरे में एक एक शिवलिंग स्थापित किया गया है दोस्तों मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मंडप बना हुआ है जिसमें एक विशाल शिव लिंग स्थापित है।




 





दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1323 ईस्वी में किया गया था लेकिन मेरा मानना है कि यह मंदिर इससे कहीं ज्यादा प्राचीन , अद्भुत और अलौकिक है। दोस्तों आश्चर्य की बात या थी कि प्रत्येक कमरे में शिवलिंग के साथ-साथ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थी। लेकिन कुछ मूर्तियों की चोरी हो जाने की वजह से बची हुई मूर्तियों को राजधानी दिल्ली के संग्रहालय में रख दिया गया है।दोस्तों देवी योगिनी की वजह से ही इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर पड़ा है।दोस्तों मंदिर 101 खंभों पर टिका हुआ है जिस कारण से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित कर रखा है।













 दोस्तों सबसे बड़ी बात यह है कि सबसे पहले ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस हमारे पूर्वजों के द्वारा बनाए गए इस अद्भुत निर्माण को देखकर आश्चर्यचकित और अचंभित हुआ था। और बाद में इसी मंदिर को आधार मानकर हमारे देश के संसद भवन का निर्माण करवाया था। दोस्तों मंदिर ना केवल बाहर से संसद भवन से मिलता-जुलता है बल्कि अंदर भी खंभों का वैसा ही ढांचा है।






  दोस्तों आस-पास के गांव में रहने वाले निवासी आज भी मानते हैं कि मंदिर आज भी भगवान शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है जिस कारण से यहां आज भी रात में रुकने की इजाजत नहीं है दोस्तों शाम होते ही यहां न तो इंसान नजर आते हैं और नहीं पशु पक्षी। दोस्तों तंत्र साधना के लिए मशहूर इस मंदिर में शिव की योगियों को जागृत किया जाता है या था। 














 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह सभी चौसठ योगिनीया माता आदिशक्ति काली की अवतार हैं। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए मां काली ने यह सभी अवतार धारण किए थे। इन देवियों को 10 महाविद्याओ और सिद्ध विद्याओं में भी गणना की जाती है। ये सभी देवी योगिनीया तंत्र तथा योग विधाओ से संबंध रखती है।








  दोस्तों कभी किसी जमाने में इस मंदिर में तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए देसी विदशी तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था लेकिन अब वे सब बीते हुए जमाने की बात है। फिर भी आज कुछ तांत्रिक ,  सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यहां पूजा पाठ करते हैं। दोस्तों इस मंदिर को इंकतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों आज हमें अपने इस प्राचीन धरोहर को बचाए रखना हमारा धर्म बनता है।











                    धन्यवाद दोस्तों

                 माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                      English translate
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   Hello friends, I heartily congratulate all of you mountain leopard Mahendra, Friends, today I am taking all of you on a journey to a temple which looks like a Parliament House in our country.  Friends, this temple is Chausath Yogini Mahadev Temple which is world famous for awakening Tantra learning, so let's go towards the temple.









 Friends, historical sources reveal that thousands of years ago our ancestors laid the foundation of the Parliament. Friends, you will be surprised to know that there are not one but four temples of the same shape as the exact Parliament House, which we all know as the 64 Yagini Temple.




 Our Parliament House is a copy of Chausath Yogini Temple

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 Chausath Yogini Temple



 Morena, Madhya Pradesh



 India




 Friends, there are four sixty-four Yogini temples in India.  Of which two are located in the state of Orissa and two are present in Madhya Pradesh.

 And the most prominent of these.  Chausath Yogini Temple located in Morena, Madhya Pradesh.  Friends, this temple was famous for Tantra Mantra in ancient times.  Friends was the only Tantric Sadhana University in the world at that time, where Tantric Tantras from all regions of the world used to come to practice.











 Let's go friends, after climbing about 200 stairs towards the temple, you will be able to enter the premises of the Chausath Yogini temple.  Because this temple is built on a small hill.  Friends, it seems that our ancestors must have built this temple quite understandably.  Because Friends this temple is built on a circular basis and 64 rooms have been built in it and a Shivalinga has been installed in each room. An open pavilion is built in the center of the Friends temple with a huge Shiva Linga installed in it.  .












 Friends historical sources state that this temple was built in 1323 AD but I believe that this temple is much more ancient, wonderful and supernatural than this.  It was surprising to friends that in every room there were Shivling as well as idols of Goddess Yogini.  But due to the theft of some idols, the remaining idols have been kept in the museum in the capital Delhi. It is due to the two Goddess Yogini that this temple is named Chausath Yogini Temple. The two temples rest on 101 pillars.  Due to this reason, the Archaeological Survey of India has declared this temple as an ancient historical monument.













 Friends, the biggest thing is that the first British architect Edwin Lutyens was surprised and astonished to see this amazing construction made by our ancestors.  And later this temple was built on the basis of the Parliament building of our country.  Friends temple is not only similar to the Parliament House from outside but also has the same structure of pillars inside.







 Friends, the residents of the nearby village still believe that the temple is still covered with the armor of Lord Shiva's Tantra Sadhana, due to which it is not allowed to stay here at night even today.  Look no more animal birds.  Shiva yogis are awakened in this temple famous for friends tantra practice.









 Friends, you will be surprised to know that all these fourteen yogini mata are the incarnation of Adishakti Kali.  According to the Puranas, it is believed that Mother Kali had all these incarnations while fighting with a monster called Ghor.  These goddesses are also counted among the 10 Mahavidyas and Siddha Vidyas.  All these Goddesses belong to Yoginiya Tantra and Yoga disciplines.









 Friends, once upon a time there used to be a gathering of desi Vidashi tantrikas in this temple to achieve tantric accomplishments, but now they are all a thing of the past.  Yet today some tantrikas worship here to attain siddhis.  Friends, this temple is also known as Inkateshwar Mahadev Temple.  Friends, today it becomes our religion to preserve this ancient heritage of ours.










                   Thanks guys


     Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗





       












             Mountain lappord Mahendra












Tuesday, February 16, 2021

एक यात्रा प्राचीन सिद्धनाथ महादेव मंदिर - नेमावर मध्य प्रदेश भारतवर्ष A visit to the ancient Siddhnath Mahadev Temple - Nemawar Madhya Pradesh India

Ek yatra khajane ki khoje























  नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप सभी को लेकर चल रहा हूं नर्मदा नदी के तट पर जहां एक बहुत ही अद्भुत मंदिर स्थित है जिसे हम सभी सिद्धनाथ महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं। दोस्तों इस मंदिर से जुड़ी बहुत सारी किंवदंतियां और कहानियां प्रचलित है जो आपको आश्चर्य चकित किए बिना नहीं छोड़ सकती है। आइए दोस्तों चलते हैं प्राचीन सिद्धनाथ महादेव मंदिर की ओर।







                  प्राचीन सिद्धनाथ महादेव मंदिर




                               नेमावर
                 
                             मध्य प्रदेश

                              भारतवर्ष



  दोस्तों प्राचीन ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि सिद्धनाथ महादेव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना 4 महान सिद्ध ऋषि महात्मा सनक , सनकंद सनतकुमारा , और सनात्सुजा ने सतयुग में की थी।  इन्हीं के कारण इस मंदिर का नाम सिद्धनाथ पड़ा था । दोस्तों इस मंदिर के ऊपरी तल पर ओम्कारेश्वर और निचले तल पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं । दोस्तों सिद्धेश्वर महादेव शिवलिंग बहुत ही अलौकिक हैं  दोस्तों जब आप  शिवलिंग पर जल अर्पण करोगे तो आप सभी को शिवलिंग से ॐ की प्रतिध्वनि सुनाई देगी जो आपको मंत्र-मुग्ध कर देंगी। 






   दोस्तों ऐसी मान्यता है कि इसके शिखर का निर्माण 3094 वर्ष ईसा पूर्व में किया गया था । ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि द्वापर युग में कौरवों द्वारा इस मंदिर को पूर्व मुखी बनाया गया था , जिसे पांडव पुत्र महाबली भीम ने अपने बाहुबल से पश्चिम मुखी कर दिया था।
    










 दोस्तों एक प्रचलित कहानी यह भी है कि सिद्धनाथ महादेव मंदिर के पास नर्मदा नदी के तट पर रेत पर सुबह-सुबह ऋषि-मुनियों या किसी सिद्ध महात्मा के पद चिन्ह नजर आते हैं।जिस पर कुष्ठ रोगी अपने शरीर को रगड़ते हैं जिससे वे धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं।






 दोस्तों आस-पास के गांव में रहने वाले बुजुर्गों का मानना है कि पहाड़ी के अंदर स्थित गुफाओं एवं कंदराओं में रहने वाले तपस्या में लीन साधु महात्मा प्रातः काल यहां नर्मदा नदी के तट पर स्नान आदि करने आते हैं और अपने पद चिन्ह तट के रेत पर छोड़ जाते हैं । 














 दोस्तों जब आप यहां आओगे तो देखोगे  की आसपस के क्षेत्रों में बहुत ही प्राचीन पुरातात्विक अवशेष यत्र तत्र बिखरे पड़े हुए हैं और हम जैसे खोजकर्ताओं   की बाट जोह रहे हैं ताकि इनका उद्धार हो सके। 






 दोस्तों हिंदू और जैन पुराणों में इस स्थान के बारे में कई बार उल्लेख किया गया है इस स्थल को सभी पापों का नाश करने वाला सिद्धदाता तीर्थस्थल माना गया है। दोस्तों नर्मदा नदी के तट पर स्थित शिवालय मंदिर हिंदू धर्म की आस्था का प्रमुख केंद्र है। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत या साहित्य बताते हैं कि 10वीं और 11 वीं सदी के चंदेल और परमार राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था ।















 दोस्तों यह मंदिर अपने अद्भुत स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है दोस्तों मंदिर को देखने से ही मंदिर की प्राचीनता का एहसास होता है। दोस्तों मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर भगवान शिव , यमराज ,  भैरव ,  भगवान गणेश  , इंद्राणी और चामुंडा देवी कई सुंदर मुर्तियां उत्कीर्ण की गई है। 












 दोस्तों सिद्धनाथ शिव मंदिर परिसर में शिवरात्रि , मकर संक्रांति , सूर्य ग्रहण , चंद्र ग्रहण एवं अमावस्या आदि पर्व पर विशाल मेला का आयोजन होता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण स्नान आदि करने आते हैं। साथ ही साथ बड़ी संख्या में साधु महात्मा भी इस पवित्र नर्मदा मैया का दर्शन करने आते हैं एवं पुण्य के भागी बनते हैं।










                            धन्यवाद दोस्तों

                         माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗

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                          English translate
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 Hello friends I heartily greet all of you Mountain Leopard Mahendra, Friends, today I am walking with all of you on the banks of river Narmada where a very amazing temple is located which we all know as Siddhnath Mahadev Temple.  Friends, there are many legends and stories associated with this temple which cannot leave you without astonishment.  Let's go to the ancient Siddhnath Mahadev temple.
















 Ancient Siddhnath Mahadev Temple










 Nemawar



 Madhya Pradesh


 India




 Friends, ancient historical sources reveal that the Shivalinga at the Siddhnath Mahadev Temple was founded by 4 great sages, Mahatma Sanak, Sanakand Sanatkumara, and Sanatsuja in Satyuga.  Due to these, this temple was named Siddhanath.  Friends are Omkareshwar on the upper floor of this temple and Mahakaleshwar Jyotirlinga sits on the lower floor.  Friends, Siddheshwar Mahadev Shivalinga is very supernatural, friends, when you offer water on the Shivlinga, you will all hear an echo of the Shivlinga which will enchant you.















 Friends, it is believed that its peak was built in 3094 BC.  Historical sources indicate that this temple was made east facing by the Kauravas in Dwapara era, which was turned west by Pandava son Mahabali Bhima with his muscle.
















 Friends, there is also a popular story that in the early morning on the sand on the banks of river Narmada near the Siddh Nath Mahadev temple, the footprints of sage-sages or any Siddha Mahatma are seen, on which leprosy rub their body so that they slowly  Heals slowly.















 Friends, the elders living in the nearby village believe that the sage, who is engaged in austerities living in caves and kandaras located inside the hill, comes here early in the morning to bathe on the banks of the Narmada River, and his footprints on the sand of the coast  They leave.



















 Friends, when you come here, you will see that very ancient archaeological remains are scattered here and there in the areas of the surrounding areas and we are looking for explorers like us so that they can be saved.














 Friends, this place has been mentioned many times in Hindu and Jain Puranas, this place has been considered as the Siddhada pilgrimage site to destroy all sins.  The Shivalaya temple, situated on the banks of the river Narmada, is a major center of the faith of Hinduism.  Friends, historical sources or literature suggests that the temple was renovated by the Chandela and Parmar kings of the 10th and 11th centuries.















 Friends, this temple is famous for its amazing architecture. Friends only realize the temple's antiquity by visiting the temple.  Many beautiful sculptures of Lord Shiva, Yamaraja, Bhairava, Lord Ganesha, Indrani and Chamunda Devi are engraved on the pillars and walls of the Friends temple.













 Friends, a huge fair is organized on the festival of Shivaratri, Makar Sankranti, solar eclipse, lunar eclipse and Amavasya etc. in the premises of Siddh Nath Shiva and a large number of devotees come to bathe.  At the same time, a large number of sage Mahatmas also come to visit this holy Narmada Maiya and participate in virtue.


















 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗


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                 Mountain lappord Mahendra

Friday, January 29, 2021

यात्रा विजय मंदिर विदिशा मध्य प्रदेश भारतवर्ष की दोस्तों इस मंदिर को भी सोमनाथ मंदिर की तरह क्रूर और अत्याचारी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कई बार तोड़ा था और अंत में औरंगजेब ने इस मंदिर को तोपों से उड़ा दिया था। Yatra Vijay Mandir Vidisha Madhya Pradesh Friends of Bharatvarsha This temple, like the Somnath temple, was broken many times by cruel and tyrannical Muslim invaders and finally Aurangzeb blew this temple with cannons.

Ek yatra khajane ki khoje







                          विजय मंदिर के खंडहर
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                         Ruins of Vijay Temple
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                      विजय मंदिर

        विदिशा मध्य प्रदेश

             भारतवर्ष


 



 नमस्कार दोस्तों मैं माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗 आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं दोस्तों आज मैं आप सभी लोगों को लेकर चल रहा हूं मध्य प्रदेश की यात्रा पर जहां हम एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर पहुंचेंगे जिसे बाहरी आक्रमणकारियों ने बार-बार थोड़ा और नुकसान पहुंचाया  और यहां तक कि हमारे इस धरोहर को अपना पहचान भी देने की कोशिश की लेकिन वह अपने मंसूबे में कभी कामयाब नहीं हो पाए । दोस्तों आज भी यह मंदिर अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं खंडहरों के रूप में। दोस्तों यह मंदिर है विजय मंदिर जो अपने अद्भुत निर्माण शैली के लिए विश्व विख्यात है।








     
            अपनी भव्यता को दिखाता खंडहरों के रूप में मौजूद मंदिर
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  Temples in the form of ruins showing their grandeur
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 दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर के नाम पर ही विदिशा का नाम "भेलसा "रखा गया है या "भेलसा" के नाम से मशहूर हुआ है। दोस्तों सर्वप्रथम इस मंदिर के बारे में विश्व को अरब के इतिहासकार अलबरूनी के ऐतिहासिक स्रोतों से पता चला जो भारत में अरब के क्रूर आक्रमणकारी महमूद गजनी के साथ सन् 1024 ई. में भारत आया था।दोस्तों आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि यह मंदिर अपने समय काल में देश के विशालतम मंदिरों में से एक था। दोस्तों हमारे साहित्यिक स्रोत बताते हैं कि यह मंदिर आधा मील लंबा और आधा मील चौड़ा था एवं इसकी  ऊंचाई 105 गज थी  । जिससे मंदिर का कलश और ध्वज दूर से ही दिखाई पड़ते थे। दोस्तों इसकी भव्यता एवं सुंदरता को देखकर ही मुस्लिम आक्रमणकारियों को चिढ़ होती थी।जिस कारण से अत्याचारी आक्रमणकारियों ने हमारे इस भव्य मंदिर को लूटा और तोड़ दिया।









  यानी देखा जाए तो दोस्तों यह मंदिर अपनी विशालता एवं विश्व विख्यात होने के कारण हमेशा से क्रूर अत्याचारी मुस्लिम शासकों के आंखों का कांटा बना रहा और उन्होंने इसे कई बार लूटा और तोड़ा।









     
      विजय मंदिर की खूबसूरत अवशेष पत्थरों के रूप में
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     Beautiful remnants of Vijay temple in the form of stones

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 दोस्तों मंदिर की वास्तुकला एवं मूर्तियों की बनावट देखने से पता चलता है कि यह 10वीं एवं 12वीं सदी में इस क्षेत्र के प्रसिद्ध हिंदू शासकों के द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण  करवाया गया था ।दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि इस मंदिर पर मुस्लिम शासकों का आक्रमण परमार काल में ही शुरू हो गया था। दोस्त और सबसे पहला आक्रमण इस मंदिर पर दिल्ली के गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने सन् 1233 ईस्वी में किया था। इसने मंदिर के साथ-साथ पूरे नगर को लूटा और बर्बाद कर दिया था। दोस्तों इसके बाद पुनः एक और आक्रमणकारी जिसे हम सभी मलिक काफूर के नाम से जानते हैं जो मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का एक मंत्री था जिसने सन् 1459 ईस्वी में इस मंदिर पर आक्रमण किया और बुरी तरह से लूटा और साथ ही साथ यहां स्थापित 8 फुट की ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा को दिल्ली ले जाकर बदायूं दरवाजे की मस्जिद की सीढ़ियों में जुड़वा दिया था। दोस्तों यह जानकर आपको दुःख होगा कि आज भी भारत की इस अस्मिता को आक्रमणकारियों के वंशजों द्वारा पैरों तले रौंदा जा रहा है । 












 दोस्तों इसी प्रकार मांडू के मुस्लिम शासक महमूद खिलजी ने भी सन् 1459 ईस्वी में इस मंदिर पर आक्रमण करके लूटा - खसौटा और अंत में सन् 1682 ईस्वी में सबसे  क्रूर अत्याचारी मुस्लिम शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को तोपों से उड़वा दिया । मंदिर के खूबसूरत शिखरों को तोड़वा डाला और मंदिर के अष्टकोणीय भाग को चतुष्कोणीय  बनवा दिया। और साथ ही साथ मंदिर के अवशेषों से दो  मिनार बनवा दिया और उसे एक मस्जिद का रूप दे दिया ।





                                मंदिर के खूबसूरत स्तंभ
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                    Beautiful pillars of the temple
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 दोस्तों आप आज भी मंदिर के पार्श्व भाग में तोप के गोलो के निशान स्पष्ट रूप से देख सकते हो। दोस्तों ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि अत्याचारी औरंगजेब के मरने के बाद मंदिर में मौजूद खंडित मूर्तियों की फिर से पूजा की जाने लगी। दोस्तों सन 1760 ईस्वी में पेशवा महाराज ने अत्याचारियों द्वारा बनवाए गए मस्जिद के स्वरूप को नष्ट कर दिया गया। और इस क्षेत्र में रहने वाले भोई  जाति के लोगों को माता के इस मंदिर में पूजा करने को कहा जो आज भी इस मंदिर में पूजा पाठ करते हैं।











 दोस्तों यह विजय मंदिर आज भी अपने अस्तित्व को खंडहरों के रूप में संजोए हुए हैं और अपने स्वर्णिम इतिहास की व्याख्यान कर रही है।







                  मंदिर परिसर में स्थित खूबसूरत बावड़ी
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                   Beautiful stepwell located in the temple complex
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                   धन्यवाद दोस्तों

              माउंटेन लैपर्ड महेंद्रा 🧗🧗









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            English translate
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               Vijay Temple
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         Vidisha Madhya Pradesh

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                      India
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 Hello friends, I am a mountain leopard Mahendra 🧗 I heartily congratulate all of you guys, today I am taking you all on a journey to Madhya Pradesh where we will visit a temple which is repeatedly damaged by external invaders  Transported and even tried to give his identity to this heritage of ours but he never succeeded in his plan.  Friends, even today this temple continues to exist as ruins.  Friends, this temple is Vijay Mandir which is world famous for its amazing construction style.








 Friends, you will be surprised to know that Vidisha is named after this temple "Bhelsa" or famously known as "Bhelsa".  Friends, the world first came to know about this temple from the historical sources of Arab historian Alberuni who came to India in 1024 AD with the brutal invader of Arab, Mahmud Ghazni. Friends, you will be surprised to know that this temple in its time  The period was one of the largest temples in the country.  Friends, our literary sources state that this temple was half a mile long and half a mile wide and its height was 105 yards.  Due to which the urn and flag of the temple were visible from a distance.  Friends, seeing the grandeur and beauty of it, the Muslim invaders were irritated due to which the tyrannical invaders looted and broke our grand temple.












 That is, friends, because of its vastness and world renown, this temple has always been a thorn in the eyes of the cruel tyrannical Muslim rulers and they looted and broke it many times.













 The architecture and sculpture of the Friends temple shows that this temple was rebuilt in the 10th and 12th centuries by the famous Hindu rulers of the region. Two historical sources suggest that the invasion of the Muslim rulers on this temple is permissible.  It had started in the era itself.  Friend and the first invasion of this temple was made by Iltutmish, the ruler of Delhi's slave dynasty in 1233 AD.  It looted and ruined the temple as well as the entire city.  Friends after this, again another invader whom we all know as Malik Kafur who was a minister of Muslim ruler Alauddin Khilji who attacked this temple in 1459 AD and looted it badly and at the same time established 8 feet here.  After taking the high octagonal statue to Delhi, it was added to the stairs of the mosque of Badaun Darwaza.  Friends, you will be sad to know that even today the identity of India is being trampled under foot by the descendants of the invaders.











 Friends, similarly, the Muslim ruler of Mandu, Mahmud Khilji, attacked and looted the temple in 1459 AD, and finally in 1682 AD, the most cruel tyrannical Muslim ruler Aurangzeb set the temple ablaze with cannons.  Torn down the beautiful peaks of the temple and made the octagonal part of the temple quadrangular.  And at the same time built two minars from the remnants of the temple and gave it the form of a mosque.












 Friends, you can still clearly see the marks of cannon balls in the lateral part of the temple.  Friends, historical sources suggest that after the death of the tyrannical Aurangzeb, the fragmented idols in the temple began to be worshiped again.  Friends, in 1760 AD, Peshwa Maharaj destroyed the form of mosque built by the oppressors.  And people of Bhoi caste living in this area asked to worship in this temple of Mother who still worship in this temple.
















 Friends, this Vijay temple still cherishes its existence as ruins and is lecturing its golden history.












 Thanks guys


 Mountain Leopard Mahendra 🧗🧗









                       Mountain lappord Mahendra
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Ek yatra khajane ki khoje me

एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग

          ( एक यात्रा माउंटेन लेपर्ड महेन्द्रा के संग )                          www.AdventurSport.com सभी फोटो झारखणड़ के...